Garam Malkin Sex Kahani
मेरी उम्र अभी बीस वर्ष की है। मैं एक जवान मर्द हूं और एक दुकान में सेल्समैन हूं। मेरा नित्य दिन का काम है कि दुकान को सबेरे ही खोलना। मैं सुबह से ही दुकान खोलकर रखता हूं। करीब दस बजे दुकान के मालिक आकर अपना काउन्टर सम्भालते हैं और वह शाम छ: बजे ही घर चले जाते हैं। Garam Malkin Sex Kahani
मालिक के घर जाने के बाद आठ बजे तक मुझे ही दुकान सम्भालना पड़ता है। दुकान बन्द करने के बाद मैं दुकान की चाभी देने के लिए प्रतिदिन मालिक के घर जाता हूं और उन्हें चाभी सौंप देता हूं। एक दिन की बात है कि मैं दुकान बन्द करने जा रहा था।
दुकान की सारी बत्ती को बुझा चुका था और दुकान के शटर को ज्योहि गिराने वाला था कि उसी बीच एक औरत दुकान में प्रवेश की। वह दुकान में प्रवेश कर वेसलीन के साथ और भी समान लेने के लिए मुझसे बोली। मैं पुन: दुकान के अन्दर प्रवेश किया और लाईट जलाने के लिए प्रयास करने लगा।
अंधेरे में मुझे जरा भी पता नहीं चला कि मेरे साथ वह भी दुकान में प्रवेश कर गई है। मेरे पीछे पीछे वह दुकान के अंदर चली आई थी। मैं स्वीच बोर्ड की तरफ बढ़ रहा थी, लेकिन मैं स्वीच बोर्ड के पास पहुंच नहीं पाया, क्योंकि बीच में ही उसके बदन पर मेरा हाथ चला गया था।
वह अपने बदन को मझसे टकराने दी थी। मैं उसके बदन पर रगड़ पाकर चिहूंक पड़ा और बोला – सारी मैडम ! इतना कहकर मैं स्वीच बोर्ड के पास पहुंचा और दुकान की लाईट जला दिया। मैं बती जलाने के बाद उस औरत की तरफ मुड़कर देखने लगी।
वह एक पुष्ट शरीर की औरत थी और वह लगभग बसी से अधिक उम्र की थी। वह देखने में बहुत प्यासी लग रही थी और उसकी बड़ी एवं मांसलदार चुचियां ब्लाऊज के कैद से आजाद होने के लिए फड़फड़ा रही थी। मैं उस औरत को वह सामान दिखने लगा जो वह लेने के लिए दुकान पर आई थी।
वह अपनी जरूरत के सामान को छांट ली और सारे समान का भुगतान कर दी। मैं समूचे सामान को एक डिब्बा में पैक कर दिया। और वह सामान लेकर बाहर निकल गई। उस जवान युवती के बाहर निकलते ही मैं पुनः बती को बुझा दिया और दुकान के बाहर निकलने लगा.
