Horny Grand Daughter Chudai
“नहीं नहीं मतलब नहीं” मैंने पापा से ग़ुस्से से कहा। Horny Grand Daughter Chudai
पापा:= अरे सुन तो ले.. अगले हफ्ते मुझे लीव मिलेगी तो मैं तुम्हे छोड़ आऊंगा।
मैं:= नहीं पापा मुझे आज ही जाना है। आप 6 दिन से कह रहे है। मेरा कितना मन है मामा से मिलने का और रिंकी के भी कितने फ़ोन आ रहे है।
मै पापा से मामा जी के यहाँ जाने की जिद्द कर रही थी। मेरी छुट्टियां चल रही थी और दो साल से मैं वहा नहीं गयी थी। नाना जी का गाँव था ही इतना अच्छा की मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था। ऊँची पहाड़ो में महाबलेश्वर के पास एक छोटा सा गाँव था। और मेरे नाना जी का घर खेत में था।
वहा का सुहाना मौसम मुझे बहोत अच्छा लगता था। नहीं तो ये मुम्बई की गर्मी……। मैं हमेशा गर्मियों की छुट्टियों में वहा जाती थी। पर दो साल से पढाई की वजह से जा नहीं पायी। लेकिन अब मुझे जाना ही था। और मेरे जिद्द के आगे पापा की भी नहीं चली। पापा को मुझे छोड़ने आना ही पड़ा। मैं और पापा कार से चले गए।
मुझे देख के सब लोग मतलब मामा मामी नाना रिंकी जो मुझसे दो साल बड़ी थी। और दीपक मामा का लड़का जो मुझसे दो साल छोटा था। नानी का देहांत हो गया था। लगभग 5 साल पहले। मैं भी उनसे मिल कर बहोत खुश थी। रिंकी अब बहोत बड़ी हो गयी थी। वो बहोत सुन्दर तो नहीं पर एकदम सेक्सी थी। बड़ी चुचिया मस्त मटकती गांड जो भी देखे एकदम घायल हो जाये।
नानाजी का घर बहोत बड़ा था। और उनके खेत भी। उनके गाव का मौसम हमेशा बहोत ही सुहाना रहता था। इसीलिए मुझे यहाँ आना बहोत पसंद था।
रात के खाने के बाद सब लोग अपने अपने कमरे में सोने चले गए। और मैं हमेशा की तरह रिंकी के कमरे में। हमने दरवाजा बंद किया और मै अपने कपडे चेंज करने लगी। मैंने जीन्स और टॉप पहना था। जैसे मैंने कपडे उतारे वैसे रिंकी मेरे पास आई और मेरी ब्रा को पकड़ कर मुझसे अलग करने की कोशिश करने लगी।
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मै :=रिंकी पागल हो गयी हो क्या क्या कर रही हो?
रिंकी:=देख रही हु कितनी बड़ी हो गयी है…पिछली बार जब देखा था तो छोटी छोटी ही थी।अब तो एकदम मस्त हो गयी है। राज क्या है? किसी के हाथ लग जाये तो ये बहोत फ़ास्ट बड़ी हो जाती है। और जरा अपनी गांड तो देख हाय रे मर जाऊ…
मैं :=चुप कर पागल…कुछ भी बोलती है। अगर सच में ऐसा है तो खुद की देख मुझसे भी बड़ी है। तू बता जरा किससे मसलवाती है? और तेरी गांड ने तो यहाँ बवाल मचा रखा होगा। यहाँ तो सब तेरे नाम से मुठ मारते होंगे।
रिंकी:=(मेरे पास आयीं और मुझे अपनी तरफ खीचते हुए) हाँ मारते होंगे पर अब तेरे नाम की भी मारेंगे।
मै भी उससे उसी तरह लिपट के बोली…..
मैं:= बड़ी चालु हो गयी हो तुम….किसी से यहाँ(उसकी चूत को ऊपर से ही छूते हुए) डलवा लिया क्या?
रिंकी ने मुझे धकेल दिया।
रिंकी:=पागल क्या करती है? शैतान हो गयी हो दो साल में। पर सच कहूँ तुम सच में एकदम मस्त माल हो गयी हो। सब लोग मेरे पापा दादाजी सब लोग घूर रहे थे तुझे। और वो विलास चाचा(उनके खेत में काम करने वाला आदमी) वो तो ऐसे देख रहा था की बस तुम्हे अभी पकड़ कर चोद देगा।
मैं डरने का नाटक करते हुए बोली “अगर सच में उसने ऐसा किया तो” “अरे तू डर मत मैं हु ना” रिंकी ने मुझे पकड़ कर मेरा सर अपने छाती से लगाते हुए कहा।
“”क्यू मेरी जगह तू चुदवा लेगी उससे?””” ये सुनके वो हँस पड़ी और मैं भी।
हमने कपडे बदल लिए और बेड पे लेट गए और इधर उधर की बाते करने लगे।
सफ़र की थकान ने बहोत जल्दी ही नींद मुझ पर हावी हो गयी।
रात के करीब 12.30 बजे होंगे की किसी खुसुर पुसुर की आवाज से मेरी नींद खुली। मैंने इधर उधर देखा तो रिंकी फ़ोन पे बात कर रही थी और जैसे ही मेरी नजर उसपे पड़ी तो उसने फ़ोन बंद कर दिया।
मै:=किससे बात कर रही है इतनी रात को?
रिंकी:=नहीं रे किसीसे नहीं ……वो नींद नहीं आ रही थी तो गाने सुन रही थी।
मैं:= अच्छा????दिखा तेरा फ़ोन ।
मैंने फ़ोन लिया और कॉल लिस्ट चेक की तो देखा मेरा ही नाम था। मुझे सब समझ आ गया। वैसे रिंकी मुझसे कोई बात छुपाये ये हो नहीं सकता। फिर भी वो मुझसे झूठ क्यू बोल रही थी? और मेरे नाम से किसी और का नम्बर क्यू सेव किया था?
मैं:=ये सब क्या है? किसका नंबर है मेरे नाम से? और तू कबसे मुझसे झूठ बोलने लगी? कबसे बाते छुपाने लगी है तू मुझसे?
रिंकी:= अरे तू पागल है क्या? तुझे बहोत अच्छे से पता है की मैं कभी भी कोई बात तुझसे नहीं छुपाती। और तू जरा शांत हो जा बताती हूँ।
मेरे कॉलेज का लड़का है अंकित बहोत दिनों से मेरे पीछे पड़ा था। exam के बाद उसने मुझे प्रोपोज़ किया मैंने हा बोल दी। और ये एक महीने पहले की बात है तेरी भी exam चल रही थी सोचा आराम से बताउंगी।
मैं :=क्या?सच? मैं थोडा आश्चर्य चकित हो गयी थी। मै उठ के बैठ गयी। और उसे गुदगुदी करते बोली…..वाह रे मेरी जान तू तो बड़ी तेज निकली। बता क्या क्या हुआ तुम्हारे बीच? सब हो गया क्या? कैसा है दिखने में?
मैंने सवालो की झड़ी लगा दी।
रिंकी:= बस बस इतने सवाल एक साथ? हाँ बहोत क्यूट है और हमारे बीच कुछ भी नहीं हुआ क्यू की अभी कॉलेज बंद है हम सिर्फ फ़ोन पे बात करते है।
मैं :=ओह हो मेरी बहन का bf है अब तो। चल मुझे सुननी है तुम लोग क्या बाते करते हो। लगा न फ़ोन।
रिंकी:= नहीं न यार क्या करती है? वो बहोत गन्दी बाते करता है। और मुझे शर्म आएगी तेरे सामने।
मैं:= गन्दी बात? चल बन मत ज्यादा अब। तू और मैं जीतनी गन्दी बाते करते है ना उतनी तो नहीं करता होगा वो। और मुझसे शर्म???हाय रे तू कबसे शर्माने लगी मुझसे?
रिंकी:= चल ठीक है एक काम कर तू उधर मुह करके लेट मैं फ़ोन बीच में रखती हु स्पीकर पर डाल देती हु और रजाई ऊपर से ले लेती हु ताकि आवाज बाहर न जाये।
हम लोग लेट गए और उसने अंकित को मिस कॉल दिया।
मैं:=क्यू मिस कॉल क्यू दिया?
रिंकी:=अरे करेगा न वो फ़ोन अपने पैसे क्यू वेस्ट करने। ऐसा बोल के उसने मुझे ताली दी मैंने भी हँसते हुए ताली दी और कहा। “सही है” और मैं हँसते हुए पलट के लेट गयी। रिंकी भी लेट गयी फ़ोन बीच में रखा था। और रिंकी मेरी पीठ की तरफ मुह करके लेती थी फ़ोन आया रिंकी ने रिसीव किया।
अंकित:=क्या हुआ? सोनम उठ गयी थी क्या? आवाज से तो बहोत अच्छा लग रहा था। भारी भरकम आवाज थी उसकी।
रिंकी:=नहीं सो रही है वो।
मैंने पीछे मुडके देखा उसने मुझे चुप रहने का इशारा किया। मैं पलट के रजाई अपने मुह पे लिया उनकी बाते सुनने लगी।
रिंकी:=तुम क्या कर रहे हो?
अंकित:= वही अपना रोज का काम… तुम्हे याद कर रहा हूँ।
रिंकी:= हा हा पता है तुम्हे मेरी कितनी याद आती है.
अंकित:=अरे मेरी रानी बहोत याद करता हूँ तुम्हे तड़प रहा हूँ तुमसे मिलने को।
रिंकी:= हा हा रहने दो इसलिए तो सिर्फ रात को फ़ोन करते हो।
अंकित:= अरे सच मेरी जान दिन में फ़ोन नहीं कर सकता तुम्हे प्रॉब्लम हो जायेगी और तुम्हारी याद इतनी आती है दिन में की दो दो बार मुठ मार लेता हूँ।
मैं एकदम शॉक हो गयी और सोचने लगी ये तो डायरेक्ट डायरेक्ट ही बात करते है।
रिंकी:=छी गंदे कही के।
अंकित:= गन्दा? अच्छा मैं गन्दा? तुम्हे ही तो पसंद है ये बाते। रोज रात को मेरी गन्दी गन्दी बाते सुनके कौन अपनी चूत रगड़ रगड़ कर पानी निकालता है हा?
रिंकी:= चुप करो ना। तुम भी तो वही करते हो।
अंकित:=हाँ करता हु। क्या करू रियल में तो कुछ होगा नहीं तो फ़ोन पर ही चोद लेता हु तुम्हे। क्यू तुम्हारा मन नहीं है क्या आज?
रिंकी:= मन तो बहोत है पर सोनम है न यहाँ।
ये बात सुन के मेरी हँसी निकल गयी। रिंकी ने मुझे धक्का दिया।
अंकित:= तो फिर गॅलरी में चली जाओ क्यू की मेरा बहोत मन है आज मेरा लंड कबसे खड़ा है बेताब है तुम्हारी चूत के रस में डुबकी लगाने को.
रिंकी:= स्स्स्स्स् अह्ह्ह मेरी चूत भी तो तड़प रही है ना।
अब रिंकी भी रंग में आ गयी थी। और सच बोलो तो उनकी बाते सुनके मेरी चूत में भी खुजली होने लगी थी। रिंकी अब बिना मेरी फ़िक्र किये खुलके बात कर रही थी।
अंकित:= तो मेरी जान आओ ना मेरे पास तुम्हारी चूत की तड़प मिटा देता हूँ।
रिंकी:=ह्म्म्म लो आ गयी तुम्हारे पास तुम्हारे बगल में लेटी हूँ।
अंकित:=उम्म्म अह्ह्ह क्या लग रही हो ।जी करता है तुम्हे खा जाऊ।
रिंकी:= मुझे मत खाओ सिर्फ मेरी चूत को खा जाओ
अंकित:= स्स्स अह्ह्ह हा मेरी रानी सोचो मैंने तुम्हारे सारे कपडे उतार दिए है। मैं तुम्हारे पुरे जिस्म पर हाथ फेर रहा हु। उम्म्म्म क्या खूबसूरत जिस्म है तुम्हारा। अब मै तुम्हारे बड़े बड़े बूब्स को मसल रहा हु वाओ अह्ह्ह सीसीसी क्या मस्त है यार अब मैं तुम्हारे निप्प्ल्स को बारी बारी चूस रहा हु काट रहा हु अह्ह्ह्ह्ह स्स्स।
रिंकी:=उफ्फ्फ्फ्फ़ धीरे नाआअ उम्म्म हा ऐसेही उफ़्फ़ग बहोत अच्छा लग रहा है और चूसो ना अह्ह्ह्ह्ह।
रिंकी पे मदहोशी छा गयी थी। उसकी आवाज में कामुकता आ गयी थी। मेरी हालत भी कुछ वैसे ही हो गयी थी। मैंने कभी ऐसा फील नहीं किया था। मेरी चूत में से चिप चिपा सा पानी मुझे महसूस हो रहा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने धीरे से पलट के देखा लेकिन कुछ दिखाई नहीं दिया पर इतना जरूर अहसास हुआ की रिंकी आखे बंद करके अपनी चुचिया मसल रही थी एक हाथ से और एक हाथ उसका चूत पे था। शायद सलवार के अंदर या बाहर पता नहीं। लेकिन अब मेरा हाथ जरूर अपनी चूत की तरफ जाने लगा था।
अंकित:= अह्ह्ह्ह उम्म्म अब मैं धीरे धीरे किस्स करते हुए निचे जा रहा हु तुम मेरा सर पकड़ कर मुझे अपनी चूत की तरफ धकेल रही हो।
रिंकी:= अह्ह्ह्हाआ उम्म्म करो ना मेरी चूत को किस्स अह्ह्ह बहोत गीली हो चुकी है।
अंकित:= हा ना जान….मैंने तुम्हारे पैरो को मोड़ के फैला दिए है और अपनी जुबान तुम्हारे चूत पे फिरा रहा हूँ। अह्ह्ह्ह औऊम्मम्म चुपचुपचुप अह्ह्ह क्या मस्त टेस्ट है तुम्हारे रस का अह्ह्ह्ह्ह अब मैं तुम्हारे चूत में जुबान डाल के उसे राउंड राउंड आगे पीछे कर रहा हु अह्ह्ह्ह्सीसीसीसीसी
रिंकी:=उम्म्म्म जान धीरे ना अह्ह्ह सीसीसीसी काटो मत ना हा हा हा स्स्स्स ऐसेही हाआआआ उम्म्म चाटो ना अह्ह्ह उम्म्म्म बहोत मजा आ रहा है।
उम्म्म्म सीसीसीसी मजा तो अब सच में आने लगा था। मेरा हाथ अब मेरी चूत रगड़ रहा था। मैं अब बहोत उत्तेजित हो गयी थी। मैंने अपना हाथ धीरे से सलवार के अंदर डाल दिया था। उम्म्म बहोत गीली हो चुकी थी मेरी चूत। मैंने वो गीलापन अपनी चूत पे रगड़ना सुरु किया अह्ह्ह्ह्ह्ह बहोत अच्छा लग रहा था। मैंने फ़िन्गरिंग तो बहोत बार की थी पर आज जो अहसास मुझे हो रहा था वैसा पहले कभी नहीं हुआ था।
अंकित:= उम्म्म जान देखो ना मेरा लंड कैसे तुम्हे बुला रहा है कह रहा है की आ जाओ जरा मुझे भी प्यार करलो।
रिंकी:= हाय रे मेरा बच्चा…..लो अब मैंने तुम्हारे लंड को अपने हाथो में पकड़ लिया है उसकी स्किन पीछे करके उसके गोल गोल सुपाड़े को किस्स कर रही हु अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स उम्म्म्म्म उसके सुपाड़े को होठो में पकड़ के मुठ मार रही हु आआह्ह्ह्ह्ह्ह् स्स्स्स अब उसे पूरा मुह में लेके आगे पीछे कर रही हु सप सप सप अह्ह्ह्ह उम्म्म क्या गरम और कड़क है जान तुम्हारा लंड।
अंकित:=अह्ह्ह उफ्फ्ग्ग असेही जान ऐसेही उम्म्म्म wowww क्या मस्त चूसती हो तुम अह्ह्ह्ह्ह तुम्हारी मुह की गर्माहट से मेरा पानी न निकल जाय अह्ह्ह्ह।
ओह क्या कर रहे है ये लोग मेरी तो जान निकलने वाली थी।रिंकी कितना सीधी रहती है पर आज देखो कितनी बेशर्मी से अंकित के साथ बात कर रही है। मेरी तो हालात ख़राब हो रही थी। रिंकी का भी हाल वैसा ही था क्यू की मुझे अब अहसास हो रहा था की वो अपनी चूत को जोर जोर से रगड़ रही थी। मैं भी अब थोडा जोर से लेकिन रिंकी को समझ ना आये इस तरह से चूत को रगड़े जा रही थी।
रिंकी:= उम्म्म्म नहीं जान मुह में नहीं मेरी चूत में गिराओ ……अह्ह्ह्ह स्स्स डाल दो अपना लंड मेरी चूत में अह्ह्ह्ह और जोर जोर से चोदो अह्ह्ह्ह.
