Village Kamuk Aunty
मेरा नाम चन्दन है. दोस्तो, मैं आपको अपनी बिल्कुल रियल सेक्स स्टोरी बताने जा रहा हूँ. इसमें कुछ भी झूठ या बनावटी नहीं है. मैं आशा करता हूँ कि ये कहानी आप लोगों को पसंद आएगी. मैं बरेली में रहता हूँ, मेरी उम्र तब 20 साल की थी. मैं एक बार एक रिश्तेदार की शादी में जाने के लिए तैयार हुआ और किसी कारण से इस शादी में मुझे अकेले ही जाना पड़ा. Village Kamuk Aunty
मैं घर से निकल गया और जहां शादी थी, वहां से कुछ ही दूरी पर मेरे दो चाचाओं के घर आस पास थे. मम्मी ने मुझसे कहा था कि पहले चाचा के घर चले जाना, फिर वहां से रात को शादी में इकट्ठे एक साथ चले जाना. मैं बड़े चाचा के घर शाम 5 बजे पहुंच गया था.
वहां बड़े चाचा-चाची, उनकी दो सन्तान थी. करीब 7 बजे के करीब वहां छोटी चाची भी आ गयी थीं. दोनों चाचियों से मेरा मज़ाक तो चलता था, लेकिन मेरे दिमाग़ में सेक्स या ग़लत बातें ज़्यादा नहीं होती थी. तब भी मुझे छोटी चाची बहुत अच्छी लगती थीं.
छोटी चाची का नाम अनीता था. वो उस वक़्त 28 साल की थीं. उनके बूब्स मोटे और तने हुए थे. उनकी गांड भी मोटी थी. अनीता चाची का फिगर बढ़िया था, वे थोड़ी साँवली थीं, पर सेक्स की गुड़िया सी लगती थीं. उनके एक बेटा था, वो अभी 5 साल का था.
किसी कारण से छोटे चाचा और उनका 5 साल का बेटा साथ नहीं आए थे, तो अनीता चाची अकेली ही शादी में जाने के लिए बड़े चाचा के घर आई थीं. आज तो सच में चाची क्या मस्त माल लग रही थीं. उन्होंने नई साड़ी पहनी हुई थी और फुल मेकअप में थीं.
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जैसे ही उन्हें पता चला कि मैं भी शादी में जाने के लिए आया हूँ, तो वो बहुत खुश हुईं. वो मुझसे करीब से मिलीं, थोड़ी बातों के बाद हम सब शादी में जाने के लिए रेडी हो गए और शादी में चले गए. शादी में रात को 11 बज गए थे. उस समय सर्दी का समय था. हम सब वापस बड़े चाचा के घर आ गए.
चाचा का रूम छोटा था, एक बेड पर बड़े चाचा चाची और मैं रज़ाई ओढ़के लेट गए और बगल में पड़े एक सोफे पर अनीता चाची अकेले कंबल ओढ़ कर लेट गईं. बड़ी चाची के दोनों किड्स अपनी खाट पर सो गए. रात को करीब कुछ देर बाद मुझे लगा कि किसी ने मेरा हाथ पकड़ा है और मुझे उठाना चाहता है. मैंने देखा तो अनीता चाची मेरा हाथ हिला रही थीं. मैंने साइड होकर देखा, वो मुझे देख रही थीं.
मैंने इशारे में पूछा- क्या हुआ?
तो वो मुझे आंख मारते हुए मुस्कुरा दीं. मैंने उनकी वासना को समझते हुए उनके हाथ और उंगलियों को किस कर दिया. मुझे इस वक्त चाची बहुत सेक्सी और प्यारी लग रही थीं. मैंने थोड़ा आगे बढ़कर उनके माथे पर किस कर लिया. फिर चाची ने मेरा हाथ खुद ही अपने मोटे मम्मे पर रख दिया. ओह दोस्तो.. क्या बताऊं.. वो मेरी लाइफ की पहली फीलिंग थी.
