Aurat Sex Ki Jarurat
मेरा नाम विनीत है यह मेरे जीवन का एक सच्चा सेक्स अनुभव है. दोस्तों मेरा लंड 6.5 इंच का है और में उससे खुश हूँ. में पुणे का रहने वाला हूँ और में इंजिनियरिंग कर रहा हूँ. मेरी लम्बाई 5.8 इंच है और में हर रोज़ जिम जाता हूँ. अब में अपनी आज की कहानी पर आता हूँ. यह मेरी पहली कहानी है और अगर मुझसे कोई भी गलती हुई हो तो प्लीज आप सभी मुझे माफ़ जरुर करें. Aurat Sex Ki Jarurat
दोस्तों मेरी एक बुआ है जो इंदौर में रहती है और में कभी कभी बुआ के घर छुट्टियों में जाया करता हूँ और मेरी बुआ के पति को मरे हुए अभी करीब 8 महीने हो गये है. अब बुआ की फेमिली में बुआ और उनका एक बेटा और एक बेटी है.
बुआ की उम्र करीब 44 साल है, लेकिन फिर भी बुआ चेहरे, बदन की देखरेख की वजह से दिखने में 35 साल की लगती है और बुआ का बेटा शिखर 19 साल का है, जो कि एक होस्टल में रहता है और बुआ की लड़की का नाम मनोरमा है और में उसे मनु बुलाता हूँ और उसकी उम्र 24 है.
में बहुत दिनों से सेक्सी कहानियाँ पढ़ रहा हूँ और इसी वजह से मैंने बुआ और मनोरमा के नाम की बहुत मुठ मारी. में मनोरमा को बचपन से जानता हूँ और उसकी शादी चार साल पहले हुई थी और वो अब मुंबई में रहती है. यह बात तब कि है जब मनोरमा की शादी के वक्त मेरे मामा और बुआ के पति ने उसके ससुराल वालों की कुछ माँग पूरी नहीं की.
और जिसकी वजह से ससुराल वाले उसे हमेशा तंग करते थे और उनका पति भी उनका बिल्कुल भी साथ नहीं देता था और शादी के कुछ दिनों के बाद ही उसके पति का गली में किसी लड़की से चक्कर शुरू हो गया. यह बात उसके घरवालों को पता थी और मनोरमा को भी, लेकिन बैचारी क्या करती.
उससे अब घर में बस सभी काम करवाया जाता था और शादी के दो साल बाद मनोरमा को एक लड़की हुई और फिर मनोरमा अपने मायके आ गयी. फिर उसके कुछ दिनों के बाद ही उसके पति ने उससे तलाक लिए बिना ही दूसरी शादी कर ली और दहेज के लालच में उसके घर वालों ने भी हाँ कर दी.
लेकिन यह बात मेरी बुआ और मनोरमा को बहुत देरी से मालूम पड़ी, लेकिन बैचारो ने कुछ खास नहीं किया और मनोरमा ने उसके सास, ससुर और पति पर केस कर दिया. शुरू में केस चलता रहा और बाद में एक साल बाद केस दोनों को समझा बुझाकर रफ़ा दफ़ा कर दिया और अब बैचारी मनोरमा को उसके सौतन के साथ रहना पड़ा.
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फिर ऐसे ही कुछ दिन बीत रहे थे और फिर मनोरमा ज़्यादातर बुआ के घर ही आती जाती थी. वैसे में बता दूँ कि मनोरमा थोड़ी रंग की सावली है और उसका फिगर भी ठीक ठाक है, यही कुछ 34-30-32 और उसके बूब्स को देखने पर लगता है कि वो अब ब्लाउज से बाहर आने को तरसते है.
