Railway Toilet Me Sex
नमस्कार दोस्तों, मैं आपकी सीमा भाभी फिर से आपका लंड खड़ा करने आ गई. दोस्तों आपने मेरी कहानी के पिछले भाग बिस्तर का असली सुख जेठ जी ने दिया 3 में पढ़ा कि मुझे चोदते टाइम ही जेठ जी के फ़ोन पर माधुरी का फ़ोन आया जो उन्हें ब्लाच्कमिल करके चुद्वाती थी. फिर मैंने जेठ जी और माधुरी की चुदाई देखि उसके बाद खुद जेठ जी से चुदवाया. अब आगे – Railway Toilet Me Sex
मैंने जल्दी जल्दी तैयार होकर, भैया को जगाया और नीचे रसोई में पहुँच गई ! भैया भी आधे घंटे बाद घर से निकल गए ! हमारी नर्स छुट्टी से वापस आ गई थी इसलिए अब देवर की देखभाल की चिंता भी ख़त्म हो गई थी, और उसे वापस नीचे शिफ्ट करा दिया गया था !
नास्ते के बाद वापस कमरे में आकर मैंने जल्दी जल्दी अपनी पैकिंग पूरी कर ली !भैया भी पैकिंग के लिए कमरे में आ गए थे !इसी कमरे में रात चुदाई का दौर चला था , पर अब बिलकुल सामान्य था जैसे कुछ हुआ ही न हो ! मैं भैया से उम्मीद कर रही थी कि शायद मुझे बाँहों में ले लेंगे , पर उन्होंने ऐसा नहीं किया !
मैं ज्यादा ही उत्तेजित हो रही थी , मौका देखकर कोने मैं भैया को अपनी तरफ खींच लिया , और होंठ उनके होंठ से चिपका दिए ! भैया ने मुझे बाँहों में ले लिया , फिर चूमते हुए बोले , देखो सोना , बंद कमरे में हम पति पत्नी रह सकते है , जो भी करना चाहे कर सकते हैं , पर खुले कमरे में मैं तुम्हारा जेठ ही हूँ , कभी गलती से भी मेरे पास मत आना , न हीं ही मेरी तरफ देखना ; वरना ऐसी चीज़ें दूसरों को पता लगने में देर नहीं लगती !
तभी भैया का मोबाइल बजा , उमेश का फ़ोन था , मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा ! मैं भैया कि बांहों में थी , मैंने इशारा किया कि मैं नहीं हूँ यहाँ ! भैया ने हाँ में सर हिलाया और मोबाइल का स्पीकर ओन कर दिया !
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उमेश : भैया प्रणाम !
भैया : खुश रहो !क्या बात है दो दिन फ़ोन नहीं किया ?
उमेश : भैया बहुत बिजी था , ट्रैनिंग से लौटते लौटते रात के दो बज जाते थे , फिर क्या फ़ोन करता !
भैया : अमेरिका की तैयारी हो गई !
उमेश : हाँ भैया , पैकिंग भी कर ली है , एक दो चीजें हैं , वो सोनी से पूछकर डालनी है !अरे हा भैया कहाँ तक पहुंचा हमारा काम, सोनी कहाँ है ?
भैया : वो नीचे है ! जितनी गाली तू सुनवा सकता था , मैंने सुन लिया !
उमेश : भैया वो रिकॉर्डिंग नहीं सुनाया ?
भैया : उसी से तो जान बची , नहीं तो मर ही गया था !
उमेश : भैया गोल हुआ की नहीं ये बताइये , या अभी तक मैच ही खेल रहे हैं !
भैया : तू जीत गया मेरे भाई ! पर बहुत संभलकर चलना पड़ेगा , बहुत नाज़ुक है !
उमेश : भैया, आज आपने जो मुझे खुशखबरी दी है , मैं बहुत खुश हूँ भैया ! वो मेरी जान है भैया , आपका साथ मिलेगा तो वो और खिल जाएगी , मैं आप दोनों को बहुत प्यार करता हूँ भैया !
