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मौसी किशोर भांजे को चुदाई करना सिखाने लगी

अप्रैल 19, 2024 by hamari

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जब मेरा यौन जीवन शुरू हुआ और वह भी मेरी सग़ी मौसी के साथ, तब मैं एक कमसिन किशोर था अब मैं एक बड़ी कंपनी में उँचे ओहदे पर हू और हर तरह का मनचाहा संभोग कर सकने की स्थिति में हू मुझमें सेक्स के प्रति इतनी आस्था और चाहत जगाने का श्रेय मेरी प्यारी दामिनी मौसी को जाता है. Aunty Nephew Sex

और बाद में यह मीठी आग हमारे पूरे परिवार में लगी उसका कारण भी दामिनी मौसी से सेक्स के बाद मैं ही बना. अपने बारे में कुछ बता दूं मैं बचपन में एक दुबला पतला, छरहरा, गोरा चिकना किशोर था मेरे गोरे चिकने छरहरे रूप को देख कर सभी यह कहते कि ग़लती से लडका बन गया, इसे तो लड़की होना चाहिए था!

मुझे बाद में मौसी ने बताया कि मैं ऐसा प्यारा लगता था कि किसी को भी मुझे बाँहों में भर कर चूम लेने की इच्छा होती थी ख़ास कर औरतों को इसीलिए शायद मेरे रिश्ते की सब बड़ी औरतें मुझे देखकर ही बड़ी ममता से मुझे पास लेकर अक्सर प्यार से बाँहों में ले लेती थीं.

मुझे तो इस की आदत हो गयी थी बाद में मौसी से यह भी पता चला कि सिर्फ़ ममता ही नहीं, कुछ वासना का भी उसमें पुट था और मैं सिर्फ़ औरतों को ही नहीं, कुछ मतवाले मर्दों को भी अच्छा लगता था! मेरी माँ की छोटी बहन दामिनी मौसी मुझे बचपन से बहुत अच्छी लगती थी माँ के बजाय मैं उसी से लिपटा रहता था.

उसकी शादी के बाद मिलना कम हो गया था बस साल में एक दो बार मिलते पर यहा बचपन का प्यार बिलकुल भोला भाला था मौसी थी भी खूबसूरत गोरी और उँची पूरी, काली कजरारी आँखें, लंबे बाल जिन्हें वह अक्सर उस समय के फैशन में याने दो वेनियों में गुंठती थी, और एक स्वस्थ कसा शरीर.

अब मैं किशोर हो गया था तो स्त्रियों के प्रति मेरा आकर्षण जाग उठा था ख़ास कर उम्र में बड़ी नारियों के प्रति मेरी कुछ टीचर्स और कुछ मित्रों की माओं के प्रति मैं अब बहुत आकर्षित होने लगा था अकेले में उनके सपने देखते हुए हस्तमैथुन करने की भी आदत लग गयी थी दामिनी मौसी के प्रति मेरा यौन आकर्षण अचानक पैदा हुआ.

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एक शादी के लिए सारे रिश्तेदार जमा हुए थे सिर्फ़ अजय अंकल याने दामिनी मौसी के पति, मेरे मौसाजी, नहीं आए थे दामिनी मौसी से एक साल बाद मिल रहा था वे अब अडतीस उनतालीस साल की थीं और उसी उम्र की औरतें मुझे अब बहुत अच्छी लगती थीं.

शादी के माहॉल में बड़ी भीड़ थी और कपड़े बदलने के लिए एक ही कमरा था जल्दी तैयार होकर सब चले गये और सिर्फ़ मैं और दामिनी मौसी बचे. दामिनी मौसी सिर्फ़ पेटीकोट और ब्रा पहने टावल लपेटकर बाथरूम में से बाहर आई मुझे तो वह बेटे जैसा मानती थी इसलिए बेझिझक टावल निकालकर कपड़े पहनने लगी.

मैंने जब काली ब्रा में लिपटे उनके फूले उरोज और नंगी चिकनी पीठ देखी तो सहसा मुझे महसूस हुआ कि चालीस के करीब की उम्र के बावजूद मौसी बड़ी आकर्षक और जवान लगती थी टाइट ब्रा के पत्ते उनके गोरे मांसल बदन में चुभ रहे थे और उनके दोनों ओर का माँस बड़े आकर्षक ढंग से फूल गया था.

मेरे देखने का ढंग ही उसकी इस मादक सुंदरता से बदल गया और सहसा मैंने महसूस किया कि मेरा लंड खड़ा हो गया है झेंप कर मैं मुड गया जिससे मेरी पैम्ट में से मौसी को लंड का उभार ना दिख जाए मैं भी तैयार हुआ और हम शादी के मंडप की ओर चले.

