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बेटे से चुदवा कर अपनी जिंदगी बर्बाद कर ली

मई 30, 2025 by hamari

Vasna Ka Pagalpan

“तुम ऐसा कुछ नहीं करोगे सिद्धू?” सुधा फोन पर चिल्लाई। Vasna Ka Pagalpan

“मैं ऐसा ही करूंगा मोम..” दूसरी तरफ से सिद्धू की बेचैन आवाज आई- “अगर मैं आपके साथ नहीं जी सकता तो फिर जीने का कोई मतलब ही नहीं बनता..”

“तुम मेरे साथ ही तो जी रहे हो मेरे बच्चे..” सुधा का जैसे रोना छूट पड़ा- “मैं माँ हूँ तेरी, हमेशा तेरे साथ हूँ, जिंदगी भर…”

“नहीं मोम..” सिद्धू जिद पर अड़ा हुआ था- “आप जानती हैं मैं क्या कह रहा हूँ। माँ बेटे का रिश्ता तो हमने उसी रात खतम कर दिया था जब पहली बार मैं और आप एक मर्द और औरत की तरह साथ थे…”

“चुप हो जा सिद्धू। प्लीज… मैं हाथ जोड़ती हूँ तेरे…” सुधा ने पानी से भरी आँखें बंद करते हुए कहा।

“नहीं माँ… अब चुप नहीं हो सकता मैं। एक महीने से घुट घुट कर जी रहा हूँ पर अब और नहीं। अब नहीं जी पाऊँगा मैं…”

और तब पहली बार सुधा को एहसास हुआ के वो लड़का कितना सीरियस था। वो एमोशनल होकर यूँ ही बकवास नहीं कर रहा था। उसकी आवाज में शामिल संजीदगी पहली बार सुधा पर जाहिर हुई।

“नहीं सिद्धू.. तुझे मेरी कसम है। कुछ उल्टा सीधा मत करना..” सुधा ने कहा।

“बहुत देर हो चुकी माँ… बहुत देर हो चुकी…”

“कोई देर नहीं हुई सिद्धू। मेरी बात सुन…” सुधा ने समझने की कोशिश की।

“आप मेरी बात सुनो माँ…” सिद्धू ने बात बीच में ही काट दी- “क्या चाहती हो आप… मैं तो दोनों तरफ से पिस रहा हूँ ना… अगर मैं सब भूलकर फिर आपके साथ माँ बेटे का रिश्ता बना हूँ तो सारी जिंदगी अपने आपसे आँख नहीं मिला पाऊँगा की मैंने अपनी माँ के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाया था। दूसरी तरफ से मैं अगर ये सोचें की। मैं कितना चाहता हूँ आपको, कितना तरसता हूँ आपके लिए, एक बेटे की तरह नहीं पर एक मर्द की तरह तो भी नुकसान मेरा ही है क्योंकी आपका कहना है की हम एक नहीं हो सकते…”

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“तूं अच्छी तरह जानता है की हम क्यों एक नहीं हो सकते। समझाया था मैंने तुझे उस दिन…” सुधा लगभग चिल्लाती हुई बोली।

“क्या सिर्फ वही एक वजह है..” सिद्धू ने पूछा।

“तू मेरा बेटा है और मैं तेरी माँ। इससे बड़ी वजह और क्या हो सकती है..” सुधा इस बार चिल्ला ही पड़ी- “पाप है ये। घोर पाप..”

“तो ठीक है माँ। फिर एक पाप और कर लेने दो मुझे। इस तरह से जिंदा नहीं रह सकता मैं। बस अब बर्दाश्त नहीं होता…”

“सिद्धू सुन… कुछ उल्टा सीधा नहीं करना। मेरी कसम है तुझे। अपने साथ तूने कुछ भी किया तो…”

इससे पहले की सुधा बात पूरी करती, सिद्धू फोन काट चुका था। सुधा ने फौरन दोबारा फोन मिलाया, पर राजीव का सेल स्विच्ड आफ था। उसने फौरन अपने घर का लण्डलाइन नंबर मिलाया, पर बिजी टोन आती रही। यानी किसी ने रिसीवर को उठाकर एक तरफ रखा हुआ था। वो बेचैन हो उठी। समझ नहीं आया की क्या करे?

