Bhabhi Sex Chat
मेरा नाम दोस्तों पंकज है, २८ साल का, मैं देखने में इतना भी बुरा नहीं हूँ, और हां मेरा कोई सिक्स पैक नहीं है, पर हा लड़कियो के पास से गुज़रु और उनका ध्यान ना जाये, ऐसा शायद ही होता होगा, उतना तो मेंटेन कर के रख्खा है… एक साधारण देखाव का मैं, अपना हथियार काफी बड़ा रखता हूँ। १०” लंबा और ३” गोलाई… Bhabhi Sex Chat
भाभी: मेरी भाभी का नाम प्रतिभा… मेरे भाई मुझसे ६ साल बड़े है। भाभी और भैया के बीच का आयु अंतर भी ६ साल होने की वजह से, मैं और भाभी हमउम्र है। क्या कहूँ भाभी के बारे मैं? भैया की शादी ५ साल पहले हुई थी, तब मैं जावानी में कदम रख चूका था, और लडकियो का गोरा कलर और अंग उपांग स्वाभाविक से मुझे अपनी और आकर्षित करते थे, वैसा ही भाभी के साथ हुआ था।
पहला रिएक्शन था की भैया की तो लॉटरी लग गई…. ५’६” की हाइट, बिलकुल मेरी हाइट जैसी… एक परफेक्ट फिगर जो होना चाहिए वही था। तब तो नही पता क्या साइज़ था पर आज कुल मिला के ३६-२४-३६ का परफेक्ट फिगर बना रख्खा है। हमेशा साडी पहनती है, पहले नही, पर अब घर में जितना डीप हो सके उतना डीप गले वाला ब्लाऊज़ पहनती है, साडी वैसे ही ट्रांसपैरंट होती है…
बहोत सारी लिंगरी भी खरीद की हुई है, कुछ तो मैंने ही दिलवाई है। अपने जिस्म पर उसे बहुत गुरुर है, और होना ही चाहिए उसे… क्योकि कई लोग उसे पाने की ख्वाहिश रखते है, और कई लोगो के साथ वो हमबिस्तर बनके उसकी प्यास बुजा चुकी है.. भाभी की परोपकारी भावना ही यह कहानी का मुख्य कारण बना है… पुरष का बिस्तर, पुरुष की इच्छा अनुसार गरम करना औरत का सबसे बड़ा कर्तव्य होता है … ऐसी भाभी की सोच है…
घर में ऐसे कपडे? हा तो मैं एक बात बताना भूल गया, मेरे माँ बाप बहोत पहले ही एक आकस्मिक घटना के शिकार हो कर कार एक्सिडेंट में भगवान् को प्यारे हो गए है… भैया की जब शादी हुई थी, तब माँ बाप ज़िंदा थे। और सिर्फ १ साल में ही हादसा हुआ और चल बसे। घर में भाई के ऑफिस जाने बाद, में भी कॉलेज चला जाता था।
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घर में भाभी अकेली ही रहती थी। पसंद आये ना आये पर यही होता था। भैया को ऑफिस जाना पड़ता था, सब जिम्मेदारी उनके ऊपर थी, और मैं तो ठीक कभी जाता था कॉलेज तो कभी नहीं। कॉलेज के दिन तो यही होता है ना….? पर माँ बाप के जाने का सदमा मुझे इस कदर लगा था के, मैं कॉलेज की परीक्षा में फ़ैल हुआ।
भैया कभी गुस्सा नहीं करते मुझ पर, और उस दिन भी नही किया, मुझे पास बिठा कर शांति से समझाया के संसार का यही नियम है। तुम्हे धक्का जरूर लगा है, मुझे भी लगा है, पर हमारे माँ बाप तभी सुखी होंगे जब हम कामयाब होके बताएँगे…. बात भी सही थी उनकी…
पर मेरा एक ही कन्सर्न था के भाई तो फिर भी ठीक है, रात को अपनी फ्रस्ट्रेशन निकाल देते होंगे, भाभी भी पूरा दिन भैया के लिए अपने आपको संवारती थी, और रात को भाई की बाहों में टूट के बिखर जाती थी। मैं भाई का बिस्तर गरम होते कई बार देख चूका था।
शायद चस्का लग गया था मुझे, भैया और भाभी की चुदाई देखने का। भाभी को नंगा देखने की तलब ऐसे खत्म होगी ये नही पता था मुझे। हर रोज़ भाई भाभी आगोश में लिपटे एक दूसरे को सुख देने में नही पर एक दूसरे से सुख लेने में लगे होते दीखते थे। भाई का चहेरा सुबह और खिल जाता था।
कई बार ये सवाल ध्यान में आता है, की कोई गुज़र जाए तो चुदाई करनी चाहिए या नहीं? मैं कहता हु के हा, मन हो रहा है तो कर ही लेनी चाहिए तो ही आपका दिमाग शांत रहेगा और लड़ने की ताकत मिलती रहेगी… तो यही बात थी जो मुझे खटक रही थी की, अब मेरा कौन… मुझे कई बार खयाल आता था के मैं रंडी बाजार चला जाउ। और अपनी वासना को शांत कर दूँ।
पर ये इतना आसान नही होता। तो बस मैं शांत होने लगा, और शांत, और शांत… भैया ने मुझे छूट दे दी थी की अगर एक साल ड्रॉप लेना चाहते तो ले सकते हो और घूमने जाना चाहते तो वो भी कर सकते हो… मानसिक सपोर्ट भैया और भाभी दोनों दे रहे थे… पर शायद मुझे शारीरिक सपोर्ट चाहिए था…. भैया वैसे सब समजते थे, क्योकि वो शादीशुदा थे…. एक दिन की बात है, मैं कॉलेज नहीं गया था, और भाभी मुझसे बाते कर रही थी अचानक मुझसे पूछा-
प्रतिभा: भैया आपके कोई फ्रेंड्स नहीं है क्या जहा आप अपने दिल की बाते शेयर कर सको? (वो मुझे रिश्ते के कारन भैया बुलाती थी)
मैं: हा है तो सही भाभी पर सब मतलबी होते है, कुछ कुछ लोग सही भी है, जो मेरी केर करते है, पर ठीक है, मैं दुरिया बनाता हूँ।
प्रतिभा: ऐसा क्यों भला? जब तक जानोगे परखोगे नहीं तब तक कैसे पता चलेगा?
मैं: हम्म बात तो सही है आपकी.. ठीक है मैं कोशिश करूँगा।
यही वार्तालाप मेरे हसीन पलो को दस्तक देंगी ये पता नहीं था… मैं अपने दोस्तों से मिलने लगा… सब के साथ मस्ती मारने लगा… अच्छा लगा और में नेक्स्ट परीक्षा में पास भी हुआ !!!!! में मन से खुश रहने लगा था… दोस्तों के साथ बात करता तो पता चला के सब कोई न कोई लड़की पे मरता है कैसी फेंटेसी लेके बेठे है, एक अजीब रोमांच देता था, पर वासना को और भड़का रहा था…
मिलके अब हम सिर्फ ५ फ्रेंड्स है…. मयूर, अभिनव, संजू, हेमंत और मैं… मयूर के पापा बहुत बड़े बिजनसमैन थे, अभिनव के पापा किराने की दुकान थी, संजू के और हेमंत के पापा मजदुर थे तो लॉन लेकर पढ़ते थे… पर हमारे बिच पैसा नही था, बस विश्वास और प्यार था… उसीके कारन दोस्ती इतनी गहरी हुई थी… इक बार हम पांच जन बैठे थे और शांति से मोबाईल में देख रहे थे के, वासना से अँधा मैं बोल पड़ा…
मैं: मैंने अपने भाई भाभी की चुदाई देखी है…
थोडा सन्नाटा जरूर हुआ पर…
मयूर: भाई ठीक है पर ये क्या बोल दिया तूने?
मैं: नहीं पता शायद मैं अपनी भाभी को….
मयूर: (बात काटते हुए) प्यार करने लगा है?
मैं: शायद हा….
मयूर: क्या वो जानती है?