भैया : ठीक है उमेश , अब तैयारी भी करनी है , सुबह मिलते हैं !
उमेश : हाँ भैया , अपनी पत्नी को सम्हाल कर लाइयेगा , उसका पहला पति स्टेशन पर उसे लेने आएगा ! और हाँ भैया , एक भी मौका नहीं छोड़ना, ट्रैन में कूपे में सिर्फ आप दोनों ही होंगे !
भैया : चल पगले , कैसी बात करता है , रखता हूँ !
उमेश : ठीक है भैया , अभी सोनी को कुछ मत बताइयेगा , मैं उसका खिला नया चेहरा देखना चाहता हूँ !
मैं शर्म से लाल हो गई थी , उमेश को क्या मुंह दिखाउंगी ! अभी तीन दिन पहले तक मुझे ये भी नहीं पता था की मैं कुंवारी हूँ , अब दो दो पति मेरे सेवा में लग गए है ! पांच बजे हमें लखनऊ के लिए निकलना था , तीन घंटे का रास्ता था , दस बजे रात की हमारी ट्रेन थी !
भैया ने अनिल को साथ ले लिया था , वापसी में गाड़ी लेकर आने के लिए ! मैं चार बजे तक अपनी सास के पास आकर बैठ गई ! बहुत बातें चलती रही ! माधुरी भी हमें छोड़ने आ गई थी , लंगड़ा रही थी !मैंने पूछा , क्या हुआ बहन ? थोड़ा घबड़ा गई , फिर बताया की फिसल गई थी , मोच आ गई !
मन ही मन मैं मुस्करा रही थी , भैया के लण्ड ने मेरे सामने उसकी चूत फाड़ी थी ! माधुरी का बेटा भी साथ आया था ,मैंने उसे खूब चूमा , हर बार अपनापन लगता , आखिर मेरे पति , मेरे जेठ जी का ही खून था ! मुझे माधुरी की जली कटी बातें भी याद आ गई , अचानक मेरे दिमाग में एक आईडिया आया !
मैं अपने सास के पास गई , और उनके कान में कहा , ” माँ, मेरी माहवारी दस दिन से नहीं हुई है , मन थोड़ा घबड़ा भी रहा है ,डर लग रहा है , कहीं रास्ते में कुछ …. भैया से भी कैसे बोलूंगी ! मेरी सास के चेहरे पर चमक आ गई , खुश हो गई , बोली पहले क्यों नहीं बोला , पगली तू माँ बनने वाली है ! तूने मुझे धन्य कर दिया बेटी , मैं आज ही लड्डू बाँटूंगी !
नहीं माँ प्लीज , अभी कुछ मत करिये , मैं दिल्ली जाकर लेडी डाक्टर को दिखाउंगी , फिर आपका आशीर्वाद लेने आउंगी ! अरे तेरा जेठ डाक्टर है , पुरे गावं की बहु बेटिओं की डिलीवरी उसी ने कराइ है , मैं अभी उसे बुलाती हूँ !मैंने माँ के पैर पकड़ लिए , नहीं माँ मैं मर जाउंगी पर उनको मैं अपना बदन छूने नहीं दूंगी !
माँ बोल पड़ी , अरे जेठ है तो क्या हुआ , डाक्टर भी तो है , और ये माधुरी से पूछ ले , उसका भी तो जेठ है , पर उसकी डिलीवरी भी तो उसी ने कराइ ! माधुरी साथ में खड़ी थी , उसके चेहरे पर घबराहट , आश्चर्य और ख़ुशी के मिले जुले भाव थे ! माधुरी भी बोल पड़ी , हाँ हाँ डाक्टर से क्या शर्म ! पर मैंने अभी के लिए साफ़ मना कर दिया !
