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मेरा नाम जवाहर है और मेरी उमर 20 साल है . मेरे माँ बाप की मृत्यु हो चुकी है। मैं अपनी मौसी के साथ रहता हूँ। मौसा जी की भी मृत्यु हो चुकी है। मेरी मौसी की एक बेटी है जिसका नाम गरिमा है. वह अभी सिर्फ़ पन्द्रह साल है और स्कूल मे है. मौसी अब 35 की हैं. मौसी स्कूल मे टीचर हैं और मैं यूनिवर्सिटी मे हूँ. Sexy Boob Pics
हमलोग लुधियाना में रहते हैं. मौसा का 2 साल पहले इंतक़ाल हो गया था. अब घर मे सिर्फ़ हम तीन लोग ही हैं. यह अब से 6 महीने पहले हुआ था. एक रात मौसी बहुत उदास लग रही थी. मे समझ गया वह मौसा को याद कर रही हैं. मैंने उनको बहलाया और खुश करने की कोशिश की. मौसी मेरे गले लग रोने लगी.
तब मैंने कहा, “मौसी हम दोनो आपको बहुत प्यार करते हैं, हमलोग मिलकर मौसा की कमी महसूस नही होने देंगे.”
गरिमा भी वहाँ आ गयी थी, वह भी मौसी से बोली, “हां मम्मी प्लीज़ आप दिल छोटा ना करिए. भैया हैं ना हम दोनो की देखभाल के लिए. भैया हम लोगो का कितना ख्याल रखते हैं.”
“हां बेटी पर कुछ ख्याल सिर्फ़ तेरे पापा ही रख सकते थे.”
“नही मम्मी आप भैया से कह कर तो देखिए.”
खैर फिर बात धीरे धीरे नॉर्मल हो गई. उसी रात गरिमा अपने रूम मे थी. मे रात को टॉइलेट के लिए उठा तो टॉइलेट जाते हुए मौसी के रूम से कुछ आवाज़ आई. 12 बज चुके थे और मौसी अभी तक जाग रही हैं, यह सोचकर उनके रूम की तरफ गया. मौसी के रूम का दरवाज़ा खुला था. मे खोलकर अंदर गया तो चौंक गया.
मौसी अपनी शलवार उतारे अपनी चूत मे एक मोमबत्ती डाल रही थी. दरवाज़े के खुलने की आवाज़ पर उन्होने मूड कर देखा. मुझे देख वह घबरा सी गयी. मे भी शरमा गया कि बिना नॉक किए आ गया. मे वापस मुड़ा तो मौसी ने कहा, “बेटा जवाहर प्लीज़ किसी से कहना नही.”
“नही मौसी मे किसी से नही कहूँगा?”
“बेटा जब से तेरे मौसा इस दुनिया से गये हैं तब से आज तक मैं..”
“ओह्ह मौसी मैं भी अब समझता हूँ. यह आपकी ज़रूरत है पर क्या करूँ अब मौसा तो हैं नही.”
फिर मैं मौसी के पास गया और उनके हाथो को पकड़ बोला, “मौसी दरवाज़ा बंद कर लिया करिए.”
“बेटा आज भूल गयी.”
फिर मैं वापस आ गया.
अगले दिन सब नॉर्मल रहा. शाम को मैं वापस आया तो हमलोगो ने साथ ही चाय पी.
चाय के बाद गरिमा बोली, “भैया बाज़ार से रात के लिए सब्ज़ी ले आओ जो खाना हो.”
मैं जाने लगा तो मौसी ने कहा, “बेटा किचन मे आओ तो कुछ और समान बता दूँगी लेते आना.”
मैं किचन मे जा बोला, “क्या लाना है मौसी?”
मौसी ने बाहर झाँका और गरिमा को देखते धीरे से बोली, “बेटा 5- 6 बैगन लेते आना लंबे वाले.”
मैं मौसी की बात सुन पता नही कैसे बोल पड़ा, “मौसी अंदर करने के लिए?”
मौसी शरमा गयी और मैं भी अपनी इस बात पर झेंप गया और सॉरी बोलता बाहर चला गया. सब्ज़ी लाकर गरिमा को दी और 4 बैगन लाया था जिनको अपने पास रख लिया. गरिमा ने खाना बनाया फिर रात को खा पीकर सब लोग सोने चले गये. तब करीब 11 बजे मौसी मेरे रूम मे आ बोली, “बेटा बैगन लाए थे?”
“हां मौसी पर बहुत लंबे नही मिले और मोटे भी कम है.”
“कोई बात नही बेटे अब जो है सही हैं.”
“बहुत ढूँढा मौसी पर कोई भी मुझसे लंबे नही मिले.”
“क्या मतलब बेटा.”
मैं बोला, “मौसी मतलब यह कि इनसे लंबा और मोटा तो मेरा है.”
तब मौसी ने कुछ सोचा फिर कहा, “क्या करें बेटा अब तो जो किस्मत मे है वही सही.” फिर मेरी पॅंट के उभार को देखते बोली, “बेटा तेरा क्या बहुत बड़ा है?”
“हां मौसी 8 इंच है.”
“ओह्ह बेटा तेरे मौसा का भी इतना ही था. बेटा अपना दिखा दो तो तेरे मौसा की याद ताज़ी हो जाए.”
“लेकिन मौसी मैं तो आपका भाँजा हूँ.”
“हां बेटा तभी तो कह रही हूँ. तू मेरा भाँजा है और अपनी मौसी से क्या शरम. तू एकदम अपने मौसा पे गया है. देखूं तेरा वह भी तेरे मौसा के जैसा है या नही?”
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तब मैंने अपनी पॅंट उतारी और अंडरवियर उतारा तो मेरे लंबे तगड़े लंड को देख मौसी एकदम से खुश हो गयी. वह मेरे लंड को देख नीचे बैठी और मेरा लंड पकड़ लिया और बोली, “हाये जवाहर बेटा तेरे मौसा का भी एकदम ऐसा ही था. हाये बेटा यह तो मुझे तेरे मौसा का ही लग रहा है. बेटा क्या मैं इसे थोड़ा सा प्यार कर लूँ?”
“मौसी अगर आपको इससे मौसा की याद आती है और आपको अच्छा लगे तो कर लीजिए.”
“बेटा मुझे तो लग रहा है कि मैं तेरा नही बल्कि तेरे मौसा का पकड़े हूँ.”
फिर मौसी ने मेरे लंड को मुँह मे लिया और चाटने लगी. यह मेरे साथ पहली बार हो रहा था इसलिए मेरे लिए संभालना मुश्किल था. 6-7 मिनेट मे ही मैं उनके मुँह मे झर गया. 1 मिनट बाद मौसी ने लंड मुँह से बाहर किया और मेरे पास बैठ गयी.
मैं बोला, “सॉरी मौसी आपका मुँह गंदा कर दिया.”
“आहह बेटा तेरे मौसा भी रोज़ रात मेरे मुँह को पहले ऐसे ही गंदा करते थे फिर मेरी च..” मौसी इतना कह चुप हो गयी.
मैं उनके चेहरे को देखते बोला, “फिर क्या क्या करते थे मौसा? मौसी जो मौसा इसके बाद करते थे वह मुझे बता दो तो मैं भी कर दूं. आपको मौसा की कमी नही महसूस होगी.”
मौसी मेरे चेहरे को पकड़ बोली, “बेटा यह जो हुआ है एक मौसी भांजे मे नही होता. लेकिन बेटा इस वक़्त तुम मेरे भांजे नही बल्कि मेरे पति हो. अब तुम मेरे पति की तरह ही करो. वह मेरे मुँह मे अपना झाड़कर अपने मुँह से मेरी झाड़ते थे फिर मुझे..”
“मौसी अब जब आप मुझे अपना पति कह रही है तो शरमा क्यों रही हैं. सब कुछ खुलकर कहिए ना.”
“बेटा तू सच कहता है, चल अब मेरी चूत चाट और फिर मुझे चोद जैसे तेरे मौसा चोदते थे.”
“ठीक है मौसी आओ बिस्तर पर चलो.”
फिर मौसी को अपने बेड पर लिटाया और उनको पूरा नंगा कर दिया. मौसी के मम्मे अभी भी सख़्त थी. 2-3 साल से किसी ने टच नही किया था. मैंने चूत को देखा तो मस्त हो गया. मौसी की चूत कसी लग रही थी. 35 की उमर मे मौसी 25 की ही लग रही थी.
मौसी को बेड पर लिटा अपने कपड़े अलग किए फिर मौसी के मम्मे पकड़ उनकी चूत पर मुँह रख दिया. मम्मों को दबा दबा… चूत चाट… अपने झड़े लंड को कसने लगा. 8-10 मिनट बाद मौसी मेरे मुँह पर ही झड़ गयी. वह अपनी गाँड तेज़ी से उचका झड़ रही थी. मैं मौसी की झड़ती चूत मे 1 मिनट तक जीभ पेले रहा फिर उठ कर ऊपर गया और मम्मों को मुँह से चूसने लगा.
