• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer

HamariVasna

Hindi Sex Story Antarvasna

  • Antarvasna
  • कथा श्रेणियाँ
    • Baap Beti Ki Chudai
    • Desi Adult Sex Story
    • Desi Maid Servant Sex
    • Devar Bhabhi Sex Story
    • First Time Sex Story
    • Group Mein Chudai Kahani
    • Jija Sali Sex Story
    • Kunwari Ladki Ki Chudai
    • Lesbian Girl Sex Kahani
    • Meri Chut Chudai Story
    • Padosan Ki Chudai
    • Rishto Mein Chudai
    • Teacher Student Sex
  • Girlfriend Boyfriend Sex Story
  • Bhai Bahan Sex Stoy
  • Hindi Sex Story
  • माँ बेटे का सेक्स
  • अपनी कहानी भेजिए
  • ThePornDude
You are here: Home / Hindi Sex Story / संभोग की व्याकुल औरत की कामुक गलतियाँ 2

संभोग की व्याकुल औरत की कामुक गलतियाँ 2

अगस्त 16, 2024 by hamari

Dehati Mard Chudai

हेल्लो फ्रेंड्स, मैं आपकी दोस्त प्रिया फिर से आप सब के सामने हाजिर हूँ अपनी कहानी का अगला भाग लेकर. दोस्तों आपने मेरी कहानी के पिछले भाग “संभोग की व्याकुल औरत की कामुक गलतियाँ 1“ में आपने पढ़ा की मैं एक शादी शुदा कामकाजी महिला हूँ. और मेरा पति राज दुसरे शहर में जॉब करता है, और वहां उसकी सेक्रेटरी के साथ उसका अफेयर चल रहा है. और मुझे भी एक अकेला शादी शुदा मर्द मिल गया था, अब आगे- Dehati Mard Chudai

मैं ऑफिस से घर वापस आयी तब तक संजय कोई फ़ोन नहीं आया था। मेरा मन किया की मैं फ़ोन करूँ, पर फिर सोचा जब मैं घर वापस आ ही गयी थी तो फिर निचे उतरने में आलस आ गया। यदि मैंने फ़ोन किया तो चूँकि बात ज्यादा लम्बी ही होगी तो फिर वह कहीं मेरे घर ही ना पहुँच जाए।

मैंने सोचा छोडो अब कल बात करेंगे। शायद तनाव या गबराहट के कारण मैं समझ नहीं पा रही थी मैं क्या करूँ। मैंने आनन फानन में खाना कुछ ज्यादा ही बनाया और डाइनिंग टेबल पर सजा कर रखा। फिर मैं नहाने चली गयी। दूसरे दिन छुट्टी होने के कारण मैं एकदम रिलैक्स्ड थी।

मैं संजय के फ़ोन का इंतजार करने लगी। इंतजार करते करते दस बज गए। मैं समझ गयी की कोई न कोई कारण वश संजय फ़ोन नहीं कर पाया। इतनी रात हो गयी, चलो अब तो संजय अपने घर चला गया होगा। और आज की मुलाक़ात कैंसिल। यह सोच कर मैंने खाना खाया।

अब तो मुझे कहीं जाना नहीं था और मैं पूरी तरह आजाद थी। सो मैं सारे कपडे निकाल कर नहाने चली गयी। बाथरूम में मैं थोड़ी देर आयने के सामने खड़ी रही और अपने नंगे बदन का मुआइना करने लगी। मैंने देखा की शादी के इतने साल बाद भी मैं कोई भी जवान या बुड्ढे का लण्ड खड़ा कर सकती थी।

मेरे दोनों चुस्त कसे हुए स्तन काफी बड़े, सख्ती से फूली हुई निप्पलोँ के निचे कोई भी मर्द को चुनौती देने के काबिल थे। मेरी पतली कमर देखते ही बनती थी। कोकाकोला की काँच वाली बोतल के समान मेरी पतली कमर, उसके बीचो बीच नाभि और उसके निचे मेरी फैली हुई जाँघें, कूल्हे देख कर एकबार तो नामर्द का लण्ड भी मुझे चोदने के लिए तैयार हो जाए।

इसे भी पढ़े – नखरे वाली भाभी को चोदने में ज्यादा मज़ा आया

और सबसे ज्यादा तो झाँट के बालों की बड़ी सतर्कता से छंटाई से सजी हुई, रस चुती हुई, मेरी तिकोनी खूबसूरत चूत कोई अच्छे खासे लण्ड को अपने अंदर लेने के लिए बेताब थी। आनन फानन में मैं बाथरूम में तौलिया ले जाना भूल गयी थी। सो मैं नहा कर थोड़ी देर नंगी ही बाथरूम में खड़ी रही।

मैंने बदन से पानी को गिरने दिया। फिर थोड़ा कम गीला होने के बाद बाहर आ कर अपना गीला बदन तौलिये से पोंछने के बजाय बिस्तर गीला ना हो इस लिए मैं थोड़ी देर नंगी ही पंखे के निचे खड़ी हुई। मुझे अपने घर में अकेले में हल्का फुल्का गीला रहकर नंगी घूमना अच्छा लगता था।

मैंने सीधे आधे गीले नंगे बदन पर ही अपनी नाइटी पहन ली और सोने के लिए बिस्तर के पास पहुँच ही रही थी की दरवाजे की घंटी बजी। दरवाजे की घंटी क्या बजी, मेरे बदन में बिजली का जैसे करंट दौड़ गयी। मैं रोमांच और गुप्त भय से काँप उठी। इतनी रात गए कौन हो सकता है? कहीं संजय तो नहीं?

मैंने भाग कर दरवाजा खोला और संजय को देख कर स्तब्ध हो गयी। यह महाराज तो बिन बुलाये मेहमान की तरह आ ही गए। अब मैं क्या करती? मैंने संजय का हाथ पकड़ कर उसे जल्दी से खिंच कर अंदर बुला लिया ताकि कोई पडोसी उसे देख ना पाए की इतनी रात गए संजय मेरे दरवाजे पर क्यों खड़ा था।

मैंने उसे “हाय” कह कर सीधा ही पूछा, “आप कैसे घर में आ गए? मुझे कोई फ़ोन तक किया नहीं?”

संजय ने चारों और देख कर कहा, “प्रिया, आज मैं ऑफिस में ही काम में ज्यादा व्यस्त था। इस लिए फ़ोन भी नहीं कर पाया और लेट भी हो गया। आई एम् वैरी सॉरी।”

उसकी आवाज में दर्द सा था। मुझे ऐसा लगा की कुछ तो गड़बड़ थी। मुझे ऐसा लगा जैसे वह गाँव जाकर ख़ुश होने की बजाय मायूस सा लग रहा था। मैंने एक गहरी सांस लेते हुए कहा, “चलो ठीक है। कुछ खाना खाये हो?” संजय ने कहा उसने खाना नहीं खाया था।

मैंने फ़टाफ़ट खाना प्लेट में रख दिया और मैं एक कुर्सी खिंच कर उस पर अपने कूल्हे और दोनों पॉंव मोड़ कर उस पर टिका कर आधे पैर बैठ गयी और बड़े ध्यान से संजय को खाना खाते उसकी और देखने लगी। संजय ने मुझे ऐसी बैठे हुए देखा तो ऊपर से निचे तक मेरे आधे गीले बदन को ताकता ही रह गया।

