• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer

HamariVasna

Hindi Sex Story Antarvasna

  • Antarvasna
  • कथा श्रेणियाँ
    • Baap Beti Ki Chudai
    • Desi Adult Sex Story
    • Desi Maid Servant Sex
    • Devar Bhabhi Sex Story
    • First Time Sex Story
    • Group Mein Chudai Kahani
    • Jija Sali Sex Story
    • Kunwari Ladki Ki Chudai
    • Lesbian Girl Sex Kahani
    • Meri Chut Chudai Story
    • Padosan Ki Chudai
    • Rishto Mein Chudai
    • Teacher Student Sex
  • Girlfriend Boyfriend Sex Story
  • Bhai Bahan Sex Stoy
  • Hindi Sex Story
  • माँ बेटे का सेक्स
  • अपनी कहानी भेजिए
  • ThePornDude
You are here: Home / Rishto Mein Chudai / भांजी की कुंवारी चूत खोल कर चेक की

भांजी की कुंवारी चूत खोल कर चेक की

जुलाई 9, 2025 by hamari

Teen Niece Chudai XXX

मेरा नाम है कनिष्क है. मैं दो साल से कनाडा में मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा हूँ. मैं 32 साल का हट्टा कट्टा जवान हूँ. हाइट 5’8” वेट 60केजी. कलर फेयर और आँखें काली. लंड 7” लम्बा और ढाई इंच मोटा. फिजिकल फिटनेस स्पोर्ट्स और कामशास्त्र मेरी होब्बिज है. मेरी पत्नी मेरे साथ है. उस के आग्रह पर मैं मेरा ये अनुभव आप को सुना रहा हूँ. Teen Niece Chudai XXX

इंडिया में मेरा गाँव है. मेरे पिताजी प्रख्यात वकील थे. ऑफिस में पंद्रह एम्प्लाइज काम करते थे. कहते हैं की पिताजी बड़े चुड़क्कड़ भी थे. घर काम वाली सब नौकरानियां ऑफिस की सेक्रेटरीज गाँव की नामचीन चुलबुली औरतें इन सब की चूत में पिताजी का लंड कम से कम एक विजिट मार गया था.

मेरी माँ उस की दूसरी पत्नी थी. पहली पत्नी को आठ बच्चे हुए जिन में से दो ही जिन्दा रहे: सब से बड़ी कंचन और उन से दो साल छोटा भाई विमल. मेरी माँ भी आठ बार प्रेग्नेंट हुई इन में से तीन बच्चे. मैं सब से छोटा हूँ क्यों की मेरे जन्म के बाद पिताजी ने नसबंदी करवा ली थी. कंचन मेरे से दस साल बड़ी है.

उस के पति नटवरलाल ऑटो पार्ट्स के बड़े व्यापारी है. सिटी बाहर उनका छः बैडरूम वाला बड़ा बंगला है. पिताजी और जीजू को अच्छी नहीं बनती; कारण मुझे कंचन ने बताया लेकिन बरसों बाद. कंचन की शादी के वक्त मैं सात साल का था. शादी के पहले बरस कंचन को एक बच्ची हुई जिस का नाम रखा गया आरुशी.

आठ साल की उम्र में मैं मामू बन गया. आरुशी बहुत प्यारी लड़की थी. मेरे से उन की अच्छी बनती थी. मेरे साथ खुल कर खेलती थी और मैं उसे अच्छी कहानियां सुनाता था. वो बचपन से ही मुझे “मामू” कह के बुलाती थी. उस की सब से बड़ी टेलेंट थी स्केच बनाना. पांच साल की उम्र से उस ने जो स्केचेज बनाये इन में से कई इनाम जीत लाये.

जीजू ने मकान के ऊपर वाले मंजिल में एक अलग कमरा आरुशी को दे रखा था जिसे वो अपना स्टूडियो कहती थी और जहाँ वो स्केचेज बनाती थी. मेरे सिवा किसी को स्टूडियो में जाने की परवानगी नहीं थी. आरुशी अक्सर अपने बनाये हुए पिक्चर मुझे दिखती थी और मैं तारीफ भी करता था.

इसे भी पढ़े – भाभी ने आम के साथ अपने बूब्स भी चुसाऐ

में जब मेडिकल कॉलेज में भरती हुआ तब उन्नीस साल का था और आरुशी ग्यारह की. उस के बदन पर जवानी के निशान दिखने शुरू हो गए थे. सीने पर निम्बू साइज के नोकदार स्तन उभर आये थे और माहवारी शुरू हो गयी थी. पहले जो हाथ पाँव दियासलाई जैसे पतले थे वो अब भरने लगे थे. नितम्ब बड़े और चौड़े होने लगे थे.

पहले जो प्यारी लगाती थी वो अब ज्यादा प्यारी लगाती थी. लेकिन अभी वो थी तो बच्ची ही. मुझे मेडिकल कॉलेज में एडमिशन तो मिला लेकिन हॉस्टल में जगह नहीं मिला. जीजू और दीदी ने आग्रह किया कि मैं उनके साथ रहूं. मुझे ऊपर मंजिल पर एक अलग कमरा भी दिया गया.