अब बात यह है कि वो बैचारी अपनी शादीशुदा ज़िंदगी में बिल्कुल भी खुश नहीं थी और उसकी बेटी को ससुराल वाले बहुत प्यार करते थे, लेकिन उसे कोई भी प्यार नहीं करता था और यहाँ तक कि उसका पति भी नहीं. फिर इसी दौरान मनोरमा कुछ दिनों के लिए इंदौर आई हुई थी और में भी अपनी गर्मियों की छुट्टियों में बुआ के घर पर गया हुआ था.
मैंने जब मनोरमा को वहां पर देखा तो एकदम से दंग रह गया. मैंने मन ही मन सोचा कि इतनी अच्छी माल को उसके पति ने भले कैसे छोड़ दिया? आते ही बुआ ने मेरा स्वागत किया तो हमारे बीच इधर उधर की बातचीत हुई.
फिर बुआ ने हमे नाश्ता परोसा और नाश्ता करने के बाद हम लोग छत पर चले गये और बुआ पास की गली में किसी के घर पर चली गयी. फिर हम लोग शुरू में इधर उधर की बातें करने लगे, मनोरमा मुझसे मेरी पढ़ाई के बारे में पूछने लगी, लेकिन मेरी नज़र बार बार उसकी छाती पर जा रही थी, वैसे भी मेरा उस वक्त कोई ऐसा गलत इरादा नहीं था.
फिर हम लोग फिर से इधर-उधर की बातें करने लगे और वैसे उसने मुझे दो तीन बार अपनी छाती पर देखते हुए पकड़ लिया था, लेकिन फिर भी उसने मेरे साथ कोई ऐसा व्यहवार नहीं किया और बातें करते करते में उसको कुछ ज़्यादा ही घूरकर निहारता गया, जैसे कि उसके चेहरे की चमक, हल्के काले होंठ, पतली कमर, बाहर की तरफ उभरी हुई गांड, उसके गोल मस्त गाल, मस्त चंचल आँखे और भी बहुत कुछ.
फिर मनोरमा बालकनी में खड़ी हो गयी और बाहर का नजारा देखने लगी, में भी उससे सटकर खड़ा हो गया और उसके जिस्म के छूने से मुझे एक अजीब सी झुरझुरी आ गयी. तभी मनोरमा ने मुझसे पूछा कि क्या हुआ तुम्हे? फिर मैंने बोला कि कुछ नहीं, लेकिन शायद वो अब समझ गयी थी.
और कुछ देर बाद बातों ही बातों में मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उससे पूछा कि यार मनोरमा तुम कितना काम करती हो, देखो तुम्हारे हाथ कितने खराब हो गये? फिर वो बोली कि मेरे नसीब में अब बस यही सब लिखा है और किसी को मेरी कुछ भी नहीं पड़ी और वो बहुत उदास होकर यह सब बोल रही थी.
फिर मैंने मौका देखकर उसका हाथ अब ऊपर तक पकड़ लिया और बोला कि प्लीज यार ऐसा मत कहो, एक दिन सब कुछ बिल्कुल ठीक हो जाएगा, उस समय वह नीचे की तरफ देख रही थी तो मैंने उसका चेहरा उठाया और उसकी आखों में अब पानी आ चुका था.
मैंने उसके आंसू साफ किए तो वो कुछ ज्यादा ही गमगीन हो गयी और फिर वो मुझसे गले लग गयी. फिर मैंने भी अपना एक हाथ उसके सर पर रख दिया और दूसरे हाथ से उसकी पीठ को सहलाने लगा. वो बैचारी मुझसे चिपक कर रो रही थी और नीचे मेरा लंड खड़ा हो गया.
फिर में उसके बड़े बड़े बूब्स मेरी छाती पर महसूस करने लगा और हम कुछ देर ऐसे ही चिपके रहे, तभी अचानक से हमें बुआ की आवाज़ आई, कहाँ हो तुम दोनों? फिर मैंने कहा कि हम ऊपर छत पर है और अभी आ रहे है. फिर हम नीचे आ गये और बुआ किचन में काम करने लगी.