एक बार को उसने किसी और को फोन करने की सोची पर फिर ये ख्याल आते ही रुक गई की क्या कहेगी… की उसका बैठा आत्महत्या कर रहा है, जाके रोको उसको.. क्यों करना चाहता है आत्महत्या? झल्लाकर वो जल्दी से उठी और अपना बैग उठाकर होटल रूम से बाहर निकली। सामान पैक करने का टाइम था नहीं इसलिए रूम से चेक आउट नहीं किया। लाबी में आकर उसने अपनी गाड़ी निकली और तेजी से अपने घर की तरफ भगा दी।

“हे भगवान… प्लीज सिद्धू.. कुछ करना मत बेटा…” दिल ही दिल में वो सोचती जा रही थी।

वो उस रात एक किटी पार्टी में थी जब पहली बार उसका और उसके बेटे राजीव का रिश्ता बदल गया था। हर महीने वो और उसकी कुछ दोस्त मिलकर एक किटी पार्टी रखते थे जहाँ पर सिर्फ औरतें होती है, और वो सब सुधा की अच्छी दोस्त थीं। पार्टी के दौरान शराब बहुत ही आम बात थी।

पार्टी में मौजूद सारी औरतें पीती थी और उसके बाद पार्न मूवीस और गंदी बातों का सिलसिला चलता। जब वहाँ मौजूद औरतें अपना मुँह खोलती, तो शर्म के सारे पर्दे हटाकर बात करती। अपने ग्रुप में एक सुधा को छोड़कर सब औरतों के बायफ्रेंड थे, ज्यादातर जवान लड़के और वहाँ सब अपने एक्सपीरियेन्सेस शेयर करती।

कौन किस पोज में किससे चुदी, कब चुदी, कितनी देर चुदी, कैसे चुदी, सब खुलकर बताया जाता। पार्टी में चलेंज था की कौन सी औरत एक साथ कितने मर्दो को झेल सकती है और उसका रेकार्ड फिलहाल मिसेज शुक्ला के नाम था जिन्होंने एक साथ एक ही बिस्तर पर चार मर्दो से चुदवाया था।

पूफ के तौर पर उन्होंने अपनी खुद की बनाई हुई एक फिल्म लाकर दिखाई थी जिसमें वो अपने बेडरूम में चार चार के साथ अकेली भिड़ी पड़ी थी। उस रात भी यही हाल था। शराब और वासना हवा में थी और बेशर्मी हर औरत की जुबान पर। पर हद तब हो गई जब मिसेज शर्मा ने अपने पर्स से नशे की सिगरेट्स निकाली।

सुधा स्मोक तो करती थी पर ड्रग्स उसने पहली बार उस पार्टी में ली थी। पूरी सिगरेट खतम होने के बाद उसे अपना कोई होश नहीं था पर साथ ही साथ वो ये जानती थी की वो क्या कर रही है। सिगरेट में मौजूद ड्रग्स ने उसकी हालत अजीब कर दी थी। वो अपने होश में थी भी और नहीं भी निकल रही हो… रात के एक बजे जब सुधा ने अपना समान पैक करना शुरू किया तो पास ही खड़ी मिसेज अग्रवाल ने पूछा।

“हाँ..” सुधा ने जवाब दिया।

“कौन पिक कर रहा है?”

“मेरा बेटा राजीव..” सुधा बोली।

उसकी बात सुनकर मिसेज अग्रवाल थोड़ा नजदीक होकर बैठ गई।

“हाउ ओल्ड इस योर सोन… 20 साल?”

“22 साल आक्च्युयली…” सुधा ने मुश्कुराते हुए कहा।

“कुछ सिखाया की नहीं उसको अब तक?”

