Teen Padosan Chudai XXX
बात उन दिनों की है जब मैं बारहवीं कक्षा में पढ़ता था। मैं डीडीए फ्लैट्स में रहता था। मेरे घर में एक बालकनी थी, जिसमें मैं अक्सर खड़ा होता था। एक दिन की बात है, जब मैं अपनी बालकनी में खड़ा था, तो मैंने देखा कि एक कुतिया मेरे घर के सामने खड़े हुए खंभे पर मूत रही थी। इतने में एक कुत्ता आया और उसके मूत को सूंघने लगा। Teen Padosan Chudai XXX
इसके बाद वह कुत्ता उस कुतिया की चूत सूंघने लगा, फिर वह उसकी चूत चाटने लगा। उस कुतिया को शायद बहुत मज़ा आने लगा था। उसने अपनी दोनों पीछे की टांगें चौड़ी करके अपनी चूत को पीछे की ओर करके उस कुत्ते की जीभ से लगाने लगी। शायद कुत्ते ही ज्यादा समझदार हैं, क्योंकि वे सूंघकर ही समझ जाते हैं कि उनकी मादा क्या चाहती है।
इसके बाद वह कुतिया पलटी और उस कुत्ते का लंड चाटने लगी। थोड़ी देर में मैंने देखा कि उस कुतिया ने उस कुत्ते का लंड पूरा का पूरा अपने मुँह में घुसेड़ लिया और अजीब तरीके से उसे चूसने लगी। उस कुत्ते का लंड बुरी तरह से खड़ा हो गया और लाल गुलाबी रंग का होकर मोटा सा हो गया।
इसके बाद वह कुत्ता पलटा और उस कुतिया के थूक से गीले लंड को उसकी चूत से सटाकर घुसाने की कोशिश करने लगा, पर उसका लंड बार-बार फिसलने लगता था। फिर उस कुतिया को एक उपाय सूझा, उसने अपनी चूत के छेद को हिलाकर उस कुत्ते के लंड के बिल्कुल आगे कर दिया।
अब उस कुतिया की चूत में उस कुत्ते का लंड पूरी तरह घुस गया था और वह कुत्ता बुरी तरह से उसकी चूत में लंड अंदर-बाहर करने लगा। फिर इसके बाद उस कुतिया ने उसके लंड को बाहर खींच लिया और अपनी गांड में ले लिया, और मज़े से अपनी गांड मरवाने लगी।
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शायद उस कुत्ते का लंड वहाँ तक नहीं पहुँचा था, जहाँ तक पहुँचकर उसका लंड अटक जाता। यह देखकर मेरा लंड बुरी तरह से खड़ा हो गया। तभी मैंने देखा कि इस चुदाई के सीन को मैं ही नहीं देख रहा था, मेरे ग्राउंड फ्लोर वाले मकान में आई हुई एक नई लड़की भी देख रही थी।
बाद में पता लगा कि उसका नाम काजल है। अपने नाम के जैसी ही वो बहुत खूबसूरत थी। गोरा बदन, खरबूज के आकार के मम्मे, गोल सी, उभरी हुई और सेक्सी सी गांड, पतली सी कमर, अच्छे आकार वाली जांघें, काले से बाल और गुलाबी से होंठ। उसका बदन देखकर मुझे लगा कि उसकी चूत भी उतनी ही मज़ेदार होगी।
पर मैं समझ नहीं पा रहा था कि उसकी नज़र वैसे ही उस चुदाई के सीन पर थी या वह वाकई चुदना चाहती थी। एक दिन की बात है, मैं अपने घर में बोर हो रहा था, तो मैंने सोचा कि क्यों न मैं अपने दोस्त के घर चला जाऊँ। तो मैं उठा और अपने दोस्त के घर की ओर चल पड़ा।