इसके बाद उन दो दिनों में मैं छुप छुप कर मौसी को घुरता और अपने लंड को सहलाता हुआ उसके शरीर के बारे में सोचता रात को मैंने हाल में सोते समय चादर ओढ कर मौसी के नग्न शरीर की कल्पना करते हुए पहली बार मुठ्ठ मारी मुझे लगा कि उसे मेरी इस वासना के बारे में पता नहीं चलेगा पर बाद में पता चला कि मौसी ने उसी दिन सब भाँप लिया था.

और इसलिए बाद में खुद ही पहल करके मुझे प्रोत्साहित किया वह भी मेरी तरफ बहुत आकर्षित थी. शादी के बाद भी रिश्तेदारों की बहुत भीड़ थी जो अब हमारे घर में आ गयी सोने का इंतजामा करना मुश्किल हो गया एक बिस्तर पर दो को सोना पड़ा.

मौसी ने प्यार से कहा कि मैं उसके पास सो जाऊ मेरा दिल धडकने लगा थोड़ी डर भी लगा कि मौसी के पास सोने से उसे मेरे नाजायज़ आकर्षण के बारे में पता तो नहीं चलेगा. पर मैं इतना थका हुआ था कि दस बजे ही मच्छरदानी लगाकर रज़ाई लेकर सो गया.

पास ही एक दूसरे पलंग पर भी दो संबंधी सो रहे थे मौसी आधी रात के बाद गप्पें खतम होने के बाद आई और रज़ाई में मेरे साथ घुस गई मच्छरदानी लगी होने से अंधेरे में किसी को कुछ दिखने वाला नहीं था और मौसी ने इस मौके का फ़ायदा उठा लिया.

किसी के स्पर्ष से मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि मौसी ने प्यार से मुझे बाँहों में समेट लिया है पास से उसके जिस्म की खुशबू और नरम नरम उरोजो के दबाव से मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया मैंने घबराकर अपने आप को छुड़ाने का प्रयास किया कि करवट बदल लूँ; कहीं पोल ना खुल जाए.

पर मौसी भी बड़ी चालू निकली मेरे खड़े लंड का दबाव अपने शरीर पर महसूस करके उसने मुझे और ज़ोर से भींच लिया और एक टाँग उठाकर मेरे शरीर पर रख दी रज़ाई पूरी ओढ ली और फिर कान में फुसफुसा कर बोली “राज, तू इतना बदमाश होगा मुझे पता नहीं था.

अपनी सग़ी मौसी को देख कर ही एक्साइट हो गया? परसों से देख रही हू कि तू मेरी ओर घूर घूऱ कर देखता रहता है! और यह तेरा शिश्न देख कैसा खड़ा है!” मैं घबरा कर बोला “सॉरी मौसी, अब नहीं करूँगा पर तुम इतनी सुंदर दिखती हो, मेरा बस नहीं रहा अपने आप पर.”

मेरे आश्चर्य और खुशी का ठिकाना ना रहा जब वह प्यार से बोली “अरे इसमें सॉरी की क्या बात है? इस उम्र में भी मैं तेरे जैसे कमसिन लडके को इतनी भा गई, मुझे बहुत अच्छा लगा और तू भी कुछ कम नहीं है बहुत प्यारा है.”

और मौसी ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और मुझे चूमने लगी उसके मुँह का स्वाद इतना मीठा और नशीला था कि मैं होश खो बैठा और उसे बेतहाशा चूमने लगा चूमते चूमते मौसी ने अपना ब्लओज़ उतार दिया मेरा चुम्मा लेते लेते अब मौसी अपनी ब्रा के हुक खोल रही थी.

चुंबना तोड कर उसने मेरे सिर को झुका कर अपनी छातियों में दबा लिया दो मोटे मोटे कोमल मम्मे मेरे चेहरे पर आ टिके और दो कड़े खजूर मेरे गालों में गढ्ने लगे मैं समझ गया कि ये मौसी के निपल हैं और मुँह खोल कर मैंने एक निपल मुँह में ले लिया और बच्चे जैसा चूसने लगा.

मौसी मस्ती से आहें भरने लगी और मुझे डर लगा कि कहीं कोई सुन ना ले पर रज़ाई से पूरा ढका होने से कोई आवाज़ बाहर नहीं जा रही थी मौसी अब बहुत कामुक हो गयी थी और उसे अपनी वासनापूर्ति के सिवाय कुछ नहीं सूझ रहा था. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

इसलिए उसने फटाफट मेरे पायजामे से मेरा लंड निकाल लिया मौसी के कोमल हाथ का स्पर्श होते ही मुझे लगा कि मैं झड जाउन्गा पर किसी तरह मैंने अपने आप को संभाला. मौसी अपने दूसरे हाथ से कुछ कर रही थी जो अंधेरे में दिख नही रहा था.