शायद मेरा पूरा बदन उस पतले गाउन में साफ़ दिख रहा होगा। मैंने अपनी नजर नीची कर के अपने बदन की और देखा तो पाया की बिना ब्लाउज और ब्रा के मेरे गोल गुम्बज समान अल्लड़ और उद्दंड स्तन साफ़ दिखाई पड़ रहे थे। मेरी फूली हुई निप्पलेँ मेरे मन के हाल की चुगली खा रही होंगीं।

शायद मेरे दोनों पॉंव के बिच बालों में घिरी हुई मेरी चूत की धुंधली झलक उसे नजर आ रही होगी। उसे मेरे चूतड़ भी दिख रहे होंगे। उसकी कामुकता भरी नजर देख कर मेरे पुरे बदन में जैसे एक बिजली का करंट दौड़ गया। मैं आनन फानन कपड़े नहीं बदलने और कोई चुन्नी बदन के ऊपर नहीं डालने के लिए अपने आप को कोस रही थी। जब मैंने गला साफ़ करने के बहाने उसे सावधान किया तो उसने अपनी नजरें फेर लीं।

मैंने संजय से पूछा, “तुम तो बीबी से मिलकर मौज मना कर आये होंगे। उसके साथ मस्ती की यादों में खोये हुए होंगे, इसी लिए तुमने इतने दिन मुझे फ़ोन तक नहीं किया। पर तुम इतनी जल्दी वापस कैसे आ गये? तुमने तो कहा था तुम बारह दिन के लिए जाओगे। अभी तो चार दिन ही दिन हुए हैं। और तुम्हारा मैसेज क्या था? मैं कुछ समझ नहीं पायी।”

मैंने एक साथ सवालों की झड़ी लगा दी। उसके साथ ही साथ मुझे अपनी मानसिकता पर भी आश्चर्य हुआ। एक तरफ मैं नहीं चाहती थी की मैं संजय को कोई हमारे शारीरिक सम्बन्ध के बारे में गलत फहमी में रखूं और वह मेरी और सेक्स की नजर से देखे।

दूसरी तरफ मैं बार बार उसे ऐसे सवाल पूछ रही थी की बरबस ही उसके मन में यही ख़याल आएगा की मैं जरूर उसको उकसा रही थी। संजय ने मेरे सवालों का कोई सीधा जवाब नहीं दिया। संजय ने खाना खाया और मैंने उसे एक कटोरे में ही निम्बू डाल कर हाथ साफ़ करवा दिए।

मैंने संजय का हाथ पकड़ा और पूछा, “संजय क्या बात है? तुम कुछ मायूस लग रहे हो।”

संजय चुप था। वह मेरी और सुनी नज़रों से देखने लगा। मुझे लगा की हो ना हो कुछ गंभीर बात है। मैंने उसकी आँखों में अपनी आँखें मिलाकर पूछा की क्या बात थी? तो उसने कहा, “कुछ नहीं बस वैसे ही।” पर यह कहते कहते उसकी आँखें झलझला उठीं। मुझे उसकी आवाज में भारीपन लगा। ऐसा लगा की जैसे उसका गला रुंध गया था।

जब मैंने बार बार पूछा की, “संजय क्या बात है, तुम कुछ बोलते क्यों नहीं हो?”

तब संजय अपने आँसू रोक नहीं पाया। उसकी आँखों में से जैसे गंगा जमुना बहने लगी। मैं स्तब्ध हो गयी। इतना बड़ा हट्टाकट्टा पुरुष एक औरत के सामने क्यों रो रहा था? मैंने एकदम शान्ति से और बड़ी संवेदना के साथ उसे पूछा, “संजय सच बताओ, बात क्या है? तुम्हारे माँ बाप ठीक तो हैं? पत्नी तो ठीक है?”

पहले तो उसने कहा, “सब ठीक हैं। कोई ख़ास बात नहीं है।” पर मैं समझ गयी की कुछ ना कुछ बात तो जरूर है। काफी समझाने के बाद और आग्रह करने के बाद उसने कहा, “प्रिया, मैं बहुत गुस्से में हूँ और दुखी भी हूँ। मैं हर औरत की इज्जत करता हूँ। पर यह साली राँड़ ने मुझे क्या सिला दिया? बात मेरी पत्नी की है। उसने मेरा भरोसा तोड़ दिया।”

जब मैंने इतना सूना तो मुझे लगा जैसे मेरे ऊपर कोई पहाड़ टूट पड़ा था। मैं एकदम स्तब्ध हो गयी। एक साथ दो हादसे? अरे इस इंसान पर भी वही कहर टूट पड़ा जो मुझ पर टुटा था? संजय की समझ में नहीं आ रहा था की वह क्या कहे और क्या ना कहे। मैं समझ गयी की जो वह अब कहने जा रहा था वह इतना दिल दहलाना वाला होगा की उसे ना तो मैं ना तो वह आसानी से बर्दाश्त कर पाएंगे।

मैंने संजय का हाथ मेरे हाथों में लिया और बोली, “संजय तुम मुझे खुल कर अपनी सारी बातें कहो, ताकि तुम्हारा बोझ हल्का हो जाए। फिर मैं भी तुमसे मेरी कहानी कहने वाली हूँ जो शायद तुम्हारी कहानी से काफी मिलती जुलती है।” मेरी बात सुनकर संजय अचंभित सा मुझे देखता ही रह गया।

फिर संजय ने धीरे से कहा, “प्रिया, मैं जो कहने जा रहा हूँ वह बड़ी दर्दनाक कहानी है। मैं अगर उत्तेजना में कुछ अपशब्द बोल जाऊं तो प्लीज माफ़ कर देना।” मैंने बिना कुछ कहे मेरा सर हिलाकर इशारा किया की मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

संजय ने कहा, “मेरी बीबी का नाम काजल है। मैं काजल को सरप्राइज देना चाहता था। इस लिए मैंने उसे बताया नहीं की मैं आ रहा था। घर पहुँचने वाली ट्रैन काफी लेट थी। दो दिन का सफर पूरा करने के बाद मैं घर देर से रात को करीब बारह बजे पहुंचाl मेरे पास घर की चाभीयाँ थी, तो मैं ने बाहर का दरवाजा खोला। मेरे माँ बाप सो गए थे।

जैसे ही मैं अपने बैडरूम के दरवाजे के पास पहुंचा की उसको अंदर से काजल की हँसने की आवाज सुनाई दी। उसके फ़ौरन बाद किसी मर्द की आवाज सुनाई दी। मुझे लगा की जैसे काजल किसी मर्द के साथ हँस हँस के बात कर रही थीl आधी रात को बैडरूम का दरवाजा बंद करके काजल किसी और मर्द से क्या बात कर रही होगी? यह सोच कर मेरा माथा ठनक गया।

मैं जैसे धरती में गड गया हो ऐसा मुझे महसूस हुआ, फिर मैंने सोचा की शायद मुझे कोई गलफहमी हो सकती है। तो मैंने धीरे से बैडरूम के दरवाजे में अपनी चाभी लगाई और उसे इतने धीरे से खोला की अंदर उसको आवाज ना सुनाई दे। हमारा बैडरूम काफी बड़ा है और दरवाजे के बाद एक छोटा सा पैसेज है।