सब खुश हुए लेकिन सब से ज्यादा आरुशी खुश हुई. पांच साल बीत गए. मैं मेडिकल कॉलेज के लास्ट ईयर में आ गया था और 24 साल का हो गया था. आरुशी 18 साल की हो गयी थी. उस के बदन पर जवानी चढ़ चुकी थी. बदन गोल और चिकना हो गया था. बड़े संतरे की साइज के स्तन अब ब्रा में भी छिपाये नहीं जा सकते थे.

नितम्ब भारी और चौड़े बन गए थे. जब वो चलती थी तब नितम्ब और स्तनों में जो थर्राहट होती थी वो किसी नामर्द के लंड को जगाने के लिए काबिल थी. इन सब के बावजूद दिल से तो आरुशी बच्ची ही थी. हम दोनों मिलते जुलते थे मस्ती मजाक करते थे और कभी कभी छेड़छाड़ भी कर लेते थे.

मुझे वो प्यारी लगाती थी मेरी भांजी जो थी. दीदी और जीजू को भी विश्वास था की मेरे साथ आरुशी सलामत थी. मैं कसम से कहता हूँ की आरुशी को चोदने का कोई प्लान मैंने बनाया नहीं था. ऐसा भी नहीं है की मैं उस के मस्त जवान जिस्म से अँधा था. कई बार मन ही मन में कोसता था की मैं कहाँ उस का मामू बना अगर गैर होता तो उस से शादी कर सकता और जी चाहे तब चोद सकता.

कौन नसीबदार होगा जो इस कच्ची कली को चोद के फूल बनाएगा. आरुशी तो मासूम थी मेरे दिमाग के विचार से अनजान थी. इसीलिए वो मेरे साथ छुट से बर्ताव करती थी जब कि मुझे अपने पर काबू रखना पड़ता था. कई बार ऐसा हुआ की मस्ती मजाक में निककर से ढकी उस की बुर दिखाई दी या तो जांघें नंगी हो गयी या तो स्तन दिखाई दिया.

ऐसे मौके पर में इतना एक्साइट हो जाता था की कम से कम दो बार मुठ मारनी पड़ती थी. कई रातों को मैंने उस को चोदने के सपने देखे लेकिन ये सपने ही रहे मैं कुछ कर नहीं पाया. ऐसे माहौल में एक दिन… एक दिन मेरे सपने हकीकत बन गए. बरसात के दिन थे. जीजू और दीदी गाड़ी ले कर कहीं गए थे.

कॉलेज से मैं घर आया तब आरुशी अकेली थी. घबराई हुई वो बोली “मामू पिताजी का फोन आया था. वो सूरत गए हुए हैं और वहां भरी बरसात हो रही है. शायद रास्ते भी बंद है. इसीलिए वो रुक गए हैं और कल या परसों आएंगे.” मैंने उसे आश्वासन दिया और कहा की फ़िक्र करने जैसी कोई बात नहीं है.

रात को यहाँ भी बदल छा गए और हलकी बारिश शुरू हुई. कुछ साढ़े दस ग्यारह बजे होंगे. घर में एक बुड्ढी नौकरानी थी जो सो गयी थी. मैं पढाई में मशगूल था. ऐसे में आरुशी अपना लेटेस्ट स्केच लिए मेरे कमरे में चली आयी. दूर टेबल पर स्केच रख कर वो मेरी बगल में आ खड़ी हो गयी और बोली “मामू इस पिक्चर के बारे में किसी को बताना मत. तुम देखो और कहो कैसा है. कोई चेंज करना जरुरी है?”

सब से पहले तो उस के बदन से आती खुशबु से मेरा मन भर गया था. दूसरे वो अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रखे ऐसे खड़ी थी की उस का स्तन मेरी पीठ साथ दब गया था. मेरे सोये हुए वो को जगाने के लिए इतना काफी था. दिक्कत ये थी की मैंने पजामा के अंदर निक्कर पहनी नहीं थी.

पजामा का टेंट बन जाये इससे पहले मैं कुर्सी में बैठ गया. पिक्चर वाकई सुन्दर था. एक नौजवान कश्ती में खड़ा पानी में जाल डाल रहा था. उस का पोज़, बदन का एक एक मसल, नदिया का पानी, दूर दूर के पर्वत ये सब बहुत अच्छी तरह ड्रा किये हुए थे. एक छोटी सी गलती थी.

“क्या गलती है.” आरुशी ने पूछा.

“यहाँ ये जो… जो है वो ऐसा सपाट नहीं होता. ये तो मर्द है इस का… तो… क्या कहूं?”

बात ये थी की जवान के बदन पर निक्कर बनायीं थी आरुशी ने. लेकिन औरत जैसी सपाट ड्रा की थी. भारी लौड़ा और वृषण से भरी हुई मर्द की निक्कर नहीं थी वो.

“बोलो न. कैसा होना चाहिए”.

“मर्द की निक्कर भरी हुई होती है सपाट नहीं. जैसे तुम्हारी ब्रा भारी होती है वैसे.”

“वो तो मैंने कभी देखी नहीं है कैसे ड्रा करुँगी” निराश हो कर वो बोली.

मेरे दिमाग में शैतान और जाँघों बिच लौड़ा दोनों जगाने लगे.

“खैर… मैं दिखाऊं तुझे एतराज न हो तो.”

वो खुश होकर तालियां बजाने लगी और बोली “हाँ तुम भी जवान मर्द हो और निक्कर पहनते होंगे.”