माँ ने आर्डर सुनाया , देख बेटी , अभी तो तू दिखा ले अपने लेडी डाक्टर से , पर डिलीवरी मेरा बेटा ही करायेगा ! और या तो तू गावं आ जा , या फिर मैं माधुरी को भेज दूंगी , तेरी देख भाल के लिए, अनिल भी तो कोई काम धाम कर नहीं रहा आजकल , उमेश वहीँ कोई नौकरी लगवा देगा ! हाँ माँ ये ठीक रहेगा , मैं आपको बता दूंगी !
चलते समय माँ ने भैया के कान में कुछ कहा , भैया का मुंह फटा का फटा रह गया !मेरी तरफ उन्होंने तिरछी नज़र से देखा , मैंने भी सीरियस सा चेहरा बना लिया ! रास्ते में हलकी फुलकी बातें होती रही , अनिल को मैंने माधुरी के साथ दिल्ली आने का न्योता दिया , ये भी कहा की मैं उमेश को बोलूंगी कि आपके लिए कोई काम ढूंढे !
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ट्रेन में हमेशा कि तरह ए सी फर्स्ट के दो बर्थ वाले कूपे में रिजर्वेशन था ! सामान सेट करके अनिल ने विदा ली , और हम ट्रेन चलने का इंतज़ार करने लगे ! ट्रेन खुलने के बाद भैया टी टी का इंतज़ार करने लगे कि वो टिकट चेक कर ले और हम कूपे को बंद कर लें !
भैया ने बातों के दौरान पूछा, ये गर्भ ठहरने का झूठ मम्मी से क्यों बोला ? मैंने इतराते हुए कहा , आप ही ने उमेश को वादा किया है कि मुझे माँ बनाएंगे , सो तो आप मुझे बना ही देंगे ! दरअसल भैया मुझे माधुरी का डर था कि वो बोलती कि आपने शहर जाकर उमेश के गैरमौजूदगी में मुझे माँ बनाया !
भैया खिल उठे , बोले ‘क्या दिमाग पाया है तुमने’ ! अब भइया, जिसको दो दो पति सम्हालने हों , उसका दिमाग भी तो दूसरों से डबल होना चाहिए ! इससे पहले कि भैया कुछ बोलते , टी टी आ गया ! जाते जाते बोल गया कि सर अंदर से दरवाज़ा ठीक से बंद कर लीजिये , जरुरी न हो तो दिल्ली में ही खोलियेगा !
दरवाज़ा बंद करने के बाद मैंने बिस्तर लगा दिया ! खिड़की कि तरफ भैया तकिया लगाकर आराम से बैठे थे ! मैं भी बीच में बैठी तो भैया ने अपनी ओर खींच लिया ! ट्रेन धीरे धीरे स्पीड पकड़ने लगी थी , और भइया ने भी किस करने कि स्पीड बढ़ा दी थी !
आज बहुत इत्मीनान लग रहा था ,कोई जल्दी नहीं थी , किसी के आने का या किसी भी तरह का कोई डर नहीं था ! भैया ने मुझे पूरा आराम दे रखा था , मैं उनपर लदी हुई थी ! साडी का आँचल कहीं दब गया था ! सिर्फ ब्लाउज के अंदर मेरी चूचियाँ भैया के हाथों के जादुई मज़े ले रहे थे !
भैया ने एक एक हुक खोलकर ब्लाउज नीचे कालीन पर डाल दिया , मैंने थोड़ी ढील दी तो भैया ने साड़ी भी उतार कर ब्लाउज के पास रख दी ! मेरी ब्रा के ऊपर हाथ फेरते हुए भैया बोले , तुम्हारी ब्रा और पैंटी बहुत सुन्दर होती है , खुद खरीदती हो !