मैं: नहीं… क्योकि अभी तक मैं ज़िंदा जो हूँ…
संजू: पर ये गलत है…
मैं: पर क्या करू? पोर्न देखो भाभी देवर, वार्ता पढ़ो भाभी देवर… सब जगह भाभी देवर… और ये एक ही तो औरत है तो मेरे सब से करीब है…
सब शांति से सुन रहे थे मैं बोले जा रहा था…
मैं: सुबह उठो… एक चाँद सा चहेरा नज़र आता है… घर में पायल की आवाज़ खन खन करती रहती है… पसीने से लथबथ जब उसकी कमर दिखती है तो होश खो बैठता हूँ। पूरा दिन काम करके आराम करे तो जब सोती है तो बाहे और तड़पाती है… उसके छाती के उभार… और ब्लाउज़ के हुक पर आते प्रेशर कुछ अलग सा रोमांच पैदा करती है…
कपडे धोती है तो भीना बदन मेरे अंदर आग लगा देता है… रात को भैया की बाहो में देखता हूँ, कितनी शिद्धत से अपने आपको भैया को समर्पित कर के अपने बदन पे गुमान करना… बड़ी बड़ी चुचिया को इस कदर भैया को हवाले करना के जैसे एक बच्चा खिलवाड़ करता हो और दर्द का पता भैया को पता नहीं होने देना…
भैया के लिए अलग अलग आवाज़ करके और उत्साहित करना…. लंड मुँह में इतना अंदर लेना के मानो भैया के पास लंड हे ही नही… एक मर्द को कैसे खुश करना है… ये प्रतिभा भाभी अच्छी तरह से जानती है… भैया घर में दाखिल होते ही अगर ब्लाउज़ के अंदर हाथ न डाले तो उसे भी चैन नहीं पड़ता….
मैं ये भावना में बह कर कुछ भी बोले जा रहा था क्योकि वो मेरे दोस्त थे… और वो सब चुपचाप मुझे सुने जा रहे थे…. मैं कुछ अलग ही दुनिया में खोया हुआ था उस वक़्त… मैं किसके बारे में क्या बोल रहा था कुछ ख़याल नही था…. और तो ठीक किसी और के सामने?
ये वो ख़याल थे जो मेरे दिमाग में घूम रहे थे, जो हर रोज़ हिलाके बहार निकलता था… आज मुह से बोल बन के बहार निकल रहे थे…. मैं आगे बोले जा रहा था और कोई भी मुझे रोक नहीं रहा था… क्योकि सब कोई अपनी पेंट की ताकत नाप रहे थे…
मैं: जब भैया उनपे चढ़ते है… तो अपनी बाहें फैलाकर उनका स्वागत ऐसे करती है जाने वो उनको खुद में समां लेंगे… कोई भी भूखा शिकारी भेड़िया बन जाए वैसे ही उस पर टूट सकता है…. डोगी स्टाइल हो, या अमेजॉन स्टाइल हो… या फिर मिशनरी पोज़िशन हो… वो भैया का स्वागत इस कदर करती है…
जैसे भैया महसूस करता है.. की सिर्फ वही उनका मालिक है। एक लडके को और चाहिए भी क्या…? आखिर उस मल्लिका का शहज़ाद ए मालिक वो अकेला ही तो है… पूर्ण स्त्री है वो…. अब अचानक मेरा ध्यान टुटा… मुझे ख़याल आया के ये मैं क्या बोल गया… सब मुझे देख रहे थे… सब के मुह पर वासना के कीड़े थे… वहिषी बन चुके है… कुसूर मेरा है… मैं ही अपनी भाभी को सरेआम नंगा कर रहा हूँ…
संजू: उहू… उहू… भाई… कहा हो आप? क्या हो गया आपको?
मैं: एम्म्म… कुछ नहीं… अरे चलो ना बाहर जाते है…
और हम सब एक साथ बाहर निकल गए… उस दिन हमने एक दूसरे के साथ कुछ कम ही बाते की… पर मैंने अपना दिमाग सब के दिमाग मैं फिट कर दिया था… चारो लोग मेरी मरजी की राह देख रहे थे ताकि वह भी मुझे साथ दे सके अपने खयालो में… वहा एक प्यारा सा कबूतर (मेरी भाभी) इन सब चीज़ों से अनजान भैया के निचे आके संसार का सबसे हसीन सुख देने में लगी थी….
मेरी भाभी को घूरने की हिम्मत बढ़ती जा रही थी… मैं घूरे जाता था… उनकी आँखे बयां करती थी के उसे पसंद नही आता है… पर मैं अपने आपको कंट्रोल कर ही नहीं पाता था…. मैंने फिर एक बार हिम्मत जुटा कर अपने दोस्तों के बिच बात निकाली….
मैं: दोस्तों… उस दिन मैं कुछ भावना मैं बह गया था। पर मुझसे रहा नहीं गया, कोई मेरी हेल्प कर सकता है क्या?
हेमंत: कहना क्या चाहते हो?
मैं: मैं भाभी को चोदना चाहता हूँ…
(सब एक दूसरे को तके हुए थे, क्या बोलते?)
मैं: मैं भाभी को बस पाना चाहता हूँ, और मसलना चाहता हूँ
मयूर: तू जनता भी है तू क्या बोल रहा है?
मैं: हा…
अभिनव: पर ये होगा कैसे…?
मयूर: क्या भड़वे क्या बके जा रहे हो तुम लोग… ये मुमकिन नहीं है…
मैं: पर मुझे बनाना है…
मयूर: तो तूने कुछ सोचा है… जो हमसे तू छुपा रहा है…
मैं: हा कुछ चल तो रहा है….
थोडा पीछे जाते है… मैं भाभी को तके जा रहा था… और भाभी ने मुझे ३-४ बार ऐसे ही पकड़ा…
भाभी: क्या देख रहे हो…
मैं: कुछ नहीं बस ऐसे ही… आप थक जाते होंगे दिनभर नहीं?
भाभी: तो?
मैं: बस ऐसे ही…
भाभी: थोडा पढाई पर भी ध्यान दो…
मैं: देंगे… धीमे धीमे…
भाभी: कुछ अलग दिखने लगे हो… भैया… आपके भैया को बोलना न पड़े ध्यान रखना…
मैं: अरे भाभी… बता दीजिएगा… क्या फरक पड़ता है…
उस रात भैया जब भाभी को अपने निचे ला कर घबाघब पेल रहे थे, भाभी शायद उसके वीर्य निकलने की राह देख रहे थे शायद… हमारे दोनो भाइयो के कमरे में अंतर नहीं था… बाल्कनी से आप भैया भाभी की सम्भोग रस का आनंद ले सकते थे… आवाज नहीं सुनाई दे सकती थी… पर उस दिन मैंने उनके रूम में मैंने एक पुराना फोन रखा था जिसमे सब रेकॉर्ड हो जाए… दूसरे दिन तक वो चालू रहा २२ घंटे तक पर मैं सिर्फ काम की बाते आपको सुनाऊँगा….
भैया भाभी रूम में गए रात को….
भाभी: आह… एक मिनिट…
भाई: रहा नही जाता… मेरी रांड….
भाभी: हा मेरे मालिक आप ही का है… पर आज तैयार होउ के बस ऐसे ही?
भाई: नंगी ही तो होना है.. मैंने बोला है न की.. जब मैं अंदर आ जाऊ तब अगर तैयार हो चुकी है तो ठीक है, मैं इंतज़ार बरदास्त नहीं कर सकता…
भाभी: तो फिर… आउच… धीमे… आप ही की हूँ….
भाई: खा जाऊंगा आज तो…
भाभी: बस… आह… उम्म्म्म्म… आउच… हर रोज़… आह… बोलते हो… और… आह… उम्म्म्म्म… एक छोटा सा लव बाइट भी तो नहीं देते…
भाई: पण तुम्हे पसंद नही है ना इसलिए….
भाभी: पर तुम्हे तो है… आज मैंने आपके लिए कोई तयारी नहीं की… आज सजा के दौर पर एक लवबाइट दे देना…
भाई: कहा दूँ?
भाभी: जहा मर्जी करे आपकी… आ…..उ….च…. अरे बूब्स पर नही… आह…. उई माँ….काट दिया….सच में?
भाई: हा मिलेगी सजा जरूर….
भाभी: आप खुश है ना?
भाई: हा…
भाभी: दीजिये कोई बात नहीं…
फिर आवाज़ नहीं आई तकरीबन ३० मिनिट तक, पर आह आह आउच और प्यार भरी अलग अलग आवाज़े आती रही… पलंग की किचुड़ किचुड़ आवाज़ भाभी की घिसाई का प्रमाण देती रही… जो मैं कल रात को देख चूका था वो आज मैं सुन रहा था…. और वासना शांत हुई…
भाभी: आज क्या हुआ था आपको?
भाई: बस मज़ा आ गया…
भाभी: खुश है ना आप?
भाई: हा, बहोत खुश हूँ…
भाभी: एक बात बोलुं?
भाई: हा बोलो
भाभी: मुझे एक बात खटक रही है…
भाई: क्यों क्या हुआ?
भाभी: मैं कुछ बुरा नहीं चाहती पर…. भैया… लगता है की भैया मुझे अच्छी नज़रो से नहीं देखते…
भाई: क्या बकवास कर रही हो?
भाभी: देखो आप गुस्सा मत हो पर ऐसा मुझे लगता है…
भैया काफी देर तक चुप रहे… और बोले…
भैया: तुम क्या चाहती हो..?