उस ने पजामा के नाड़े तरफ हाथ उठाया तो मैं हट गया और बोला “ऐसे नहीं. पहले ये बताओ की बदले में क्या देगी तू.”

“तुम जो कहो वो दूंगी.”

मैं जरा हिचकिचाया. कैसे कहूं इस भोली भाली लड़की को कि मेरा दिमाग फिर गया है.

“उन्… बदले में तुम तेरी… तेरी…ये दिखाओगी.”

इसे भी पढ़े – मजाक मजाक में देवर भाभी ने सेक्स कर लिया

मैंने सोचा था की गुस्सा करके वो चली जाएगी और कल मुझे घर से निकला जायेगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वो शर्मा गयी निचे देख कर धीरे से बोली “अच्छा.” “तू ठहर जरा मैं आता हूँ.” कहके मैं बाथरूम में चला गया. अकड़े हुए लंड को निक्कर में भरा नहीं जा सकता था. फटा फट मैंने मुठ मार ली.

वीर्य छूटने के बाद पेसाब किया तब लंड जरा नरम पड़ा निक्कर पहन कर मैं बाहर आया. नदी वाले जवान के पोज़ में खड़ा रहा और पजामा की नाड़ी खोल दी. आधा खड़ा लंड और वृषण से निक्कर तन कर भारी हुआ था. फटी आँखों से आरुशी देखती रह गयी. उस का चहेरा शर्म से लाल लाल हो गया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

फिर भी वो हिम्मत से बोली “मैं छू सकती हूँ.”

“हाँ हाँ क्यों नहीं” मैंने कहा.

वो मेरे पाँव के पास बैठ गयी. मुस्कुराते हुए दांतों से होठ काटते हुए उस ने मेरे सामने देखा और हाथ बढ़ा के निक्कर के ऊपर से लौड़ा सहलाया. कई मिनटों तक वो शरमाती हुई देखती रही लेकिन हाथ हटाया नहीं. मेरा लंड फिर से तन गया. आखिर मैंने उस का हाथ हटाया और कहा “देखा? ऐसा भारी ड्रा करना.”

कुछ बोले बिना वो खड़ी हो कर जाने लगी. मैंने उस की कलाई पकड़ ली और कहा “जाती कहाँ हो, तेरे वादे का क्या हुआ.” वो घबराई सी बोली “मामू माफ़ कर दो मुझे. मेरी गलती हो गयी. जाने दो मुझे.” मैंने उसे मेरे बाहुपाश में लिया और कहा “कोई बात नहीं. तेरी मरजी के खिलाफ कुछ नहीं करेंगे.”

उसने चेहरा उठा कर मेरे सामने देखा. वो इतनी मासूम और प्यारी लगती थी की मुझ से रहा नहीं गया. मैंने मुंह से मुंह चिपका दिया. वो छटपटाई और छूटने का प्रयत्न करने लगी लेकिन दो पांच सेकण्ड्स में शांत हो गयी और मुझे किश करने दिया. मैंने अपना मुंह खोल जीभ से उस के होठ काटे तो उस ने भी मुंह खोला और मेरे होठ काटे.

हमे जीभ एक दूजे के साथ खेलने लगी. मैंने उस के होठ चूसे और धीरे से काटे. कितनी मिनट तक किश चली इस का हमें पता न चला. आरुशी अब उत्तेजित होने लगी थी. जो हाथों की चौकड़ी बना कर सीने पर लगा रखी थी वो अब छोड़ दिए और मेरे गले से लिपटा दिए. उस के नाईटी से ढके स्तन मेरे साइन से दब गए.

मुझे लगा की उस ने ब्रा पहनी नहीं थी. चुम्बन छोड़ मैंने कहा “जा अब जा के सो जा. मुझे पढाई करनी है.” जवाब में उस ने सर हिला के ना कही मुझ से ज्यादा जोर से लिपट गयी. मेरे मन में आया की ये मेरी मासूम भांजी दिखती है इतनी मासूम है नहीं. मैंने उस के कान पर किश किया और कान में पूछा “आरुशी चोदना क्या होता है ये जानती हो?”

मेरी पीठ पर एक चिकोटी काट कर जवाब दिया उसने. मैंने फिर कहा “पहली बार लंड लेते वक्त दर्द होता है और खून निकालता है ये भी जानती हो” दूसरी चिकोटी जोरदार रही. मैं उसे पलंग पर ले गया. मैं पलंग पर बैठा और उस को गोद में बिठाया. मेरा एक हाथ उस की कमर पकड़े हुआ था.

दूसरे हाथ से मैंने स्तन टटोला. उस ने मेरी कलाई पकड़ ली लेकिन मेरा हाथ हटाया नहीं. उस का भारी गोल स्तन मेरी हथेली में बैठ गया. किश करते करते मैंने स्तन सहलाया और दबाया. निप्पल कड़ी हो गयी हुई छोटी सी निप्पल नाईटी के आर पार मेरी हथेली में चुभ रही थी.

मेरी उंगलियां अब नाईटी के हुक पर लग गयी. मुझ से हुक्स खुले नहीं और मैं अधीर हो कर नाईटी खींचने लगा तो उस ने अपने आप फटा फट हुक्स खोल दिए. मेरे हाथ ने नंगे स्तन थाम लिया. मैंने आरुशी को ऐसे घुमाया की मैं उस की पीठ पीछे आ गया. बगल में से दोनों हाथ डाल कर मैंने दोनों स्तन पकड़ लिए.