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तभी वह पुन: दुकान में प्रवेश की और बोली- सौरी डू डिस्टर्व यू यानि तकलीफ देने के लिए क्षमा चाहती हूं। बट आइ फॉरगेट माई पर्सदी काउण्टर यानि में अपना पर्स काउण्टर पर ही भूल गई।
सौरी मैडम? यह कहकर में दुकान के अन्दर चला गया और वह भी मेरे पीछे पीछे चली आई। काउन्टर से पर्स को उठाकत उसने अपनी बाहों में बांधकर मुझे आलिंगनबद्ध कर ली। उसके द्वारा आलिंगनबद्ध करते देखकर मैं सकपका गया और सोचने लगा कि वह मुझसे क्या चाहती है।
लेकिन तुरन्त ही उसके द्वारा हरकतों को महसुस कर मैं सब कुछ समझ गया। वह मस्तानी युवती अपने हाथ को नीचे ले गई और मेरे लंड को पैंट से ऊपर से ही सहलाने लगी। इस तरह से उसकी बड़ी-बड़ी चुची मेरी छाती से दब रही थी. जिससे मैं उतेजित होने लगा।
मै उसके हरकतों का विरोध कर पाने में असमर्थ था। मेरे लण्ड में तनाव आने लगा। वह लंड को सहलाते हये मेरे पैंट को खोलकर मेरे तमतमाये लन्ड को बाहर निकाल दी। वह अपने कोमल और मुलायम उंगलियों के बीच मेरे लंड को लेकर सहलाने लगी। मैं इस तरह की हरकतों से समझ गया कि वह मुझसे चोदवाने के लिए बेचेन है।
मैं भी अपने हाथों को उसकी बड़े-बड़े चुचियों पर ले गया और ब्लाउज के ऊप से ही दबाने लगा। मुझे चुचियों का दबात देखकर वह अपने हाथ से खुद ही ब्लाउज के साथ ब्रा भी खोलकर अपने बदन से अलग कर दी। अन्धकार में उसकी बड़ी बड़ी और कड़ी चुचियां आजाद होकर फुदकने लगी थी।
मैं अन्धेरे में ही उसकी नग्न चुचियों की अपने हाथ से पकड़ कर दबाने लगा और मैं महसुस किया कि उसकी चुचियों उतेजना से तप रही थी। मैं उसकी मदस्त चुचियों को जोर जोर से दबाने लगा। और साथ मैं अपनी अंगुली के बीच कड़ी हा उठी घुन्डी को पकड़ कर रगड़ रहा था।
वह मस्तानी युवती मस्ती में सिसियाते हुए मेरे लन्ड को हाथ से पकड कर मुठिया रही थी। तभी वह मेरे लण्ड को मुठियाते हुए मेरे चेहरे की और अपना चेहरा बढ़ाती चली गई और अपने मुलायम एवं लाल होठों को मेरे गले थरथरा रहें होइठो पर चिपका कर चुमने लगीं।
वह मेरे जल रहे होठों को अपने होठों के बीच दबाकर चूस रही थी। इस तरह से हम दोनों एक लंबे अन्तराल तक एक दूसरे को चुमते रहे। जब हम दोनों की सांसें जोर से चल रही थी। तभी वह मेरे कान के पास अपने मुंह को लाकर बह फुसफुसाते हुए बोली ओह-प्लीज, फक गी यंग मेन ? ओह – नौजवान कृपा कर अब मुझे चोदो आई एम डायिंग प्लीज वी क्वीक मैं मर रही हूं कृपा कर जल्दी करो।
मैं अन्धेरे में ही मुस्कुराया और अपने हाथ से साड़ी एवं पेटीकोट को खोलना शुरू कर दिया। कुछ ही पल से साड़ी और पेटीकोट को उसके बदन से अलग कर नग्न कर दिया। मैं भी वासना की आग में जलने लगा था। उसकी मुलायम और चिकन जांघे उतेजना की उन्माद में थरथराने लगी थी।
मैं उसे नग्न करने के बाद अपने हाथ को उसकी जांघों के बीच बुर पर ले गया और धीरे धीरे सहलाने लगा। उसकी बूर पर घने बाल ऊगे थे और बूर पसीज कर चिपचिपा उठी। वह उतेजना से बिल्कुल बेचैन हो रही थी और तभी वह मेरे कन्धेको अपने हाथ से बांधकर उछल गई और अपने पैरों से मेरे कमर को बांध ली।