अंकित:=उम्म्म हा मेरी रानी अब मैंने तुम्हारी चूत में अपना लंड डाल दिया है अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ क्या टाइट है तुम्हारी चूत सीसीसीक्काह्ह्ह्ह् उम्म्म और अब मैं अपना लंड तुम्हारी चूत में आगे पीछे करके चोद रहा हु स्स्स्स्स् अह्ह्ह उम्म्म.
रिंकी:= हा हा हा उफ्फ्फ्फ्फ़ धीरे ना जान उफ्फ्फ्फ़ फाड़ दोगे क्या अह्ह्ह्ह उम्म्म तेज और तेज एह्ह्ह्ह्ह्हआःह्ह्ह् उम्म्म चोदो जान उफ्फ्फ मर गयी उम्म्म।
रिंकी अब तेजी से अपनी चूत रगड़ रही थी और मैं भी अब मुझे ऐसे लगने लगा था की सच में कोई मेरी चूत में लंड डाल के मुझे चोद रहा है। 10 मिनट तक उनका ऐसे ही चलता रहा ।मेरा ओर्गेज़्म हो चूका था। शायद उन दोनों का भी। जैसे ही रिंकी ने फ़ोन रखा मैं कूद के बैठ गयी और उसकी रजाई हटाई तो देखा उसका नाडा खुला हुआ था। और मैंने झट से उसकी चूत के पास हाथ लेके गयी तो उसने मेरा हाथ पकड़ा और वो भी उठ के बैठ गयी।
मैं:=हाय रे मेरी बहना क्या बात है अभी अभी चुदी है क्या बात है यार कबसे चल रहा है ये तू तो बड़े मजे कर रही है।
रिंकी:=हँसते हुए….हम्म जैसे तू नहीं कर रही?
मैं:=मेरे ऐसे नसीब कहा यार।पर सच बता तू चूदी तो नहीं न इससे?
रिंकी:=नहीं ना सच में…मैं अभी भी वर्जिन हु यार। चल अब बाकी बाते कल करेंगे नींद आ रही है।
मैं:=हा वो तो आएगी ही ना इतनी जम के जो चूदी है मेरी बहन।
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हम दोनों हस्ते हुए लेट गए और सोने लगे। रिंकी ने करवट लेके मेरी तरफ पीठ की और मैं उसके पीठ से चिपक के सोते हुए सोचने लगी…..क्या मस्त फीलिंग थी वो…काश कोई रियल लंड मिल जाता तो जमके चुद लेती उससे। लेकिन मेरी ये इच्छा जल्द ही पूरी होने वाली थी ये उस वक़्त नहीं सोचा था मैंने…
सुबह जब मैं उठी तो रिंकी निचे किचन में थी। मैं वहा गयी तो सब लोग नास्ता कर रहे थे। मैं भी ब्रश करके चाय नास्ता करने लगी। कल रात के बाद मुझ पे तो जैसे सेक्स का खुमार सा छा गया था। मुझे एकदम से रिंकी की बात याद आ गयी की मामा और नाना जी कैसे मुझे देखते है।
मैंने थोडा गौर किया मामा तो नहीं पर नाना जी मुझे देखते हुए मैंने 2 3 बार पकड़ा। पर खुद को ही डाँटते मैंने कहा चुप कर कुछ भी सोचती है। मैंने चाय नाश्ता खत्म किया और नहा के वापस आयीं। तो नाना जी खेत में चले गए थे।
मेरी और रिंकी की मस्ती चल रही कल रात की बाते याद दिला के मैं उसे छेड रही थी। फिर दीपक मैं रिंकी और पड़ोस के कुछ बच्चे मिलके इंडोर गेम्स खेलने लगे। ये हमारा हमेशा का रूटीन था। फिर दोपहर का खाना हो जाने के बाद थोड़ी नींद और फिर मैं और रिंकी खेत में घूमने निकले।
खेतो में बहोत सी सब्जिया लगी थी। और सुबह में शायद पानी दिया हो इस वजह से ठंडी हवा चल रही थी और इस वजह से खेतो में घूमना बहोत अच्छा लग रहा था पर बहोत धीरे और सँभालते चलने का काम पद रहा था। हमने देखा की सामने खेत में कुछ हलचल सी हो रही है।
मैं घबरा गयी मुझे लगा की शायद कोई जंगली जानवर हो। पर हमने जो देखा उससे हमारी पैरो से जमीं खिसक गयी। एक औरत नाना जी का लंड चूस रही थी। नाना जी खड़े थे और वो औरत घुटनो पे बैठ के नानाजी का लंड चूसे जा रही थी।
हमने ये देख के हैरानी से एकदूसरे की और देखा और एकदूसरे का हाथ पकड़ लिया और निचे बैठ के चुपके से देखने लगे। उम्म्म नानाजी का लंड बहोत बड़ा था। लगभग 10 इंच का होगा गोरा गोरा इतना बड़ा लंड किसी पोर्न स्टार जैसा लग रहा था। मेरी चूत में खुजली होने लगी थी।
मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा की नाना जी को मैं कभी ऐसे देखूंगी। मेरी तो चूत से पानी आना सुरु हो गया था। रिंकी का भी वही हाल था। फिर नाना जी ने उस औरत को उल्टा किया और पिछेसे उसकी चूत में लंड डाल के चोदने लगे। वो औरत नानाजी की जांघे पकड़ कर उनका लंड चूत में रही थी।
थोड़ी देर बाद नानाजी उसकी गांड पे अपना पानी गिरा दिया। मैं तो जैसे होश खो चुकी थी। रिंकी ने मुझे हिलाया और चुपके से निकलने को कहा हम उलटे पाँव वापस आये जैसे ही हम कुवे के पास वाले दो बड़े बड़े आम के पेड़ो के निचे आये हम वही लेट गए। 5 मिनट तक तो सिर्फ अपनी साँसे ठीक करने लगे। फिर एक दूसरे की और देखा और एकदम से हँसने लगे। हम बैठ गए।
मैं:= क्या था ये? कोन थी वो औरत?छी कितनी गन्दी थी वो और नानाजी उसे चोद रहे थे बाप रे….
रिंकी:= हा ना यार मैंने भी पहली बार देखा ऐसा।
मैं:= सच में यार मैंने कभी नहीं सोचा था ऐसा।
रिंकी:=हा लेकिन तूने देखा दादाजी का लंड कितना बड़ा है। मैंने तो पोर्न मूवीज में भी नहीं देखा ऐसा लंड।
मैं:= हा न यार……मैं तो मर ही जाउंगी।
रिंकी:= पर तू क्यू लेने लगी दादाजी का? या लेने का इरादा है?
मैं:= पागल है क्या तू? मैं सिर्फ इतने बड़े लंड की बात कर रही हु। लेकिन मुझे लगता है तेरा इरादा है।
रिंकी:= हाय रे अगर दादाजी कहेंगे तो जरूर ले लुंगी।
मैं := चल हट बेशरम….।
रिंकी:= अरे सच…तुझे पता नहीं जितना बड़ा लंड ही उतना ही मजा आता है।
मैं := हा क्या? चल फिर अभी नानाजी को कहती हु की आपकी प्यारी पोती आपसे चुदवाना चाहती है।
रिंकी:= मैं तो तैयार हु पर अकेली नहीं तूझे भी लेना होगा दादाजी का लंड अपनी चूत में।
मै;= रिंकी को चपेट मारी और कहा कुछ भी बोलती है।
फिर हम वहा से उठे और घर की और चल दिए इस बात से बेखबर की नानाजी हमारी बाते सुन रहे थे।
नानाजी:===== उफ़ ये क्या हो गया। इन लड़कियो ने देख लिया मुझे उस औरत के साथ अब कैसे नजर मिलाऊंगा उनके साथ???? लेकिन…….वो क्या बाते कर रही थी उन्हें मेरा लंड अच्छा लगा । लेकिन मैं उनका दादा और नाना हु। वो कैसी बाते कर रही थी। और उनको कितनी जानकारी है चुदाई के बारे में। हा भाई बड़ी हो गयी है अब वो। क्या जवानी फुट के आयी है दोनों में।
रिंकी की गांड तो ऐसी है की बस देखता ही जाऊ और जब वो मटक मटक के चलती है तो पैजामे में लंड भी अंगड़ाइयां लेने लगता है। और सोनम वो तो अभी अभी जवान हुई है उसकी चुचिया तो कमाल की है जब से वो आयीं है तबसे उसकी भरी भरी चुचियो ने तो पागल कर दिया है।
दोनों को चोदने को मिल जाय तो मजा आ जायेगा वैसे भी उस विमला की भोसड़ा चोद के मजा नहीं आता आजकल। वो तो सोनम की चुचिया है जो मुझे आज इतना उत्तेजना हुई। अगर ये गरम गरम माल चोदने मिल जाय तो मजा आ जाएगा। पल भर में ये सारे खयाल उनके मन में आ गए लेकिन फिर खुद को ही कोसते हुए ये मैं क्या सोच रहा हु…..मैं वासना में अँधा हो गया था।
लेकिन दूसरे ही पल लेकिन रिंकी तो खुद ही मुझसे चुदने के बारे में बात क़र रही थी। और साथ सोनम भी तो कुछ नहीं बोली। अगर मैं कोशिश करू तो इन दोनों को चोद सकता हु और उन्हें मेरा लंड भी तो बहोत पसंद आया है। देखो तो जरा कैसी जान आ रही इसमे मुझे पहले कभी ऐसा अहसास नहीं हुआ।
नानाजी ने मन कुछ ठान लिया और अपने काम में लग गए। मैं और रिंकी घर आ गए थे। दीपक और बाकी बच्चे हमारा वेट कर रहे थे। हमने फिर खूब मस्ती की। रात को रिंकी मामी की खाना बनाने में हेल्प कर रही थी। और मैं मामा और नानाजी के पास बैठ के उनसे बाते कर रही थी।
हमने साथ बैठ के खाना खाया टीवी देखा और फिर सोने चले गए। रात में फिर से अंकित का फ़ोन आया। और रिंकी ने कल रात जैसा ही फ़ोन स्पीकर पे डाला हुआ था। उनकी चुदाई वाली बाते शूरु हो गई। मैं भी उनकी बातो का मजा लेके अपनी चूत रगड़ रही थी।
लेकिन आज जब मैंने आखे बंद की तो देखा की नानाजी मेरी चूत चाट रहे है मैं उनका लंड चूस रही हु। और जब रिंकी की बाते चूत चोदने तक पहोची तो मुझे ये दिखाई दे रहा था की नानाजी मुझे अपने लंड से खच खच चोद रहे है। और मुझे ये सोच के ज्यादा उत्तेजना हो रही थी।
मुझे उसमे कोई बुराई नजर नहीं आ रही थी। उत्तेजना में अंधी हो चुकी मैं बड़े चाव से नाना जी के लंड के बारे में सोच के चूत में उंगली चला रही थी। उफ्फ्फ्फ्फ्फ ये मुझे क्या हो रहा था। तब भी जब हम निचे खाना खाने से पहले बाते कर रहे थे.
