First Night Sex Kahani
मेरा नाम है राहुल. में २२ साल का मेडिकल स्टूडेंट हूँ. छः महीने पहले मेरी शादी मेरे बाजूवाले अंकल की १८ साल की लड़की मुस्कान से हुई है. शादी के वक्त मुस्कान कच्ची कुंवारी थी और बहुत ही शर्मीली थी. उसके शर्मीलापन का सामना कर के कैसे मेंने मुस्कान को पहली बार चोदा इस की ये कहानी है कहानी हमारी सुहागरात की. First Night Sex Kahani
बाजूवाले अंकल की लड़की होने से में उसे बचपन से जानता हूँ. कई बार में ने मामी को उस के नैप्पी बदलते देखा था. उस वक्त मुस्कान की छोटी सी पिकी भी मेंने देखी थी लेकिन मेरे दिमाग में सेक्स का ख़याल तक आया नहीं था. बुर के बाएं होठ पर का काला तिल अभी भी मुझे याद है.
मुझे क्या पता था की एक दिन में ही इस पिकी को चोदुंगा. मुस्कान ५’ ८” लम्बी है. वेट 50 केजी. रंग गोरा. चेहरा गोल आँखें भूरी और बड़ी बड़ी. पतली सीधी नासिका और पतले होठ. बाल काला हिप्स से निचे तक के लम्बे. हाथ पाँव चिकने और कोमल. बड़े संतरे की साइज के दो स्तन सीने पे ऊपर की और लगे हुए हैं.
गोल गोल और चिकने स्तन की पतली चमड़ी के निचे खून की नीली नीली नसें दिखाई देती है. स्तन के सेण्टर में १” की छोटी अरेओला है जो गुलाबी रंग की है. अरेओला के बिच छोटे किसमिस के दाने जैसे ही घुंडी है. अरेओला और निप्पल्स बहुत सेंसिटिव है और चुदवाते वक्त कड़े हो जातें है.
वैसे ही मुस्कान के स्तन कठिन है जो चोदने के समय ज्यादा कठोर हो जातें है. केले के खम्भे जैसे ही सुडोल जांघ के बिच मुस्कान की बुर उलटे खड़े टीकों जैसे ही है. जब वो जांघें मिला के पाँव लम्बे रखती है तब बुर की दरार का छोटा सा हिस्सा ही दिखाई देता है. जांघें चौड़ी कर के ऊपर उठाने से बुर ठीक से देखि जा सकती है.
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मोंस घनी है और काले घुंघुराले झांट से ढकी हुई है बड़े होठ भरपूर है. मोंस और बड़े होठ चोदते वक्त होते हर प्रहार झेलने के काबिल है. छोटे होठ यूँ दिखाई नहीं देते इतने पतले और नाजुक है और बड़े होठ से ढके हुए रहतें है. केवल चोदते वक्त फूल के वो बाहर निकल आते है.
मुस्कान की क्लाइटोरिस १” लम्बी और मोटी है छोटे से पेनिस जैसे ही दिखती है. क्लाइटोरिस का छोटा सा मत्था चेरी जैसा दिखता है. मुस्कान की क्लाइटोरिस बहुत सेंसिटव है. कभी कभी मुस्कान मूड में न हो तो में उस की क्लाइटोरिस को सहला के गर्म कर लेता हूँ.
मुस्कान की चूत याने योनि छोटी और चुस्त है. छः महीने से हर रात में उसे चोदता हूँ फिर भी वो कुंवारी जैसे ही ही है. अभी भी लंड डालने में मुझे सावधानी रखनी पड़ती है चाहे वो कितनी भी गीली क्यों न हो. एक बार लंड अंदर जाय उस के बाद कोई तकलीफ नहीं होती में आराम से धक्के लगा के चोद सकता हूँ.
हमारी मंगनी तो दो साल से हुई थी लेकिन एक या दूसरे कारण से शादी लेट होती चली थी. में मेडिकल कॉलेज में पढ़ता था और हॉस्टल में रहता था. वो अपने फॅमिली के साथ रहती थी और आर्ट्स कॉलेज में पढ़ती थी. हम दोनों अक्सर मिला करते थे. लेकिन उस ने मेरे से वचन लिया था की शादी से पहले में “वो” की बात तक नहीं करूँगा.
“वो” माने चोदना. जब मौका मिले तब हम चूमा-चाटी करते थे. किश करते वक्त वो शर्म से आँखें मूंद लेती थी. कभी कभी वो मुझे स्तन सहलाने देती थी. कपडे के आर पार लेकिन मेरे हाथों पर अपना हाथ रख के पकड़ रखती थी. उस ने मुझे बुर को छूने नहीं दिया था न तो उस ने मेरे लंड को छुआ था.
हर वक्त उस के जाने के बाद में कम से कम तीन बार हस्त-मैथुन कर लेता था. आखिर हमारी शादी हो गयी और सुहागरात आ पहुंची. ये कहानी है उस रात की जब हम ने पहली चुदाई की. वो तो कच्ची कुंवारी थी. मेंने १९ साल की उम्र में सब से पहले मेरी भाभी और छोटी बहन नेहा को एक साथ चोदा था.
हालाँकि में ने कॉलेज में और हॉस्पिटल में दो तीन नर्सों के साथ चुदाई की थी मगर मुझे काफी अनुभव नहीं था. मुस्कान की शर्म और योनि पटल मेंने कैसे तोडा इस की ये कहानी है. लंड और चूत को जबान होती तो अपने आप अपनी कहानी सुनाते. लेकिन वो तो एक ही काम जानते हैं – चोदना.
इसीलिये आइये में ही आप को सुनाता हूँ कहानी उन दोनों के पहले मिलन की सुहागरात आ पहुंची. में नर्वस था? थोड़ा सा. मुझे पता था की मंजुला (हमारी सर्वेंट और मुस्कान की दोस्त जो चार साल से शादी शुदा है) ने मुस्कान को सेक्स के बारे में काफी जानकारी दी थी. लेकिन प्रत्यक्ष अनुभव तो आज होने वाला था.