उसके बाद चाची ने मेरे होंठों पर किस किया. हमने काफ़ी देर तक एक दूसरे को किस किया. फिर मैंने चाची के मम्मों को दबाया और फिर उनके मम्मों को पीने के लिए ब्लाउज के हुक खोलने लगा. तभी चाची ने इशारे से कहा कि रूको.. हुक मत खोलो, मैं ऐसे ही चूचे बाहर निकालती हूँ, ताकि कहीं कोई जाग गया तो तुरंत बूब्स अन्दर कर लूँगी.. वरना जल्दी से हुक कैसे लगाऊंगी.
मैंने कहा- ओके.
कमरे की लाइट जली हुई थी. मैंने पहली बार किसी औरत के इतनी देर तक होंठ चूमे थे, दूध सहलाए थे. दोस्तो, क्या बताऊं, क्या मस्त मज़ा आ रहा था. ज़िंदगी में पहली बार इतने मोटे मम्मों को दबाने और पीने को मिल रहे थे.
अब हम दोनों चाची भतीजा गर्म हो चुके थे. मेरी पैन्ट में अंडरवियर में कुछ चिपचिपा सा महसूस हो रहा था. उधर चाची आँखें बंद करके हल्के स्वर में मादक सिसकारियां सी ले रही थीं. हम दोनों की सांसें गर्म और तेज़ हो रही थीं.
चाची ने इशारे से कहा कि लाइट ऑफ कर दो. मैंने लाइट ऑफ कर दी, फिर चाची ने धीरे से मेरे कान में कहा कि मेरे कंबल में ही आ जा. मैं उनके साथ चिपक कर लेट गया. मैंने कुछ देर चाची के होंठों को किस किया बूब्स पिए और एक हाथ उनकी चुत पर ले गया, मैंने देखा कि चाची की पेंटी में कुछ मोटा सा लगा हुआ है.
मैंने पूछा तो उन्होंने बताया कि एमसी चल रही है, पैड लगा हुआ है.. आखिरी दिन है. मैंने जैसे ही उसमें उंगली डाली, उफ कितनी गर्म और चिकनी चिपचिपे पानी से भरी हुई थी. मैंने कुछ देर चाची की चूत में उंगली की. अब चाची से बर्दाश्त नहीं हो रहा था. उन्होंने कहा कि पूरा हाथ डाल दे. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने अपनी तीन उंगलियां चूत में डाल कर अन्दर बाहर करना चालू कर दीं. वो तो चाह रही थीं कि पूरा हाथ ज़बरदस्ती उनकी चूत में घुसेड़ दूँ, पर तीन उंगलियों से ज़्यादा अन्दर नहीं डाल सका. इतने में मुझे लगा कि किसी के करवट लेने की आवाज़ सी महसूस हुई.
मैंने चाची को किसी तरह समझाया कि हम बड़े चाचा के घर हैं, किसी ने देख लिया तो बुरी तरह फंस जाएंगे. अपने को कंट्रोल में करो चाची. फिर मैं डर के कारण जल्दी से उठ कर अपने बेड पर आकर रज़ाई में घुस गया. पर लाइट जलाना भूल गया था.
सुबह 5 बजे चाचा उठे उन्होंने लाइट जलाई और वॉशरूम चले गए. फिर धीरे धीरे हम सब उठ गए. छोटी चाची मुझसे नज़र नहीं मिला पा रही थीं और मैं भी शर्मा रहा था. हम सबने नाश्ता किया. नाश्ते के समय बड़े चाचा ने पूछा कि लाइट किसने बंद की थी?
तो छोटी चाची ने तुरंत कहा कि वो मुझे अजीब सा लग रहा था. लाइट में नींद नहीं आती मुझे.. इसलिए मैंने लाइट ऑफ कर दी थी. मैं उनकी तरफ देखता रह गया था. उसके बाद बड़े चाचा काम पर चले गए. कुछ देर बाद छोटे चाचा चाची को लेने आ गए थे.
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वो मुझसे बोले- चल चन्दन, हमारे घर भी घूम कर चले जाना.
मैंने कहा- ठीक है चाचा.