रास्ते में मुझे बड़े जोर की शू-शू आई और उस समय मैं उस काजल और उस कुतिया की चुदाई के सीन के बारे में सोचने लगा था, जिसके कारण मेरा लंड खड़ा भी हुआ था। रास्ते में एक मोड़ पड़ता था, जहाँ एक गैरेज था और वह उन दिनों खाली रहता था। दरअसल, उन दिनों वह पूरी गली खाली थी।
मैंने उस गैरेज में घुसकर अपना लंड निकाला और मूतने लगा। अचानक मैंने देखा कि वह काजल वहाँ से गुजर रही थी। उसकी और मेरी नज़रें आपस में मिलीं और उसकी नज़रें मेरे लंड से भी मिलीं। वह मेरे लंड को गौर से देखने लगी और थोड़ी देर देखकर मुस्कुराकर चल पड़ी।
अब फिर वही बात, मुझे मूतते देखकर वह मुस्कुराई या मेरा लंड देखकर मुस्कुराई, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। पर उसकी आँखों में अजीब सा नशा झलक रहा था। खैर, जो भी हो, जब भी चुदाई करनी हो, तो आराम से ही करनी चाहिए, क्योंकि अपने ऊपर बलात्कार का केस कोई भी नहीं लगवाना चाहता।
वह आगे निकल गई और मैं मूतकर अपने दोस्त के घर चला गया। उसके एक दिन बाद मैं अपने कमरे में सोया हुआ था कि अचानक लाइट चली गई। मैंने सोचा कि मैं अपनी छत पर चला जाता हूँ और मैं छत पर चला गया। पर ऊपर जाकर मुझे नींद नहीं आ रही थी, तो मैं इधर-उधर टहलने लगा।
टहलते-टहलते मैं अपनी छत की साइड में चला गया, जहाँ मैंने देखा कि काजल नीचे बैक साइड वाली बालकनी में सोई हुई थी। मैं छत पर था और मेरे पीछे टंकियाँ थीं, इस कारण मुझे कोई देख नहीं सकता था। मैंने सोचा कि मुझे तो अब नींद आने वाली नहीं है, मैं काजल को ही देखकर थोड़ा समय पास कर लेता हूँ। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
ऊपर एक स्टूल रखा था और कुछ ईंटें भी थीं। मैंने दो-दो करके स्टूल की सभी टांगों के नीचे ईंटें लगा दीं और उस स्टूल पर बैठ गया। सामने दीवार थी, उस पर कोहनियाँ रखकर मैं चुपचाप उसका फिगर, मम्मे और जांघें देखने लगा। मुझे पता था कि वह मुझे साफ-साफ नहीं देख पाएगी, इसलिए मैं निश्चिंत था।
मैं थोड़ी देर उसे यूँ ही देखता रहा। फिर थोड़ी देर बाद मैं छत पर घूमने लगा। टहलते-टहलते मैं फिर उसी स्टूल पर जाकर बैठ गया। मैंने देखा कि उसकी स्कर्ट ऊपर उठ चुकी थी, अब उसकी गोरी-गोरी टाँगें और कच्छी भी दिखने लगी थी। निश्चिंत तो मैं था ही, क्योंकि मुझे मालूम था कि वह मुझे देख नहीं पाएगी।
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पर थोड़ी देर में मैंने देखा कि वह अपनी चूत पर ऊपर-ऊपर से उंगलियाँ फेर रही थी। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने स्टूल से नीचे उतरकर मुठ मारकर अपने लंड की प्यास बुझा ली। पर अब मैं सोचने लगा कि ये तूने क्या किया, जब चूत सामने थी, तो तूने मुठ क्यों मारी?
