Chut Ki Chiknahat
मेरा नाम सुनीता है। मै 38 साल की हूँ। मैं देखने में बहुत ही हॉट और सेक्सी लगती हूँ। मैं जब भी चलती हूँ मेरे बड़े बड़े मम्मे हिलते रहते हैं। मेरे बाल कही कही पकने लगे हैं। लेकिन मैं आज भी 29 साल की लगती हूँ। मै चुदवाने में बचपन से ही रूचि रखती थी। मेरी स्किन आज भी उतनी ही शाइन करती है। Chut Ki Chiknahat
मेरी गांड मेरे मोटापे के साथ काफी निकली हुई है। जिसको देखकर हर कोई उसकी तरफ आकर्षित होता है। कई लड़के तो दीवाने ही हो गए। वे जब भी देखते है तो उसके पीछे ही पड जाते हैं। मेरे रिलेशन के कई सारे लोगों ने भी मेरी गांड की चुदाई कर मुझे बहुत आनंद दिया है। मुझे भी बहुत मजा आता है। दोस्तों मैं अब अपनी कहानी पर आती हूँ।
एक मीडियम परिवार में रहती हूँ। मेरे घर के सारे लोग कही न कही जॉब करते हैं। मैं भी एक टीचर हूँ। रोज मै पढाने जाती हूँ। मुझे स्कूल के कई सारे टीचर भी पसंद करते हैं। उनमें से एक के बेटे की शादी मेरे भाई की बेटी से हुई है। उनका नाम रुद्रप्रताप है। उनके बेटे का नाम विवेक है।
पहले समधी जी यानि की रुद्रप्रताप जी ने मुझे चोदा उसके बाद उनके बेटे ने जिसका नाम विवेक है उसने भी मुझे चुदाई का भरपूर आनंद दिया। पहले जब मै स्कूल पढ़ाने जाती थी। तो शाम को वो मुझे छोड़ने घर आया करते थे। रास्ते भर में वो ब्रेक मार मार कर मेरे मम्मे अपने पीठ पर लड़ाया करते थे।
उनको इसी में बहुत मजा आता था। लेकिन मैं भी उनके जबरदस्त शरीर पर फ़िदा थी। उनका कद 6 फ़ीट से भी ज्यादा था। मैं एक बार उनको पकड़ कर बैठी थी। मेरा हाथ उनके चैन के ऊपर चला गया। बाप रे इतना बड़ा लंड मैंने पहली बार छुआ था। वो मेरे छूते ही अपना लंड खड़ा कर लेते थे।
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मैंने उनके लंड से तुरंत हाथ झटकते हुए उठाया। वो कहने लगे- “क्या हुआ सुनीता जी अपना हाथ क्यों झटक रही हो” मै चुपचाप बैठी रही। लेकिन वो बार बार मुझसे यही पूंछते रहे। मैंने बताया कि तुम्हारा इतना बड़ा खड़ा हुआ था। तो मैं छूकर डर गई। उन्होंने मुझे अपने घर ले चलने को कहने लगे।
मैंने मना किया। लेकिन वो मुझे जबरदस्ती लेकर चल दिये। उनका घर मेरे घर से 6 किलोमीटर ही था। कहने लगे शाम तक आकार छोड़ दूंगा। मै भी चली गईं। घर जाकर देखा तो वहां और कोई नहीं था। मैं और रुद्रप्रताप ही थे। उन्होंने मुझे अंदर करके दरवाजा बंद कर लिया।
मुझे डर लगने लगा। मैंने कहा- “आप करने क्या वाले है। जो अभी दरवाजा बंद कर रहे हो.”
रुद्रप्रताप- “आज घर पर कोई नहीं है। मैं तुम्हे काफी दिनों से चोदना चाहता हूँ। ये बात तुम्हे भी पता होगी.”