हाँ भैया , मुझे बहुत शौक है , उमेश को फिसलन वाले कपडे जैसे सिल्क और साटन बहुत पसंद है , इसलिए मैं हर कपडे उसकी पसंद का लेती हूँ ! भैया ने मुझे थोड़ा ऊपर उठा लिया था , चूची को चारो ओर से चूमते और अपना थूक लगाते हुए ब्रा भी उतार दी ! पेटीकोट को उठा कर पैंटी को उतारने के लिए हाथ लगाया ,तो मेरी चूत हाथ में आ गई !
मुझे हंसी आ गई , बोली , भैया वो बाथरूम गई थी न ,तो उतार दी , सोचा आपके साथ अकेले हूँ तो ,कितनी देर तक रहेगी बदन पर ! भैया ने कहा, तुम कितनी शरारती हो , मेरा मज़ाक उड़ाती हो ! नहीं भैया , मैं अपनी कमी छुपाती हूँ , सच तो ये है कि मैं अब आपके बिना नहीं रह सकती , हर वक़्त आपसे चिपकी रहना चाहती हूँ !
भैया थोड़ी देर चुप रहे , फिर बोले , तुम्हें शादी के एक साल हुए है , पति भी साथ में है तुम्हारे ! सच पूछो तो जो दो दिनों में तुमसे मिला , वो पूरी ज़िंदगी में नहीं मिला ! मुझे सच का लगता है कि तुम मेरी पत्नी हो , और ये अहसास मुझे इतना खुश कर देता है कि मैं डरता हूँ कि ये बस थोड़े समय का न हो ! सच पूछो तो मुझे लगता है कि मैं कई जनम से तुम्हें प्यार करता हूँ !
मैंने जोर से भैया को चूमा , बोली , भैया अब ये पूरी ज़िन्दगी का बंधन है ,इसे कोई नहीं तोड़ सकता !भैया कि आँखों से आंसू छलके तो मैंने उनकी आँखें चूम ली , और आंसू चाट गई ! बस भैया , अब एक शब्द नहीं , सिर्फ प्यार ! भैया एक रिक्वेस्ट है , मैं उमेश से नज़र कैसे मिलाउंगी , मुझे पता नहीं , पर आज कि रात कुछ ऐसा मत कीजियेगा कि मैं लंगड़ाते हुए ट्रेन से उतरुं !
तू फ़िक्र न कर पगली , तुमसे भी टाइट और कुंवारी औरतों को मैंने बड़े आराम से इस लायक बनाया है कि सबकी डिलीवरी नार्मल हुई !भैया थोड़ा झेंप गए , कि क्या बोल गए ! मैं चौंक गई , भैया बोले अभी छोड़ न पगली, फिर बताऊंगा , इस गावं में सभी औरतें माधुरी ही है , यही समझो ! मुझे माधुरी कि बात याद आ गई जो उसने बोला था कि नामर्दों का गावं है !
एक घंटे हो गए थे ट्रेन खुले , मैं ज्यादा देर तक जागना भी नहीं चाहती थी !भैया को बेतहाशा चूमने लगी , भैया भी अब सिर्फ चुदाई का ही सोच रहे थे ! मुझे नीचे करके भैया ऊपर आ गए , और चूत को मुंह से सटा लिया ! भैया का मुंह लगते ही जैसे जादू हुआ हो , मैं पिघलने लगी और पूरा बदन चूत का पानी बनकर बहने लगा !
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भैया अब पहले से भी ज्यादा अच्छी तरह से चूत चाट रहे थे ! जीभ घुसा कर मेरे चूत के अनजाने कोनो तक भी चाट ली और चूस ली ! जितना भैया जीभ से चोद लेते थे , उमेश लण्ड से भी नहीं चोद पाता था ! चूत अब पूरी खुल चुकी थी , और पूरी तरह से गीली थी ,आखिर मैं दो बार झड़ भी तो चुकी थी , चूमने चाटने के दौरान !
