Sas Sexy Figure
मेरा नाम संजीव पासी है. मैं गोरखपुर का रहने वाला हूँ. पेशे से बैंकर हूँ सारी जिम्मेदारी मुझ पर ही होती है इसलिए मैं काम को लेकर काफी व्यस्त रहता हूँ. कुछ दिन से मेरी बीबी श्वेता मुझसे कुछ जरुरी बात करना चाहती थी. पर काम के दबाव के कारन मैं उससे बात नही कर पा रहा था और ना ही उसकी बात सुनने का वक़्त निकाल पा रहा था. फिर एक दिन २ दिन की छुट्टी मिल गयी तब मैंने अपनी खूबसूरत बीबी को वक़्त दिया. Sas Sexy Figure
‘श्वेता! मेरी जान, कहो क्या कहना है?? बड़े दिनों से तुम मुझसे किसी मुद्दे पर बात करना चाहती हो. बोलो क्या बात है???’ मैंने पूछा.
मेरी जवान बीबी श्वेता थोडा झेप गयी. वो संकुचाने लगी.
मैंने कहा ‘बोलो मेरी जान. क्यों क्यूँ चुप हो??’.
फिर श्वेता ने अपनी बात मेरे सामने रखी.
‘जानू मेरी मम्मी जी कई दिनों से चुदना चाह रही है. मेरे पापा तो अब रिटायर ही हो चुके है. इसलिए अब ६५ का होने के कारण उनका लंड भी रिटायर हो चूका है. जरा भी खड़ा ही नही होता है. उधर मम्मी जी की गर्म चूत रोज रात में लंड मांगती है. तो क्या आप कृपा करके मेरी मम्मी जी को चोद देंगे!!’ मेरी बीबी श्वेता बोली.
आईला मैं तो ४ फुट उपर उछल पड़ा. मेरी सास मंझरी एक बहुत मस्त माल थी. जवानी तो जैसे उनके बदन से ढलने का नाम ही नही लेती थी. पता नही दोस्तों मेरी सास किस चक्की का आटा खाती है आज भी ४५ साल की होने के बावजूद वो बिलकुल ३० साल की पटाखा माल लगती थी.
अपनी बीबी श्वेता द्वारा अपनी सास को चोदने की अनूठी पहल का मैंने स्वागत किया. सास का नाम सुनते ही मेरे मन में पटाखे दगने लगे. जब मेरी शादी श्वेता से हुई थी तभी मेरी सास पहन ओढ़ पर किसी माल से कम नही लग रही थी. हाँ १०० परसेंट मैं श्वेता की माँ और अपनी सास मंझरी को चोदना चाहता था, पर मैं एक बार में उसकी बात नही मानने वाला था. जरा भाव दिखाना जरुरी था.
‘श्वेता! मेरी कैसी डिमांड कर रही हो तुम??? अपनी सास को चोदना. नही नही ये उटपटांग काम मुझसे नही होगा’ मैंने श्वेता से कहा और मुँह फेरके बैठ गया.
वो मुझे सच मान बैठी.
‘सुनिए जी! कितने दामाद अपनी सास से इश्क लड़ाते है. प्लीस मेरी मा को चोद कर उनको यौन संतुष्ट कर दीजिये!! प्लीस पति देव!!’ श्वेता मुझसे गुजारिश करने लगी.
बड़ी देर तक मैं उसे टालता रहा.
‘अच्छा ठीक है! ठीक है!! देखता हूँ …..क्या हो सकता है?? अगले हफ्ते अपनी माँ को घर बुला लो!’ मैंने कहा.
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मंझरी जैसी मस्त मम्मो वाली जिसकी सास हो वो दामाद भला क्यूँ नही अपनी सास को चोदेगा. जैसे जैसे दिन बितते गए वैसे वैसे मेरा लंड खड़ा होने लगा. हर रात मैं सोता तो यही सोचता की नग्न सास सास के दर्शन होंगे तो कितना रोमांचकारी होगा. कैसे होंगे सासु माँ के मम्मे?? किसी होगी उनकी नाभि?? क्या सेक्सी नाभि होगी?? और चूत ?? कैसी होगी सासु माँ की चूत???