“हाअ आहह बेटा चूस अपनी मौसी के मम्मों को. हाये पियो इनको हाये कितना मज़ा आ रहा है तेरे साथ.”
मेरा लंड अब फिर खड़ा था. 4-5 मिनट बाद मौसी ने मुझे अलग किया और फिर मेरे लंड को मुँह से चूस कर खड़ा करने के बाद बोली, “बेटा अब चढ़ जा अपनी मौसी पर और चोद डाल.”
मैंने मौसी को बेड पर लिटाया और लंड को मौसी के छेद पर लगा गॅप से अंदर कर दिया. अब मैं तेज़ी से चुदाई कर रहा था और दोनो मम्मों को दबा दबा चूस भी रहा था. मौसी भी नीचे से गाँड उछाल रही थी. मे धक्के लगाता बोला, “मौसी शाम को जब आपने बैगन लाने को कहा था तभी से दिल कर रहा था कि काश अपनी मौसी को मैं कुछ आराम दे सकूँ. मेरी आरज़ू पूरी हुई.”
“बेटा अगर तू मुझे चोदना चाहता था तो कोई गोली लेता आता. अब तू मेरे अंदर मत झड़ना. आज बाहर झड़ना फिर कल मैं गोली ले लूँगी तो ख़तरा नही होगा तब अंदर डालना पानी. चूत मे गरम पानी बहुत मज़ा देता है.”
करीब 10 मिनट बाद मेरा लंड झड़ने वाला हुआ तो मैंने उसे बाहर किया और मौसी से कहा, “आह मौसी अब मेरा निकलने वाला है.”
“हाये बेटा ला अपने पानी से अपनी मौसी के मम्मों को भिगो दे.”
फिर मैं मौसी के मम्मों पर पानी निकाला. झारकर अलग हुआ तो मौसी अपने मम्मों पर मेरे लंड का पानी लगाती बोली, “बेटा तू एकदम अपने मौसा की तरह चोद्ता है. वह भी ऐसा ही मज़ा देते थे. आहह बेटा अब तू सो जा.”
फिर मौसी अपने रूम मे चली गयी और मैं भी सो गया. अगले दिन मौसी बहुत खुश लग रही थी. गरिमा भी मौसी को देख रही थी.
नाश्ते पर उसने पूछ ही लिया, “मम्मी आप बहुत खुश लग रही हो?”
“हां बेटी अब मैं हमेशा खुश रहूंगी.”
“क्यों मम्मी क्या हो गया?” वह भी मुस्कराती बोली.
“कुछ नही बेटी तुम्हारा भैया मेरा खूब ख्याल रखता है ना इसलिए.”
“हां मम्मी भैया बहुत अच्छे हैं.”
फिर वह कॉलेज चली गयी और मैं यूनिवर्सिटी. उस रात मौसी ने गोली ले ली थी और अपनी चूत मे ही मेरा पानी लिया था. हम दोनो 1 महीने इसी तरह मज़ा लेते रहे. एक रात जब मैं मौसी को चोद रहा था तो मौसी ने मुझसे पूछा , “जवाहर बेटा एक बात तो बता.”
“क्या मौसी”
“बेटा अब गरिमा बड़ी हो रही है उसकी शादी करनी है. इस उम्र में लड़कियों की शादी कर देनी चाहिये वरना अगर वो कुछ उल्टा सीधा कर ले तो बहुत बदनामी होती है.”
“मौसी आप सही कह रही हो. अब उसके लिये कोई लड़का देखना होगा.”
“हाँ बेटा, अच्छा एक बात तो बता तुमको गरिमा कैसी लगती है?”
“क्या मतलब मौसी?”
“मतलब तुझे अच्छी लगती है तो इसका मतलब वो किसी और को भी अच्छी लगेगी और उसे कोई लड़का पसंद कर लेगा तो उसकी शादी कर देंगे.”
“हाँ मौसी गरिमा बहुत खूबसूरत है.”
“तू उसे कभी कभी अजीब सी नज़रो से देखता है?”
मैं अपनी चोरी पकड़े जाने पर घबरा कर बोला, “नही नही मौसी ऐसी बात नही है?”
“कल तो तू उसके मम्मों को घूर रहा था.”
“नही मौसी.”
“पगले मुझसे झूठ बोलता है. सच बता.”
मैं शरमाते हुये बोला, “मौसी कल वो बहुत अच्छी लग रही थी. कल वो छोटा सा कसा कुर्ता पहने थी. जिसमें उसके मम्मे बहुत अच्छे लग रहे थे.”
“तुझे पसंद है गरिमा के मम्मे ?”
मैं चुप रहा तो मौसी ने मेरे लंड को अपनी चूत से जकड़ कर कहा, “बताओ ना वो थोड़े ना सुन रही है?”
“हाँ मौसी. उसके मम्मों को कभी देखा है?”
“नही मौसी.”
“देखेगा?”
“कैसे?”
“पगले कोशिश किया कर उसे देखने की जब वो कपड़े बदले तब या जब वो नहाने जाये तब.”
“ठीक है मौसी पर वो दरवाज़ा बंद करके सब करती है. हाँ पर तू जब भी घर पर रहे तब पजामा पहना करो और नीचे अंडरवेयर मत पहना कर. अपने लंड को पजामे मैं खड़ा कर उसे दिखाया करो. सोते समय मैं लंड को पजामे से बाहर निकाल कर रखना मैं उसको तुम्हारे रूम मैं झाड़ू लगाने भेजू तो उसे अपना लंड दिखाया करो और तुम अब उसके मम्मों को घूरा करो और उसे छुने की कोशिश किया करो.”
मैं मौसी की बात सुन कर मस्त हो गया उसे तेज़ी से चोदने लगा. वो तेज़ी से चुदती हुई हाए हाए करते हुये बोली, हाँ बहन को देखने की बात सुन कर इतना मस्त हो गया की मौसी की चूत की धज्जीयां उड़ा रहा है. फिर मेरी कमर को अपने पैरो से कस कर बोली, चोद अपनी मौसी को हाअआआआ आज मुझे चोद कल से अपनी बहन पर लाइन मारो और उसे पटा कर चोदो. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
फिर 4-5 धक्के लगा कर मैं झड़ने लगा. झड़ने के बाद मैं मौसी से चिपक कर बोला, मौसी गरिमा तो मेरी छोटी बहन है, भला मैं उसके साथ ऐसा कैसे….?
जब तू अपनी मौसी के साथ चुदाई कर सकता है तो अपनी बहन के साथ क्यों नही?
मौसी आपकी बात और है.
“क्यों?”
मौसी आप मौसा के साथ सब कर चुकी हैं और अब उनके ना रहने पर मैं तो उनकी कमी पूरी कर रहा हूँ. लेकिन गरिमा तो अभी नासमझ और अनजान है, यही कहना चाह रहा हूँ?
मौसी- बेटा अब तेरी बहन 15 की हो गई है. इस उम्र मैं लड़कियों को बहुत मस्ती आती है. आजकल वो कॉलेज भी जा रही है. मुझे लगता है की उसके कॉलेज के कुछ लड़के उसको फँसाने की कोशिश कर रहे हैं. पड़ोस के भी कुछ लड़के तेरी बहन पर नज़रे जमाये हैं. अगर तू उसे घर पर ही उसकी जवानी का मज़ा उसे दे देगा तो वो बाहर के लड़कों के चक्कर मैं नही पड़ेगी और अपनी बदनामी भी नही होगी.
मौसी आप सही कह रही हो मैं अपनी बहन को बाहर नही चुदने दूँगा. सच मौसी गरिमा के मम्मे बहुत मस्त दिखते हैं. मौसी अब तो उसे तैयार करो.
करूँगी बेटा, मैं उसे भी यह सब धीरे धीरे समझा दूँगी.
फिर अगले दिन जब मैं सुबह सुबह उठा तो देखा की वो मेरे रूम मैं झाड़ू लगा रही थी. मैं उसे देखने लगा. वो कसी हुई कमीज़ पहने थी और झुककर झाड़ू लगाने से उसकी लटक रहे मम्मे हिलने से बहुत प्यारे लग रहे थे. तभी उसकी नज़र मुझ पर पड़ी. मुझे अपने मम्मों को घूरता पा वो मूड गई और जल्दी से झाड़ू लगा कर चली गई. मैं उठा और फ्रेश होकर नाश्ता कर टी.वी देखने लगा.
उस दिन छुटी थी इसलिये किसी को कही नही जाना था. मौसी भी टी.वी देख रही थी. गरिमा भी आ गई और मैने उसे अपने पास बिठा लिया. मैं उसकी कसी कमीज़ से झाँक रहे मम्मों को ही देख रहा था. मौसी ने मुझे देखा तो चुपके से मुस्कुराते हुये इशारा करते कहा की ठीक जा रहे हो. गरिमा कभी कभी मुझे देखती तो अपने मम्मों को घूरता पा वो सिमट जाती. आख़िर वो उठकर मौसी के पास चली गई.
मौसी ने उसे अपने गले से लगाते हुये पूछा, क्या हुआ बेटी?
कुछ नही मम्मी. वो बोली.
तू यहाँ क्यों आ गई बेटी जा भाई के पास बेठ.