प्यारी मुस्कान को चोदने के लिए में आतुर था लेकिन मन में कई सवाल उठाते थे जैसी की मेरा बदन उसे पसंद आएगा? मेरा लंड वो ले सकेगी? उस का योनि पटल कितना कड़ा होगा टूटने पर उसे कितना दर्द होगा? आखिर “देखा जाएगा” ऐसा सोच कर में रात की राह देखने लगा.
मंजुला और भाभी ने मिल कर शयनखंड सजाया था. फूल फूल और फूल, चारो और फूल ही फूल. पलंग पर केवल गुलाब की पत्तियां. बगल में टेबल पर पानी दूध मिठाई कंडोम के छः पैकेट्स और लुब्रीकेंट की ट्यूब. बाथ रूम में हमारे नाईट ड्रेस गरम पानी टॉवेल्स और कुछ दवाइयां.
स्नान कर के में पहला जा कर पलंग पर बैठा. मेरे पास चोदने के आसनो की एक अच्छी किताब थी जो में देखता था की में ने मंजुला की आवाज़ सुनी. झट से में ने किताब छुपा दी और बैठ गया. मंजुला मुस्कान को लिए अंदर आयी और कहने लगी “जीजू हमारी मुस्कान बहन बहुत शर्मीली हैं और उन्होंने एक बार भी लंड लिया नहीं है. तो जरा संभल के चोदियेगा.”
“इतनी फ़िक्र हो तो तू ही यहाँ रुक जा और हमें बताती रहना की क्या करना है कैसे करना है”.
“न बाबा न. आप जाने और वो जाने. आप दोनों को चोदते देख कर मुझे दिल हो जाय तो में क्या करूँ?” इतना कहे खिलखिला कर हँस कर वो भाग गयी.
में ने उठ कर दरवाजा बंद किया. में घुमा तो मुस्कान अचानक मेरे पाँव पड़ी. में ने उसे कन्धों से पकड़ कर उठाया और कहा “अरे पगली ऐसी पाँव पड़ने की जरुरत नहीं है. तू तो मेरे ह्रदय की रानी हो तेरा स्थान मेरे ह्रदय में है पाँव में नहीं.” सुन कर वो मुझ से लिपट गयी.
हलका सा आलिंगन दे के में ने कहा “ऐसी करतें हैं. ये सब कपडे और श्रृंगार उतार के नाईट ड्रेस पहन लेते हैं जिस से हमें जो करना है वो आराम से कर सकें.”
मेरा मतलब चोदने से था ये वो समझ गयी और तुरंत शर्मा गयी. बाथ रूम में जा कर मैंने पहले कपडे बदले बाद में वो गयी. जब वो बाहर निकली तब में पलंग पर बैठा था. मेरे पास बुलाने पर वो मेरे नजदीक आयी. में ने उनकी कमर पकड़ कर पास खींची और मेरी चौड़ी की हुई जांघ के बिच खड़ी कर दी.
उसके हाथ पकड़ कर में ने कहा “अरे वह अच्छी डिज़ाइन बनायी है मेहँदी की. हम हर साल शादी की साल गिरह पर मेहँदी रचाने का प्रोग्राम करेंगे. और हाँ अकेले हाथ पर है या और कोई जगह पर?”
“पाँव पर भी है.” उस ने कहा.
“उस के सिवा?” में ने पूछा.
तो वो खूब शरमाई और टेढ़ा देखने लगी. बात ये थी की मंजुला ने मुझे बताया था की मुस्कान ने स्तन पर भी मेहँदी रचाई है. में ने उस की हथेली पर चुम्बन किया और हाथ गले से लिपटाये. कमर से खिंच कर आलिंगन दिया तो मेरा सर उसके स्तन के साथ दब गया. उस ने मेरे बालों में उंगलियां फिरानी शुरू कर दी.
कुछ देर के बाद उस का चेहरा पकड़ कर मुंह पर चुम्बन करने का प्रयत्न किया लेकिन उसने करने नहीं दिया. उस को जरा हटा कर में ने जांघ सिकोड़ी और उस को ऊपर बिठाया. मेरा दाहिना हाथ उस की कमर पकड़े हुआ था जब की बायाँ हाथ जांघ सहला रहा था. कोमल कोमल और चिकनी मुस्कान को आगोश में लेना मुझे बहुत अच्छा लगता था.
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उस के बदन की सुवास मुझे एक्साइट कर रही थी और मेरा लंड हिलने लगा था. धीरे धीरे मेरा हाथ उसकी पीठ पर रेंगने लगा. ड्रेस के निचे ब्रा की पट्टी को पकड़ में ने पूछा “अरे तू ने तो ब्रा पहन रक्खी है. निकाल नहीं सकी क्या? लाओ में निकाल दूँ?”
मेरी उंगलिया ब्रा का हुक तक पहुंचे इस से पहले उस ने सर हिला के ना कहा और खड़ी हो गयी. में ने भी खड़ा हो कर उस को मेरे बाहु पाश में जकड लिया. लेकिन अफ़सोस उसने अपने हाथ छाती के आगे क्रॉस कर रक्खे थे इसी लिए उस के स्तन मुझे छू न सके. ठुड्डी पर उंगली रख कर में ने उसका चेहरा उठाया और होठ से होठ का स्पर्श किया. उस के बदन में झुरझुरी फ़ैल गयी. आँखें बंद रखते हुए उस ने मुझे फिर से चुम्बन करने दिया.
में ने कहा “मुस्कान प्यारी आँखें खोल मेरा चेहरा देखना तुझे पसंद नहीं है क्या?”
धीरे से वो बोली “पसंद है बहुत पसंद है” उस ने आंखें खोली.