बैडरूम के अंदर से कोई देख नहीं सकता की दरवाजा खुला है या बंद। पैसेज में एक पर्दा लगा हुआ था। परदे के पीछे छिप कर अंदर का नजारा देख कर मेरी की आँखें चौंधियाँ गयीं और पाँव तले से जैसे जमीन खिसक गयी. मेरा छोटा भाई और मेरी बीबी दोनों बिस्तर में एकदम नंगे लेटे हुए थे और मेरा भाई अपनी भाभी के मम्मों को चूस रहा था।

काजल मेरे भाई के लण्ड को सहला रही थी और दोनों आपस में कुछ बातें कर रहे थे।” संजय की आँखें यह कहते हुई भर आयीं। उसने मेरे कंधे पर सर रखा और थोड़ी देर तक चुप रहा। उस ने कहा, “मेरा मन किया की मैं उस मेरी बीबी राँड़ को वहीँ गोली दाग कर मार डालूं। या कम से कम जोर से चिल्लाऊं और उन दोनों को डाँटूl

मैं अपने भाई से क्या कहूं? मेरा भाई बड़ा सीधा सदा है। वह ऐसा कुछ कर नहीं सकता सिवाय के उसे उकसाया ना जाये। इसमें जरूर वह राँड़ की ही करतूत है। मेरी बीबी इतनी खूबसूरत है और कहीं ना कहीं मेरे भाई को उसने जरूर अपने जाल में लपेटा होगाl

पर मैं यह सब देख कर अंदर से मर गया था। मुझे अब दुनिया में कुछ भी नजर नहीं आ रहा था। मैं किसको क्या कहूं? एक मेरा सगा भाई था और दूसरी मेरी बीबी। मुझे तब समझ में आया की शायद इनका चक्कर मेरी शादी से पहले से ही चल रहा होगा। क्यूंकि शादी से पहले ही मेरी बीबी घर में मेरे माँ बाप के साथ रहने के लिए राजी हो गयी थी।”

संजय जैसे वह सारा दृश्य अपनी आँखों के सामने देख रहा था। उसने कहा, “अँधेरे में उन दोनों ने मुझे नहीं देखा था। मैं वापस घुमा और दरवाजा वैसे ही धीरे से बंद करके उलटे पॉंव स्टेशन पर जा पहुंचा। वहाँ से सीधा वापस आ गया। मैं हैरान था उस औरत पर जिसने मुझे इतना बड़ा धोका दिया था।

उस वेश्या को, उस कुलटा को मेरे भाई के साथ ही यदि रंगरेलियां ही करनी थी तो साली कुतिया ने मुझे शादी से पहले क्यों नहीं बताया? मैं उससे शादी नहीं करताl मेरा बहुत मन किया की मैं अपनी बीबी को इतनी सारी गालियां दूँ की वह आगे से कभी ऐसा करने का सोचे नहीं। पर मैं अपना मन मसोस कर वापस आने के दो दिनों तक अपने कमरे में ही पड़ा रहा।

मैंने छुट्टियां ले रखीं थीं। तो मुझे ऑफिस जाने की जल्दी नहीं थीl फिर मैंने तय किया की मैं अपनी जिंदगी वैसे ही जारी रखूंगा जैसे पहले थी और फिर आराम से सोचूंगा की मुझे क्या करना है। आज मैं ऑफिस गया और पहले की तरह काम में जुट गया। और इसी कारण देर हुई और फ़ोन भी नहीं कर पाया। पर मेरे मन में जो आग लगी है उसका क्या करूँ? मुझे संजय अपनी आप बीती सुना चूका था और शायद अब बारी मेरी थी. संजय मेरी और देखने लगा।

मैंने कहा, “औरत और मर्द मिलते हैं ना? जब उनके लिंग मिलते हैं ना? तो उसे मैटिंग कहते हैं?”

संजय ने कहा, “ओह, तुम्हारा मतलब है मैटिंग का मतलब है चुदाई करना।”

इसे भी पढ़े – नई माँ को बेटे ने बाप साथ मिलकर चोदा

संजय की बात सुनकर मैं थोड़ा सा सहम गयी। मैंने उम्मीद नहीं की थी संजय ऐसी बात कहेंगे। मैं थोड़ी हैरानगी से संजय की और देखने लगी। मेरी चूत में कुछ कुछ खुजली सी होने लगी और रस रिसना शुरू हो गया। मेरी निप्पलोँ में भी कुछ कुछ होने लगा। धीरे धीरे मेरी निप्पलें फुलने लगीं।

मैंने संजय से कहा, “मेरे भड़वे पति ने भी मेरे साथ भी वही किया जो तुम्हारी बीबी ने तुम्हारे साथ किया। साला कुत्ता! अरे कुत्ता तो वफादार होता है। वह तो कुत्ता से भी बदतर है।” मैंने चंद शब्दों में ही मेरी कहानी कह डाली। मैंने भी ऐसा कह कर मेरे मन की भड़ास निकाली।

पर अब मुझे संजय के बारे में सोचना था। वह तो मेरे घर आकर बैठ गया था। हालांकि उसका दर्द गहरा था फिर भी ऐसे बिन बुलाये आ जाना मुझे जँचा नहीं। मैं अपने मन में सोच रही थी, यह जनाब कब जाएंगे? जाएंगे भी या नहीं? मैं संजय को ज्यादा पसंद नहीं करती थी।

मुझे उसका देहाती रवैया वैसे भाता नहीं था, पर हाँ उसका यह खुरदरा पन और कर्कश बर्ताव मेरे जहन में कुछ अजीब सी हलचल पैदा करता था, जिससे मेरी उससे चुदाई करने की इच्छा प्रबल हो जाती थी। मेरा दिमाग कह रहा था की संजय चला जाए और मन कह रहा था की संजय रुक जाए और मुझ पर जबरदस्ती करे और मुझे चोदे।

मैं संजय को ज्यादा पसंद नहीं करती थी। मुझे उसका देहाती रवैया वैसे भाता नहीं था, पर हाँ उसका यह खुरदरा पन और कर्कश बर्ताव मेरे जहन में कुछ अजीब सी हलचल पैदा करता था, जिससे मेरी उससे चुदाई करने की इच्छा प्रबल हो जाती थी। मेरा दिमाग कह रहा था की संजय चला जाए और मन कह रहा था की संजय रुक जाए और मुझ पर जबरदस्ती करे और मुझे चोदे।

मैंने कहा, “संजय यह बात ठीक नहीं है। तुम ऐसे शब्दों का प्रयोग मत करो। मुझे अच्छा नहीं लगता।”

संजय ने मेरी और देख कर कहा, “क्यों, इस में क्या बुराई है? क्या तुम अपने पति के साथ चुदाई नहीं करवाती हो? क्या वह तुम्हें चोदता नहीं है? हाँ इसी बात को तुम यह कह देती हो की हम सेक्स करते हैं। भला सेक्स कहीं किया जाता है क्या? सेक्स का मतलब है जातीयता। सेक्स नाम है, क्रिया नहीं। इंग्लिश में ही बोलना है तो फकिंग कहो। घुमा फिरा कर बात करना हमें आता नहीं। अगर चोदना है तो साफ़ साफ़ बोलो की चोदना है। क्यों ठीक है ना?”