दोस्तों, इस तरह के सैकड़ों प्रश्न मेरे दिमाग में एक के बाद एक उठने लगे. इस तरह वो दिन आ गया जिसका मुझे बेचैनी से इंतजार था. सासू माँ अपना घूमते पहियों वाला स्काईबैग कम्पनी का ट्रोली बैग लेकर मेरे घर आ गयी. किसी फिल्म स्टार की तरह उन्होंने आँखों पर बड़े बड़े फंकी गोगल्स लगा रखे थे.
वैसे तो जादातर औरते जब ४० पार कर जाती है तो साड़ी पहनती है. पर मेरी सास मंझरी पर जवानी पूरी तरह से चडी थी. आज भी वो जींस टॉप में थी. उनका फिगर बिलकुल मेंटेन था. पेट पर जरा भी चर्बी नही थी. हाँ मैंने पेट के किनारों पर प्रेगनेंसी वाले स्ट्रेचिंग मार्क्स जरुर देख लिए.
मार्क्स देखकर ही मेरा लंड खड़ा होने लगा. ३ बच्चों को पैदा कर चुकी औरत को चोदने को मिलेगा. चलो जो हुआ अच्छा ही हुआ. मेरी सास मंझरी के ३ बच्चे थे. एक मेरी बीबी श्वेता, एक साली अरीना और एक साला हिमांशु. मैंने आगे बढ़कर सासू माँ के पैर छू लिए और उनका ट्रोली बैग अपने हाथ में ले लिया.
‘आइये !! मम्मी जी !! आईये !! आपका गोरखपुर में बहुत बहुत स्वागत है!!’ मैंने कहा.
मम्मी जी आते ही वाशरूम में घुस गयी. सायद पेशाब करनी गयी होंगी. उसकी छुल्ल छुल्ल मुतने की आवाज मैंने सुनी. तो मेरा दिल उसने प्यार करने को मचल पड़ा. जब मेरी सास वाशरूम से बाहर निकली तो उन्होंने अपने हाथ पैर अच्छे से धो रखे थे.
उसका टॉप गीला हो चूका था. थोडा पानी उसके मम्मो पर भी चला गया था.टॉप का कपड़ा भीगकर उनके मस्त मस्त दूध से चिपक गया था. मुझे तो सासू माँ उसी समय बहुत सेक्सी लग रही थी. मन कर रहा था की उसी समय उनको गिरा के चोद लूँ. मैंने, श्वेता और सासू माँ ने एक साथ चाय पी.
फिर सासू माँ श्वेता से हालचाल पूछने लगी. मैं ऑफिस के लिए चला गया. चलते समय श्रीमती मंझरी ने मुझे घुर के देखा. उन तिरछी नजरों में मुझे उसकी कामवासना और चुदास साफ साफ़ दिख रही है. बिलकुल स्पस्ट था की वो मेरा लौड़ा खाने ही कानपुर से गोरखपुर तक आई थी.
मैं आगे बढ़ा और मैंने अपनी बीबी श्वेता के सामने ही उसके गालों पर किस कर लिया ‘बाय सासू माँ!!!’ वो शर्मा गयी. मैं ऑफिस के लिए निकल गया. शाम को मेरी जवान बीबी ने अपनी माँ के लिए तरह तरह के पकवान बनाये थे. सासू माँ को राजमा और कड़ी चावल विशेष रूप से पसंद था.
हम तीनो से साथ खाना खाया. अब रात हो चली थी. ‘किस कमरे में माँ को लेकर जाओगे??’ श्वेता ने अपनी माँ के सामने ही सवाल दाग दिया की किस कमरे में मेरी माँ को चोदोगे. मैं झेप गया और कुछ ना कह पाया. मेरी ओंठो पर खेलती हंसी मेरे दिल का हाल बयां कर रही थी.