मेरी आंख से आंख मिलते ही वो फिर से शर्मा गयी और दांत से अपने होठ काटने लगी. में ने झट से मुंह से मुंह चिपका के चुम्बन किया. इस बार उस के होठ मेरे मुंह में ले कर मेंने चूसे अभी तक मुस्कान ने मुंह खोला नहीं था. में ने कहा “मुस्कान मुंह खोल थोड़ा सा” और फिर से किश करने लगा.
जब उसने अपने होठ खोले नहीं तब में ने मेरी जीभ उस के होठ पर फिराये और कड़क बना कर होठ बिच डाली. मुझे ऐसा महसूस होने लगा की में उस की पिकी के होठ खोल कर अपना लंड अंदर डाल रहा हूँ. उधर मेरा लंड भी तन गया था. मेरी जीभ अपने होठ पर पाते ही मुस्कान ने मुंह खोला.
मेरी जबान उसके मुंह में थी और चारो और घूमी फिरि. मुझे बहुत स्वीट लगा ये चुम्बन. उस के मुंह की सुवास अंदर की कोमल त्वचा उस के दांत होठ सब पर में ने अपनी जीभ फिराई. फ्रेंच किश करते करते में ने उसे पलंग पर लेटा दिया. मेरे हाथ उस के स्तन पर जाने लगे. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उस ने अभी भी अपनी छाती ढँक रक्खी थी. में ने उस के हाथ हटाने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हुवा. में ने जबर दस्ती नहीं करनी थी इसी लिए में ने फिर से फ्रेंच किश शुरू की. अब में उस के मुंह पर से हट कर गाल पर गाल से गले पर गले से उस के कान पर ऐसी अलग अलग स्थान पर किश करने लगा.
जब मेरे होठो ने कान को छुए तब उस को गुदगुदी होने लगी और वो हँस पड़ी. अब मुझे रास्ता मिल गया. मेरा एक हाथ जो कमर पे था उस से में ने उस की कमर कुरेदी. ज्यादा गुदगुदी होने से वो छटपटा गयी और छाती से उस के हाथ हट गए. तुरंत में ने उस का स्तन थाम लिया.
मेरा हाथ हटाने का उस ने हलका सा प्रयत्न किया लेकिन में स्तन को सहलाऊँ ये उस को भी पसंद था इसी लिए ज्यादा जोर नहीं किया. भरे भरे कठिन और गोल गोल स्तन में ने नाईटी के आरपार सहलाये लेकिन मन नहीं भरा. खुले हुए स्तन के साथ खेलने को में तरस रहा था.
में ने कहा “कितने सुन्दर है तेरे स्तन! कड़े कड़े और गोल. मेरी हथेली में समाते भी नहीं है. अभी अभी बड़े हो गए लगतें हैं. लेकिन ये क्या? स्तन पर तो घुंडी होनी चाहिए वो कहाँ है? में देखूं तो मुस्कान.” बोल कर में ने नाईटी के हुक्स खोलना शुरू किये.
उस ने शर्म से मेरे हाथ पकड़ लिए. में ने थोड़ा सा जोर लगाया तो उस ने भी जोर से हाथ पकड़ रक्खे. ऊँचे स्तन रूपी पर्वत बिच के मैदान में हमारे हाथों की लड़ाई हो गयी. उस की मर्जी बिना कुछ नहीं करने का मेरा निश्चय था इसी लिए में ने आग्रह छोड़ा और हार कबुल कर ली. उधर मेरा लंड ठुमक ठुमक करने लगा था.
किश करते हुए और एक हाथ से उसका पेट सहलाते हुए में ने कहा “प्यारी कब तक छुपाए रखोगी अपने स्तन? मुझे देखने तो दे. तेरी मंजूरी बिना में स्पर्श नहीं करूँगा.”
वो जरा नरम हुई. शरमाते शरमाते वो टेढ़ा देखने लगी और छाती से हाथ हटाके अपनी आँखों पर रख दिए. में ने नाईटी के हुक्स खोले लेकिन जब नाईटी के फ्लैप हटाने लगा तब फिर से उस ने मेरे हाथ पकड़ लिए. थोड़ा जोर करके में ने नाईटी खोली और ब्रा में कैद स्तन खुले किये.
गोरे गोरे स्तन का जो हिस्सा खुला हुवा उस पर में ने किश करनी शुरू कर दी. चुम्बन की बौछार से वो एक्साइट होने लगी थी. उस का चेहरा लाल हो गया था और सांसे तेजी से चलने लगी थी. फिर भी वो पीठ के बल सोई हुई होने से में उस की ब्रा निकाल नहीं सका क्यों की ब्रा का हुक पीठ पर था.
वो करवट बदले ऐसा मुझे कुछ करना था. मुंह पर किश करते हुए में ने नाईटी ज्यादा खोली और उस के सपाट पेट पर हाथ रेंगने लगा. उस को गुदगुदी होने लगी. में ने ज्यादा कुरेदी तो वो गुदगुदी से छटपटाने लगी और थोड़ी घूमी. मेंने उसे आगोश में लिया और मेरी उंगलियां ब्रा के हुक पर पहुंच गयी.
आलिंगन से इस वक्त उस के स्तन मेरे सीने से चिपका गए और दब गए. मेरे हाथ उसकी पीठ पर घूमने लगे. उसके बदन पर रोयें खड़े हो गए. मेरी उंगलिओ ने ब्रा का हुक खोल दिया. अब वो मुझे ज्यादा सहकार देने लगी. अपने आप वो पीठ के बल हो गयी. खुली हुई ब्रा में हाथ डाल कर जब में ने उस के नंगे स्तन को पकड़ा तो उस ने विरोध नहीं किया.
वो शरमाती रही और में स्तन सहलाता रहा. छोटी छोटी निप्पल्स कड़ी होने लगी थी जिसे में ने चिमटी में ले कर मसाला. एक दो बार मेरे से जरा जोर से स्तन दबाया गया. वो चीख उठी और मेरे हाथ पे अपना हाथ रख दिए लेकिन मेरे हाथ हटाए नहीं. कई दिनों के बाद उस ने मुझे बताया था की मेरा स्तन का सहलाना उसे बहुत प्यारा लगता था.