फिर में और मनोरमा टी.वी. देखने लगे, मेरा लंड अभी भी पेंट में खड़ा हुआ था और में उसे छुपाने की कोशिश कर रहा था, मनोरमा फिल्म कम और मुझे ज़्यादा देख रही थी. फिर में भी उसे ऊपर से नीचे तक देख रहा था, उसके उठे हुए बूब्स और आँखों में अलग सी एक चमक थी.
उसने हल्के गुलाबी रंग की साड़ी और ब्लाउज पहना हुआ था और अंदर काली कलर की ब्रा पहनी हुई थी, जिसकी डोरी मुझे साफ साफ दिख रही थी, मनोरमा उस समय बहुत मस्त कमाल की लग रही थी. फिर कुछ देर के बाद बुआ ने उसे किचन में बुला लिया और में ऊपर वाले कमरे में चला गया और मनोरमा के नाम की मुठ मारने लगा.
और अब में मनोरमा को चोदने का मौका ढूंढने लगा और उसकी चुदाई का विचार करने लगा. फिर रात में खाना खाने के बाद हम बुआ के साथ गप्पे मारने लगे और कुछ समय के बाद बीच में ही मनोरमा सोने के लिए ऊपर अपने कमरे में चली गयी.
फिर मैंने और बुआ ने थोड़ी देर बातें की, तब बुआ मुझे बता रही थी कि मेरी बेटी मनोरमा के साथ ज़िंदगी में बहुत ना इंसाफी हुई है और वो बैचारी हमेशा अकेली और शांत रहती है, लगता है कि इसमें कोई जान नहीं है और वो ठीक से खाना भी नहीं खाती और ना ही बात करती, बस दिन भर बैचारी चिंता में रहती है. यह बात कहते वक्त बुआ की भी आँखो में आंसू आ गये.
फिर मैंने कहा कि कोई बात नहीं बुआ अब में कुछ दिनों के लिए यहाँ पर आया हूँ तो उसे कुछ दिनों के लिए मेरी दोस्ती मिल जाएगी, यह बात कहते वक्त में बुआ को बिल्कुल सटकर बैठ गया तो मुझे बुआ के बूब्स दिख गये, थोड़े झूले हुए थे, लेकिन वो तो मनोरमा से भी बड़े थे.
फिर मैंने कहा कि में सब ठीक कर दूँगा, लेकिन उस वक्त मुझे ही पता था कि में कैसे ठीक करने वाला था. फिर दो मिनट के लिए बुआ को अपने विचारों में लेकर में फिर से गरम हो गया और अब मेरा लंड पेंट में खलबली मचाने लगा और बुआ मेरे सर पर हाथ फेरते हुए बोली कि जा बेटा वो अपने कमरे में ही होगी और शायद अभी तक सोई भी नहीं होगी, जा उससे कुछ बातें कर, मुझे नींद आ रही है और वैसे मुझे कल बाबा के आश्रम जाना है.
फिर में ऊपर चला गया और मैंने देखा कि मनोरमा जागी हुई थी और वो मुझे देखकर उठकर बैठ गई. फिर मैंने कहा कि यार मनोरमा ज़िंदगी एक ही बार मिलती है तो उसको एंजाय करो, उस एक बात को लेकर कितने दिन तक परेशान रहोगी? मैंने उसे थोड़ा समझाने की कोशिश की और आकर उसके पास में जाकर बैठ गया.
फिर वो मेरे कंधे पर सर रखकर फिर से रोने लगी. मैंने उसे शांत कराया और उसका एक हाथ मेरे हाथ में ले लिया और सहलाने लगा और कहा कि तुम ऐसी उदास सी मत रहा करो और जब तुम्हारे पति को तुम्हारे बारे में कुछ चिंता नहीं है तो तुम भी उसके बारे में अब सोचना बंद कर दो और अपनी बेटी की तरफ ध्यान दो.