भाभी: मैं कुछ चाहती नहीं हूँ बस आपके ध्यान में लाना आवश्यक था तो बोल दिया…
भैया: इग्नोर करो… या फिर तुम खुद बात करो… मैं बिच में पडूंगा तो भी तेरा ही नाम आएगा… और गन्दा लगेगा… अगर तुम बात करोगी तो मेरे डर के कारण अगर ये हो भी रहा है तो नहीं होगा… क्या कहती हो…
भाभी: मुझे वैसे शर्म तो आएगी पर ये बात मुझे ठीक भी लग रही है…
ये जानकारी आप लोगो के लिए जरुरी थी जाननी… इसी की बलबूते पर मैं ये मेरे फ्रेंड्स को बता रहा था की काफी कुछ होने के चांसिस है… मैंने ये बाते मेंरे दोस्तों को भी बताई… कोई बोलना नही चाह रहा था पर सबके मनमे भाभी के लिए लड्डू फुट ने लगे थे….
मेरे दोस्तों के लिए तो जो मैं बोल रहा था वो सपना लग रहा था… सब बोले के आल ध बेस्ट…. मेरा मेरे भाभी को घूरना चालू रहा… खास करके बूब्स और गांड… इतनी इठलाती थी वो की बस मुझे जानबूझकर देखने की कोशिश करनी नही पड़ती थी… मेरी आँखे टिक जाती थी ऐसे ही…
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एक दिन भाभी: पंकज तुम मुझे यु घूरना बंध करोगे?
मैं: क्यों? क्या हुआ?
भाभी: मुझे शर्म आती है और ये सही भी नहीं है… मुझे आपके भैया से बात करनी पड़ेगी…
मैं: कर दो… ज्यादा से ज्यादा ज़ग़ड़ा होगा और क्या?
भाभी: क्यों कर रहे हो ऐसा?
मैं: भाभी… प्यार करने लगा हूँ आप से…
भाभी: (एकदम गुस्सा होकर) क्या घटिया बोल रहे हो… समज नहीं आता की क्या बोल रहे हो?
मैं: (भाभी का ये स्वरुप देखकर मैं डर तो ज़रूर गया और भैया का ख्याल आने पर थोड़ी फ़टी तो पड़ी थी मेरी पर) जाओ मैं आपसे बात नहीं करता…
(ये था उल्टा चोर कौतवल को डांटे)
भाभी: ले भला… क्यों? गलती आप कर रहे हो और….
मैं: और नहीं तो क्या… दिन भर मेरे साथ ही रहती हो मेरी पास ही रहती हो.. मेरी कोई गर्ल फ्रेंड भी नहीं है… तो फिर आपसे प्यार युही हो गया… क्या करू.. हम हमउम्र भी है… मैं तो आखिर जवान हूँ… जो करना है करो… मुझे नहीं पता क्या गलत है और क्या नहीं… ये में सच में अपने दिल की बात बोल रहा था… मैं सच में इमोशनल हो गया और रो ही पड़ा…. मैं फ़साना जरूर चाहता था… पर… इमोशनल हो चूका था….
भाभी: देखो पंकज भैया ऐसे नही रो आप… मैं पानी लाती हूँ…
मैं: भाभी मुझे पानी नहीं प्यार की जरूरत है…
भाभी: क्या मतलब? (गुस्सा आश्चर्य दोनों भाव साथ थे इसमें)
मैं: मतलब कुछ नहीं भाभी मैं बस प्यार चाहता हूँ, क्या मैं आपको प्यार नहीं कर सकता? क्या गलत है? (मेरा रोना चालू ही था)
भाभी: पर… पर ये गलत है… प्यार हम भी आपसे करते है, पर आपकी भावनाए कुछ अलग बयां कर रही है… जो मुमकिन नहीं है…
मैं: भाभी… क्यों गलत है एक कारन बताओ…
भाभी: (मक्कमता से बोली) गलत है मतलब गलत है… और आइन्दा मुझसे बात मत करना…
मैं फिर चला गया वहा से… पर अब मेरा काम था के भाभी भैया को अपडेट क्या देते है? हररोज़ मैं रेकॉर्डिंग् लगाता था और सुनता था, मेरा भाभी को ज़ाखना चालू था… भाभी इग्नोर करती थी… एक दिन एक रेकॉर्डिंग् में जब भैया भाभी का सम्भोग खत्म हुआ भैया ने भाभी को सामने से पूछा
भैया: पंकज से कुछ बात हुई क्या उस बारे में?
भाभी: (थोडा हिचकिचाके बोली) नही.. हा एक बार हुई थी, वो बस ऐसे ही खो जाता है सोच विचार में वो क्या करता है उसे नही पता… इमोशनल है न…
भैया: ह्म्म्म तुम खामखा डर रही थी… ऐसे तू है ही मस्त माल किसीके भी पेंट का घण्टा बजवा सकती हो.
ऐसा कह कर दोनों हसने लगे और उस दिन भाभी ने भैया को शायद और एक बार अपना शरीर सोपा, जिसके शायद भैया ने बहोत मज़े लुटे होंगे… मैंने भाभी को बुलाना बंद कर दिया था… मैं नज़रे चुरा रहा था। मैं बाते भी नहीं कर रहा था… मानो जैसे मैं उससे नफरत करता हूँ। भाभी को यह बरदास्त नही हो रहा था…. एक दिन….
भाभी: क्या है पंकज भाई, क्यों इतना गुस्सा है आप हमसे?
मैं: कुछ भी तो नहीं…
भाभी: तो क्यों नहीं बोलते?
मैं: बोलता हूँ तो आप गुस्सा हो जाते हो, नही बोलता तो भी प्रॉब्लम?
भाभी: पर आप जो बोल रहे हो वो गलत है, वही बोलो न जो सही है?
मैं: मुझे जो सही लगा है वही बोला है
भाभी: क्यों सब कॉंप्लिकेशन्स खड़ी कर रहे आप?
मैं: क्या कर रहा हु? क्या हुआ आपको अब? इसीलिए तो दूर रहता हु.. आप क्यों कॉंप्लिकेशन्स करना चाहती है…
भाभी: पंकज भाई…
मैं: मैं आपसे नजदीक रहूँगा तो बिना प्यार किये नहीं रह पाउँगा। आप मुझसे दूर ही रहे…
भाभी: बैठ के बात करे?
मैं: हा बोलिए…
भाभी: देखो पंकज भाई ये गलत है… दुनिया भी क्या सोचेगी?
मैं: अरे मैं कुछ करने को थोड़ी बोल रहा हूँ? प्यार करता हूँ वो बता रहा हु!
भाभी: पहेली बात ये सब सिर्फ प्यार तक नहीं रह सकता, वो आगे बात बढ़ ही जाती है… और दूसरी बात ये सब को पता चले तो पता भी है क्या हो सकता है?
मैं: (उसीकी बातो पर मैंने पकड़ा) भाभी, सुनो मेरी बात, ज़माने को बताने जायेगा कौन?
भाभी: आपके भैया को मैं धोखा नहीं दे सकती…
मैं: आप बहोत आगे की सोच रही है भाभी। इतना तो मैंने भी नहीं सोचा। एक गर्लफ्रेंड नहीं बन सकती?
भाभी: (थोडा सोचकर) सिर्फ गर्लफ्रेंड तक ही हा पंकज, और कोई उम्मीद मत रखना।
मैं: अरे भाभी उम्मीद पे तो दुनिया कायम है… पर मंज़ूर?
भाभी: हा पर एक शर्त पर… ये बात की किसीको भी भनक नही लगनी चाहिए, और हमारे बिच ये आप आज से, अभी से बंध ओके?
मैं: तो क्या नाम से बुलाऊ?
भाभी: हा पर सिर्फ अकेले हो तब ही!
मैं: तो तुम भाई या भैया नहीं ओके?
भाभी: ओके डील!
मैं: एक हग तो देती जाओ हमारे नए रिश्ते पर…
भाभी: नही। क्या मजाक कर रहे हो?
मैं: क्यों? गर्लफ्रेंड है तू मेरी, अगर गर्लफ्रेंड की तरह नही रह सकती तो फिर जो चल रहा था चलने दो…
भाभी: तू बाज़ नहीं आएगा ठीक है चल आजा….
ये था मेरे और मेरी प्यारी भाभी के बिच का पहला जिस्मानी टच… आज तक सिर्फ हाथ मिले थे… आज उसका जिस्म मेरे जिस्म को छूने जा रहा था… बस यही एक सोच थी के साले किस मादरचोद ने कपडे बनाये थे… आहाहा क्या बयां करू और कैसे करू? ब्लाउज़ के पीछे का भाग, माने पीठ वाला भाग… जहा मैं ब्रा के हुक छु सकता था। मेरा हाथ जैसे ब्लाउज़ के निचे हिस्से के कमर तक पहोचा के भाभी ने रोक दिया….