वह अपनी बर में लंड पेलवाने के लिए बेताब हो रही थी और इस लिए वह मेरी गर्दन को अपने लम्बे हार्थों का घेरा बनाकर मजबूती से बांधे हुए लटकी थी। इस तरह से उसकी बड़ी-बड़ी चुचियां मेरी छाती पर महसुस कर रहा था। मैं खड़े-खड़े ही उसे अपने हाथो में बांध लिया और अपनी कमर को उचकाते हुए एक धक्का मारा।
उसकी रस भरी बुर की गहराई में मेरा दस इंच का लण्ड प्रवेश कर चुका था। मैं सिहरन से भर उठा। ओह भगवान में नहीं जानता उस अनुभवी औरत का नाम क्या है। लेकिन उसकी भीगी बूर में मेरा पूरा लंड घुसा हुआ था।
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वह अपने बूर को मुझे अपने हाथों से जकड़ते हुए मेरे लंड पर चापे थी और इस तरह से मेरे लंड का ठोकर उसकी बूर की जड़ पर पर रहा था। मेरा गरदन को अपने हाथ में पकरकर अपनी बूर को लंड पर नचाने लगी वह। इस नरह उसकी बूर मेरे लंड पर नाच रही थी।
वैसे पाठको मैं सबसे पहले अपने बारे में बता दूं। मैं अपने बदन से हृष्ट पुष्ट हूं और किसी भी औरत को अपनी गोदी में उठाने में जरा भार महसुस नहीं होता है। और यही बात उस समय औरत के साथ हो रही थी। मैं खड़े-खड़े ही उस की बुर में लंड पेले हुआ था और वह मेरे बदन से चिपक कर अपनी चुतड़ को ऊपर नीचे कर धक्का मार रही थी।
मेरा मोटा एवं लंबा लंड उसकी बूर के अन्दर फचाफच जा रहा था। मैं उसके मुलायम एवं चिकने चतडों को हाथ से पकड़कर धक्के लगाने में सहयोग कर रहा था। मैं सटेचु के तरह खड़ा था और वह अपने बदन में हरकत लाते हुये धक्के मार रही थी।
बीच-बची में मैं भी अपनी कमर को उछालते हुये बूर पर धक्का मार देता। वह अपने पैरों को मेरे कमर से चिमटा की तरह लिपटाकर जकड़े हुये थी। और चुतड़ को फदकाते हुए धक्का लगा रही थी। मेर अण्डकोष उसके बूर की ओठों के दीवारों पर चोट मार रहा था।
इस समय हम दोनों की ही स्थिति वासना की आग से तप रही थी। और हम दोनों को अपने बदन का जरा भी खबर नहीं था। हम दोनों लिए बची एक विचित्र तरह की शमा बंधी हुई थी। हम दोनों का एक ही लक्ष्य था – और वह था वासना की अतिम मंजिल प्राप्त करना।
मैं खड़ा था और मेरी अजनबी डार्लिंग अपनी कमर उछाल उछाल कर लंड को बूर में लील रही थी। इस समय का दृश्य ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनों अजन्ता एक्सप्रेस का नकल कर रहे है। वह अपनी चुतड़ को घिरनी की तरह नचाते हुए और मैं उसके जबाव में अपने लंड को बूर में पेल कर धक्के का जबाव दे देता था।
मैं खडा था और मेरी अजनबी डार्लिंग कमर उछाल उछालकर लमें को बर में लील रही थी। इस समय का दृश्य ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनों अजन्ता एक्सप्रेस का नकल कर रहे हैं। वह अपनी चुतड़ को घिरनी की तरह नचाती हुई धक्के मार रही थी और मैं भी ऊपर से जोश में आकर उसे चांपे जा रहा था। मेरा अण्डरकोष बुर के होंठ के दीवारों पर ठोकर मार रहा था।
मुझे इस समय औरत को खड़े-खड़े चोदन में बहुत मजा आ रहा था इस स्थिति में मेर लंड को उसकी बर की दीवारें खीचं लेती थी। हम दोनां आपस में सुध बुध खोकर एक दूसरे के प्रति धक्का मो जा रहे थे। इसी तरह से करीब दस मिनट के उपरान्त उसकी बर से गर्म पानी का श्रोत फुटना शुरू हो गया।