बाद में मैं समझ गया कि वह अपनी चड्डी उतार रही थी अपनी टाँगें खोल कर मौसी ने मेरा लंड अपनी तपी हुई गीली चुनमुनिया में घुसेड लिया {दोस्तो यहाँ मैं आपको बता दूं कि मैं चूत को चुनमूनियाँ कह रहा हूँ आशा है आपको अच्छा लगेगा} उसकी चुनमुनिया इतनी गीली थी कि बिना किसी रुकावट के मेरा पूरा शिश्न उसमें एक बार में ही समा गया.

दामिनी मौसी ने अपनी टाँगों के बीच मेरे बदन को जकड लिया था फिर एकाएक पलट कर उसने मुझे नीचे किया और मेरे उपर लेट गई उसका निपल मेरे मुँह में था ही, अब उसने और ज़ोर लगा कर आधी चूची मेरे मुँह में ठूंस दी और फिर मुझे चुपचाप बिना कोई आवाज़ निकाले चोदने लगी.

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पलंग अब हौले हौले चरमराने लगा पर उसकी परवाह ना करते हुए मौसी मुझे मस्ती से चोदती रही. मैं मौसी के बदन के नीचे पूरा दबा हुआ था पर उस नरम टेप चिकने बदन के वजन का मुझे कोई गिला नहीं था इस पहली मीठी चुपचाप अंधेरे में की जा रही.

चुदाई से मेरा लंड इस कदर मचला कि मैं दो मिनट की चुदाई में ही झड गया मुँह में मौसी का स्तन भरा होने से मेरी किलाकारी नहीं निकली, सिर्फ़ गोंगिया कर रह गया मौसी समझ गई कि मैं झड गया हु पर बिना ध्यान दिए वह मुझे चोदती रही जैसे उसे कोई फरक ना पड़ता हो.

झड कर भी मेरा लंड खड़ा रहा, मेरी कमसिन जवानी का यह जोश था मौसी को यह मालूम था और उसकी चुनमूनिया अभी भी प्यासी थी उसकी साँस अब ज़ोर से चल रही थी और वह बड़ी मस्ती से मुझे खिलौने के गुड्डे की तरह चोद रही थी.

पाँच मिनट में मेरा लंड मौसी की चुनमुनिया के घर्षण से फिर तन कर खड़ा हो गया था इस बार मैंने अपने आप पर काबू रखा और तब तक अपने लंड को झडने नहीं दिया जब तक एक दबी सिसकारी छोड़ कर मौसी स्खलित नहीं हो गई.

मौसी ने करवट बदली और मुझे प्यार से चूम लिया वह हांफ रही थी, ठंड में भी उसे पसीना आ गया था उसके पसीने के खुशबू भी बड़ी मादक थी मेरे कान में धीमी आवाज़ में उसने पूछा कि चुदाई पसंद आई? मैंने जब शरमा कर उसे चूम कर उसकी छातियों में अपना सिर छुपा लिया.

तो उसने मुझे कस कर बाहों में भींच लिया और पूछा “राजा बेटे, कल मैं चली जाऊन्गी, तेरी बहुत याद आएगी” मैंने उससे प्रार्थना की कि मुझे अपने साथ ले जाए वह हँस कर मेरे बाल सहलाती हुई बोली कि मैं गर्मी की छुट्टियो तक रुकू, फिर वह माँ से कह कर मुझे अपने यहाँ बुला लेगी.

हम थक गये थे और कुछ ही देर में गहरे सो गए मौसी ने मेरा लंड अपनी चुनमुनिया में क़ैद करके रखा और रात भर मेरे उपर ही सोई रही मौसी के मांसल गदराए शरीर का काफ़ी वजन था पर मैं चुपचाप रात भर उसे सहता रहा सुबह मौसी ने मुझे एक बार और चोदा और फिर मुझे एक चुम्मा दे कर वह उठ गई थकान और तृप्ति से मैं फिर सो गया.

