• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer

HamariVasna

Hindi Sex Story Antarvasna

  • Antarvasna
  • कथा श्रेणियाँ
    • Baap Beti Ki Chudai
    • Desi Adult Sex Story
    • Desi Maid Servant Sex
    • Devar Bhabhi Sex Story
    • First Time Sex Story
    • Group Mein Chudai Kahani
    • Jija Sali Sex Story
    • Kunwari Ladki Ki Chudai
    • Lesbian Girl Sex Kahani
    • Meri Chut Chudai Story
    • Padosan Ki Chudai
    • Rishto Mein Chudai
    • Teacher Student Sex
  • Girlfriend Boyfriend Sex Story
  • Bhai Bahan Sex Stoy
  • Hindi Sex Story
  • माँ बेटे का सेक्स
  • अपनी कहानी भेजिए
  • ThePornDude
You are here: Home / Hindi Sex Story / भिखारी बाबा का लंड बहुत बड़ा था

भिखारी बाबा का लंड बहुत बड़ा था

मार्च 5, 2025 by hamari

Dardnak Chudai XXX Kahani

पार्टी से लौटते वक़्त, मैं कार थोड़ा तेज ही चला रही थी। एक तो देर हो जाई थी, दूसरा, रात के तीन बजने वाले थे, मेरा घर रेलवे फाटक के दूसरी ओर था और एक बार माल गाड़ियों की आवाजाही शुरू होने की वजह से फाटक बंद हो गया; तो कम से कम आधा घंटा या फिर उससे भी ज़्यादा वक़्त के लिए अटक के रहना पड़ेगा। Dardnak Chudai XXX Kahani

मैं सोच रही थी की घर जा के, ब्लैक डॉग विस्की की बोतल ख़त्म कर दूँगी क्यों की मेरी प्यास अधूरी ही रह गई थी। यह पार्टी “फ्रेंडशिप क्लब” ने आयोजित की थी, यहाँ कई तरह के “बोल्ड “ संपर्क बनते हैं। पार्टी में कई आदमियों ने मेरे साथ डांस किया था, लेकिन इन सब का सिर्फ़ एक ही मकसद था, मुझे छूना।

चूँकि मैने जान बूझ कर उस दिन सिर्फ़ एक हॉल्टर पहन कर गई थी, इसलिए शायद मैं बहुत लोगों की दिलरूबा बनी हुई थी। मेरा बदन सामने से तो ढाका हुआ था पर मेरी पीठ बिलकुल नंगी थी। हॉल्टर पहनने की वजह से मैने ब्रा नही पहनी थी… मेरे बड़े-बड़े स्तन मेरे हर कदम पर थिरक रहे थे…

शायद इस लिए इतने लोग मेरे साथ डांस करने के लिए बेताब हो रहे थे, उन्हे मेरी नंगी पीठ पर हाथ फेरने का मौका जो चाहिए था और वह लोग चाहते थे की मुझे अपने सीने से चिपटा मेरे स्तनो की छूअन का मज़ा ले सके। लेकिन मैने अपने बाल खोल रखे थे।

कुछ लोग इसी लिए दुआ कर रहे थे की मैं एक जुड़ा बाँध लूँ, ताकि उन्हे मेरी नंगी पीठ की पहुँच मिल सके। एक काले रंग के हाल्टर में गोरी चिट्टी लड़की को देखकर किसका दिल नहीं मचल उठेगा?… ऐसे ही एक जनाब थे डाक्टर… जो चन्द ही मिनटों मे मेरा मेरा दीवाना बन गए थे…

एक आदमी के साथ डांस करने के बाद जैसे ही मैं बार काउंटर पर पहुँची, डाक्टर साहब मेरे पास आ कर बोले, “माफ़ कीजिएगा मिस, के आप मेरे साथ एक ड्रिंक लेना पसंद करेंगी?”

“जी ज़रूर, आपकी तारीफ?” आख़िर मैं यहाँ तफ़री का लिए आई थी, एक उम्र से दुगना दिखने वाला मर्द अगर मेरे साथ बैठ के पीना चाहे तो हर्ज़ क्या है? इस अय्याशी की महफिल में मुझे मुफ्त की शराब तो पीने को मिल रही है।

इसे भी पढ़े – भैया से चुदवाया पति का लंड छोटा था तो

“मेरा नाम डाक्टर दत्ता है, मैं एक स्त्री रोग विशेषज्ञ हूँ।”

“डाक्टर साहब, मेरा नाम जोया है, मैं एक स्त्री हूँ, लेकिन मुझे कोई रोग नही है… हा हा हा हा…”

“हा हा हा हा”.

थोड़ी ही देर में मैं डाक्टर साहब के साथ घुल मिल गई थी।

डाक्टर साहब बोले, “अगर आप बुरा ना माने तो मैं आप जैसे खूबसूरत लड़की के साथ डांस करना चाहता हूँ। पर मेरी एक विनती है आप से…”

“जी बोलिए…”

“आप अपने बालों को जुड़े मे ज़रूर बाँध लीजिएगा…”

“क्यों? क्या आपको मेरे खुले बाल अच्छे नही लग रहे?”

“जी, नही… ऐसी बात नही है… खुले बालों में आप बहुत सुंदर दिख रहीं है… बस मैं चाहता हूँ कि आप मेरे साथ डांस करते वक़्त और सैक्सी दिखें… आपकी पीठ नंगी रहेगी तो हम दोनो को डांस करने में मज़ा आएगा… आपने ब्रा तो नही पहन रखी होगी?”

“क्यों?”