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दोनों स्तनों पर मेहँदी लगी हुई थी. मोर की डिज़ाइन में घुण्डिओ को मोर की चौंच बनायीं थी. गोरे गोरे स्तन पर लाल रंग की डिज़ाइन देख कर में खुद को रोक न सका. दोनों स्तन को मुट्ठी में ले कर दबोच लिए और किश की बरसात बरसा दी. मुंह खोल कर अरेओला के साथ घुंडी को मुंह में लिया चूसा और दांत से काटा.
मुस्कान के मुंह से सी सी होने लगी. उस ने मेरा सर अपने स्तन पर दबाया. मेरे लंड में से निकालता काम रास से मेरी निक्कर गीली होती चली. में बैठ गया और उस के पैर पर हाथ फिराने लगा. घुटनो से ले कर जैसे जैसे मेरा हाथ ऊपर तरफ सरकने लगा वैसे वैसे उसकी नाईटी ऊपर खिसकती गयी.
और उस की चिकनी जांघें खुली होती चली. उस ने जांघ चिपकाए हुए रक्खी थी में ने चौड़ी करने का प्रयास किया लेकिन असफल रहा. आहिस्ता आहिस्ता मेरे हाथ उस की पेंटी पर पहुंचे. पेंटी टाइट थी और काम रास से गीली हुई थी. पतले कपडे की पेंटी उस की बुर के साथ चिपक गयी थी.
में ने बुर के होठ और बिच की दरार को उंगलिओ से टटोला. मुस्कान के भारी हिप्स अब हिलने लगे. में बुर सहलाता रहा मुंह पर किश करता रहा और वो शर्म से आँखें बंद कर के मुस्कराती रही. अब में ने पेंटी उतरने को ट्राई किया. जैसे मेरी उंगलियां पेंटी की कमर पट्टी पर पहुंची उस ने मेरा हाथ पकड़ लिया.
फिर एक बार हमारे हाथों बिच जंग हो गई उस के सपाट पेट के मैदान पर. में फिर हारा. हाथ हटा के पेट सहलाने लगा और स्तन की निप्पल्स चूसने लगा. इतने प्रेमोपचार के बाद उस के स्तन काफी सेंसिटिव हो गए थे. जैसे मेरी जीभ ने निप्पल का स्पर्श किया की वो छटपटा गयी और अचानक शिथिल हो गयी. उस के हाथ पाँव नरम पड़ गए.
में पेंटी उतराने लगा तो कोई विरोध नहीं किया अपने चूतड़ उठा के पेंटी उतारने में सहकार दिया. मुझे जांघ चौड़ी करने दी. हारा हुआ सैनिक की तरह मानो उसने शरणागति स्वीकार ली. फर्क इतना था की वो आनंद ले रही थी और मंद मंद मुस्कराती रही में ने खड़े हो कर अपने कपडे उतारे वो मेरा बदन देखती रही ख़ास कर के मेरे झुलते हुए लंड को.
में ने कहा “मुस्कान देख में ने सब कपडे उतार दिए है. अब तू भी उतार दे.”
कुछ बोले बिना मुझ से मुंह फिराए वो बैठ गयी. नाईटी उतार के वो मेरी तरह नंगी हो गयी और मेरी और पीठ कर के लेट गयी. में उस के पीछे लेटा और उसे आलिंगन में ले कर स्तन सहलाने लगा. मेरा लंड फटा जा रहा था. मुस्कान को भी चुदवाने की इच्छा हो गयी थी क्यों की अपने आप घूम कर वो मेरे सन्मुख हुई और मुझ से लिपट गयी.
नंगे बदन का नंगे बदन से मिलने से हम दोनों की एक्ससिटेमेंट काफी बढ़ गयी. वो मेरे बाये कंधे पर अपना सर रक्खे हुए थी. दाहिना हाथ से में ने उस का बायाँ घुटना उठाया और पाँव मेरी कमर पे लिपटाया. मेरा हाथ अब उस के चूतड़ पर रेंगने लगा और आहिस्ता आहिस्ता मेरी उंगलियां उस की पिकी की और जाने लगी.
मेरा तना हुवा लंड उस के पेट से सटा था. लंड में से निकलते काम रास से उस का पेट और मोंस गीले होते चले थे. मुंह से मुंह लगा के फ्रेंच किश तो चालु ही थी. मुझे चोदने का इतना दिल हो गया था की में चुम्बन स्तन मर्दन बुर मर्दन सब एक साथ करने लगा था. थोड़ी देर बाद में अलग हुआ.
में ने कहा “मुस्कान देख तो सही तेरा कितना असर पड़ रहा है मेरे लंड पर.”
दांतों में नाख़ून चबाते हुए वो मुस्कराहट के साथ देखती रही. में ने उसका हाथ पकड़ कर लंड पर रख दिया. थोड़ी सी हिचकिचाहट के बाद उस ने उंगलिओ से लंड को छुआ. लंड ने झटका मारा. में ने उसे ठीक से लंड मुट्ठी में पकड़ाया. में स्तन से खेलता रहा और वो लंड से. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
लड़की के हाथ में लंड पकडवाने का मेरा पहला अनुभव नहीं था जब की किसी मर्द का लंड पकड़ने का उस के लिए पहला अनुभव था. उस की कोमल उंगलिओ का स्पर्श मुझे इतना उत्त्तेजक लगा की उस की जांघें चौड़ी कर के चूत में लंड घुसेड़ के उस को चोद डालने की तीव्र इच्छा हो गयी मुझे.
बड़ी मुश्किल से में ने अपने आप पर काबू पाया क्यों की मुझे मुस्कान को काफी गर्म करना था जिस से लंड का पहला प्रवेश कम कष्टदायी हो. लेकिन सब्र की भी कोई हद होती है. जब मुझे लगा की ज्यादा देर करूँगा तो उसके हाथ में ही में झड जाऊँगा तब में ने उसे पीठ के बल लेटाया.