भाभी: पंकज…
मैं: थैंक्स… ये कुछ अलग ही आनंद था.. भैया काफी लकी है…
भाभी: (शर्मा गई) वेलकम…
उस दिन के बाद मैं भाभी से एकदम गर्लफ्रेंड की तरह बिहेव करता था। यहा वहा छु लेता था। कंधे पर हाथ रख के थोडा दबा लेता था। कभी गले मिल के उनके बूब्स को मेरी छाती मैं भीच देता था। भाभी कुछ नही बोलती थी तो मैं पूरी छूट ले लेता था… एक दिन… ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं: प्रतिभा तेरी साइज़ क्या होगी?
प्रतिभा: क्या साइज़?
मैं: अब ज्यादा बन मत, जल्दी बता चल…
प्रतिभा: यह कुछ ज्यादा नहीं हो रहा बच्चू?
मैं: नहीं मैं अपनी गर्लफ्रेंड को ब्रा पेंटी का सेट गिफ्ट करना चाहता हु, पहेली बार है इसीलिए पूछ रहा हूँ… बाद में नहीं पूछूँगा।
प्रतिभा: नहीं.
मैं: अरे बोलना…
प्रतिभा: बोला ना नहीं मतलब नहीं.
मैं उठा और उनके रूम में जाने लगा…
प्रतिभा: अरे अरे कहा जा रहे हो…
मैं: ब्रा पेंटी लेने साइज़ चेक करने…
प्रतिभा: तो तुम नहीं जाओगे? रुको वही रुक जाओ मैं कहती हूँ!
मैं: मैं सुन रहा हूँ…
प्रतिभा: ३४-२४-३४.
(सोचो ये पिछले सालो मैं कमर के अलावा दोनों दो दो इंच बढ़ चुके है.)
मैं: थेंक्स…
प्रतिभा: क्या गिफ्ट कर रहे हो?
मैं: ऑनलाइन शॉपिंग कर रहा हूँ। कल तक घर आ जायेगा। भैया खुश ना होवे तो मैं अपना नाम बदल दूंगा…
प्रतिभा ने थोड़ी सी स्माइल थी और शर्मा के हंस दी… अगले दिन भाभी को यह सरप्राइज़ मिला… और भाभी का रिएक्शन…
भाभी: ओ हीरो ये क्या है?
मैं: मज़े करो और कराओ और क्या…
भाभी: इसमें सिर्फ रस्सियां है… क्या है ये…?
मैं: मैं पहनाऊँ?
भाभी: शट अप…
मैं: प्रतिभा एक काम करता हूँ मैं तुजे एक फ़ोटो भेजता हूँ तो पता चलेगा…
भाभी: ठीक है… तेरा भाई पूछेगा तो क्या बताउंगी?
मैं: बोल देना के मैंने दिए थे…
भाभी: तेरा भाई जान से मार देगा…
मैं: बोल देना आज आप के लिए एक नई डिश पेश करती हूँ…
उत्साह उत्साह में कुछ् ज्यादा ही बोल गया… भाभी ने नॉट किया और बोले…
भाभी: एक मिनिट तुजे क्यों इतनी सारी खबर है?
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मैं: (मैंने बात को अच्छे से संभाला) क्यों ऐसा नहीं होता क्या? ऐसा तो होना ही चाहिए… एक मिनिट इस का मतलब आप के बिच ये होता है…
भाभी: धत्त… तुम भी ना…
मैं: (तब तक मैंने उनको मेसेज भेज दिया था की ये लिंगरी का करना क्या है) मेसेज चेक कर लेना…
भाभी: ठीक है…
भाभी अपने रूम में चली गई…. और मेसेज चेक किया और रिप्लाय आया।
भाभी: हाय दय्या। इसमें क्या पहनू?
मैं: मदद कर दू?
भाभी: शट अप। फिर वही बात?
मैं: इसमें पहनने जैसा है क्या? इसे सिर्फ लगाना बोलते है।
भाभी: वही तो… तुम तो जितना सोचे थे उससे भी ख़राब हो.. ऐसा ही सब करते हो क्या? फ़ैल का कारन अब पता चला…
मैं: चिल मार और ये सोच के भैया को खुश कैसे करना है…
भाभी: वो तुम मुज पे छोड़ दो…मैं एक्सपर्ट हु…
मैं: वाह वाह… वो तो होना ही चाहिए… एक औरत अगर एक मर्द को अगर खुश नहीं कर सकती तो वो औरत नहीं है…
भाभी: हा… अब बस ओके?
मैं: मैं कुछ् गलत लिखा क्या?
भाभी: हम भले ही फ्रेंड्स है पर एक रिश्ता भी है, छूट दी है तो इस नहीं है की कुछ भी करो…
मैं: भाभी चैट पर तो आप थोडा खुलके बात करो… चलो बोलो मैं क्या कुछ गलत बोला?
भाभी: ह्म्म्म ठीक है… हा तुम सच बोले, ज़माना कुछ भी बोले, पर औरत की इज़्ज़त तब तक ही है जब तक वो एक पुरुष के निचे दबी हुई है…
मैं: वाह…. ये हुई ना बात… मेरी भी यही सोच है…
भाभी: ह्म्म्म, एक पुरुष की तो होगी ही ना…
मैं: पर तब ही तो आपकी इतनी इज़्ज़त मिलती है… भैया भी इतनी इज़्ज़त करते है आपकी? यह सच नहीं?
भाभी: हा सच ही तो है…
मैं: ओके तो आज फिर एक बार तू भाई के निचे दब जाना और अच्छा सम्मान ले लेना, और हा कल रिव्यू ज़रूर देना…
भाभी: बदमाश… मैं तो हर रोज़ तेरे भाई निचे दब ही जाती हूँ ओके?
मैं: हा तो तुजसे शादी करने की एक वजह यह भी तो होगी की तू उसके निचे आये…
भाभी: मेरी भी तो सोच है?
मैं: अच्छा सच सच खुला बोल क्या कहना चाहती है? तू खुश नहीं है क्या?
भाभी: खुश तो मैं हूँ। मेरी सोच भी यही है… के कोई भी औरत हो… चाहे कितनी भी आगे निकल क्यों ना जाये… पर घर पे राज करना है तो कमरे मैं गुलाम बनके ही रहना चाहिये… कही घुटने अगर ना टिकाने हो तो रात को घुटने टेकने ही चाहिए… कहीं न झुकने वाली औरत को रात को पति जिस तरह झुकाए जुक जाना चाहिए… मर्द का पेट और पेंट अगर औरत ख्याल करती है तो मर्द लट्टू हो ही जाता है और उंगलियों पर नाचता ही है…
मैं: बस बस मेरे पेंट का ख्याल करने वाला कोई नहीं है.. शांत…
भाभी: क्यों बोल रहा था ना के चैट पर छुट लेनी है…
मैं: ओके पर बाद मैं मुकर मत जाना…
भाभी: डील
मैं: ठीक है… तो तेरे को पसन्द क्या सबसे ज्यादा? निचे सोना? घुटने पर बैठना या जुक जाना?
भाभी: जो भी तेरा भाई जब भी बोले
मैं: एक परफेक्ट औरत
भाभी: जरूर से..
भैया तब ही आ गए… और भाभी उनकी सेवा में लग गए… मैं अब रेकॉर्डिंग् नहीं करता था और आज कुछ नया था तो पूरा कमरा बंध था तो कुछ दिखाई नहीं दिया… दूसरे दिन
मैं: भाभी बहोत चमक रही हो…
भाभी: (हँसके) मेसेज में बात करेंगे…
ये तो पता चल गया था के भाभी अब मुझसे कंफरटेबल तो होती थी पर मेसेज में… ताकि नज़रे मिलाने न पड़े… खैर आगे…
भाभी: हाई…
मैं: हा तो जवाब दो…बहोत चमक रही हो…
भाभी: बर्तन घिस घिस कर ही उजले होते है…
मैं: हा हा हा हा क्या आप बर्तन हो?
भाभी: हा हा हा.. पर क्या बोलुं इससे आगे?
मैं: ठीक है… कैसा लगा भैया को?
भाभी: बहोत अच्छा। पागल हो गए थे कल… पूरी रात वही पहनाये रख्खे…
मैं: हा तो पहनने के लिए तो थे…
भाभी: हा… ओके तुम नहीं समजोगे…
मैं: मममम ओके ओके भाई ने सोने नही दिया था हम? क्या किस्मत है सके की…
भाभी: अच्छा सुन कल के लिए थेंक्स.. और तेरे भैया कह रहे थे के मुझे ऑनलाइन और शॉपिंग करनी चाहिये…
मैं: ह्म्म्म्म तो सीधा सीधा बोलो ना के आर्डर कर दूँ? मेरी चीज़ों को इस्तेमाल करके आप भैया को खुश करते है, और भैया आपको इस्तेमाल करके आपको खुश करते है… मेरा क्या?