डाक्टर साहब थोड़ा सपकपा गये, “जी, मिस कुछ नही, मैने ऐसे ही पूछ लिया…”

“जी, नही…”

“बहुत अच्छी बात है…”

मैं हंस पड़ी, मैने कहा, “मैं जानती हूँ डाक्टर साहब… आप मेरे बूब्स (स्तनो) पर हाथ फेरना चाहते हैं…”

डाक्टर साहब भी हंस पड़े, क्योंकि उनका इरादा यही था।

मैं बोली, “ठीक है, मैं भी यहाँ तफ़री के लिए आई हूँ… मुझे कोई ऐतराज़ नही है… पर आप ज़ोर से दबाना मत, दर्द होती है…”

मैंने एक बड़ा सा घूँट ले करके अपनी ड्रिंक खत्म की और फिर अपने बालों को समेट कर जुड़े में बांधा, फिर मैंने डॉक्टर साहब का हाथ पकड़ कर बोली, “चलिए डॉक्टर साहब, डांस करते हैं”. डॉक्टर साहब ने अपनी ड्रिंक आधी ही छोड़ दी और मेरे कूल्हों पर हाथ फेरते हुए डांस फ्लोर की तरफ बढ़े…

डाक्टर साहब भी मेरे से सॅंट कर, अपने दोनो हाथों से मेरी नंगी पीठ को सहलाते हुए डांस कर रहे थे। हम दोनों के गाल सटे हुए थे मैंने जानबूझकर अपना सीना उनके सीने से चिपका रखा था। वह मौका मिलते ही मेरे कूल्हों को दबाने से भी बाज़ नही आए… मुझे इस बात से कोई आपत्ति नही थी।

मैं यहाँ आई इसलिए थी- – तफ़री लेने के लिए। अचानक मुझे एहसास हुआ की दो टाँगों के बीच में एक अजीब सी चीज़ का दबाव पड़ रहा है। मुझे समझते देर नही लगी की, डाक्टर साहब का मेरे उपर दिल आ गया है, और उनका गुप्त अंग तन के खड़ा हो गया है।

“मिस, क्या आप मेरे साथ कुछ वक़्त अकेले में बिताना पसंद करेंगी?” उन्होने मुझ से पूछा।

“जी ज़रूर, पर मैं सिर्फ़ एक क़ुइक बैंग, के मूड मे ही हूँ”.

“काश हर लड़की आप जैसी समझदार होती”, डॉक्टर साहब की बांछे खिल गई थी उन्हें तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि मैं इतनी जल्दी मान जाऊंगी।

एक एक और ड्रिंक लेने के बाद हम लोग स्वीमिंग पूल की तरफ गये। वहाँ जैसे डाक्टर साहब पर जैसे हैवान हावी हो गया, वो मुझे पागलों की तरह चूमने और चाटने लगे। मेरी पैंटी उतरते वक़्त उन्होने उसे फाड़ ही डाली… यह चार सौ रुपय की पैंटी थी… उनका यह रवैया बदलने के लिए मैने कहा, “डाक्टर साहब… रुकिये, मैं स्कर्ट उपर करती हूँ, आप पैंट तो उतरिए?”

डाक्टर साहब मेरे होंठों को चूसते हुए अपनी बैल्ट खोलकर अपना पैंट उतरने लगे, उसके बाद मैं उनके आगोश मे थी।

“आपके के पास कंडोम तो हैं ना, डाक्टर साहब?”

“चुप हरामजादी, तू तो दूसरी रंडियों की तरह यहाँ चुदने आई है… कॉन्डोम का क्या लेना देना?”

मैं एकटक उनकी तरफ कुछ देर तक देखती रही…. जी तो कर रहा था कि मना कर दूँ लेकिन तबतक मैं इतनी गरम हो चुकी थी कि मुझे भी थोड़ी शांति की ज़रूरत थी इसलिए इसके बाद मैं कुछ नही बोली। डाक्टर साहब ने मेरे बदन का निचला हिस्सा बिल्कुल नंगा कर दिया और वह मेरे जिस्म जानना अंग मे अपना मर्दाना अंग घुसने ही वाले थे कि उनका मोबाइल फ़ोन बज उठा।

यह शायद उसकी बीवी होगी, क्योंकि मुझे फ़ोन से एक औरत की आवाज़ सुनाई दे रही थी… वह काफ़ी गुस्से में थी। फ़ोन जैसे तैसे रखने के बाद उन्होने मुझ से कहा, “माफ़ करना जोया, मुझे जाना होगा…” मैने देखा की उनका लिंग अब बिल्कुल ढीला पड़ गया है।

मुझे बड़ा गुस्सा आया मैने कहा, “हरामजादे, लड़की को चोदने के बहाने नंगा कर के बोलता है की जाना होगा? तेरा खड़ा नही होता क्या?”

“माफ़ करो जोया, मेरी बीवी का फ़ोन आया था और देखो वह जो बंदा इस तरफ आ रहा है, वह इस होटेल का मैनेजर है और रिश्ते में मेरा साला, अगर उसने मुझे इस हालत मे देख लिया तो…”

मैने डाक्टर साहब पर दो तमाचे कस दिए, “मादरचोद, अब बता, किसी और से चुदने के लिए क्या मैं पैसे खर्च करूँ?”

डाक्टर साहब को भी गुस्सा आ गया उन्होने ने मेरे बालों को पकड़ कर मेरा गला दबाते हुए कहा, “सुन कुतिया, मौका रहता तो तुझे चोद के मैं तेरा कीमा बना डालता… मौके का इंतज़ार करना… अभी मुझे जाना होगा हरामजादी”.

बस फिर क्या था, दो या तीन ड्रिंक लेने के बाद, मैने पार्टी से निकालने का फ़ैसला किया और अब मैं कार चला रही थी, और डाक्टर को कोस रही थी। लेकिन मेरी किस्मत ने मेरे को फिर से धोखा दे दिया, हमेशा की तरह रेल का फाटक बंद हो चुका था और अब कोई चारा नही था, मुझे आधा या पौना घंटा यहीं इंतज़ार करना ही पड़ेगा क्योंकि जब तक माल गाड़ियाँ नही गुजर जातीं; फाटक खुलनेवाला नही था ।

मैंने मायूसी की एक साँस ली और कार में लगे रेडियो को आन करने गई; तब मैने देखाकी चारों तरफ एक अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ था। सिर्फ़ धीरे धीरे आती जाती रेल गाड़ियों के अलावा और कहीं से कोई भी आवाज़ नही आ रही थी। आस पास दूसरा कोई आदमी भी नही था। अब मुझे थोड़ा-थोड़ा डर सा लगने लगा।

उस वक़्त रात के साढ़े तीन बाज रहे थे। खैर, मैने एक सिगरेट सुलगाई और एक लंबा सा कश लिया और सीट को पीछे की तरफ थोड़ा झुका कर के आँखे मूंद के इंतेज़ार करने लगी की कब फाटक खुलेगा। ना जाने कितनी देर मैं ऐसे अधलेटी अवस्था मे थी, मेरा ध्यान तब बटा जब मुझे किसीने पुकारा, “ए लड़की, मुझे भी एक बीड़ी पीला ना”.