उस की जांघें चौड़ी कर के में बिच में आ गया. मुस्कान की चूत पीछे की ओर होने से एक तकिया उस के चूतड़ के निचे रखना पड़ा. अब उस की चूत मेरे लंड के लेवल में आयी. लंड लेने की घडी आ पहुंची थी. मगर ताज्जुब की बात ये थी की मुस्कान का डर और शर्म दोनों कहीं गायब हो गए थे.
उस ने खुद ही अपने घुटनों को कंधे तक ऊपर उठाये. जांघ चौड़ी कर के मुस्कुराते हुए वो मेरे लंड को देखती ही रही. लंड लेने का दिल हो जाय तब बेशरम बन के लड़की क्या नहीं करती? एक्ससिटेमेंट की वजह से मुस्कान की पिकी सूज गयी थी. छोटे होठ जो वैसे ही अंदर छुपे रहते है वे बाहर निकल आये थे.
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तातार बनी हुई क्लाइटोरिस का छोटा सा सर भी दिखाई दे रहा था. साड़ी बुर गीली गीली थी. एक हाथ में लंड पकड़ कर में ने बड़े होठ पर रगड़ा. आगे से पीछे और पीछे से आगे ऐसी पांच सात बार रगड़ने के बाद लंड का सर बुर की दरार में रगड़ा और क्लाइटोरिस के साथ टकराया.
मुस्कान के हिप्स डोलने लगे. वो अब मेरे जैसे ही ही चोदने को तत्पर हो गयी थी. में ने कान में पूछा “क्या ख़याल है प्यारी? लंड लोगी?” बिना बोले उस ने मुस्कुराते हुए जोर जोर से सर हिला के हाँ कही. मैंने लंड की टोपी चढ़ा के मस्तक को ढँक दिया. ऐसा करने की वजह ये थी की टोपी से ढका हुआ लंड का मत्था ‘स्लाइड’ हो के चूत में पिसता है खुला मत्था घिस के अंदर घुसता है. नयी नवली चूत के वास्ते लंड ‘स्लाइड’ हो के घुसे ये अच्छा है.
में ने एक हाथ से बुर चौड़ी कर के दूसरे हाथ से लंड का मत्था चूत ले मुंह में रख दिया. लंड का मत्था मोटा था और चूत का मुंह छोटा इसी लिए मुझे जरा जोर करना पड़ा. पूरा मत्था चूत में गया की योनि पटल पर जा के रुक गया. में ने लंड थोड़ा वापस खिंचा और फिर से डाला.
ऐसे ही फ़क्त एक इंच की लम्बाई से में ने आठ दस धक्के लगाए. चूत में से और लंड में से भर पुर पानी झड़ने लगा था और चूत का मुंह अब आसानी से लंड का मत्था ले सकता था. “प्यारी मुस्कान जरा सब्र करना” कह के में लंड को चूत में फसा हुवा छोड़ कर उस के ऊपर झुक गया और फ्रेंच किश करने लगा.
होठों से होठों को चिपका के मानो में ने मुस्कान का मुंह बोतल की तरह सील कर दिया. एक धक्का जोर से लगाया और में ने योनि पटल तोड़ के दो इंच लंड चूत में डाल दिया. मुस्कान के मुंह से चीख निकल पड़ी जो में ने मेरे मुंह में ले ली. चुस्त चूत में लंड की टोपी खिसक गयी और खुला हुआ मत्था योनि की दीवालों को रगड़ने लगा.
में स्थिर हो गया और चुम्बन छोड़ कर बोला “शाबाश मुस्कान शाबाश. वेलकम तो वूमनहुड. थोड़ा सब्र कर अभी दर्द कम हो जाएगा और मजा आना शुरू होगा. अभी थोड़ा ही लंड अंदर गया है लेकिन बाकी को जाने में तकलीफ नहीं होगी” मुस्कान मुंह से बोली नहीं योनि के संकोचन से जवाब दिया.
में समझ गया की अब दर्द कम हो गया है. फिर भी में ने कहा “मुझे बता देना जो दर्द हो तो. में जल्दबाजी नहीं करूँगा” फिर से एक बार योनि को संकोच के उस ने जवाब दिया. बड़ी कठिनाई से में लंड को तुरंत ही चूत में घुसड़ने से रोक पाया. हाथों के बल में ऊँचा उठा और दोनों के पेट के बिच से लंड बुर के मिलाप को देखने लगा.
में ने कहा “मुस्कान देख तो सही मेरा लंड तेरी चूत में कैसे फिट बैठा है” अपना सर उठा के उस ने देखा तो घबरा गयी और बोली “बाप रे अभी इतना लम्बा…लम्बा और मोटा बाकि है?”
उस की बात सच थी. अभी तो मात्र दो इंच ही अंदर घुसा था छः इंच सरीखा बाहर था और घुसने को तैयार था. निचे झुक कर में ने मुस्कान को किस किया और बोला “डरना मत प्यारी एक बार योनि पटल टूट जाय बाद में कोई तकलीफ नहीं होती. भगवान ने लड़कियों की चूत ही ऐसे ही बनायी है की उस में सारा लंड समां जाए. तू देखते रहना.”
वो देखती रही और में ने आहिस्ता आहिस्ता लंड को चूत में पेलना शुरू किया. एक इंच दो इंच तीन चार और पांच इंच लंड को डाल के में रुका. क्यों की उस की चूत इतनी सिकुड़ी हुई थी और मेरे लंड पर इतना दबाव डाल रही थी की मुझे जल्दी से झड़ जाने का डर लगता था.