भाभी: बच्चू तेरी भी शादी होगी टेंशन मत ले… और हा… इस्तमाल मतलब?
मैं: मतलब आप यूज़्ड हो…
भाभी: तो मैं क्या पुरानी हु?
मैं: अरे ओये… तू बुलवा मत मुझसे…
भाभी: बोल मुझे सुनना है…
मैं: ठीक है तेरी मर्जी… तू सील पैक नही है.. तू यूज़्ड है… औरत जितनी यूज़्ड बार बार होती है उतनी ही दमक बढ़ती जाती है… जितना ज्यादा यूज़्ड होती है उतनी ही और निखरती है… पोर्नस्टार देखे है ना?
भाभी: ह्म्म्म तो तू मुझे ये नज़र से भी देखता है?
मैं: हा। पर हम इससे आगे नहीं बढ़ेंगे बातचीत में जैसा तय हुआ था…
अब मैं यह चाहता था के नियम वो तोड़े…
भाभी: ठीक ही है…
मैं: मुझे सोच समज कर कोई गिफ्ट दे देना… मेहनताना है… मैं कल एक और लिंगरी ऑर्डर करूँगा तू बैठना मेरे साथ वही मेरा इनाम है…
भाभी: ओके डील….
दूसरे दिन भैया के जाने के बाद…
मैं: चल आजा… आज एक और चीज़ दिखाता हु जो देख कर भैया और खुश हो जाएंगे
भाभी: आई पांच मिनिट में.
और अब हम साथ बैठ कर सर्च कर रहे थे… मेरा पेंट तो वैसे ही बड़ा होते जा रहा था लैपटॉप गोदी में होने की वजह से ऊपर निचे हो रहा था पर हम दोनों ने इग्नोर किया और एक मस्त लिंगरी फाइनल की जो पहले भाभी तैयार नही थी पर फिर मान गई… तो अब लिंगरी का ऑर्डर हो चूका था… जिस दिन मिला उस दिन भाभी बहुत एक्साइट थी। उसे रात का इंतज़ार था… मैंने भी चैट पर उसे काफी समय खिंचाई की…
मैं: क्या भाभी? पहन लिया क्या? आई मीन पहन के देख लिया क्या…
भाभी: शट अप… मैं क्यों बताऊ?
मैं: भाभी सजेशन मैं दे रहा हूँ, मेरा फायदा कुछ?
भाभी: देखते है बाद में…
मैं: भाभी आपकी एकाद फोटो ही दिखादो अटलिस्ट…
भाभी: धत्… आगे मत बढ़…
मैं: चलो भैया आते ही होंगे… मज़े करो और कराओ…. लकी फेलो…
भाभी: ओके बाय…
मैं: कल देर से ही उठना.. मैं नास्ता बहार कर लुगा…
भाभी: हा हा हा देखते है…. अब बाय….
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दूसरे दिन भाभी और भी खुश दिखी… और भी दमक रही थी… चहेरे से स्माइल हट ही नहीं रही थी… हा चलने मैंने महसूस किया की दिक्कत हो रही थी उसे… मैं अब मस्ती सामने बैठ के करना चाहता था, ताकि और मस्ती मस्ती में ही बात आगे बढ़ाई जा सके… मैं भी भाभी से वही सुख हासिल करना चाहता हु जो अभी भैया कर रहे है…. इसिलये मैं चैट पर ही बात जारी रख्खी…. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं: क्या भाभी चलने मैं दिक्कत? हा हा हा…
काफी देर बाद रिप्लाय आया… पर मैं ये सब नहीं बताऊंगा अब… क्योकि कई बार ऐसा होता है की उसको घर का काम निपटाना होता है…
भाभी: मत पूछो…
मैं: निचला हिस्सा सही सलामत?
भाभी: नहीं… अगला पिछला या ऊपर का कुछ भी सलामत नही.. फुरजा फुरजा ढीला पड़ गया है… हा हा हा…
मैं: ये तो आपका फ़र्ज़ था…
भाभी: हा तो मेरे चहेरे की ख़ुशी नहीं देखि?
मैं: भाभी… आप सच मैं महान है… हर कोई आपसे… छोड़िए चलो बाय…
भाभी: ओहो… फिर से वही बात?
मैं: मैं कितना लिख लिख के बोलुं?
भाभी: हा चलो आओ हॉल में आके बात करते है…
मैं: ठीक है…
अब हम सामने बैठ के बाते कर रहे है….
भाभी: हा बोलो…
मैं: कुछ नहीं…
भाभी: अरे बोल ना… चल तुजे बहोत बड़ा थेंक्स, तूने मुझे तेरे असली भैया वापस दिला दिए…
मैं: हा तो मेरा क्या…
भाभी: ओफो तेरी भी शादी होगी और तुजे भी मजे मिलेंगे और तुजे भी सरप्राइज़ मिलेंगी, तू मुझे सीखा तब मैं तेरी बीवी को सिखाउंगी…
मैं: बस बस मुझे तो आता ही है… सब तो मैं ही सीखा रहा हूँ… तो मेरे लिए तब वैसे भी क्या सरप्राइज़ रहेगा?
भाभी: अरे इतना ही नहीं होता… बहोत कुछ होता है…
मैं: और कुछ? और क्या? लड़की निचे आती है… झुकती है और आगे-पीछे से मज़ा देती है… ऊपर भी मज़ा देती है…. और क्या?
भाभी: (वो लाल हो गई थी… क्योकि पहली बार आमने सामने बात हो रही थी) अरे बस बस… तो फिर मत करो न शादी भी? हा हा हा… सब पता ही है… और तो फिर क्यों मुझे भूखे भेड़िये की तरह देखते हो?
मैं: मैं सरप्राइज़ के बारे में बात कर रहा हूँ जो मुझे नही मिल सकता, जो मैं ऑलरेडी जानता हूँ… बाकी ये किसी का अनुभव मुझे थोड़ी है? वो थोड़ी मिला है? मैं सरप्राइज़ बोल रहा हूँ….
भाभी: अच्छा बाबा ओके… और कोई टिप्स?
मैं: क्या आज रत के लिए?
भाभी: हा….
मैं: मैं तो कपड़ो के बारे जानता था वो मैंने बताया… अलग अलग और लिंगरी ले सकते है पर कुछ अलग करना चाहिए बिच बिच में…
भाभी: बात तो पक्के खिलाडी की तरह कर रहे हो…
मैं: नहीं… मेरी ख्वाहिशे बता रहा हूँ… और कुछ नहीं…
भाभी: हा हा हा हा ओके… तो कुछ ध्यान में है?
मैं: मुझे क्या पता… के आपको और क्या क्या आता है?
भाभी: चल मेसेज में ही बात करते है…
मैंने उसे जाने दिया… क्योकि अभी भी उसे मर्यादा कुछ हद तक आ रही थी… मैं अब उनसे ही सब तुड़वाना चाहता था… अब बाते चैट पर हो रही थी…
भाभी: बोल…
मैं: कुछ नहीं… और क्या क्या आता है तुजे… फु सामने बैठ कर बाते क्यों नहीं करती….?
भाभी: अरे मुझे शर्म आती है…
मैं: हटाओ ना इतना तो हक अब बनता है मेरा… नही?
भाभी: मैं मेसेज में तुम सामने नहीं होते तो कम्फर्टेबल फिल करती हु…
मैं: ओके…. देखते है आज कितना कम्फर्टेबल फिल करते हो…
भाभी: क्या मतलब?
मैं: आज आप को सब साफ़ साफ़ बात करनी पड़ेगी… मतलब के आज से…
भाभी: ठीक है डन…
मैं: ठीक है…
भाभी: क्या कुछ नया करू आज?
मैं: ह्म्म्म… सेक्स में तो मैं क्या सलाह दू? मैंने कभी किया नहीं…
भाभी: ओके तेरी इच्छा बता चल…
मैं: मैं तो आपको देख कर ही अपना मन बनाता हूँ… आपको सोच कर ही सोच बनाता हूँ…
भाभी: ह्म्म्म तो चल वही बता दे…
मैं: तो क्या मैं जो चाहता हु आपके साथ वो बताऊ? के आप भैया के साथ क्या क्या करती हो वो बताऊ?