अब भैया ने चूचियों को भी मसलना , चूमना और चूसना शुरू कर दिया ! इस बीच उन्होंने अपने कपडे भी उतार लिए थे ! भैया चूची से लेकर गर्दन , होंठ , कान सब को चूमते चूसते जा रहे थे ! इसी तूफानी चुम्मियों के बीच उन्होंने लण्ड हल्का दबा दिया था मेरी चूत में !
आह सी निकली , पर मैं दर्द झेल गई !भैया ने मेरे होंठ के सारे रस निचोड़ लिए थे , इधर होंठ का रस चूसते उधर चूत से पानी बाहर आता ! मैं समझ भी नहीं पायी और लण्ड ने चूत का आधे से ज्यादा रास्ता पार कर लिया ! अब दर्द तेज हो गया था , मैं छटपटाने लगी थी !
चेहरा लाल होते ही , भैया ने अब लण्ड को अंदर घुसाना बंद कर दिया ! थोड़ी देर तक रुके , फिर मुझे बाँहों में जकड़ा और बर्थ से उठ गए ! मुझे समझ में नहीं आया कि क्या करने वाले है ! थोड़ी देर तक मैं भैया का लण्ड अपने चूत में लिए , भैया कि गोद में रही , फिर भैया आराम से लेट गए , और मैं उनपर लेट गई थी अपने आप ! बहुत आराम मिला था !
दो मिनट तक भइया मुझे सहलाते रहे ! जब वो चूत से होते हुए हाथ मेरी गाँड के छेद तक लाते, तो अजीब सी सिहरन उठती ! एक दो बार तो उन्होंने गाँड में ऊँगली भी करनी चाही , पर मैंने गाँड हिलाकर विरोध किया ! ट्रेन फुल स्पीड में जा रही थी , पूरा डब्बा हिल रहा था , भैया कुछ ज्यादा कोशिश भी नहीं कर रहे थे , पर लण्ड चूत में ऊपर नीचे हो रहा था !
दर्द कम हो रहा था ! भैया हल्का हल्का धक्का लगा रहे थे , एक इंच तक लण्ड ऊपर आता और फिर सवा इंच अंदर जाता ! मुझे लग रहा था कि कहीं मुंह से न बाहर आ जाये ! हर धक्के पर एक आह चीख की तरह निकलती थी !
आधे घंटे तक ऐसा ही चला , फिर जैसे भैया ने जैसे चूत के अंदर फौवारा चला दिया , वीर्य की पहली धार ने मेरा संयम भी तोड़ दिया और मैं भी अंदर अपना फौवारा छूटते महसूस कर रही थी ! हमारे पानी की चिकनाहट में भैया का लण्ड सिकुरता महसूस हो रहा था , और मैं अंदर लण्ड को आखिरी सीमा तक घुसता महसूस कर रही थी !
हम दोनों निढाल होकर बेहोश जैसे हो गए थे , हिलने डुलने की भी हिम्मत नहीं थी ! ट्रेन झटके ले रही थी , हमारी चुदाई तो पूरी हो गई थी , लेकिन ट्रेन हमें अभी भी चुदवा रहा था ! मैं अपने जेठ की आगोश में सो गई , जेठ जी का खूंटा मुझे बैलेंस किये था , गिरने का कोई डर नहीं था !
पैर से मैंने कम्बल ऊपर खींचा, और जेठ जी के हलके हलके खर्राटों के बीच कब सो गई , पता ही न चला ! सुबह नींद खुली तो , जेठ जी अभी तक सो रहे थे ! काफी हिला डुला कर जेठ जी के लण्ड के कैद से अपनी चूत को आज़ाद किया , वीर्य का थक्का चूत से बहार आ रहा था !