इसे भी पढ़े – दोस्त की दीदी के घर सामूहिक संभोग

मैने देखा की एक बुजुर्ग भिखारी मेरी गाड़ी की खिड़की के पास खड़ा है और वह शायद काफ़ी देर से मुझे देख रहा था।

“यह बीड़ी नही है बाबा, सिगरेट है… आप पिएँगे?”

“हाँ… हाँ… दे ना”.

मैने अपना जूठा सिगरेट जिसके मैने दो या तीन ही कश लिए थे, उसे दे दिया।

“इतनी रात को यहाँ क्या कर रही है?” भिखारी ने मेरे से पूछा.

“फाटक खुलने का इंतेज़ार कर रही हूँ, बाबा”.

“ठीक है, ठीक है”, भिखारी कुछ बेताब सा हो रहा था, “तू दारू पी कर आई है?”

शायद मुझमें से महक आ रही थी। अब मुझे थोड़ी मस्ती सूझी, “हाँ बाबा, क्या करूँ, एक आदमी ने मुझे पीला दिया… पर आप किसी से कहना नही…”

“ठीक है, ठीक है… कुछ पैसे हैं तेरे पास?” भिखारी ने पूछा.

“पैसे?”

“हाँ, हाँ पैसे…”

“जी देखती हूँ”, मैने पर्स में पैसे खोजने का नाटक किया, पर भिखारी की नज़र बचाकर मैने एक दस का नोट अपनी मुट्ठी मे छिपा लिया। मैने ध्याने से आस पास देखा, दूर दूरतक कोई नही था, फाटक के पास आती जाती माल गाड़ियाँ और स्ट्रीट लाइट की रौशनी में मैं और वह भिखारी अकेले थे। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

मुझे हल्का हल्का नशा तो हो रखा ही, मैने अपनी मस्ती को थोड़ा आगे बढ़ाने की सोची, “माफ़ करना बाबा… मेरे पर्स में तो पैसे नही हैं”.

“अपने ब्लऊज मे देख, मुझे पता है, तेरे जैसी लाड़कियाँ और औरतें ब्लऊज में भी पैसे रखती हैं”, भिखारी ने कहा, वह मेरे हॉल्टर को ब्लऊज कह रहा था।

“मेरे जैसी लड़कियाँ? क्या मतलब?” मैं सचमुच थोड़ा हैरान हो गई।

“मतलब बड़े बड़े मम्मे वाली”.

“हाय दैया…”, मैने शरमाने का नाटक किया, “ठीक है देखती हूँ”.

यह कह कर मैने, अपने हॉल्टर का स्ट्रैप जोकि मेरी गर्दन पर बँधा हुआ था, उसे खोल दिया और अपना जनाना सीना उसके सामने नंगा कर दिया। मेरा जुड़ा भी खुल गया, बालों से मेरा एक वक्ष स्थल धक गया, मैं अंजान होते हुए बोली, “बाबा आपने ठीक कहा था, लीजिए, एक दस का नोट मिल गया मुझे।”

भिखारी ने दस का नोट मेरे से ले लिया पर उसकी आँखे मेरे मम्मो पर ही टिकी थीं।

“हाय दैया…”, मैने फिर शरमाने का नाटक किया, “बाबा, मैं तो नशे में भूल ही गये थी की मैने अंदर कुछ नही पहना, दैया रे दैया… आपने तो मुझे नंगा देख लिया”.

“नही, मैने तुझे नंगा नही देखा.”

“क्या मतलब?”

“बताता हूँ, पहले एक बात बता लड़की… तेरे पास एक और सिगरेट है क्या?”

“जी हाँ”.

“और दारू?”

“हाँ जी पर, पानी नही है बाबा”.

“पानी मेरी कुटिया मे है… चल मेरी कुटिया में चल… फाटक खुलने में अभी आधा घंटा और देर है… मेरे साथ बैठ के दारू पी ले… लेकिन जब तो अपने सारे कपड़े उतार देगी तभी मैं समझूंगा कि मैंने तुझे नंगा देखा है…”

“मैं अगर आप की कुटिया में जा कर के नंगी हो गई तो क्या आप मुझे चोद देंगे?”

“हाँ, मैं तुझे चोदने के लिए ही कुटिया में लेकर जा रहा हूँ, अगर मैं काहूं तो यही. तुझे चोद सकता हूँ पर कुछ लिहाज कर रहा हूँ, तेरे बाल और मम्मे देख कर मेरा लौड़ा खड़ा हो गया है, पर तुझे कोई एतराज़ है क्या…?

कुछ सोच कर मैने कहा, “अगर मैं नंगी हो कर आपका मुठ मार (हस्तमैथुन) दूं तो?”

“नही… मैं तुझे चोदना चाहता हूँ, मना मत करना… काफ़ी दीनो बाद मैने तुझ जैसी कमसिन लड़की के नंगे मम्मे और खुले लंबे बॉल देखें हैं… मैं तेरे साथ जाबरदस्ती नही करना चाहता हूँ…”

मैने उपर से नीचे तक भिखारी को देखा। उसके बदन गंदा था और उसके बदन से बदबू भी आ रही थी, मैं ऐसे आदमी को कैसे अपने उपर लेटने दूं? आज तक जीतने लोगों ने मेरे साथ संभोग किया; सब ने मुझे चूमा चाटा… मुझे भी बड़ा मज़ा आया… लेकिन वे सब स्टॅंडर्ड के थे… यह सोचते हुए मैं कुछ देर तक उसको देखती रही।

फिर मुझे याद आया की मैने कुछ हफ्ते पहले परिवार नियोजन वाली बहन जी से निरोध के दस कॉंडम वाला पैकेट लिया था। जिस में से सिर्फ़ दो ही इस्तेमाल हुए थे…

“क्या सोच रही है, लड़की?” मुझे ऐसे सोचते हुए देख कर शायद वह भिखारी थोड़ा उतावला हो रहा था। शायद उसे इस बात की फ़िक्र थी कि मैं मना ना कर दूँ।

“जी कुछ नही…”

“मैं तुझे चोदना चाहता हूँ… मेरी बात समझ रही है ना… तेरी चूत में अपना लौड़ा डाल के…”

“हाँ, हाँ… मैं पहले भी चुद चुकी हूँ…”

“किससे? अपने पति से?”