‘जिस कमरे में तुम कहो. कहो तो माँ के कमरे में जाकर ही इनको लूँ’’ मैंने कहा.
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मैं कमरे में चला गया. कुछ देर में मेरी बीबी श्वेता अपनी माँ मंझरी को साड़ी पहनाकर सारा सृंगार करके ले आई. ऐसा लग रहा था की मेरी सास करवा चौथ के अवसर पर सजी धजी है. ‘अच्छे से लेना इनको!’ श्वेता ने मेरे कान में बोला और दरवाजा बंद करके चली गयी.
सायद वो बाहर ही खड़ी हो और अपनी माँ की चुदते समय गर्म गर्म सिस्कारे सुनना चाहती हो. ‘आइये सासू मा !!! आपकी जिन्दगी को मैं संवार दूँ !! मैंने कहा. आप भी मेरी सास एक ठोकने चोदने लायक सामान थी. गालों पर उम्र के साथ साथ जहाँ और औरतों के झुर्रियां पड़ जाती है, मेरी सास श्रीमती मंझरी के एक भी झुर्री नही था.
मैंने उनको अपने बगल बेड पर बिठा दिया. उनका हाथ पकड़ लिया और धीरे धीरे उनका हाथ चुमते चुमते अपनी सासू माँ को अपनी ओर खींचने लगा. सच उम्र को तो उन्होंने कबका धोखा दे दिया था. रेखा जैसी जवान और कमसिन लगती थी.
‘सासू माँ !! क्या ससुर जी का लौड़ा अब खड़ा नही होता तो आपको कानपुर से गोरखपुर आना पड़ा??’ मैंने मजाक मजाक में पुछा.
‘बेटा संजीव! अगर उनका लौड़ा खड़ा होता तो मैं तेरे पास क्यूँ आती. आज मुझे कायदे से चोद बेटा. कितने दिनों से मेरी अनचुदी चूत ने लंड नही खाया है. मुझे अच्छे से चोद बेटा !!’ मेरी सास मेरा मान मनौवल करने लगी.
मैंने उनको बाहों में कस लिया. उनके मुँह से यही सेक्सी शब्द तो मैं सुनना चाहता था. लाल रंग के जोड़े में सासू मा किनती माल लग रही थी. मैंने उसके कसे कसे चिकने गालों को किसी आशिक की तरह धीरे धीरे चूमने चाटने लगा. उनके गाल, गले और कान के कोने को अपने दांतों से काटकर खींचने लगा.
धीरे धीरे मेरी सास श्रीमती मंझरी गर्म और चुदासी हो गयी. वो खुद मेरे पास आ गयी और मेरी गोद में आकर बैठ गयी. कुछ देर में मैंने उनकी साड़ी निकाल दी. माँ कसम कसे और चुस्त लाल ब्लाउस और पेटीकोट में वो कोई एयर होस्टेस लग रही थी.
मैंने उनके यौवन को पीने लगा. मैंने अपनी जवान सास को सीने से लगा लिया. उसके सीने की धड़कन मैं सुन सकता था. धीरे धीरे मैं उनके ब्लाउस के कबूतर को आजाद करना चाहता था. अपने आप मेरे हाथ श्रीमति मंझरी यानी मेरी सास के दूध पर जाने लगा.
वो पूरा सहयोग कर रही थी. कहीं से किसी भी तरह का विरोध नही था. मैंने जोर जोर से अपनी सास के दूध दबाने लगा. आज सायद पहली बार उनकी चूत लूँगा. कितना आकर्षक होगा ये सब. मैंने इसी विचार में खोया था. कुछ देर बाद सास खुद बेहद चुदासी हो गयी थी.
क्यूंकि मैंने उनके मस्त मस्त ३६ साइज़ के दूध पर अपने पुरुष वाले हाथ रखकर निगेटिव को पोजिटिव से जोड़ दिया था. वो पुरुष ही होता है जिसकी छुअन से एक स्त्री मोम की भांति पिघल जाती है और अपना सबकुछ एक पुरुष को न्योछावर कर देती है.