संजय ने मेरी और देखा और बोला। हालाँकि संजय की बात सच थी। पर उस समय के लिहाज से और मेरी उधेङबुन वाली मानसिकता के कारण मैं उसे आसानी से झेल नहीं पा रही थी। संजय के व्यक्तित्व में खेतों की मिटटी वाली मर्दाना खुशबू थी। वह सख्त और अनाड़ी था तो फिर सुडौल और आकर्षक भी था। मैं चुप रही। संजय ने कहा, “फिर तुमने तुम्हारे पति से पूछा की वह किसे चोद रहा था?”

मैंने कहा, “संजय मैं दुबारा कहती हूँ की ऐसी भाषा मत बोलो। यह सभ्यता वाली बात नहीं है।”

संजय ने कहा, “चलो भाई सॉरी। आगे अपनी बात चालु रखो।”

मैंने कहा, “उस समय तो मेरे पति ने लाइन काट दी। उसके बाद ना तो मैंने मेरे पति को फ़ोन किया ना ही साले मेर पति ने। बाद में जब वह घर आया तो मैंने उनके आते ही उसको आड़े हाथों लिया। हमारी काफी बहस हुई। आखिर में उसने माना की वह एक सेक्रेटरी को रात को होटल में बुलाकर चोद रहा था।”

अचानक मेरे मुंह से “चोदना” शब्द निकल गया, तो संजय ताली बजाते हुए खड़ा हो गया और बोला, “यह हुई ना बात?”

मैं पकड़ी गयी तो एकदम शर्मा गयी। लज्जा से मेरा चेहरा लाल हो गया। मैं रँगे हाथोँ पकड़ी गयी। मेरी मनोदशा संजय जान गए। चेहरे पर लज्जा देख कर संजय बोला, “बड़ी सभ्य बन रही थी ना? अब “चोदना” बोल पड़ी ना? इसमें शर्माना क्या? जो हकीकत थी वही तुमने बोली है।” मैं संजय की बात का जवाब ना दे पायी। मैंने संजय से कहा, “संजय अब काफी रात हो चुकी है। क्यों ना हम कल सुबह बात करें?”

संजय ने मेरी और आश्चर्य से देख कर कहा, “क्यों? अभी तो रात बहुत बाकी है। अभी तो सिर्फ ग्यारह बजे हैं। हम तो सुबह तक बात कर सकते हैं।”

मैंने कहा, “तुम भी थक गए होंगे। मैं भी थक गयी हूँ। क्यों ना हम इस बात को आज के लिए ख़त्म करें? कल फिर मिलेंगे। वैसे भी तुम्हें इतनी रात गए फिर टैक्सी भी मुश्किल से ही मिलेगी।”

संजय ने मेरी और देखते हुए टेढ़े सुर में कहा, “हाँ इतनी रात गए टैक्सी कहाँ मिलेगी? मैं रात को यहीं रुक जाता हूँ। तुम्हारी पूरी बात सुनूंगा और मेरी बात कहूंगा। फिर सुबह जल्दी ही मैं चला जाऊंगा जिससे मुझे कोई देख ना पाए।” बात बात में ही संजय ने मेरी दुखती रग दबा दी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

अब मैं संजय को कैसे कहूं की “गेट आउट?” मैंने अपने आपको लाचार पाया। मेरी उलझन देख कर संजय सामने आया और बोला, “क्यों परेशान हो रही हो? देखो प्रिया। तुम्हारी और मेरी कहानी एक जैसी है। मैं सच कहूं तो तुम्हें तुम्हारी चूत चोदने के लिए कोई अच्छा मोटा लण्ड चाहिए, और मेरे इस मोटे लम्बे लण्ड को एक अच्छी प्यारी चूत चाहिए। अब दोनों के पास जो एक दूसरे को चाहिए वह है तो फिर क्या प्रॉब्लम है?”

संजय मेरी और आगे बढ़ा और मुझे खिंच कर कस के अपनी बाँहों में ले लिया। मैंने उसका हाथ हटाने की कोशिश की पर मेरी एक ना चली।

मैंने संजय से कहा, “संजय तुम यह क्या कर रहे हो? मुझे छोड़ दो।”

संजय ने कहा, “मुझे छोड़ दो नहीं, बोलो मुझे चोद दो।”

संजय ने मुझे अपनी बाँहों इतना कस के पकड़ा की मेरी “फैं” निकल गयी। उसने आसानी से मुझे अपनी बाहों में पकड़ कर ऊपर की और उठाया। वह खुद कुर्सी पर बैठ गए और मुझे अपनी गोद में बिठाया। मैं बेचारी संजय का मुकाबला कहाँ कर सकती थी?

मैंने संजय से कहा, “संजय यह तुम क्या कर रहे हो? यह ठीक नहीं है। मुझे छोड़ दो।”

संजय ने कहा, “फिर वही छोड़ दो? मैं तुम्हें छोडूंगा नहीं, मैं तुम्हें चोदुँगा। तुम भी तो यही चाहती हो ना?”

संजय ने मेरे मन की बात कैसे समझ ली यह मैं नहीं जानती? पर यह सच था की मैं भी संजय की खुरदरी और कर्कश भाषा से ज्यादा उत्तेजि हो रही थी। मैं चाहती थी की उस रात संजय मुझे ऐसे गालियाँ और गन्दी भाषा का प्रयोग करे और ऐसे चोदे जैसे मैं अपनी जिंदगी में कभी नहीं चुदी।

मैंने कई देसी पोर्न वेब साइट में मर्दों को औरतों को गालियां और अपमान जनक शब्द प्रयोग करते हुए चोदते हुए देखा और पढ़ा था। इससे मैं उत्तेजित हो जाती थी और ऐसा कभी मेरे साथ भी हो यह सोचकर कल्पना में खो जाती थी। उस समय मेरी जाँघों के बिच में से इतना रस झरने लगता था और मेरी निप्पलेँ ऐसी फूल जाती थीं की मैं नहीं बता सकती।

इसे भी पढ़े – मेरी मस्त चूत को शांत नही कर पाता पति

मेरे पके स्तनों और फूली हुई निप्पलोँ का स्पर्श संजय को पागल कर रहा था। मुझे इतने कस के बदन से चिपका ने के कारण जब संजय के पुरे बदन में कम्पन हुई सो मैंने भी महसूस की। मैंने देखा की संजय मेरे स्तनोँ को घूर घूर कर देख रहा था। पतले गीले कपडे में से मेरे स्तन उसे साफ़ साफ़ दिख रहे होंगे। जरूर मेरी फूली हुई निप्पलेँ मेरे हाल की चुगली कर रही होंगीं।

मैंने मेरे बदन में महसूस किया की संजय का लण्ड फुलता जा रहा था जो की मेरे जाँघों के बिच टक्कर मार रहा था। उसकी आँखों में कामुकता का पागलपन था जो साफ़ साफ़ संकेत दे रहा था की वह मुझे चोदे बगैर छोड़ेगा नहीं। संजय ने मेरी चिबुक अपनी उँगलियों में पकड़ी.

और मेरी गर्दन ऊपर की मेरी आँखों में आँखें डाल कर बोला, “मेरी बीबी मेरे भाई के लण्ड से खुश है और उससे चुदवा रही है। तुम्हारा पति उसकी सेक्रेटरी की चूत से खुश है और उसे चोद रहा है। फिर ऐसा करते हुए भला हमें अपने आपको दोषी क्यों समझना चाहिए? मैं और तुम क्यों ना एक दूसरे को चोद कर अपनी वासना की पूर्ति करें और उन सब को दिखा दें की हम भी कुछ कम नहीं।”

मैंने संजय से कहा, “वह सब छोडो और आप यहां से जाओ। देखो, यह ठीक नहीं है। मैं एक शादी शुदा औरत हूँ और तुम भी तो शादी शुदा हो?”