अब सुबह मैं मॉर्निंग वॉक करने गया, तो मैंने देखा कि काजल स्कूल जा रही थी। सुबह-सुबह तो बस खाली होती है, इस समय कोई फायदा नहीं था। तो मैंने सोचा कि क्यों न मैं उसको फॉलो करने में उस समय जाऊँ, जब स्कूल से वह वापस आती है। तो एक बजे मैं उसको फॉलो करने के लिए उसके स्कूल के स्टॉप पर पहुँचा।
सारी बसें भरी हुई आ रही थीं। मुझे बस यही तो चाहिए था। बस आई और जिस बस में वह चढ़ी, मैं भी उसी बस में चढ़ गया। वह बस के बीच में पहुँच गई। उसने मुझे देखा और मैंने उसे। हमारी नज़रें मिलीं और उसने शायद मुझे पहचान लिया कि यह वही लड़का है, जिसका खड़ा हुआ लंड मैंने देखा था।
मैं भी उसके पास पहुँच गया। मैंने सोच लिया कि अब आर या पार, छोटी सी हरकत करके देख ही लिया जाए कि तवा गर्म है या नहीं। मैं चुपचाप उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया। एक हाथ से मैंने ऊपर लगी हुई रॉड को पकड़ा और एक हाथ को मैंने अपनी जेब में डाल लिया।
अब मेरा हाथ उसकी गांड से लगने लगा। थोड़ी देर वह कुछ नहीं बोली, तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई। मैंने अपना हाथ अपनी जेब से निकाला और उसकी गांड पर बुरी तरह से फेरने लगा। वह भी अपनी गांड को पीछे की ओर सरकाने लगी। मेरी थरक बढ़ती ही जा रही थी।
मैंने अब उसकी गांड की छेद पर अपनी अँगूठे के साथ वाली उंगली लगाने लगा। काफी देर तक मैं यही करता रहा। फिर सीट पर बैठी हुई एक लड़की उठी और बोली, “बाय काजल, मैं अब जा रही हूँ, अब तुम इस सीट पर बैठ जाओ।” पर वहाँ एक बुढ़िया खड़ी हुई थी। काजल ने उसे वहाँ बिठा दिया।
लोगों की पोजीशन बदलने के कारण हमारी भी पोजीशन बदल गई थी। अब मैं आगे हो गया था और वह पीछे हो गई। पर इस पोजीशन में मेरा हाथ उसकी चूत तक जा पहुँचा। मैंने आव देखा न ताव, जैसे ही मौका मिला, मैं उसकी चूत पर उंगलियाँ फेरने लगा।
वह मस्त सी हो गई और अपनी चूत को आगे की ओर सरकाने लगी। मैं भी जोर-जोर से उसकी चूत की छेद के ऊपर उंगली फेरने लगा। अब वह बुढ़िया उठी और उसने काजल को बैठने को कहा, पर उसने मुझे उस सीट पर बिठा दिया। मैं थोड़ी देर उस सीट पर बैठा रहा, पर मेरा ऐम कुछ और था।
मैं तो उसकी चूचियाँ चूसना चाहता था। जैसे ही मौका मिला, मैंने उसकी चूचियों को चूसकर छोड़ दिया। अब हमारा स्टॉप आ गया और हम उतर गए। मैं अपने घर चला गया और वह अपने घर। उसका एक छोटा भाई भी था और मेरे भाई का भी एक छोटा बेटा था। काजल उसे खिलाने के लिए उस पार्क में जाती थी।
मैं भी अपने भतीजे को उस पार्क में ले जाने लगा। धीरे-धीरे हमारे बीच में बच्चों को खिलाते-खिलाते दोस्ती भी बढ़ने लगी। अब बातों में मैंने उससे पूछा, “सच बताना, उस दिन तुम कुतिया की चुदाई को ऐसे ही देख रही थी या तुम्हारा भी सेक्स करने का दिल कर रहा था?”