भाभी: वो दोनो तेरे ही आइडिया है… तो तुजे जो मर्जी हो बता। तुझपे छोड़ती हूँ… आप आप क्यों लगा रख्खा है…
मैं: ओके… तो मैं तेरे साथ क्या क्या करना चाहता हूँ वो बताता हूँ… शर्मा मत जाना और गलत मत समजना… वो तू और तेरे भैया के बिच रखना…
भाभी: ठीक है चल बता…
मैं: मेरी इच्छा यह है…
१. तेरे साथ मिशनरी सेक्स करना.
२. तेरे साथ डौगी मिशनरी सेक्स करना.
३. तेरे पिछले होल को रगड़ना मिशनरी पोसिशन में.
४. डौगी स्टाइल मैं सेक्स करना…
५. मेरा हथियार मुह में देकर मुह में ही झड़ना.
६. कंडोम कभी भी नहीं पहनना.
७. खड़े खड़े मिशनरी और डौगी सेक्स करना.
८. तेरे शरीर का सुख कई लोगो तो दिलवाना एक एक करके.
९. तेरा गैंगबैंग करवाना.
१०. हाइवे पर गैंगबैंग करना.
(भाभी का कोई रिप्लाय नहीं आया, मैं थोडा डरा पर मैंने बात जारी रख्खी)
इस के अलावा…
११. घरमें सिर्फ ब्लाउज़ और शॉर्ट्स पहनके रखना, ब्लाउज़ का गला खूब डीप बनवाना.
१२. तेरे सारे मुख्य अंग वाली जगह के कपडे ज़िप वाले बनवाना.
१३. तेरे हाथ पैर बांध के तुजे सारी रात बेइंतेहा रगड़ना…
१५. तुजे ढेर सारे लव बाइट देना….
बस अभी के लिए इतना ही…
(कुछ भी रिप्लाय नहीं आया)
क्या हुआ?
भाभी: ह्म्म्म कुछ नहीं तेरे भैया से बात कर रही थी… मुझे मेरा आइडिया मिल गया…
मैं: क्या?
भाभी: नंबर १३.
मैं: ह्म्म्म्म गुड़ लक….
भाभी: चल बाई…
मैं: मैंने इतना कुछ कहा, कुछ नहीं?
कोई जवाब नहीं आया पर भाभी मेरे सपने से अब वाकिफ थी… उसपे उसने कोई मसला नहीं उठाया, उतना मेरा विनिंग शॉट ही था… मुझे लगा की अब गाड़ी सेकेण्ड गैर मैं लानी पड़ेगी… दूसरे दिन… आज वापस से वो खुश तो थी पर थक भी बहोत गई थी.. मैं सामने ही बोल पड़ा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
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मैं: जवानी अगर सिर्फ एक को ही मिलेगी.. तो वो जवानी का क्या फायदा… आपको आदत नहीं पड़ी लगती… भैया आप पर भारी पड़ रहे है शायद…
भाभी: क्यों क्यों क्यों?
मैं: आप थक जाती है…
भाभी: कल तो मैं बंधी हुई थी (मैंने देखने की कोशिश की थी पर अब परदे बंध रहते थे और टैप रेकॉर्डर रखके आह उह सुनने का क्या फायदा?)
मैं: तो पिछले दिन को खुली थी.. फिर भी….
भाभी: हा तो वही तो… तेरे भैया से मैं संतुष्ट हूँ, तू आप आप क्यों बोलता है?
मैं: हा तू बोलूंगा… पर हमारे बिच का परदा नहीं उठा… एक दोस्त की तरह सामने बैठ कर बाते नहीं कर सकते… क्या गर्लफ्रेंड? गर्लफ्रेंड बोलने में आज़ादी और टच करने देती है…. आप तो एक सिंपल सा हग भी नहीं करने देती…
भाभी: क्यों वो तो यहाँ तू छु तो लेता है…
मैं: पर वो सब डर के मारे…
भाभी: तो तेरे ख्याल तो बच्चू मैंने कल पढ़े… दूर ही रहना बेहतर है तुजसे…
मैं: तो हम सारी बाते बंध करदे?
भाभी: तेरी मरजी… बाकी गर्लफ्रेंड का एक लेवल बढ़ाने के लिए मैं तैयार हूँ… सोच ले….
मैं: और वो भला क्या?
भाभी: आज से तू गैलरी से झांख सकता है…
मैं: रात को?
भाभी: हां बाबा पर एक शर्त पर…
मैं: बोलो…
भाभी: तू मुझे दूसरे दिन इम्प्रूवमेंट के लिए बताएगा की और क्या क्या इम्प्रूव करू
मैं: चलो यही सही… पर भैया को पता चला तो?
भाभी: उसे मेरे अलावा कहीं ध्यान ही नहीं जायेगा अगर मैं उनके साथ हूँ…
मैं: तो में उस टाइम मास्टरबेट करूँगा हा?
भाभी: हा हा हा हा वो तेरी मरजी…
मैं: तो ठीक है पर एक कम करेगे? लास्ट?
भाभी: हा बोल
मैं: कोल करूँगा आप रिसीव करके छोड़ देना ताकि मैं सुन सकु… तो मुझे भी थोडा ज्यादा आनंद मिले… पॉर्न भी देखो और म्यूट? मजा नहीं आता…
भाभी: हा उतना मैं आकर सकती हूँ….
आलम अब ये था के शाम तक समय कैसे निकाले? भाभी आज मेरे सामने नंगी ऑफिशियली होने वाली थी… चुप चुप के बहोत देख लिया था… मैंने दिन में ३-४ बार पूछा भी सही…
मैं: भाभी आप को पता हैना मुझे निमंत्रण देने का मतलब?
भाभी: कितनी बार पूछोगे, बोला ना के सिर्फ देखने का ही आमंत्रण है.. और कुछ नहीं…
मैं: हा पर आप सिर्फ नंगी ही नही देखोगी…
भाभी: सेक्स करते हुए भी देखना है… बस?
मैं: ह्म्म्म तुम कितनी अच्छी हो… आज से मैं कभी भी तुजे आप गलती से भी नही कहूँगा… क्योकि आज तो तू मेरे खास बन जायेगी…
भाभी: ह्म्म्म वो तो है…
मैं: अभी कुछ टिप्स दू क्या? के मैं क्या क्या देखना चाहता हूँ?
भाभी: ठीक है बोल…
मैं: आज तू नहाने जाना पहले और गीली ही बहार आना… एक छोटा सा टॉवेल ओढ़े भैया के सामने आना…
भाभी: काफी खुराफाती दिमाग है तेरा… ऐसा सूझता कैसे है तुजे?
मैं: तुजे देख देख कर…
भाभी: चल एक जप्पी ले ले…
मैं: सच?
और भाभी मुझे लिपट गई.. मैंने भी खूब दबोचा… पर भावनाओ में बहा नहीं… पर हाथ घूमते वख्त मैंने जो महसूस किया वो बताया…
मैं: जैसे अभी नहीं पहना वैसे तभी भी मत पहनना…
भाभी: धत् बदमाश… चल रात को मुझे देखने आ जाना… तेरा लाइव पोर्नो….
हम दोनों हँस पड़े… भाभी को मेरे साथ कम्फर्ट महसूस होने लगा था… ये सब अब साबित हो रहा था… पर भैया का प्यार और भैया के लिए प्यार उसे बंधे रखा था.. जो सिर्फ वही तोड़े तो ही उसे पाने का कुछ अलग सुकून मिले… जैसे तैसे दिन निकल गया और रात को भाभी रूम में जाते ही फ़ोन किया… खूबसूरत जिस्म के साथ खूबसूरत दिमाग भी… पता था के अगर मैं फोन करू तो गड़बड़ हो सकती है… फोन रखा पलंग के एकदम नज़दीक…
भाई: अरे आज तो मैं बहोत थका हूँ…
भाभी: अरे अभी थकान मिटा देती हूँ… आपके लिए कुछ खास सोचा है मैंने…
भाई: क्या मेरी रांड?
भाभी: अभी आती हूँ, अभी मत आना (लास्ट वाली लाइन मेरे लिए ही थी)
भाई: जल्दी आना…
थोड़ी देर बाद भाभी अंदर से बोली…
भाभी: लाइट व रखना और पडदे बंध मत करना आज आपकी पसंद का…
भाई: अरे आना प्लीज़…
भाभी: आ रही हूँ…
और मैं धीरे से उनकी बाल्कनी में दाखिल हुआ… भाभी ने बाथरूम का दरवाजा खोला और अपना एक पैर बहार निकाला… पूरा गिला था… उनकी थाई से लेके पानी की बुँदे पैरो तक निचे एक धारा बना रही थी… जैसा मैंने सोचा था कुछ वैसा ही…
भाई: अब आ भी जा रंडु.
