Village Farm Sex Kahani
मेरा नाम अनमोल कुमार है मै दिल्ली रहता हू वैसे यह जो भी घटना हुई है बीते दिनो की है जब मै अपने गाँव गया था मेरा गाँव कानपुर देहात मे है, मेरा परिवार दिल्ली मे रहता है। मेरे ताऊ जी सुरेश कुमार रेल्वे मे नोकरी करते है बाराबंकी मे इन्ही का परिवार गांव मे रहता है। Village Farm Sex Kahani
उनके परिवार मे उनकी पत्नी (ताईजी) है नाम- सरिता देवी उम्र -48, नैन नक्श तिखे है भरा हुआ शरीर बिल्कुल किरन खेर की तरह है दिखने मे, सरिता के दो बेटे है चन्दन और रौशन। चन्दन की उम्र 28 साल है, रौशन की उम्र 25 साल है. दोनो बेटो की शादी हो चुकी है.
चन्दन पैसे कमाने के सिलसिले मे बैंगलोर रहता है ओर रौशन यही गांव रहकर माँ पत्नी और भाभी की देखभाल करता है। रौशन बहुत मेहनती है खेती का काम करने के साथ साथ गांव से थोडी दूर मार्केट जाकर छोटी सी नोकरी करता है। सुबह उठकर खेतो मे काम करना फिर नौ बजते ही नोकरी पर चले जाना।
चन्दन की बीवी(ज्योति) दिखने मे दिव्या भारती की तरह थी फीगर अंदाजन 34 28 36 होगा। गोरा रंग छलकती जवानी जाहिर सी बात है पति बैंगलोर मे था तो लंड की प्यास तो होगी ही होठो के पास एक तील था जो उसकी हर मुस्कान पर लंड खडा कर देता था रौशन की पत्नी (रीमा)बहुत संस्कारी थी पूजा-अर्चना करने मे ही व्यस्त रहती थी कोई पराया मर्द अगर उसपर नजर भी डाले तो उसकी खैर नही।
अब चाचाजी का परिवार नाम-अर्जुन कुमार, उम्र -50 के आसपास पत्नी का स्वर्गवास हो चुका है. दो बेटिया एक बेटा पहली बेटी -प्रिया, प्रिया की शादी 2 साल पहले हो चुकी थी. दूसरी बेटी- अर्पिता जिसकी शादी होने जा रही थी। बेटा-अजय कुमार मेरे चाचा कानपुर सिटी मे रहते है।
पडोस मे ही विमला देवी रहती है जिनके पती का स्वर्गवास बहुत पहले हो चुका था उनका एक बेटा है जो परदेस मे रहता है, विमला चाची अकेले रहती है उनकी देवरानी है देवर है जो उनसे अलग रहते है। और भी किरदार है जो जुडते चले जाएंगे दोस्तो अब कहानी पर आता हू.
विमला चाची अकेली थी उम्र अंदाजन 50 के आसपास होगी गोरा दुधिया रंग चुचिया तनी हुई हल्का सा पेट बाहर चूतड गोल फूले हुए शायद ही कोई ऐसा हो जो उन्हे देखने के बाद लंड ना सहलाए। गांव पहुचा मेरे परिवार को छोड़कर सबका परिवार उपस्थित था सुरेश कुमार भी आए थे और चाचा अर्जुन कुमार का पूरा परिवार था।
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मै गांव पहुचा सबने मेरा स्वागत किया, करते भी क्यू ना 4 साल बाद जो गया था ज्योति भाभी से पहली बार मिला था बात तो नही की थी बस पहली बार देख रहा था वो भी मुझे देख रही थी फिर वो खाना बनाने चली गई रीमा भाभी मायके गई थी उनके मा की तबियत खराब थी इसलिए देखभाल करने के लिए वो गई थी।
अभी शादी मे 15 दिन बाकी थे मेरे घर मे 7 कमरे है और एक बडा सा अंगना है आंगन मे नल है सभी वही नहाते कपडे धोते है। मै अपने कमरे मे बैठा था अचानक मुझे एक फोन आया कमरे मे नेटवर्क नही था तो मै बाहर निकलकर जाने लगा… जैसे ही आंगन तक पहुचा मै सन्न रह गया आंगन मे ज्योति भाभी अपनी साडी गांड तक उठाकर मुतने बैठी थी मुझे देखकर वो चौक गई लेकिन खडी नही हुई.
शर्म के कारन मै तुरंत कमरे मे चला गया मुझे बार बार वही सब याद आ रहा था उनकी गोरी गांड ही नजरो के सामने आ रही थी। फिर थोडी देरबाद खाना खाने का समय हुआ सबको ज्योति भाभी अपने कमरे मे खाना दे रही थी,वह मेरे लिए अब भी अजनबी थी क्यूकी हमारी बात नही हुई थी अबतक। ज्योति भाभी मेरे कमरे मे आई.
भाभी – अनमोल बाबू ये खाना खा लिजिए वरना ठंडा हो जाएगा.
मै- भाभी वो सुबह आंगन मे, वो मै गलती से मुझे पता नही था आप वहा…
भाभी – कोई बात नही बाबू। (और मुस्कुराती हुई) बाहर चली गई।
मै खाना खा ही रहा था कि भाभी वापस आई.
भाभी- बाबू और और कुछ लाऊ रोटी दाल.
मै – नही भाभी पेट भर गया.
भाभी -खा लिजिए गरम में सबको इतना गरम नही मिलता।
और आकर जबरदस्ती रोटी प्लेट मे डालने लगी जोर जबरदस्ती करने के कारन उनका पल्लू गिर गया और मेरे आखो के सामने उनकी बडी बडी चूचिया आ गई जो बलाउज से बाहर झाकने की कोशिश कर रही थी। उनहोने अब भी पल्लू नही संभाला मै चुचिया देख रहा था रूई की तरह सफेद बडी बडी। इतने मे वो खडी हुई और बाहर चली गई। खाना खाने के बाद मै सो गया। शाम को आख खुली अजय मुझे जगा रहा था.
अजय – कितना सोता है भाई तू चल मेरे साथ ताईजी को पूजा करने के लिए फूल चाहिए.
मै- कहा चलना है.
अजय -यही पडोस मे विमला चाची के यहाँ.
(दोस्तो विमला चाची अकेली रहती है सो उन्होंने अपने घर के आगे फुलवारी लगाई है ताईजी रोज उनके यहा से फूल लेती थी.) मै और अजय विमला चाची के यहा पहुचे वो उकडू बैठकर छोट सा गड्ढा खोद रही थी. अजय ने आवाज दी.