जल्दी जल्दी रेलवे के तौलिये से पोछा अपनी चूत को ! भैया का लण्ड साफ़ कर ही रही थी की भैया जाग गए , उन्होंने भी मेरी हेल्प की !हमने 10 मिनट तक एक दुसरे को किस किया और आलिंगन किया , फिर भैया ने अपने हाथों से मुझे पेटीकोट , ब्रा , ब्लाउज पहनाया और साड़ी बाँधने में मदद की !
भैया का सिर्फ अंडरवियर मैंने पहनाया , बाकि कपडे उन्होंने खुद पहन लिए ! गाडी स्टेशन पर लगी तो उमेश कूपे में आकर सामान लेकर गाडी में डालकर चल पड़े ! मैं नज़र नहीं मिला पा रही थी उमेश से ! रास्ते भर ज्यादातर उमेश और भैया इधर उधर की बात करते , बीच बीच में मैं भी हूँ हाँ कर देती थी !
उमेश फरीदाबाद में एक बड़ी कंपनी में सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे , कंपनी के तरफ से उन्हें दिल्ली में एक बड़ा सा घर (पेंट हाउस) मिला हुआ था !सबसे ऊपर की मंज़िल पर पहुँचते ही हम लॉक कर देते थे और ऊपर का पूरा हिस्सा बिलकुल अलग हो जाता था !
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ये अकेली ऊँची बिल्डिंग थी , चारों तरफ दूर दूर तक एक दो मंज़िल के घर ही थे , इसलिए कहीं से भी किसी के भी तांक झांक की गुंजाईश नहीं थी ! कंपनी के ही सिक्योरिटी स्टाफ, जो २४ घंटे गेट पर मौजूद रहते थे , को फ़ोन करने पे वो जरुरत का सामन बाजार से लेकर डिलीवर कर देते थे !
घर पहुंचते ही मैं दंग रह गई, उमेश ने घर के अंदर बहुत चेंज किया था, रोमांटिक पेंटिंग और फैंसी लाइट से घर का लुक ही बदल गया था ! उमेश ने नास्ते के लिए नौकरानी को बोल रखा था ! हम तैयार होकर नास्ते के टेबल पर आ गए , और उमेश अमेरिका के टूर के बारे बताने लगे !
अभी से चार घंटे रह गए थे , उमेश के फ्लाइट के , निकलने की तैयारी थी ! हम सब उमेश के साथ पूजा रूम तक आये ! उमेश ने मुझे और भैया को हैरान करते हुए कहा , भैया आज मैं बहुत खुश हूँ , एक बहुत बड़ा बोझ मेरे सर से उत्तर गया है !
भैया आपने सोनी को अपनी पत्नी का स्थान देकर जो अहसान किया है , उसको मैं आपकी तरफ से ज़िन्दगी का सबसे कीमती गिफ्ट समझता हूँ ! बस एक तमन्ना और पूरी कर दीजिये , कि हममे से किसी को भी ये न लगे कि ये मज़ाक है , आप सोनी कि मांग में सिंदूर भर दीजिये !
उमेश ने भैया के आगे सिन्दूर बढ़ा दिया , कांपते हाथों से भैया ने मेरी मांग में सिंदूर लगा दिया ! मैंने भरी आँखों से उमेश की तरफ देखा , उमेश ने भी मेरी मांग में सिन्दूर लगा दी ! फिर उमेश ने एक थैले से दो जयमाल वाले माला निकाले, जो मैंने भैया को और भैया ने मुझे पहनाया !
फिर भैया ने उमेश को माला दिया ,जो उसने मुझे पहनाया , और मैंने अपनी माला उमेश को पहना दी ! मैंने झुक कर दोनों के पावं छुए , और हम एक साथ आलिंगनबद्ध हुए !अब उमेश विदा हो रहे थे , उसने टैक्सी मंगा रखी थी ! हमें एयरपोर्ट जाने से रोकते हुए उसने कहा की आप आपलोग 10 दिनों का हनीमून मनाएं , और घर से बहार जाने की जरुरत नहीं थी !