तब नानाजी जब मेरे चीन को हाथ लगा रहे थे तब उनका हाथ मेरी चुचियो को लग रहा था और मेरा हाथ पकड़ कर नानाजी कैसे मेरी कोहनी अपने लंड की और धकेल रहे थे। उफ्फ्फ्फ्फ़ कितना कड़क हो चूका था वो। मैंने तब इतना माइंड नहीं किया था क्यू की मुझे लगा था शायद गलती से हो रहा होगा।
लेकिन क्या नानाजी जानबूझ कर ऐसा कर रहे थे। मैंने सोचा अब मैं देखूंगी की ये गलती से हो रहा था या जानबुज के? क्या नानाजी सच में मुझे चोदने के बारे में सोच रहे है? सोचते सोचते मैं कब सो गयी पता ही नहीं चला। इधर रिंकी भी उसके दादाजी के लंड के बारे में सोच सोच कर चूत में उंगली कर रही थी।
अब उसे अंकित नहीं उसके दादाजी नजर आ रहे थे। उसे अब अपने दादाजी का लंड अपनी चूत में चाहिए था। वो किचेन से देख रही थी कैसे दादाजी सोनम के साथ हरकते कर रहे थे। हो ना हो वो अब वो भी हमारी जवानी का मजा लेना चाहते थे।
तभी कैसे वो किचन में आके मेरी कमर पे हाथ रखकर मुझे फ्राई को कैसे करते है बता रहे थे। और उनका हाथ कब मेरी कमर से निचे मेरी गांड पे आ गया था ये यकीनन गलती से नहीं हुआ था। उम्म्म्म्म जब उनका हाथ मेरी गांड से टच हुआ तब कैसी लहर सी दौड़ी थी मेरे शरीर में। इधर नानाजी का भी हालत बहोत ख़राब थी। वो अपना लंड पैजामे में से निकालके उसे मुठ मार रहे थे।
सोनम और रिंकी की जवानी बिना कपड़ो के कैसे लगेगी ये सोच सोच के उनका लंड किसी रॉड की तरह ताना हुआ था। रिंकी की गांड क्या मुलायम थी। सीसीसीसी अह्ह्ह जब मैं उसे नंगी करके छुऊँगा तो क्या मजा आएगा स्सस्सह्ह्ह्.
और सोनम के चुचिया उफ्फ्फ्फ़ उसके सलवार से क्या लगाती है जब नंगी देखूंगा तो आह्ह्ह्ह ये सोच के अपना लंड तेजी से हिलाने लग गए और फिर सरसरसर करके पिचकारी छोड़ने लगे। ऐसी उत्तेजना पहले कभी नहीं हुई थी उन्हें। उन्होंने अब मन ही मन सोच लिया था की किसी एक को जरूर चोदेंगे या फिर दोनोंको…
सुबह के 5 बजे होंगे की मामी के आवाज से हम दोनों की नींद खुली। मैंने दरवाजा खोला तो वो बोल पड़ी….
मामी:=झटपट तैयार हो जाओ मंदिर जाना है।
मैं:=मंदिर??नहीं मामी मैं नहीं आ रही मंदिर मुझे सोना है।
मामी :=अरे आज पोर्णिमा है ये पोर्णिमा 10 साल में एक बार आती है और अपने गाव के मंदिर में आज बहोत बड़ी पूजा होती है और आज के दिन जो भी मुराद मांगोगे वो पूरी होती है।
रिंकी भी उठ चुकी थी।
रिंकी:=हा सोनम माँ सच कह रही है। चल चलते है
मामी:=चलो जल्दी तैयार हो जाओ बाबूजी तुम्हारा इन्तजार कर रहे है। मुझे तो मंदिर मना है इसलिए मैं नहीं आ पाऊँगी।
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हम लोग तैयार हुए और नानाजी और दीपक के साथ मंदिर पहुचे। बहोत भीड़ थी और लंबी लाइन हम लाइन में लग गए।सामने दीपक उसके पीछे मै रिंकी और नानाजी लाइन में भी बहोत लोग आगे पीछे धकेल रहे थे। इधर रिंकी की हालात ख़राब थी। क्यू की पिछेसे नानाजी का लंड उसकी गांड पे लग रहा था।
नानाजी तो थे दीवाने रिंकी की गांड के वो भी भीड़ का फायदा लेके मजे से अपना लंड उसकी गांड पे रगड़ रहे थे। सुरु सुरु में रिंकी को घबराहट हुई पर बादमे वो नानाजी से चिपके खड़ी हो गयी और नानाजी के तगड़े लंड का मजा अपनी गांड को दिलाने लगी। नानाजी की मुराद तो जैसे मंदिर जाने से पहले ही पूरी हो चुकी थी।
उन्हें भी सुरु सुरु में थोडा झिझक हो रही थी पर जब उन्हें रिंकी की और रेसपोंस मिलाने लगा तो वो भी बिंदास हो के अपना लंड रिंकी की गांड से रगड़ने लगे थे।मुझे तो इस बात का अंदाजा रिंकी का चेहरा देख के ही चल चूका था। मैं उन्हें डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी सो मैं दीपक के साथ बाते करने लगी।
लाइन बहोत बड़ी थी अभी और आधा घंटा लगने वाला था। और लाइन भी बड़ी अजीब थी एक साथ चार चार रो थी। इसके वजह से रिंकी और नानाजी में क्या चल रहा है ये कोई देख नहीं सकता था। जैसे ही कोई पीछे से धकेलता नानाजी जोर से अपना लंड रिंकी की गांड पे रगड़ देते।
और जैसे कोई आगे से धकेलता तो मैं रिंकी को जोर से पीछे धकेल देती जिससे रिंकी अपनी गांड नानाजी के लंड पे दबा देती। इधर रिंकी की तरफ से आता रिस्पांस देख नानाजी ने अपना लंड खड़ा करके रिंकी की गांड के दरारों में घुसा दिया था।
जैसे लाइन आगे बढती नानाजी अपना लंड पीछे लेके हल्का सा धक्का दे देते। रिंकी इधर अपने गांड में फसे लंड का भरपूर आनंद उठा रही थी। कभी कभी लंड सरक के निचे जाता तो सीधा उसके चूत के पास चला जाता जैसे उसकी चूत पे दस्तक दे रहा हो।
उसकी चूत पानी पानी हो चुकी थी। नानाजी ने अब अपना हाथ भी रिंकी के गांड पे फिरना और हलके हलके दबाना सुरु कर दिया था जिसकी रिंकी को जरा भी उम्मीद नहीं थी। एक बार तो नानाजी ने अपना हाथ फिसला कर सीधा चूत से टच कराने की कोशिश की पर रिंकी एकदम से चोकी तो उन्होंने हाथ पीछे हटा लिया।
नानाजी मस्त हो चुके थे रिंकी की नरम नरम मांसल गांड से लंड रगड़ के रिंकी भी पहली बार रियल लंड का टच महसूस करके निहाल हो चुकी थी। दोनों भी भूल चुके थे की वो कहा है। सच कहते है लोग वासना अंधी होती है उसे ना रिश्ता समज आता है और नही मंदिर.. हम सब लोग दर्शन करके घर पहोंचे। मैं लगभग खीचते हुए रिंकी को ऊपर ले गयी और उससे सारी बाते डिटेल में पूछी। उसने वर्ड तो वर्ड सब बताया।
मै := क्या बात है तूने तो बड़े मजे किये यार अपने दादाजी के लंड से अपनी गांड घिसाई करवा ली।
रिंकी:= तो तू आ जाती मेरी जगह तू भी कर लेती मजा।
मैं:= मुझे नहीं करनी मजा…अब आगे क्या? कब ले रही है उनका लंड चूत में?
रिंकी :=हाय रे क्या बताऊ दिल तो करता है अभी ले लू।
मैं:=तू न बावरी हो गयी है बेशरम….
हम दोनों हँसने लगी। और फिर ऐसे ही छेड़छाड़ हँसी बाते होती रही।
नानाजी हमारी हरकते बड़ी गौर से देख रहे थे। उनके चहरे पे एक अलग तरह की ख़ुशी झलकने लगी थी। वो खाना खाके खेत में चले गए। हम भी खाना खाके थोड़ी मस्ती की और थोडा सुस्ता लिया। फिर शाम को फिर खेतो की ओर निकल पड़े। सोचा आज भी कुछ देखने को मिल जाय पर नानाजी कुछ काम करवा रहे थे। हमें देख के वो हमारी तरफ आये। हमे तो बड़ी मायूसी हुई। नानाजी आप यही है??मेरे मुह से यकायक निकल गया।
नानाजी:=क्यू कही और होना चाहिए था क्या मुझे ?उस खेत में?
मेरे और रिंकी के होश उड़ गए हमने एक दूसरे की और देखा हम दोनों की आखो में इक ही सवाल था कही नानाजी ने कल हमें देख तो नहीं लिया?
नानाजी:=ऐसे क्या एक दूसरे की और देख रहे हो। चलो आओ इधर ।
हम नानाजी के पीछे पीछे चलने लगे।
मैं:= यार लगता है नानाजी ने हमें कल देख लिया।
रिंकी:=मुझे भी ऐसा लगता है। देख न कल से ही तो वो हमसे कैसे बर्ताव कर रहे तुझे और मुझे छूने की कोशिश और सुबह भी तो….
मैं:= हा यार सही कह रही है तू।पहले कभी उन्होंने ऐसा नहीं किया। शायद पेड़ के निचे बैठ के जो बाते हम कर रहे थे वो भी सुन ली।
रिंकी:= अगर ऐसा है तो ठीक है न यार मैं तो रेडी हु उनसे चुदने को बिस सालकी हो गयी हु यार बहोत तड़पती है (उसने चूत की और इशारा किया) बोल तू भी चाहती है ना?
मैं:==नहीं बाबा मैं नहीं……मैं इस मामले में थोड़ी शर्मा रही थी पर मन ही मन मैं भी यही चाहती थी क्यू की आग लगी पड़ी थी चूत में उसे बुझानी तो पड़ेगी।
हम कुवे के पास आ गए नानाजी एक टोकरी में आम और तरबूज लेके आ गए। दोनों हाथो में आम पकड़ कर मेरी चुचियो की ओर देखते हुए बोले….
नानाजी:= कितने बड़े बड़े है अंदर से कितने मीठे होंगे?
मैं तो शर्मा के लाल लाल हो गयी। रिंकी को समझ आ गयी बात । हम एक दूसरे की तरफ देखा फिर रिंकी ने कहा।
रिंकी:= तो देख लीजिये ना खाके आपको रोका किसने है? वो मेरे कंधो पे दोनों हाथ रखके और अपना चेहरा हाथो पे रख के कुछ अलग ही अंदाज से बोली।
नानाजी:=खाऊंगा बेटी पर थोडा पकाना पड़ेगा।
मैं शर्मा के निचे देख के मुस्कुराती रही और उनकी बाते सुनने लगी।
रिंकी:= तरबूज तो खा ही सकते हो ना दादाजी।
नानाजी:= ह्म्म्म हा सुबह बस छुआ था तरबूज को बड़ा मजा आ रहा था। अब तो खाके देखना ही पड़ेगा। ये तो यकीनन पक गए है। बड़ा मजा आएगा इनको खाने में।
अब शरमाने की बारी रिंकी की थी। वो झटके से खड़ी हुई और नाखून एक दूसरे पे घिसते हुए निचे देखने लगी। ये डबल मीनिंग बाते सुनके बड़ा मजा आ रहा था।
मैं:= नानाजी इस साल गन्ना क्यू नहीं लगाया हमें भी तो मजा आता गन्ना खाके?
नानाजी:= लगा दूंगा बेटी फिर मजे करना गन्ना चूस के।
बापरे इसके बाद न मैं और रिंकी कुछ बोल पायी। हमने वो आम और तरबूज लिए और घर की और निकल पड़े।
रिंकी:=यार दादाजी तो बड़े चालू निकले क्या बाते कर रहे थे लगता है वो हम दोनों की जवानी देख के पागल हो चुके है खासकर तेरे आम पे तो ऐसे नजर टिकाये थे वो हाय रे…
मैं:=हा न यार मेरी हार्ट बीट तो एकदम फुल स्पीड में दौड़ रही है अबतक
रिंकी:=हा क्या?अभी से ये हाल है अगर वो सचमुच तेरे आम चूसने लगेंगे तो क्या होगा तेरा?
मैं:=क्या होगा?मैं भी उनका गन्ना चूस लुंगी…
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ऐसा बोल के हम दोनों ने एकदूसरे को ताली दी और हंस पड़े। रात को खाने के बाद एक चॅनेल पे मेरी fvrt मूवी आ रही थी ddlj मैं उसे देखने लगी और सबको पता था मैं उसे पूरा देखे बगैर सोने नहीं वाली। थोड़ी देर में सब जाने लगे रिंकी भी जाने लगी तो मैंने उसे रोका तो वो कहने लगी यार तू देख मैं अंकित को फ़ोन करती हु मुझसे रहा नहीं जा रहा।
मैं अकेले ही टीवी देखने लगी। मैं सोफे पे लेटी थी। नानाजी ने देखा की हॉल में कोई नहीं है तो वो तेल की बोतल लेके आ गए और मुझसे थोड़ी चम्पी करने को कहा। मैं सोफे पे बैठ गयी वो निचे बैठ गए। मैंने अपने पैर थोड़े फैला दिए जिससे उनका सर मेरी गोद में आ गया था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं टीवी देखते देखते मालिश करने लगी। नानाजी अपना सर पीछे करने लगे लेकिन मैं बहोत पीछे होने की वजह से कुछ हो नहीं रहा था। मैं थोडा आगे खिसकी जिसकी वजह से उनका सर अब मेरी चूत से कुछ ही इंच की दुरी पे था मैं उनका इरादा समझ रही थी और मुझे भी अब इस छेड़छाड़ का मजा आने लगा था।
मै मालिश करते वक़्त अपनी चूत से टच करवा देती जिसकी वजह से उनका लंड अब खड़ा होना सुरु हो गया था। जिसको वो छुपा नहीं रहे थे उल्टा बिच बिच में उसे पकड़ कर सहला देते। मेरी चूत में और शरीर में झनझनाहट होने लगी थी। नानाजी बोले बेटा थोडा सर भी दबा दे।
मैंने उनका सर पीछे लिया और चूत पे दबा दिया उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ क्या फीलिंग थी पहली बार किसी मर्द का शरीर मेरे चूत के इतने करीब था। मैं थोडा दबाव बना के उनका सर दबा रही थी।और साथ साथ अपनी चूत भी थोडा आगे ले जाके उनके सर से टच करा रही थी।
मेरी मुलायम चूत का स्पर्श से नानाजी बहोत उत्तेजित हो चुके थे मैं ऊपर से देख रही थी उनका लंड अब पूरा कड़क हो चूका था। बिच बिच में वो उसे पकड़ के मसल रहे थे। मन तो किया की मैं ही पकड लू पर खुद को काबू में किया।
फिर मैंने नानाजी के सर पे अपना चीन रखा और पूछा नानाजी बस हो गया या और दबाउ? नानाजी बोले। “मजा तो बहोत आ रहा है पर ठीक है” मैं समझ गयी की उनको मजा किस चीज का आ रहा है। उन्होंने अपना हाथ मेरा गाल पकड़ने के लिए पीछे की तरफ लाया.