अजय – चाची कहा बाडू हो?
चाची – हा बेटवा, आवा बैठा.
(उनका पल्लू जमीन पर गिरा था उकडू बैठे होने की वजह से उनके घुटने से चूचिया दबकर फूल गए थे) मै यह देखने लगा अजय जाकर खटिया पर बैठ गया मै दूर खडे होकर चाची के चुचियो को देख रहा था। लंड खडा होने लगा अचानक चाची की आवाज सुनकर होश आया.
चाची – अरे अनमोल बेटवा कैसे हो.
मै- (हडबडाते हुए) ठीक हू चाची।
चाची – बहुत दिन बाद गाव आए हो पहचान रहे हो ना.
मै- हा चाची।
चाची- अरे अजय बेटा,रौशन कहा है उससे बोली थी मजदूर लगा दे मेरे खेतो मे कटाई करनी है सबका गेंहू कट गया मेरा अबतक नही कटा अकेली हू तो सारे काम बच जाते है।
अजय- ठीक है रौशन भईया से बात करता हू.
मै- काकी मै काट दू आपकी फसल मुझे मजदूरी दे देना.
काकी – अरे बेटा तेरी काकी का खेत बहुत बडा है तू नही काट पाएगा काकी की फसल को (हसने लगी) काकी जौन मजदूरी देगी तुझे पसंद भी नही आएगी।
(अजय हसने लगा) मेरी कुछ समझ मे नही आयाआ पर थोडी देर बाद समझ गया कि शायद काकी डबल मिनिंग मे बोल रही है। फिर हमने फूल लिए और वहा से वापस आ गए। घर आकर हमने फूल ताई जी को दिए। वी मंदिर चली गई अजय बाहर गाय को चारा डालने लगा, मै घर के अंदर गया घर मे ज्योति भाभी सबके कमरे मे झाडू लगा रही थी। फिर वो मेरे कमरे मे आई, मै बेड पर पैर नीचे लटका कर बैठा था। भाभी बोली-
भाभी- बाबू पैर उपर कर लिजिए झाडू लगाना है.
मै- ठीक है भाभी.
भाभी झुक कर झाडू लगाने लगी पल्लू चुचियो पर से गिर चुका था. मै उनकी चुचियो को देखने मे मगन हो गया। वो जानती थी मै उनकी चुचियो को देख रहा हू इसलिए जानबूझकर और झुककर झाडू मारने लगी। मेरा लंड उठने लगा, मेरे लोवर मे तंबू बन चुका था अचानक वो खडी हो गई. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
भाभी- लग गया झाडू अब घर के और काम……..
अचानक उनकी नजर मेरे तंबू पर पडी वह चुप हो गई और साड़ी के उपर से ही अपने चूत को सहलाकर बाहर जाने लगी.
मै – भाभी, सुनिए (और मै खडा हो गया जिस वजह से पूरे लंड की लंबाई पता चल रही थी).
भाभी- क्या हुआ बाबू.
मै- वो एक कप चाय मिलेगी बहुत थकान सी है.
भाभी- हा तो ले लिजिए ना, मैने कब मना किया है.
और हसकर बाहर चली गई, मै अपने कमरे मे ही बैठा विमला काकी और भाभी के बारे मे सोचकर लंड सहला रहा था फिर अचानक भाभी कमरे मे आई चाय लेकर.
भाभी- बाबू आपकी चाय.
(आवाज सुनकर मैने तुरंत ही लंड को छोड दिया.)
मै – ह ह हाँ भाभी.
मैने चाय ली और पीने लगा भाभी मुस्कुराते हुए बाहर चली गई. लेकिन एक बात मै समझ चुका था कि भाभी को चुदाई का सुख नही मिल पा रहा, चाय पीने के बाद मै बाहर चला गया अजय के साथ गांव के चौराहे पर सबने मेरा हाल चाल पूछ परिवार के बारे मे पूछा। अंधेरा होने लगा था हम घर की तरफ चल दिए. घर आए तो बाहर विमला काकी,ताई जी और भाभी को आवाज दे रही थी. मै घर मे गया और भाभी से पूछा-
मै- भाभी काकी क्यू बुला रही है.
भाभी – बाबू वो शाम को हम खेतो की तरफ जाते है (और मुस्कुराने लगी).
मै समझ गया की ये लोग हगने जा रहे है, भाभी चली गई. मेरा दिमाग बार बार उनकी बाते सोच रहा था फिर मै फौरन छत पर गया वहा से देखने लगा की वो लोग किस तरफ हगने जा रही है (आप सबको बता दू मेरा घर गांव से थोड़ा बाहर है और घर के आसपास थोड़ी दूरी पर बॉस के पेड है).
मैने देखा की वो तीनो उसी बसवारी की तरफ जा रही है. मैने सोच लिया था कि कल से उन से पहले मै ही वहा जाकर हगने का नाटक करूंगा और उनकी गांड और चूत देखूंगा. फिर रात को खाना खाकर सब सो गए। अगली सुबह-
भाभी – उठिए बाबू सुबह हो गई, चाय ठंडी हो जाएगी (इतना कहकर भाभी ने मेरे शरीर से चादर खीच लिया).
चादर हटते ही उनके सामने मेरा खडा लंड आ गया जो पैंट से बाहर था (रात को मुठ मारने के बाद मैने लंड को पैंट के अंदर नही डाला था तुरंत नींद आ गई थी). यह सब देखकर भाभी तुरंत कमरे से बाहर चली गई और रसोई मे जाकर जोर जोर से हसने लगी। उनकी हसी सुनकर मुझे अहसास हुआ और मै तुरंत उठकर बैठ गया. मै बाहर जाने लगा जैसे ही रसोई के पास से गुजरा भाभी और हसने लगी. मै रसोई मे गया और बिना उनसे आख मिलाए.
मै – भाभी वो मै,पता नही कैसे, पलीज भाभी किसी से कहिएगा नहीं.
(वो हसे जा रही थी.)
भाभी- अरे देवर बाबू लेकिन।
मै – भाभी प्लीज मत कहना किसी से.
भाभी- अरे ऐसी बाते किसी से कही थोड़ी ही जाती है आपने भी तो उस दिन आंगन मे मेरा पिछवाडा देख लिया था.
मै- क्या भाभी.
भाभी – (करीब आकर)अरे मेरी गांड ना देख ली थी अचानक आपने.