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फिर वो और ज़ोर से सिसक सिसककर रोने लगी और मुझसे और भी चिपक गयी. फिर मैंने उसे अपनी बाहों में ले लिया और उस वक्त थोड़ा में भी उदास सा हो गया था. अब उसका सर अपने दूसरे हाथ से सहलाने लगा और हल्के से मैंने उसका माथा चूम लिया और बोला कि ऐसे नहीं हारते और मैंने उसे फिर से चूम लिया, लेकिन वो कुछ नहीं बोली और फिर मेरी भूख बड़ गयी.
फिर मैंने उसे ऊपर से नीचे तक निहारा और उसके पैर, जांघे, कमर, पेट, बूब्स और फिर मैंने उसका चेहरा उठाया और उसके आँसू साफ किए और उसने उसकी आँखे बंद कर ली थी तो मैंने हल्का सा एक किस उसके गाल पर किया. दोस्तों में क्या बताऊँ कैसा था वो पल? मेरा लंड पेंट में खड़ा हुआ था और मैंने उसको दूसरे गाल पर किस किया.
फिर मैंने उसे ऊपर उठाया और कहा कि क्या हुआ, ऐसी शांत क्यों हो? वो कुछ नहीं बोली और फिर मैंने अपना अंगूठा उसके कोमल गाल, होंठो पर घुमाया तो उसके शरीर में एक अलग सा जोश आ गया और वो अपने होंठो को काटने लगी और मुझसे लिपट गयी.
फिर मैंने पूरे जोश से उसके होंठ पर हल्का सा किस किया और उसके बहुत गरम और नरम होंठ थे और उसके बूब्स भी अब ब्लाउज में से उठे हुए दिख रहे थे. फिर मैंने उसके चेहरे पर से आए हुए कुछ बालों को हटाया और होंठ को किस किया, लेकिन कुछ देर के बाद वो भी मेरा पूरा पूरा साथ देने लगी और हम एक दूसरे के होंठ मानो काट रहे थे.
यह किस करीब दो मिनट तक चला और किस करते वक्त मेरा एक हाथ उसकी छाती पर पहुंच गया था और मेरा लंड भी अब बहुत बड़ा हो गया था. फिर मैंने हाथ उसके पेट और नाभि पर घुमाया और फिर वो अब कुछ ज़्यादा ही सिसकने लगी और मैंने एक और जोश भरा किस किया.
जिसमें हम एक दूसरे के मुहं में जीभ डालने लगे और किस करते करते में उसके गाल, गर्दन पर किस करने लगा और मेरा दूसरा हाथ पेट से होकर उसके पेटीकोट का नाड़ा खोलने लगा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और आँखो से ही ना का इशारा किया, लेकिन मैंने महसूस किया कि असल में उसकी आँखो में एक अलग सी भूख और प्यास थी.
और फिर उसकी गर्दन पर किस करते वक्त मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और फिर मैंने उसकी चूत पर हाथ लगाकर महसूस किया कि वो बहुत गरम और गीली थी, जैसे ही मैंने उसे हाथ से टटोला तो वो मुझसे कसकर लिपट गयी और बोली कि आहहहह विनीत क्या कर रहा है तू?
फिर मैंने कहा कि मनोरमा कुछ नहीं तुम बस मज़े लो डार्लिंग और अब में एक हाथ में उसके चेहरे को पकड़कर माथे, गाल, होंठ, गर्दन को चूमता रहा और एक हाथ से उसकी चूत को सहला रहा था. वो बहुत अजीब सी आवाज़े निकालती रही और थोड़ी देर बाद ऐसे ही चलता रहा.
अब उसने मेरे लंड को पेंट के ऊपर से पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी और में उठ गया और मैंने उसे बेड पर लेटा दिया और उसकी साड़ी का पल्लू हटाकर उसके बूब्स ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा. फिर वो बोली कि थोड़ा प्यार से विनीत बहुत दर्द होता है, यह कहने के बाद ही मैंने उसके होंठ को किस किया और उसका ब्लाउज खोल दिया.