चाचा आगे चल रहे थे, मैं और चाची पीछे पीछे चल रहे थे. चाची ने धीरे से मुझसे कहा कि चन्दन मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ, कहो तो पाँव पकड़ती हूँ, प्लीज़ ज़िंदगी में ये बात किसी को मत बताना, जो हमारे बीच कल रात हुआ था. नहीं तो मैं किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं रहूंगी, मेरी ज़िंदगी बर्बाद हो जाएगी. पता नहीं मुझे कल क्या हो गया था.
चाची की बात सुनकर मुझे अजीब सा लगा कि रात को ये मुझसे चुदने के मूड में थीं और अब पता नहीं ये ऐसा क्यों कह रही हैं. तब भी मैंने सोचा कि शायद इनको आत्मग्लानि महसूस हो रही होगी. तो मैंने सहज भाव उनको आश्वस्त करते हुए कहा- चाची चिंता मत करो.. मैं आपको प्रॉमिस करता हूँ, ये बात मैं कभी किसी को नहीं बताऊंगा.
फिर हम छोटे चाचा के घर पहुंचे. चाय पानी पी कर मैं वहां से चला गया. जाते वक़्त चाची की आंखों में एक अजीब सी उदासी और खिंचाव महसूस हो रहा था, जैसे उन्हें मेरा जाना ठीक नहीं लग रहा हो. मन तो मेरा भी नहीं था चाची को छोड़कर जाने का, लेकिन मुझे अपने घर वापस आना पड़ा.
अब मुझे रोज़ चाची की याद आने लगी, पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था. अब मैं रोज़ रात में.. और कभी कभी दिन में भी उनके बूब्स, चुत और किस को याद करके मुठ मार लेता था. मैं बस किसी भी तरह चाची को चोदना चाहता था, पर क्या करूँ.. कुछ समझ नहीं आ रहा था.
खैर दिन गुजरते गए.. पर चाची की जवानी मेरे दिलो दिमाग में बस सी गई थी. अपनी स्कूल की पढ़ाई के बाद मैंने ओपन कॉलेज से फार्म भरा, तो मैं अब घर पर ही रहता था. कॉलेज जाने की ज़रूरत नहीं होती थी.
एक दिन घर में बात हो रही थी कि चाचा चाची बच्चों को छुट्टियां मनाने के लिए अपने यहां बुला रहे हैं. इस पर मेरी मम्मी ने मुझसे पूछा कि चन्दन क्या तू जाएगा चाचा के यहां रहने.. क्योंकि तेरी बहनों पर तो टाइम नहीं है. यह सुनते ही मेरे मन में लड्डू फूटने लगे. मैंने तुरंत कह दिया- हां मम्मी, मैं उनके घर जाकर रहूँगा.
इस तरह मैं अपना एक बैग लेकर छोटे चाचा के यहां रहने चला गया. उनके घर मैं दोपहर को पहुंचा, डोरबेल बजाई तो चाची दरवाजा खोलते ही मुझे देखती रह गईं. उन्हें शायद यकीन नहीं आ रहा था कि मैं उनके दरवाजे पर उनके सामने खड़ा हूँ. वो भी बैग लेकर उनके यहां रहने के लिए आया हूँ.
वो बहुत खुश हुईं. हम दोनों अन्दर आ गए, चाचा ऑफिस गए हुए थे और उनका बेटा स्कूल गया था. घर में अन्दर पहुंचते ही हम दोनों ने एक दूसरे को गले से लगाया और कुछ देर चिपके रहे. उसके बाद मैंने उनके गाल, होंठ और गर्दन पर किस किए.
आज इस वक्त हम दोनों को किसी का डर नहीं था. हम दोनों अकेले थे. चाची शर्मा भी रही थीं क्योंकि हम दिन में बिल्कुल उजाले में पूरे होशोहवास में थे. वो भी एक चाची और भतीजे के बीच सब हो रहा था, जो शायद जल्दी से कहीं नहीं होता होगा.
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फिर मैंने चाची के मम्मों को हौले से दबाया और उनके ब्लाउज के एक एक हुक को बड़े आराम से धीरे धीरे खोले. वाउ चाची ने ब्लैक ब्रा पहनी थी. चाची के तने हुए गोरे मम्मे काली ब्रा में क्या मस्त आम जैसे लग रहे थे. मैंने कुछ देर तक चाची के मम्मों को दबाया और ब्रा के ऊपर से ही चूसा.