मै – माफ करना भाभी गलती हो गई.
भाभी – नही ये सब होते रहता है इतना बडा घर है कोन कहा है किसको पता.
मै -जी भाभी.
भाभी – बाबू एक बात पूछू.
मै- हा भाभी पूछिए.
भाभी – उस दिन आपने मेरी गांड देख ली थी, कैसी लगी आपको?
(मै शॉक हो गया.)
मै- भाभी ये आप क्या बोल रही है.
भाभी- बोलिए ना बाबू मुझे तो आपका देखकर अच्छा लगा आप तो ऐसे शर्मा रहे है जैसे कवनो नई नवेली दुल्हनिया.
(मै मन मे “साली तेरी गांड मिल जाए तो पेल पेलकर फाड दू.”)
मै- भाभी वो आपकी गां….. (इससे पहले मै कुछ बोलता बाहर से अजय आता है).
अजय – भाभी चाय बनी की नही? पापा और ताऊजी कबसे चाय मांग रहे है.
भाभी- हा अजय बाबू ले जाइए चाय.
अजय ने चाय ली और बाहर जाने लगा मै भी उसके साथ बाहर को चल दिया जाकर ताऊ जी के पास बैठ गया. ताऊ जी मेरी पढ़ाई के बारे मे पूछने लगे. इतने मे विमला काकी आती है.
काकी- सुरेश बाबू रौशन बेटवा कहा है?
ताऊजी – वो तो दुकान चला गया.
काकी – मजदूर नही मिल रहे खेत की फसल खराब ना हो जाए.
ताऊजी- अजय और अनमोल को ले जाईए भाभी ये दोनो काट देंगे.
मै- हा काकी बस एक बार बता देना कैसे काटते है मै भी काट लूंगा फसल.
काकी- ठीक है बेटवा अजय को बुला लाओ.
अजय अपने कमरे मे जा चुका था मै अजय के पास जाता हू उससे बात करके बाहर आता हू.
मै -(निराश होकर की साला काकी को ताडने का मौका हाथ से गया) काकी वो अजय रसोई गैस लेने बाजार जा रहा है शाम तक लोटेगा तो मै अकेले…
काकी- कोई बात नही बेटवा तू ही चल मै सीखा दूंगी.
मै- (खुश होकर) ठीक है काकी अभी आया।
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मै और काकी खेत कि तरफ चल पडे। काकी का खेत काफी दूर था था गांव से बाहर सबकी फसल कट चुकी थी तो उस तरफ किसी का आना जाना नही था। बहुत कम लोग ही सुबह सुबह उस तरफ जाते। काकी के खेत के चारो तरफ सरपत की झाडिया थी जो खेत को चारो तरफ से घेर लेती थी। काकी ने एक पतली साडी पहन रखी थी सफेद रंग का ब्लाउज उनहोने ब्रा नही पहनी थी और मुझसे दो कदम आगे चल रही थी.
मै- काकी कितनी दूर है आपका खेत.
काकी- बस बेटवा आ गए थोडी ही दूरी रह गई है।
जिस काकी को मै कभी गलत नजर से नही देखता था वो मेरे आगे आगे अपने भारी भरकम गांड मटका कर चल रही थी.
मै- काकी दोपहर मे जब भूख लगेगी तो हम क्या खाएँगे.
काकी- बेटवा वही खेत के बगल मे गन्ने का खेत है वो भी अपना ही है वहा से गन्ने तोड़कर चूस लेंगे।
मै- नही काकी मै बिना खाए नही रह पाउंगा भूख बर्दाश्त नही होती.
काकी- अरे बेटवा घबराता काहे है मैने रोटी बांधकर रख ली है। और हा तेरी ज्योति भाभी आ जाएगी तेरे लिए खाना लेकर।
मै- अच्छा काकी.
काकी- हा बेटे। अच्छा तू मुझे गन्ना तो देगा ना मुझे बहुत शौक हे चूसने का.
मै- हा काकी मै आपको खूब मोटावाला गन्ना दूंगा.
हलकी धूप के कारन काकी का शरीर चमक रहा था 50 की उम्र मे भी कामुक लग रही थी.
काकी- अच्छा बेटवा तू मेरी फसल अच्छे से काट तो लेगा ना.
मै- हा काकी बस आप एकबार बता दिजिये कैसे काटना है मै काट लूंगा।
काकी – हा बेटवा। तू कितना प्यारा है जो मेरे लिए इतना कर रहा है काहे जाकर शहर रह गया तेरा बाप काश तुम सब यहा होते तो चहल-पहल होती गांव सूना लगता है.
मै- हा काकी “गांव से अच्छा कुछ नही” मुझे भी मन नही करता शहर जाने को लेकिन पढ़ाई के लिए.
काकी- मै तो बिल्कुल अकेली हू तुम सब हो तो मेरे सारे काम हो जाते है वररना ये खेती बारी मेरे बस की बात नही। बेटा है तो जाकर परदेस बस गया है माँ का जरा भी ख्याल नही उसे.
मै- नही काकी ऐसी बात नही भईया तो पैसे कमाने ही गए है जलदी आ जाएगे।
इसी तरह बाते करते करते हम खेत की तरफ जा रहे थे खेत बस 10 कदम दूर रह गया था की काकी रूक गई मै भी उने पास जाकर खडा हो गया हमने देखा की एक बैल गाय को चोद रहा था काकी की नजर तो मानो जैसे बैल के लंड पर ही टिक गई। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उनके हाथ अपने-आप ही अपने चूत पर साडी के उपर से सहलाने लगे। इतने मै बैल ने एक जोरदार शॉट मारा और गाय चिल्लाने लगी. काकी का ध्यान टूटा वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए खेत मे घुस गई मै भी उनके पीछे पीछे उनकी गोल गुदाज गांड को निहारते हुए खेत मे चला गया। (काकी मुझे समझाते हुए,)
काकी – देख बेटवा इस तरह काटी जाती है फसल.
मै- जी काकी.
और हंसिया हाथ मे लेकर गेहू की फसल काटने लगा,काकी शायद अब भी गाय और बैल की चुदाई के बारे मे सोच रही थी और उकडु बैठकर मेरे पास से ही एक लाइन मे फसल काट रही थी। उनका पल्लू नीचे खिसक चुका था मेरा ध्यान जब इस तरफ गया तो मै उनकी चुचियो देखने की कोशिश करने लगा.
मै- काकी आपको बहुत मेहनत पड जाती होगी ना.