लेकिन मैं तब तक अपना चीन उठा चुकी थी जिससे उनके हाथ सीधा मेरी चुचियो पे आ लगा और उनके हाथ में मेरी एक चूची आ गयी उफ्फ्फ्फ्फ़ पहली बार मेरी चुचियो को किसी मर्द का हाथ लगा था मेरे मुह से आउच निकल गया। नानाजी समज गए की उनका हाथ मेरी चुचियो को लगा है….उन्होंने पूछा क्या हुआ? मैंने कहा कुछ नहीं। उन्होंने ने भी आगे कुछ नहीं कहा।
नानाजी:=तुम्हे सोना नहीं है क्या।
मैं :=बस ये मूवी खत्म होने को है फिर सोती हूँ।
नानाजी := चल ठीक है मैं तेरे सर में मालिश कर देता हु।
मैंने ठीक है कहा और निचे बैठ गयी। नानाजी सोफे पे बैठ गए और जैसे मैं आगे खिसक के बैठी थी वैसेही वो बैठ गए। उनका लंड सीधा मेरी गर्दन से होता हुआ मेरे गाल के पिछले हिस्से को छु रहा था। उम्म्म्म्म्म क्या मजेदार टच था वो।
नानाजी तेल लगाते वक़्त मेरा सर आगे पीछे कर रहे थे और मैं ज्यादा से ज्यादा अपनी गर्दन उनके लंड से रगड़ रही थी। मेरी हालात उस लंड के टच की वजह से बिगड़ती जा रही थी। मेरी चूत इतनी गीली हो चुकी थी बस पूछिये मत।
नानाजी ने अब मेरा सर अपने लंड पे दबा दिया और मेरा सर दबाने लगे मैं बहकती जा रही थी। मुझसे अब बर्दास्त नहीं हो पा रहा था। मैंने नानाजी से कहा बस हो गया और मैं खड़ी हो गयी। नानाजी ने पूछा क्या हुआ अच्छा नहीं लग रहा? ऐसे बोलके उन्होंने अपना हाथ लंड पे रखा।
मैं भी उनके लंड को खुले आप देखते हुए बोली “वो बहोत सख्त है ना….5 sec का पॉज फिर बोली आपके हाथ तो थोडा सर भारी लग रहा है।ओके मैं जाती हु सोने। ऎसा बोल के मैं ऊपर जाने के लिए मूडी और चलने लगी और नानाजी मेरी मटकती गांड को देख के अपना लंड मसलने लगे। मैं दौड़ते हुए रूम में गयी. मैंने देखा रिंकी सो रही थी. मैंने उसे जगाया और साड़ी बात काटछांट के बता दी. जो मैंने किया वो नहीं बताया जानबुझ कर।
रिंकी:~ वाओ क्या बात है यार दादाजी तो एकदम फुल फॉर्म में है। काश तेरी जगह मै होती तो अबतक दादाजी का लंड अपनी चूत में ले चुकी होती।
मैं:= पागल है तू…इधर मेरी हालत खराब है और तू है की…
रिंकी:= (आँख मारके) तेरी या तेरी चूत की?
मैं:= चुप कर…कुछ भी बोलती है।
रिंकी:= सच बोल रही हु मेरी जान…दिखा तो जरा पक्का पूरी पॅंटी गीली होगी तेरी।
मैं:=तू ना पगला गयी है। तुझे ना दीवाना बना दिया है नानाजी के लंड ने।
रिंकी:= क्यू तुझे नहीं बनाया क्या?
मैं :=नहीं नहीं नहीं….इतना ही है तो जा नानाजी होंगे हॉल में जाके बोल दे की दादाजी आईये और चोदिये मुझे …मेरी चूत आपके लंड के लिए बेताब है।
मैंने थोड़ी एक्टिंग करते कहा।
रिंकी :=हा यार ये सही है….चल मैं आती हु चुदवा के….
ऐसा बोल के रिंकी उठी और जाने की एक्टिंग की। मैंने उसे पकड़ा और वापस बिठा दिया और बोला:= तू सच में काम से गयी।
रिंकी:= (सर पे हाथ उल्टा रखते एक्टिंग करते हुए) ‘काम’ ने मुझे काम का नहीं छोड़ा।
हमेशा की तरह एक दूसरे को ताली दी और हँसने लगे और सोने लगे। आज सच में बहोत मजा आया। मैं थोड़ी देर और रुक जाती तो पक्का कुछ न कुछ हो जाता। मैं उन सब बातो के बारे में सोचते हुए सो गयी। रिंकी के मन में कुछ और ही चल रहा था।
वो कुछ प्लान कर रही थी। उसे अपने आप पर काबू नहीं रखा जा रहा था। उसे बस अब अपनी चूत फड़वानी थी। नानाजी भी कुछ अलग नहीं थे। वो भी रिंकी और सोनम की जवानी को याद करके मुठ मारे जा रहे थे। सुबह हमेशा की तरह सब चल रहा था।
मैं नानाजी से नजरे नहीं मिला पा रही थी। लेकिन रिंकी मौका देख के नानाजी के करीब चली जाती। नानाजी भी मौका नहीं छोड़ रहे थे कभी रिंकी की चुचियो को छू लेते कभी उसकी गांड को। सब को कुछ समझ नहीं आ रहा था पर मुझे सब समझ आ रहा था। मैंने रिंकी से कहा भी तो वो बोली कुछ नहीं होता यार। नानाजी खेत में चले गए।
हमारी रोज के गेम्स और मस्ती होती रही दिन भर फिर श्याम को खेत में जाने के लिए हम दोनों निकले। रिंकी ने आज white कलर का चूड़ीदार और कुरता पहना था। पता नहीं उसके मन में क्या चल रहा था पर वो बहोत एक्साइटेड नजर आ रही थी।
हम चारो और घूमते घूमते खेत पहुचे। नानाजी हमें देख के बड़े खुश हुए। खेत में आज कोई मजदूर नहीं था। नानाजी कुवे के पास बैठकर कुछ रस्सी का बना रहे थे। शायद वो बैल गाय को बांधने वाली रस्सी। जैसे हम वहा पहुचे नानाजी ने हमें वो पेड़ पे ही पके हुए आम दिए।
हम वहा छाव में बैठ के आम खाने लगे। तभी रिंकी के कपड़ो पे आम की गुठली गिर गयी जिससे उसका white ड्रेस ख़राब हो गया। वो दाग ज्यादा गहरा न हो इसलिए वो पट से उठी और जानवरो को पानी पिलाने के लिए जो सीमेंट का बड़ा सा टैंक रहता है वहा जाके धोने लगी। और मुझे आवाज देने लगी।
मुझे लगा क्या हुआ और क्या नहीं इसलिए भागती गयी। तो वो बोली चल नहाते है।मैंने मना किया लेकिन वो नहीं मानी। खेतो को पानी देने के लियें मोटर पंप सुरु था। उसने छोटा नॉब सुरु किया जो टैंक भरने के लिए रहेता है। और ओढनी निकाल के अंदर कूद गयी।
मैं भी अंदर जाके पानी में भीगने का मजा लेने लगी। लेकिन जब मैंने रिंकी को देखा तो मेरे होश उड़ गए। उसने ब्रा या स्लीप कुछ नहीं पहना था अंदर भीगने की वजह से वो कॉटन ड्रेस उसके शरीर से चिपक गया। उसके बूब्स पुरे नजर आ रहे थे उसके काले काले निप्प्ल्स जो ठन्डे पानी एरेक्ट हो चुके थे वो साफ़ साफ़ नजर आ रहे थे।
और उसने अंदर पॅंटी भी नहीं पहनी थी उसकी गांड तो कमाल की लग रही थी। उफ्फ्फ तो ये सारा प्लान करके आई थी वो। नानाजी को जब ये दिखा तो उनके होश उड़ गए। वो टैंक से 5 फ़ीट दुरी पर होंगे वो सब साफ़ साफ़ देख सकते थे। उन्होंने काम छोड़ दिया और हमें देखने लगे।
रिंकी इतरा इतरा के उन्हें सब दिखा रही थी। कभी अपने चुचिया तो कभी अपनी गांड। मेरे कपडो में से कुछ नहीं दिख रहा था। मुझे रिंकी पे बड़ा ग़ुस्सा आया। रिंकी अब वो नल के निचे खड़ी हो के उसका पानी अपनी चुचियो ले रही थी। और वो नानाजी को इस तरह देखे जा रही थी की बस पूछिये मत।
नानाजी भी पीछे नहीं थे वो भी खुले आम अपना लंड सहला रहे थे। ये देख के रिंकी और भी मादक अदाएं दिखाने लगी। उसने अपना कुरता ऊपर उठाया और अपनी गांड नानाजी की तरफ करके झुक गयी और मेरे साथ पानी में मस्ती कर रही है ऐसा दिखाने लगी।
जिसकी वजह से उसकी गांड बिलकुल नंगी जैसे दिखाई दे रही थी। और उसके चूत भी साफ़ साफ़ नजर आ रही थी। वो बिलकुल राम तेरी गंगा मैली वाली मंदाकिनी नजर आ रही थी। हम ने थोड़ी देर मस्ती की फिर हम लोग बाहर आ गए।
रिंकी तो बाहर आने के बाद पूरी तरह से नंगी ही दिख रही थी। नानाजी उसे बस देखे जा रहे थे। आज अगर वो अकेली होती तो यकीनन नानाजी उसे चोद देते। खैर हम घर आये मैंने उसे बहोत डाटा उसने कहा यार वो मैंने टाइम पे तय किया। लेकिन वो मुझे बोली की आज रात को हम दोनों देर तक टीवी देखेंगे। मैंने सोचा चलो देखते है क्या होता है।
रात को खाना खाने के बाद हम सब टीवी देखने लगे। रिंकी ने जानबुज कर डिस्कव्वरी लगा दिया जिससे सब उठ के जाने लगे। हम दोनों फिर टीवी देखते हुए इधर उधर की बाते करने लगे। और नानाजी का इंतजार करने लगे। लेकिन वो नहीं आये। रात के 11.45 बज चुके थे।
रिंकी को अंकित के फ़ोन आ रहे थे लेकिन उसने कह दिया की आज बात नहीं हो सकती। मैंने रिंकी से कहा चल यार चलते है। रिंकी बोली रुक न यार। थोड़ी देर और। फिर मैंने कहा लगता है नानाजी हम दोनों है इस वजह से नहीं आ रहे।
रिंकी बोली ठीक है तू जा मैं 10 मिनट में आती हु। अगर नहीं आयी तो तू आ जाना। मैंने कहा ठीक है। मुझे बड़ी नींद आ रही थी। मै जाकर लेट गयी। पानी में नहाने की वजह से सुस्ती सी चढ़ रही थी। मै लेटते ही सो गयी। जब मेरी आँख खुली तो मैंने देखा 1 बज रहे थे। मैंने रिंकी को फ़ोन लगाया पर उसने उठाया नहीं।
मैंने सोचा की शायद हॉल में ही सो गयी। इसलिए उसे उठाने के लिए निचे गयी तो मैंने देखा हॉल में रिंकी सोफे पे बैठ के टीवी देख रही थी। और नानाजी अपने कमरे की और तेजी से जा रहे थे। मैं उसके पास गयी और उसको कहा चल ना क्या कर रही है अकेली? उसपे रिंकी ने कहा। “” 10 मिनट देरी से आती तो क्या बिगड़ जाता तेरा?””
मैं:= क्या हुआ? और वो नानाजी ही थे ना? चल जल्दी से बता क्या हुआ?
रिंकी:= हा चल ऊपर रूम में चलते है….सब बताती हु। और तू वापस क्यू नहीं आयीं? मुझे लगा की तू छुपके सब देख रही है।
मैं:=अरे मुझे नींद लग गयी थी।
हम अपनी रूम में आ गए। फिर रिंकी मुझे सब बताना सुरु किया।
रिंकी====== तू जैसे ही गयी वैसे दादाजी आ गए।
वो:=अरे रिंकी सोनम कहा गयी? और अकेले ही टीवी देख रही है?क्या हुआ?
मैं:=वो कुछ नहीं ये प्रोग्राम अच्छा लग रहा है इसलिए देख रही हु। आप सोये नहीं अब तक?