मम्मी ववववाह भैया. वो फुसफुसाते हुये बोली.
मौसी भी उसी की तरह फुसफुसाई, क्या भैया.
मम्मी भैया आज कुछ अजीब हरकत कर रहे हैं. वो धीरे से बोली
तो मौसी ने कहा, “क्या कर रहा तेरा भाई?
मम्मी यहाँ से चलो तो बताऊ.
मौसी उसे ले कर अपने रूम की तरफ गई और मुझे पीछे आने का इशारा किया. मैं उन दोनो के रूम के अंदर जाते ही जल्दी से मौसी के रूम के पास गया. मौसी ने दरवाज़ा पूरा बंद नही किया था और पर्दे के पीछे छुपकर मैं दोनो को देखने लगा.
मौसी ने गरिमा को अपनी गोद मैं बिठाया और बोली, क्या बात है बेटी जो तू मुझे यहाँ लाई है?
मम्मी आज भैया मुझे अजीब सी नज़रों से देख रहे जैसे कॉलेज के..
क्या कॉलेज के… पूरी बात बता गरिमा बेटी.
मम्मी आज भैया मेरे इनको बहुत घूर रहे है, जैसे कॉलेज मैं लड़के घूरते हैं.” इनको.
मौसी ने उसके मम्मों को पकड़ा तो वो शरमाते हुये बोली, “सच मम्मी.
अरे बेटी अब तू जवान हो गई है और तेरी यह मम्मे बहुत प्यारे हो गए हैं इसीलिये कॉलेज मैं लड़के इनको घूरते हैं. तेरा भाई भी इसीलिये देख रहा होगा की उसकी बहन कितनी खूबसूरत है और उसके मम्मे कितने जवान हैं.
मम्मी आप भी.. वो शरमाई.
अरे बेटी मुझसे क्या शर्म. बेटी कॉलेज के लड़कों के चक्कर मैं मत आना वरना बदनामी होगी. अगर तू अपनी जवानी का मज़ा लेना चाहती है तो मुझको बताना.
मम्मी आप तो जाइये हटिये.
अच्छा बेटी एक बात तो बता, जब भैया तेरी मस्त जवानीयों को घूरते हैं तो तुझे कैसा लगता है?
मम्मी हटिये मैं जा रही हूँ.
अरे पगली फिर शरमाई, चल बता कैसा लगता है जब तुम्हारे भैया इनको देखते हैं?
अच्छा तो लगता है पर..
पर वर कुछ नही बेटी, जानती है बाहर के लड़के तेरे यह देखकर क्या सोचते हैं?
क्या मम्मी?
यही की हाये तेरे दोनो अनार कितने कड़क और रसीले हैं. वो सब तेरे इन अनारो का रस पीना चाहते हैं.
मम्मी चुप रहिये मुझे शर्म आती है.
अरे बेटी यही एक बात है इनको लड़के के मुँह मैं देकर चूसने मैं बहुत मज़ा आता है. जानती हो लड़के इनको चूस कर बहुत मज़ा देते हैं. अगर एक बार कोई लड़का तेरे अनार चूस ले तो तेरा मन रोज़ रोज़ चूसाने को करेगा और अगर कोई तेरी नीचे वाली चूत को चाट कर तुझे चोद दे तब तू बिना लड़के के रह ही नही पायेगी.
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अब मैं जा रही हूँ मम्मी मुझे नही करवाना यह सब.
हाँ बेटा कभी किसी बाहर के लड़के से कुछ भी नही करवाना वरना बहुत दर्द और बदनामी होती है. हाँ अगर तेरा मन हो तो मुझे बताना.”
मम्मी..
अच्छा बेटी चल अब कुछ खाना खा लिया जाये तेरा भाई भूखा होगा. जा तू उससे पूछ क्या खायेगा, जो खाने को कहे बना देना.
फिर मैं भाग कर टी.वी देखने आ गया.
थोड़ी देर बाद गरिमा आई और मुझसे बोली, भैया. जो खाना हो बता दीजिये मैं बना देती हूँ. मम्मी आराम कर रही हैं.
मैं उसके मम्मों को घूरते हुये अपने होठों पर जुबान फेरते हुये बोला, क्या क्या खिलाओगी?
वो मेरी इस हरक़त से शरमाई और नज़रे झुका कर बोली, जो भी आप कहें.
मैने उसका हाथ पकड़ कर अपने पास बिठाया और मम्मों को घूरता हुआ बोला, खाऊगा तो बहुत कुछ पर पहले इनका रस पीला दो.
क्या भैया किसका रस? वो घबराते हुये बोली.
मैं बात बदलता हुआ बोला, मेरा मतलब है पहले एक चाय ला दे फिर जो चाहे बना लो.
वो चली गई. मैं उसको जाते देखता रहा. 5 मिनिट बाद वो चाय लेकर आई तो मैने उससे कहा अपने लिये नही लाई.
मैं नही पीऊगी.
पीओं ना लो इसी मैं पी लो. एक साथ पीने से आपस मैं प्यार बढ़ता है.
वो मेरी बात सुन कर शरमाई फिर कुछ सोच कर मेरे पास बैठ गई तो मैने कप उसके होठों से लगाया तो उसने एक सिप लिया फिर मैंने एक सिप लिया. इस तरह से पूरी चाय ख़त्म हुई तो वो बोली, अब खाने का इंतज़ाम करती हूँ.
मैने उसका हाथ पकड़ कर खींचते हुये कहा, अभी क्या जल्दी है थोड़ी देर रूको बहुत अच्छा प्रोग्राम आ रहा है देखो.
मेरे खींचने पर वो मेरे उपर आ गिरी थी. वो हटने की कोशिश कर रही थी पर मैने उसे हटने नही दिया तो वो बोली, हाय भैया हटिये क्या कर रहे हैं?
कुछ भी तो नही टी.वी देखो मैं भी देखता हूँ.
ठीक है पर छोड़िये तो ठीक से बैठकर देखूं.
ठीक से बैठी हो, गरिमा मेरी छोटी बहन अपने बड़े भाई की गोद मैं बैठकर देखो ना टी.वी. वो चुप रही और हम टी.वी देखने लगे.
थोड़ी देर बाद मैने उसके हाथो को अपने हाथो से इस तरह दबाया की उसकी कमीज़ सिकुड कर आगे को हुई और उसकी दोनो मम्मे दिखने लगे. उसकी नज़र अपने मम्मों पर पड़ी तो वो जल्दी से मेरी गोद से ऊतर गई और तभी मौसी ने उसे आवाज़ दी तो वो उठकर चली गयी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं भी पहले की तरह पर्दे के पीछे छुप कर देखने लगा. वो अंदर गई तो मौसी ने पूछा, क्या हुआ बेटी जवाहर ने बताया नही क्या खायेगा?
वो मम्मी भैया ने.. क्या भैया ने, बताओ ना बेटी क्या किया तेरे भाई ने?
वो भैया ने मुझे अपनी गोद मैं बिठा लिया था और फिर ओर फिर..
और फिर क्या?
और और कुछ नही. अरे अगर तेरे भाई ने तुझे अपनी गोद मै बिठा लिया तो क्या हुआ, आख़िर वो तेरा बड़ा भाई है. अच्छा यह बता उसने गोद मैं ही बिठाया था या कुछ और भी किया था?
और तो कुछ नही मम्मी भैया ने फिर मेरे इन दोनो को देख लिया था.
मुझे लग रहा है मेरे भांजे को अपनी बहन के दोनो रसीले मम्मे पसंद आ गए हैं तभी वो बार बार इनको देख रहा है. बेचारा मेरा भांजा, अपनी ही बहन की मम्मों को पसंद करता है. अगर बाहर की कोई लड़की होती तो देख लेता जी भर कर पर साथ में वो डरता होगा. अच्छा बेटी यह बता जब तुम्हारे भैया तेरे मम्मों को घूरता है तो तुमको कैसा लगता है?
ज्जज्ज जी मम्मी वो लगता तो अच्छा है पर…
पर क्या बेटी. अरे तुझे तो खुश होना चाहिये की तुम्हारा अपना भाई ही तुम्हारे मम्मों का दीवाना हो गया है.
अगर मैं तेरी जगह होती तो मैं तो बहाने बहाने से अपने भाई को दिखाती.
“मम्मी.”
हाँ बेटी सच कह रही हूँ. क्या तुझे अच्छा नही लगता की कोई तेरा दीवाना हो और हर वक़्त बस तेरे बारे मैं सोचे और तुझे देखना चाहे. तुझे चोदना चाहे.
मम्मी आप भी.
अरे बेटी कोई बात नही जा अपने भाई को बेचारे को दो चार बार अपनी दोनो मस्त जवानीयों की झलक दिखा दिया कर. वैसे उस बेचारे की ग़लती नही, तू है ही इतनी कड़क जवान की वो क्या करे. देख ना अपनी दोनो मम्मों को लग रहा है अभी कमीज़ फाड़कर बाहर आ जाएंगे. जा तू भाई के पास जाकर टी.वी देख और बेचारे को अपनी झलक दे मैं खाने का इंतज़ांम करती हूँ. खाना तैयार होने पर में तुम दोनो को बुला लूँगी.”