मै तो चौक गई। मुझे पहले से ही ये पता था कि मुझे चोदने को रुद्रप्रताप बेकरार है। लेकिन इस तरह से मुझे घर पर लाकर चोदेगा ये नहीं पता था। उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया। मैं छुड़ाने लगी। लेकिन मर्दो की पकड़ ही कुछ खाश होती है।
मैंने भी कुछ ही देर में थक कर छुड़ाना छोड़ दिया। मुझे किस करने लगे। मैंने पहले तो विरोध किया। लेकिन बाद में उनका साथ देना शुरु किया। मेरा मन भी बदलने लगा। मै भी आज चुदवाने का मूड बनाने लगी। विरोध मै कितना भी कर रही थी फिर भी मैं पहले से ही रुद्रप्रताप से चुदवाने को परेशान हो रही थी। आज मौक़ा भी था। और उनकी जबरदस्ती भी थी।
किस करके मेरे नाजुक होंठो का रस निचोड़ रहे थे। मेरी सारी लिपस्टिक छूट गई। ये सब कही चुपके से विवेक देख रहा था। हमे पता भी नहीं चला की मुझे कोई देख रहा था। मै गर्म हो चुकी थी। उसने कही से हमारी चुदाई होते फोटो खींच ली थी।
एक एक करके सारे कपडे उतार कर नंगा करके खूब चूंची चूस कर मजा लिया। आखिरी तक मेरी चुदाई करके खूब मजा दिया। झड़कर मेरे ऊपर लेट गया। खिड़की से मैंने किसी को बाहर जाते देखा। मैंने कहा कोई जा रहा है बाहर। रुद्रप्रताप जी उठे और बोले तुमने खिड़की नहीं बंद की थी।
मैंने तो दरवाजा ही बंद किया था। इतने में विवेक ने बाहर से बुलाया। मैंने आवाज सुनकर झट से कपडे पहन कर बैठ गई। रुद्रप्रताप भी अपना कपड़ा पहनकर बाहर निकल कर देखा। तो मेरा दमाद विवेक बाहर बरामदे में बैठा था। मैंने भी अंदर से निकल कर गई। उसने मेरे पैर छुआ पूंछने लगा- “आप कब आयी। और घर के सारे लोग कहाँ है। आप अकेले ही थी.”
मैं- “अभी अभी ही तो आयी हूँ। तुम बाहर ही रह गए मै अंदर चली गई।
लेकिन विवेक मुझे अजीब नजरों से देख रहा था। मेरे पीछे हर कोई दीवाना है। ये तो पता था। लेकिन मेरा दामाद भी मुझे चोदना चाहता था। रुद्रप्रताप चले गए। मै और विवेक ही घर पर थे। उसने मुझे उकसाना शुरू किया। उसने कहा- “आप बैठो मै चाय कर लाता हूँ। चार घंटे से मै यही बाहर के कमरे में सो रहा था। सर दर्द होने लगा। आप कब आई हो??”
मै तो खामोश हो गई।
मै- “अभी तो मैं भी आई हूँ। मैंने तुम्हे नहीं देखा.”
विवेक- “आप अभी नही। आप को आये लगभग एक घंटे से ऊपर हो गया.”
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मै समझ गयी। इसे सबकुछ पता होगा। उसने तुरंत ही कहाँ। आप जो गुल खिला रही है ये किसी और के साथ खिलाना। आप ने जो किया है उसे अगर किसी और को पता चला तो आप कही की नहीं रहेंगी। मै अपना सर नीचे करके बैठ गईं। मैंने सब कुछ सच सच बता दिया।
उसने कहा। मैंने भी देखा था। जब पापा आपसे जबरदस्ती कर रहे थे। लेकिन मैं उस समय बोल देता तो उन्हें पता चल जाता। मै जान गया हूँ। इसीलिए मैं चुपचाप था। खूब उछल उछल कर चुदवा रही थी। तुम्हे शर्म नहीं आ रही थी। पति के होते हुए चुदवाने का इतना ही शौक है तो… उसके बाद उसने जो भी कहा मुझे सुनकर बहुत बुरा लगा। वो बुरा भला कहने लगा।
मैंने कहा- “बस भी करो। ये सब तुम्हारे बाप का किया है। मुझे धोखे से यहां लाकर वो मेरे साथ ऐसा कर रहे थे।
उसने कहा- “मजा लिया है तो थोड़ा मजा दिखाता हूँ तुम्हे” आज मैं तुम्हारे एक घंटे पहले की चरित्र चित्रण दिखाता हूँ। किस प्रकार से तुम अपनी गांड मटका मटका कर चुदवा रही थी।
इतना कहकर अपना फोन निकाल कर मुझे सारे फोटोज दिखाने लगा। मै उसमे चुद रही थी। उनका लंड मेरी चूत में घुसा हुआ था। मै तो ये सब देखकर चौंक गई। मुझे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था। मैं क्या करूं। मेरे दिल की धड़कनें डर के मारे तेज हो गई।
मैंने हाथ जोड़कर कहा- “ये सारी फोटो डिलीट कर दो। नहीं तो किसी घर वालो ने देख लिया। तो वो मुझे मार देंगे.”
उसने कहा- “डिलीट कर दूंगा। लेकिन मैं भी कुछ चाहता हूँ.”
मै- “जो भी चाहते हो ले लो लेकिन प्लीज़ ये सब डिलीट कर दो.”