वह झड़ते समय अपनी नाखून को मेर कन्धे पर दबाती चली गई और वह अपने बदन को मेर बदन से पर्ण रूप से चिपका कर लिपट गई। उसके चिपट कर लिपटने पर उसकी बड़ी-बड़ी एवं भारी चुचियों के बीच कड़ी हो चुकी धुण्डी मेरे छाती में चुभन पैदा करने लगी थी। मेरे लंड पर बूर के पानी का छिड़काव हो रहा था।
और तभी मैं भी नीचे से अपनी कमरे को उचकाते हुए खलास होन लगा। मैं अपने दानों हाथों से उसके चुतड़ों को पकड़कर अपने लन्ड पर दवा लिया। इस तरह से मेरे लन्ड का गाढ़ा पानी उसकी बूर की तह पर बौछार कर रहा था।
उसकी. बुर की गहराई में मेरा गर्म गर्म वीर्य ढेर मात्रा में गिरा था वह अपनी बुर में लन्ड के गर्म वार्प को महसूस कर सिहरन से भर उठी और इस स्थिति में वह अपनी पसीज रही बूर को मेर लन्ड पर मजबूती से दबोच ली। उसे अपनी बुर में गर्म वीर्य पाने में अच्छा लग रहा था।
कुछ पल तक मैं खड़े-खड़े अपने हाथों के भार पर उसे उठाया रहा जब हम दोनों पूर्ण रूप से सन्तुष्ट हो गये। तब मैं उसे अपने हाथों से सहारे लंड पर उतार कर नीचे कर दिया और वह भी अपने बूर से लन्ड को निकलवा कर जमीन पर खड़ी हो गई।
वह एक पल मेरी ओख देखकर एक शोखी भरी मुस्कान फेकी और तब अपने वस्त्रों को पहनने लगी। वह अपने कपड़े पहनने के बाद अपने पर्स और समान उठाई और दरवाजे की ओर मुड़ी। तभी मैं उस औरत के पास पहुंचा और अपने हाथ से उसकी बांह को पकड़ लिया। वह मेरी आंखों में झांकते हुए देखने लगी। उसकी आंखें अन्धकार में चमक रही थी।
मै उसे प्यारे चेहरे का अपने हाथों के नीचे लिया और अपने हाठों से चिपकाकर चुमने लगा। मेरा चुम्बन पाकर वह भी मुझे चुमने लगी और साथ में अपनी जीभ को मेरे मुंह में दबाने लगी। मैं अपने मुंह को थोड़ा चौड़ा कर दिया और वह अपनी जीभ को मेर मुंह में प्रवेश कर इस तरह से घुमाने लगी।
जैसे वह अपनी जीभ से मेरे मुंह में कोई चीज खोज रही हो। करीब एक मिनट बाद में उसे चुमना छोड़कर उसे अपने हाथों के बीच आजाद कर दिया। और वह मुझसे विदा लेकर दूकान से बाहर चली गई मैं अपने पेण्ट को पहनकर तैयार हो गया और दूकान बन्द कर दूकान की चाभी मालिक को देकर घर लौटा।
उस दिन के बाद वह और फिर मेरी दूकान पर नहीं आ रहे। उसके द्वारा बिताये गये क्षण मेरे दिमाग में घुमते रहते थे। मैं सप्ताह भर तक उसे भूल नहीं पाने में असमर्थ महसूस भी किया। मेरी आंखें सड़क पर टिकी रहती थी कि शायद वह पुनः मेरे नजर आ जाय।
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मैं एक बार फिर उसे पाने के लिए लालायित हो रहा था लेकिन मेरी अभिलाषा को पुर्ण होने में दिक्कत हो रही थी। मैं उस दिन के बाद से उसको याद में जलने लगा था और उसकी याद जब मेरी मानस पर आती थी। तब मेरी उतेजना भडक उठती थी वैसे दिल्ली जैसे बडे शहर में जिस्म की भूख के लिए औरत पाने में कठिनाई होती है।
और मिलने पर भी तो मेरे जैसे वर्ग के लिए कोफी दिक्कत कठिन कार्य ही था। एक दिन की बात है कि मैं अपने दूकान को समय पर ही बन्द कर दिया और दूकान की चाभी देने के लिए अपने मालिक के घर की ओर चल पड़ा।