सुधा चौंक पड़ी।

“ओह कम ओन…” उसके चेहरे को देख मिसेज अग्रवाल ने कहा- “सारी जिंदगी एक ही लण्ड लेकर गुजारेगी क्या? अगर बाहर का नहीं मंजूर तो अपने बेटे का ट्राई कर ले…”

“यू आर जोकिंग, राइट…” नशे में होने के बाद भी सुधा का दिमाग ये बात सुनकर घूमने लगा था।

“वाइ… इट्स नाट लाइक ही इज एनी डिफरेंट। दे आर आल गाइस। थोड़ी देर के लिए बिस्तर पर एक मर्द समझ ले और फिर बिस्तर से उठके माँ बन जा। हाउ टफ इस तट… टेल मी, हव यू नेवर काट योर सोन टेकिंग आ पीक अट युवर ब्रेस्ट्स आर अट युवर आस..”

मिसेज अग्रवाल ने पूछा तो सुधा का दिमाग सोच में पड़ गया। उसको कई बार ये महसूस हुआ था की राजीव उसके जिश्म को घूरता है पर फिर अपना वहम समझ कर उसने बात भुला दी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

“लेट मी टेल यू समथिंग…” कहते हुए मिसेज अग्रवाल ने बोलना शुरू किया.

और फिर अगले आधे घंटे तक, जब तक की राजीव आ नहीं गया, वो सुधा के दिमाग में यही गोबर भरती रही की उसका अपने बेटे से जिस्मानी रिश्ता बनाना कोई गलत बात नहीं थी, की अगर सुधा को घर के बाहर किसी से अफेयर में बदनामी का डर है।

तो घर में मौजूद अपने बेटे से बना ले। घर की बात घर में ही रहेगी। शराब और ड्रग्स दोनों का नशा सुधा के दिमाग पर सावर था। जिस बात पर वो शायद और किसी दिन मिसेज अग्रवाल को थप्पड़ मार देती, उस बात पर वो उस रात सीरियस्ली सोच रही थी।

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“एक काम कर…” मिसेज अग्रवाल ने आगे बढ़कर सुधा के ब्लाउज के बटन खोलते हुए कहा था- “इनको थोड़ा दिखा… अगर तेरा बेटा बार बार यहीं देख रहा है, तो समझ जा की वो भी यही चाहता है…”

जब वो रात के दो बजे पार्टी से कार में राजीव के साथ निकली तो उसके दिमाग में तब भी मिसेज अग्रवाल की बातें चल रही थी। उसने एक नजर अपने गिरेबान की तरफ डाली तो मुश्कुरा उठी। ब्लाउज के सारे बटन्स खुले हुए थे, सिर्फ एक नीचे का बटन बंद था। उसकी छोटी छोटी छातियां 70% दिखाई दे रही थी। साइज छोटा होने की वजह से वो अक्सर ब्रा नहीं पहनती थी और आज रात भी नहीं पहन रखा था।

“इफ ही इस लुकिंग अट युवर ब्रेस्ट्स स्वीटी, तो समझ जा की तेरा बेटा भी वही चाहता है जो तू चाहती है…” मिसेज अग्रवाल की आवाज अब भी उसके कानों में गूंज रही थी।

सुधा ने मुश्कुराते हुए एक नजर राजीव पर डाली जो उसके दिमाग में चल रही बातों से बेखबर कार चला रहा था। उसको देखकर अचानक सुधा के दिमाग में एक आइडिया आया। अपने साड़ी के पल्लू के नीचे हाथ डालकर उसने अपने ब्लाउज का आखिरी बटन भी खोल दिया।

अब पल्लू के नीचे उसकी छातियां पूरी तरह नंगी थी। उसने ऐसा दिखाया जैसे की वो बहुत नशे में है और बेखबर सो रही है। कार की खिड़की का शीशा नीचे था और बाहर ठंडी हवा चल रही थी। सुधा ने अपने हाथ थोड़े से फैलाकर साइड में गिरा दिए जिससे पल्लू को कोई सहारा ना मिले। जो उसने सोचा था वही हुआ। खिड़की से आती हवा से पल्लू फौरन सरक कर नीचे जा गिरा।