मैं मौसी की बात सुन वापस आ टीवी देखने लगा. थोड़ी देर बाद गरिमा आई तो मैंने कहा, “क्या हुआ गरिमा खाना रेडी है?”
“जी भैया खाना मम्मी बना रही हैं.”
“अच्छा तो आ तू टीवी देख.”
वह मेरे पास आ गयी तो मैंने उसे अपनी बगल मे बिठा लिया. इस बार मैं चुप बैठा टीवी देखता रहा. 5 मिनट बाद वह बार बार पहलू बदलती और मुझे देखती. मैं समझ गया कि अब सही मौका है. तब मैंने उसके गले मे हाथ डाला और बोला, “बहुत अच्छी मूवी है.”
“जी भैया.”
फिर उसे अपनी गोद मे धीरे से झुकाया तो वह मेरी गोद की तरफ झुक गयी. तब मैंने उसे अपनी गोद पर ठीक से झुकाते कहा, “गरिमा आराम से देखो टीवी मौसी तो किचन मे होगी?”
“जी भैया ठीक से बैठी हूँ.” गरिमा यह कहते हुए मेरी गोद मे सर रख लेट गयी.
वह टीवी देख रही थी और मैं उसके मम्मे. तभी उसने मुझे देखा तो मैं ललचाई नज़रों से उसके मम्मों को देखता रहा. वह मुस्काई और फिर टीवी की तरफ देखने लगी. अब वह शरमा नही रही थी. तब मैंने उसकी कमीज़ को नीचे से पकड़ा और नीचे की तरफ खींचा. वह कुछ ना बोली. मैं थोड़ा सा और खींचा तो उसके मम्मे ऊपर से झाँकने लगी. अब मैं उसकी गदराए कसे मम्मों को देखता एक हाथ को उसके पेट पर रख चुका था. हमलोग 3-4 मिनट तक इसी तरह रहे.
फिर वह मेरा हाथ अपने पेट से हटाती उठी तो मैंने कहा, “क्या हुआ गरिमा?”
“कुछ नही भैया अभी आती हूँ.”
“कहाँ जा रही हो?’
“भैया पेशाब लग आई है अभी आती हूँ करके.”
वह चली गयी और मैं उसकी पेशाब करती चूत के बारे मे सोचने लगा.
तबी वह वापस आई तो उसे देख मैं खुश हो गया. उसने अपनी कमीज़ का ऊपर का बटन खोल दिया था. मैं समझ गया कि अब वह मेरी किसी हरकत का बुरा नही मानेगी. वह आई और पहले की तरह मेरी गोद मे सर रख टीवी देखने लगी. मैंने फिर चुपके से हाथ से उसकी कमीज़ नीचे करी और फिर धीरे से उसके खुले बटन के पास हाथ लगा कमीज़ को दोनो ओर फैला दिया.
मैं जानता था कि वह सब समझ रही है पर वह अंजान बनी लेटी रही. जब कमीज़ को इधर उधर किया तो उसकी आधे मम्मे दिखने लगे. वह अंदर बहुत छोटी सी ब्रा पहने थी जिससे उसके निपल ढके थे. मैं समझ गया कि मैं अब कुछ भी कर सकता हूँ वह बुरा नही मानेगी. फिर भी मैंने पहली बार की वजह से एकदम से कुछ भी करने के बजाए धीरे धीरे ही शुरुआत करना ठीक समझा.
फिर एक हाथ को उसकी रान पर रखा और 4-5 बार सहलाया. वह चुप रही तब मैंने उसकी कमीज़ के दो बटन और खोल दिए और अब उसकी ब्रा मे कसे पूरे मम्मे मेरी आँखों के सामने थी. अब मेरी गोद मे मेरी 15 साल की बहन गरिमा लेटी थी और मैं उसके मम्मों को ब्रा मे देख रहा था. ब्रा का हुक नीचे था जिसे अब मैं खोलना चाह रहा था.
मैंने दो तीन बार उसकी पीठ पर हाथ ले जाकर टटोला तो मेरे मंन की बात समझ गयी और उसने करवट ले ली. तब मैंने उसकी ब्रा का हुक अलग किया. फिर उसका कंधा पकड़ हल्का सा दबाया तो वह फिर सीधी हो गयी और टीवी की तरफ देखती रही. मैं कुछ देर उसे देखता रहा फिर ब्रा को उसके मम्मों से हटाया तो उसने शरमा कर अपनी आँखे बंद कर ली.
उसके दोनो मम्मों को देखा तो देखता ही रह गया. गुलाबी रंग के बहुत टाइट थे दोनो मम्मे और निपल एकदम लाल लाल बहुत प्यारा लग रहा था. मैं उसके मम्मों को देख सोच रहा था कि सच इतने प्यारे और खूबसूरत मम्मे शायद कभी और नही देख पाउन्गा.
वह आँखें बंद किए तेज़ी से साँसे ले रही थी. मैंने अभी उसके मम्मों को छुआ नही था केवल उनका ऊपर नीचे होना देख रहा था. मम्मों का साइज़ बहुत अच्छा था, आराम से पूरे हाथ मे आ सकते थे. मौसी की मम्मों के लिए तो दोनो हाथो को लगाना पड़ता था.
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मैंने उससे कहा, “गरिमा.”
वह चुप रही तो फिर बोला, “गरिमा ए गरिमा क्या हुआ? तू टीवी नही देख रही. देखो ना कितना प्यारा सीन है.”
वह फिर भी चुप आँखें बंद किए रही तो मैं फिर बोला, “गरिमा देखो ना.”
“ज्ज्ज्ज्ज ज्ज जी भैया देख तो रही हूँ.”
“कहाँ देख रही हो. देखो कितनी अच्छी फिल्म है.”
तब उसने धीरे से ज़रा सी आँखे खोली और टीवी की तरफ देखने लगी. कुछ देर मे उसने फिर आँखे बंद कर ली तो मैंने उसके गालों को पकड़ उसके चेहरे को अपनी ओर करते कहा, “क्या हुआ गरिमा तुम टीवी नही देखोगी क्या?”
वह चुप रही तो उसके गालों को दो तीन बार सहला कर बोला, “कोई बात नही अगर तुम नही देखना चाहती तो जाओ किचन मे मौसी की हेल्प करो जाकर.”
उसने मेरी बात सुन अपनी आँखे खोल मुझे देखा फिर टीवी की ओर देखते बोली, “देख तो रही हूँ भैया.”
इस बार उसने आँखें बंद नही की और टीवी देखती रही. थोड़ी देर बाद मैंने एक हाथ को धीरे से उसके एक मम्मे पर रखा तो वह सिमट सी गयी पर टीवी की ओर ही देखती रही. हाथ को उसके मम्मे पर रखे थोड़ी देर उसके चेहरे को देखता रहा फिर दूसरे हाथ को दूसरे मम्मे पर रख हल्का सा दबाया तो उसने फिर आँखे बंद कर ली. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने दो तीन बार दोनो मम्मों को धीरे से दबाया और फिर उसके निपल को पकड़ मसला तो वह मज़े से सिसक गयी. दोनो निपल को चुटकी से मसल बोला, “गरिमा, लगता है तुमको फिल्म अच्छी नही लग रही, जाओ तुम किचन मे मैं अकेला देखता हूँ.”
इतना कह उसके मम्मों को छोड़ दिया और उसे अपनी गोद से हटाने की कोशिश की तो वह जल्दी आँखे खोल मुझे देखती घबराती सी बोली, “हाये न्न्न नही तो भैया बहुत अच्छी फिल्म है, हाये भैया देख तो रही हूँ. आप भी देखिए ना मैं भी देखूँगी.”
वह फिर लेट गयी और सर मोड़ कर टीवी देखने लगी. मैंने उसका चेहरा अपनी ओर करते कहा, “गरिमा.”
“जी भैया देखूँगी फिल्म मुझे भी अच्छी लग रही है.”
“हाये गरिमा तू कितनी खूबसूरत है. हाये तेरे यह कितने प्यारे हैं.”
“क्या भैया?”
“तेरे मम्मे ?”
वह अपने मम्मों को देखती बोली, “हाये भैया आपने इनको नंगा कर दिया हाये मुझे शरम आ रही है.”
“कोई नही आएगा. तुझे बहुत मज़ा आएगा.” और दोनो मम्मों को पकड़ लिया और दबा दबा उसे मस्त करने लगा.
वह मेरे हाथो पर अपने हाथ रख बोली, “भैया मम्मी हैं.”
“वह तो किचन मे है. तू डर मत उनको अभी बहुत देर लगेगी खाना बनाने मे.”
फिर उसके दोनो मम्मों को मसलता रहा और वह टीवी की ओर देखती रही. वह बहुत खुश लग रही थी. 10 मिनट तक उसके मम्मों को मसल्ने के बाद झुककर दोनो मम्मों को बारी बारी से चूमा तो उसके मुँह से एक सिसकारी निकल गयी.
“क्या हुआ गरिमा?’