तो उसने बताया, “मैं अपनी सहेलियों से सुनती थी कि सेक्स में मज़े आते हैं, तो मैं अपनी चूत पर उंगली फेरकर उस सुख का अनुभव करना चाहने लगी।”
उसने कहा, “मैं यही सोचती थी कि इस सेक्स में क्या मज़ा है, पर जब उस दिन तुमने मेरे आगे और पीछे हाथ चलाया, तो मुझे सच में अच्छा लग रहा था। वाकई तुम्हारे हाथ के स्पर्श से मुझे पता चला कि सच में इस सेक्स में मज़ा है।” ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
अब एक दिन मैंने देखा कि उसके सारे घरवाले ऑटो में बैठकर बाहर चले गए हैं। तो मैंने कुछ देर इंतज़ार किया और उसके बाद मैं उसके घर के ऊपर छत से झाँकने लगा। थोड़ी देर बाद वह अपनी बालकनी में से कपड़े निकालने के लिए बाहर आई, तो मैंने उससे इशारे में पूछा कि क्या मैं नीचे आ सकता हूँ?
तो उसने हँसकर कहा कि तुम आ जाओ। मैंने मौका देखा और चुपचाप जाकर उसके घर की घंटी बजा दी। उसने हँसते हुए दरवाजा खोला और बोली, “आखिर तुम आ ही गए।” और मैंने कहा, “आना ही था, मेरा लंड जो बुरी तरह से खड़ा हो रहा था।”
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मैंने आव देखा न ताव, अपना लंड एक झटके से बाहर निकाला और उसका हाथ पकड़कर अपने लंड से लगा दिया और बोला, “इसके टोपे के ऊपर अपनी उंगलियाँ फेर।” वह ऐसा ही करने लगी, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। थोड़ी देर बाद मैंने अपने लंड के टोपे पर थोड़ा सा थूक लगाया और बोला, “अब जोर-जोर से इसके ऊपर उंगली लगाओ।”
मेरा लंड बुरी तरह से तन गया था। अब मेरा दिल कर रहा था कि अब इसकी चूत हो या गांड, सब का मज़ा चख लूँ। मैं अब उसकी गांड के छेद पर उंगली लगाकर उसे गर्म करने लगा। वह गर्म होने लगी और मेरे लंड को और जोर-जोर से हिलाने लगी। मैंने एक झटके से उसकी स्कर्ट ऊपर उठा दी और दूसरे हाथ से उसकी कच्छी नीचे कर दी।
अब मैंने अपने लंड के टोपे को उसकी चूत के छेद पर लगाया और जोर से धक्का लगाया। मेरा लंड उसकी चूत में थोड़ा सा घुस गया। वह बोली, “आह, यहाँ तो अब दर्द हो रहा है।” तब मैंने अपनी उंगली पर थोड़ा सा थूक लगाया और उसकी चूत पर और धीरे-धीरे उसकी चूत पर रगड़ने लगा। अब फिर से उसे मज़ा आने लगा।
अब मैंने उसकी स्कर्ट का हुक खोला और उसकी स्कर्ट नीचे गिरा दी। उसने एक-एक करके बारी-बारी से अपनी टाँगें उठाईं और लात मारकर स्कर्ट और कच्छी को दूर कर दिया। अब वह कमर के नीचे बिल्कुल नंगी थी। मैं अंदर गया और उसकी ड्रेसिंग टेबल पर रखी हुई तेल की शीशी खोली और अपने हाथ पर डाल ली।
अब उस तेल से उसकी चूत पर मालिश करने लगा। अब वह बड़बड़ाने लगी, “आ… आह, और रगड़ मेरी चूत पर, बहुत मज़ा आ रहा है, आह, ओह, आह, आआआ।” आह, ओफ, आआ, और जोर से रगड़, आह, आआआआआ, आह। उसकी बात सुनकर मेरा लंड और जोर से तन गया।
अब मैंने अपने एक हाथ से तेल लगाकर उसकी गांड पर ले गया और एक हाथ से उसकी चूत और एक हाथ से उसकी गांड सहलाने लगा। अब वह और भी जोर-जोर से चिल्लाने लगी, “ओह, आह, ओह, आआआआ….. बहुत मज़ा आ रहा है।” इसी गर्मी में मैंने धीरे-धीरे एक उंगली उसकी चूत में धीरे से डाल दी और अंदर-बाहर करने लगा।
उसे बहुत अच्छा लग रहा था। वह और भी जोर-जोर से अपनी चूत को आगे करके मेरी उंगली को अंदर-बाहर करने लगी। अब मैंने उसकी कमीज़ के दो बटन खोल दिए और उसकी एक चूची बाहर निकाल ली। और उसकी निप्पल को मसलने लगा। “आ हा, अब तो मुझे चूचियों में भी बहुत मज़ा आ रहा है.”