“हम्म्म्म..” ठीक उसी वक़्त उसने मुँह से ऐसी आवाज निकली जैसे नींद में बड़बड़ा रही हो। उसकी आवाज सुनकर राजीव ने सड़क से नजर हटाकर अपनी माँ की तरफ देखा और फिर देखता रह गया। सुधा पीछे को सर टिकाए सोने का नाटक कर रही थी।

पल्लू सरक कर नीचे गिरा पड़ा था और ब्लाउज पूरी तरह खुला हुआ। उसकी दोनों छातियां खुली हुई राजीव के सामने थी। उसने फौरन गाड़ी को ब्रेक लगाए और किनारे लेकर रोकी। जिस जगह वो दोनों उस वक़्त थे वो इलाका रात को सुनसान ही रहता था। रात को ट्रक्स के सिवा वहाँ से कोई नहीं गुजरता था।

आँखें बंद किए हुए भी सुधा को एहसास हो गया था की गाड़ी रुकी है और राजीव सरक कर उसके नजदीक आया है। “मोम..” आवाज सुधा के कानों में पड़ी तो उसने जवाब नहीं दिया। अपनी आँखें बंद ही रखी। राजीव ने उसके बाद दो-तीन बार उसको पुकारा पर सुधा ने जवाब नहीं दिया।

साड़ी का पल्लू अभी भी सरका हुआ था और हिसाब से राजीव को सबसे पहले वो उठाकर सही करना था पर ऐसा हुआ नहीं। उसने सुधा का कंधा हिलाकर उसको जगाने की कोशिश की पर जब वो उठी नहीं तो उसने भी अपना हाथ पीछे खींच लिया। सुधा के कानों में गाड़ी के शीशे ऊपर होने की आवाज आई और फिर सब शांत हो गया।

कोई दो-तीन मिनट तक वो यूं ही आँखें बंद किए पड़ी रही पर कुछ भी हुआ नहीं। ना तो गाड़ी आगे बढ़ी, ना राजीव ने उसको जगाने की कोशिश की और ना ही उसके कपड़े ठीक किए। सुधा ने धीरे से अपनी आँखें हल्की सी खोलकर राजीव की तरफ देखा और जो नजर आया, वो देखकर उसका पूरा शरीर काँप उठा।

राजीव नजर जमाए अपनी माँ के खुले पड़े जिश्म को घूर रहा था। उसका एक हाथ तेजी के साथ ऊपर नीचे हो रहा था। गाड़ी में अंधेरा होने के कारण सुधा को कुछ नजर तो नहीं आया पर वो जानती थी की वो क्या कर रहा है। कार के काले शीशे ऊपर हो चुके थे.

पर सुधा की तरफ की खिड़की का शीशा हल्का सा नीचा था जिससे आती रोशनी उसके नंगे जिश्म पर पड़ रही थी। वो उसकी छातियां देखते हुए अपना लण्ड हिलाने में इतना मगन था की उसे एहसास तक नहीं हुआ जब सुधा ने अपनी पूरी आँखें खोल दी और गर्दन घुमाकर उसकी तरफ देखने लगी।

“लाइक वाट यू सी…” वो अचानक बोल पड़ी।

तो राजीव इस तरह उछला जैसे हार्ट अटक आ गया हो।

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“यू नीड आ हैंड विद तट.” सुधा ने मुश्कुराते हुए पूछा। कहीं दिमाग के एक कोने में बार बार ये आवाज गूंज रही थी की रुक जा, क्या कर रही है, पर उस वक़्त उस आवाज से कहीं ज्यादा असरदार उसके दिमाग पर सवर नशा था।

“सारी मोम..” कहता हुआ राजीव अपना लण्ड फिर पैंट के अंदर करने लगा।

“वाइ… वाट आर यू सारी फार… इट्स ओके… लेट मोम हेल्प यू…” कहते हुए सुधा आगे को सरकी और फौरन राजीव का लण्ड पकड़ लिया। रात का वक़्त और कार में काले शीशे होने की वजह से कुछ दिखाई तो नहीं दे रहा था पर वो जानती थी की उसके हाथ में क्या था और उसको क्या करना था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

“पागल हो गई है क्या? रुक जा..” दिमाग में फिर आवाज पूँजी पर नशे में कहीं दब कर रह गई।

“मोम…” राजीव की फिर आवाज आई.