“क्या मेरी बीबी शादी शुदा नहीं है? क्या तुम्हारा पति शादी शुदा नहीं है? फिर वह क्यों दूसरे की चुदाई करने में लगे हुए हैं? क्या यह कानून तुम पर और मुझ पर ही लागू होता है? उन पर नहीं होता?” संजय ने मुझे पूछा।

मैंने कहा, “मैं यह सब नहीं जानती। पर तुम कुछ भी ऐसा नहीं करोगे बस, मैंने कह दिया तो कह दिया।”

तब मैंने संजय के चेहरे पर निराशा का भाव देखा। मैं मेरे दिल और दिमाग के बिच हो रहे संघर्ष से परेशान थी। मैंने अपनी नज़रे झुका दी।

संजय ने फिर मेरी ठुड्डी पकड़ कर ऊपर उठायी और आँखों में आँखें डाल कर बोला, “प्रिया मैं जानता हूँ तुम मेरे लण्ड के लिए तरस रही हो। आज इसी लिए मैंने तुम्हें फ़ोन नहीं किया और तुम्हारे घर में घुस आया ताकि तुम्हें ना बोलने का मौक़ा नहीं मिलेl क्यूंकि मैं जानता था की तुम्हारी इच्छा क्या है। पर मैं तुमपर कोई जबरदस्ती नहीं करना चाहता। मैं तुम्हारे मुंह से “हाँ या ना” सुनना चाहता हूँ। बोलो हाँ या ना?”

मैंने संजय की आँखों में आँखें मिलाई और फिर अपनी गर्दन झुका दी और कुछ नहीं बोली। मैंने सोचा मेरे नजरें झुकाने से संजय समझ जाएगा की मुझे उससे चुदवाने में कोई आपत्ति नहीं थी। पर मुझे लगा संजय मेरे मुंह से हाँ कहलवाना चाहता था। मैं भी तो भारतीय नारी थी। मैं अपने मुंह से कहाँ हाँ कहने वाली थी? संजय ने फिर मेरी गर्दन ऊपर की और उठाई और मेरी और तीखी नजर से जब देखा.

तो मैंने कहा, “अरे छोडो भी। मैं क्यों हाँ कहूं? तुमने मुझे कोई रोड छाप वेश्या समझ रखा है? मेरी और ऐसी नजर से ना देखो। और दूसरी बात, तुम कठोर और खुरदरे ही अच्छे लगते हो। यह शहर की नकली सभ्यता तुन्हें जँचती नहीं है। तुम्हें मेरे साथ नकली सभ्यता से बात करने की जरुरत नहीं है। तुम्हारी बीबी ने तुम्हारे साथ धोखा किया है ना? तो मुझे तुम अपनी बीबी समझ कर खूब गालियाँ दो। मैं भी तुम्हें आज रात अपना पति समझ कर खूब गालियाँ दूंगी। इससे हमारा मन भी हल्का हो जाएगा।”

मेरी बातों से संजय भी उत्तेजित हो गया। मेरी बाँहें पकड़ कर उन्हें हिलाते हुए बोला, “साली राँड़, मैं तुम्हें वेश्या नहीं समझता। तू वेश्या ही है। वरना क्यों मेरे भाई से चुदवाती? शादी मुझसे और चुदाई मेरे भाई से?”

मैंने संजय की और ऊपर देखा और बोली, “साले भड़वे, तू अपनी बीबी को क्या समझता है? क्या मैं तेरी रखैल हूँ, की तू जब चाहे मुझे आकर चोद कर चला जाए और बाहर जा कर दूसरी औरत को चोदता रहे? साले तुझे अपने लण्ड के अलावा कुछ और दिखता है?”

मैंने बात बात में संजय को कह दिया की मैं उस रात उससे ना सिर्फ चुदवाना चाहती थी बल्कि मैं चाहती थी की वह मेरे साथ एक बाजारू औरत या एक रंडी की तरह बरते, क्यूंकि मैं ऐसा करने पर मैं ज्यादा ही गरम हो जाती हूँ और मेरी रगों में मेरे हॉर्मोन बड़ी फुर्ती से दौड़ने लगते हैं। संजय ने मुझे एक बाँह मेरी पीठ के निचे और दूसरी बाँह मेरे घुटनों के पीछे लगा कर बड़ी आसानी से पूरी तरह अपनी बाँहों में ऊपर उठा लिया और मुझे उठा कर बैडरूम में ले गया और बिस्तर पर धीरे से रख दिया.

वो बोला, “मैं तुम्हें आज एक रंडी की तरह चोदुँगा। तु साली राँड़ बड़े नखरे कर रही थी और यह दिखाने की कोशिश कर रही थी की तू बड़ी सभ्य और ऊँचे समाज की है। पर मैं जानता था की तेरी चूत मेरे मोटे लण्ड के लिये बड़ी मचल रही है। आज मैं तुझे न सिर्फ चोदुँगा बल्कि चोद चोद कर तेरी यह छोटी सी चूत का भोसड़ा बना दूंगा।”

किसी और जगह कुछ अलग परिस्थिति में ऐसी भाषा सुनकर शायद मैं गुस्से से तिलमिला उठती। पर संजय की ऐसी गन्दी गालियाँ सुनकर मेरी काम वासना और भड़क उठी।

मैंने भी ऐसी ही भाषा में जवाब देते हुए संजय से कहा, “ऐ भड़वे! तुझमें अगर दमखम है तो दिखा मुझे अपने लण्ड का जोश। तुम अपने आप को क्या समझते हो? क्या तुम मुझे आसानी से चोदोगे और मैं तुमसे चुदवाउंगी? अरे जा रे! मुझे चोदने के सपने छोड़ दे।”

मैं बार बार संजय को चोदना, लण्ड ऐसे शब्द उपयोग करके यह इशारा देना चाहती थी की मैं मना तो करती रहूंगी पर मेरी ना में भी मेरी हाँ है। संजय मुझ पर जबरदस्ती करना नहीं चाहता था। वह मुझे अच्छा लगा। पर मैं चाहती थी की वह उस रात मुझे चोदे।

मैंने उसे चुनौती देते हुए कहा, “अरे तुम में दम ही कहाँ है? चोदने की बात तो दूर, अगर दम है तो मुझे पकड़ कर तो दिखाओ। तुम सिर्फ बातें करने वालों में से हो। चोदने वाले और होते हैं। वह बातें नहीं करते।” ऐसा कह कर मैंने उसे तिरछी भाषा में मुझे चोदने का आमंत्रण दे दिया।

मेरी ऐसी ही बराबरी की गन्दी और असभ्य भाषा सुनकर संजय काफी उत्तेजित हो गया। उसने भाग कर मुझे एक झटके में दबोच लिया। मैं बड़ी कोशिश की छूट कर भागने की, पर मेरी एक ना चली। संजय ने निचे झुक कर मेरा नाइट गाउन मेरे पाँव से उठाकर मेरे सर से पार कर के एक कोने में फेंक दिया और मुझे एकदम नंगी कर दिया।

मैंने शर्म के मारे एक हाथ की हथेली से अपनी चूत और दूसरे हाथ से अपने दोनों स्तनों को ढकने की नाकाम कोशिश की। मेरी यह कोशिश देख कर संजय मुस्कराया और बोला, “साली राँड़। मेरे भाई से चुदवाने में तो कुतिया को ज़रा सी भी शर्म नहीं आ रही थी और अब मैं तुझे चोदने जा रहा हूँ तो साली शर्माती है? इतना आगे बढ़ने के बाद शर्मा रही है?”