काकी- नही बेटवा अकेली हू मेहनत तो नही लगती सारे काम जलदी हो जाते है बस कोई हाल पूछनेवाला नही है.
मै- कैसी बात करती हो काकी हम सब है ना आपके साथ आपके परिवार की तरह ही.
और उनकी चुचियो को देखे जा रहा था वो जानती थी मेरी नजर कहा पर है फिर भी उन्होंने चुचियो को ढकने की कोशिश नही की ये देखकर मेरा लंड और सिर उठाने लगा और फसल काटने मे ध्यान नही लग रहा था.
मै- काकी आपसे एक बात पूछू.
काकी- हा बेटवा पूछ.
मै- (भोला बनते हुए) काकी जब हम खेत आए तो वो बाहर दोनो गाय क्या कर रही थी.
काकी- हाहाहाहाहा अरे बुद्धु वो गाय नही उसमे से एक गाय और एक बैल है.
मे- अचछा काकी वो गाय और बैल क्या कर रहे थे एक दूसरे के नीचे (मेरी गांड फट रही थी ये सब पूछते हुए लेकिन मै अपनी किस्मत आजमा रहा था).
काकी- अरे बेटवा उ बैल गाय को प्यार कर रहा था (अपनी चूत को उपर से सहलाते हुए).
मै- ये कैसे काकी कैसा प्यार.
काकी- अरे बेटवा उ बैल पीछे से अपना लं………
मै- (काकी की बात पूरी होती कि बीच मे मै) आहहहहहहहहहहहहहहह काकी आहहहहहहहहहहहहहहह.
काकी – क्या हुआ बेटवा.
मै – काकी वो गेहू काटते हुए हंसिया से उंगली कट गई है.
काकी – हायययययय रामम। उंगली काट ली अब घर वाले कहेंगे की बेटवा की उंगली कटवा दी.
मै – अ आआआआआआआहहहहहहहहह काकी ऐसी बात नही है बस खून रूकना बंद हो जाए.
काकी – ला देखू तो कहा लगी है (मै उठकर काकी के पास जाकर बैठ गया) काकी का पल्लू अब भी जमीन पर था चुचियो का रंग और शेप देखकर लंड खडा होने लगा।
काकी ने मेरी हथेली पकडी और जिस उंगली पर चोट लगी थी उस उंगली को देखने लगी.
काकी- हायययययय राम कितना खून बह रहा है (इतना कहकर उनहोने तुरंत मेरे उंगली चूसने लगी ऐसे जैसै कोई मोटा लंड मिल गया हो).
काकी मेरे कटी हुई उंगली को चूसे जा रही थी.
मै- आहहहह काकी दर्द हो रहा है.
काकी- बेटवा ध्यान से काटना चाहिए था ना उंगली काट ली तूने.
काकी बिलकुल लंड चुसने की स्टाइल मे उंगली चूस रही थी अपने होंठो पर रगडकर.
मै- हा काकी ध्यान से ही तो काट रहा था पता नही कैसे उंगली पर लग गई।
काकी – खूब जानती हू तेरा ध्यान कहा था (और इतना कहकर उन्होंने अपने पल्लू से अपना सीना ढक लिया).
मैने शर्म से आखे नीचे कर ली.
मै- काकी मै क्या करू दर्द हो रहा है.
काकी- बेटवा वहा किनारे बैठ जा मुझे ही काटनी पडेगी अब फसल सूरज सर पर चढ रहा है धूप हो जाएगी तो काम करते नही होगा.
(इतना कहकर उन्होंने अपना पल्लू अपनी कमर मे बांध लिया और फसल काटने लगी) सफेद ब्लाउज पहनने के कारन धूप मे उनका चुचिया झलक रही थी. मै वही किनारे जाकर बैठ गया और काकी को घूरने लगा।
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काकी – बेटवा तेरी उंगली तो ठीक है ना.
मै – हा काकी खून नही बह रहा लेकिन दर्द है.
काकी – अरे बेटवा मेरी ही गलती है जो तुझ शहरी बाबू से फसल कटवाने जा रही थी.
मै- नही काकी ऐसी बात नही है मै काट लेता फसल लेकिन ये चोट लग गई.
और उठकर उनके सामने जाकर बैठ गया और उनकी चुचियो को खा जाने वाली नजरो से देखने लगा. उनकी चुचिया मानो अभी ब्लाउज से उछल कर बाहर आ जाएगी. काकी मेरी नजर को पकड चुकी थी और मंद मंद मुस्कुरा रही थी.
काकी- हा बेटवा लेकिन फसल काटने के मामले मे तू नौसिखिया है.
मै – हा काकी.
और काकी फसल काटे जा रही मै उनकी चुचियो को देखकर अपना लंड सहला रहा था. मुझे बिल्कुल भी अंदाजा नही था की 50 साल की औरत भी इतनी कामुक हो सकती है। काकी की चुचिया अब भी टाईट थी जो किसी भी जवान का लंड खडा करने के लिए काफी था।
काकी जानती थी की मेरा हाथ मेरे लंड पर है. मै काकी के चुचियो को खा जानेवाली नजरो से देख रहा था लंड अपनी पूरी औकात मे आ गया था। काकी को पता चल चुका था लेकिन फिर भी वो अंजान बनकर फसल काटने मे लगी हुई थी। और मंद मंद मुस्कुरा रही थी।
काकी – बेटवा कैसा है तेरी उंगली का दर्द?
मै- ठीक ही है काकी.
काकी – देख बेटवा हम जो भी काम करते है उसी पर हमारा ध्यान होना चाहिए।तू जब फसल काट रहा था तब तेरा ध्यान ही नही था इसलिए तुझे चोट लगी है।
मै- काकी ऐसी बात नही है मेरा ध्यान था फसल काटने पर ही लेकिन अचानक ही उंगली पर लग गई।
काकी – ठीक है बेटवा.
(काकी का पूरा बदन पसीने से भीग चुका था और चुचियो को देखकर मै भी गरम हो रहा था। काकी इस गरमी को भाप चुकी थी.)
काकी – बेटवा मेरे करीब आकर बैठ जा (थोडी देर के लिए उन्होंने फसल काटना रोक दिया).
मै अपना तना हुआ लंड लेकर उनके दाहिने तरफ बैठ गया उन्होंने पूरी तरह देख लिया था कि मै उनके दूध को घूरे जा रहा हू। इसके बाद भी वो उसे ढकने का नाम नही ले रही थी।
काकी – (मेरे लंड की तरफ घूरते हुए) बेटवा अगर भूख लगेगी ततो बता देना। काकी अपना पूरा परोस देगी।
(मै समझ चुका था काकी डबल मिनिंग बोल रही है.)