भाभी अंदर से पूरी गीली और नज़ारा कुछ ऐसा था…
मैं सोचा साला भाभी के पास ये लिंगरी आई कहा से? अब क्या गलती निकाल के कल कुछ सिखाने की कोशिश करू? भाभी तो एक नंबर निकली… भैया ने तुरंत ही भाभी को बूब्स से पास होते हुए कपड़े की लाइन से पकड़ा और अपनी और भाभी के गीले बदन को खीच के अपने आगोश में लिया…
भैया: चल अंदर ही चोदता हूँ.
भाभी: ना यही पर…
भैया: सब गिला हो जायेगा…
भाभी: नहीं आपको पसंद है न… कोई बात नहीं…
भाभी के बदन पर का पानी भैया चूस भी रहे थे और खुद भी गीले हो रहे थे… इतनी माल बीवी हो तो खुद को कोई किस तरह बचाए? भाभी का बदन था भी इतना गोरा चिट्टा… और क्या भरे भरे बूब्स थे… जाली से निकलते निप्पल भाई का हाथ न पड़े ऐसा हो ही नही सकता…
एक हाथ से हॉर्न बजाओ और एक मुँह में लेकर चूसो, और औरत सिर्फ आह आह करे तो चुदाई का मज़ा डबल हो जाता है, और मर्द अपने आप पे फक्र महसूस करता है… जो अभी भैया कर रहे थे… भैया भाभी का ये मिलन जलन जरूर पैदा कर रहा था पर भाभी का ये आँखों देखी वासना से पता चल रहा था के भाभी और मेरी रंडी के बिच के फासले और भी कम होते जा रहे है…
आज नंगी हुई है सामने, मेरे सामने चुदवा भी रही है… मेरी ख्वाहिश पूरी होने को अब कुछ दिन ही बाकी थे… भाभी थोडा जुकी ही थी के भैया ने अपने कपडे निकालना शुरू कर दिया… पेंट निक्कर अगर औरत निकाले तो ज्यादा अच्छा रहता है… मर्द यही चाहता है… भाभी ने वही किया था…
गांड बहार निकली और भाभी निचे बिस्तर पर बैठी और भाई का पेंट हटा रही थी, भैया ने शर्ट निकाल ली थी तब तक… भैया का निक्कर निकलते ही लंड उछल पड़ा और भाभी ने लबक के अपने मुह में ले लिया…. भाभी भैया के आँखों में देख रही थी और लंड को धीरे धीरे चूस रही थी…
और एक बात है… लंड चूसने के टाइम पर अगर औरत अपने मर्द की आंखो में आँखे डाले तो मर्द को और मजा आता है… इसका कारण है की जब वो ऊपर देखती है.. उनके आधे मम्मे दीखते है… कुछ ना दिखाने के बहाने कुछ दिखादो तो वासना बढ़ जाती है… जो अभी हो रहा था…
भाई ने ये लिंगरी ले गले के भाग में डोरी थी वो खोल दी… वैसे भी पीछे तो गांड तक खुला था… पर भैया को वासना में शायद के लिंगरी जिसमे ऊपर कुछ था ही नही वो परेशान कर रहा था… भाभी के मम्मे डायरेक्ट हाथ में नहीं आ रहे थे… भैया की वासना और बढ़ाने भाभी ने लंड बहार निकाला अपने मुह से और पलंग पर उलटी लेट गई. और डीप थ्रोट का अलग लेवल दिखाया…
भाभी अगर पूरा साथ दे रही है, अपने शरीर को इस तरह मसलवाने में, तो कोई भी मर्द अपनी अलग अलग ख्वाहिश पूरी करेगा ही… भाई डीप थ्रोट में भाभी के मुह को चोदे जा रहे थे और ये बड़े बड़े स्ट्रोक लगाने भाई ने अपने दोनों हाथो को सहारे दिए थे भाभी के मम्मो पर…
दो काम एकसाथ हो जाये… चोदने के लिए सहारा और स्तन मर्दन… भाई तो स्तन पर थप्पड़ भी दे धना धन लगा देते थे… लाल तरबुच हो गए थे ये गीले रसीले आम… क्या नज़ारा था.. मैं भी अपना लंड निकाले हिला रहा था… पर मज़ा इतना नही आ रहा था… नहीं ही आएगा…
पर इसी स्थिति में भैया की स्पीड और तेज़ हुई और मुँह में ही अपना वीर्यदान कर दिया… भाभी सब पी गई जगह पर खड़ी होकर आगे आई और सारा लंड चूस चूस कर साफ किया और लंड साफ होते ही भाभी को खड़ी कर के उसकी पेंटी निकाल ने लग गए…
और फिर गीली पेंटी जैसी चड्डी उतार के भाभी को धक्के से सुलाके उनके दो पैरो के बिच आ गए… और चूत चूसना शुरू कर दिया… भाई चूत को मुँह से चोदने में आँखे बंध करके व्यस्त थे… और भाभी आह… आउच के साथ साथ मेरा भी खयाल किया? पर कैसे? इस सिचुएशन में भाभी का सर मेरी और था, बाल्कनी की विंडो की तरफ था…
भाभी इसी तरह मज़े ले रहे थे और अचानक से आँखे खोले मेरी और देखने का प्रयास किया… मैंने हाथ ऊपर करके होने का इशारा किया और मैंने का भी इशारा किया… भाभी होठो को दबाकर… हाथो से इशारा किया के मैं बाल्कनी में कुछ देखु… यहाँ पर अब मैं क्या देखु? निचे तो अँधेरा था…
मैंने फ्लेश लाइट फटाफट जला कर बंध कर दी, सिर्फ एक सेकेण्ड में तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा… वहा भाभी की ब्रा पड़ी थी… और एक पेंटी भी… भाभी को ख़याल था के मुझे जरूरत पड़ सकती है तो मेरा इतना खयाल करके रख्खा वो मेरे लिये और एक इशारा था।
वाह क्या नसीब था मेरा भी… भाभी एक औरत… एक मर्द को चाहे खुदका पति हो या गैर मर्द जिससे कम्फर्ट हो चुकी हो… उसे खुश करने के सारे प्रयत्न करती है… दूसरी बार जब उसने देखा तो ये ख्याल करने के लिए के मुझे वो मिला के नहीं…
मेरे पेंटी को तो मुह में डाल दिया था और ब्रा को अलग से पकड़ कर हवा मे लटका रहा था, तो भाभी ने भी स्माइल देकर इशारा किया और चूत चुदवाने में वापस लीन हो गई। थोड़ी ही देर में भाभी का चूत पानी निकाल ने लगा जो भाई सारा पी गए… मैं पेंटी को सूंघने में और ब्रा को लंड के चारो और फसा कर मास्टरबेट कर रहा था…
अब भैया बोले: चल तेरा हो गया न तो फिर मेरा खड़ा कर वापस…
भाभी: जो हुकुम आका… आज आप को चूत मारनी है या गांड?
भैया: तुजे क्या मरवाना है? चल सोचता हु तु टाइम खोटी मत कर लंड खड़ा तो कर… वैसे मुझे तो दोनों मारने है… साथ देगी ना…?
भाभी ने हा मिलाते हुए मिशन के अगले पड़ाव पर आगे निकल गई…
भाभी: हा… मैं तो हरदम आपकी ख़ुशी के लिए… आप थक जाओ तब तक मुझे किसी चीज़ की परवाह नहीं…
भाई: तेरी इसी अदा में तो मैं मरा जा रहा हूँ… आज तो तेरी और खैर नहीं… देखती जा…
भाभी: आओ पहले क्या करने का इरादा है? मेरे हुस्न के मालिक?
भाभी: तू लंड तो मुह में ले पहले? तू बस देखती जा….
भाभी ने अब लंड खड़ा करने की पूरी ताकत लगा दी…
भैया: चल ६९ करते है आजा…
भाभी: हा ओके… मुझे भी तो गरम करना पड़ेगा न आपको…
भैया: तभी तो… चल बेड पर….