आरुशी के स्तन छोटे थे लेकिन कठोर थे. गोरे गोरे शंकु आकार के स्तन के बिच एक इंच की बादामी कलर की अरोला थी. अरोला पर कोमल कोमल छोटी सी निप्पल थी जो उस वक्त टाइट हो गयी थी. जब तक मैंने स्तन सहलाया दबाया और मसाला तब तक आरुशी कुछ बोली नहीं.

जैसे मैंने चुटकी में निप्पल पकड़े वो छटपटा गयी मेरा हाथ हटाने की कोशिश करने लगी. मेरे कान में उसने कहा “जरा धीरे से, वहां मैं स्पर्श सहन नहीं कर सकती.” उस के बाद मैंने निप्पल्स को बस चूसा मसला नहीं. आरुशी मुंह से आह्ह्ह्हह्ह आआअह्ह सीसिसिसिसीईईईई आवाज करने लगी.

स्तन को छोड़ अब मेरा हाथ उसकी जांघ पर रेंगने लगा. घुटने से शुरू कर के जैसे जैसे मेरा हाथ ऊपर तरफ खिसकता गया ऐसे ऐसे नाईटी भी खिसकती गयी और जांघ नंगी होती चली गई. गोल और चिकनी जांघें आरुशी ने एक दूजे के साथ चिपका रखी थी. मेरे हाथ के स्पर्श से जांघ पर रोएं खड़े हो जाते थे.

हौले हौले मेरा हाथ आरुशी की बुर तक पहुंचा. आरुशी ने निक्कर पहन रखी थी. जांघें सिकुड़ी हुई होने से मैं पेंटी तक पहुंचा लेकिन मेरी उंगलियां अंदर जा न सकी. अब मैंने आरुशी को धीरे से पलंग पर लेटा दिया. फ्रेंच किश करते करते मैंने दोनो स्तन टटोला दबाया और निप्पल्स चूसे. मेरा हाथ फिर बुर पर घूमने लगा.

इसे भी पढ़े – हवसी पापा ने अपने सामने मुझसे माँ को चुदवाया

कामरस से पेंटी गीली हो गे थी. मैंने उसे उतार डाला. आरुशी ने शर्म से बुर ढकने की कोशिश की लेकिन मैंने उसके हाथ हटा दिए. मैंने उँगलियों की नोक से पूरे बुर को टटोला. बुर के बड़े होठ मोठे थे और काले झांट से ढके हुए थे. छोटे होठ सूज गए थे और दरार से बाहर निकल आये थे.

बुर की दरार काम रस से भरी हुई थी मेरी उंगली ने उस की छोटी सी क्लाइटोरिस ढूंढ निकाली. एक इंच लम्बी क्लाइटोरिस छोटे से लंड जैसी टाइट हुई थी. मैंने क्लाइटोरिस को छुआ की आरुशी कूद पड़ी. उस की जांघे सिकुड़ गयी और टांगें ऊपर उठ गयी. मेरा हाथ पकड़ लिया और कान में बोली “मामऊ…उउउउउसस…. रहने दो. सससससीई… वहां मत छू…..ओह्ह्ह.. मत छुओ… बहुत….. गुदगुदी होती है.”

क्लाइटोरिस को छोड़ मेरी उंगली चूत के मुंह पर गयी. आरुशी की चूत छोटी और टाइट थी लेकिन गीली होने से मेरी एक उंगली अंदर जा सकी जो योनि पटल के पास रुक गयी. हौले हौले मैंने उंगली गोल गोल घुमाई जिस से चूत का मुंह खुल जाय. एक इंच उंगली जो अंदर जा सकी थी उस से चूत को दस मिनट तक चोदा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

जब चूत रिलैक्स हुई तब मैंने दो उंगलियां डाल कर चौड़ी की. धीरे धीरे चूत का मुंह खुलता गया. आरुशी एक्साइट हो चुकी थी. उस के कूल्हे डोलने लगे थे बदन कांप रहा था सांसें तेजी से चलने लगी थी और मुंह से सससससीई… ससीई आवाज होती रही थी. आखिर जब तीन उंगलियां चूत में आसानी से आने जाने लगी.

तब मैंने उस से कान में कहा “आरुशी प्यारी ये आखरी घडी है अब भी मरजी न हो तो चली जा सकती हो.” जवाब में उस ने बुर पर लगा मेरा हाथ पकड़ कर दबा रखा और दांत से मेरा होठ काटा. मैंने उसे ठीक से लेटाया. कूल्हे के निचे एक तकिया रक्खा जिस से बुर जरा ऊपर उठ आयी. उस ने खुद जांघें चौड़ी कर के उठाई और दोनों हाथों से पकड़ रखी.

काम रस से गिला बुर का गुलाबी अंदरी हिस्सा मानो लंड को बुला रहा था. मैं उसकी जाँघों के बिच में आ गया. एक हाथ में लंड पकड़ कर बुर पर घिसा और गिला मत्था क्लाइटोरिस से रगड़ा. आरुशी बेचैन हो रही थी उस के नितम्ब स्थिर नहीं रह पाते थे. मैंने एक हाथ उस के पेट पर रखा और उसे स्थिर किया.