मै – काकी अभी तो भूख नही लगी है लेकिन वो मै… वो मुझे.
काकी- क्या मै, मुझे सीधे बोल बेटवा क्या हुआ अचानक ही तेरे भाव कैसे परिवर्तित हो गए।
मै – काकी वो मुझे बहुत जोर से पेशाब लगी है।
काकी – हा हा हा हा हा ये भी शरमाने की बात है अरे बेटवा यही किनारे झाडी मे कर लो.
मै – पर काकी आप यही हो, आपके सामने कैसे?
काकी- अरे बेटवा शरमाओ नही कर लो देर तक रोकना अच्छा नही। मै नही रोक पाती कभी भी।
मै- ठीक है काकी.
(और उठकर काकी के बाई तरफ जाने लगा मेरे खडे लंड का तंबू काकी की नजरो के सामने था। जिसे देखकर वो हैरान थी और उनका हाथ अनायास ही उनकी चूत पर चला गया.)
काकी – बेटवा लगता है बडी जोर से लगी है.
मै- हा काकी.
और जाकर इस तरह खडा होकर मुतने लगा कि काकी को मेरा लंड आसानी से नजर आए. मै मूत रहा था और काकी मेरे लंड को घूर रही थी उनका मुह खुला का खुला रह गया था। शायद उन्होंने पहली बार इतना बडा लंड देखा था। वो साडी के उपर से ही अपनी चूत को रगड रही थी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
और वो इस तरह धीरे से रगडती की मेरी नजर ना पडे लेकिन मै सब देखकर अंजान बने रहना चाहता था। काकी पूरी तरह गरम हो चुकी थी पर वो इस बात को जताना नही चाहती थी। वो फिर से फसल काटने लगी और मै आकर उनके दाहिने तरफ बैठ गया।
काकी- देख बेटवा सूरज सिर पर चढे जा रहा है और अभी तक एक तिहाई फसल भी नाही कटी है.
मै- काकी हो जाएगा आप चिंता मत किजिये.
(इतने मे वही गाय जो थोडी देर पहले चुदवा रही थी वो खेत मे घुसने लगी.)
काकी – बेटवा ये कहा घुसी चली आ रही है जरा हाक तो इसे वरना फसल नुकसान कर देगी.
मै – हा काकी अभी हाकता हू इसे.
(और मै उठकर उसे भगाने लगा और थोडी देर बाद आकर फिर बैठ गया.)
मै – काकी एक बात पूछू.
काकी- हा बेटवा पूछ.
मै – काकी ये वही गाय है ना जो बाहर बैल के उपर चढने की कोशिश कर रही थी (ये पूछते हुए मेरी गांड फट रही थी.)
काकी- हा हा हा हा हा अरे बुद्धु तू सच मे अनाडी है.
मै- क्यू क्या हुआ काकी.
काकी- अरे बेटवा ये गाय उपर नही बैल के नीचे थी.
मै – काकी ऐसा क्यू वो दोनो कर रहे थे.
काकी- बेटवा वो दोनो प्रेम संबंध बना रहे थे (और ये कहकर काकी का चेहरा लाल हो गया).
मै- (भोला बनकर) काकी मगर वो बैल ऊपर क्यू चढ रहा था.
काकी- (मुस्कुराते हुए) बेटा वो गाय की उसमे अपना वो डालना चाहता था.
मै – काकी मै कुछ समझा नही अच्छे से बताइए ना।
काकी- रहने दे बेटवा इन बातो को तेरी समझ नही आएगी (और उठकर खडी हो गई).
काकी- बेटवा अपना मुंह दूसरी तरफ घुमा ले।
मै- क्या हुआ काकी.
काकी- अरे मुझे पेशाब करनी है (इतना कहकर मुस्कुराते हुए खेत के किनारे झाडी की तरफ जाने लगी).
मै – ठीक है काकी (और हल्का सा मुह दूसरी तरफ घुमा लिया).
काकी जानती थी कि मै उन्हे मुतते हुए जरूर देखूंगा। वो भी यही चाहती थी इसलिए उन्होंने कुछ कहा नही और जाकर किनारे पर खडी हो गई। दाहिने बाये देखने लगी फिर पीछे मुड़कर मेरी तरफ देखने लगी तो मुझसे बोली-
काकी – बेटवा मुह घुमा उस तरफ लाज नही आती क्या.
मै- जी काकी.
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और मैने मुह घुमा लिया। फिर थोड़ी देर बाद मेरा मन नही माना मैने मुह काकी की तरफ कर लिया वो नीचे झुककर अपनी साडी को पकडकर उपर उठाने लगी धीरे-धीरे मेरा लंड मानो फट जाएगा ऐसी अवस्था हो चली थी। काकी ने पैटी नही पहनी थी उन्होंने साड़ी कमर तक उठा ली ओर कुछ देर ऐसे ही खडी रही.
मै- काकी हो गया क्या अब मै मुह घुमा लू।
काकी – ना रे नालायक इधर मत ताकना अभी मेरा हुआ नही है (जबकी वो जानती थी कि मै उनकी गांड को देख रहा हू).
काकी की गांड गोल थी एकदम शेप मे मोटी सी गुदाज इतनी ज्यादा उम्र होने के बावजूद उनकी गांड एकदम सेक्सी थी और उसपर एक बड़ा सा तिल था। उनहोने अपने गांड के छेद को सिकोड रखा था, जैसे कि मै अभी उनकी गांड मारने जा रहा हू। अब काकी धीरे धीरे चूतड फैलाकर नीचे बैठने लगी.
काकी- बेटवा तू यहा ताक तो नही रहा.
मै – (हड़बड़ा के) नही काकी।
मगर फिर भी मैने नजर नही हटाइ, काकी बैठ गई और मुतने लगी फिर काकी उसी तरह धीरे-धीरे उठने लगी और अपनी साड़ी को नीचे गिरा दिया। यहा मेरे लंड का एकदम बुरा हाल थी वो इसतरह सिर उठा कर खडा हो गया था कि किसी की भी नजरो से छिप नही सकता था। काकी अब आकर मेरे पाफ बैठ गई और मेरे लंड पर नजर गडाते हुए अपनी चुत पर जोर से रगड दी मानो जैसे पेशाब पोछ रही हो.