“ओहह…” सुधा ने इशारा किया और उसके लण्ड को धीरे से सहलाया। 22 साल के उस लड़के पर क्या गुजर रही होगी जो अपनी माँ को देखकर हिलाते हुए पकड़ा गया हो, ये वो अच्छी तरह जानती थी।

“रिलैक्स…” सुधा ने कहा पर राजीव अब भी साफ तौर पर शाक में था। लण्ड को थोड़ा सहलाया तो वो पूरे जोर पर आ गया और सुधा के हाथ में फूलने लगा।

कभी पति के सिवा कोई और लण्ड भी चखकर देख..” उसको पार्टी में मौजूद दूसरी औरतों की बातें याद आई। वो अक्सर यही कहकर उसका मजाक उड़ाया करती थी। “तू तो कुछ बोल मत। सारी जिंदगी एक ही बल्ला पकड़ा है और बड़ी खिलाड़ी समझती है अपने आपको..” एक दूसरी औरत का ताना उसको याद आया। एक पल के लिए वो रुकी और फिर नीचे झुक कर लण्ड अपने मुँह में भर लिया।

“माँन्न..” राजीव की आवाज आई।

एक तरफ तो सुधा के दिल में एक गर्व जैसा एहसास उठा की आज उसने भी एक और लण्ड चख ही लिया पर दूसरी ही तरफ फिर कहीं से आवाज उठी की ये पाप है। एक बार फिर वो आवाज नशे में दब गई। सुधा का एक्सपर्ट मुँह अपने बेटे के लण्ड पर ऊपर नीचे होने लगा। वो दोनों अब भी फ्रंट सीट्स पर बैठे थे।

राजीव कमर टिकाए बैठा था और दोनों हाथों से अपनी माँ का सर पकड़ रखा था। सुधा पेस्सेंजर सीट पर बैठी सरक कर अपने बेटे के नजदीक हो गई थी और आधी उसकी गोद में झुकी हुई थी। “अपनी चूत के साथ तू ऐसा कैसे कर सकती है… सारी जिंदगी सिर्फ एक लण्ड कम ओन… योर कंट डिजर्स बेटर दैन दैट…”

एक एक करके उसको पार्टी की औरतों की बातें याद आ रही थी और उकसा रही थी। “तू तो रहने ही दे। सारी जिंदगी एक लण्ड से चुदी है, तुझे क्या पता की लंबा लण्ड कैसा होता है, मोटा कैसा होता है, छोटा लण्ड किसे कहते हैं। वाट डू यू नो अबौट साइजेस?” “जिस दिन तेरी चूत एक लण्ड भी और नाप ले ना, तब आके बात करियो…”

सुधा लण्ड चूस रही थी और दिमाग में सारी बातें एक एक करके आ रही थी। मुँह में लण्ड उसके अपने बेटे का था, ये तो वो कब की भूल चुकी थी। जो एक आवाज दिमाग में उठ रही थी, उसको ऐसा करने से रोक रही थी, वो भी अब बंद हो चुकी थी। “ओह्ह.. मोम…” अचानक राजीव ने उसका सर कसके पकड़ लिया और अपनी गाण्ड हिलाने लगा।

सुधा अनुभवी थी, जानती थी की क्या होने वाला है. “ओहह… रिलैक्स…” उसने लण्ड फौरन अपने मुँह से निकाल दिया और सीधी होकर बैठ गई। अंधेरे में दोनों के चेहरे एक दूसरे को नजर नहीं आ रहे थे इसलिए कह पाना मुश्किल था की राजीव के चहेरे पर क्या एक्सप्रेशन्स थे।