दूसरे हाथ से लंड का मत्था छूट के मुंह में टिकाया और हलका सा दबाव से अंदर डाला. जैसा मत्था चूत में फसा मैंने लंड छोड़ दिया आगे झुक कर उस के बदन पर लेट गया और मुंह से मुंह लगा कर फ्रेंच किश करने लगा. आरुशी ने अपने हाथ मेरी गर्दन में डाले. हिप हिला कर मैंने लंड चूत में डालना शुरू किया तो वो योनि पटल तक जा कर रुक गया.

मैंने सावधानी से अकेला मत्था इस्तेमाल कर के ऊपर ऊपर से उसे चोदा. आरुशी ने हिप्स ऐसे हिलाये की चूत में से लंड का मत्था निकल जाने की मुझे दहशत लगी. मैंने कहा “आरुशी प्यारी जरा स्थिर हो जाओ इतना नितम्ब न हिलाओ.” “म…मम… में… को… सीईई…. आः… कुछ… न.. नहीं करती. आप ….ओह.. ओह तुम… च..चालू रक्खो न.. आप से आप हो जाता है.”

चूत को लंड से परिचित होने के लिए मैंने पांच सात मिनट तक छिछली चुदाई की. आरुशी से अब रहा नहीं गया. वो बोली “अब… अब कितनी देर ?” मैंने उस का मुंह फ्रेंच किश से सील किया. कमर के एक जोरदार धक्के से मैंने योनि पटल तोडा और आधा लंड चूत में पेल दिया. उस के मुंह से जो चीख निकली वो मैंने मेरे मुंह में रोक ली.

आरुशी छटपटायी. सारे बदन पर पसीना छा गया. जरा दर्द कम हुआ तब लंड ने ठुमका मारा तो चूत को ज्यादा चौड़ी किया. आरुशी को फिर दर्द हुआ. वो बोली “मामू निकाल ले तेरा ये.. ये.. जो कहो सो बहुत दर्द होता है.” किस पर किस करते हुए मैंने कहा “जरा सब्र कर. अभी दर्द चला जायेगा.”

लंड ने दूसरा ठुमका लगाया. इस बार दर्द नहीं हुआ. आधा लंड चूत में डाले मैं रुक गया था. दो पांच मिनट में आरुशी रिलैक्स हुई और बोली “चलो न मामू….” “इतनी जल्दी भी क्या है…. थोड़ी देर और रुकेंगे. और हाँ सर के निचे तकिये डाल तो तू लंड का चूत में आना जाना देख सकेगी.”

इसे भी पढ़े – छोटे भाई के पास सोई तो मुझे चोदने लगा

मैं हाथों के बल आधार हुआ और हमारे पेट बीच से वो लंड बुर देखने लगी. तगड़ा लंड को अपनी बुर में फसा हुआ देख कर वो शर्मा गयी और हाथों से अपना चहेरा छुपा दिया. मैंने हाथ हटाया तो आँखें मूंद ली. किस कर के मैंने पूछा “कैसा है अब दर्द.” वो बोली नहीं लेकिन योनि सिकोड़ कर जवाब दिया.

“आँखें खोल और देख लंड कैसे चूत में जाता है.” उस ने फिर देखा. इस बार आधा लंड बाहर देख कर वो घबराई और बोली “बाप रे इतना बड़ा… कैसे… कैसे जायेगा… फिर से दर्द होगा न…” “ना अब कभी दर्द नहीं होगा. देख मैं अब बाकी का लंड डालता हूँ तू देखती रहना दर्द हो तो बोलना.”

वो देखती रही और मैंने हलका दबाव से बाकी रहा लंड उस की चूत की गहराई में उतार दिया. बुर से लंड टकराया. “ये तो पूरा अंदर उतर गया” ताज्जुब हो कर वो बोली. “क्यों नहीं, दर्द होता है अब.” “न नहीं होता.” “कैसा लगता है.” वो फिर शर्मा गयी अपना चहेरा ढक कर मुस्कुरा के धीरे से बोली “मीठा लगता है.”

मैंने थोड़ी देर लंड को चूत की गहराई में दबाये रखा. बाद में हौले हौले बाहर निकाला. काम रस और उस के खून से रंगा हुआ लंड देख कर उसने कहा “मामू तुम को कोई दर्द तो नहीं होता न.” “न मुझे कोई दर्द नहीं है.” मैंने फिर से सारा लंड चूत में पेल दिया. मुझे खींच के उस ने अपने बदन पर ले लिया और बोली “आआह्ह्ह… मामू इतना अच्छा लगता है. तुम्हारा वो निचे से मेरे गले तक आ जाता है.”

मुझ से लिपट कर किश करने लगी. मैंने उस के पाँव उठा कर मेरी कमर पर लिपटाये और दोनों हाथ से स्तन मसलने लगा. उस की योनि में हलके हलके फटाके होने लगे. “आरुशी अब मुझ से रहा नहीं जाता. मैं धीरे से चोदुंगा. फिर भी दर्द हो तो मुझे रोक देना.” मैंने दो इंच सरीखा लंड बाहर खींचा और अंदर पेला.