वह बोली। “तुम एक हाथ से मेरी चूचियाँ रगड़ो और एक हाथ से मेरी चूत को रगड़ो।” ऐसा सुनते ही मुझे जोश आ गया और मैंने उसकी सारी कमीज़ उतार दी। अब वह मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी। उसका गोरा और खूबसूरत बदन देखकर मैं तो दंग रह गया।
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अब मैंने जल्दी से उसकी एक चूची मुँह में ले ली और एक हाथ से उसकी चूची की डोडी को मसलने लगा और एक हाथ से उसकी चूत में उंगली अंदर-बाहर करने लगा। वह बहुत जोर-जोर से “आह…. ओह्म, आआआआ, आआआह, आ… ओओओ, ओआआह, आआआ” करने लगी।
अब मैंने अपनी पैंट उतार दी। मेरा लंड वह घूर-घूर कर देखने लगी। मैं उसे उठाकर बिस्तर पर ले गया और उसे लिटा दिया। अपने लंड के ऊपर थोड़ा सा तेल लगाया और उसके ऊपर चढ़ गया। अपने लंड के टोपे को उसकी चूत के छेद पर रख दिया और एक धक्का दिया।
अब क्योंकि उसकी चूत गीली हो चुकी थी, मेरा लंड उसकी चूत में आधा घुस गया। वह बोली, “आह,” पर मैंने अबकी बार परवाह नहीं की और जोर से धक्का मारा। मेरा लंड उसकी चूत में पूरा घुस गया। और हिला-हिलाकर अपने लंड को उसकी चूत में अंदर-बाहर करने लगा। धीरे-धीरे उसे बहुत मज़ा आने लगा।
वह चिल्लाने लगी, “और चोद… और जोर से चोद, मुझे बहुत मज़ा आ रहा है।” आह, ओह, आह, और जमके चोद, मेरी चूचियाँ भी चूस,” कहकर वह दोनों चूचियाँ अपने हाथ से दबाने लगी। और मैं उसे खूब जोर-जोर से चोदता रहा। और वह अपनी टाँगें चौड़ी करके और कमर को हिला-हिलाकर मेरे लंड को अंदर-बाहर करने लगी।
अब मुझे लगने लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ। तो मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया। मैं चाहता था कि उसे और थोड़ी देर लंड, चूत और गांड के मज़े देता रहूँ, ताकि वह मेरे लंड की गुलाम बनी रहे। मैंने सोचा कि मैं लंड को अगर बाहर निकाल लूँ, तो थोड़ी देर झड़ने से बच सकता हूँ।
मैं बात बनाते हुए बोला, “ये काम करते-करते मुझे भूख लगने लगी है, क्या फ्रिज में कुछ रखा है खाने के लिए?” वह बोली, “हाँ, रखा है, अंडे हैं और फ्रूट भी हैं।” मैंने कहा, “मैं एक मिनट में पिशाब करके आता हूँ, फिर हम यही काम करेंगे।” मैं पिशाब करके आया और फ्रिज खोला, तो मैंने देखा कि उसमें एक दारू का हाफ रखा था, जो आधा खाली था।
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मैंने उससे कहा, “मैं पहले तो ये पी लेता हूँ, फिर अंडे खा लूँगा। और बाद में इसकी जगह दूसरा हाफ रख दूँगा, जिससे कि तुम्हारे पापा को पता न लगे।” वह बोली, “हाँ, पीयो, कोई बात नहीं, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी, पर इसकी जगह दूसरी ज़रूर रख देना। मैं अंडे उबालने रख देती हूँ।” और वह चार अंडे उबालने के लिए ले गई।