“जी, नहीं… मैं… वह…” मैं कहते- कहते रुक गई।

“कोई बात नही… तो फिर देर मत कर और चल मेरे साथ…” शायद उस भिखारी को इस बात से कोई मतलब नहीं थी कि मैं किसके साथ सोई हुई हूं…. उसे तो बस अपने दिल का अरमान पूरा करना था।

“ठीक है, मैं आपके साथ चालूंगी, आपके सामने नंगी हो कर बैठ के आप के साथ दारू भी पीउँगी, मेरे पास प्लास्टिक के दो गिलास भी हैं… पर आप मुझे चोदते वक़्त… निरोध का इस्तेमाल करेंगे और… मैं आपकी तरफ पीठ करके घुटनो के बल बैठ के झूक जाउंगी, और आप मुझे पीछे से… चोद देना…”

“मैं तो तुझे अपने नीचे लिटाना चाहता था… पर तू कहती है तो ठीक है… मैं तुझे वैसे ही चोदने के लिए तैयार हूँ… तेरे जैसी लड़की नसीबवालों को ही मिलती है।”

“आप वादा कीजिए, मैंने जैसा कहा आप मुझे वैसे ही चोदेंगे…”

“हाँ…हाँ…हाँ… बिल्कुल… बिल्कुल… बिल्कुल…”

इसे भी पढ़े – भाभी ने भाई बहन को चुदाई का खेल खिलाया

मैने गाड़ी साइड में पार्क की एक प्लास्टिक के बैग में गाड़ी की चाबी, शराब की बोतल जिसमें करीब करीब तीन चौथाई शराब बाकी थी, सिगरेट का पैकेट, माचिस, दो प्लास्टिक के गिलास और निरोध का पैकेट लेकर भिखारी के साथ चल दी, डाक्टर साहिब की छुयन की गर्मी मेरे बदन में बाकी थी, मैं उसे उतारना चाहती थी। आज अगर और कोई मिला नही तो यह भिखारी ही सही…

मुझे इस बात की फिक्र लगी हुई थी कि उस भिखारी के साथ जाते हुए मुझे कोई देख ना ले, इसलिए मैं बार-बार इधर उधर मुड़ मुड़ कर देख रही थी… पर आसपास कोई भी नहीं था… बस माल गाड़ी के डब्बे धीरे धीरे बंद फाटक के पर गुज़र रहे थे… भिखारी की झोपड़ी पास ही में थी, उसमे कोई दरवाज़ा नही था, सिर्फ़ छोटा सा लकड़ी का बोर्ड ताकि उसके घर में कुत्ता ना घुस जाएँ और किसी पुराने से मैले से बोरे का एक पर्दा…

मैं जैसी ही अंदर घुसी, भिखारी ने कहा, “चल लड़की, अब नंगी हो जा…”

मैने एक आज्ञाकारी लड़की की तरह अपना हॉल्टर उतार दिया, मैने ब्रा नही पहन रखी थी और डाक्टर साहब ने तो मेरी पैंटी फाड़ ही दी थी, हॉल्टर उतारते ही उसके सामने बिल्कुल नंगी हो गई। भिखारी ने मेरे हाथ से मेरा हॉल्टर छीन कर एक तरफ फेंक दिया।

“आप अपनी लुँगी नही उतरेंगे?”

“मैने लुँगी उतार दी तो मैं भी तेरी तरह नंगा हो जाऊँगा”.

“आप मुझे तो चोदने वाले हैं, आप नंगे नहीं होंगे?”

“हां जरूर होऊँगा, लेकिन मैं तुझे चोदने से पहले डराना नहीं चाहता था…” यह कह कर मुस्कुराते हुए भिखारी ने अपनी लुंगी उतर दी… और जो मैने देखा, उसे देख कर मैं दंग रह गई…

“तूने जो देखा तुझे पसंद आया, लड़की?” भिखारी ने पूछा।

भिखारी ने मुझे जो चीज मुझे दिखाई, ऐसी चीज मैंने जिंदगी में पहले कभी नहीं देखी थी। भिखारी के दो टाँगों के बीच जघन के बालों का एक मैला सा जंगल था… और उसके बीच में उसका काला काला सा लिंग और बड़े बड़े दो अंडकोष, अपनी ज़िंदगी की जवानी की दहलीज़ पर कदम रखते ही मेरे नसीब में पराए मर्दों का गुप्ताँग देखना लिखा हुआ था. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

पर उस भिखारी का लिंग करीब- करीब 8 इंच लंबा डेढ़ इंच मोटा और एक लोहे के रॉड की तरह सीधा था… ऐसा तलवार की तरह सीधा सपाट लिंग मैंने अपनी ज़िन्दगी में लेना तो दूर कभी देखा भी नहीं था… इस लिए उसे देखते ही मेरे जी ललचाने लगा… पर वह भिखारी बहुत गन्दा दिख रहा था…

उसके ददन से न जाने कैसी बदबू आ रही थी, जो कि इस चार दीवारी के अंदर और तेज़ लग रही थी… उस वक्त मेरे दिमाग में दो बातें घूम रही थी, कि मैं झट से अपना हॉल्टर उठाउँ और इस भिखारी को धक्का मारकर उसकी कुटिया से भाग निकलूं… दूसरा यहीं रह कर इस भिखारी के इतने लंबे और मोटे लिंग से चुद कर एक नया मज़ा लूँ…

मैं यह सब सोच ही रही थी कि भिखारी ने अपनी रूखी सूखी उंगलियों से मेरे कोमल यौनांग को छूते हुए कहा, “तेरी चुत में बाल क्यों नही हैं?”

“जी बाबा मैं इस जगह को बिल्कुल साफ सुथरा रखती हूं…”

“ऐसा क्यों?” शायद उस भिखारी को मालूम नहीं था कि आजकल की ज़्यादातर लड़कियां हेयर रिमूवर का इस्तेमाल करती हैं या फिर वह जान बूझकर अनजान बन रहा था… यह तो पता नहीं।

“ऐसे ही… ताकि लोगों को देख कर अच्छा लगे… लोगबाग अपना लंड इसके अंदर घुसा देते हैं… उसके बाद धक्के लगाते हैं… तभी तो मुझे मजा आता है ना… फिर हिलाते हिलाते उनके लंड से गरम- गरम माल निकल के गिरता है… यह जगह तो मेरे लिए मौज मस्ती का एक जरिया भी तो है ना…”

मैं बिल्कुल भोली भाली सीधी सादी बनकर उस भिखारी के सवालों का जवाब दे रही थी पर मैंने उसे यह नहीं बताया कि यह मेरे लिए आमदनी का जरिया भी है। भिखारी मानो मगन सा होकर मेरे कोमल यौनांग को अपनी उंगलियों से सहलाए जा रहा था… और उसकी रूखी सूखी चाँदी की छुयन से मुझे भी सेक्स का नशा चढ़ रहा था।

“कब से कर रही है, यह सब?”