वो:= नहीं खेतो में काम जादा था आज सो पूरा बदन अकड़ रहा है।
रिंकी:= आप कहे तो दबा देती हु। बचपन में कितना दबाने को बोलते थे।
वो:= हा ठीक कह रही है तू।
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वो निचे फर्श पर डाली हुई मैंट पर ही उल्टा लेट गए। मैं उनके कमर के दोनों तरफ घुटने पे बैठ के पीठ हाथो से दबाने लगी। उन्होंने मुझे बैठने को कहा। मैं उनकी गांड पे अपनी गांड टिका के बैठ गयी । मेरी नरम मास्सल गांड का स्पर्श उन्हें अच्छा लग रहा था।
मुझे भी अच्छा लग रहा था मैं मस्त अपनी गांड और चूत रगड़ रही थी। मेरी तो चूत में पानी आना भी सुरु हो गया था। उनका लंड भी खड़ा होने लगा था। शायद दबने की वजह से दिक्कत हो रही थी उनके लंड को। उन्होंने मुझे रुकने को कहा। और वो सीधे लेट गए।
उम्म्म उनका लंड पूरी तरह तना हुआ था। और वोसे छुपाने की बिलकुल भी कोशिश नहीं कर रहे थे। मैंने देखा वो अपने लंड को झटके दे रहे थे। जैसे कह रहे हो आ जाओ पकडलो मुझे। मैं तो घबरा ही गयी उनका इतना बड़ा लंड इतने करीब से जो देख रही थी। वैसे तो बहोत बाते कराती हु पर जब मौका था तो मेरी हिम्मत नहीं हुई।
उन्होंने मुझे पैर दबाने को कहा। मै निचे बैठ गयी और उनके पैर दबाने लगी। लेकिन मेरी नजर उनके लंड से हट नहीं रही थी। वो भी मेरे चहरे को बड़े गौर से देख रहे थे। और अपने लंड को झटके दिए जा रहे थे। फिर मैं उनकी जांघे दबाने लगी। वो मुझे ऊपर की तरफ दबाने को बोल रहे थे।
मेरे हाथ कापने लगे थे। जैसे मेरे हाथ उनके लंड के पास जाते मैं और काप जाती। लेकिन फिर मैंने हिम्मत करके उनके लंड को छु ही लिया। बापरे कितना सख्त था उम्म्म्म और गरम भी। लंबा तो दिख ही रहा था पर छूने से पता चला की वो कितना जाड़ा था उम्म्म्म मेरी चूत में से लहर दौड़ने लगी थी।
मैं बार बार उसे छु रही थी। उन्होंने अंदर अंडरवियर नहीं पहनी थी। अब मैं उसे अपनी उंगलियो में पकड़ लेती। अह्ह्ह्ह्ह सीसीसीसी मैं बता नहीं सकती क्या मस्त फीलिंग थी वो।उन्होंने अपना हाथ आगे बढ़ाया और मेरी गांड को छु लिया। वैसे ही मै उचक पड़ी और खड़ी हो के मैंने हड़बड़ी में कहा “दादाजी मैं जा रही हु मुझे नींद आ रही है।”
वो:= क्या हुआ? उनको लगा की शायद उन्होंने जल्दी कर दी।
मैं:= कुछ नहीं…
उनको समझ आ गया की मुझे बुरा नहीं लगा बस घबरा गयी हु।
वो := अच्छा 5 मिनट जरा मेरे बालो में तेल लगा दे।
मैं सोफे पे बैठ गयी जैसे कल तू बैठी थी। दादाजी भी समझ गए वो अपना सर सीधा मेरी चूत पे रख दिया मैं उनका सर अपनी चूत पे दबा दबा तेल मालिश करने लगी। मैं पागल सी हुई जा रही थी। फिर वो बोले की गर्दन की पीछे से मालिश कर दे। और टर्न हो के मेरे तरफ मुह करके बैठ गए और गर्दन झुका ली।
मैं थोडा पीछे सरक गयी, और उनकी गर्दन पे तेल लगा के मालिश करने लगी। उन्होंने अपने हाथ आगे बढ़ा के मेरी गांड पे रखे और मुझे आगे खीचा और अपना चेहरा बिलकुल मेरी चूत के ऊपर रख दिया। मेरे पुरे शरीर में करंट सा दौड़ा मैं अपने सुधबुध खो बैठी।
एक तो मैंने अंदर पॅंटी नहीं पहनी थी। वो थोडा पीछे सरके और मेरी गांड को पकड़ के और अपनी तरफ खीचा।मैं बिलकुल सोफे के किनारे पे बैठी थी और आगे सरकती तो गिर जाती। मैं अब होश खो चुकी थी। मैने उनका सर पकड़ कर गर्दन की मालिश करने लगी।
लेकिन उन्होंने अपना सर निचे नहीं झुकाया बल्कि अपने होठ मेरे चूत पे रख दिए। सीसीसीसीसीसी अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरी आखे बंद हो गयी। पहली बार कोई मर्द मेरी चूत को चूम रहा था। मैं उत्तेजना से पागल सी हो गयी थी। मैंने अपने पैरो को और खोला और उनका सर चूत पे दबाने लगी।
वो समझ गए की चिड़िया फस चुकी है। वो अब मेरी चूत को चूम रहे थे।उनके होठो और मेरी चूत में सिर्फ मेरी सलवार का पतला कपड़ा ही था। मुझे उनके होठो की गर्माहट साफ़ महसूस हो रही थी। मैं आखे बंद करके मजे ले रही थी।हम कुछ भी बोल नहीं रहे थे। वो मेरी गांड को दबा दबा के मेरी चूत चाट रहे थे।
उनकी जुबान का खुरदुरा पण मैं अपनी चूत पे साफ़ महसूस कर रही थी। मैं अपनी गांड उचका के अपनी चूत उनके होठो पे दबा रही थी। मैं उनका स्पर्श जादा देर तक सह नहीं पायी। मैं झड़ गयी। उफ्फ्ग्ग्ग सीसीसीसी आआआअ ह्ह्ह्ह बहोत अच्छा लग रहा था। जैसे मैं हवा में उड़ रही हु।वो समझ गए की मेरा हो चूका है।
मैं अब होश में आ चुकी थी। मैं झट से उठी और गर्दन को इधर उधर करके बोली दादाजी बहोत नींद आ रही है।तो वो बोले क्या हुआ? गर्दन में दर्द है क्या? आओ निचे बैठो मैं दबा देता हु। पता नहीं क्यू मैं मना नहीं कर पायी । मै निचे बैठ गयी वो मेरी गर्दन दबाने लगे।
धीरे धीरे कंधो से उनके हाथ फिसल कर सामने मेरी चुचियो की तरफ बढ़ने लगे। मै आखे बंद करके बैठी रही। वो अपने हाथ कंधो पे ले जाते और वहा से फिसला कर निचे चुचियो की तरफ। अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स सीसीसीसी उम्म्म्म मै बस मजे लिए जा रही थी।
वो हर बार अपना हाथ ज्यादा ही निचे लेके जाते। उनके हाथ मेरे कुर्ते के गले से मेरी चुचियो तक पहोच चुके थे। उन्होंने अपना एक हाथ गले में से अंदर डाल के मेरी चुचिया पकड़ ली। उम्म्म्म्म सीसीसीसी आह्ह्ह्ह मेरे मुह से सिस्कारिया निकलने लगी थी।
वो बारी बारी मेरी चुचिया मसल रहे थे। निप्प्ल्स को उंगली में पकड़ कर दबा रहे थे। उफ्फ्फ्फ्फ्फ क्या बताऊ बहोत मजा आ रहा था। उन्होंने अपना लंड सेट किया और मेरा सर पकड़ कर उसपे झुका दिया। मेरे गाल उनके लंड पे थे। मैं गाल से उनका लंड रगड़ने लगी। मेरे अंदर से अब डर निकल चूका था।
मैं मजे लेके उनका लण्ड रगड़ रही थी। फिर मैंने अपना सर टर्न करके उनके लंड पे अपने होठ रख दिए। उम्म्म्म वो उनका पैजामा प्रीकम की वजह से गिला हो चूका था। बड़ी मस्त खुशबू आ रही थी। मेरे होंठ उनके प्रीकम की वजह से गीले हो गए। मैं धीरे धीरे उनके लंड के सुपाड़े पे अपने होठ रगड़ रही थी।
फिर मैंने अपने होठ खोल के उनके सुपाड़े पे रख दिए। वो अब मेरी चुचिया जोर जोर से भींच रहे थे। जिसकी वजह से मेरे होठ अपने आप ही खुल जाते। मैंने उनका लंड का सुपाड़ा अब पैजामे के ऊपर से ही होठो में पकड़ लिया।
और टंग से उसके साथ खेलने लगी। बड़ा अच्छा टेस्ट था यार… आगे कुछ कर पाते की तेरा फ़ोन आ गया। हम होश में आये। एक दूसरे से नजर नहीं मिला पा रहे थे और नाही कुछ बोल पा रहे थे की तभी तेरी कदमो की आहट हुई और दादाजी झट से उठके कमरे की और चले गए।
रिंकी:= क्या यार सब बिगाड़ दिया तूने। थोड़ी देर बाद आती तो मै उनके कमरे में जाके उनसे चुद रही होती।
मैं:= मुझे क्या पता यार…पर क्या बात है तूने आखिर उनका लंड चख ही लिया।
रिंकी:= उम्म्म्म क्या मजा आ रहा था मै बता नहीं सकती।
चल यार 2 बज गए। सोते है अभी। मैं लेट गयी रिंकी ने जो भी बताया उससे मेरी चूत फड़फड़ाने लगी थी। काश की कल मैं भाग के ना आयीं होती तो मैं भी मजे कर लेती। खैर अब मुझे शरम छोड़ के कुछ करना होगा। क्या करना चाहिए ये सोचते सोचते सो गयी।
इधर नानाजी जैसे कमरे के अंदर आये दरवाजा बंद किया और बाथरूम में जाके लंड निकाल कर मुठ मारने लगे। कुछ ही पलो में उनका लंड ठनक ठनक कर वीर्य छोड़ने लगा। करीब 1 मिनट तक उनका लंड पानी छोड़े जा रहा था। इतना अच्छा उनको पहली बार मजा आया था मुठ मारके।
सोते सोते वो सोचने लगे चलो रिंकी तो अब जाल में फस चुकी है। उसकी चूत में अब सिर्फ लंड डालना बाकी है। फिर सोनम भी अपनी टाँगे फैला ही देगी.. अगला दिन भी रोज की तरह ही गुजरा।शाम को हम खेतो में गए। नानाजी वहा नहीं थे।
हमें लगा की शायद फिर से उसी औरत को चोद रहे होंगे। हम खेतो में इधर उधर उन्हें ढूंढने लगे। लेकिन वो कही दिखाई नहीं दिए। और खेत इतने दूर दूर तक फैले हुए थे की उनको ढूंढना थोडा मुश्किल ही था। हम थक हार के कुवे के पास आ गए। तभी नानाजी हमें कुवे के पास वाले गोडाउन से बाहर आते दिखाई दिए।
नानाजी:= अरे आज बहोत लेट हो गए तुम लोग।
रिंकी:= नहीं तो हम तो बहोत देर से आ गए और आपको ही ढूंड रहे थे।
रिंकी के मुह से निकल गया। नानाजी को समझ आ गया। वो मुस्कुराने लगे।
नानाजी:= मुझे खेतो में क्यू ढूंढ रहे थे। मैं तो यहाँ गोडाउन में इलेक्ट्रीशियन से काम करवा रहा था। अभी गया वो। अच्छा तुम दोनों अंदर आओ थोडा काम है। वो विमला भी नहीं आयी आज।
रिंकी:= (टॉन्ट टाइप) तो क्या विमला चाची वाला काम हमसे करवाओगे आज दादाजी?
नानाजी:= हा अगर तुम लोग रेडी हो तो मुझे क्या प्रॉब्लम हो सकती है!!!
रिंकी:= लेकिन हमारी अ अ अ…मतलब हम तो बहोत छोटे है और विमला चाची बहूऊओत बड़ी…तो कैसे होगा?
नानाजी:= पहले विमला भी छोटी ही थी काम कर करके बड़ी हो गयी तुम भी सिख जाओगी। अब ज्यादा बाते मत बनाओ यहाँ आओ थोड़ी हेल्प करो मेरी ये सामन थोडा ढंग से रखना है।
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उपस्स्स क्या चल रहा था ये मैं शर्म से पानी पानी हो रही थी। हम लोग अंदर गए। सब्जिया और दूसरा सामान बिखरा हुआ था वो सब हमने सही से रखने में नानाजी की हेल्प की और फिर घर आ गए। नानाजी भी हमारे पीछे आ रहे थे। रिंकी अपनी मस्त गांड हिला हिला के चल रही थी।
जब हम घर पहोंचे तो हमने देखा मामाजी दीपक को छोड़ने बस स्टैंड जा रहे थे। वो 10 दिन के लिए समर कैंप जा रहा था पुणे में। ये सब अचानक ही तय हुआ था। हमने उसे बाय बोला और वो चला गया। रात को खाने के बाद नानाजी ने मामी से कहा की वो छत पर सोयेंगे। मैंने रिंकी की तरफ देखा वो भी मेरी तरफ देखके मुस्कुरा रही थी।
रात को टीवी देखने के बाद हम रूम में गए। रिंकी बोली चल दादाजी से मिलके आते है। ऊपर दो ही रूम थी एक दीपक की और एक हमारी। और सामने पूरा ओपन था। नानाजी ने वही नीचे अपना बिस्तर लगाया हुआ था। हम लोग नानाजी के पास गए। वो सोये नहीं थे। कोई किताब पढ़ रहे थे। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं:= अरे नानाजी आप सोये नहीं अबतक? क्या पढ़ रहे थे?
नानाजी:= अरे कुछ नहीं… बस ऐसे ही।(और उन्होंने किताब निचे रख दी)
रिंकी को शक हुआ उसने वो किताब उठाई और देखने लगी। वो सेक्सी नॉवेल थी। रिंकी ने थोडा पढ़ा नानाजी ने उसे रोकने की कोशिश भी की लेकिन शायद वो चाहते थे की हम वो पढ़े।
रिंकी:= उम्म्म्म बहोत अच्छी है नॉवेल।
मैं:= अच्छा बता मुझे।
मैंने पढना सुरु किया। मैंने वो पन्ना पढ़ा जिसमे साफ़ शब्दों में चुदाई की बाते थी।
मैं := बाप रे ये क्या है? और तू बोलती है ये अच्छी है?
रिंकी:= हा मुझे तो अच्छी लगी। लगता है तूने बुरा वाला पन्ना पढ़ा।
जरा पढ़ के सुना तो क्या पढ़ा तूने?
मैं:=छी मुझे नहीं पढना। और नानाजी आप?….
मैं आगे कुछ बोल ही नहीं पायी।
नानाजी:= क्या करू बेटी? तन्हाई में कुछ तो चाहिए करने को।( अपना लंड़ दबाते हुए इस तरह की हम देख सके) और तेरी नानी की बहोत याद आती है।
मेरे मुह से अनजाने में निकल गया। “”क्यू विमला चाची है ना”””
नानाजी:=( मुस्कुराते हुए) हा है तो पर अब उसमें वो बात नहीं।
रिंकी:=वो बात मतलब?
नानाजी:= वो जो तुम दोनों में है…!!!
मेरे तो होश ही उड़ गए। लेकिन रिंकी बड़ी बेशरम हो के बात कर रही थी।
रिंकी:= हम दोनों में क्या है?
नानाजी कुछ बोल पाते इससे पहले मैंने रिंकी का हाथ पकड़ा और उसे खीचते हुए कहा “”चल न यार मुझे बहोत नींद आ रही है।””
और मैं उसे खीचते हुए रूम में ले आयीं। रिंकी ने मुझपर ग़ुस्सा करते बोला।
रिंकी:=क्या कराती है पागल मस्त मजा आ रहा था।
मैं:= पागल है क्या तू मुझे बड़ा अजीब लग रहा था। हम अकेले में भले ही बहोत बाते करते है पर यार उनसे खुले आम ऐसे बात करना बड़ा अजीब लगता ।
रिंकी:= हा पर बड़ा मजा आ रहा था।
उतने में अंकित का फ़ोन आया। रिंकी ने उसे बोल दिया की निंद आ रही है।
रिंकी ने अपने कपडे उतारे और आज उसने स्कर्ट पहना पॅंटी निकाल दी। ऊपर एक ढीला सा शर्ट टाइप टॉप पहन लिया। मैंने अपने रेगुलर नाईट ड्रेस पहना था।
मैं:= रिंकी तू ये कया पहना है?