और सुधा को इस वक़्त एक्सप्रेशन्स से कोई लेना देना था भी नहीं। उसको एक लण्ड और नापना था ताकि पार्टी में औरतों के साथ वो भी बराबर की बहस कर सके। वो अपनी सीट पर एक पल के लिए आराम से बैठी, हाथ नीचे लेजाकर अपनी साड़ी ऊपर उठाई, पैंटी पकड़कर नीचे खींची और उतारकर सामने डैशबोर्ड पर रख दी।

अगले ही पल वो फिर राजीव की तरफ झुकी और सीट के साइड में लगे लीवर को खींचकर ड्राइवर सीट को। पूरा पीछे तक खींच दिया। अब वो तकरीबन आधा लेटा हुआ था और सुधा के लिए काफी जगह बन चुकी थी। उसने अपनी साड़ी फिर ऊपर को उठाई और सरक कर राजीव के ऊपर चढ़कर बैठ गई।

वो दोनों एक ही सीट पर थे इसलिए जगह कम थी जिसकी वजह से वो तकरीबन उसके ऊपर लेटी ही हुई थी। दोनों टांगे उसने राजीव की कमर के दोनों तरफ कर रही थी और एक घुटने में कुछ चुभ रहा था उस चीज की परवाह सुधा को उस वक़्त बिल्कुल नहीं थी। उसने अपनी गाण्ड थोड़ी सी ऊपर उठाई। बीच से एक हाथ में राजीव का लण्ड पकड़ा, अपनी चूत पर लगाया और हल्के हल्के नीचे हो गई।

“ओह मोम..” राजीव लगभग चिल्ला पड़ा। सुधा के पूरे जिम में जैसे संतुष्टि की लहर सी दौड़ पड़ी। ये लहर इस बात की थी की वो चुद रही थी या इस बात की की उसके पास भी बाकी औरतों के साथ शेयर करने को कुछ था, ये कह पाना खुद उसके लिए भी मुश्किल था।

“घोर पाप…” फिर उसके दिमाग में कहीं एक आवाज उठी और एक बार फिर पूँज कर कहीं खो गई। लण्ड जब जड़ तक चूत के अंदर धंस गया तो वो नीचे को झुकी और अपनी एक छाती राजीव के मुँह में घुसा दी। “सक इट…” उसने कहा और अपनी गाण्ड ऊपर उठाकर लण्ड को चूत से हल्का सा बाहर निकाला और फिर अंदर ले लिया।

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राजीव नया लौंडा था, पहली बार किसी औरत के साथ था, इतनी देर से अपने आपको रोक रखा था, पहले खुद लण्ड हिलाया, फिर सुधा ने हिलाया, फिर हूसा, ये सब उसके लिए पहली बार में बहुत ज्यादा था। सुधा के पहले ही धक्के ने काम कर दिया और उसका वीर्य अपनी सुधा की चूत को भरने लगा।

वो नीचे लेटा लंबी और गहरी साँस भरने लगा। सुधा को एक पल के लिए इतना गुस्सा आया की उसके बाल नोच ले और थप्पड़ मार दे पर फिर उसको याद आया की ये उसका बेटा था, पहली बार था। “कुछ सिखाया की नहीं अपने बेटे को?” मिसेज अग्रवाल की आवाज उसके दिमाग में गूंजी।

“कोई बात नहीं..” वो धीरे से राजीव के कान में बोली- “मैं सिखा दूंगी…”

उसके बाद घर पहुँचने तक उन दोनों ने आपस में कोई बात नहीं की। जब घर खोलकर वो अंदर आए और राजीव सर झुकाए अपने कमरे में जाने लगा।

सुधा ने पीछे से उसे आवाज दी- “यू वान्ट टु डु इट अगेन?”