मालिक के घर पहुचकर मैं निर्वाध गति से घर में प्रवेश किया वैसे ही मेरी नजर मालकिन के पास बैठी महिला पर पड़ी में उसे देखकर चौक पड़ा। मेरे मालकिन के पास बैठी महिला वही औरत थी जो मुझे दुकान पर मुझसे खड़े-खड़े चुदवाकर मजा ली थी।
वे दोनों आपस में गपशप कर रही थी। जब उसकी नजर मुझपर पड़ी तो वह उत्साहित होकर अपनी आंख फाड़ते हुए मुझे घुरने लगी। उसकी आंखों में चमक आ गई थी और वह साथ में वह उतेजीत होने लगी थी। वह अपनी जीभ से होठों को चाटते हुए मुझे देखकर मुस्कुराई। मैं अपने मालीक के पत्नी को चाभी देते हुए बोला- मैडम अपने दुकान का चाभी लीजीये।
मालिक के बीबी बेमन से चाभी अपने हाथ में ले ली और मैं चाभी देने के बाद पीछे की ओर मुड़ गया। मैं घर से जल्दी ही बाहर निकल जाना चाहता था, क्योंकि इस समय उसके पास वही औरत बैठी थी। मेरो दिल डर से धड़कने लगा था। तभी मेरे मालिक की पत्नी माधुरी मुझे पुकारी संदीप सूनो तुम मेरी प्यारी सीली रवीना को जानते हो? वह एक अजभरी नजरों से मुस्काते हुए मुझ से पूछी।
सवाल पर सकपका गया। मैं नहीं चाहता था कि मेरे मालिक की बीबी जान जाय की दुकान में किसी औरत को चोदा है। मैं हकलाते हुए बोला ओ मैडम मैं उसे जरा भी नहीं जानता यहां तक मैंने पहले कभी नहीं देखा है।
तुम सरासर झूठ बोल रहे हो प्यारे जिस रात दूकान में तुम मुझे घुमाया था उस रात की घटना में अपनी सहेली माधुरी को बता दी – पास में बैठी मेरे मालिक की बीबी की सहेली रवीना मुस्कुराते हुए बोली।
देखों संदीप मैं रवीना के साथ वाली घटना के बारे में सब कुछ जानती हूं। माधुरी जोरदार आवाज में बोली अब तुम जा सकते हो। लेकिन दो बजे दिन में यहां पर आना।
मैं अपनी मालकिन की कड़ी आवाज सुनकर सहम गया। मै समझ गया कि मालिक से दुकान वाली घटना बता देगी और हमको नौकरी से निकाल देगा। अपने घर से भारी मन के साथ बाहर निकला मेरे चेहरे पर उदासी छा गई थी।
आंखों में उस रात वाली घटना पुनः नाचने लगी उस दिन मेरा थोड़ा कुसुर नहीं था। रात भर सो भी नहीं सका। कई तरह के सवाल उठ रहे थे. दसूरे दिन दूकान का बन्दी था। घर पर दो बजने का इन्तजार में था। जब दो बजा मालिक के यहां चल दिया।
बन्दी थी जिससे मालिक का घर पर होना निश्चित था। भगवान के भरोसे मैं घण्टी का स्वीच दबाया। एक बच्चा आकर दरवाजा खोला। घर में प्रवेश कर ड्राइंगरूम की ओर चल परा। ड्राइंग रूम में जाने के बाद कुसी में बैठ गया और वह बच्चा रूम में चला गया।
कुछ दरे बाद वह बच्चा पुनः मेरे पास आया और मुझे रूम की ओर जाने के लिए इशारा किया था। उसके हाथ में पांच रूपया था। वह मुझे रूम ओर जाने के लिए बताया और घर से बाहर की ओर गया। मैं उस बच्चे के द्वारा बताये गये रूम की ओर चला। मेरे दिल की धडक तेज हो गयी थी।
जब मैं रूम में प्रवशे हाने लगा था ध स्कने तेज होने के कारण थे आज जरूर हमें नौकरी से छुटकारा हो ही जायेगी। जब रूम में प्रवेश किया तो मालकिन के अलावा कोई न था। वह बिछावन पर चादर ओढ़कर लेटी हुई थी। सीर्फ मालकिन का चेहरा खुला था। वह बोली संदीप आओ मेरे पास आओ !