रिंकी:= कुछ नहीं थोड़े ढीले कपडे पहने है।
मैं समझ गयी की इसके दिमाग में कोई प्लान चल रहा है। हम बिस्तर पे लेट गए। नींद हमसे कोसो दूर थी। फिर भी हम आखे बंद करके लेटे हुए थे। करीब आधे घंटे बाद दरवाजे पे टकटक हुई। रिंकी और मैं उठे। रिंकी ने मुझे इशारे से सोने को कहा और दरवाजा खोला।
नानाजी:= रिंकी जरा पानी देना तो।
रिंकी ने उनको पानी दिया। वो रिंकी को देखे जा रहे थे।
नानाजी:= सोनम सो गयी लगता है? अगर तुम्हे नींद नहीं आ रही होगी तो मेरे पैर और पीठ ‘कल’ की तरह दबा दो ना
रिंकी:= जी अभी आती हु।
मैं उठी और रिंकी से पूछा क्या हुआ?
रिंकी ने बताया और कहा की मैं आती हु थोड़ी देर में। तू मत आना उधर। रिंकी चली गयी। मुझसे नहीं रहा जा रहा था। मैं पैट से उठ के सामने दीपक की रूम में चली गयी। वहा उसके रूम का लाइट ऑफ था। उसकी रूम की खिड़की को थोडा खोल के मैं बाहर देखने लगी।
उन्होंने लाइट बंद कर दिया था पर चाँद की रोशनी में मैं साफ़ साफ देख सकती थी और उनकी बाते भी सुन सकती थी। नानाजी सिर्फ अंडरवियर में उलटे लेटे हुए थे। रिंकी अपनी स्कर्ट उठा के अपनी नंगी चूत और गांड उनके गांड पे रगड़ती हुयी उनकी पीठ दबा रही थी।
नानाजी:= उम्म्म्म बहोत अच्छा लग रहा है।
रिंकी:=क्या दादाजी?
नानाजी:= तुम्हारे नरम हाथ और नरम नरम ….वो चुप हो गए।
रिंकी:=और क्या दादाजी….रिंकी की आवाज भारी और मादक हो गयी थी।
नानाजी:=कुछ नहीं….एक काम कर थोड़ी ऊपर आ जा और कंधे भी दबा दे।
रिंकी ऊपर सरकी जिससे उसकी नंगी गांड और चूत नानाजी के कमर पे लग रही थी।रिंकी मस्त रगड़ के उनको मजा दे रही थी।
रिंकी := अब ठीक है? अब कैसा लग रहा है?
नानाजी:= ह्म्म्म अब सही है….अह्ह्ह्ह अब सब अच्छे से महसूस हो रहा है।
थोड़ी देर बाद नानाजी सीधे हुए और रिंकी को जांघे दबाने को कहा। उनका लंड बहोत तना हुआ था। रिंकी की आखे उसपे से हट ही नहीं रही थी। वो धीरे धीरे उनकी दोनों जांघे दबा रही थी। जब वो जांघे चेंज करती वो उनका लंड छु लेती। नानाजी एक टक रिंकी को देखे जा रहे थे।
फिर नानाजी ने उससे कहा की उनके हाथ और कंधे सामने से दबा दे।रिंकी ने एक पल के लिए सोचा और वो अपनी स्कर्ट उठा के नानाजी के लंड पे बैठ गयी। उफ्फ्फ्फ्फ्फ इसकी उम्मीद तो मुझे नहीं थी और शायद नानाजी को भी न होगी।
अब उसकी चूत और नानाजी के लंड में सिर्फ अंडरवियर थी। रिंकी पूरी तरह से पागल हो चुकी थी। वो नानाजी के लंड पे अपनी चूत और गांड रगड़ रगड़ के उनके कंधे दबा रही थी।और अपनी चुचिया बिलकुल नानाजी के मुह के पास ले जा रही थी।
नानाजी भी अब खुद पर से काबू खो चुके थे। उन्होंने अपने हाथ उसकी स्कर्ट में से आगे बढ़ाये और उसकी नंगी गांड को पकड़ कर सहलाने लगे। और निचे से अपनी गांड उचका के अपना लंड रिंकी की चूत पे रगड़ने लगे। रिंकी की गांड पहली बार नंगी उनके हाथो में थी। जिसकी वो कल्पना करते थे अक्सर।
रिंकी:= अह्ह्ह्ह दादाजी आप ये क्या कर रहे है? प्लीज छोड़ दीजिये।
नानाजी:= क्यू अच्छा नहीं लग रहा ?
रिंकी:= हा अच्छा तो लग रहा है पर सोनम आ जायेगी तो?
नानाजी ने अपना एक हाथ निकाला और उसकी पीठ पे रखा और उसे अपने ऊपर गिरा लिया। और वापस अपना हाथ उसकी गांड पे ले जा के उसे सहलाते हुए बोले
नानाजी:= तो आने दो उसे भी मजे दे देंगे।
रिंकी आखे बंद करके नानाजी का लंड और हाथो का स्पर्श एन्जॉय कर रही थी।
नानाजी ने उसके होठो को अपने होठो में जकड लिया ओर उसे चूसने लगे। रिंकी भी अपनी चूत उनके लंड पे रगड़ रगड़ के उनका साथ दे रही थी।
नानाजी:= एक बात बताओ (रिंकी के ओंठो को छोड़ते हुए) कभी किसी से चुदी हो?
उफ्फ्फ्फ़ नानाजी के मुह से ये बात सुनके रिंकी की उत्तेजना और बढ़ गयी। वही हालात मेरी भी थी। मेरी चूत बहोत गीली हो चुकी थी। मैंने अपनी नाईट पैंट निचे कर दी थी और लगातार चूत के दाने को मसल रही थी।
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रिंकी:=उम्म्म क्या दादाजी आप भी…!!! नहीं दादाजी आज तक मैंने कभी किसी को छूने तक नहीं दिया।
नानाजी:= तभी इतनी तड़प है तुम्हारी चूत में…
रिंकी:= उम्म्म चुप कीजिये ना… ऐसी बाते मत कीजिये मुझे कुछ होता है।
नानाजी:=कहा ?
नेह:= यहाँ नीचे (वो एकदम नानाजी के आखो में आखे डालके धीरेसे बोली.)
नानाजी:=नीचे कहा …बताओ..।
रिंकी= मुझे नहीं पता… रिंकी शरमा के अपनी आखे बंद कर ली।
नानाजी:=(नानाजी उसका चेहरा चीन से पकड़ के ऊपर उठाते हुए) बताओ सिर्फ एक बार…
रिंकी:= अपनी आखे खोलके बड़ी ही सेक्सी अदाओ से देखते हुए धीरे से….मेरी चूत में…अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
नानाजी:=उफ्फ्फ्फ्फ्फ स्सस्सह्ह्ह् कहते हुए उसे जकड़ लिया और पलट के उसके ऊपर आ गए। क्या मस्त लगा तुम्हारे मुह से सुनके।
और फिर नानाजी उसे बेतहासा चूमने लगे।रिंकी भी उनको ऐसे लिपट गयी जैसे नागिन चन्दन के झाड़ से लिपटती है। नानाजी ने उसके शर्ट के बटन खोल दिए। और उसके बड़े बड़े आम देख के नानाजी के होश उड़ गए। वो उसे हाथो में लेके बोले “” आह्ह्ह उम्म्म ऐसी चुचिया तो पहली बार देख रहा हु उम्म्म मजा आ गया””
रिंकी:=अह्ह्ह्ह धीरे ना दर्द होता है….आपके लिए ही है कही भागी नहीं जा रही।
नानाजी:= हाय मेरी जान ऐसा कड़क माल देख के किसको सब्र होता है।
नाना जी रिंकी की चुचियो पे किसी भूखे जानवर की तरह टूट पड़े। वो चुचियो को जोर जोर से भींचने लगे। रिंकी अह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्सस्सस्स करके उस मीठे दर्द का मजा लेने लगी। नानाजी ने उसकी चुचिया बारी से चूसना सुरु किया.
उसके निप्पल्स को जैसे नानाजी ने अपने होठो में पकड़ा रिंकी आआह्ह्ह्ह्ह्ह् ऊऊऊईईए माआआआ करके नानाजी का सर पकड़ के जोर से अपनी छातियो पे दबाने लगी। रिंकी अब पूरी तरह मदहोश हो चुकी थी। उत्तेजना में वो किसी बिन पानी के मछली जैसे तड़प रही थी। और नानाजी के होठ उसके लिए आग में घी का काम कर रहे थे।
रिंकी:= उफ्फ्फ आह्ह्ह्ह दादाजी अह्ह्ह उम्म्म बहोत अच्छा लग रहा अह्ह्ह्ह और चूसिये ना अह्ह्ह
नानाजी ने अब अपना मोर्चा उसकी चूत की और ले गए।उन्होंने उसका स्कर्ट उठाया और टाँगो को फैलाके उसकी गुलाबी चूत को देखने लगे।चाँद की रोशनी में उसकी भीगी गुलाबी चूत किसी मोती की तरह चमक रही थी। नानाजी उसकी उस मदमस्त कुवारी चूत को देखे जा रहे थे।
रिंकी:= उम्म्म्म्म क्या देख रहे हो दादाजी?
नानाजी:= उफ़्फ़ग क्या क़यामत है तुम्हारी चूत अह्ह्ह्ह आज तो जन्नत जैसा मजा आ गया।
रिंकी:= सिर्फ देखकर ही….उसे छुओगे तो क्या होगा आपका?
नानाजी:= आज तो मैं इसे छुवुंगा भी और अपने लंड से चोदुंगा भी। देख कैसे हिचकोले खा रहा है अपनी पोती की चूत देखकर कमीना कही का।
ऐसा बोलके नानाजी ने अपनी अंडरवियर निकाल दी और अपना तना हुआ लंड लेके रिंकी के पास गए रिंकी उठ के बैठ गयी और उसे पकड़ते हुए कहा….
रिंकी:=उम्म्म ऐसे कमीना मत कहिये ना कमीनी तो मेरी चूत है जो जब से इसे देखा है तब से मुँह में पानी लिए इसके पीछे पड़ी है।
रिंकी ने उनका लंड हाथ में पकड़ा हुआ था वो इतना बड़ा था की उसके हाथ में भी नहीं समां रहा था। वो उसकी स्किन को पीछे करके अपनी नाक उसके पास ले गयी उसकी खुशबू से रिंकी पागल हो उठी। नानाजी भी उसके कोमल हाथो का स्पर्श अपने लंड पे पाके मदहोश हो गए।
इधर मैं भी होश खो चुकी थी। नानाजी का लंड देखके मेरे होश उड़ गए। मेरी चूत अब पूरी गीली हो चुकी थी। मन तो किया की जाऊ और मैं भी उनमे शामिल हो जाऊ। पर हिम्मत नहीं जुटा पायी।
नानाजी := हा कमीनी तो है ही तेरी चूत कल थोडा सा पानी चखा के भाग गयी। आज तो इसे निचोड़ निचोड़ के चखूंगा।….. नानाजी रिंकी की चूत को सहलाते हुए कहा।
रिंकी:=अह्ह्ह्ह सीसीसीसी उम्म्म हा दादाजी आज इसका सारा रस निचोड़ लीजिये अह्ह्ह्ह आज नहीं भागेगी ये।
नानाजी अब उठे और रिंकी चूत के पास आके बैठ गए। उसको चौड़ा करके अपना लंड उसकी चूत के पास ले गए और उंगिलयों से उसके लिप्स को अलग किया और लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के अंदर के गुलाबी हिस्से पे रगड़ने लगे उसकी चूत का गिलापन और अपने लंड का गीलापन मिक्स करने लगे।
रिंकी:=अह्ह्ह उम्म्म्म स्स्सस्ससीसीसी अहह मर गयी उफ्फ्फ आउच अह्हब्बहोत अच्छा लग रहा है उम्म्म्म
नानाजी थोड़ी देर ऐसे ही करते रहे। मैं सांस रोके ये सब देख रही थी मुझे लगा की नानाजी अब अपना लंड रिंकी की चूत में डाल देंगे। लेकिन वो अपना लंड वहा से हटा लिया और अपनी जुबान से चाटने लगे। नानाजी रिंकी की चूत को उंग्लियो से फैला के चाट रहे थे चप चप चप ऐसी आवाज निकल रही थी। वो कभी ऊपर से निचे और फिर निचे से ऊपर अपनी जुबान चला रहे थे। वो रिंकी के क्लिट को होठो में पकड़ क़र चूसते तो कभी काटते।
रिंकी:=इस्स्स्स ऊऊह्हह्हह म्मम्म माँ मर गयी अह्ह्ह्ह्ह हां उम् ऐसेही ह धीरे ना अह्ह्ह्ह और और हा अह्ह्ह्हबहोत अच्छा अजह्ह्ह् लग राहाआआआ है उम्म्म काटिये मत ना उम्म्म्म डालिये ना अन्दरह्ह्ह्ह्ह्
नानाजी बड़े प्यार से अपनी पोती की चूत का रसपान कर रहे थे। अपनी जुबान रिंकी की चूत में अंदर तक डाल दी और चोदने लगे अह्ह्ह्हूम्मम्ममआऔऊम्मम सपसप. रिंकी ऐसी कलाबाजी के आगे टिक नहीं पायी और नानाजी का सर अपने चूत में जोर से दबा के उनके मुह में ही झड़ने लगी।
रिंकी:=हाआआआ उम्म्म और तेज अह्ह्ह्ह मई तो गयी अह्ह्ह्ह्ह्ह.
नानाजी उठे और रिंकी के पास गए और उसे किस्स करने लगे। जब रिंकी नार्मल हुई तो उसने आखे खोली।
रिंकी:=ओह्ह्ह दादाजी आज तो मजा आ गया। उफ्फ्फ्फ्फ़ कमाल के हो आप सच में।
नानाजी:= ह्म्म्म अभी तो शुरूवात है। आगे आगे देखो और भी मजा आएगा।
ऐसा बोल के नानाजी ने रिंकी का सर अपने लंड की और धकेल दिया। रिंकी समझ गयी उसे क्या करना है। उसने नानजी को लेटाया और उनका लंड अपने मुह में भर लिया और उसे आराम से चूसने और जुबान से चाटने लगी। लंड इतना लंबा था की जब रिंकी उसे मुह में लेती आधा ही अंदर जा पाता। रिंकी अब सिर्फ उसका सुपाड़ा ही मुह में लेके चूस रही थी और बाकी हिस्से को अपने मुट्ठी में पकड़ कर ऊपर निचे कर रही थी।
नानाजी:= उम्म्म अह्ह्ह्ह रिंकी ऐसेही मेरी जान उम्म्म क्या मस्त चूस रही हो तुम अह्ह्ह्ह।
नानाजी ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और रिंकी की चूत को सहलाने लगे। फिर उन्होंने रिंकी को अपने मुह पे बिठा लिया और फिरसे उसकी चूत चाटने लगे अह्ह्ह्ह्ह्ह कितना भी चाटो रिंकी तुम्हारी चूत को मन ही नहीं भरता अह्ह्ह्ह और तुम्हारी गांड अह्ह्ह्ह इसको तो मैं जिंदगी भर सहलाता रहु तो भी मन नहीं भरेगा।
रिंकी:=उम्म्म्म्म हा दादाजी आपका लंड भी बहोत अच्छा है। इतना लंबा और गरम अह्ह्ह्ह्ह चूस के तो मेरा रोम रोम चहक उठा है। दादी बड़ी खुशकिस्मत थी जो रोज इस लंड से चुदती थी अह्ह्ह्ह्ह.