ऐसे छोटे धक्के से मैंने उसे पांच सात मिनट तक चोदा. जब मुझे तसल्ली हुई की उस की चूत लंड से परिचित हो गयी है तब मैंने चोदने में पूरा लंड इस्तेमाल करना शुरू किया. धक्के की रफ़्तार धिरी ही रखी. अब मैं सारा लंड निकाल कर एक झटके से चूत में घुसेड़ देने लगा. आरुशी कूल्हे उछाल उछाल सहयोग देने लगी.

वो बोली “मामू मुझे कुछ हो रहा है. निचे फट फट होता है और गुदगुदी होती है.” हौले हौले चोदते हुए मैंने कहा “होने दो जो हो. रिलैक्स हो जाओ.” “मेरे स्तन पकड़ो न.” मैंने स्तन थाम के निप्पल चिपटी में ली. इस बार वो सहन कर पायी लेकिन योनि के फटाके बढ़ गए. लंड को आधा डाले मैंने कहा “आरुशी दबा तो लंड को.”

“कैसे?” “यूँ तेरी योनि सिकोड़ कर.” उस ने योनि सिकोड़ कर जैसा लंड दबाया वैसा लंड ने ठुमका लिया और मैंने झटके से अंदर पेल दिया. आरुशी के मुंह से आह निकल पड़ी. वो बोली “ये तो बहुत मीठा लगता है. फिर एक बार.” मैंने फिर आधा लंड निकला और फिर उस ने दबाया. हमारा ये खेल दस बार धक्के तक चला. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

बीस मिनट की धीरी चुदाई के बाद हमारी उत्तेजना इतनी बढ़ गयी की अपने आप धक्के की रफ़्तार बढ़ने लगी. मैं अब फटा फट जोर जोर से आरुशी की चूत चोदने लगा. मेरा लंड और ज्यादा अकड़ गया ठुमक ठुमक करने लगा. चूत में लप्प लप्प लपकारे होने लगे. मेरे हर एक जोरदार धक्के से आरुशी का बदन हिचकोले लेने लगा और वो छट पटाने लगी.

इन सब के बावजूद वो झड़ नहीं पाती थी. मुझे डर लगा की उस से पहले मैं झड़ जाऊँगा. लंड के धक्के चालू रखते हुए मैंने एक उंगली से क्लाइटोरिस टटोली अचानक ओर्गाजम ने आरुशी को घेर लिया. उस का बदन अकड़ गया मुझ से इतना जोर से लिपट गयी की मेरा चोदना रुक गया आँखें जोर से मूंद गयी मुंह से लार निकल पड़ी और सारा बदन पर रोएं खड़े हो गए और पसीना छूट गया.

थोड़ी देर वो बेहोश हो गयी. उस का ओर्गाजम तीस सेकंड चला. आरुशी के होश में आने तक मैं रुका. एक आध मिनट बाद उस ने आँखें खोली और बोली “हाय…मामू क्या हो गया मुझे… तुम ने ये क्या कर डाला मामू.” उस के कोमल होठों को चूमते मैंने कहा “प्यारी ये था तेरा ओर्गाजम चुदाई की चरम अवस्था. आया न मजा.”

“खूब मजा आया लेकिन मैं थक गयी हूँ. तुम को हुआ वो..” “क्या?” वो बोली “ओर्गाजम.” “नहीं हुआ लेकिन अब चोदना बंद कर देंगे. तू सो जा.” मैंने लंड निकालन शुरू किया तो उस ने मेरे कूल्हे पकड़ दबा दिए और बोली “ना मामू तुम चालू रखो जब तक चाहो तब तक. तुम्हारा वो तो टाइट ही है. है न?”

“हाँ है अभी मैं झाड़ा नहीं हूँ इसलिए लंड टाइट ही है.” “तो… तो… फिर से शुरू करो न.” कह कर उस ने योनि सिकोड़ी और लंड दबाया. फिर क्या कहना था… मैंने फिर से और तेज धक्के से आरुशी को चोदना चालू कर दिया. पंद्रह बीस धक्के में मेरे बांध छूट गया और मैं जोर से झड़ा. गरमा गरम वीर्य की न जाने कितनी पिचकारियां लंड से छूटी.

इसे भी पढ़े – मुझे तो बस लंड का पानी गिराना था

मेरे साथ फिर एक बार आरुशी भी झड़ी. मैं उस के बदन पर ढल पड़ा. उस के दोनों हाथ मेरी पीठ सहलाने लगे. मैंने उस पर चुम्बनों की बरसात बरसा दी. सफाई की परवाह किये बिना हम नंगे ही सो गए. जब मेरी आँख खुली तब सुबह के कुछ पांच बजे होंगे. बाहर अँधेरा था और धीरे बारिश हो रही थी.

आरुशी मुझे लिपट कर सोई हुई थी. मेरा लौड़ा चूत से निकल पड़ा था. नींद में वो और प्यारी लगाती थी. कबूतर की जोड़ी जैसे उस के स्तन देख कर मेर मन ललचा गया. मैंने हलके से एक स्तन सहलाया और उंगली से निप्पल टटोली. तुरंत ही निप्पल कड़ी हो गयी और उस ने आँखें खोली.

मुझे देख कर वो मुस्करायी और फिर आँखें बंद कर के मुझ से लिपट गयी. “ऊउन्न्न्न… कितने बजे?” उस ने नींद भरी आवाज में पूछा. मैंने किस कर के कहा “पता नहीं पांच बजे होंगे.” “मामू फिर से वो करेंगे.” “वो क्या?” जवाब में उस ने एक चिकोटी काटी और बोली “तुम जानते तो हो. कल रात जो किया था….”