उमेश ने मुझे भैया के सामने किस किया और घर से निकल गए , हमने दरवाज़ा बंद कर लिया ! भैया और मैं बैडरूम में आ गए , सब कुछ अच्छी तरह सजा हुआ था , ताज़े फूल रूम में खुशबू बिखेर रहे थे ! मै जेठ जी के सीने से लग गई ! जेठ जी ने धीरे धीरे मेरे चूचियों को सहलाते सहलाते मुझे चूमने लगे !
अब १० दिनों तक हमें कोई टोकने नहीं आएगा , ये सोच कर मन बहुत रोमांचित हो गया था ! उमेश के अमेरिका जाने का गम , अब जेठ जी मुझे चुदाई की दुनिआ की सैर करा के , दूर करने वाले थे ! मैंने नाईटी पहन रखी थी जो भैया ने उतार दी , अंदर फैंसी ब्रा और पैंटी थी , भैया भी अब सिर्फ अंडरवियर में थे !
मैंने भैया के लण्ड को सहलाना शुरू कर दिया , भैया लगातार मुझे चूसते जा रहे थे ! भैया ने मेरा पूरा बदन चूमना शुरू कर दिया ! पैर से शुरू कर , पैंटी और ब्रा से होते हुए ,होंठ और माथा भी !मैं अब अपने होश खोती जा रही थी ! भैया का ध्यान अब ब्रा पर था , ब्रा के चारों और उन्होंने जीभ से ब्रा के किनारों को चाटा, और चूमते चूसते हुए ब्रा उतार ली !
भैया का ये स्टाइल मुझे बहुत अच्छा लगता था ! अब भैया ने उसी स्टाइल में पैंटी को भी चूसना और चाटना शुरू कर दिया ! मैं पैंटी गीली कर चुकी थी , भैया ने ऊपर से चाट चाट कर और गीली कर दी , पता ही नहीं चल रहा था की भैया के थूक से गीली की है या मेरे चूत के पानी से !
चूत से पैंटी हटती जा रही थी और भैया की जीभ खुले जगह को चाटती जा रही थी ! मैं बस ऑंखें बंद किये हुए इसका अनुभव करती रही ! चूत का पानी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था ! भैया की चूत चुसाई शुरू हो गई , और मेरी छटपटाहट भी ! मेरे मन से अब जेठ जी का लिहाज बिलकुल ही चला गया था , और उमेश की ही तरह मैं उनको महसूस कर रही थी !
आज जेठ जी मूड में थे , जीभ से चूत के अनजान कोनो से भी जान पहचान कर ली ! चपड़ चपड़ जीभ ऐसे मेरी चूत चोद रहा था ! मेरी चूत बुरी तरह फैलने सिकुड़ने लगी थी ! चूत की फड़फड़ाहट मैं साफ़ साफ़ महसूस कर रही थी ! भैया के दोनों हाथ मेरी चुचों को बड़ा करने में लगे थे , आंटे की तरह गूंदते जा रहे थे !
भैया धीरे धीरे मेरी टाँगे फैलाकर , मेरे चूत के मुंह पर अपना लण्ड टिका दिया ! मेरे ऊपर झुककर मेरी एक चूची को मुंह में लेकर गुलगुलाने लगे ! मेरी घुंडी पर दांत लगते ही मैं चिहुंक जाती , दूसरे हाथ से वो दूसरी चूची को दबाते जा रहे थे ! भैया चूची दबाने में इतने मास्टर थे की , चूची को दर्द भी मीठा लगता था !
भैया ने अचानक से चूची की घुंडी को थोड़ा तेज काटा दांत से, मैं जब तक उसका दर्द समझती , भैया के लण्ड का सुपाड़ा चूत के अंदर था, एक चीख सी निकली और मैं तड़पने लगी ! मेरी चीख दूर दूर तक सुनने वाला कोई नहीं था ! भैया अब मेरे होंठ चूस रहे थे !