दोनों अब वासना की आंधी में घिर गए थे।रिंकी नानाजी का लंड और नानाजी रिंकी की चूत पागलो की तरह चूसे जा रहे थे। रिंकी फिर एक बार पानी छोड़ चुकी थी। नानाजी भी बस अब झड़ने वाले थे। उन्होंने रिंकी को लेटाया और उसके मुह में ऊपर लंड डाल उसका मुह चोदने लगे।
और 4, 5 झटको में मे ही अपना सारा पानी रिंकी के मुह पे छोड़ने लगे। और जब सारा पानी निकल गया तो निढाल हो के बाजू में गिर पड़े। रिंकी के मुह पे इतना वीर्य छोड़ा था नानाजी ने उसकें मुह फिसलता हुआ उसके चूचियो पे आ रहा रहा था।
मैं इधर उनके चूत चटाई और लंड चुसाई खेल में अपनी चूत रगड़ रगड़ के दो बार झड़ चुकी थी। मैंने आखे बंद की और सोचने लगी जैसे नानाजी ने मेरे चहरे पे उनका पानी गिराया हो। मेरी तंद्रि टूटी नानाजी के फ़ोन की कर्कश रिंगटोन ने। विलास चाचा का फ़ोन था।
नानाजी के खेत के बाजू के खेत में जंगली सूअर और दूसरे जानवर घुस गए थे। नानाजी ने फट से कपडे पहने और रिंकी को कहा की “मुझे जाना पड़ेगा क्यू की विलास के पास बन्दुक नहीं है तुम्हारी चूत को बोलना की उसकी चुदाई उधर से आने के बाद होगी.
नानाजी चले गए और रिंकी उनके वीर्य में नहाईं नंगी वही पे लेटी रही। मैं रूम से निकल के रिंकी के पास गयी। वो बेसुध लेटी हुई थी जैसे शराब के नशे में हो। उसकी आखे बंद थी। उसका बदन नानाजी के वीर्य से लथपथ था। चाँद की रोशनी में चमक रहा था। मैंने उसे आवाज दी। उसने आखे खोली और मेरी तरफ देख के मुस्कुराने लगी।
मैं:~ रिंकी क्या बात है मेरी जान आज तो मुझे लगा की नानाजी चोद ही देंगे तुझे।
रिंकी:= तू सब देख रही थी? रिंकी ने उठते हुए रजाई से अपने आप को ढकते हुए पूछा।
मैं:= वो सब छोड़ चल अंदर साफ़ कर खुद को बाकी बाते बाद मे करते है।
हम लोग रूम में आये रिंकी ने खुद को साफ़ किया और आके बेड पे लेट गयी।
मैं:=रिंकी की बच्ची बड़े मजे किये तूने आज। मेरा मन भी कर रहा था यार की मैं भी आ जाऊ पर वो नानाजी का लंड देखके हिम्मत ही नहीं हुई।
रिंकी:= अरे पागल कुछ नहीं होता लंड जितना बड़ा उतना ही मजा आता है।
मैं:= बात तो ऐसे कर रही है जैसे बहोत लंड लिए बैठी है।
रिंकी:= लंड नहीं लिया तो क्या हुआ पर पता तो है ना। और रुक थोड़ी देर दादाजी को आने दे अभी तो सबसे पहले लंड ही डालने को बोलती हूँ चूत में।
मैं:= तू कर इंतजार अपने यार का मैं तो सो रही हूँ… बहौत नींद आ रही है। पर मुझे उठा देना।
सुबह जब मेरी आँख खुली तो देखा 8 बज चुके थे। रिंकी मेरे पास नहीं थी। मैं नीचे गयी तो वो किचन में थी। मैंने उसके पास जा के पूछा तो उसने बताया की नानाजी अब तक नहीं लौटे है। मैंने नास्ता किया और नहाके वापस आयीं तो देखा की नानाजी अब तक नहीं लौटे थे। उनका फ़ोन भी नहीं लग रहा था।
मामाजी उनको देखने के लिए खेतो में गए हुए थे। थोड़ी देर बाद हमने देखा की विलास चाचा नानाजी को सहारा देते हुए ला रहे थे। उनके कमर पर पट्टा लगा हुआ था। नानाजी को हमने सहारा देते हुए उनके कमरे में ले जाके सुला दिया।
विलास चाचा ने बताया की नानाजी का पैर गड्ढे में जाने की वजह से उनकी कमर में मौच आ गयी है डॉक्टर ने कहा है की आराम करने से दो दिन में ठीक हो जायेंगे। मुझे बहोत बुरा लग रहा था। मैं नानाजी के पास जाके बैठ गयी। नानाजी ने मेरा चेहरा देखा वो बोले…
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नानाजी:= अरे कुछ नहीं है ये दो दिन में ठीक हो जायेगा और अब दर्द भी नहीं है बस थोडा हिलने में दिक्कत होती है।
मैं:= फिर भी नानाजी मुझे आपको ऐसा देखने की आदत नहीं है।
नानाजी:= फिर कैसा देखने की आदत है? बोलो कैसे देखना चाहती हो मुझे?
नानाजी बेड पे लेटे हुए थे पर अब भी सेक्स का भूत उनके सर से नहीं उतरा था। मैंने भी अब तय कर लिया था की बेशरम बन के ही मजे लुंगी।
मैं:= जैसा आप सोच रहे हो वैसा ही देखना चाहती हूँ।
नानाजी:= मैं तो तुमसे पूछ रहा हु। तुम बताओ। तुम जैसा मुझे देखना चाहोगी वैसे दिखा दूंगा। मैं तो बहोत कुछ सोचता हु।
मैं:= अच्छा? क्या सोचते हो आप?
नानाजी:= अब मैं क्या क्या बताऊ की मैं क्या सोचता हु।
मैं:= सब बता दीजिये।
नानाजी:= सब बताऊंगा तो तुम भाग जाओगी।
मैं:=नहीं भागूंगी अब….
नानाजी:= ह्म्म्म बहोत बहादुर हो गयी हो….
मैं:= हा वो कल रात को रिंकी को और आप को……..मेरे मुह से अचानक निकल गया।
नानाजी:= क्या क्या?…. ओह तो तुम सब देख रही थी।
मैं:= (शरमाते हुए) हा वो अअ..आ.. हा सब देख लिया।
नानाजी ने मेरे हाथो पे हाथ रखा और उसे सहलाने लगे।
नानाजी:= फिर मजा आया देख के?
मैं:= मुझे नहीं पता….(मैं शरमा के दूसरी ओर देखने लगी)
नानाजी:= सोनम सच कहूँ तो … रिंकी के बारे में मैंने कभी नहीं सोचा था। जब से तुम आयीं हो बस तुम्हारी ये बड़ी बड़ी चुचिया मेरी नजरो से हटती ही नहीं। ना जाने कितनी बार इनके बारे में सोच के मैंने अपना पानी निकाला है।
नानाजी बहोत ही खुलके बात कर रहे थे। मैं भी अब सब शर्मो हया छोड़ के उनसे नजरे मिला के बात करने लगी।
मैं:= इतनी पसंद है आपको मेरी चुचिया?
नानाजी:= हा सोनम…. बेहद पसंद है।
मैं:= तो सब दिखा दूंगी आपको आप एक बार ठीक हो जाइए।
नानाजी:= देखने या छूने के लिए कमर की जरुरत नहीं है ना….।
मैंने उनका हाथ उठा के अपनी चुचियो पे रख दिया और आखे बंद कर ली। नानाजी मेरे टॉप के ऊपर से ही मेरी चुचिया सहलाने लगे।धीरे धीरे एक एक करके दबाने लगे। मैं उनके हाथो के सख्त स्पर्श से सिहर उठी मेरे रोम रोम में मस्ती सी छाने लगी।
नानाजी:= आओह्ह् सोनम आहा कितनी अच्छी है ये…. इतनी बड़ी है और कितनी सख्त है दबाने में जो मजा आ रहा है उससे पुरे बदन में एक ताकत सी महसूस हो रही है। और देखो जरा मेरा घोडा कैसे उड़ने लगा है।
मैंने उनके लंड को पकड़ा उफ्फ्फ्फ्फ़ किसी बड़े के रॉड जैसा प्रतीत हो रहा था। वो इतना गरम था की उसकी गर्माहट मुझे कपड़ो में से महसूस हो रही थी। मैं उसे मुट्ठी में पकड़ने की कोशिश कर रही थी पर वो मेरी मुट्ठी में भी नहीं समां रहा था।
मैं:= उम्म्म नानाजी कितना बड़ा है आपका…. ऐसा तो कभी मैंने किसी मूवी में भी नहीं देखा।
नानाजी:= कौन सी मूवी?
मैं उन्हें कुछ बता पाती उतने में किसी के कदमो की आहट हुई। हम लोग संभल के बैठ गए। रिंकी नानाजी के लिए खाना लायी थी। हमने नानाजी को सहारा देके बिठाया और उनहोंने खाना खाया। फिर हम थोड़ी देर बैठ के बाते करते रहे फिर नानाजी सो गए।
हम भी अपने कमरे में जाके आराम करने लगे। नानाजी के पास मामाजी और मामी थे। रात के खाने तक मामाजी और मामी नानाजी के पास मंडराते रहे। लेकिन रात को सोने के वक़्त रिंकी ने उनसे कह दिया की मैं और सोनम दादा जी के पास रुकेंगे। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मामा ने मना किया तो नानाजी ने उनको कह दिया की उन्हें 2 दिन खेतो का काम संभलना है और वो आराम करे। मामा जी उनकी बात को नहीं टाल सके। हमने अपना बिस्तर निचे जरूर लगाया था। पर हम नानाजी के दोनों तरफ से जाके पैर लंबे करके पलंग से पीठ टीकाके बैठे हुए ऐसे ही हँसी मजाक की बाते कर रहे थे। नानाजी अचानक से दोपहर वाली बात का जिक्र करते हुए बोले…..
नानाजी:= अरे सोनम तुम दोपहर में किस मूवी की बात कर रही थी?
रिंकी:= क्या मूवी दादाजी ? क्या बात कर रही थी?
नानाजी := अरे ये बता रही थी मेरे जैसा लंड उसने किसी मूवी में भी नहीं देखा।
रिंकी:= क्या? ऐसी बाते करती है तू अपने नानाजी से? तुझे शर्म नहीं आती?
रिंकी मुझे झुठमुठ का डाँटते हुए बोली।
मैं:= तू चुप कर… मैं तो सिर्फ बाते कराती हु तू तो ना जाने क्या क्या कर बैठी है।
नानाजी:= अरे झगड़ा क्यू कर रही हो … सोनम तू बता क्या बोल रही थी?
रिंकी:= हम तो ऐसे ही मजाक कर रहे थे दादाजी।
मैं:= वो नानाजी वैसी वाली मूवी होती है ना उसकी बात कर रही थी।
हम तीनो अब ऐसे पेश आ रहे थे एक दूसरे के साथ जैसे बहोत अच्छे दोस्त हो। जिनमे कोई पर्दा नहीं कोई लिमिटेशन नहीं। जैसे मैं और रिंकी थे।
रिंकी := कैसी मूवी सोनम? जरा खुलके बता ना।( रिंकी मेरी टांग खीचने के हिसाब से बोली)
नानाजी:= हा सोनम अछे से बता।
मैं:= वो चुदाई वाली मूवी…. मैं झट से बोल दिया।
वो दोनों हस पड़े। मैं भी फिर हँसने लगी।
नानाजी:= क्या होता है उसमे मैंने तो कभी नहीं देखी चुदाई वाली मूवी।
मैं:= हा बनिए मत हमें पता है की आप कितने बड़े चोदु है।
ऐसी बाते करना बड़ा अजीब लग रहा था अपने नाना के साथ पर एक अजीब सी लहर दौड़ जाती शरीर में जो सीधा चूत तक जाके खत्म होती।
नानाजी:= चोदु? क्यू मैंने ऐसा क्या किया?
मैं:= हमने देखा था आपको वो विमला चाची को चोदते हुए। कितनी गन्दी थी वो और उनकी चूत….छी..।
नानाजी:= अगर मुझे पता होता की तुम दोनों अपनी चूत फैलाये मेरे लिए बैठी हो तो मैं क्यू चोदता उसको।
रिंकी:= हमें भी कहा पता था की आप हमें चोदने के लिए रेडी हो… इसका तो पता नहीं पर मैं तो बहोत पहले ही आपका लंड ले लेती।
रिंकी ने ऐसा बोल के नानाजी का लंड पकड़ लिया और उसे दबाने लगी।
नानाजी:= सच कहते है लोग की पोती नातिन अपने दादी और नानी का दूसरा रूप होती है।
मैं:= नानाजी बताईये ना हमें नानी के बारे में…. वैसे तो हम जानते ही है पर वो चुदाई में कैसी थी?