राजीव ने पलट कर उसकी तरफ देखा। मुँह से वो कुछ बोला नहीं पर उसकी आँखों में हाँ सुधा को साफ दिखाई दे रही थी। उस रात नशे की हालत में वो अपने ही बेटे के साथ उसी के बिस्तर पर रात भर चुदती रही। कितनी बार, ये उसको याद नहीं था।

सुबह 6:00 बजे जब राजीव थक कर सो गया तो वो भी उठकर अपने बेडरूम में पहुँच गई। दिल दो हिस्सो में बटा हुआ था। एक हिस्सा खुश था की उसने भी आज अपनी बाकी सार दोस्तों की तरह एक लण्ड और चख लिया था और दूसरा हिस्सा उसे कोस रहा था की उसने अपने बेटे के साथ ही।

अगले दिन सनई था और वो देर तक पी सोती रही। जब दोपहर को उसकी आँख खुली तो नशा उतार चुका था और जमीर फिर जाग उठा था। एक एक करके याद आ रहा था की पिछली रात क्या हआ था। वो शाम तक अपने कमरे में ही घुसी रही और रोती रही।

बाहर किस मुंह से निकले और कैसे अपने बेटे का सामना करे, ये समझ में नहीं आ रहा था। जब शाम हो गई तो मजबूरन उसे बाहर आना पड़ा। अगले कुछ दिन तक वो और राजीव दोनों एक दूसरे से नजर चुराते रहे। उसने कई बार सोचा की अपने बेटे से बात करे पर शरमिंदगी के एहसास ने ऐसा करने नहीं दिया।

बस दिल ही दिल में भगवान से ये दुआ करती रही की कुछ दिन ऐसे ही गुजर जाएं और राजीव भी इस बात को भूल जाए। भूल जाए की उस रात उन दोनों ने क्या पाप किया था और फिर एक बार सुधा का घर वैसा ही हो जाए जैसा की पहले था। पर उसकी हर दुआ उस दिन गलत हो गई जब राजीव उसको अकेला पाकर उसके कमरे में आया और बोला-

“मोम, कैन वी डु इट अगेन…”

सुधा ने अपनी तरफ से हर कोशिश की राजीव को समझने की पर वो अपनी जिद पर अड़ा रहा। बार बार यही कहता रहा की वो सुधा से प्यार करता है, और उस एक रात ने उन दोनों के बीच सब बदल दिया था। हफ़्तों तक जब भी वो अकेली होती, राजीव आ जाता और उसे कन्विन्स करने की कोशिश करने लगता और वो पलटकर उसको समझने की कोशिश करने लगती के ये गलत था।

“इट वास नाट रांग दैट नाइट। इट वास नाट रांग वेन यू युवरसेल्फ डिड इट दैट नाइट, देन वाइ इस इट सो रांग नाउ… आल आफ आ सडन…”

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वो उसे समझाती रही की उस रात वो नशे में थी पर वो माना नहीं। जिंदगी फिर एक बार आगे चलने लगी पर राजीव का पागलपन कम होने के बजाय बढ़ता ही रहा।

“मोंम मैं पागल हो जाऊगा। अजीब अजीब ख्याल आते हैं मुझे। हर वक्त आपके बारे में ही सोचता रहता हूँ… आई कॅट ईवन लुक अट यू नाउ मोम। जब भी आपको देखता हूँ, आपको नंगी ही इमेजिन करता हूँ.. आई कीप। गेटिंग आ हाई ओन जस्ट बाइ थिंकिंग ओन आफ यू…

मोम प्लीज… अच्छा बस एक बार और करने दो… मेरा दिमाग खराब हो रहा है। दिल करता है की मर जाऊं… अगर मैं आपको हासिल नहीं कर सका तो जिंदा नहीं रह पाऊँगा। आई कांट लिव विदाउट यू आस माइ लवर नाउ… मैं हमेशा आपके बारे में सोचता था और उस रात आपने भी साबित कर दिया था की यू लोव में मोरे दैन आ सन…”

ऐसी कई बातें उनके बीच अक्सर होती रहती। दोनों जब भी बात करते, सिर्फ इस बारे में ही करते। जब और किसी बात ने काम नहीं किया तो सुधा ने एक बार फिर बेशर्म बनकर राजीव को यहाँ तक कह दिया था की वो खुद उसके लिए एक लड़की ढूँढ़ देगी या अपनी किसी दोस्त से चक्कर चलवा देगी जो सिर्फ नये नये लड़कों के साथ सोना चाहती हैं। वो उनमें से जिसे भी चाहे, सुधा उसकी बात उस औरत से खुद करा देगी। पर राजीव नहीं माना।

“इफ इट हैस टू बी समवन, इट हैस तो बे यू मोम। आई लव यू। आई कॅट इमेजिन माइसेल्फ फक्किंग समवन एल्स..”