ठीक इसी तरह मेरे हाथो द्वारा उनके चुचुक मर्दन से मेरी सास बहुत ही गर्म हो गयी है. वो मुझसे जल्द से जल्द चुदवाना चाहती है. उनकी आँखों और हाव भाव में काम की मूक सहमती मैं अच्छे से पढ़ सकता था. धीरे धीरे सासू माँ ने खुद ही अपने हाथों से अपने ब्लाउस के बटन खोलने शुरू कर दिए.
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मैंने भी अपने सारे कपड़े निकाल दिए. उधर सासू माँ ने अपनी अपना ब्लाउस, पेटीकोट, ब्रा पेंटी सब निकाल दिया. मैंने उनको बाहों में भर लिया और हमदोनो दामाद और सास किसी नवविवाहित जोड़े की प्यार करने लगा. कहना गलत नही होगा की आज भी ४५ साल की होने के बावजूद मेरी सास का फिगर बढ़िया था.
मम्मे बस हल्के हल्के झूलते हुए थे, पर बिलकुल झलरा नही थे. कुछ कुछ मेरी सास पमेला एंडरसन की तरह थी. मैंने उसके होठ पीने के बाद उनके दूध मुँह में भरके पीने लगा. वो मेरे सीने से चिपक गयी. मैंने उनकी टांग खोल दी. सासू माँ के चूत के दर्शन हुए. हल्की झाटों से भरी चूत थी. सायद उनको झाटे बनाने का समय नही मिला था.
मैंने हाथ में जरा थूक लगाया और चूत में ऊँगली करने लगा. मेरी सास मंझरी उछल पड़ी. उनकी चूत में सनसनी हो रही थी. मैंने हाथ से जोर जोर से चूत में ऊँगली करने लगा. वो मुझे रोकने लगी. पर मै नही रुका. जब अच्छी तरह चूत का रास्ता बन गया.
तो मैंने जरा थूक हाथ में लिया और लौड़े पर पानी लगाया. और सासु माँ की चूत में डाल दिया. वो चुदने लगी. मैं उनको चोदने लगा. सासू माँ मुझे पता नही क्या नजरे नही मिला रही थी. सायद दामाद जी का लौड़ा खाते शर्मा रही हो.
मैंने सास का चेहरे अपने सामने कर लिया जिससे वो मुझसे नजरे ना चुरा सके. मैं उनको पेलते पेलते ही उनपर लेट गया. अपना मुँह सास के मुँह पर रख दिया मैंने और उनके ओंठ चूसते चूसते उनको ठोकने लगा. ‘सासू माँ !! इधर मेरी ओर देखिये …..वरना मुझे आपकी बुर लेने में जरा भी मजा नही आएगा!!’ मैंने कहा.
बड़ी मान मनौवल के बाद सासू माँ मेरी तरह देखने लगी. मैंने अपनी आँखें उनकी आँखों में डाल दी. हमदोनो नजरों और जिस्म से एक हो गये. मैं उन्हें घपाघप चोदने लगा. बढ़ते धक्कों के साथ सासू मजा को मजा भी जादा आने लगा. वो अपने पैर और कमर उठाने लगी. ओओह ओह ओह उईईइ म्मम्मम्ममकी आवाजे निकलने लगी.
मैंने उनको ठोकता रहा. सासू माँ अब सीधा मेरी नजरों में देख रही थी. मैंने उसके दोनों हाथ कसके कलाई से पकड़ लिए और जोर जोर से उनकी चूत लेने लगा. मेरे धक्कों के साथ सासू के दूध डांस करने लगे. ये एक शानदार और जानदार चुदाई थी. मेरे धक्के देना जारी रखा.