विवेक- “पक्का!! सोच लो। देना पड़ेगा नहीं तो मै सबको दिखा दूंगा.”
उसने मुझे चुदने के लिए कहने लगा। मेरी तो डर के मारे गांड फट रही थीं। मैं अभी तुरंत ही चुदी थी। तो मेरा थोड़ा सा भी मन चुदने को नहीं हो रहा था। मैंने फिर भी हाँ कर दिया। आज बाप बेटे मिल कर मेरा बाजा बजाने पर तुले हुए थे। मेरी चूत पहले बाप ने फाड़ी। अब बेटा उसे और अच्छे से फाडने पर लग गया।
उसने कहा- “जल्दी से मेरे कमरे में चलो। कोई आये उससे पहले मैं तुम्हारा काम लगा कर ख़त्म कर दूं.”
मै पास के ही उसके कमरे में चली गई। मैंने उससे बहुत कहा कि ये सब गलत है। लेकिन उसने एक ना मानी। बस अपनी बात पर ही अड़ा रहा। उसने मुझे शादी में ही देखा तब से चोदने की कल्पना करता रहता था। उसने मुझे बताया। मुझे तो इस हादसे का यकीन ही नहीं हो रहा था।
लेकिन फिर भी मानना पड रहा था। आज मै पहली बार एक ही दिन में दो दो लंड खाने जा रही थी। पहली बार तुरंत ही दोबारा चुदवाने को तैयार हो रही थी। दोनो ने मुझे रंडी बना डाला जो पैसे के लिए खूब सारे ग्राहकों से चुदवाती है। मैं बिस्तर के सामने खड़ी ही थीं।
पीछे से आकर विवेक ने मुझे पकड़ लिया। कहने लगा- “आज भी तुममे उतना ही जोश है। जितना तुममे पहले रहा होगा। मुझे भी आज अपनी इस जवानी से शांत कर दो” मै चुपचाप सुनती रही। मेरा दमाद विवेक मेरी बड़ी बड़ी चूंचियो को ब्लाउज में ही लेकर खेलने लगा।
मेरी सॉफ्ट चूंचियो से सबको खेलना बहुत अच्छा लगता है। उसका बाप भी अभी अभी खेलकर गया हुआ था। उसने मेरे होंठो से अपने होंथो को सटा कर चुसाई करने लगा। मुझे बहुत बेकार लग रहा था। लेकिन डर से मुझे ये सब करना पड़ रहा था। रुद्रप्रताप से चुदने में मेरी मर्जी भी थी। भले ही मैं न न कर रही थी।
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विवेक तो मेरी मजबूरी का फायदा उठा रहा था। मेरे कपड़ो की तारीफ़ कर रहा था। मै पतला वाला ब्लाउज पहनती हूँ। मुझे सेक्सी कपडे पहनना बहुत अच्छा लगता है। किस करते ही मैं फिर से गर्म होने लगी“..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ…. आहा …हा हा हा” की आवाज की सिसकारी निकलने लगीं।
वो भी समझ रहा था। कि मैं गर्म होने लगी हूँ। मेरे होंठ को काट काट कर बचा कुचा रस भी पी गया। इतना करके एक बार फिर मुझे नंगा होने के लिए तैयार होना पड़ा। उसने मेरी साडी को निकाल कर फेंक दिया। मै अब ब्लाउज और पेटीकोट पहने वही पर खड़ी थी।
उसने अपने बाप की तरह दरवाजा बंद करके। काम पर लग गया। आते ही मेरी ब्लाउज की हुक को खोलकर निकाल दिया। मुझे बच्चे समान विवेक के सामने ब्रा में खड़ी होना शर्म महसूस कर रही थी। लेकिन वो तो पति से भी ज्यादा बन रहा था।
मेरी ब्रा को भी निकाल कर रख मेरी खरबूजे जैसी चूंची पर अपना हाथ लगाकर मजे लेने लगा। दोनों फुट मम्मो को अपने हाथों से उछाल उछाल कर बहुत प्रसन्नता से खेल रहा था। कभी उन्हें दबाता तो कभी खींच लेता था। अचानक अपने मुह में मेरी चूंचियो सहित निप्पल को भर कर पीने लगा।
मुझे बहुत ही गर्मी का एहसास होने लगा। मै फिर से चुदने को तैयार होने लगी। उसने जैसे ही मेरे निप्पल को काट काट कर पीना शुरू किया। मै जोर जोर से “……अई…अई….अई…… अई….इसस्स्स्स्स्…….उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” की आवाज के साथ चुसवाने लगी।