पर जैसे जैसे संजय ने मेरे नंगे बदन को बिस्तर पर लेटे हुए देखा जो उससे चुदवाने के लिए बेताब था तो वह मुझे देखता ही रहा। उसकी तो जैसे बोलती ही बंद हो गयी। मेरे बदन की झलक तो उसने देखि थी। पर पूरी तरह निर्वस्त्र मचलता हुआ मेरा नंगा बदन वह पहली बार देख रहा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

इसे भी पढ़े – एप्पल आईफोन के लिए चूत चुदवा ली

उसकी आँखें मेरे नंगे बदन को एक तक ऊपर से निचे तक ताकती ही रही। शायद उसकी बीबी भी उसके सामने ऐसे हालात में नग्न नहीं पड़ी होगी। उसकी आँखें पहले तो मेरे उद्दंड स्तन मंडल पर पड़ीं जो इतने गोल फुले होने के बावजूद पूरी फूली हुई निप्पलोँ से सुसज्जित ऐसे अक्कड़ खड़े हुए थे, जैसा की संजय का लण्ड मेरे नंगे बदन को देख कर खड़ा था।

संजय ने हाथ बढ़ाया और मेरे फुले हुए स्तनों को दोनों हाथों में पकड़ा और बोला, “बाप रे! कितनी सुन्दर तुम्हारी यह चूँचियाँ है! साली तेरे इस कमसिन और इतने खूबसूरत बदन पर अगर मेरे भाई की नियत बिगड़ी तो उस बेचारे का क्या दोष?”

फिर उसकी नजर मेरी पतली कमर और उसके बिच कुँए के सामान मेरी नाभि पर पड़ी। संजय ने मेरी नाभि में अपनी उंगली डाली और उस छेद में उंगली घुमाते हुए वह मेरी कमर के निचे वाले थोड़े से ऊपर उठे हुए बदन से होकर मेरी चूत से थोड़े से ऊपर वाले टीले को घूर घूर कर ताकता ही रहा।

मेरी खूबसूरत और हलकी झाँटों की कलापूर्ण तरीके से की हुई छंटाई का मुझे बड़ा गर्व है। उसे देख कर तो संजय की सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी। मेरी सुआकार जाँघों के बिच में मेरी छोटी सी चूत पर संजय की आँखें गड़ी ही रह गयीं। संजय ने धीरे से मेरे बदन को ऊपर उठाया और मुझे बिस्तर पर पलटा, जिससे मेरी गाँड़ को वह अपनी नज़रों से नंगी देख सके।

संजय मेरे बाजू में बैठ गया और अपना हाथ मेरी करारी गाँड़ पर फिराने लगा। उसने मेरी गाँड़ के फुले हुए गाल दबाये और अपनी उंगली मेरी गाँड़ की दरार में जब डाली तो मैं उत्तेजना के मारे सिहर उठी। रोमांच से मेरे बदन के रोंगटे खड़े हो गए। काफी देर तक वह मेरी गाँड़ और मेरी गर्दन और पीठ की खाई को सहलाता रहा।

फिर उसने दुबारा मुझे बिस्तर पर पलटा और मेरी चूत को बड़े गौर से देखने लगा। मैं शर्म से पानी पानी हो रही थी। मैंने फिर मेरा एक हाथ मेरे स्तन पर दुसरा हाथ मेरी चूत पर रखा। थोड़ी देर ताकने के बाद संजय ने अपने आप को सम्हाला और बोला, “साली कुतिया, हटा अपने हाथों को और खोल दे अपनी टाँगों को। अब मैं तुझे अपने मोटे और लम्बे लण्ड से चोदुँगा। अब लेटी हुई क्या कर रही है? चल उठ मेरे लण्ड को पकड़ और बाहर निकाल।”

ऐसा कह कर संजय ने मेरा सर पकड़ा और मुझे बैठा दिया और उसके लण्ड को उसकी पतलून में से बाहर निकाल ने के लिए मुझे बाध्य किया। मैंने उसके पतलून की ज़िप खोली और उसमें हाथ डाल कर उसकी अंडरवियर में से उसका लण्ड बाहर निकाल ने की कोशिश की।

पर संजय का लण्ड इतना मोटा और इतना फूल चुका था की उस छोटे से छेद में से उसे बाहर निकालना संभव नहीं था। मैंने फुर्ती से संजय के पतलून की बेल्ट खोली। संजय ने भी अपने बटन खोलकर अपनी पतलून पहले निचे गिरा दी और फिर अपनी अंडरवियर निचे खिसका कर अलग कर दी।

अपनी शर्ट और बनियान भी संजय ने चंद सेकण्ड में ही निकाल फेंकी। मेरे सामने संजय पूरी तरह नंगा खड़ा हो गया। मैंने पहेली बार संजय का पूरा कड़क और फुला हुआ लण्ड देखा। संजय का लण्ड अच्छा खासा लंबा था। मेरे पति के लण्ड के मुकाबले थोड़ा ज्यादा लंबा था। मोटाई मेरे पति के लण्ड के जितनी ही होगी।

पर ख़ास बात यह थी की उसक लण्ड चिकनाहट से पूरा सराबोर था। उसके लण्ड के छिद्र में से उसका पूर्व स्राव बून्द दर बून्द निकल रहा था। ऐसा लगता था की काफी समय से उसे चूत चोदने का मौक़ा नहीं मिला था। उसके लण्ड पर फैली हुई नसें उत्तेजना के कारण फड़क रही थीं।

मैंने संजय के लण्ड के इर्दगिर्द मेरी मुठ्ठी की अंगूठी बनादि और संजय के लण्ड की ऊपर वाली चमड़ी को हलके से बड़े प्यार से उसके लंड पर सरकाने लगी। मेरा हाथ लगते ही संजय के बदन में सिहरन मैंने महसूस की। संजय ने मेरा सर पकड़ा और वह अपने लण्ड को मेरे मुंह के पास लाया। जैसे ही मैंने अपना मुंह खोला की संजय ने उसे मेरे मुंह में डाल दिया।

कुछ समय तक संजय मेरे मुंह को चोदता रहा। मेरे मुंह में दर्द होने लगा तो मैं पीछे हट गयी और संजय का लण्ड मैंने अपने मुंह से निकाल दिया तो संजय बोल पड़ा, “साली वेश्या, मेरा लण्ड चूसने में थक जाती है। मेरे भाई का लण्ड तो अच्छी तरह से चूसती होगी तू?”