मैं धीरे-धीरे चलते हुये उसकी बिछावन की ओर बढ़ता चला गया। अचानक दरवाजा बन्द होने की आवाज मेरे कानों में पड़ी। शायद कोई दरवाजा की सिटकनी बन्द कर रहा था। मै दरवाजे की ओर देखकर चौंक पड़ा। दरवाजा कोई दूसरा नहीं बन्द कर रहा था बल्कि वही औरत सिटकनी लगी रही थी जिसे मै दुकान में चोद चुका था।
मैं सवालिया नजर से अपनी मालकिन माधुरी को देखा और उससे पूछ बैठा- मैडम मैं नहीं जानता कि आप मुझसे क्या चाहती हैं। कृपाकर बतलाइए कि मालिक कहां हैं?
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संदीप डालिंग तुम चिन्ता मत करो। वह इस समय दिल्ली में है। हमलोगों को डिस्टर्व करने के लिये नहीं है। मैं उन्हें अपने एक परिवार के यहां फरीदाबाद भेज दिया है। तुम आज हम दोनों को एक साथ चार घण्टे तक आजाद होकरे चोद सकते हो। तुम्हारा मालिक छ: बजे शाम को घर लौटेंगे। मेरी मालकिन बिछावन पर पड़ी पड़ी बोली।
मैं – ओह मैडम आप यह क्या बोल रही हैं। मैं आपका नौकर हूं। मैं अकचका कर बोला।
और इसलिए तुमको जो मैं कहती हूं तुम्हें एक नौकर के रूप में मेरी आज्ञा को मानना है। माधुरी मेरी बातों को पूरा करते हुये बोली।
लेकिन यह औरत?
वह भी। हम दोनों साथ मजा लेगे। और तुमको उसे भी मेरे साथ चोदना होगा? लेकिन सबसे पहले तुम मुझको चोदो। मैं तुम्हारे लंड को खान के लिये तड़प रही हूं। रवीना से मालुम हुआ कि तेरा लंड मोटा होने के साथ लंबा भी, हाय प्यार संदीप आज तुम अपने मोटे और लम्बे लंड से मेरी कोमल बुर को चोदो। मालकिन मस्ती में सिसियाई।
मेरी दिल की धड़कने थम गई थी। मेरे दिल में जो भय थेवे समाप्त हो गये थे। डर से मेरा लंड सिकुड़ गया था जिसमें उछाल आना शुरू हो गया था मेरा बदन गुदगुदाने लगा था। अब मैं निफिक्र हो गया था और मैं रवीना की ओर देखा वह मुझे देख कर मुस्कुराई और मेरे पास चली आई।
वह मेरे हाठों पर अपने होठों को चिपका कर मुझे चुमने लगी और साथ ही मरे कुरते को खेलकर बदन से अलग कर दी। फिर अपने हाथ को बेलबटन पेन्ट पर ले गई और चेन को खेलकर पैंट को भी उतार दी। अब मेरे बदन पर सिर्फ अन्डरवीयर ही रह गया था।
मैं उतेजित होने लगा था। रवीना पर भी मस्ती छाने लगी थी और वह भी अपने बदन से कपडे अलग कर रही थी। सबसे पहले अपनी कमर से साडी की गांठ खोलकर अपने वदन से अलग कर फेक दी। फिर वह अपनी ब्लाउज के हुक को खोलकर हाथ से सहारे सरकाते हुए निकाल रही थी।
मैंने देखा वह ब्लाउज के नीचे ब्रेसियर नहीं पहने हुई थी। ब्लाउज ने खलने पर उसकी बड़ी और गोरी चुची आजाद होकर फुदकने लगी। जब वह अपने वदन को थिरकाते हुये अपने साये की डोरी को खाल रही थी तो उसकी चुची हिल रही थी। इस तरह वह मुझसे पहले ही पूर्ण रूप से नग्न हो गई थी। वह नग्न हो मेरे ओर बढ़ी और मेरे अण्डरवीयर को मुझसे अलग कर दी।
मेरा लंड अन्डरवीयर से आजाद होकर फुदकने लगा। मेरा लंड अब मेरे वा में नहीं था वह तनकर खड़ा हो गया था। राड के समान कड़ा हो गया था और आप डाउन करने लगा था। वह मेरे फुदक रहे लंड को अपनी हथेली पर लेकर सहलाने लगी। मेरा लंड रवीना के हाथ का सहलाहट पाकर फुफकारने लगा.