मौसी के नग्न बदन की सुंदरता को मैं अंधेरे में नहीं देख पाया, यह मुझे बहुत बुरा लगा. दूसरे दिन मौसी ने माँ को मना लिया कि गर्मी की छुट्टियो में मुझे उसके यहाँ भेज दे फिर मेरी ओर देखकर मौसी मुस्कराई उसकी आँखों में एक बड़ी कामुक खुमारी थी और मुझे बहुत अच्छा लगा कि मेरी सग़ी मौसी को मैं इतना अच्छा लगता हू कि वह इस तरह मुझ से संभोग की भूखी है.

पर जाते जाते मौसी मुझे जता गई कि अगर मुझे कम मार्क्स मिले तो वह मुझे नहीं बुलाएगी मैंने भी जी जान लगा दिया और अपनी क्लास में तीसरा आया मौसी को फ़ोन पर जब यह बताया तो वह बहुत खुश हुई और मुझे बोली “तू जल्दी से आजा बेटे, देख तेरे लिए क्या मस्त इनाम तैयार रखा है.”

और फिर फ़ोन पर ही उसने एक चुम्मे की आवाज़ की मेरा लंड खड़ा हो गया और माँ से उसे छिपाने के लिए मैं मुड कर मौसी से आगे बातें करने लगा. दूसरे ही दिन मैं नासिक के लिए रवाना हो गया मौसी एक छोटे खूबसूरत बंगले में रहती थी.

जब मैं मौसी के घर पहुँचा तो अजय अंकल बाहर जाने की तैयारी कर रहे थे अजय अंकल, मेरे मौसाजी असल में मौसी से चार पाँच साल छोटे थे दोनों का प्रेम विवाह हुआ था मौसी को कोई संतान नहीं हुई थी पर फिर भी वे दोनों खुश नज़र आते थे.

अजय मौसाजी एक बड़े आकर्षक मजबूत पर छरहरे गठीले बदन के नौजवान थे और काफ़ी हैम्डसम थे उन्होंने मेरा बड़े प्यार से स्वागत किया और बोले कि मैं एकदमा ठीक समय पर आया हू क्योंकि उन्हें कुछ दिनों के लिए बाहर दौरे पर जाना था “तेरी मौसी भी अब अकेले बोर नहीं होगी” उन्होंने कहा.

मैंने नहा धोकर आराम किया मौसाजी शाम को निकल गये और मैं और मौसी ही घर में बचे. दरवाजा लगाकर मौसी ने अपनी बाँहें पसार कर मुझे पास बुलाया “राजा, इधर आ, एक चुंबन दे जल्दी से बेटे, कब से तरस रही हू तेरे लिए.”

मैं दौड कर मौसी से लिपट गया और उसने मेरा खूब देर तक गहरा उत्तेजना पूर्ण चुंबन लिया मैं तो अब उसपर चढ जाना चाहता था पर मौसी ने कहा कि अभी जल्दी करना ठीक नहीं, लोग घर आते जाते रहते हैं और अब तो सारी रात और आगे के दिन पड़े थे मज़ा लूटने के लिए.

आज मौसी एक पारदर्शक काले शिफान की साड़ी और बारीक पतला ब्लओज़ पहने थी, जैसे अपने पति को रिझा रही हो ब्लओज़ में से सफेद ब्रेसियर के पट्टे सॉफ दिख रहे थे खाना खाते खाते ही मेरा बुरा हाल हो गया मौसी मेरी इस हालत पर हँसने लगी और मुझे प्यार से चिढाने लगी.

खाना समाप्त होने पर मुझे जाकर उसके बेडरूम में इंतजार करने को कहा “तू चल और तैयार रह अपनी मौसी के स्वागत के लिए तब तक मैं सॉफ सफाई करके और दरवाजे लगाकर आती हूँ” मैं मौसी के बड़े डबल बेड पर जाकर बैठ गया मेरा लंड अब तक तन्ना कर पूरा खड़ा हो गया था.

आधे घंटे बाद मौसी आई उसने दरवाजा बंद किया और पैंट में से मेरे खड़े लंड के उभार को देखकर मुस्कराते हुए बोली “अरे मूरख, अभी तक नंगा नहीं हुआ? क्या अब बच्चों जैसे तेरे कपड़े मैं उतारूं?” पास आकर उसने मेरे कपड़े खींच कर उतार दिए और मुझे नंगा कर दिया मेरे साढ़े पाँच इंच के गोरे कमसिन शिश्न को उसने हाथ में लेकर दबाया और बोली “बड़ा प्यारा है रे, गन्ने जैसा रसीला दिखता है, चूस कर देखती हूँ कि रस कैसा है.”

मेरे कुछ कहने के पहले ही मौसी मेरे सामने घुटने टेक कर बैठ गई और मेरे लंड को चूमने और चाटने लगी उसकी गुलाबी जीभ का मेरे सुपाडे पर स्पर्श होते ही मेरे मुँह से एक सिसकारी निकल गई”दामिनी मौसी, अब बंद करो नहीं तो आपके मुँह में ही झड जाऊँगा.”