फिर मैंने चाची को घुमा दिया और पीछे की साइड में आकर उनकी नंगी पीठ और कमर को चूमते हुए उनके मम्मों को खूब दबाया. मैंने अपने दांतों से उनकी ब्रा के हुक को खोल दिया और ब्रा उतार दी. अब चाची ऊपर से बिल्कुल नंगी थीं.
मैंने जैसे ही चाची को अपनी तरफ घुमाया, वाउ उनके दो मोटे रसीले आम मेरे सामने थे. मैंने चाची को बेड पर लिटा दिया और खूब देर तक उनके मम्मों और निप्पल को पिया. इतने में चाची ने मेरी पैन्ट खोल दी और अंडरवियर के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़कर दबाने लगी. मेरा 6″ का लंड पूरी मस्ती में झूम रहा था.
मैंने चाची की साड़ी और पेटीकोट को एक साथ ऊपर कर दिया और चाची की पेंटी, जो कि गीली हो चुके थी, उसे उतारने लगा. चाची मुझे रोक रही थीं, वे शर्मा रही थीं. खैर मैंने चाची की पेंटी उतार दी और चाची से कहा- प्लीज़ चाची, आज पहले मुझे तबीयत से जी भर के आपकी चुत को देखने दो.. चुत होती कैसी है, मैंने आज तक रियल में किसी की चुत नहीं देखी है.
चाची ने शरमाते हुए बड़ी मुश्किल से अपनी दोनों टांगें खोल दीं. वाउ.. मैं किसी चुत को किताब या वीडियो के अलावा रियल में पहली बार देख रहा था. मैंने दोनों हाथों से चाची की चूत को खोल के देखा, वो अन्दर से बिल्कुल गुलाबी और रस से भरी हुई थी. इस वक्त चाची मेरे सामने पूरी तरह नंगी थीं और मैं अंडरवियर में था.
दोस्तो मुझे अभी तक लग रहा था कि मैं कोई सपना देख रहा हूँ. लेकिन वो सच था. हम दोनों सेक्स में पूरी तरह डूब चुके थे, पागल से हो रहे थे. अब जैसे ही मैंने अपना अंडरवियर उतारा और अपना लंड चाची की चुत में डालने को हुआ, तो चाची ने रोक दिया.
मुझे समझ नहीं आया कि कोई भी इंसान इस स्टेज पे आकर किसी को चोदने या चुदवाने से कैसे रोक सकता है. तभी चाची उठीं. उन्होंने अपनी अलमारी खोली, उसमें से कुछ लेकर आईं. मैंने देखा.. ओह चाची एक कंडोम लाई थीं. उन्होंने उसे मेरे लंड पर बड़े प्यार से चढ़ा दिया.
मैंने पूछा- चाची ये किसलिए?
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तो वो बोलीं- इस से सेफ्टी रहती है, ताकि हम दोनों में से किसी को कोई बीमारी, इन्फेक्शन आदि ना हो और वैसे भी मैं तुझे बहुत प्यार करती हूँ और लाइफटाइम करती रहूंगी. मैंने जीवन में कभी भी, ना शादी से पहले, ना शादी के बाद.. अपने पति यानि तेरे चाचा के अलावा किसी और से सेक्स नहीं किया है, ना कभी ऐसा सोचा था. लेकिन तू मुझे तब से अच्छा लगता था, जब तू बहुत छोटा था. अब तू दूसरा और आखिरी इंसान होगा, जो मुझे चोदेगा.
उनकी बात सुनकर मैंने चाची को चूमा और उनकी चुत में लंड डाल दिया. वाउ दोस्तो.. मेरा लंड गर्म भट्टी जैसी चुत में घुस गया.. क्या मज़ा आ रहा था. मैं चाची के मम्मों को पीता हुआ झटके मारने लगा. लगभग दो मिनट तक झटके मारने के बाद मैं चाची की चूत में झड़ गया. मुझे इस चुदाई में बहुत मज़ा आया था. चाची मुझे अब भी मेरे होंठों और गालों पर चूम रही थीं और मुझे अपने चूचे पिला रही थीं.