और उसके बूब्स को ब्रा के अंदर से आज़ाद करके उसे पागलों की तरह चूसने लगा और वो अह्ह्ह्हहह उह्ह्हह्ह की आवाज़े करती रही. फिर मैंने उसकी साड़ी को और पेटीकोट को उतार दिया, वो अब बिल्कुल नंगी हो गयी, बस उसकी जिस्म पर एक पेंटी ही बची हुई थी और वह पागलों की तरह बेड पर तड़पने लगी और मुझसे बोली कि आहह उफ्फ्फ्फ़ विनीत में बहुत प्यासी हूँ और बहुत सालों से नहीं चुदी हूँ.
फिर मैंने कहा कि हाँ मनोरमा में वहीं सब तो कर रहा हूँ, वो उठी और अपनी ब्रा की डोरी को पीछे से खोल दिया और मुझे अपने ऊपर लेकर किस करने लगी, वो मेरे कानों को धीरे धीरे काटने लगी और अपने दोनों हाथ मेरी पीठ पर घुमाने लगी और फिर मेरी गर्दन और छाती को किस करने लगी.
फिर में भी अब बहुत गरम हो गया था. मैंने उसकी पेंटी को भी उतार दिया और उसकी चूत में अपनी एक उंगली को डाल दिया, वो मुझसे और चिपकने लगी और फिर बोली कि प्लीज अब और मत तरसाओ, चोद दो मेरे भाई, प्लीज आज एक बार चोद दो मुझे.
फिर मैंने उसकी चूत को देखा और चाटने के लिए नीचे गया तो वो बोली कि तू यह क्या कर रहा है? मैंने कहा कि अरे बस मज़े लो, ब्लू फिल्म में ऐसा ही होता है. मैंने भी अभी तक बस ब्लू फिल्म में देखा था कि चूत को चाटते है और चाट भी पहली बार रहा था.
फिर मैंने उसकी चूत पर जीभ लगाई और उसकी चूत का बहुत अजीब सा नमकीन सा स्वाद था और थोड़ा थोड़ा करके में अपनी जीभ को चूत के अंदर बाहर करने लगा और चूत को हल्का सा काटने, चूसने लगा. मेरे ऐसा करने से मनोरमा मेरे सर को ज़ोर से अपनी चूत पर दबाने लगी और अपने होंठो को काटने लगी और फिर कुछ देर बाद आखिर में मेरे मुहं में झड़ गई और वो पागलों की तरह हाथ पैर पटकने लगी.
फिर मैंने भी देर नहीं की और उसकी चूत पर लंड रखा और हल्का सा धक्का मारा तो वो एकदम से चिल्ला पड़ी. फिर मैंने उसके होंठो को किस करना चालू रखा और फिर दूसरा धक्का दिया तो मेरा लंड अब आधे से ज़्यादा अंदर चला गया था और जैसे ही मैंने और दो जोरदार धक्के मारे तो मेरा पूरा का पूरा लंड अंदर जा चुका था.
जिसकी वजह से मनोरमा की आँखो में पानी आ गया और में समझ सकता था कि बैचारी बहुत सालों से चुदी नहीं और में धीरे धीरे धक्के मारने लगा तो कभी कभी मेरा लंड बाहर निकल जाता, क्योंकि यह चुदाई मेरी पहली चुदाई थी. फिर बहुत कोशिश करने के बाद मुझे थोड़ा आराम मिला और में मनोरमा को चोदने लगा.
और उसी वक्त उसकी गर्दन और होंठो को किस करता रहा और वो भी किस करने लगी और अपने नाख़ून मेरी पीठ पर गड़ाने लगी और कहने लगी कि विनीत चोद हाँ उह्ह्ह्ह और ज़ोर से मेरे भाई अहह्ह्हह्ह्ह्ह हाँ और ज़ोर से धक्के दे, मेरी चूत को आज शांत कर दे, इसकी भूख मिटा दे.