तभी माधुरी बोली – ओह रवीना – हाय। उसे मेरे पास भेजा न? हाय मेरी बुर खुजला रही है।
माई डार्लिंग – बस पहले मेरी सहेली का चोदकर शान्त करो तब मैं तुम्हें प्यार करूंगी।
मेरी सहेली तेरे लंड के लिए व्याकुल हो रही है। हाय। प्यारे उसे चोदो ? रवीना मुस्कुराते हुए बोली। मैं झिझका।
माधुरी पच्चीस वर्ष की थी और उसका एक चार पांच साल का बच्चा था जिसे वह पाच रूपया का नोट देकर बाहर भेजी थी। यदि मालिक को इन बातों की जानकारी मिल जाती हो मुझे नौकरी से छुट्टी के लिए कोई नहीं बचा सकता था।
लेकिन जब दो नौजान औरत खूद ही अपने बदन के साथ अपनी पसीज रही बुर में लन्ड पेलवाने के लिए मजबूर करे तो इसमें मेरा क्या कसुर है। वे दोनों मेरे लम्बे लण्ड को बूर में पेलवाकर सन्तुष्ट होना चाहती थी और उन दोनों को सांठ गांठ के साथ में माधुरी के | बिछावन के पास पहुंचा।
वह अब अपने बदन पर चादर ओढ़े हुए बिछावन पर चित लेटी, मेरे पहुंचने पर वह अपने बदन पर पड़ी चादर को अलग कर फेक दी। वह चादर के नीचे पर्ण रूप से नग्न होकर पड़ी थी और उस चादर हटने से माधुरी का नग्न एवं सुनहला बदन मेरी आंखों के सामने पड़ा था।
मैं उसके पुष्ट शरीर को टकर टकर ताक रहा था कि तभी मेरे मालकिन माधुरी मैडम अपने हाथ से मेरे हाथ को पकड़ ली और एक झटके के साथ मुझे अपने नग्न बदन पर खींच ली। ओह गांड़ मेरी मालकिन अपनी सहेली बनिस्पद बहूत ही सुन्दर थी।
माधुरी को बदन सांचे में ढाला हुआ था और चुचियाँ बड़ी कठोर लग रही थी। मालकिन द्वारा झटका देकर खींचने पर मैं चुचियों के ऊपर मुंहे बल गिर पड़ा। मेरा चेहरा उसकी गोलाकर चुचियों से टकरा गया था वह वह मेरे सरि को अपने हाथों से पकड़ कर अपनी चिकनी चुचियों पर मेरे चेहरे को दबाने लगी।
उसकी खड़ी घुन्डी की रगर को महसुस कर सिहर उठा था और मेरे बदन में एक बिचित्र तरह की गुदगुदी हो रही थी तभी वह एक से मेरे सिर को पकरे हुए अपनी एक चुची को दूस हाथ से पकड़कर मेरे मुंह में ठेलते हुए बोली – संदीप चुसो इसे?