इधर मैंने एक पेग बनाया और एक खीरा निकाल लिया। एक-दो घूँट भरे और खीरा खाने लगा। धीरे-धीरे उसमें से थोड़ी सी ही दारू बची थी। वह अब अंडे उबालकर ले आई। उसे देखते ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मैंने उस बची हुई दारू का एक हैवी पेग बनाया और आधा पी गया। बहुत स्ट्रॉन्ग था वह पेग। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उसे पीने के बाद मैंने एक अंडा खाया। पर उसे तसल्ली नहीं थी। मेरे खड़े लंड को देखकर मेरे लंड के टोपे के ऊपर उंगली फेरने लगी। मेरी तबीयत मस्त हो गई। उसकी उंगलियाँ फेरने से मेरा लंड और भी बुरी तरह फूलकर मोटा हो गया। मेरे तन-बदन में आग सी लग गई।
मैंने फटाफट अपना पेग जल्दी-जल्दी खतम किया और उसकी चूचियाँ मसलने लगा। उसे फटाफट बिस्तर पर गिरा दिया और जोर से उसकी चूत में लंड पेल दिया। लंड चूत में जड़ तक जा घुसा। मेरे मुँह से जोश में आवाज़ें निकलने लगीं, “ले, अब मेरा लंड खा, बहुत दिन से तंग कर रखा था मेरे लंड को तूने, ले, ले, ले… और अब जोर-जोर से लंड खा।”
वह भी बोली, “और जोर से चोद, और जोर से चोद, बहुत मज़ा आ रहा है, ले, ले, ले, मेरी चूत ले ले।” और-और जोर से चोद, ऐसे ही। अब हमें दस मिनट हो गए पेलते-पिलाते। अब मैं कहाँ जल्दी झड़ने वाला था, दारू का जो असर था। अब मैं भागा-भागा फ्रिज के पास गया और ककड़ी का एक पीस तोड़ लाया।
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उस पर थोड़ा सा थूक लगाया और उसके पास जाकर उससे चिपक गया। एक हाथ उसकी कमर में डाला और एक हाथ से ककड़ी उसकी गांड में घुसा दी। वह बोली, “ये क्या कर रहे हो मेरे पीछे?” मैंने कहा, “घबरा क्यों रही है, जैसे तू आगे से डलवा रही है, वैसे ही पीछे से भी डलवाया करेगी, थोड़ी देर रुक तो सही।” और मैं थोड़ी देर तक ककड़ी उसकी गांड में अंदर-बाहर करता रहा। अब जैसा कि मुझे लगा था कि उसे मज़ा आएगा, उसे धीरे-धीरे पीछे से भी मज़ा आने लगा। अब वह अपने चूतड़ पीछे करके ककड़ी लेने लगी।
अब मैंने अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया और एक हाथ से उसकी गांड में ककड़ी पेलने लगा। वह एकदम मस्त हो गई और बोली, “और चोद राजा, आआआ, आह, ओह, आह, बड़ा मज़ा आ रहा है, और जोर से ककड़ी मेरी गांड में डाल, आह, ओह, आह, और चोद, और चोद, आह।” और मेरी चूचियाँ चूस और मेरी निप्पल्स को रगड़, आआआह, ओह, आह, आआआआ। और जोर से चोद, आआआह, ओह, आह… हम दोनों चुदाई के जन्नत तक पहुँच चुके थे। और थोड़ी देर बाद मैं झड़ गया। पर उस दिन के बाद हमने कई बार चुदाई की। अब वह मेरे लंड के बिना नहीं रह सकती।
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