“कुछ नही भैया हाआहह भैया.”
“क्या है गरिमा?”
“भैया.”
“क्या है बता ना?”
“भैया मम्मी तो नही आएँगी?”
“अभी नही आएँगी, अभी उनको आधा घंटा और लगेगा खाना बनाने मे.”
“भैया इनको..”
“क्या बताओ ना तुम तो शरमा रही हो.”
और मैने झुककर उसके होंठो को चूमा. होंठो को चूमने पर वह और मस्त हुई तो मैंने उसके होंठो को अपने मुँह मे लेकर खूब कसकर चूसा. 3-4 मिनट होंठ चूसने के बाद अलग हुआ तो वह हाँफती हुई बोली, “ऊऊहह आआहह स भैया आहह बहुत अच्छा लगा हाये भैया इनको मुँह से करो.”
“क्या करें?”
“भैया मेरे मम्मों को मुँह से चूस चूस कर पियो.”
मे खुश होता बोला, “लाओ पिलाओ अपने मम्मों को.”
फिर मैं उसको अलग कर लेट गया तो वह उठी और मेरे ऊपर झुक अपना एक चुची अपने हाथ से पकड़ मेरे मुँह मे लगा बोली, “लो भैया पियो इनका रस्स.”
मैं उसके मम्मे को होंठो से दबा दबा कसकर चूस रहा था. वह अपने हाथ से दबा पूरा चुची को मेरे मुँह मे घुसाने की कोशिश कर रही थी. 3-4 मिनट बाद उसने इसी तरह दूसरा चुची भी मेरे मुँह मे दे दिया. दोनो को करीब दस मिनट तक चुसाती रही और मैं उसकी गाँड पर हाथ लगा उसके चूतड़ सहलाता रहा और चुची पीता रहा.
फिर वह मुझे उठा मेरी गोद मे पहले की तरह लेट गयी और फिर मेरे हाथ को अपनी एक मम्मे पर लगा दबाने का इशारा किया. मैं दबाने लगा तो उसने मेरे चेहरे को पकड़ अपनी दूसरा चुची झुकाया. मैं उसका मतलब समझ उसकी एक मम्मे को मसलने लगा और दूसरे को पीने लगा. वह अब मुझे ही देख रही थी. वह मेरे सर पर हाथ फेर रही थी.
वह मेरे कान मे फुसफुसा भी रही थी, “हहाअ आहह हाये भैया बहुत अच्छा लग रहा है हाउ आप कितने अच्छे हैं.”
“तू भी बहुत अच्छी है.”
“भैया एक बात तो बताओ? अभी जब आपसे खाने को पूछा था तो आप किनका रस पीने को कह रहे थे?”
“जिनका रस पी रहा हूँ, तेरे मम्मों का.”
“हाये भैया आप कितने वो है.”
तभी किचन से मौसी की आवाज़ आई वह गरिमा को बुला रही थी.
गरिमा हड़बड़ाकर उठा बैठी और अपने कपड़े ठीक करती बोली, “जी मम्मी.”
“बेटी क्या कर रही हो?”
“कुछ नही मम्मी आ रही हूँ.” वह बहुत घबरा गयी थी और मुझसे बोली, “हाये भैया दरवाज़ा खुला था कहीं मम्मी ने देख तो नही लिया?”
“नही यार वह तो किसी काम से बुला रही हैं?”
“बेटी अगर फ्री हो तो यहाँ आओ.”
“आई मम्मी.” और वह चली गयी तो मैं भी साँसे दुरुस्त करने लगा.
अपनी बहन के मम्मों का रस पीकर तो मज़ा ही आ गया था. मैं फिर जल्दी से किचन के पास गया. मौसी रोटी सेक रही थी. गरिमा उनके पास खड़ी हुई. वह अभी भी तेज़ी से साँसे ले रही थी.
मौसी उसे देखकर बोली, “क्या हुआ बेटी, तू थकी लग रही है?”
“नही तो मम्मी मैं ठीक हूँ.”
“क्या देख रहे थे तुम लोग?”
“फिल्म मम्मी, मम्मी बहुत अच्छी फिल्म थी.”
“अच्छा अच्छा बेटी तुम्हारे भैया कहाँ हैं?”
“वह तो अभी टीवी ही देख रहे हैं. मम्मी कुछ काम है क्या?”
“नही बेटी क्यों?”
“मे जाऊँ टीवी देखने भैया अकेले बोर हो जाते हैं.”
“बहुत ख्याल रखती है अपने भैया का. जा देख जाके भाई के साथ. मुझे अभी 10 मिनट और लगेगें.”
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वह खुश हो जल्दी से बाहर निकली तो मैंने उसे पकड़ अपनी गोद मे उठाया और टीवी रूम मे ले आया. वह मेरे गले मे बाँहें डाले मुझे ही देखे जा रही थी. अंदर आ मैं बैठा और उसे अपनी गोद मे बिठा उसके होंठो को चूम उसकी दोनो मम्मों को दबाने लगा. दो मिनट बाद उसके बटन खोलना चाहा तो वह बोली, “नही भैया बटन ना खोलो ऐसे ही कर . मम्मी आ सकती हैं.”
मैं उसके मम्मों को मसल उसे मज़ा देते बोला, “यार नंगे पकड़ने मे ज़्यादा मज़ा आता है.”
“ओह्ह भैया अभी नही खाने के बाद मम्मी तो 2 घंटे के लिए सो जाती हैं तब आपको जी भरके अपने नंगे मम्मे पिलाऊँगी. भैया ब्रा अलग कर दीजिए फिर कमीज़ के अंदर हाथ डालकर पकडिए.”
“तू कितनी समझदार है.”
फिर मैंने उसकी ब्रा खोलकर अलग कर दी तो उसने ब्रा को कुशन के नीचे छुपा दिया फिर अपनी कमीज़ को ऊपर उठाया और मेरे हाथों को अंदर किया. मैंने उसके दोनो मम्मों को पकड़ लिया और दबा कर उसके होंठ, गाल गले पर चूमने लगा.. वह अपने हाथ पिछे कर मेरे गले मे डाले अपने मम्मों को देख रही थी.
तभी किचन मे कुछ आहट हुई तो वह मेरे हाथ हटाती बोली, “अब रहने दो भैया मम्मी आने वाली हैं.”
मे जानता था मौसी कुछ नही कहेंगी लेकिन फिर भी मैंने उसे छोड़ दिया तो उसने अपने कपड़े ठीक किए और अलग होकर बैठ गयी. एक मिनट बाद मौसी आई और गरिमा के पास बैठ गयी. वह मुझे देख मुस्काराई तो मैं भी मुस्काराया और इशारा किया कि काम बन गया.
तभी मौसी ने कहा, “बेटा तुम लोग खाना खाओगे?”
“खा लेते है मम्मी आपको आराम भी करना होगा.” गरिमा बोली.
“चलो फिर खाना खा लिया जाए.”
तब गरिमा उठकर गयी तो मौसी मुझसे बोली, “क्या किया बेटा?”
“मौसी बहुत मस्त है गरिमा के दोनो मम्मे, हाये मौसी दोनो का खूब रस पिया.”
“ठीक है खाना खा लो फिर मैं सोने का बहाना कर अपने रूम मे चली जाऊँगी तब तुम यही फिर करना लेकिन बेटा नीचे हाथ लगाया या नही?”
“अभी नही मौसी.”
“ठीक किया, नीचे वाला माल रात मे ही छूना. आज रात तुम्हारी और गरिमा की है. अभी एक दो घंटे उसके मम्मों का मज़ा ही लो. रात मे नीचे का. अगर अभी नीचे वाली को कुछ किया तो वह बेचैन हो जाएगी और चुदाई का असली मज़ा रात मे ही है. उसे अपना दिखाया या नही?”
“अभी नही मौसी.”
“अब उसे अपना दिखाना और मान जाए तो उसके मुँह मे भी देना. अगर ना माने तो कोई बात नही मे सिखा दूँगी मुँह मे लेना.”
फिर हम सब खाना खाने लगे. खाने पर वह मुझे देख रही थी. खैर खाने के बाद वह बर्तन साफ करने लगी. मैं टीवी देखने जाता बोला, “गरिमा मैं टीवी देखने जा रहा हूँ अगर तुमको देखना हो तो आ जाना.”
“ठीक है भैया आप चलिए मैं अभी आती हूँ. बर्तन धोकर कपड़े बदल लूँ फिर आती हूँ. इन कपड़ो मे परेशानी होती है.”
“हां बेटी जाओ बर्तन साफ करके भैया के साथ टीवी देखना और मुझे डिस्टर्ब ना करना. मैं दो घंटे सोउंगी. और गरिमा बेटी घर मे इतने कसे कपड़े ना पहना करो. जाओ कोई ढीला सा स्कर्ट और टी-शर्ट पह्न लो.” मौसी तो सोने की बात कह चली गयी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं टीवी देखने लगा. 10 मिनट बाद गरिमा आई तो उसे देख मैं दंग रह गया. लाल रंग का स्कर्ट और वाइट टी-शर्ट मे उसने मेक-अप किया हुआ था. होंठो पर स्किन कलर की लिपस्टिक थी और पर्फ्यूम से उसका बदन महक रहा था. मैं उसे देखता रहा तो वह मुस्कराते हुए बोली, “भैया क्या देख रहे हो?”