“मैं बहुत छोटी थी तब पहली बार मेरी आंटी ने मेरे साथ ऐसा करवाया था…”

“अच्छा” भिखारी अभी भी मेरे यौनांग से खेल रहा था…

मैने शायद शराब और सेक्स के नशे में ही बड़ी उत्सुकता के साथ पूछा, “बाबा, क्या आप…” कहते कहते मैं रुक सी गई…

“क्या बोली, लड़की?” भिखारी को भ जैसे होश आया।

शायद मैं यही अवचेतन रूप में सोच कर हिचकिचा रही थी कि जब यह भिखारी मेरे यौनांग में अपना लिंग घुसाएगा तो मुझे कितनी दर्द होगी?… लेकिन अब तो बहुत देर हो चुकी थी, इसलिए मेरे मूह से धीरे से निकला, “… चोदेंगे नही?”

“हाँ…हाँ…हाँ… बिल्कुल… बिल्कुल… बिल्कुल… मैं इसीलिए तो तुझे अपनी कुटिया में लेकर आया हूं” यह कह कर भिखारी मुझे पकड़ने के लिए आगे बढ़ा… लेकिन मैने अपनी हथेली उसके गंदे से सीने में रख कर दृढ़ता से उसे पीछे धकेला और बोली, “रुकिये…”

“क्यों?” हक्का बक्का हो कर भिखारी ने पूछा।

“हमारे बीच यह तय हुआ था कि पहले हम दोनो बैठ कर शराब पिएँगे, उसके बाद चुदाई…” मैने उसे याद दिलाया।

“हाँ…हाँ…हाँ… बिल्कुल… बिल्कुल… बिल्कुल…”

इसे भी पढ़े – गरम भाभी को कम्बल ओढ़ा कर चोदा

अब तो भिखारी के मन में शायद लड्डू से फूट रहे थे क्योंकि एक तो उसे बिन पैसों की महंगी शराब पीने को मिल रही थी उसके ऊपर मुझ जैसी हाई क्लास लड़की… वह भी मुफ्त में… और मेरे दिमाग़ के एक कोने से शयाद यह आवाज़ आ रही थी कि ‘अभी भी वक़्त है, पागल लड़की… इस गंदे से आदमी को शराब पीला- पीला कर के बेहोश कर दे और भाग यहाँ से…’ पर मैं बोली, “पानी ले कर आइए…”

उसके घर की कुटिया में एक मिट्टी की सुराही रखी हुई थी जिसमें पानी था, उसने पहले सुराई के अंदर झांक के देखा कि पानी है कि नहीं… उसमें पानी था फिर उसने पास रखे एक लोटे को उठाया उसके अंदर देखा और फिर उसने उस लोटे में सुराही से पानी डाला और मेरे पास ले आया।

मैं उकड़ू होकर जमीन पर बैठ गई और फिर प्लास्टिक के बैग में से बोतल निकाली और फिर प्लास्टिक के गिलास में भिखारी के लिए थोड़ी ज्यादा शराब डाली और अपने लिए थोड़ी कम, फिर उसने पानी मिलाया और भिखारी का गिलास मैंने उसकी तरफ बढ़ा दिया।

भिखारी भी मेरे सामने उकड़ू होकर बैठ गया और उसने मेरे हाथ से गिलास लिया। मैंने उसकी तरफ गिलास उठाकर कहा, “चियर्स..” भिखारी मुस्कुराया और उसने दोबारा अपनी रूखी-सूखी उंगली से मेरी यौनांग में हाथ फेरा। इस बार मेरे पूरे बदन में एक गुदगुदी सी महसूस हुई मेरे अंदर सेक्स चढ़ता जा रहा था…

लेकिन मेरी अंतरात्मा बार बार मुझसे कह रही थी, ‘अरे पगली इस भिखारी को शराब पिला पिला कर बेहोश कर दे और भाग जा यहाँ से… यह अपने लंड से तुझे फाड़ कर तेरे दो टुकड़े कर डालेगा…’ मैंने शराब के गिलास से घूँट ली और भिखारी एक ही बार में करीब आधा गिलास शराब गटक गया…

पर शराब का घूँट पीते ही मुझे उल्टी सी आने को हुई… ऐसा पहले कभी नही हुआ था… मैने प्लास्टिक के पैकेट से सिगरेट और माचिस निकाल कर एक सिगरेट जलाई। भिखारी ने कहा, “यह सिगरेट मुझे दे दे… इसको तूने खुद अपने होठों से लगा कर जलाया है…”

मैने सिगरेट का एक लंबा सा काश लिया और सिगरेट उसको थमा दी, और पैकेट में से दूसरी सिगरेट निकाल कर उसे जलाया और एक लंबा सा काश लिया। भिखारी भी सिगरेट के लंबे लंबे काश ले रहा था। उसने हाथ बढ़ा कर मेरे स्तनों को सहलाने लगा… और हल्के हल्के दबा दबा कर देखने लगा… मुझे यह सब अच्छा ही लग रहा था… फिर बोला, “तू पी क्यों नही रही?”

“जी, कुछ नही, ऐसे ही”, मैने प्लास्टिक में से निरोध का पैकेट निकाल कर उसकी तरफ़ फैंका… और मैने भी शराब का बड़ा सा घूँट पिया। इस बार दुबारा मुझे फिर उल्टी सी आने को हुई और मेरा सर चकराने लगा… इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, मुझे लगा की पूरी दुनिया मेरे आँखों के सामने घूम रही है और मैं धड़ाम से फर्श पर लुढ़क गई…

उसके बाद मैने देखा कि भिखारी मुस्कुरा रहा था और बड़े मज़े से सिगरेट का काश और शराब पिए जा रहा था। उसने अपना गिलास ख़तम किया और फिर उसने शराब की बोतल उठाई और उसमें अपना मूह लगा कर एक ही साँस में काफ़ी सारा शराब यूँ ही पी गया। उसके बाद वह घुटनों के बल रेंगते हुए मेरी तरफ बढ़ने लगा…