काकी – बेटवा तू बहुत बदमाश हो गया है क्यू देख रहा था मना कि थी ना की इस तरफ नही देखना.
मै – भगवान कसम काकी मैने कुछ नही देखा.
(काकी हसने लगी) काकी का पल्लू नीचे गिर गया था। सांस लेने की वजह से चुचिया उपर नीचे हो रही थी ये सब देखकर मेरा लंड ठुनकी मार रहा था। काकी सब जानती थी मंद मंद मुस्कुरा रही थी।
काकी- अच्छा बेटवा तू कवनो नशा तो नही करता होगा।
मै – नही काकी ऐसा क्यू पूछ रही हो.
काकी – सूखा खाएगा (गांव मे हमारे यहा तंबाकू को सूखा कहते है। और देहात की औरते तंबाकू खाती है).
मै -काकी वो मै कैसे… वो मैं.
काकी – अरे बेटवा घबरा मत मै हू ना.
और ब्लाउज मे हाथ डालकर काकी एक पुड़िया निकालने लगी, मै उनकी चुचिया देख रहा था। फिर वो तंबाकू बनाने लगी। तंबाकू बनाते बनाते अचानक……
काकी- आहहहहहहह बेटवा.
मै – क्या हुआ काकी.
काकी- अरे आँख मे तंबाकू उडकर चली गई है। आहहहहहहहहह हाययययययययययय बहुत जलन हो रही है, जरा आँख मे फूक मारकर निकाल दे तो बेटवा हायययययययय आहहहहहहहहहह.
इतना कहकर काकी खडी हो गई अपनी एक आँख पकडकर. मेरा लंड पूरी तरह से खडा था। मै खडा हुआ, नीचे 90° का कोण बना था। मै जाकर काकी के सामने खडा हो गया और उनका हाथ पकड़कर हटा दिया और जैसे ही फूक मारने आगे बढा मेरा लंड काकी के फूले हुए पेट से टकरा गया। मै रूक गया, गांड फट गई थी डर के मारे.
काकी – क्या हुआ बेटवा रूक क्यू गया रे दर्द हो रहा है आहहहहहहहहहहहहह.
मै – काकी वो मै… वो कुछ नही अभी ठीक करता हू.
(इतना कहकर मैने काकी का चेहरा हाथ मे लिया और आँख मे फूक मारने लगा नीचे मेरा लंड काकी की पेट मे रगड खा रहा था। काकी अपना पेट खुद हिला रही थी मेरे लंड की नसें मानो फट जाएगी। मैने अपने होठ काकी के चेहरे के एकदम करीब कर दिया और फूक मारने लगा आखो में। मेरे होठ काकी के होठो से छू रहे थे फूक मारते मारते थोडी ही देर मे कचरा बाहर आ गया।)
मै- काकी निकल गया कचरा.
काकी- अच्छा बेटे थोडी फूक और मार दे अब भी जलन हो रही है रे.
मै – जी काकी.
और काकी से बिल्कुल चिपकर आँखों मे फूकने लगा। काकी के हाथ मेरे कमर पर आ गए थे। और मै अपने होठो को काकी के आँखो से छू रहा था।
काकी – आहहहहहहहहहह सी ओहहहहहहहहह बेटवा।
(थोडी देर बाद) रहने दे बेटवा अब ठीक है।
मै – ठीक है काकी.
और जाकर उनकी बगल मे बैठ गया.
काकी – तुझे तंबाकू खिलाना तो मंहगा पढ गया बेटवा.
मै – नहक काकी ऐसी बात नही है हो जाता है गलती से।
काकी – बेटवा तू बिल्कुल मेरे बेटे जैसा है।
मै – हा काकी.
काकी- अच्छा देख बातो बातो मे पता नही चला सूरज बिल्कुल सर पर चढ गया है धूप तेज हो गई है ऐसे मे कोई फसल कैसे काटेगा.
मै – हा काकी धूप तो निकल आई है.
काकी -(मेरे लंड की तरफ देखते हुए) भूख लगी है?
(मानो जैसे लंड से ही पूछ रही है और अपना भोसडा परोसकर दे दें।)
मै- हा काकी भूख तो लगी है, लेकिन ज्योति भाभी आई नही अबतक.
काकी – आती होगी तेरी ज्योति भाभी, अपनी काकी का नही पसंद क्या तुझे.
मै – नही काकी ऐसी बात नही है आपका तो सबसे ज्यादा पसंद है.
काकी – अच्छा! ऐसा काहे?
काकी- आप तो इतने सालो की अनुभवी है तो आपका ही स्वादिष्ट होगा ना,ज्योति भाभी का नहीं.
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(इतना बोलते ही मेरे लंड ने ठुनकि मारी जिसे काकी बडे ध्यान से देख रही थी और मंद मंद मुस्कुरा रही थी, वो सब जानती थी की मै डबल मिनिंग मे बोल रहा हू इसलिए रह रहकर नजरे बचाकर अपनी चूत पर हाथ फेर रही थी).
काकी – मै खूब समझती हू बेटवा तेरी बाते, तू कैसे कह सकता है कि मेरा स्वादिष्ट है जबकि तूने अबतक मेरा चखा ही नही।
मै- (लंड मसलते हुए) चखा दिजिये ना काकी.
काकी – सबर कर बेटवा चखा दूंगी तू जानता है ना सबर का फल मीठा होता है।
मै – काकी आपका फल तो बहुत मीठा होगा.
काकी – बेटवा ये तो तू चखने के बाद ही बताना।
(इतने मे बाहर से आवाज आती है “बाबू कहा है आप ……?”)
काकी – बेटवा देख तेरी ज्योति भाभी आ गई.
(इतना कहकर काकी ने अपने सीने पर पल्लू ओढ लिया और अच्छे से बैठ गई।)
मै – हा काकी.
भाभी – बाबू मै आ गई खाना लेकर खा लिजिये.
मै – हा भाभी परोसिये, काकी आप भी निकालिए अपना.
काकी – हा बेटवा। ले खा ले।
(इसके बाद हम तीनो ने खाना खाया खाना खाकर खेत के किनारे बैठे रहे भाभी मुझे घूरे जा रही थी मानो जैसे अभी चूत खोलकर दे दें।)
भाभी – बाबू जलदी से काम निपटाकर चलिए घर नही तो धूप ना हो जाएगा.
मै- हा भाभी अभी थोडी सी फसल काटनी है बची है.