मैंने कहा- चाची, मेरा बहुत जल्दी निकल गया सॉरी.
वो बोलीं- कोई बात नहीं चन्दन मैं भी झड़ गयी हूँ, मुझे भी बहुत मज़ा आया और तूने पहली बार किया है ना.. इसलिए जल्दी झड़ गया है तू.. ऐसा हो जाता है.
मैंने उनको चूमा तो चाची फिर बोलीं- अच्छा ये बता तुझे कैसा लगा?
मैंने कहा- चाची मुझे तो ऐसा लग रहा था.. जैसे मैं जन्नत में हूँ. आपको याद करके मैं रोज़ मुठ मारता था, पर कभी भी झड़ने में वो मज़ा नहीं आया, जो आज आया है.
चाची बोलीं- पगले, अगर मुठ मारने में ही चुत या औरत का मज़ा मिल जाता तो सब लोग ऐसे ही काम ना चला लेते.
मैंने भी कहा- हां चाची आप सच कह रही हो.
फिर वो बोलीं- अच्छा सुन.. अब से कभी मुठ मत मारना, उससे सेहत का नुकसान होता है. अब जब भी मन करे, तू मेरे साथ कर लेना.
कुछ देर बाद हम दोनों फिर से गर्म हो गए और धकापेल चुदाई होने लगी. इस बार चुदाई का मजा देर तक चला. मैं चाची के घर वहां कम से कम तीन महीने तक रहा. मैंने हर रोज़ चाची को दो तीन बार चोदा. दिन में भी, रात में भी हम दोनों ने खूब सेक्स किया.
मैंने चाची की चुदाई उनकी एमसी के समय में खूब की, मतलब एक भी दिन गैप नहीं हुआ. तीन महीने बाद मुझे वापस अपने घर आना पड़ा. इन पूरे तीन महीनों में ना तो चाची ने कभी मेरा लंड चूसा था, न ही उन्हें ये पसंद था. और ना मैंने कभी उनकी चुत चाटी थी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
ना ही मैंने उनकी कभी गांड मारी थी, ना कभी उन्होंने ये सब करने को कहा था. बस सीधे सीधे चूत लंड में सेक्स कर लेते थे. मुझे तो मालूम ही नहीं था कि लंड चूसना, चुत चाटना, या गांड मारना भी सेक्स होता है. चाची को भी ये सब मालूम था या नहीं.. मुझे नहीं मालूम. उसके बाद आज बरेली में रहते हुए कई साल हो चुके हैं.
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हम दोनों कभी कभी मिल तो लेते हैं, लेकिन चाची के संग दुबारा सेक्स सिर्फ़ एक बार ही करने का मौका मिला था. चाची आज भी मुझे दिल से उतना ही चाहती हैं, जितना मैं उन्हें चाहता हूँ. अब मेरी शादी हो गयी है, खूबसूरत बीवी है, एक बेबी है, लेकिन चाची का प्यार मुझसे भुलाए नहीं भूलता है. मुझे सुहागरात में इतना मज़ा नहीं आया था.. जितना चाची के साथ फर्स्ट टाइम सेक्स करने में आया था. चाची के बाद अब तक मैं 2 कुंवारी लड़कियों और दो शादीशुदा महिलाओं के साथ सेक्स कर चुका हूँ.
चाची को छोड़कर मैंने इन सबके साथ वो किया है, जो चाची ने नहीं किया था. या उस वक़्त मुझे मालूम नहीं था कि सेक्स में और क्या क्या होता है. अब मुझे लंड चुसवाना, चुत चाटना बहुत पसंद है. गांड सिर्फ़ दो बार मारने मिली थी, पर उसमें मुझे बदबू के कारण मज़ा नहीं आया था. मैं फ़ोरप्ले बहुत अच्छा करता हूँ, बीवी की चूत भी बहुत चाटता हूँ, वो भी मेरा लंड खूब चूसती है. लेकिन चाची को बहुत मिस करता हूँ.