कहाँ तो मैं इस भिखारी को बेवकूफ़ समझ रही थी और इसको थोड़ा बहला फुसला कर थोडी मस्ती लेना चाहती थी… पर यह क्या हुआ? मेरे अंदर जो बची खुची चेतना थी उसको इकठ्ठा करके इसबार उठ कर भागने को हुई… पर मैं उठ नही पा रही थी…

बस मुझे सिर्फ़ इतना याद है कि मैने देखा भिखारी निरोध का पैकेट फाड़ कर अपने लिंग पर चढ़ा रहा था… उसके बाद मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया… कुछ देर बाद जब मुझे होश आया तब मुझे एहसास हुआ कि मैं जमीन पर बिल्कुल चारों खाने चित्त हो कर पड़ी हुई हूं…

वह बूढ़ा भिखारी मेरे ऊपर चढ़ा हुआ था… उसने मेरी दोनो टांगे पर फैला दी थी और मेरी दोनों टांगों के बीच में काफी फासला था और उसके बीच में वह लेटा हुआ था… और वह जी भर के मेरे साथ चुम्मा-चाटी कर रहा था… मैंने उसको धकेलकर हटाने की कोशिश की लेकिन मेरे शरीर को मानो लकवा मार गया था…

न जाने कितनी देर तक वह भी कारी मुझे चूमता रहा… चाटता रहा…. मेरे दोनों स्तनों को जी भर के दबा- दबा कर मज़े लेता रहा… मेरी चूचियों को चूस -चूस कर मानो मेरी पूरी जवानी का रास पी जाने सजेड उसने ठान ली थी… उसके बाद उसने अपना लिंग मेरे यौनंग में घुसा दिया।

मैं दर्द से चीख उठी लेकिन उसने मेरे मुंह पर हाथ रख कर मेरी आवाज़ को दबा दिया… और फिर बढ़े ही जोश के साथ उसने मुझे चोदना शुरू किया… एक तो उसका लिंग इतना बढ़ा और मोटा था और उसके ऊपर से ना जाने कहाँ से उसके अंदर इतनी ताक़त आ गई थी… वह रुका नही… बस अपना काम जारी रखता गया… रखता गया… रखता गया…

मैं उसके वजन से दबकर सिर्फ छटपटा ही रही … शुरू शुरू में मुझे काफी तकलीफ हो रही थी, लेकिन उसके बाद मानो सब कुछ ठीक हो गया… मुझे भी मज़ा आने लगा लेकिन भिखारी जो था वह मानो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था… वह बस अपना काम जारी रखता गया… रखता गया… रखता गया…

जहां तक मुझे याद है मैंने कम से कम दो बार अपना पानी छोड़ दिया होगा लेकिन भिखारी रुकने का नाम नहीं ले रहा था आखिरकार मुझे लगा कि उसका भी वीर्य स्खलन हो गया और वह मेरे ऊपर निढाल होकर लुढ़क गया… पर तब तक शायद मैं फिर से बेहोश हो चुकी थी।

“भौं- भौं… भौं- भौं…भौं- भौं…”

एक कुत्ते के भौंकने की आवाज से मेरी नींद खुली या फिर मैं कहूं कि मेरी बेहोशी टूटी। पहले पहले तो मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, उसके बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं और बूढ़े भिखारी की कुटिया में बिल्कुल खुली नंगी चित्त होकर पड़ी हुई हूं… मेरी दोनो टांगे तभी भी एकदम फैली हुई है और वह बूढ़ा भिखारी का बदन मेरे ऊपर था मैं उसके वजन से दबी हुई थी.

और कुछ देर बाद मुझे एहसास हुआ कि उसका शीतल पड़ा हुआ लिंग अभी तक मेरे गुप्तांग के अंदर घुसा हुआ है… और वह भिखारी अब नशे की हालत में बिल्कुल धुत्त सा हो कर निढाल हो कर मेरे उपर पड़ा हुआ था… धीरे- धीरे मुझे पूरा पूरा होश आने लगा और मैने उस भिखारी को धकेल कर अपने उपर से हटाया… ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

फर्श पर मेरे यौनांग से निकले हुए खून के छींटे सॉफ नज़र आ रहे थे… उसे हटाते वक्त उसका लिंग तो मेरे यौनंग से अलग हो गया था, पर कंडोम उसके लिंग से सरक गई थी और अभी भी मेरे यौनंग से थोड़ा सा बाहर लटकी हुई थी। मैंने कंडोम को खींच कर दूर फेंक दिया और वह कुत्ता कभी भी भौंके जा रहा था…

शायद वह इस भिखारी का पालतू होगा… मुझे अनजान को देख करके वह सिर्फ भौंके ही जा रहा था… उसके क्या मालूम की कुछ देर पहले ही मेरे साथ क्या हुआ था… मेरे पुर बदन से बदबू आ रही थी, मेरा चेहरा भी भिखारी की लार से गीला गीला और चिपचिपा लग रहा था।

इसे भी पढ़े – बड़ी मम्मी को अपने पड़ोसी से चुदते देखा 1

मैने किसी तरह से अपना हॉल्टर उठा कर धूल झाड़ कर उसे पहना… और इससे पहले की उस भिखारी को होश आए, मैने अपना प्लास्टिक का पैकेट उठाया, देखा कि उसमें गाड़ी की चाबी है कि नही और कुत्ते को डरा के भगाने के बाद मैं वहाँ से भाग निकली…

बाहर दिन चढ़ आया था। चारों तरफ सूरज की रोशनी फैल चुकी थी। रास्ते में लोग बाग आ जा रहे थे। पहले तो मुझे रास्ता समझ में नहीं आ रहा था, लेकिन फिर मुझे रेलगाड़ियों की आवाज सुनाई दी और मैं उस दिशा की तरफ दौड़ पड़ी। जल्दी ही मुझे अपनी लाल चमचमाती हुई मारुति आल्टो कार दिख गई…

मैं भाग कर जल्दी से गाड़ी के पास पहुंची और उसके दरवाज़े में चाबी लगाई… मैं जानती थी कि आसपास के लोग अवाक होकर मेरी तरफ देख रहे थे क्योंकि मेरे हॉल्टर पर अभी भी धूल मिट्टी लगी हुई थी। लेकिन मैंने उनकी परवाह नहीं की मैंने जल्दी-जल्दी से गाड़ी का दरवाजा खोला और उस में जा बैठी और गाड़ी स्टार्ट कर दी है लेकिन मैंने देखा कि अभी भी फाटक बंद है गाड़ी में लगी घड़ी में सुबह के पौने आठ बज रहे थे।

कहां मैं उस बूढ़े भिखारी को बुद्धू समझ कर थोड़ा तफरी लेने गई थी और कहां उसने मुझे ही बेवकूफ बनाकर मेरा पूरा फायदा उठा लिया था… लगता है उस बूढ़े भिखारी ने मुझे जो पानी पिलाई थी उसमें शायद कोई तगड़ी नशीली चीज मिली हुई थी जिस वजह से मैं निढाल हो गई थी.