मै अब फिर एक बार चुदने को तड़पने लगी। उसने मुझे खूब गर्म कर दिया। मेरी चूत से एक बार फिर से पानी निकलने लगा। उसने कुछ देर तक पीने के बाद मेरी पेटीकोट का नाडा खोलकर निकाल दिया। मुझे अब शर्म लिहाज का कोई काम नहीं था। मैं भी आज रंडी बन गई।
मैंने अपनी टांग खोलकर बिस्तर पर लेट गई। उसने मेरी चूत के दर्शन किए। मेरी पैंटी को निकाल कर अलग किया। उसके बाद दोनों टांगों को खोलकर अलग किया। चिकनी चूत देखकर इसके भी मुह में पानी आने लगा। उसने अपना मुह मेरी चूत पर लगाकर रसपान करने लगा। चूत की चिकनाहट से वो भी दंग रह गया।
आज तक उसे भी ऐसी चूत चोदने को नही मिली होगी। चिकनी चूत पर अपनी खुरदुरी जीभ लगाकर मुझे और भी ज्यादा गर्म कर दिया। चूत के दाने को पकड़ कर अपनी होंठ से खींच रहा था। मैं “अई…..अई….अई… अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…” की चीख निकाल रही थी।
चीख के निकलते ही वो और ज्यादा तेजी से काटने लगता। कुछ देर बाद निकले माल को पीकर चाट कर साफ़ कर दिया। अपना कपड़ा निकाल कर उसने अपने बाप से भी बड़ा मोटा लंड मेरी हाथो में रखकर चूसने को कहा। मैं उस बड़े मोटे गन्ने जैसे लंड को मुह में रख कर चूसने लगी।
उसका लंड बड़ा होता जा रहा था। इतना मोटा लंड तो मैंने आज तक नहीं देखा था। मैं उसे आइसक्रीम की तरह चाट चाट कर चूस रही थी। इतने दिनो में आज तक मुझे 12 इंच का लंड नहीं मिला था। नॉर्मली मुझे 6 से 8 इंच तक का ही लंड मिला था।
मैंने भी उसके लंड से थोड़ा सा माल निकाल दिया। मै भी चाट गई। उसने मेरी दोनों टाँगे खोलकर अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ कर गरम कर दिया। मेरी चूत से जैसे आग की लपटें निकलने लगी हों। मै अपनी चूत को सहलाने लगी। उसने खूब तड़पाकर मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया।
मेरी मुह से “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी….. ऊँ—ऊँ…ऊँ….” की आवाज निकलने लगी। अपना लंड धकापेल मेरी चूत में पेलने लगा। मेरे दमाद विवेक का लंड बहुत ही बेरहमी से आज मेरी चूत को फाड़ रहा था। आज तक किसी के लंड ने मुझे ऐसा दर्द नहीं दिया था।
मेरी चूत का दर्द बढ़ता ही जा रहा था। कुछ देर बाद मेरी चूत को दर्द से छुटकारा मिलने लगा। मुझे भी जोश में बहुत मजा आ रहा था। अब मैं भी विवेक का साथ दे रही थी। मै अपनी गांड उठा उठा कर चुदवा रही थी। चूत से तो मेरी जल्दी ही पानी की धारा बहने लगी।
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उसने सारा पानी पीकर मुझे झुका दिया। मै आज चुदकर बहुत थक गई थी। लेकिन फिर भी चुदने की प्यास अब भी बाकी थी। मैं जैसे ही झुकी। विवेक ने अपना काला मोटा लंड मेरी गांड में डाल कर चोदने लगा। गांड चुदाई करवाने में मुझे कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था। टाइट गांड में लंड डालते डालते उसका भी बुरा हाल हो रहा था। इतनी सकरी गांड की छेद में मोटा लंड घुसाकर गांड को भी फाड़ डाला। गांड मार कर उसने बहुत ही मजा लिया। उसका लंड घच घच की आवाज के साथ मेरी चुदाई कर रहा था।
मै भी हिला हिला कर “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..” की मीठी आवाज के साथ चुद रही थी। विवेक झड़ने वाला हो रहा था। उसने झट से अपना लंड मेरी गांड से निकाल कर। मेरी मुह में रख दिया। जोर जोर से मुठ मार कर हा हा हा.. ओ हो हो….” की आवाज के साथ झड़ गया। मै भी उसका सारा माल पी गईं। हमने जल्दी जल्दी से अपने कपडे पहने। उसके बाद उसने सारी फोटो डिलीट की। लेकिन उस चुदाई से खुश करके वो आज तक मेरी चुदाई कर रहा है।