सासू माँ का पेट गोल गोल उपर नीचे करने नाचने लगा जिसे देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा. आज भी उनकी कमर किसी कटीले माल से कम थी. मैंने अपनी पूरी ताकत से उनको पेलता रहा. उनका पलता पेट बार बार निचे जाता, फिर उपर आता. इसी तरह उनका पेट बार बार नाच रहा था.
मैं अच्छे से समझ रहा था की वो मेरे शानदार धक्कों का पूरा मजा मार रही है. मैं खट खट करके उनको चोद रहा था. कुछ देर बाद सासू मा ने अपने दोनों पैर उपर ९० डिग्री पर उठा दिए.पर कुछ सेकंड के लिए अपना लौड़ा एडजस्ट करने के लिए सासू मा के भोसड़े से निकाला तो वो मेरा लौड़ा पीने दौड़ी.
‘दामाद जी! आपके लौड़े की इस दासी हो अपना लंड नही चुसाएंगे?’ सासू मा बोली. मैंने तुरंत उनके मुँह में लंड दे दिया. किसी काम की प्यासी औरत की तरह वो जोर जोर से आवाज करते हुए मेरा लंड चूसने लगी. सासू माँ की चूत लेकर मेरा लंड बिलकुल टाइट हो गया था और ये ९ इंची किसी बंदूक की तरह तन गया था.
सासू किसी बड़े दिनों से मेरे हथियार की प्यासी थी. इसलिए पूरा का पूरा मुँह में लेकर चूस रही थी. कुछ देर बाद मैंने उनको अपने पास तिरछा करने लिटा लिया और जोर जोर से सासू माँ का मुह चोदने लगा. वो किसी देसी रांड की तरह हपर हपर करके मेरी बंदूक चूस रही थी. अब उनको फिर से चोदना था.
मैंने उनको बाये तरह करवट दिला दी. एक पैर के उपर दूसरा पैर रख दिया. मैंने पीछे से अपना लौड़ा ले गया और उनके मस्त मस्त चूतड़ों के बीच में से मैंने उनकी चूत के दरवाजे को ढूढ़ लिया और करवट दिलाये दिलाये ही अपनी सास को खाने लगा. वो बेटा बेटा करने लगी.
मैंने कहा बेटा बेटा मत कहो. जब बेटे का लंड खा रही हो तो सैयां सैयां कहो. पर मेरी सास मुझे चुदते चुदते बेटा बेटा ही बोलती है और मजे से चुदवाती रही. मैंने उनको अपनी बाहों में भर लिया और उनके दूध पीते पीते उनको ठोकता रहा. कुछ देर बाद मैं झड गया.
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अब दुसरे राउंड में मैंने सासू मा को सीधा पीठ के बल लिटा दिया. ठीक उनके बगल लेट गया. उनकी एक टांग को उपट उठा दिया. अपना पैर मैंने उनके दुसरे पैर पर रखा और लेटे लेटे ही चूत में मैंने अपना लौड़ा डाल दिया. इस तरह लेटे लेटे ही मैं सासू माँ की चूत मारने लगा. ये एक अलग तरह का आसान था. इसमें मैं साफ़ साफ़ उनको आमने सामने देख पा रहा था और उनकी चूत ले पा रहा था. मैंने सासू माँ के कंधे पकड़ लिए और जोर जोर से शॉट मारने लगा.
मेरा लंड का हर शॉट सीधा उनकी चूत के जाकर किसी फुटबाल की तरह गोल दाग रहा था. मैंने इस तरह लेटे लेटे इतनी जल्दी जल्दी सास को चोद रहा था की लग रहा था कोई साइकिल चल रही है. मैं जोर जोर से गोल पर गोल करने लगा. मैं जिस तरह से गुत्थम गुत्था होकर लेटे लेटे सास की बुर मार रहा था उस तरह से अक्सर सांप सेक्स करते है. फिर कस कसके धक्के मारते हुए मैं झड गया. मेरी मस्त जवान सास मंझरी १५ दिन तक मेरे पास गोरखपुर में रही और मेरे लंड की सेवाए लेती रही. उसके बाद वो अपने घर लौट गयी.