भाभी – ठीक है बाबू मै जाती हू आप आराम से आ जाइए, मुझे बहुत से काम है इतना कहकर भाभी चली गई।
अब खेत मे सिर्फ मै और काकी थी.
काकी – बेटवा कैसा था खाना.
मै – अच्छा था काकी.
काकी – कैसी लगी तुझे बेटवा अपनी भाभी का पकवान.
मै- अचछी लगी काकी.
काकी -आज शाम तू एक काम कर मेरे घर आ जाना तुझे अपना स्वाद चखाउंगी।
मै – ठीक है काकी.
काकी- बेटवा देख धूप निकल आई है, तू चाहे तो घर चले जा.
मै – नही काकी आप के साथ ही जाउगा.
काकी – बेटवा शाम होते होते अंधेरा हो जाएगा.
मै – नही काकी मै आपको यहा खेत मे अकेले नही छोड सकता.
काकी – अरे बेटवा अभी मै आम की छाया मे आराम करूंगी तू अकेले धूप मे क्या करेगा घर लौट जा (इतना कहकर काकी ने चूत पर हलके से हाथ फेरा).
मै- नही काकी मै आपके साथ ही घर जाऊंगा (मै काकी के शरीर को घूर रहा था मेरी नजरे उनकी चुचियो पर जाकरर अटक जा रही थी। हो भी क्यू ना इतनी ज्यादा उम्र मे भी चुचियो का मिजाज कातिलाना था।)
काकी- ठिक है बेटवा जैसी तेरी इच्छा, देख धूप तेज हो रहा है चल आम की छाया मे धूप लग गई तो मुसीबत हो जाएगी। तू नही जानता यहा की धूप को बडे बडे पानी मांगते है इस गर्मी मे।
मै – हा काकी धूप तो लग ही रही है देखिए ना पसीने आ रहे है.
काकी – बेटवा इसलिए बोल रही हू चल पेड के नीचे बैठ जा छाया में.
(इतना बोलकर काकी ने अपने पललू को कमर मे बांध लिया अब उनकी चुचिया उभर कर आखो के सामने आ रही थी बार बार और यही बात मै सबसे ज्यादा उत्तेजित कर रहा था लंड सर उठाने लगा यही सब काकी गौर से देख रही थी और रह रहकर अपनी चूत पर हाथ मार देती).
मै – चलो काकी.
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(काकी खेत के दूसरी तरफ बने आम के पेड की तरफ चल दी मै उनसे 10 कदम दूर चल रहा था उसी दिशा मे). काकी पेड के छाव मे जैसे ही पहुची वैसे ही…
काकी – आहसहहहहहहहहह बेटवा हायययययययययययय राममममममममम मरर गई.
मै – (दोडते हुए उनकी तरफ गया). क्या हुआ काकी.
काकी – (जल्दबाजी मे अपना ब्लाज उतार रही थी) हाययययय रे बेटवा उपर देख माठा है आहहहहहहहहहहह मेरे पूरे शरीर पर गिर गया है और काट रहा है आहहहहहहहहहहहहह देख ना बेटवा आईईईईईईईईईईईईईई.
(माठा – अर्थात गांव मे आम के पेड पर रहनेवाली बडी बडी चीटिया जो लाल रंग की होती है काफी जहरीली).
काकी- आहहहहहहहहहहहह बेटवाआ ओहहहहहहहहहह ऊईईईईईईईईईईईई मररररररर गई.
इतना कहकर काकी ने अपना पूरा ब्लाउज उतारकर जमीन पर फेक दिया और शरीर पर चुचियो पर खुजली करने लगी। मेरी आखे फटी की फटी रह गई क्या चुचिया थी गोल एकदम सुडौल बडी बडी, काकी लगातार खुजाए जा रही थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
काकी – आहहहहहहहहह बेटवा देख तो हायययययय काट लिया कमबख्तो ने.
मै – हा काकी उठिए वहा से इस तरफ आइए (काकी दर्द के मारे जमीन पर बैठ गई थी).
काकी – अरररररररे बेटवा दर्द हो रहा है.
काकी की चुचिया हिल रही थी मैं खड़ा होकर निहार रहा था लंड पूरी तरह औकात मे आ गया था तंबू बन चूका था कोई तंबू को देखकर मेरी स्थिति और लंड की लंबाई का अंदाजा आसानी से लगा सकता था.
काकी- आहहहहहहहहहहह बेटवा वहा क्यू खडा है आकर उठा मुझे, मुससे उठा नही जा रहा है रे।
मै – हा काकी आ रहा हू (मै तुरंत गया और काकी के पीछे जाकर खडा हो गया).
काकी – अररररररररे जालिम खडा क्यू है पीडा हो रही है उठा मुझे.
मै – हा काकी (और काकी की दोनो हाथो को पकडकर उन्हे पीछे से सहारा देकर उठाने लगा, मै विश्वास नही कर पा रहा था की काकीबिना चोली के मेरी बाहो मे है, जब काकी खडी हो रही थी तो मेरा लंड उनकी पीठ से रगडने लगा था).
काकी -(सिसकाकी भरते हुए) बेटवा बहौत दर्द हो लहा है रे बहुत जहरीला होता है सीआहहहहहहहहहहहहस.
मै – हा काकी (और अपने लंड को उनकी पीठ से रगड दिया).
काकी पूरी तरह खडी हो गई मेरा लंड पूरी तरह खडा था उनकी खडे होने की वजह से सीधे साड़ी के उपर से हीउनकी गांड की दरार मे रगड खाने लगा।
काकी – (चुचिया खुजाते हुए पूरी लाल हो गई थी लंड गांड मे रगड खा रहा था) आहहहहहहहहहहहह ससससससससीईईईईईईईई आहहहहहहहहहहहह बेटवा हायययययययययय ओहहहहहहहहह ऐसे ही अच्छा लगता है.
मै – क्या काकी (उनकी बाहें पकडे उनकी गांड पर लंड का झटका मारते हुए) क्या हुआ काकी ?
काकी – आआआआआआआहहहहह बेटवा कुछ नही रे उस तरफ ले चल खेत के उस किनारे (काकी उस तरफ ले जाने बोल रही थी जहा सरपत की झाडिया ऊची ऊची थी और फसल भी नही कटी थी).