फिर में लगातार ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर उसे चोदता रहा और करीब आधे घंटे की मस्त चुदाई के बाद जब में झड़ने वाला था तो में और भी ज़ोर से धक्के मारने लगा. फिर मनोरमा ने मेरी पीठ पर पूरे नाख़ून गड़ा दिए और फिर में उसकी चूत के अंदर ही झड़ गया. दोस्तों आप सभी को क्या बताऊँ उस वक्त मुझे ऐसा लगा कि में ज़न्नत में हूँ.
लेकिन इस दौरान मनोरमा भी दो बार झड़ चुकी थी और मेरा लंड अभी तक उसकी चूत में था. फिर मैंने उसके होंठो पर एक ज़ोरदार किस किया और उसकी आँखो में अब एक अजीब सी संतुष्टि थी. फिर उसने मेरा सर चूमा और कहा कि धन्यवाद विनीत और में उसके सीने पर सर रखकर पड़ा रहा और मुझे कब नींद आई पता ही नहीं चला.
फिर सुबह जब खिड़की से रोशनी मेरे चेहरे पर आई तो में उठ गया और मैंने देखा कि उस समय 8 बजे है और मेरा लंड अभी तक मनोरमा की चूत के बिल्कुल पास था. मैंने मनोरमा के चेहरे को देखा और अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसे एक गरमा गरम किस करके उठाया तो वह झटपट उठी और बोली कि उठो जल्दी बुआ आश्रम जाने वाली है, उन्हे टिफिन बनाकर देना है.
लेकिन उसे पूरी नंगी देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया और उसने मुझे अपने ऊपर से हटाया और साड़ी पहनने लगी और बोली कि विनीत क्या तुम कल रात चूत के अंदर ही झड़े? तो मेरे हाँ कहने पर वो मुझसे बोली कि तुम नाश्ता करने के बाद मेडिकल से एक गर्भनिरोधक गोली ले आना और मैंने कहा कि ठीक है.
फिर मैंने भी अपने कपड़े पहने और उतरकर नीचे आया और मैंने देखा कि बुआ किचन में खाना बना बना रही है. फिर मैंने बुआ को गुड मॉर्निंग किया और डाइनिंग टेबल पर बैठ गया, मनोरमा आई और बुआ को लिपटकर उसने गुड मॉर्निंग किया, मनोरमा आज बहुत खुश नज़र आ रही थी और वो बुआ को उनके काम में मदद करने लगी.
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फिर बुआ बोली कि अरे में खुद तुम लोगों को उठाने के लिए ऊपर आने वाली थी. फिर मैंने सोचा कि शायद बच्चे रात को बातें करके देर से सोए होंगे तो इसलिए मैंने तुम्हे सोने दिया. अब मनोरमा बुआ से बहुत अच्छी तरह से बातें कर रही थी और काम भी, तभी बुआ बोली कि में अब आश्रम जा रही हूँ कुलकर्णि बाई के साथ और शाम 6 बजे तक लौटूँगी तो मनोरमा ने कहा कि ठीक है और वो टॉयलेट के लिए चली गई.
फिर बुआ ने मुझसे बोला कि बेटा मनोरमा मुझे बहुत दिनों के बाद ऐसी खुश नज़र आई और उसका अच्छे से ख्याल रखना, में जा रही हूँ और बुआ टिफिन पैक करके चली गयी. दोस्तों अब मुझे ही मनोरमा की खुशी का राज पता था और में बहुत अच्छी तरह से जानता था कि उसकी खुशी कैसे वापस आई है. फिर बुआ के जाने के बाद में और मनोरमा एक साथ नहाए और उस दिन मैंने मनोरमा को तीन बार चोदा और मैंने उसके साथ और उसने मेरे साथ बहुत मजा किया.
Raman deep says
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