मैंने संजय की और देखा और बोली, “अगर मैं तेरे भाई से चुदवा रही हूँ तो तू कौन सा तेरी उस प्रिया राँड़ को चोद नहीं रहा? साला बनता है हरीशचन्द्र! लण्ड चुसवाने के लिए तो बड़ा कूद रहा है? अब आजा और मेरी चूत को भी चूस और मेरी चूत का पानी पी।”

मैंने यह कह कर अपनी टांगें खोली और संजय को मेरी चूत चूसने के लिए उकसाया। मैंने उस रात तक कभी मेरे पति को भी इस तरह बेशर्मी से मेरी चूत चाटने का आह्वान नहीं क्या था। मैंने कभी जिंदगी में ऐसी गन्दी गालीयाँ ना किसी को दी थी या ना किसी से सुनी थी। मैं खुद अपने इस बर्ताव से हैरान थी।

अंदर ही अंदर मैं पागल हो रही थी। हमारे यह गंदे गाली गलौज से मेरे पुरे बदन में चुदवाने की इच्छा इतनी जबरदस्त हो रही थी की मैं सब्र नहीं कर पा रही थी। अपने पॉंव फर्श पर लटका कर मैं बिस्तर पर लेट गयी। मेरी चूत मैंने संजय की चुसाई करवाने के लिए छोड़ दी।

संजय मेरी टाँगों के बिच मेरी जाँघों को थोड़ा चौड़ा कर के बैठ गया। उसने मेरी चूत को ध्यान से एकदम करीब से देखा और अपना मुंह मेरी चूत से सटा दिया। मेरी चूत की सबसे नाजुक जगह पर वह अपनी जीभ की नोक से चाटने लगा और मेरी चूत के होठोँ को अपनी जीभ से रगड़ कर मुझे उकसाने लगा।

फिर संजय ने हलके से मेरी चूत में अपनी दो उंगलियां डाल दीं और मुझे अपनी उँगलियों से चोदने लगा। हर औरत उँगलियों की चुदाई से बहुत ज्यादा उत्तेजित होती है यह मर्दों को पता होता है। उँगलियों से अगर अच्छी तरह आप किसी औरत को चोदते हो तो वह बेचारी आपके लण्ड से चुदवाने के लिए बेबाक हो जायेगी। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। जैसे जैसे संजय ने उँगलियों से चोदने की रफ़्तार बढ़ाई, मैं उसे लण्ड से चोदने के लिए मिन्नतें करने लगी।

मैंने उसे कहा, “संजय अब सब हो गया, अब मैं तुम्हारा यह लंबा लण्ड लेना चाहती हूँ। कई महीनों से मैं चुदी नहीं। मुझे अब तुम्हारे इस मोटे लम्बे लण्ड से मेरी चूत की भूख और प्यास मिटानी है। तुम जल्दी ही मेरे ऊपर चढ़ जाओ और तुम्हारा लण्ड मेरी चूत में पेलना शुरू करो। अब अगर देर करोगे तो मैं तो तुम्हारी उँगलियों की चुदाई से ही ढेर हो जाउंगी। फिर पता नहीं तुमसे चुदवाने की ताकत रहेगी या नहीं।”

इसे भी पढ़े – माँ की चूत में धक्का दे रहे थे अंकल

पर संजय ने मेरी एक ना सुनी। वह उँगलियों से तेज रफ़्तार से मेरी चुदाई करता रहा। मैं अपने आप को रोक पाने में असमर्थ थी। मैं कामाग्नि से जल रही थी और अपनी उत्तेजना के चरम पर पहुँच रही थी। संजय ने थोड़ी देर और उँगलियों से मुझे चोदना जारी रखा.

तो मैं संजय का हाथ पकड़ कर, “संजय, गजब हो गया यार, आह… उफ़…. ओह… कराहते हुए मैं लुढ़क गयी और मेरी चूत मैं ऐसी मौजों की पुरजोश उठी की मेरा रोम रोम अकड़ गया और एक बड़ी आह के साथ मेरा छूट गया। मैं बिस्तर पर ही ढेर हो गयी। मुझे लुढ़कते हुए देख कर संजय ने अपनी उंगलियां मेरी चूत में से निकाल ली।

उसकी उंगलियां मेरे स्त्री रस से पूरी तरह लबालब थीं। संजय ने एक उंगली खुद चाटी और एक उंगली मेरे मुंह में डाली। मैंने अपनी ही चूत के रस को चाट लिया। मेरी साँसे फूल रही थी। मेरी छाती तेजी से ऊपर निचे हो रही थी जिससे मेरे दोनों स्तन इधरउधर हिल रहे थे।

संजय ने उन्हें अपनी हथेलियों में दबोच लिया और उन्हें कस के दबाने और मसलने लगा। थोड़ी देर बिस्तर पर पड़े रहने के बाद मेरी साँसों की तेज रफ़्तार थोड़ी धीमी हुई। मैं संजय का लंबा और मोटा लण्ड मेरी चूत में डलवाने के लिए बेकरार थी।

मैंने संजय को धक्का मार कर कहा, “चल साले चढ़ जा और दिखा अपनी मर्दानगी। मैं भी देखूं की आज तुझ में कितना दम है। देखती हूँ तेरा लण्ड कितनी देर मुझे चोद सकता है। जल्दी ढेर मत हो जाना। आज मैं पूरी रात तुझ से चुदवाना चाहती हूँ। तेरे में जितना दमखम है निकाल ले। पर हाँ, तु उस मेज के दराज में पीछे कण्डोम रखे हैं। उसमें से एक कंडोम अपने लंड पर लगा ले। मुझे डर है कहीं तू मुझे गर्भवती ना कर दे।”

संजय ने फटाफट एक कंडोम निकाला और अपने लण्ड पर चढ़ा दिया। अब संजय का लण्ड उस प्लास्टिक की टोटी में अजीब सा लग रहा था। मैं संजय से कोई लंबा सम्बन्ध नहीं रखना चाहती थी। मैं नहीं चाहती थी की उस रात की चुदाई मेरी जिंदगी में कोई गजब ढाए। मैं संजय को चुदाई का आनंद देना चाहती थी।

और कई महीनों से लण्ड की भूखी मेरी चूत की भूख मिटाना चाहती थी। बस इतनी ही बात थी। मुझ में और संजय के स्वभाव के बिच में बड़ा अंतर था। हमारी सोच अलग थी, हमारा रास्ता अलग था। संजय मेरी दोनों टाँगों के बिच आ गया। उसने मेरी टाँगें अपने कंधे पे रखीं और अपना लण्ड मेरी चूत के छिद्र पर रख दिया।

मैंने उसके लण्ड को अपनी उँगलियों में पकड़ा और अपनी चूत पर रगड़ने लगी ताकि मेरी चूत का द्वार और उसका लण्ड चिकनाहट से पूरी तरह स्निग्ध रहे जिससे संजय का लंड घुसने के समय मुझे ज्यादा तकलीफ ना हो। वैसे तो मेरी चूत में से मेरा स्त्री रस इतनी तेजी से रिस रहा था पर चूँकि संजय का लण्ड कंडोम में था इस लिए कंडोम को बाहर चिकना करना जरुरी था।

मैंने संजय को इशारा किया की अपना लण्ड वह मेरी चूत में डाल दे। संजय ने एक धक्का मारा और उसका लण्ड मेरी फड़कती चूत में घुस गया। इतनी सावधानी बरतने के बावजूद भी मेरी चूत में दर्द की टीस सी उठी। मेरी चूत का छिद्र छोटा होने के कारण मैं अक्सर चुदाई की शुरुआत में ऐसे ही परेशान रहती थी।