मुस्कान की योनि इतनी टाइट होगी ऐसा मैंने कभी सोचा भी न था. रुकने के बाद लंड ने ठुमका लगाया. उस वक्त थोड़ा ज्यादा मोटा हो जाने से चूत का मुंह ज्यादा चौड़ा हुआ और मुस्कान को दर्द हुआ. में ने पूछा “दर्द होता है? निकाल दूँ लंड को?”
“नहीं नहीं. कोई दर्द नहीं है. आप… आप…” शर्म से वो आगे बोल नहीं पायी.
उस ने मुंह मोड़ लिया और दांत से होठ काटने लगी. “…आप चोदना जारी रक्खें यही न?” में ने पूछा. आँखें धक् कर सर हिला के उस ने हां कहा. में ने फिर से लंड पेलना शुरू किया. छः इंच सात इंच और आठ. पूरा लंड अंदर. लंड की टोपी खिसक गयी और नंगा मत्था मुस्कान के गर्भाशय के साथ टकराया.
उस की योनि जोर से फटाके मारने लगी और उस के हिप्स जोर से हिलने लगे. में उसे रोक लूँ इस से पहले मेरा संयम टूट गया. ठुमक ठुमक कर के मेरे लंड ने जवाब दिया और वीर्य की पिचकारी मारते हुए झड पड़ा. मुस्कान अभी झड़ी नहीं थी. इतना जल्दी झड़ जाने से में जरा निराश हो गया.
वीर्य छुट जाने के बाद भी में ने लंड को बाहर निकला नहीं. ताज्जुब की बात ये थी की वो नरम नहीं पड़ा कड़क सा ही रहा. में ने ऐसी ही हिप्स हिला के मोंस से मोंस घिसी और क्लाइटोरिस को रगड़ा. इस से मुस्कान को पता चला की सारा के सारा लंड अभी अंदर घुस चूका है.
फिर से उस ने पेट के बिच से निचे देखा और आनंद से है पड़ी. मुझे बहुत प्यारी लगी. “देखा?” में ने पूछा. और उस पर चुम्बनों की बरसात बरसा दी. मुस्कान को पता नहीं चला की में झड़ चूका हूँ. मेरा लंड फिर से पूरा तन गया. “अभी सही चुदाई शुरू होती है” कह कर में ने लंड को बाहर खिंचा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
जब अकेला मत्था योनि में रहा तब में रुका और फिर से अंदर डाला. ऐसी धीरे स्पीड से पूरा लंड को इस्तेमाल करते हुए में ने मुस्कान को केवल पांच मिनिट तक चोदा. पांच मिनिट के बाद में ने धक्के की स्टाइल बदली. अब जल्दी से झड़ पड़ने का मुझे दर नहीं था इसी लिए आराम से चोद सकता था.
नयी स्टाइल में इस तरह चोदने लगा: दो इंच अंदर एक इंच बाहर. फिर दो इंच अंदर एक इंच बाहर— ऐसे हर एक धक्के में एक एक इंच लंड अंदर घुसता चले. बाहर निकालते वक्त भी मुस्कान ही: दो इंच बाहर एक इंच अंदर; दो इंच बाहर एक इंच अंदर. आठ धक्के अंदर घुसाने के वास्ते और आठ बाहर निकालने के वास्ते.
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बिस मिनिट तक यूँ आहिस्ता आहिस्ता में ने मुस्कान को चोदा. अब तक की चुदाई से मुस्कान काफी एक्साइट हो गयी थी. घडी घडी उस के बदन पर रोयें खड़े हो जाते थे. घडी घडी आँखें जोर से बंद हो जाती थी. चेहरा लाल हो गया था. स्तन पर अरेओला के साथ निप्पल्स कड़ी हो कर उभर आयी थी.
योनि में से काम रास बह रहा था और योनि फट फट फटाके मार रही थी. में समझ गया की वो अब झड़ने को तैयार है. एक बार फिर में ने लंड को उसकी योनि की गहराई में उतार दिया और मेरी मोंस से क्लाइटोरिस को जोर से रगड़ दिया. योनि ने लप लप करके लंड को चूसा और मुस्कान का बांध छूट गया.
उस का बदन अकड़ गया मुंह से “आह… ओह” आवाज निकल पड़ी और वो मुझे जोर से चिपक गयी. उस का ओर्गास्म पूरे तीस सेकंड चला. दरमियान चूत में लंड को दबाये हुए में स्थिर रहा. ओर्गास्म के बाद मुस्कान की योनि शांत हुई तब में ने फिर से चोदना शुरू किया.
अब योनि थोड़ी सी नरम हुई थी जिस से वो अब आसानी से लंड ले सकती थी. लम्बे और तेज धक्के से में ने उस को चोदा. उस की चूत अब बारम्बार संकोचन करने लगी और लंड को चूसने लगी मानो की लंड को पकड़ रखने का प्रयास कराती हो. में ने उस के घुटनो निचे हाथ डाल कर कंधे तक उठाये जिस से उस की बुर ज्यादा ऊपर उठ आयी और पूरा लंड अंदर घुसाने लगा.
तेजी से चलते मेरे धक्के का जवाब वो अपने हिप्स हिला के देने लगी. मुझे मुस्कान महसूस हुआ की मेरे सारे लंड में से काम रस झड़ रहा है. जब मुझे लगा की मेरा लंड फट जाएगा तब में अपने आप को रोक नहीं पाया. “……आह ….सी ….सी… ….ओह… ओह… मुस्कान पकड़ मुझे.. आआह” कहते हुए में झड़ा.
वीर्य की पांच सात पिचकारी से लंड ने योनि छलका दी. ओर्गास्म के अंतिम झटके के साथ में शिथिल हो कर उस के ऊपर ढल पड़ा. मुस्कान ने अपने पाँव लम्बे किये और मेरी पीठ सहलाने लगी. चुमबन कर के में ने कहा “मुस्कान तुझे चोदने में इतना मजा आएगा ऐसा में ने सोचा भी न था. लेकिन तुझे दर्द तो नहीं हु न? आवेश में आ कर में भूल ही गया था की तू पहली बार चुदवा रही है.”