“मुझे याद नहीं है की क्या किया था. बोल के बता न.” दूसरी चिकोटी काटी. बोली “चू..चू..डा..ई” “ओह फिर से चुदवाना है हाँ या ना?” “हाँ हाँ कह कर वो बैठ गयी. मेरा लौड़ा पकड़ खेलने लगी. उस की उंगलिओं के स्पर्श से देखते देखते में लंड तन गया. मुझे भी दिल हुआ था चोदने के लिए लेकिन मैंने कहा “देख, तेरी योनि का घाव अभी हरा है. जल्दबाजी करेंगे तो तुझे दर्द होगा.”

“नहीं होगा. तुम भी देखो न ये कितना तन गया है” मैंने उसे आगोश में ले कर चुम्बन किया. एक हाथ से बुर सहलाई. अभी भी बुर गीली थी. मैं पीठ के बल ले गया और उस को ऊपर ले लिया. “आरुशी मैं लंड खड़ा पकड़े रखता हूँ तू उस पर बैठ के चूत में ले.” मेरे दिखने से वो अपनी जांघें चौड़ी कर मेरी जांघ पर बैठी.

मैंने लंड पकड़ा था उस पर चूत टिका कर चूतड़ जो निचे किये तो आसानी से लंड चूत में घुस गया. जब वो पूरी बैठ गयी तब सारा लंडचूत में उतर गया था. मैंने उस के कूल्हे निचे हाथ रख के जैसे बताया वैसे वो कूल्हे ऊपर निचे कर के लंड लेने लगी. दस पंद्रह धक्के मार कर वो थक गयी और मेरे सीने पर ढल पड़ी.

मैंने उस की पीठ सहलाई उसे बाँहों में लिया और ऐसे घुमा की वो निचे आ गयी और में ऊपर. तुरंत उसने जांघें पसरी कूल्हे आधार किये. मैंने होले से लंड निकला और डाला. धीरी रफ़्तार से मैंने आरुशी को बीस मिनट तक चोदा. हम दोनों अब काफी उत्तेजित हो गए थे. मेरा लंड ठुमक ठुमक कर रहा था.

झड़ जाने की दहशत से मुझे कई बार लंड पूरा बाहर निकाल देना पड़ता था. उस की योनि भी हर सेकंड सिकुड़ कर लंड को निचोड़ती थी. अपने आप मेरे धक्के की रफ़्तार और गहराई बढ़ने लगे. घडी भर मैं भूल गया की आरुशी की ये नयी नयी चुदाई है. जोरदार धक्के से उसे चोदने लगा.

दस मिनट की घमासान चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़े. झड़ने के बाद भी इस वक्त लंड नरम नहीं हुआ. मैंने चूत में से निकाला नहीं. योनि के फटाके शांत होने तक मैं रुका. बाद में फिर धक्के लगाना शुरू कर दिया आरुशी को आश्चर्य हुआ. वो बोली “मामू तीसरी बार… तुम को ओर्गाजम हुआ नहीं था… ये तुम्हारा ल…लंड तो अभी भी अकड़ा हुआ है.”

मैंने कहा “प्यारी तेरे साथ ही मैं भी झड़ा था लेकिन तेरी चूत का स्वाद ऐसा है की मेरा लंड को तृप्ति नहीं होती. तुझे दर्द तो नहीं होता न.” “दर्द नहीं होता. जब तुम लंड अंदर डालते हो तब खूब गुदगुदी होती है बुर में निकालते वक्त भी. मामू चुदाई इतनी मीठी होगी ये तो मैंने सोचा तक न था. आयी.. जरा धीरे… धीरे से चोद न.”

तीसरी चुदाई पंद्रह मिनट चली जिस के अंत में हम फिर एक बार साथ साथ झड़े. हम दोनों फिर सो गए. सुबह फ़ोन आया की जीजू और कंचन सलामत हैं और शाम तक वापस आ जायेंगे. हमारे पास सारा दिन पड़ा था चुदाई के लिए. दिन के उजाले में आरुशी ने मेरा लौड़ा गौर से देखा.

मैंने उसे मुंह में लेने को कहा तब वो बोली “छी छी. ऐसा गन्दा?” “मैं उसे धो कर लाया हूँ. एक बार ले के देख. पसंद न आये तो निकल देना.” मेरे कहने पर उसने लोडे की टोपी खिंच मत्था खुला किया और मुंह में लिया. मैंने कहा “अब मत्थे को जीभ और तालु के बिच दबाये रख चूसना नहीं.”

लेकिन लौड़े की जात सुर सुर करते बढ़ने लगा और चाँद सेकंड में तन के लंड हो गया. आरुशी का मुंह पूरा भर गया. मैंने पूछा “गन्दा लगता है तो निकाल देना है..” “ऊऊण… ऊऊण.” आवाज के साथ सर हिला के उस ने नहीं कहा. मेरा लंड ठुमका लगाता था तो वो जैसे बच्चा माँ का स्तन चुसे वैसे लंड चूस रही थी. मदहोशी से उस की आँखें मुंद गयी थी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

“अब जरा मुंह खोल…” मैंने कहा. उस के खुले मुंह में लंड डाल निकाल कर मैंने उसे बिस मिनट तक चोदा. शुरू शुरू में वो चार इंच से ज्यादा लंड मुंह में ले नहीं सकती थी. हौले हौले वो सही टेक्निक सिखती गयी. आखिर में छः सात इंच लंड उसके गले में डाल सकता था. लंड में से काम रस झड़ता था जो उस के थूंक से मिल कर सारा लंड को गिला किये जाता था.