इतना मीठा लग रहा था उनका चुम्बन की मैं उसी में खो गई , कभी वो मेरे मुंह में जीभ डालकर मुझे चूसते और कभी मैं उनके मुंह में अपनी जीभ डालकर उनके जीभ को चूसती ! मैं इधर चुम्मी के खेल में उलझी रही , और भैया के लण्ड ने आधा रास्ता पार कर लिया !
जब तक मेरे ध्यान अपनी चूत की तरफ जाता भैया अपनी मंजिल से दो इंच दूर थे ! लगता था जैसे किसी ने पूरा हाथ डाल दिया था ! भैया के लण्ड में मुझे कुछ चिकनाहट सी लग रही थी , शायद भैया ने कोई क्रीम लगाया हो ! मेरी चूत भी पानी की सप्लाई लगातार दे रही थी और भैया का भी लसलसा पदार्थ सुपाड़े से बहार छूटा महसूस हुआ था !
आज चूत में उतना दर्द नहीं था , शायद कई कई घंटे भैया का लण्ड चूत में लेकर सोई थी मैं ! भैया अब आखिरी मक़ाम तक पहुंचना चाहते थे, पर चूत इतनी टाइट थी की आगे जाने का नाम नहीं ले रही थी ! भैया वापस लण्ड थोड़ा ऊपर लाते, पर धक्का लण्ड को वहीँ तक जाने देता था !
भैया के लण्ड पीछे करते ही मेरी साँसे चल पड़ती थी , पर धक्का लगते ही रुक जाती थी ! भैया ने मुझे बड़े प्यार से धक्के देने शुरू किये , आज लण्ड काफी अंदर तक जा रहा था पर भैया आखिरी मंज़िल को छूना चाहते थे, वो नहीं हो पा रहा था !
अब धक्के आराम से जा रहे थे , चूत में इतनी ज्यादा चिकनाहट आ गई थी ! मैं तो चाहती थी भैया मुझे बस चोदते रहें , दर्द को मैं भूल चुकी थी ! अब मैं भी नीचे से हलके हलके धक्के लगा रही थी ! भैया बहुत खुश थे की आज वो मुझे ठीक से चोद पा रहे थे ! पता नहीं चला आधा घंटा बीता या एक घंटा , भैया उफान पर थे , शायद अब वीर्य की बरसात होगी , लग रहा था !
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मैं तो तीन चार बार पहले झड़ चुकी थी ! एक तूफान सा चला हमारे चुदाई का खेल , मैं पहले गई , पानी का फौवारा छूट गया ! पीछे भैया ने फौवारा छोड़ते हुए , एक जोर का झटका दिया , चूत फट गई और भैया का लण्ड मेरे बच्चेदानी से जा टकराया ! मेरी चीख सुनकर कोई भी डर जाता , पर यहाँ दूर दूर ता कोई नहीं था सुनने को ! मैं दर्द बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी, लण्ड के सिक़ुरने से राहत तो मिली थी पर चूत की जलन बता रही थी की अंदर भैया ने तोड़ फोड़ कर दी है ! भैया हांफते हुए , मुझे चूमते हुए निढाल हो गए !
एक पहलवान का बोझ मुझे फूलों की तरह लग रहा था ! भैया ने आराम से करवट ली ,और मुझे अपने ऊपर ले लिया ! अब मैं आराम से सोई हुई थी भैया के ऊपर ! चूत का दर्द बीच बीच में याद आ जाता था , पर चुदाई के मज़े में उसको कौन याद करता ! घडी बता रही थी कि उमेश कि फ्लाइट उड़ने को थी , और हमारी लैंड हो चुकी थी ! हम दोनों एक दूसरे के आगोश में एक साथ नींद के आगोश में खो गए ! दोस्तों अभी मेरी चुदाई की कहानी बाकि है, आगे की कहानी अगले भाग में पढ़िए.