मेरे गले में हाथ डाल कर वो बोली “प्यारे दर्द हुवा हो तो इस का मुझे ख़याल नहीं है. और दर्द मीठा भी है आप का दिया जो है.”
में खुश होकर किश पर किश करने लगा. मेरा लंड नरम होने लगा था लेकिन चूत से निकाला नहीं था. थोड़ी देर बाद मुस्कान ने पाँव उठाके मेरी कमर से लिपटाये और योनि में संकोचन किया. ठुमका ले के लंड ने जवाब दिया. जैसी की लंड चूत की बात चित चल पड़ी हो. थोड़ा सा नरम हुवा लंड फिर से टाइट होने लगा.
में ने पूछा “मुस्कान ये क्या? ये क्या कर रही हो? सच मुच तुझे दर्द नहीं होता है? तुझे परेशान करके में मजा लेना नहीं चाहता.”
“सच्ची अब कोई दर्द नहीं है. वो शुरू कीजिये न” कहते हुए उस ने शर्मा के मुंह मोड़ लिया..
में ने उसका चेहरा घुमा के फ्रेंच किश की और धक्के लगाने शुरू किये. इस बार हम दोनों ने आराम से चुदाई की जो आधा घंटा चली. मुस्कान दो बार झड़ी और में एक बार. मेरे वीर्य से मुस्कान की चूत छलक गयी थी. नरम लौड़े को निकाल के में बाथरूम में गया और सफाई की.
गिला टॉवल से में ने मुस्कान की बुर पोंछ कर साफ़ किया. एक दूजे को लिपट कर हम सो गए. सुबह पांच बजे मुस्कान मेरे पहलू से निकल कर बाथरूम में गयी. उस ने सोचा होगा के में सोया हुआ हूँ लेकिन में जगा हुआ था और ऑंखें मुंड कर पड़ा था. मेरा नरम लौड़ा पेट पर पड़ा था. में और मुस्कान दोनों अभी नग्न थे.
बाथ रूम से निकल कर मुस्कान पलंग के पास आ के खड़ी रही लेटी नहीं. वो मेरा बदन देखने लगी ख़ास तौर पर लौड़े को. अवर्णनीय आनंद देनेवाला ये अंग को उस ने कभी देखा नहीं था. पलग पर बैठ के उस ने लौड़े को हाथ में लिया और इधर उधर घुमा के देखने लगी. मेरे वृषण को भी हथेली में उठा देखे. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
शायद उसे पता नहीं था की लौड़े की टोपी खिसका के मत्था खुला किया जा सकता है. उस की कोमल उंगलिओ के स्पर्श से लौड़ा उभरने लगा और देखते देखते में तन कर लंड बन गया. ऐसी उठता हुआ लंड देखना उस के लिए पहला प्रसंग था. देखने में वो इतनी मशगूल थी की में ने आँखें खोली और लंड का ठुमका लगाया फिर भी उसे पता न चला की में जाग गया हूँ.
“पसंद आया?” में ने धीरे से पूछा.
वो चौंक उठी. लंड को छोड़ के शर्म की मारी मुझसे मुंह फिरा के बैठ गयी. में भी बैठ गया उस को आलिंगन में लिया और किश कर के बोला “तेरा ही है ये लंड. इस के साथ तू चाहे सो कर सकती हो. लेकिन इतना बता की तुम पसंद आया की नहीं.” उस ने मेरे सीने में अपना चेहरा छुपा दिया और सर हिला के हाँ कही.
मेरी छोटी छोटी घुण्डिओ के साथ उसकी उंगलियां खेलने लगी. किश करते हुए मेंने स्तन टटोले और दबाये. चेहरा छपा रख के वो धीरे से बोली “फिर कब किया जा सकता है वो?”
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“वो मैंने क्या?”
“आप जानटे तो है….”
“जानता तो हूँ लेकिन तेरे मुंह से सुनना चाहता हूँ.”
“मुझे शर्म आती है बोलने में”.
“अब शर्म कैसी? अब तो में ने तेरे स्तन तेरी बुर तेरे चूतड़ सब देख लिया है और तू ने भी मेरा लंड देख लिया है. याद कर एक बार तू बोली भी थी.”
थोड़ा हिचकिचाहट के बाद वो बोली “वो मैंने …चो…चो द..न”
“अब बोल प्यारे आप के लम्बे लंड से मुझे चूत भर के चोदिये”
“न बाबा.”
“न बाबा? अच्छा तो रहने दे. चलो सो जाएँ” में ने खाली कहा.
मुझ से लिपट कर कान में मुंह डाल कर वो बोली “प्यारे आप के लम्बे… लम्बे…लं…लंड…” आगे बोलने के बजाय वो खिलखिला के हँस पड़ी.
“हाँ हाँ बोल..लंड से…”
“..लंड से मुझे छू….चूत भर के चोदिये”.
शर्म से उस ने अपना चेहरा छुपा दिया. मेंने हाथ हटाया और चेहरा उठाया तो वो आँखें बंद कर मुस्कराने लगी. फ्रेंच किश कर के में ने कहा “देखा? बोलना इतना कठिन नहीं है. फिर से सुनाओ तो एक बार.”
“प्यारे आप के लम्बे लंड से मुझे चूत भर के चोदिये” मुस्कान के मुंह से चोदना सुन कर मेरा लंड और तन गया और चोदने को अधीर बन गया. मुझे निमंत्रण की जरुरत नहीं थी. मुंह पर स्तन पर और पेट पर चुम्बन करते हुए में ने क्लाइटोरिस को जीभ से टटोला और एक ऊँगली चूत में डाली.
क्लाइटोरिस तो कड़ी हो गयी थी और चूत गीली गीली थी लेकिन योनि पटल का घाव अभी नया नया था. क्लाइटोरिस को चूसते हुए उंगली से ही में ने मुस्कान को थोड़ी देर चोदा. “ऐसा करतें हैं” में ने कहा “में पीठ के बल लेट जाता हूँ तू मेरे ऊपर आजा और लंड को चूत में पेल”
“मुझे आएगा?”