इसे भी पढ़े – बूढ़े दोस्तों ने वाइफ स्वैपिंग सेक्स का मजा लिया

लंड चूसने में उस की उत्तेजना भी बढती जा रही थी. मेरे छुए बिना निप्पल्स कड़ी हो गयी थी और बुर गीली हो गयी थी. मेरे कहने से उस ने अपने हाथ से क्लाइटोरिस सहलाना शुरू कर दिया था. थोड़ी ही देर में मुंह से लंड निकाल कर वो बोली “बस मामू आ जाओ अब मुझ से रहा नहीं जाता.” आरुशी के मुंह से ऐसे लफ्ज़ सुनते ही मेरा लंड और अकड़ गया. वो खुद ही लेट गयी थी और जांघें पसारे बुला रही थी. इस बार मैंने देर ना की. मैं ऊपर चढ़ गया लंड ने खुद चूत का मुंह ढूंढ लिया और एक ही धक्के में मैंने सारा लंड आरुशी की योनि में घुसेड़ दिया.

उस के मुंह से आह निकल पड़ी. उस के कूल्हे हिलने लगे मैं निर्दयता से उस को चोदने लगा. पंद्रह मिनट की चुदाई के दौरान वो तीन बार झड़ी. आखिर मैं भी जोर से झड़ा. उस यादगार दिन के बाद हम सावधानी से जब मौका मिले तब चुदाई कर लेते थे. आरुशी के प्लान मुताबिक उस ने अपने स्केचेज कनाडा की एक आर्ट्स कॉलेज में भेज दिए. उसे तुरंत वहां एडमिशन मिल गया. टिकट वीजा सब बन गया तब उस ने अपने पेरेंट्स को बताया. आरुशी पहले कनाडा आ गयी. छः महीनों बाद मुझे भी कनाडा की एक हॉस्पिटल में इंटर्नशिप मिल गयी. मैं कनाडा चला आया.

ये Teen Niece Chudai XXX की कहानी आपको पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों के साथ फेसबुक और Whatsapp पर शेयर करे…………….

अपने दोस्तों के साथ शेयर करे-

Related posts:

  1. सुहागरात में चुदाई का पूरा मजा लिया
  2. मामा ने प्रजनन का पाठ पढ़ा कर पेला मुझे 2
  3. ताई जी की चूत चोदने का मजा
  4. विधवा मौसी चोदने बाद उनकी बेटी को भी चोदा 1
  5. पतिव्रता बुआ की वासना साथ संभोग 2
  6. गुरु दक्षिणा में शिष्या ने कुंवारी चूत दी

Filed Under: Rishto Mein Chudai Tagged With: Anal Fuck Story, Bathroom Sex Kahani, Blowjob, Boobs Suck, Hardcore Sex, Hindi Porn Story, Horny Girl, Kamukata, Kunwari Chut Chudai, Mastaram Ki Kahani, Non Veg Story, Pahli Chudai, Sexy Figure

Primary Sidebar

हिंदी सेक्स स्टोरी

कहानियाँ सर्च करे……

नवीनतम प्रकाशित सेक्सी कहानियाँ

  • Sexy Marwadi Bhabhi Ko Bus Me Pataya
  • माँ को चोदते नौकरानी ने देखा तो उसे भी चोदा
  • Jija Ke Bistar Me Ghusi Pyasi Sali
  • मम्मी की प्यास बुझाने का इन्तेजाम हुआ
  • Sapne Me Padosan Aunty Ko Choda

Desi Chudai Kahani

कथा संग्रह

  • Antarvasna
  • Baap Beti Ki Chudai
  • Bhai Bahan Sex Stoy
  • Desi Adult Sex Story
  • Desi Maid Servant Sex
  • Devar Bhabhi Sex Story
  • First Time Sex Story
  • Girlfriend Boyfriend Sex Story
  • Group Mein Chudai Kahani
  • Hindi Sex Story
  • Jija Sali Sex Story
  • Kunwari Ladki Ki Chudai
  • Lesbian Girl Sex Kahani
  • Meri Chut Chudai Story
  • Padosan Ki Chudai
  • Rishto Mein Chudai
  • Teacher Student Sex
  • माँ बेटे का सेक्स

टैग्स

Anal Fuck Story Bathroom Sex Kahani Blowjob Boobs Suck College Girl Chudai Desi Kahani Family Sex Hardcore Sex Hindi Porn Story Horny Girl Kamukata Kunwari Chut Chudai Mastaram Ki Kahani Neighbor Sex Non Veg Story Pahli Chudai Phone Sex Chat Romantic Love Story Sexy Figure Train Mein Chudai

हमारे सहयोगी

क्रेजी सेक्स स्टोरी

Footer

Disclaimer and Terms of Use

HamariVasna - Free Hindi Sex Story Daily Updated