और कुछ देर के लिए मेरे शरीर को लकवा मार गया था इसी बीच उस भिखारी ने मेरा काम तमाम कर दिया… हालांकि रेलवे फाटक खोलने में चंद ही मिनट लगे लेकिन उस वक्त वह चंद मिनट मेरे लिए घंटों के बराबर लग रहे थे और लोगों की जो निगाहें मेरे उपर पड़ रहीं थी उससे मानो मेरा पूरा बदन जल रहा था.

रेलवे फाटक खुल गया था… मुझे रास्ता साफ दिख रहा था मैंने गाड़ी को गियर में डालकर आक्सेलरेटर पर अपना पैर जमा दिया… और गाड़ी तेज रफ्तार से भागने लगी… गाड़ी चलाते-चलाते में यही सोच रही थी कि अच्छा हुआ कि उसने निरोध का इस्तेमाल किया था… पता नहीं उसने ऐसा क्यों किया लेकिन उसने ऐसा ही किया था…

नही तो पता नही क्या हो जाता… ना जाने उसे कौन- कौन सी बीमारी लगी हुई होगी… अगर वह निरोध का इस्तेमाल नही करता तो बीमारी का ख़तरा मुझे भी लगा हुआ होता… शायद उस भिखारी ने भी कुछ ऐसा ही सोचा होगा… क्योंकि कोई भी लड़की इतनी जल्दी किसी अंजान के साथ सहवास के लिए राज़ी नही हो जाती…

उसने सोचा होगा कि मैं कोई चालू लड़की हूँ… और उसने ठीक ही सोचा था। पेशे से मैं एक चालू लड़की ही हूं… एक हाई क्लास कॉल गर्ल… आज कई साल हो गए… मैं इसी लाइन में अपनी जिंदगी बिता रही हूं। मैं बहुत छोटी थी तब मेरे चाचा मुझे गांव से उठाकर ले आए थे और उन्होंने मुझे शबाना आंटी के हाथों बेच दिया था। तब से मैं शबाना आंटी के लिए ही काम कर रही हूँ।

मैं जवान हूं, सुंदर हो और दिखने में एक अच्छे घर की और किसी बड़े खानदान की लड़की जैसी दिखती हूँ, इसीलिए शबाना आंटी ने मुझे एक खास काम सौंपा था… मेरा काम था बड़ी-बड़ी पार्टीज में जाना, वहां लोगों से मेलजोल बढ़ाना और हो सके एक मोटी सी मुर्गी को फाँसना…

चाहे वह एक अधेड़ उम्र का रईस बिजनेसमैन हो या फिर किसी बड़े बाप की बिगड़ी हुई औलाद… मुझे से कोई मतलब नहीं था… अगर मतलब था तो सिर्फ थोड़ी सी मस्ती और ज़्यादा से ज़्यादा पैसों से… जिसमें से कुछ हिस्सा मुझे शबाना आंटी को देना पड़ता था…

पर आज पहली बार मैं शबाना आंटी के घर खाली हाथ लौट रही थी और वह भी अपना पूरा काम तमाम करवाने के बाद। न जाने शबाना आंटी मुझ से क्या कहेंगी और क्या हर्ष करेंगी मेरा? यही सोचते हुए मैं गाड़ी चलाती रही… शबाना आंटी के घर पहुंचते-पहुंचते करीब करीब साढ़े नौ बज गए।

उन्होने मुझे अपने घर की पहली मंज़िल के बरामदे से ही देख लिया था। मैने गराज में गाड़ी पार्क की और मेरे डोर बेल बजाने से पहले ही उन्होने दरवाज़ा खोल दिया और एकदम से शुरू हो गई, “अरी जोया? कहाँ थी इतनी देर तक…? और फ़ोन क्यों नही उठा रही थी? तुझे मालूम है कि तेरी फ़िक्र में मेरा क्या हाल…” वह बोलते बोलते रुक गई…

उन्हे मेरी हालत देख कर ताज्जुब हुआ, वह बोलीं, “क्या हुआ? किसी गटर में गिर गई थी क्या? बाप रे बाप क्या बदबू मार रही है… क्या हुआ कुछ बोलेगी भी क्या…?” और फिर क्या था? मैं फुट- फुट कर रोने लगी। शबाना आंटी मुझे घर के अंदर ले गई। इस बात का शुक्र था की उस वक़्त तक शबाना आंटी के हाथ के नीचे काम करनेवाली दूसरी लड़कियाँ अभी तक नही आ पहुँची थी, वरना उनके सामने मेरी यह हालत ज़ाहिर हो जाती।

मैंने फूट-फूट कर रो रो कर अपनी आपबीती सुनाई। मैंने शबाना आंटी को बताया कि कैसे मैंने यह सोच लिया था कि वह भिखारी बुद्धू है और मैं उसे उल्लू बनाकर थोड़ी मस्ती करूंगी। लेकिन मुझे क्या मालूम था कि वह मेरा ही काम तमाम कर देगा। कहां तुम्हें उसके साथ मस्ती करने गई थी, लेकिन उसने कोई नशीली चीज पानी में मिलाकर मुझे पीला दी और मेरा पूरा फायदा उठा लिया… वह भी बिल्कुल मुफ़्त में।

शबाना आंटी ने मेरी आपबीती गौर से सुनी और फिर उन्होंने मुझसे पूछा, “क्या तुझे अच्छी तरह याद है जोया, की उसने तुझे चोदते वक्त कंडोम का इस्तेमाल किया था ना?”