“क्यों नहीं? में बताऊँ वैसे करना”.
में ने पाँव लम्बे कर के मुस्कान को जांघ पर बिठाया उस की जांघें चौड़ी कर के लंड को खड़ा पकड़ के में ने कहा “अब तू चूत को लंड पर ला के आहिस्ता आहिस्ता लंड को अंदर ले” मुस्कान को ज्यादा शिक्षा की जरुरत न थी. धीरे से हिप्स उतार के उस ने सारा लंड चूत में ले लिया.
थोड़ा रुकने के बाद वो एक एक्सपर्ट की तरह हिप्स को हिला कर मुझे चोदने लगी. निचे से धक्के देते हुए में ने सहकार दिया. वो अपने हिप्स को ऐसी घुमाती थी की उस की क्लाइटोरिस लंड के साथ ज्यादा घिसने पाए. कभी कभी मोंस से मोंस सत्ता के पूरा लंड चूत में घुसा के वो बैठ जाती थी.
उस वक्त लंड का मोटा मूल योनि के मुंह को ज्यादा चौड़ा किये देता था और मुस्कान को थोड़ा सा दर्द भी होता था लेकिन वो परवाह नहीं करती थी. पांच मिनिट में वो थक के मेरे ऊपर ढल गयी. लेकिन उस की योनि थकी नहीं थी. लाप्प लाप्प करके उस ने लंड को चूसा तो लंड और तन गया.
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मैंने मुस्कान को बाहों में ले कर करवट बदली और में ऊपर आ गया. उस की जांघें चौड़ी कर के मेरी कमर आस पास लगाईं. फिर से योनि ने लंड को चूसा. में ने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. ठप्प ठप्प आवाज आई मेरी मोंस उस की बुर को पीटने लगी. मुस्कान को ज्यादा मजा आये इस लिए में ने टेकनिक बदली.
धक्के मारते मारते जब में झड़ने को हो जाता तब रुक जाता और लंड पूरा बाहर निकल लेता. लंड शांत होने पर फिर से चूत में घुसा के धक्के मारना शुरू कर देता. ऐसी सात बार चालु-बंद चालु-बंद कर के मैंने मुस्कान को चोदा. इस दरमियान वो दो बार झड़ी. आखिर में भी ज़रा. लंड को चूत की गहराई में उंडेल कर चार पांच पिचकारी मार कर योनि को वीर्य से छलका दी.
सफाई की परवाह किये बिना लंड को निकले बिना एक दूजे से लिपट कर हम सो गए. सुहाग रात अभी ख़त्म हुई नहीं थी. सुबह सात बजे में जब जगा तब मुस्कान गहरी नींद में थी. में ने स्तन से खेलना शुरू किया. उस की आँख खुली तब तक लंड तन गया था.
“हो जाय एक बार फिर?” उस ने पूछा.
“क्या हो जाए?”
”धत्त…मेरे से सुनना चाहते हैं?”
“ऐसा ही कुछ.”
“अच्छा जी हो जाय चुदाई का एक और राउंड?”
“प्रेम से हो जाय. लेकिन इस बार कुछ नया करेंगे. हाँ झड़ते वक्त लंड तन के कैसा दिखता है वो तू ने देखना है?”
”वो कैसे?”
“में बताता हूँ. मेरा वीर्य तेरे चेहरे पर पड़े तो तुझे कोई एतराज तो नहीं है न?”
“नहीं. आप का वीर्य कहीं भी गिरे मुझे पसंद ही है”
“तो देख, तू लेट जा……”
वो लेट गयी. में अपने घुटनो पर वजन लिए उस के सीने पर बैठा. में ने कड़क लंड को उस के सीने पर रक्खा हुए उस के स्तनों को इकट्ठे करने लो कहा. अपने दोनों हाथों से उसने स्तन के बिच लंड को पकड़ लिया. उस के स्तन काफी बड़े थे जिस से दोनों के बिच योनि जैसा मार्ग बन गया. में ने कमर हिला के चोदना शुरू किया. में जब लंड को निचे तरफ खींचता था तब टोपी उतर कर लंड के मत्थे को धक देती थी.
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जब लंड को घुसेड़ता था तब टोपी ऊपर चढ़ जाती थी और लंड का खुला मत्था मुस्कान के चहेरे के पास जा पहुंचता था. मुझे चूत चोदने जैसे ही ही मजा आ रहा था. अपना सर उठाये मुस्कान लंड का आना जाना देख रही थी और स्तनों को ज्यादा कम दबाते हुए मुझे योनि महसूस करवाती थी. में ने धक्के की रफ़्तार बढाई. लंड ज्यादा तन गया मत्था अभी फट जाय ऐसा हो गया. मेरे वास्ते ये कुछ नया नहीं था. हर एक लडके ने हस्त मैथुन के दौरान अपने लंड को ऐसी तन जाते हुए देखा ही होता है.
मुस्कान आश्चर्य से देखती रही और में ज़रा. उस के चहेरे पर मेरे वीर्य की बरसात हुई. उस के बदन में भी झुरझुरी हो गयी जिस से में जान गया की वो भी मेरे साथ ही झड़ी थी. हम दोनों फिर से सो गए और दस बजे जागे. स्नान इत्यादि कर के निचे गए. चाय-नाश्ता लिए मुस्कुराती हुई मंजुला हमारा इंतजार कर रही थी. “गुड मॉर्निंग?” उसने की मुस्कान से पूछा. मुस्कान ने शरमा के जवाब दिया “गुड मॉर्निंग गुड मॉर्निंग….. टिल मॉर्निंग.” में कुछ समझा नहीं. मंजुला मुस्कान से लिपट गयी और दोनों खिलखिला के हँस पड़ी.
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