मै – ठीक है काकी चलिए ………काकी…. . वो आपकी चोली (अब मैने काकी की बाहें छोडकर कमर पकड ली दोनो तरफ से और बगल से चुचियो को छूने की कोशिश करने लगा।)
काकी- रहने दे बेटवा चोली को यही अभी आहहहहहहहहह (लंड का झडका गांड मे लगता है) दर्द है छाती मे जहर फैल गया है पहन नही पाऊँगी।
मै – ठीक है काकी (काकी को ले जाकर वही बैठा दिया मेढ पर और मै भी उनकी बगल मे बैठ गया).
काकी को चीटियो ने काटा था और सचमुच उनकी चुचिया लाल हो गई थी। अभी भी वो चुचियो को तो कभी पेट को खुजाए जा रही थी हालांकि उनका दर्द शायद कम हो गया था। उनकी नजर मेरे लंड पर थी और वो एकदम सेकसी अंदाज से चुचियो को सहला रही थी.
मेरी हालत खराब हो गई थी एक अधेड उम्र की औरत मेरे सामने आधी नंगी होकर चुचियो को सहलाए जा रही थी इतनी बडी और टाईट चुचिया शायद ही इतनी उम्र मे किसी की हो मेरा हाथ अपने लंड पर चला गया था मै काकी के डर से उसे बिठाने की कोशिश कर रहा था.
काकी – हाय बेटवा देख तो कैसी लाल हो गई है (अपनी चुचियो को पकडकर काकी मेरी तरफ देखते हुए बोली).
मै – (शर्म से गर्दन नीचे झुकाकर) हाँ काकी.
काकी – आहहहह बेटवा यहा आ, आकर देख तो जहर तो नही फैल गया ये चीटिया जहरीली थी रे.
मै – (करीब जाकर) हा काकी लाल तो हो गई है (काकी का निप्पल सख्त हो चुका था ये देखकर ऐसा लग रहा था जैसे अभी चूस लू दोस्तो अपनी स्थिति बता नही सकता पहली बार इतने करीब से निप्पल देख रहा था).
काकी – देख ना सूजन आ गई है रे (इतना कहकर काकी ने मेरा हाथ पकड़कर सीधे अपने चूची पर रख दिया).
मैने तुरंत वहा से हाथ हटा लिया.
काकी – क्या हुआ बेटवा देख ना (फिर से मेरा हाथ अपनी चुची पर रख देती है).
मै – हायययययय काकी ये आपके दूध है (तबतक काकी ने मेरा दूसरा हाथ पकडकर अपनी दूसरी चूची पर रख दिया, मेरी हालत खराब हो गई थी मैने हाथ को उसी तरह रहने दिया कोई प्रतिक्रिया नही दी.
काकी – आहहहहहहहहहह बेटवा दर्द कर रहा है रे, जरा देख तो सूजन की वजह से तो नही कर रहा ना.
मै एक दम उत्तेजित हो गया, मैने काकी की दोनो चुचियो को पकडकर सहलाने लगा.
मै- हाँ काकी सूजन आ गई है लाल भी हो गई है.
काकी – सससससससीईईईईईईईई आहहहहहहहहह बेटवा, कहा आ गई है सूजन.
मै – काकी मै……… वो मै……..
काकी- आहहहहहहहहहहह बेटवा बोल भी.
मै- काकी वो आपे दूध मे सूजन आ गई है.
(इतना कहकर मैने काकी की चुचियो को जोर से मरोड दिया).
काकी – आहहहहहहहहह बेटवा हायययययययययय दर्द हो रहा है रे तेरी काकी को हायययय रामममभ.
मै – क्यू काकी ?
काकी – बेटवा लगता है जहर जढ गया है दूध मे रे, आहहहहहहहहहह बेटवा (काकी ने मुझे अपनी तरफ खीच लिया मै उनकी चुचियो को मरोडे जा रहा था दबाए जा रहा था काकी दरद से कराह रही थी).
काकी – हाययययययय रे बेटवा लगता है जहरफैल गया है पूरे दूध में.
मै – अब क्या होगा काकी, कैसे निकलेगा जहर आपको दर्द हो रहा होगा.
काकी – हा रे बेटवा मेरी जान निकले जा रही है दरद के मारे उपर से जहल आहहहहहहहहहहहहस बेटवा.
मै – (काकी की चुचियो को दबाते हुए) काकी बताइए कैसे निकलेगा ये जहर मै निकालूंगा.
काकी – आहहहहहहहहहहह बेटवा हायययययययययय कितना खयाल है रे तुझे अपनी काकी का.
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(मेरा लंड पूरी तरह कडक हो चुका था काकी की नजर मेरे तंबू पर थी और उनका हाथ साडी के उपर से ही चूत को सहलाने लगा था).
मै – काकी बताइए आपको तकलीफ मे नही देख सकता कैसे निकलेगा जहर.
काकी – आहहहहहहह बेटवा, अरे मुंह से चूसकर खीच ले सारा जहर बेटवा (काकी लंड को देखती हुई बोली).
मै – क्या चूस लू काकी ?
काकी – अरे बेटवा मेरे चुचियो को चूस उसी मे जहर है देख तो कैसे फूल गई है जहर के कारन आहहहहहहहहहह बेटवा.
मै ने सीधे बिना समय गवाए अपना मुह काकी की चूची पर रख दिया और चूसने लगा और दूसरे हाथ से काकी की चूची को रगड रहा था.
काकी – (चूत सहलाते हुए) आहहहहहहहह बेटवाआआ ऐसे ही आहहहहहहहहहहहह ओहहहहहहहहहह पी जा सारा पी ले पिले बेटवा बहुत तंग करती है रे कोई नही छेडता अब इन्हे.
मै – उममममममममममममम आहहहहहहहहहहहहहहहह काकीईईईईईईईईईईई उमममममममममममममममा हहहहहहहहहहहहहहहहहह.
काकी – आहहहहहहहहहह बेटवा चूस ले दबा दबाकर सारा जहर निकाल दे (काकी सिर्फ अपने मजे ले रही थी अबतक उनहोने मेरे लंड को अपने हाथो से नही छुआ था मेरी हालत खराब थी मै रह रहकर काकी के निप्पल को जोरो से काटे जा रहा था.
काकी – आहहहहहहहहहहहहहहहहहहह बेटवा काटता क्यू है रे दर्द हो रहा रहा है.
(मै जोरो से मसल रहा था इस तरह मसलता की सामना वाली अपनी चीख निकल दे.)
चूची चूसते हुए अचानक काकी ने अपनी चुचियो मेरे मरे मुह अलग कर दी। शायद वो झड गई थी चल बेटवा घर चल वही जाकर आराम करते है।