मेरी दर्द भरी कराहट सुनकर संजय थोड़ी देर रुका। पर मैंने उसे चुदाई करने का इशारा किया तो उसने अपना लण्ड बाहर निकाला और एक और धक्का दे कर उसे फिर मेरी चूत में घुसेड़ा। धीरे धीरे संजयने अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ दिया। काफी महीनों के बाद मेरी चूत में लण्ड को पाकर मेरी चूत तेजी से फड़कने लगी।

मेरी चूत के अंदर की नसें और स्नायु ने संजय को लण्ड को जकड लिया था। संजय के लण्ड को मेरी चूत की फड़कन शायद महसूस हो रही थी। यह उसे बता रही थी की मैं भी उससे चुदवाने के लिए कितनी बेताब थी। संजय के बड़े अंडकोष मेरी चूत और गाँड़ पर “छप छप” थपेड़ मार रहे थे।

जैसे ही संजय ने चोदने के रफ़्तार तेज की, मेरा बदन संजय के धक्कों से पूरा इतनी तेजी से हिल रहा था की मेरा पलंग भी इधर उधर हो रहा था। संजय एक अच्छा चोदने वाला साबित हो रहा था। मुझे काफी अरसे के बाद इतनी बढिया चुदाई का अवसर मिला था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

संजय में टिकने की क्षमता देख कर मैं हैरान रह गयी। मेरे पति मुझे चोदते समय ज्यादा से ज्यादा दो या तीन मिनट तक टिक पाते थे। पर संजय तो लगा ही रहा। कम से कम दस से पंद्रह मिनट तक जरूर अच्छी तरह उसने मुझे चोदा। मुझे संजय के लण्ड की चुदाई से इतनी उत्तेजना हो रही थी की संजय से पहले ही मैं दुबारा ढेर होने वाली थी।

पर मैं चाहती थी की मैं और संजय एक साथ ही अपना माल छोड़ें। मुझे संजय के माल छोड़ने की चिंता नहीं थी क्यूंकि मैंने उसे टोटी पहना रक्खी थी। मैंने संजय को निचे से ही ऊपर की और धक्का मारना शुरू किया। मैं संजय को जताना चाहती थी की मैं अब अपना पानी छोड़ने वाली हूँ।

संजय ने जब यह देखा तो उसने अपनी रफ़्तार और तेज कर दी। अब मैं उत्तेजना से तार तार हो रही थी। मेरा दिमाग उत्तेजना और रोमाँच से घूम रहा था। मैं जैसे उत्तेजना के सैलाब में उल्लास की ऊँची ऊँची मौंजों पर एक काबिल गोताखोर की तरह पाँव में लकड़ी की पट्टी लेकर चरम की ऊँचाइयाँ छू रही थी। मेरे जहन में एक ही गजब का धमाका हुआ और मेरा पूरा बदन जैसे तनाव से झकझोर हो गया। मैं कामोन्माद की चरम सीमा पार कर चुकी थी।

इसे भी पढ़े – बहन के हुस्न का दीवाना भाई 6

वह सम्भोग के चरम का उन्माद अवर्णनीय था। संजय कैसा भी हो, चुदाई का वह निष्णात था। मेरे छूटने के साथ साथ ही मुझे महसूस हुआ की उसकी टोटी में उसका गरम गरम वीर्य का फौव्वारा छूटा और वह थैली उसके माल से भर गयी। मुझे डर था की उसका वीर्य इतना ज्यादा ना हो की कहीं थैली ही ना फट जाए। अपना माल छोड़ कर संजय मेरे ऊपर ही निढाल होकर गिरा। अब मुझे उसके बदन का भार लगा। चुदाई के पागलपन में तो मुझे उसके वजन का एहसास तक नहीं हुआ था। उस रात मैंने संजय से मेरी कई महीनों की चुदाई की भूख शांत हो इतनी चुदाई कराई।

मैं उससे निचे रह कर एक बार तो एक बार उसके ऊपर चढ़ कर, एक बार मेरी पीछे से कुत्ता कुतिया जैसे तो एक बार टेढ़े होते हुए चुदाई करवाई। सुबह होते होते मेरी चूत सूझ गयी थी। मैं ठीक से चल ने की हालत में नहीं थी। पर मुझे संतोष था की मैंने मेरे पति की बेवफाई का उस रात पूरा बदला लिया। मेरे पति ने किसी और को चोदा था तो मैंने किसी और से चूदवाया। और एक बार नहीं, कई बार चुदवाया। उस रात के बाद मैंने संजय को दो बार देर रात घर पर बुलाया और उससे मेरी अच्छी तरह चुदाई कराई। मुझे अब अच्छा लगने लगा था।

ये Dehati Mard Chudai की कहानी मस्त लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ फेसबुक और Whatsapp पर शेयर करे………..

अपने दोस्तों के साथ शेयर करे-

Related posts:

  1. गर्म लड़की को पूरी तरह से शांत करने का तरीका
  2. बंजारन माँ बेटी को पैसे देकर पेला
  3. दोस्त की दीदी के घर सामूहिक संभोग
  4. भाभी की चूत में दो लंड एक साथ 1
  5. मजबूर बाप की खूबसूरत बेटी की चुद गई
  6. पत्नियों की अदला बदली कर सेक्स का मजा लिया

Filed Under: Hindi Sex Story Tagged With: Bathroom Sex Kahani, Blowjob, Boobs Suck, Hardcore Sex, Hindi Porn Story, Horny Girl, Kamukata, Mastaram Ki Kahani, Romantic Love Story, Sexy Figure

Reader Interactions

Comments

  1. Harish says

    अगस्त 17, 2024 at 8:08 पूर्वाह्न

    Mera land legi koi delhi se ho to msg kr 9380047970

Primary Sidebar

हिंदी सेक्स स्टोरी

कहानियाँ सर्च करे……

नवीनतम प्रकाशित सेक्सी कहानियाँ

  • Widhwa Makan Malkin Sex Ki Pyasi Thi
  • दीदी की चूत से खून निकाला चोद कर
  • Bhabhi Ke Bra Se Doodh Ki Mahak Aati
  • माँ बेटे ने टॉयलेट में डर्टी सेक्स किया
  • Bhabhi Ke Jism Ki Pyas Bujhai

Desi Chudai Kahani

कथा संग्रह

  • Antarvasna
  • Baap Beti Ki Chudai
  • Bhai Bahan Sex Stoy
  • Desi Adult Sex Story
  • Desi Maid Servant Sex
  • Devar Bhabhi Sex Story
  • First Time Sex Story
  • Girlfriend Boyfriend Sex Story
  • Group Mein Chudai Kahani
  • Hindi Sex Story
  • Jija Sali Sex Story
  • Kunwari Ladki Ki Chudai
  • Lesbian Girl Sex Kahani
  • Meri Chut Chudai Story
  • Padosan Ki Chudai
  • Rishto Mein Chudai
  • Teacher Student Sex
  • माँ बेटे का सेक्स

टैग्स

Anal Fuck Story Bathroom Sex Kahani Blowjob Boobs Suck College Girl Chudai Desi Kahani Family Sex Hardcore Sex Hindi Porn Story Horny Girl Kamukata Kunwari Chut Chudai Mastaram Ki Kahani Neighbor Sex Non Veg Story Pahli Chudai Phone Sex Chat Romantic Love Story Sexy Figure Train Mein Chudai

हमारे सहयोगी

क्रेजी सेक्स स्टोरी

Footer

Disclaimer and Terms of Use

HamariVasna - Free Hindi Sex Story Daily Updated