नानाजी:= क्या बताऊ बेटा वो कैसी थी। वो बहोत ही कामुक औरत थी। उसे जबतक दिन में एक बार और रात को दो बार ना चोदु उसे अच्छा ही नहीं लगता था। उसकी वजह से ही तो मैं भी इतना चोदु बन गया हु। उसे खुश रखने के लिए मुझे कसरत करके खुद अभी तक तंदरुस्त रखना पड़ा।
वो भी मुझे अच्छा सेहतमंद खाना और उसे ना जड़ी बूटियों की बहोत जानकारी थी। वो मुझे उन जड़ी बूटियों का रस पिला पिला के मेरी काम शक्ति को बहोत बड़ा दिया था। वो बहोत ही सुन्दर थी ये तो तुम भी जानते हो पर वो उतनी ही मन से अछि थी। जब तक वो अछि थी मुझसे खूब चुदवाती थी।
लेकिन जब उसे उस लाइलाज बिमारी ने जकड़ा तो उसमे ताकत नहीं रही लेकिन उस वक़्त भी उसने मेरे लिए विमला का इंतजाम किया। विमला का पति उसे सुख नहीं दे पाता था। उसने मेरे हर सुख दुःख में मेरा साथ दिया पर वो मुझे अकेला छोड़ के चली गयी ये बाते बताते हुए उनकी और हमारी भी आंखे भर आयीं। वो चुप हो गए नानी की यादो में खो गए।
रिंकी ने माहोल को थोडा हल्का करने के लिए हँसते हुए कहा…
रिंकी:= वाओ दादाजी दादी ने आपके लिए विमला चाची को सेट किया था।
मैं:=ह्म्म्म मतलब विमला चाची को आप तबसे चोदते आ रहे हो… और उनका बेटा मेरा मामा है?
ये सुनके हम सब हस पड़े।
रिंकी:= नानाजी और बताईये ना दादी के बारे में.. आपकी सुहागरात और (आँख मारते हुए) विमला चाची के साथ पहली बार चुदाई वाली कहानी।
नानाजी:= क्या बताऊ बेटा…. जवानी में वो किसी अप्सरा से कम ना थी। उसकी चुचिया बिलकुल सोनम जैसी थी गोल और बड़ी मैं घंटो उनसे खेलता रहता।
और गांड बिलकुल तुम्हारी(रिंकी) की तरह थी। मन तो करता की दिन रात उसकी गांड को सहलाते रहूँ। उसकी दरारों में लंड डाल के सोता था मैं। हमारी सुहागरात के वक़्त वो बड़ी सहमी सहमी सी थी। लेकिन जब मैंने उसके बदन को नंगा करके एक बार चोदा तो वो एकदम खुल गयी।
उस रात मैंने उसे चार बार चोदा। उफ्फ्फ्फ़ क्या क़यामत की रात थी वो। उसके होठों में जैसे जादू था मेरा लंड चुसके दो मिनट में खड़ा कर देती थी। उसे रिंकी की तरह मेरे लंड का पानी बहोत पसंद था। और विमला को जब मैंने पहली बार चोदा था वो दो दिन तक ठीक से चल नहीं पायी थी। उसकी जवानी भी लाजवाब थी। अब तो उसकी चूत का भोसड़ा बन गया है। भोसड़ा शब्द सुनके मेरी हँसी निकल गयी।
रिंकी:= चुप कर ना… और किस किस को इस लंड से पेला है आपने?
नानाजी :=वैसे तो बहोत औरतो को चोदा है पर तुम्हारी दादी के अलावा मुझे सबसे ज्यादा मजा आया था वो थी अपने गाव की टीचर…. उसने मुझे और विमला को खेतो में देख लिया था। वो भी मेरा लंड देख के उससे चुदने को बेकरार हो गयी थी। उम्म्म्म्म क्या चूदी थी वो अह्ह्ह्ह्ह ऐसे मटक मटक के कूद कूद कर रंडियो की तरह उसने मुझसे चुदवाया था। 6 महीने थी वो यहाँ लेकिन हर रात को मुझसे चुदवाती थी। कभी अगर मैं उसके घर ना जा सका तो वो रात को खेतो में चली आती थी। बहोत ही चुद्दकड़ थी वो।
रिंकी:=क्यू दादाजी आप को कल रात मेरे साथ मजा नहीं आया क्या?
नानाजी:=अरे बहोत मजा आया …तुम दोनों के साथ मुझे बहोत मजा आया। इसलिए तो कह रहा हूँ की तुम दोनों मुझे मेरी बीवी की याद दिला देती हो।
मै:=लेकिन मेरे साथ तो आपने कुछ किया ही नहीं।
नानाजी:= उस रात तुम भाग नहीं गयी होती तो तुम्हारे साथ भी कर लेता। कोई बात नहीं आज कर लो जो करना है।
मैं:=मुझे तो आपका लंड चूसना है सब से पहले…मैं बेशर्मो की तरह उनका लंड दबाते हुए बोली।
नानाजी:=तो चुस लो मैंने मना किया है क्या?
नानाजी की बाते सुनके वैसे ही मै बहोत उत्तेजित थी। मैंने उनका पैजामा धीरे से निकाल दिया और उनका नंगा लंड पहली बार अपने हाथो में पकड़ा उफ़्फ़्फ़ग़ाफ़ झटका सा लगा उम्म्म्म। मैंने उसकी स्किन को पीछे किया और देखा उसका सुपाड़ा प्रीकम से भीगा हुआ था।
मैंने उसे स्मेल किया आह्ह्ह उम् क्या मस्त खुशबू थी। मैंने उनका प्रीकम अपने अंगूठे से सुपाड़े पे फैलाया और गप से सुपाड़ा मुह में भर लिया। नानाजी आह्ह्ह्ह्ह् स्स्स्स्स् की आवाजे करने लगे। मैं इत्मिनान से धीरे धीरे लंड को चूसने लगी।
रिंकी भी नानाजी को किस्स्स कर रही थी और नानाजी उसकी चुचिया मसल रहे थे। रिंकी ने अपने कपडे उतार दिए और नानाजी के मुह में अपना निप्पल घुसेड़ दिया। नानाजी सीधे लेटे हुए थे उनकी मूवमेंट नहीं कर पा रहे थे।
फिर भी रिंकी की चुचिया मुह में भर के चूस रहे थे। और मैं इधर उनका लंड ऐसे चूस रही थी जैसे फिर कभी मुझे नहीं मिलेगा। मुझे नानाजी के लंड का सेंसिटिव पॉइंट मिल गया जिसे जुबान से चाटते ही नानाजी अह्ह्ह्ह्ह्ह कर उठे।
नानाजी:= ओह्ह्ह्ह्ह्ह सोनम उम्म्म्म कहा छु लिया तुमने उफ्फ्फ्फ़ मजा आ गया।
मैंने देखा रिंकी नंगी नानाजी के पास लेटी है। उसने मुझसे “”कहा मुझे भी तो बता जरा कहा छु लिया तूने। वो उठके मेरे पास आयीं मैंने उसे दिखया तो वो भी उसे जुबान से चाटने लगी… नानाजी “अह्ह्ह्ह स्ससीसीसी मत करो अह्ह्ह्ह” करने लगे।
रिंकी:= उम्म्म अह्ह्ह अब पता चला दादाजी आपको जब आप मेरे क्लिट को काट रहे थे तब कैसा लगा होगा मुझे.
नानाजी:=हम्म्मह्ह् हा मेरी जान सीसीसीसी
मैं और रिंकी अब दोनों बारी बारी उनका लंड चूस रहे थे। मैं अपनी चूत को सहलाने लगी तो नानाजी बोले “क्या हुआ सोनम चूत में खुजली शूरु हो गयी क्या आओ यहाँ मेरे पास लेकिन उसके पहले ये अपनी मस्त चुचिया तो दिखाओ मुझे।”
मैंने शरमाते धीरे धीरे सारे कपडे उतार दिए। उफ्फ्फ्फ़ पहली बार किसी मर्द के सामने नंगी खड़ी थी मैं। अह्ह्ह्ह्ह ।
नानाजी := उफ्फ्फ सोनम क्या जिस्म पाया है तुमने अह्ह्ह आओ यहाँ आओ मेंरे पास।
मैं उनके पास जा के लेट गयी। वो मेरी चुचियो को पकड़ कर मसलने लगे मैं मस्त हो के आखे बंद करके उस अहसास को अपने जेहन में कैद करने लगी। उम्म्म्म अह्ह्ह्ह धीरे ना नानाजी उफ़्फ़्फ़्फ़ग आउच अहह ऐसी आवाजे मेरे मुह से अपने आप निकलने लगी.
फिर नानाजी ने मेरी चुचियो को अपने तपते हुए होठो में पकड़ लिया अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म और वो उनको बारी बारी इस अदा से चूसे जा रहे थे की मेरी चूत तक उसकी लहर दौड़ रही थी। मैं उनके मुह में अपनी चुचिया दबाये जा रही थी और उनका हाथ पकड़ के अपनी चूत पे दबा रही थी।
लेकिन पोजीशन ठीक नहीं होने के कारण उनका हाथ मेरी चूत तक नहीं पहूँच रहा था। मेरी छटपटाहट देख रिंकी लंड चूसना छोड़ बोली…”हाय रे देखो तो जरा मेरी बहन किस तरह तड़प रही है हाय… दादाजी कुछ कीजिये नहीं तो बेचारी ऐसेही तड़पती रहेगी।
मैं अपनी चूत नानजी के हाथ पे रगड़ती हुई बोली… “अह्ह्ह्ह्ह चुप कर सीसीसीसी उम्म्म खुद को देख जरा अपनी हाथो से अपनी चूत रगड़ रही है।”
रिंकी:= उम्म्म मेरी जान मन तो ये लंड लेने का कर रहा है पर … आज दादाजी की हालात ठीक नहीं है वरना आज तो चूत फड़वा ही लेती।
नानाजी:= सोनम तू एक काम कर यहाँ बेड को पकड़ के मेरे मुह पे बैठ जा तुम्हारी चूत चाट चाट के पानी निकाल दूंगा और कब से तरस रहा हु मैं तुम्हारी चूत का रस पीने के लिए आह्ह्ह।
मै खड़ी हो के नानाजी सर के दोनों तरफ पैर रखके और चूत जितना खोल सकती थी उतना खोल के उनके मुह पे बैठने लगी। नानाजी ने मुझे बीच में ही रोका और दोनों हाथो से मेरी चूत के लिप्स को अलग करते हुए अंदर उंगली घुमाने लगे उनके ऐसा करने से मैं पागल सी हो उठी….. “उम्म्म्म अह्ह्ह्ह नानाजीईईईईई उम्म्म्म बहोत अच्छा लग रहा है अह्ह्ह्ह”
नानाजी:= उम्म्म्म आहा क्या गुलाबी चूत है तुम्हारी सोनम उम्म्म इसके होठ बिलकुल गुलाब की पंखुड़ियों की तरह ही है उम्म्म्म एकदम पतले और कोमल।
आह्ह्ह्ह…… ऐसा बोलके उन्होंने मुझे निचे खीच लिया और मेरी चूत अपने मुह में भर लिया और अपने हाथ ऊपर लेके मेरी चुचिया मसलने लगे। उनकी जुबान का खुरदुरापन मेरी चूत की आग को भड़का रहा था। मैं उनके हाथो को पकड़ के अपनी चुचियो पे जोर से दबाने लगी.
“अह्ह्ह्हम्मम्म उईईमाआ मर गयी अह्ह्ह्ह्ह हा नानाजी ऐसेही उम्म्म और एअह्ह्ह्ह्हआःह्ह्ह्ह्हैह्ह्ह्ह् उम्म्म और चाटिये ना अह्ह्ह” मैं पागल हो चुकी थी। मैं अपनी चूत उनके मुह पे गांड आगे पीछे करके रगड़ रही थी अह्ह्ह्ह उनका सर पकड़ कर अपनी चूत दबा रही थी मुझे बहोत मजा आ रहा था…
मैं:=उम्म्म्म अह्ह्ह स्स्स्स सीसीसी अहह क्या आंनद है इस बात में उफ्फ्फ्फ़ चुदाई में इतना अह्ह्ह मजा आता है सीसी सीसी पता ही नहीं थॉ उम्म्म्म नानाजी अह्ह्ह अंदर तक डालिये ना अपनी जुबान अह्ह्ह्ह्ह्ह.
नानाजी मेरी चूत में अपनी जुबान डाल के आगे पीछे करने लगे और दूसरे हाथ से चूत का दाना रगड़ने लगे उफ्फ्फ्फ्फ्फ ये दो तरफा हमला मैं सह नहीं पायी और गांड तेज तेज हिलाते हुए नानाजी के मुह में झड़ गयी। और निढाल हो के बाजू में सो गयी।
इस दौरान रिंकी भी नानाजी का लंड चूसे जा रही थी लेकिन मेरी चीखे और आहो ने उसे बेचैन कर दिया वो खड़ी हो के नानाजी का लंड अपनी चूत पे रगड़ रही थी। उससे चूत की तड़प सहन नहीं हुई तो वो लंड का सुपाड़ा चूत में लेने लगी उसने पूरा सुपाड़ा चूत में ले लिया था.
उसे थोडा दर्द हो था लेकिन शायद वो आज लंड को चूत में लेना ही चाहती थी। उसने थोडा दबाव बनाया तो नानाजी को शायद कमर में दर्द होने लगा था। तो नानाजी ने उसे मना कर दिया। तो फिर से चूत पे रगड़ने लगी और वो भी झड़ गयी। जब हम दोनों नार्मल हुए तो नानाजी बोले “मेरा लंड तो अभी भी खड़ा है जरा उसे भी आजादी दिलवाओ.”
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अब हम दोनों ने उनका लंड अपनी चुचियो में पकड़ा और उसे ऊपर निचे करने लगे. फिर रिंकी ने उनका लंड निचे से ऊपर तक चाटते हुए उसे ऊपर निचे करने लगी और मई बीच बीच में उनके लंड का सेंसिटिव पार्ट चाट जाती जिससे वो जल्दी ही झड़ने की हालात में आ गए। रिंकी उनकी मुठ मारने लगी और हम दोनों उसका पानी अपने चहरे पे लेने के लिए बेताब हो उठे। उम्म्म्म्म फच फच सप सप करके उनकी पिचकारी मेरे और रिंकी के मुह पे उड़ाने लगे। उम्म्म अह्ह्ह्ह रिंकी उसे पुरे चहरे पे उंगलियो से फैलाने लगी और उंगली चाटने लगी।
जब रिंकी ने देखा की मैं सिर्फ आखे बंद करके उसकी गर्माहट का मजा ले रही हु तो वो मेरे चहरे से उनका वीर्य चाटने लगी “अह्ह्ह्ह्ह सोनम एक बार टेस्ट करके देख मजा आ जाएगा.” मैंने आखे खोली और रिंकी केचे हरे को पकड़ के चाटने लगी। नानाजी हमारी ये हरकते देख कर मुस्कुराने लगे.. उस रात बहोत अच्छी नींद आयीं। मेरी और रिंकी की चूत की आग कुछ हद तक कम हो जायेगी ऐसा मुझे लगा। लेकिन ये निगोड़ी चूत कहा शांत बैठती है। इसकी आग तो और भड़क उठी थी।