और एक दिन सुधा ने परेशान होकर राजीव को थप्पड़ तक मार दिया और घर से निकल गई। वो इन बातों से परेशान आ चुकी थी इसलिए कुछ दिन के लिए इन सबसे दूर होने का सोचकर इस होटल में आ रुकी थी। कहकर आई थी की आफिस के काम से शहर के बाहर जा रही है पर वो उसी शहर में इस होटल में कमरा लेकर कुछ दिन के लिए आ ठहरी थी।

और फिर उसने शाम को राजीव को फोन किया समझाने के लिए तो उसने फिर वही बात उठा दी। सुधा ने सोचा था की कुछ दिन वो दूर रहेगी तो शायद राजीव को अकेले सोचने का वक़्त मिले और वो अपना ख्याल बदल दे पर हुआ इसका बिल्कुल उल्टा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

उसका पागलपन और बढ़ गया था, इस हद तक की वो आत्महत्या करने पर उतर आया था। रात में गाड़ी तेजी से भागती वो अपने घर तक पहुँची। लाइट्स आफ थी और घर अंधेरे में डूबा हुआ था। उसने दिल ही दिल में भगवान का नाम लेते हुए गाड़ी पार्क की, बाहर निकली और लगभग दौड़ती हुई दरवाजा खोलकर घर में दाखिल हुई।

“राजीव…” उसने आवाज लगाई और उसके कमरे की तरफ बढ़ी। जवाब में कुछ नहीं हुआ। ना ही राजीव आया, ना उसके पति और ना ही कोई आहट हुई। दिल ही दिल में। अपने आपको कोसती के ये उसी की करनी का नतीजा है, वो राजीव के कमरे तक पहुँची। तभी उसके पीछे से दरवाजा खुलने की आवाज आई।

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सुधा ने पलटकर देखा। उसके अपने कमरे का दरवाजा खुला और अंधेरे में कोई बाहर निकला। उसके बेडरूम में भी अंधेरा था इसलिए बाहर आने वाले की शकल दिखाई नहीं दे रही थी। “दिनेश, इस दैट यू…” उसने अपने पति का नाम लेकर पुकारा। पर वो गलत थी।

वो साया दो कदम और आगे बढ़ा और उसका चेहरा थोड़ा सा दिखाई दिया। कमरे से बाहर आने वाला खुद राजीव था। सुधा की जान में जान आई। “ओह बेटा… बैंक गाइ यू आर ओके..” कहती हुई वो उसकी तरफ बढ़ी पर फिर एकदम रुक गई। उसके हाथ में एक बड़ा सा चाकू था और वो पूरा का पूरा खून में सना हुआ था- “आई टुक केयर आफ इट मोम…” वो मुश्कुराते हुए बोला- “मेरे और आपके बीच जो प्राब्लम थी वो मैंने हटा दी। अब कोई नहीं आ सकता हमारे बीच। अब आपको किसी चीज की फिकर करने की जरूरत नहीं..”

और तब पहली बार सुधा को सूझा की राजीव क्या कहना चाह रहा था जब उसने ये कहा था की वो कुछ कर बैठेगा। धड़कते दिल के साथ वो अपने कमरे में दाखिल हुई और लाइट ओन की। बेड पर उसके पति दिनेश की लाश पड़ी थी, खून में सनी हुई। “अब कोई नहीं है हमारे बीच माँ…” पीछे से राजीव की आवाज आई- “आई टुक केयर आफ इट। इट्स जस्ट यू अन्द्द्द मां ना…”

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Comments

  1. Sara says

    जून 1, 2025 at 10:35 पूर्वाह्न

    Bhai aage kya hua ….

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