“देख रहा हूँ कि मेरी बहन कितनी खूबसूरत है.”
“जाइए भैया आप भी, मुझे टीवी देखना है.”
फिर वह आकर मेरे पास बैठी. उसके बैठने पर मैंने उसे देखा और मुस्कराते हुए उसके हाथो को पकड़ा तो वह अपना हाथ छुड़ा उठकर आगे सिंगल बेड पर लेट गयी. मैं सोफा पर बैठा उसे देखता रहा. उसके मम्मे ऊपर को ताने हुए थे. टी-शर्ट छोटी थी जिससे उसका पेट दिख रहा था.
स्कर्ट भी घुटनो से ऊपर था. वह टीवी की तरफ देख रही थी. तभी उसने अपने पैर घुटनो से मोड़े तो उसका स्कर्ट उसकी कमर पर आ गया और उसकी चिकनी गोरी गोरी राने दिखने लगी. वह अपनी चिकनी राने दिखाती अपने हाथों को अपने मम्मों पर बाँधे थी. 8-10 मिनट तक वह ऐसे ही रही.
फिर वह मेरी ओर देख बोली, “भैया यह अच्छी फिल्म नही है, मैं बोर हो रही हूँ.”
मे उठकर उसके पास जाकर बैठा और उसकी कमर पर हाथ रख बोला, “गरिमा इस वक़्त कोई अच्छा प्रोग्राम नही आता.” और कमर पर हल्का सा दबाव डालता बोला, “एक घंटे बाद एक अच्छा प्रोग्राम आता है.”
“ओह्ह भैया तो एक घंटे तक क्या करें?”
“अरे यही प्रोग्राम देखते हैं ना, आओ सोफे पर चलो ना वही बैठकर देखते हैं दोनो लोग.” मैंने उसका हाथ पकड़ उसकी नशीली हो रही आँखों मे झाँकते कहा.
वह मुझे रोकती बोली, “भैया मैं यही लेटकर देखूँगी, थक गयी हूँ ना आप भी यही बैठिए ना.”
मैंने उसे मुस्करा कर देखा और कहा, “ठीक है गरिमा तुम सच मे थक गयी होगी बर्तन धोकर.” और उसकी कमर के पास ही बैठ गया.
अभी मैं चुप बैठा था. वह टीवी देखते देखते एक दो बार मुझे भी देख लेती थी. 4-5 मिनट बाद उसने करवट ले ली तो उसकी पीठ और चूतड़ मेरी तरफ हो गये. अब मैं भी आगे कुछ करने की सोच धीरे से उसके साथ ही लेट गया और अपना हाथ उसके ऊपर रखा. हाथ उसके ऊपर रखा तो उसने चेहरा मोड़ मुझे देखा और मुझे अपनी बगल मे लेटा देख मुस्काराकार बोली, “क्या हुआ भैया आप भी थक गये हैं?”
“हां गरिमा सोच रहा था थोडा लेटकर आराम कर लूँ.”
“ठीक है भैया लेटीये ना, आज तो वैसे भी कोई काम नही है.”
कुछ देर लेटा रहा फिर धीरे धीरे उसकी स्कर्ट को ऊपर खिसकाने लगा. वह चुप रही और थोड़ी ही देर मे उसका स्कर्ट ऊपर कर दिया और उसकी पैंटी दिखने लगी. कुछ देर बाद जब उसकी पैंटी को खिसकाना चाहा तो उसने मेरे हाथो को पकड़ लिया और टीवी देखती रही.
मैं समझ गया कि वह शरमा रही है. मैंने सोचा ठीक है रात मे देखूँगा नीचे वाली, अभी मम्मों का ही मज़ा लिया जाए. फिर हाथ को उसकी टी-शर्ट के पास लाया और आगे कर उसके एक मम्मे को पकड़ा. वह चुप रही तो फिर मैं धीरे धीरे दबाने लगा. दोनो मम्मों को 4-5 मिनट तक दबाया फिर उसकी टी-शर्ट को ऊपर करने लगा तो उसने मेरी हेल्प की.
दोनो मम्मों को टी-शर्ट से बाहर कर दिया था. वह ब्रा पहले ही उतार चुकी थी. मम्मों को नंगा करने के बाद उसका कंधा पकड़ अपनी तरफ किया तो वह चुप चाप सीधी होकर लेट गयी. उसकी आँखें बंद थी और मैं उसकी ताने हुए मम्मों को देखता ना रह सका और झुककर एक को मुँह मे ले लिया.
अब मैं दोनो मम्मों पर जीभ चला चला चाट रहा था. मैं अपनी बहन के दोनो मम्मों को चूस नही रहा था बल्कि चाट रहा था. जब 6-7 मिनट तक चाट्ता रहा तब वह भी मस्ती से भर गयी और अपने एक मम्मे को अपने हाथ से पकड़ मेरे मुँह मे घुसेड़ती फुसफुसाकर बोली, “भैया.”
“क्या है गरिमा?”
“ववव आह इनको….”
“क्या बताओ ना तुम तो बहुत शरमाती हो.”
“भैया इनको मुँह से चूस कर पियो जैसे खाने से पहले कर रहे थे.” वह शरमाते हुए बोली.
“तुमको अच्छा लगा था अपने मम्मों को अपने भाई को चूसाने मे?”
“हां भैया बहुत मज़ा आया था, और पियो इनको.”
“पगली, शरमाया मत कर. अगर तुझे अपनी इस मस्त जवानी का मज़ा लेना हो तो शरमाना नही. चलो खुलकर इनका नाम लेका कहो जो कहना है.”
“भैया हाये पियो हाये पियो अपनी बहन के मम्मों को.” और शरमाते हुए बोली, “ठीक है ना भैया?”
“बहुत अच्छे चलो एक काम करो यह सब कपड़े अलग करो अड़चन होती है.”
“नही भैया पूरी नंगी नही.”
“अरे देख तेरी मस्त मम्मे मेरे सामने है ही फिर क्या?”
“नही भाई नीचे नही उतारूंगी.”
“अच्छा चलो पैंटी पहने रहो और सब उतार दो.”
“मम्मी ना आ जाएँ दरवाज़ा बंद कर लो.”
“अरे अगर दरवाज़ा बंद कर लिया तो मौसी कुछ ग़लत समझेंगी. डरो नही मौसी कम से कम 2 घंटे बाद ही उठेंगी.”
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तब उसने अपनी टी-शर्ट और स्कर्ट अलग कर दिया और केवल पैंटी मे ही लेट गयी. फिर मैं उसका एक चुची मसलते हुए दूसरे को चूसने लगा. 20-25 मिनट मे ही वह एकदम मस्त हो चुकी थी तब मैंने कुछ आगे ट्राइ करने की सोचा.
“गरिमा.”
“जी भैया.”
“मज़ा आया ना.”
“जी बहुत आहह, आप कितने अच्छे हैं.”
“और चूसू कि बस?”
“अब बस भैया अब कल फिर.”
“क्यों रात मे नही पिलाओगी अपने मम्मों को?”
“रात मे कैसे?”
“मे चुपके से तुम्हारे रूम मे आ जाउन्गा.”
“ओह्ह भैया फिर तो मज़ा आ जाएगा, हाये मे तो रात भर आपको पिलाऊँगी.”
“पर मेरा भी तो एक काम करो.”
“क्या भैया?”
“देखो मैंने तुमको इतना मज़ा दिया है ना इससे मेरा यह बहुत परेशान हो गया है. तुम अपने हाथ से इसे थोड़ा प्यार करो तो इसे भी क़रार आ जाए.” और अपने लंड पर हाथ लगाया.
वह यह देख शरमाने लगी तो मैंने उसके हाथ को पकड़ अपने लंड पर रखते कहा, “अरे यार तू शरमाती क्यों है.”
“नही भैया नही मैं इसे नही पकडूँगी.” और उसने अपना हाथ हटा लिया.
“क्या हुआ जान?”
“भैया आपको जो करना हो कर लो मैं इसे नही पाकडूँगी मुझे डर लगता है.”
“अच्छ ठीक है चल तू ज़रा अपने मम्मों को मेरे मुँह मे दे.”
फिर मैं सीधा लेट गया और वह मेरे पास आ अपने मम्मों को पकड़ मेरे मुँह मे देने लगी. मैंने उसके मम्मों को चूस्ते हुए अपनी पॅंट को अलग किया फिर अंडरवियर को खिसका लंड बाहर किया. लंड बाहर कर अपने हाथ से लंड सहलाने लगा. मैंने देखा कि गरिमा की आँखें मेरे लंड पर थी. 2-3 मिनट बाद गरिमा से कहा, “गरिमा मेरी बहन हाये मेरा लंड सूखा है ठीक से हो नही रहा प्लीज़ इस पर अपना थूक लगा दो तो यह चिकना हो जाएगा और आराम से कर लूँगा.”