में अपने होठों को चुचियों को दबाब पाकर थोड़ा-थोड़ा कर दिया और अपने मुंह में उकी कड़ी चुची को थरकर चुसने लगा। मैं उसकी चुची को चुसते हुए अपने हाथ को उसकी दूसरी चूची पर ले जाकर हार्न की तरह दबाने लगा। वह उतेजना के उन्माद में कराहते हुए खिमिया रही थी।
ओह-ओह-हां इसी तरह से बारी-बारी ने दोनों चूचियों की चुसो? आह। बहुत अच्छा लग रहा है। मैं अपनी मालकिन माधुरी की चुचियों को बारी बारी से चुसा। उसकी चुचियों में तनाव आ गया था। और वह तनकर कड़ी हो गई थी। मैं उसकी चुचियों को चुसकर लाल करने के बाद चुसना बन्द कर दिया। और अपनी मालकिन के चेहरे की ओर मुस्कान भरे होठों से देखा।
अपने सिर को ऊपर की ओर उठाकर अपने होठों को सिकोड़ते हुए मुझे चुम्बन करने के लिए आमंत्रण दी। मैं उसकी गर्दन में हाथ डालकर अपनी ओर खीचंकर उसकी गुलाबी होठों को की भरी होठों से चिपकाकर चूस रही थी, मैं मस्ती में आकर उसकी नर्म होठों को अपने होठों के बीच कर चुसने लगा।
और साथ में अपने हाथ को उसकी जांघ के बीच ले जाने के लिए नीचे गिराया। हम दोनों एक दूसरे के बदन में समा जाने के लिए बेचैन हो जाने तैयार हो उठे। कमरे में शिशकरी भरी आवाज गुज रही थी। मै। अपने हाथ उसकी चिकनी ओर कोमल जांघों पर ले जाकर सहलाने लगा।
मेरी मालकिन का बदन कंपकंपा रहा था। मैं उसकी जांघों को सहलाते हुए उसकी फली हुई बुर पर अपना हाथ ले गया। उसकी बर गर्मी से तप रही थी। मैं उसकी बूर के ऊपरी भाग को हाथ से सहलाने लगा | ओह उसकी बुर पर घने-घने बाल उगे हुए थे जिसे में अपनी उंगली में उलछाते हुए सहला रहे थे।
वह मस्ती में सनसना उठी थी और उसके मुंह से भागने का आवाज निकल रही थी। मैं उसकी बुर के बालो पर ऊंगली फिराते हुए उसकी बुर के होठों के पास अपनी उंगली को लेकर दबाया। वह अपनी बुर के छेदपर ऊंगली का दबाव अपनी जांघों को छितरा दी।
मैं उसकी बुर के छेद पर ऊंगली फिराने लगा। उसकी बूर पसीज उठी थी जिससे बूर के होठ चिपचिपा उठे थे। मैं अपनी एक उंगली को उसकी बूर से निकाल लिया। अचानक उसकी बूर के टपक रहे पानी को चाटने की मेरी प्रबल इच्छा जाग उठी।
यह मेरे लिए एक सबसे बड़ा सुनहरा मौका था। मैं उसकी फैली जांघों के पास चला गया और उसकी बालों से भरी बूर को गौर से देखने लगा। उसकी बूर का छेद फैलाकर देखा तो गुलाबी रंग की तरह लग रही थी।
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उसकी बूर के गुलाबी छेद बूर की रस भीगा हुआ था। मैं अपने दिल को रोक पाने में असमर्थ महसुस कर रहा था। तभी मैं अपने चेहरे को उसकी चौड़ी जांघों के बीच गिराता चला गया। और उसकी बुर के उपर भाग को छूने के बाद गुलाबी छेद पर जमा रस को जीभ से चाटना शुरू कर दिया। उसकी बूर के पानी का स्वाद नमकीन लग रहा था जिसे मैं चाटकर मजा ले रहा था। वह अपनी गांड को फुदकाते हुए अपनी बूर को जीभ पर दबाते हुए सिसिया रही थी।
हाय। चारों मेरी बूर को हाय ? तुम तो बहुत काम के आदमी हो ? हाय ? मेरी बूर को चाहते हुए चुसो..?आह ? .शी……..?
आवाज निकल रही थी। मैं उसकी बूर के बालों पर ऊली फिराते हुए उसकी बूर के हाठों के पास अपनी ऊंगली को कर दबाया। वह अपनी बूर के छेद पर ऊंगली का दबाव पाकर अपनी जंघाओं को छितरा दी। उसे बूर चटवाने में जन्न में का मजा आ रहा था। उसकी बूर से पानी का श्रोत फटता जा रहा था। और उसकी बूर के रस को चाटकर मैं भी जन्नत की सैर करने लगा था। तभी मै उसकी बूर के नमकीन पानी को चुस कर पीने में मुझे अच्छा लग रहा था। मेरी मालकिन का बदन थरथराने लगा था और वह गांड़ का ऊपर उठाये हुए बुर को मंह पर दबा कर चुसवा रही थी।
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Sahil says
Hi grils bhabhi Jo Mera sath enjoy karna chahte ho to muje Email kre sahilshanu411@gmail.com par