“जी हां मुझे अच्छी तरह याद है मैंने खुद कंडोम खींचकर निकाला था और फिर उसे दूर फेंक दिया था…”

“ऊपर वाले का लाख-लाख शुक्र है कि तुझे कुछ नहीं हुआ और एक बात कान खोलकर सुन ले लड़की, आज के बाद खबरदार जो तूने ऐसी हरकत करने की सोची भी तो… मैं तेरी खाल खिंचवा लूंगी…”

उसके बाद शबाना आंटी ने मुझे नहाने के लिए भेज दिया और फिर थोड़ा हल्का फुल्का खाना खाकर मैं अपने कमरे में जाकर सो गई। मैं शारीरिक और मानसिक रुप से काफी थकी हुई थी इसलिए जब मेरी नींद खुली है तब शाम ढल चुकी थी। किसी ने मुझे नींद से नहीं उठाया था क्योंकि शबाना आंटी ने सबको यह बता रखा था कि मैं बहुत थकी हुई हूं।

उस दिन रात को खाना खाने के बाद मैं और शबाना आंटी छत पर बैठकर रेड वाइन पी रहे थे। तब रवीना आंटी ने मुस्कुराते हुए मुझसे पूछा, “आखिर जैसा तूने कहा, क्या सचमुच उस आदमी का लिंग इतना बड़ा और मोटा था?”

“जी, हाँ.. कसम से”.

“ठीक है… अच्छी बात है…”

“क्या मतलब?”

शबाना आंटी बोलीं, “कुछ नहीं आजकल जमाना बहुत बदल रहा है। जैसे तुझ जैसी लड़कियों के लिए मेरे पास आदमी आया करते हैं, वैसे ही मेरे पास दो तीन ऑफर ऐसे भी आए हैं जहां हाई क्लास औरतें हैं थोड़ी मस्ती ढूंढ रही है… तो मैं सोच रही थी कि अगर भिखारी जैसे आदमी को मैं थोड़ा घिसके… मंजा मार के इस लायक बना दूं कि वह उन औरतों के साथ सो सके… तो सोच हमारे बिज़नेस में कितना फ़ायदा होगा…” मैं हक्की-बक्की होकर आंटी की तरफ देख रही थी।

इसे भी पढ़े – मुझे चोद कर अपनी बेइज्जती का बदला लिया

मेरा चेहरा देखकर आंटी ने पहले तो मुझे प्यार से पूचकारा और फिर वह बोली, “चिंता मत कर इस बारे में मुझे थोड़ा सोचने दे… ऐसा कदम उठाने से पहले मैं हर पहलू को जांच-परख कर देख लूंगी। उसके बाद सोचूँगी कि मुझे क्या करना चाहिए। लेकिन तब तक तू अपना काम ठीक वैसे ही करती रहेगी जैसे आज तक करती आई है… और हां याद रखना… तूने कभी मुझे शिकायत का मौका नहीं दिया और आगे भी मत देना… और खबरदार बिना सोचे समझे आज जो तूने कदम उठाया था, वैसा कदम आज के बाद कभी भी मत उठाना…”

और उसके बाद मैं और शबाना आंटी देर रात तक छत पर बैठकर शराब पीते रहे… रात अभी बाकी है और मेरा हुस्न भी अभी जवान है और जिंदगी भी बाकी… न जाने जिंदगी का कौन सा मोड़ कैसा हो… यह तो कोई नहीं जानता… लेकिन मैं इतना जरूर जानती हूं कि उस दिन मेरे साथ कुछ भी हो सकता था… शुक्र है ऊपरवाले का कि मैं उस बूढ़े भिखारी की कुटिया से बच कर भागने में कामयाब हो सकी थी.. आगे, इसके बाद मैंने कसम खा ली कि ऐसी गलती मैं जिंदगी में दोबारा नहीं करूंगी।

ये Dardnak Chudai XXX Kahani आपको पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों के साथ फेसबुक और Whatsapp पर शेयर करे………….

अपने दोस्तों के साथ शेयर करे-

Related posts:

  1. मेरी पत्नी मिस्त्री से चुदवा रही थी
  2. मैं आपकी रंडी हूँ साहब
  3. दोस्त की बहन 4-5 लंड आराम से लेती है 2
  4. वासना के समुन्द्र में डूबी प्यासी औरत
  5. मोटे अफ्रीकन लंड की दीवानी हुई मेरी वाइफ
  6. सेक्स भरी नई जिंदगी की शुरुआत

Filed Under: Hindi Sex Story Tagged With: Blowjob, Boobs Suck, Hardcore Sex, Hindi Porn Story, Horny Girl, Kamukata, Mastaram Ki Kahani, Non Veg Story, Sexy Figure

Reader Interactions

Comments

  1. Balkar Singh says

    मार्च 5, 2025 at 4:07 अपराह्न

    Good

Primary Sidebar

हिंदी सेक्स स्टोरी

कहानियाँ सर्च करे……

नवीनतम प्रकाशित सेक्सी कहानियाँ

  • Widhwa Makan Malkin Sex Ki Pyasi Thi
  • दीदी की चूत से खून निकाला चोद कर
  • Bhabhi Ke Bra Se Doodh Ki Mahak Aati
  • माँ बेटे ने टॉयलेट में डर्टी सेक्स किया
  • Bhabhi Ke Jism Ki Pyas Bujhai

Desi Chudai Kahani

कथा संग्रह

  • Antarvasna
  • Baap Beti Ki Chudai
  • Bhai Bahan Sex Stoy
  • Desi Adult Sex Story
  • Desi Maid Servant Sex
  • Devar Bhabhi Sex Story
  • First Time Sex Story
  • Girlfriend Boyfriend Sex Story
  • Group Mein Chudai Kahani
  • Hindi Sex Story
  • Jija Sali Sex Story
  • Kunwari Ladki Ki Chudai
  • Lesbian Girl Sex Kahani
  • Meri Chut Chudai Story
  • Padosan Ki Chudai
  • Rishto Mein Chudai
  • Teacher Student Sex
  • माँ बेटे का सेक्स

टैग्स

Anal Fuck Story Bathroom Sex Kahani Blowjob Boobs Suck College Girl Chudai Desi Kahani Family Sex Hardcore Sex Hindi Porn Story Horny Girl Kamukata Kunwari Chut Chudai Mastaram Ki Kahani Neighbor Sex Non Veg Story Pahli Chudai Phone Sex Chat Romantic Love Story Sexy Figure Train Mein Chudai

हमारे सहयोगी

क्रेजी सेक्स स्टोरी

Footer

Disclaimer and Terms of Use

HamariVasna - Free Hindi Sex Story Daily Updated