वह कुछ देर सोचती रही फिर धीरे से मेरे पैरों के पास गयी और झुककर मेरे लंड पर खूब सा थूक उंड़ेल दिया. थूक लगा वह फिर मेरे पास आई तो मैं लंड सहलाते बोला, “हां गरिमा अब सही है तुम्हारा थूक बहुत चिकना है. आहह चुसाओ अपनी हाये तुम्हारे मम्मों को पीकर मूठ मारने का मज़ा ही कुछ और है.”
मे उसके मम्मों को चूस अपनी मूठ मारता रहा फिर थोड़ी देर बाद बोला, “गरिमा हाये ऐसे नही निकलेगा प्लीज़ एक काम करो”
“जी बताएँ भैया.”
“यार अपने हाथ से नही होता और तू करेगी नही, तुम प्लीज़ अपनी पैंटी उतारकर मुझे दे दो ना.”
“नही नही हाये नही भैया.”
“पगली मैं तुमको देखूँगा नही बस अपनी पैंटी दे दो. क्या मेरे लिए इतना भी नही करोगी.”
तब उसने कुछ सोचते हुए अपने स्कर्ट के अंदर हाथ डाला और फिर पैंटी उतारी और मेरी ओर कर दी. मैंने पैंटी पकड़ी और उसे सूंघते हुए उसे मस्त करने के लिए कहा, “हाये गरिमा मेरी बहन कितनी मस्त और नशीली खुश्बू आ रही है तुम्हारी पैंटी से हह आह अब तुम्हारी पैंटी को प्यार करूँगा तो मेरा निकलेगा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
फिर उसकी पैंटी को दो-चार बार नाक पर लगा सूँघा और फिर उसे दिखाते हुए उस जगह को खोला जहाँ पर उसकी चूत होती है. उस जगह को देखा तो वह कुछ पीली सी थी. मैंने उस पीली जगह को उसे दिखाते कहा, “गरिमा देखो तुम्हारी पैंटी यहाँ पीली है, शायद यहाँ पर तुम्हारा पेशाब लग जाता होगा.”
वह शर्मकार नीचे देखने लगी तो मैंने आगे कहा, “सच गरिमा तुम्हारी चूत की खुश्बू इस पैंटी से कितनी प्यारी आ रही है. हाये इसे चाटने मे बहुत मज़ा आएगा.”
फिर मैं उसकी पैंटी को मुँह मे ले चूसने और चाटने लगा तो वह हैरानी से मुझे देखने लगी. कुछ देर चाट कर बोला, “गरिमा लग रहा है जैसे सच मे तुम्हारी चूत चाट रहा हूँ.”
वह और ज़्यादा शरमा गयी तब मैंने दो टीन बार और पैंटी को चाटा फिर उसकी पैंटी से अपने लंड को रगड़ते हुए कहने लगा, “ले हाये ले गरिमा की पैंटी पर ही निकल जा हाये यह तो मेरी छोटी बहन है यह तुमको अपनी चूत नही देगी. हाये जब यह मेरा पकड़ नही रही है और मुझे अपनी चटा नही रही है तो तुझे कैसे देगी.”
और फिर मैं तेज़ी से झड़ने लगा. खूब पानी निकला था जिसे वह देख भी रही थी और शरमा भी रही थी. जब मैं झड़ गया तो उसे पकड़ उसके होंठ चूमकर बोला, “थॅंक यू गरिमा अगर तुम अपनी पैंटी ना देती तो मेरा निकलता नही और मुझे मज़ा नही आता. प्लीज़ अब तुम अपनी सभी गंदी पैंटी मुझे दे दिया करना.”
वह कुछ बोल्ड हो बोली, “भैया गंदी क्यों?”
“अरे जो पहनी हुई होगी उसी मे तो तुम्हारी चूत की मस्त खुश्बू होगी ना.”
वह फिर शरमा गयी और धीरे से बोली, “हाय चलिए, भैया थोड़ा सा और चूस दीजिए ना.”
तब मैंने फिर उसके मम्मों को 10 मिनट तक और चूसा फिर उससे बोला, “जा देखकर आ मौसी सो रही हैं ना.”
वह गयी और थोड़ी देर बाद आ बोली, “हां भैया सो रही हैं मम्मी.”
“गरिमा मेरी जान तुम्हारी मम्मे बहुत अच्छे हैं, इनको चूस कर मज़ा आ गया यार ज़रा सा अपनी नीचे वाली भी चटा दो ना.”
“हाये भैया नही नही यह ठीक नही है.”
“अरे यार तुम डरो नही बस केवल देखूँगा और एक बार चाटूँगा फिर कुछ नही करूँगा. प्लीज़ गरिमा.”
“भैया आप नही मानते तो मैं आपको केवल दिखा सकती हूँ लेकिन छूने नही दूँगी, बोलिए?”
“ओके, ठीक है, दिखाओ हाये देखें तो मेरी बहन की चूत कैसी है हाये जिस चूत की खुश्बू इतनी प्यारी है वह देखने मे कितनी खूबसूरत होगी?”
वह मेरी बात सुन शरमा गयी और फिर धीरे से अपने स्कर्ट को पकड़ा और मेरे सामने खड़ी हो स्कर्ट ऊपर उठाने लगी. मैं उसकी चूत देख मस्त हो गया और लंड तेज़ी से झटके लेने लगा. मैं उसकी खूबसूरत चूत देख अपने होंठो पर जीभ फेरता बोला,
“आह गरिमा मेरी जान मेरी प्यारी बहन तुम्हारी चूत बहुत खूबसूरत है, हाये कितनी प्यारी सी छोटी छोटी फाँक और कितनी गुलाबी सी एकदम गुलाब की कली सी चूत है. हाये गरिमा वह कितना खुशनसीब होगा जो इस कली को फूल बनाएगा. आअह उसे कितना मज़ा आएगा जब वह मेरी बहन की प्यारी सी चूत पर अपनी जीभ लगा चाटेगा.”
वह मेरी इस तरह की बात सुन मस्त हो और कुछ शरमाते हुए बोली, “ओह्ह भैया आप कैसी बातें कर रहे हैं? अब देख लिया अब बस अब चलिए आराम से टीवी देखते हैं.”
फिर वह स्कर्ट नीचे कर सामने बेड पर करवट के बल लेट गयी तो मैं भी उसके पिछे लेट उसकी गाँड पर लंड सटा उसे अपनी बाँहो मे दबोच लिया. वह कसमसाई तो मैंने उसके मम्मों को पकड़ लिया और दबाते हुए उसे मस्त करने के लिए उसके कान मे फुसफुसाने लगा.
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“गरिमा मेरी बहन तुम बहुत खूबसूरत हो, तुम्हारी मम्मे बहुत कड़क है और तुम्हारी चूत का तो जवाब ही नही.”
वह शरमाती सी बोली, “भैया टीवी देखिए ना?”
“ओह्ह देख तो रहा हूँ, हाये गरिमा अगर तुम इज़ाज़त दो तो तुम्हारी चूत को हाथ से छू कर देख लूँ.”
“ओह्ह भैया आप भी.”
“प्लीज़ गरिमा.”
“भैया देखिए आप ……ओके भैया लेकिन भैया अभी नही प्लीज़ अभी टीवी देखिए रात को जब मम्मी सो जाए तब आप आ जाइएएगा मेरे रूम मे तब आप देखिएगा भी और छू भी लीजिएगा.”
“हाये ठीक है गरिमा, ऊहह हाये रात तक इंतेज़ार करना होगा इस प्यारी चूत के लिए.”
फिर मैंने उसके मम्मों को पकड़ लिया और उसको मसलता रहा और टीवी देखता रहा. 15-20 मिनट बाद वह अलग होते बोली, “भैया अब हटिए मम्मी उठने वाली होंगी.”
फिर वह उठकर टॉइलेट गयी और वापस आ ठीक से बैठ गयी. फिर मैंने भी अपने कपड़े सही किए और थोड़ी देर बाद मौसी आ गयी.
मौसी भी हमारे साथ टीवी देखने लगी. 10 मिनट बाद मौसी बोली, “गरिमा बेटी जा चाय बना ला.”
वह गयी तो मौसी ने मुझसे कहा, “जवाहर बेटे कुछ काम बना तुम्हारा?”
“मौसी बहुत काम बन गया.”
“अच्छा क्या क्या हुआ?”
“मौसी आज तो गरिमा की दोनो मम्मों को चूस चूस कर खूब मज़ा लेकर झाड़ा और उसकी चूत को भी देखा लेकिन उसने छूने नही दिया.”
“अरे तो केवल मम्मों का ही मज़ा लिया अपनी बहन की.”
“हां मौसी वैसे उसने कहा है कि रात को अपने रूम मे बुलाएगी.”
“अच्छा ठीक है बेटा तुम उसके कमरे मे जाकर ही मज़ा देना. कोशिश करना कि तुम उसे आज ही चोद लो, और अगर ना चोद पाओ तो एक काम ज़रूर करना.”
“क्या मौसी?”