भाभी अपने जिस्म को अच्छे से मुझे दिखवा सके इसलिए भाभी ने ये पोज़िशन को पसंद किया… भाभी हलकी नज़र से मुझे भी सिड्यूस कर ही रहे थे.. वो देख कर मेरा लंड और भी टाइट हो गया था… और भाभी को देखे मैं कुछ मज़े इस तरह ले रहा था…
मैं सातवे आसमान मैं था… भाभी और भैया भी… और भैया का लंड जैसे ही कड़क हुआ के भैया ने भाभी को उठा कर पलंग पर पटक के रख्खा के भाभी के मम्मे उछल पड़े और वो कुछ अलग ही आनंद दे गए… भैया ने अब मिसनरी पोज़िशन पर हलके से लंड को भाभी की चूत पर रख्खा होगा…
वो मुझे दिखाई नहीं दे रहा था… क्योकि मुझे भैया की गांड वाला हिस्सा दिखाई दे रहा था… पर भाभी बोली की ‘आह… प्लीज़ मत तड़पाओ न’ पर से लगा के भैया कुछ ऐसा कर रहे थे… अंदर भी नहीं डाल रहे थे और बस चूत को छु के निकाल रहे थे… भाभी की प्लीज़ वाली आवाज़ कुछ ऐसा ही बयां कर रही थी…. भैया ने धीमे धीमे उस चूत को चरते हुए सिर्फ एक ही धक्के में अपना लंड पूरा अंदर समा दिया… और घबघब पैल ने लगे…
भाभी हर एक धक्के पर आह आह कर के साथ देने लगे… भैया भाभी के ऊपर चढ़ कर जो बूब्स हिल रहे थे उनको देख कर अपने आपको बरदास्त नहीं कर पाये और निप्पल को खीच कर एक चाटा मारा… और ऊपर सो कर बूब्स को चूस ने लगे, दूसरे को मसल ने लगे.. भाभी लाऊड हो कर और उनको उकसाए जा रही थी… के भाभी पर भैया ऐसे १० मिनिट तक खूब चोद कर बोले… ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
भाई: मेरा निकलने वाला है, पर आज चूत में नहीं बूब्स को फक करते हुए निकाल ना है… दबाओ अपने स्तनों को…
भाभी में ठीक वैसे ही किया और भाभी पर भाई आगे बढ़कर स्तन को चोदते हुए वीर्य उगल ने लगे, ये भी मुझे नही दिखा पर शायद नज़ारा ऐसा ही होगा. और भाई थक के भाभी पर पड़े रहे… तब तक मैंने भी अपना वीर्य निकाल लिया था… भाभी भी जड़े ही होंगे… उनकी चूत की चमक देखकर लग ही रहा था… क्या चिकनी भाभी है… शरीर पर सिर्फ आइब्रो और माथे पर ही बाल? मज़ा आ गया ये देखकर…
भाभी: एक और राउंड करेगे?
भाई: हा बिलकुल करेंगे, क्यों नहिं करेंगे? पर अब ३० मिनिट के बाद, मैं तेरे मखमली बदन पर पड़े रहना चाहता हूँ…
भाभी: ओके…
पर अब मैं थक गया था… खड़े खड़े मास्टरबेट करके… तो मैं सोने चला गया… क्योकि दूसरी बार भी मुझे तो देखना ही है… वो भी दूर से… सिर्फ देख पाउँगा और कुछ नहीं… भाभी पेंटी और ब्रा से मैंने अपना लंड पोछ कर अच्छे से साफ़ किया और फिर ब्रा वही पर रखके निकल लिया….
मुझे नींद नही आ रही थी… सामने भाभी की सेक्सी बॉडी को देखने के बाद वो भी उन्ही की मंजूरी के बाद… पर अब कल कैसे बात करू? भाभी का क्या क्या रिएक्शन आयेगा… वो सोचता रहा… मैंने कुछ कुछ निकाले पॉइंट्स जो वैसे तो कुछ कहने योग्य नहीं थे… पर कुछ तो चाहिए? बात आगे बढ़ानी ही थी…. देर रात को नींद तो आ गई… मुझे अब भाभी को चोदना ही था… देखने में कोई मज़ा नहीं था… ये मैंने मन बना ही लिया था…
दूसरे दिन… सामने सामने ही बाते हुई…
भाभी: क्यों देवर जी जल्दी में थे क्या? जो निकल लिए थे?
मैं: अरे आप जैसे हुश्न की परी हो तो क्यों भला जल्दी हो? पर मेरे पास आप के ब्रा पेंटी के अलावा कुछ था।नहीं तो मैं वहा अकेला अकेला थक गया…
भाभी: वही तो… अब बताओ मेरा क्या हाल होता होगा?
मैं: हा… वो तो है… वैसे वो लिंगरी ली कहा से थी?
भाभी: अरे वो तो भैया ने ही दी थी…
मैं: अच्छा… भाभी एक बात पुछु?
भाभी: हा बोल….
मैं: आप… सॉरी तू अपना बदन दिखाने के लिए और सेक्स दिखाने के लिए तैयार क्यों हो गई?
भाभी: देख ये तेरे मेरे बीच की बात है… (वो सोच समजकर बोली) देख…. तू वैसे भी मुझे इसी नज़रो से देखता है… कभी कबार तुजे मैंने बाल्कनी में देखा है… माँ बाप है नहीं और मेरी कुछ कम्प्लेंट कर देने पर आप दोनों भाई अलग हो जाओगे तो फिर दुनिया मुझे ही कोसेगी… अब मुझे ही ये डिसीज़न लेना पड़ा… की चलो यही करते है… तो तू अपना दिमाग अपने तक रख्खेगा… कभी कबार अगर तू बाल्कनी मैं आए और भाई देख लेता तेरा तो? उससे अच्छा है की मुझे पता है… मैं संभाल सकती हूँ…
भाभी काफी कुछ बोल गई… और इसमें परिवार की भावना छलकाइ दी… मुझे अच्छा भी महसूस हुआ और एक औरत पर तरस भी आया.. पर इससे मेरा प्यार कम थोड़ी हो जाता? मुझे करना है तो करना ही था…
मैं: भाभी प्लीज़ एक बार मुझे गले लगाओ न?
भाभी: उहू… पहले रेटिंग्स तो सजेशन दो तभी… वो भी कुछ अच्छी लगेगी तो…
मैं: हमारी दोस्ती में मैं एक और छूट लेने जा रहा हूँ के मुझे साफ साफ़ बोलना पड़ेगा ठीक है? छूट है?
भाभी: मममम ओके… पर तू.. तू बोल भूल क्यों जाता है?
मैं: ठीक है भाभी… पहले तो तूने लिंगरी क्यों पहनी? तुजे टॉवेल ओढ़े आना था.. ऐसे (मैंने पिक्स दिखाई मोबाईल में) कुछ ऐसे बहार आना था तुजे..
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भाभी: ह्म्म्म ये ज्यादा सेक्सी लग रहा है… सही है और?
मैं: दूसरा ये के भाई के लंड को ही चूसती रही…
भाभी: तो और क्या करू?
मैं: अरे बुद्धू गोटे भी तो चूस लेती… कुछ ऐसे… (मैंने फिर मोबाईल दिखाया)
भाभी: ह्म्म्म ये भी सही है… और?
मैं: ओके तूजे गांड भी चाटनी चाहिए। भैया तेरी चाटते है की नहीं?
भाभी: हा, मेरी मारते वख्त चाटते है…
मैं: हा तो तुजे भी तो चाटनी चाहिए के नहीं?
भाभी: ये दिमाग में कभी नहीं आया… तेरे भाई को पसंद आएगा क्या?
मैं: हा हा क्यों नहीं देख ये…
भाभी के चहेरे पर लाली तो छा गई थी और मेरा यही तो काम था…
भाभी: और?
मैं: आपने ना कभी ये ट्राय नहीं किया होगा… (ऐसा बोल के मैंने एक मस्त चौका मारा)
मैंने जट से दिखाकर मोबाईल ले लिया…
भाभी: है… दिखा दिखा दिखा… क्या था वो?
मैं: (शरारती स्माइल देते हुए) हा हा… सजेशन…
भाभी: बताना प्लीज़…
मैं: ठीक है…
मैंने भाभी को दिया… भाभी इतना ही बोली…
भाभी: है भगवान… इतना एकसाथ?
मैं: हां तो डर गई?
भाभी: ये सब ग्राफिक्स का कमाल है.. ऐसा हो ही नहीं सकता…
भाभी भले ही बोली थी पर उसकी आँख तो इसी फोटो पर टिकी थी…
मैं: अरे ये सब रियल है… तू पोर्न नहीं देखती या पहले नहीं देखि?
भाभी: ना बाबा नहीं देखि…
मैं: तो चल दिखाऊ?
थोड़ी आनाकानी की पर फिर वो दोपहर के खाने के बाद के लिये मान गई पर शर्त ये रख्खी गई की दोनों अलग अलग सोफे पर जगह बना कर बैठेगे… पास नहीं…
मैं मान गया… वो दुरिया मैं मिटा दूंगा उतना मुझे विश्वास था… दोपहर के खाने के बाद, भैया का फोन आया और हमारे एक रिश्तेदार के घर उनके एक प्रसंग के कारन हमे वहा जाने के लिए भैया ने बोला… मुझे भी जाना था… मैं निराश तो हो गया पर चलो जो भी है… हम दोनों हमारी गाडी में निकल गए… भाभी ने मस्त साडी पहने तैयार हुई थी। जिसमे एकदम हॉट लग रही थी… दोस्तों आज के लिए इतना ही, आगे की कहानी अगले भाग में. तब तक पढ़ते रहिये हमारी वासना डॉट नेट.