“तुम अपनी अंडरवियर उसके रूम मे ही छोड़ देना और अपनी कोई और आइटम भी वही छोड़ देना बाकी मैं देख लूँगी.”
“ठीक है मौसी.”
फिर गरिमा चाय लेकर आ गयी. हम सब चाय पीने लगे. फिर सब कुछ नॉर्मल हो गया. मैं बाहर चला गया. रात को वापस आया फिर सबलोगो ने खाना खाया और फिर गरिमा बर्तन धोने लगी तो मौसी ने मुझसे कहा, “बेटा आज तू अपनी बहन की लेगा, तुझे उसके सामने अपनी मौसी तो अच्छी नही लगेगी.”
“ओह्ह मौसी आप कैसी बात करती हो, आप तो पहले हैं और गरिमा बाद मे. आज आप अकेले सो जाओ आज गरिमा को कोशिश करके चोद लूँ तो फिर कल आपको.”
“ठीक है बेटा अगर वह ना माने तो ज़बरदस्ती मत करना, अगर वह डर गयी तो तुम्हारा काम बिगड़ जाएगा, जितना करवाए उतना करना बाकी मैं कल तुम्हारा पूरा काम बनवा दूँगी.”
फिर मौसी गरिमा से बोली, “बेटी मैं सोने जा रही हूँ, तुम बर्तन धोकर सोना, जवाहर बेटा जाओ तुम भी सोओ जाकर.”
“आप चलिए मम्मी मैं ज़रा टीवी देखूँगा.”
फिर मौसी चली गयी तो मैं किचन मे घुस गया और गरिमा के पिछे खड़ा हो उसकी गाँड मे लंड लगाया. वह अपनी गाँड को मेरे लंड पर दबाती मुझे देख मुस्करती बोली, “ओह्ह भैया क्या है, जाइए आप टीवी देखिए मैं काम कर रही हूँ.”
“तुमको रोका किसने है हाये आज तो मेरी ज़िंदगी का सबसे अच्छा दिन था और अब रात भी सबसे हसीन होगी.”
“क्यों भैया?”
“हा आहह आज रात मेरी खूबसूरत जवान बहन मेरे साथ बिस्तर पर होगी ना इसलिए.” और उसके मम्मों को पकड़ा.
“ओह्ह भैया चलिए हटिए, आप चलिए मैं आती हूँ.”
“मेरे साथ ही चलना हाये यार जल्दी धो बर्तन और चलो देख ना यह कितना तड़प रहा है.” और अपने लंड पर हाथ लगाया.
वा मेरी पॅंट को देखते बोली, “ओह्ह भैया आप चलिए फिर मेरी चूस कर इसे सही कर लीजिएगा.”
“तुम तो बस अपने मम्मों को ही चुस्वाति हो गरिमा यार अब बहुत चूसी है तुम्हारी मम्मे अब अपनी चूत चटवाना.” और उसकी चूत छूने की कोशिश की तो वह मेरा हाथ हटाने लगी.
“भैया मुझे अपनी चुसवाने मे बहुत मज़ा आया था.” वह मेरा हाथ अपने मम्मों पर रखती बोली.
“अरे यार तुम एक बार अपनी चूत को अपने भाई से चटवाकर तो देखो मम्मों से ज़्यादा मज़ा चूत मे होता है.” मैंने कसकर मम्मों को मसला.
“भैया आप कहते है तो सच होगा लेकिन मुझे बहुत डर लगता है.” वह अपने मम्मों को देखते बोली.
“अच्छा तू एक बात बता, तुझे अपनी चूत चट्वाने मे क्या डर लगता है?”
“व्व वह वो भैया….”
“हां हां बताओ ना.”
“ज्ज्ज्जई भैया वा मुझे मेरा मतलब है मुझे शरम आती है.” उसने सर झुकाया.
“पगली शरम क्यों लगती है?” मैंने उसके चेहरे को हाथो से पकड़ अपनी ओर किया.
“आप मेरे भाई है ना.” उसने यह कहते हुए मुझे देखा और सर फिर झुका लिया.
मे उसके गालो को पकड़ उसके होंठो को चूम बोला, “अरे यार शरमाने की क्या बात जब मम्मों को चुस्वा चुकी हो और चूत दिखा चुकी हो तो क्या शरम. चल पगली अब मुझसे शरमाने की कोई ज़रूरत नही. चलो अब चलते है.”
फिर मैने उसे गोद मे उठाया तो वह मेरी गोद से उतरते हुए बोली, “ओके भैया ठीक है आप जैसे चाहे वैसे मज़ा लीजिएगा अपनी प्यारी छोटी बहन का पर आप छोड़िए तो.”
“अब क्या है?”
“आप अपने रूम मे चलिए मैं वही आती हूँ.”
“गरिमा तुम्हारे रूम मे चलते हैं ना?”
“भैया मेरे रूम मे टॉइलेट नही है, आपके रूम मे टॉइलेट है ना, वरना टॉइलेट के लिए बाहर आना पड़ेगा.”
“अच्छा ठीक है जल्दी आना.”
फिर मैं अपने रूम मे आया और बेड पर लेट गया और अपनी बहन के आने का इंतेज़ार करने लगा. मैं लेटा हुआ अपनी मौसी के बारे मे सोच रहा था कि बेचारी मौसी आज अकेले तड़प रही होगी. तभी दरवाज़े पर आहट हुई तो मैंने देखा और देखता ही रह गया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
दरवाज़े पर गरिमा खड़ी थी. उफ्फ कितनी हसीन लग रही थी वह. उसके बदन पर एक सफेद झीना सा छोटा कुर्ता था जो उसकी कमर तक ही था और अंदर काली ब्रा पहने थी. नीचे भी वह केवल काली पैंटी पहने थी और कुछ नही. उसने मेक-अप भी किया था. होंठो पर लाल लिपस्टिक थी और आँखों मे काजल और पर्फ्यूम भी लगी थी. मैं उसे पागलों की तरह देखता रहा. अपनी छोटी बहन को तीन सेक्सी कपड़ो मे देख सबकुछ भूल गया.
जब मैं उसे देखता रहा तो वह मुस्काराकार बोली, “भैया अब देखते ही रहिएगा या अंदर आने को भी कहिएगा.”
मे उसकी बात सुन बेड से उतर उसके पास गया और दरवाज़ा बंद कर उसे गोद मे उठाया और फिर बेड पर लिटाया और उसके पास बैठ उसे देखने लगा. वह इस तरह अपने आपको देखता पा मुस्कराती हुई बोली, “क्या बात है भैया अब देख भी चुको.”
“गरिमा मेरी जान क्या बात है यार इस वक़्त तू बहुत प्यारी लग रही है मन कर रहा है कि देखता ही रहूं.”
“भैया अब देखना बंद करिए, कल पूरा दिन देख लीजिएगा, अब जो करना हो करिए मुझे सोना है और सुबह कॉलेज जाना है.”
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तब मैंने उसके होंठो को कुछ देर तक चूसा. वह भी मेरे होंठो को चूसती रही फिर मैंने उसके कुर्ते को उतारा और ब्रा को अलग किया तो दिन मे जी भरकर चूसे गए दोनो मम्मे ऊपर को तने तने मुझे ललचाने लगे. मैंने दोनो हाथो से गरिमा के दोनो मम्मों को पकड़ा फिर धीरे धीरे सहलाने लगा. मैं मम्मों को सहलाते हुए गरिमा को देख रहा था. वह भी मुझे ही देख रही थी और मुस्करा भी रही थी.
मैंने उसके मम्मों को धीरे धीरे सहलाते हुए उसके होंठो को चूमा बोला, “गरिमा तुम्हारी मम्मे बहुत प्यारे है.”
वह मुस्काराई और मेरे हाथो पर अपना हाथ रख दबाव ज़्यादा करते हुए बोली, “भैया मेरे मम्मे आपके लिए है. लीजिए मज़ा अपनी बहन के मम्मों का, दबा दबाकर भैया.”
मैंने उसके मम्मों को 6-7 मिनट तक दबाया और वह बराबर मुझे देखती रही. फिर वह मेरा हाथ पकड़ बोली, “भैया अब बस भी करिए.”
“हाये बहुत अच्छा लग रहा है.”
“अब फिर दबा लीजिएगा, अब ज़रा इनको मुँह मे लेकर चूसिए ना.”
“तुमको चुसवाना अच्छा लगता है?”
“हां भैया बहुत मज़ा आया था दिन मे.”
“ठीक है जब मन हो तब चुस्वा लिया करना.”
फिर झुककर उसका एक चुची को जीभ से चाटने लगा. कुछ देर बाद दूसरी को भी चाटा और फिर एक को मुँह मे लेकर चूसने लगा. 4-5 मिनट बाद दूसरी को भी खूब चूसा. वह अब आँखें बंद कर सिसकते हुए मेरा सर अपने मम्मों पर दबा रही थी. कुछ देर बाद उसके निपल को मुँह मे लेकर जब पीना शुरू किया तो वह एकदम मस्त हो हाये हाये करने लगी. अब वह अपने मम्मों को अपने हाथ से दबा दबा मुझे पिला रही थी. दोस्तों अभी के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले भाग में…