मुस्करा कर वह बोली कि यही तो वह चाहती थी फिर और समय ना बरबाद करके मेरे पूरे शिश्न को मुँह में ले कर वह गन्ने जैसा चूसने लगी मौसी के मुँह और जीभ का स्पर्श इतना सुहाना था कि मैं ‘ओह मेरी प्यारी दामिनी मौसी’ चिल्लाकर झड गया मौसी ने बड़े मज़े ले लेकर मेरा वीर्य निगला और चूस चूस कर आखरी बूँद तक उसमें से निकाल ली.

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मुझे बड़ा बुरा लग रहा था कि मुझे तो मज़ा आ गया पर बिचारी मौसी की मैंने कोई सेवा नहीं की मेरा उतरा चेहरा देखकर मौसी ने प्यार से मेरे बाल बिखराकर कहा कि जानबूझकर उसने मेरा लंड चूस लिया था एक तो वह मेरी जवान गाढी मलाई की भूखी थी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

दूसरे यह कि उसे मालूम था कि अब एक बार झड जाने पर मैं अब काफ़ी देर लंड खड़ा रखूँगा जिससे उसे मेरे साथ तरह तरह की कामक्रीडा करने का मौका मिलेगा. मैंने मौसी को लिपटाकर वादा किया कि अब मैं तब तक नहीं झड़ूँगा जब तक वह इजाज़त ना दे खुश होकर दामिनी मौसी ने मुझे सोफे में धकेल कर बिठा दिया और बोली “अब चुप-चाप बैठ और देख, तुझे स्ट्रिप तीज़ दिखाती हूँ! देखी है कभी?”

मैंने कहा कि एक मित्र के यहाँ वीडीओ पर देखी थी, मौसी कपड़े निकालने लगी और मैं मंत्रमुग्ध होकर उसके मादक शरीर को देखता रह गया मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मेरी सग़ी मौसी, मेरी माँ की छोटी बहन, मेरे साथ संभोग करने जा रही है.

साड़ी और पेटीकोट निकालने में ही मौसी ने पाँच मिनिट लगा दिए साड़ी को फोल्ड किया और अलमारी में रखा उसके पतले ब्लओज़ में से उसके भरे पूरे उन्नत उरोजो की झलक मुझे पागल कर रही थी फिर उसने ब्लओज़ भी निकाल दिया.

अब मौसी के गोरे गदराए हुए शरीर पर सिर्फ़ ब्रा और पैंटी बचे थे उस अर्धनग्न अवस्था में वह इतनी मादक लग रही थी कि मुझे ऐसा लगने लगा कि अभी उसपर चढ जाऊ और चोद डालूं मुझे रिझाते हुए दामिनी मौसी ने रम्डियो जैसी भाषा में पूछा “क्यों मेरे लाडले, पहले उपर का माल दिखाऊँ या नीचे का?”

दामिनी मौसी के मांसल स्तन उसकी ब्रा के कपों में से मचल कर बाहर आने को कर रहे थे और पैंटी में से मौसी की फूली फूली चुनमुनिया का उभार और बीच की पट्टी के दोनों ओर से झांत के कुछ काले बाल निकले हुए दिख रहे थे.

उन दोनों मस्त चीज़ों में से क्या पसंद करूँ यही मुझे समझ में नहीं आ रहा था इसलिए मैं भूखी लालचाई नज़रों से मौसी के माल को ताकता हुआ चुप रहा, मौसी कुछ देर मेरी इस दशा को मज़े ले लेकर कनखियों से देखती रही और फिर मुझ पर तरस खा कर बोली “चल पूरी नंगी हो जाती हूँ तेरे लिए.”

और ऐसा कहते हुए अपने उसने ब्रा के हुक खोले और हाथ उपर कर के ब्रेसियर निकाल दी फिर पैंटी उतार कर मादरजात नंगी मेरे सामने बड़े गर्व से खडी हो गयी. दामिनी मौसी मेकअप या किसी भी तरह के सौंदर्या प्रसाधन में बिल्कुल विश्वास नहीं करती थी इसलिए उसकी कांखो में घने काले बाल थे जो ब्रा निकालते समय उठी बाहों के कारण सॉफ मुझे दिखे.

मौसी हमेशा स्लीवलेस ब्लओज़ पहनती थी और बचपन से मैं उसके यह कांख के बाल देखता आया था छोटी उमर में मुझे वे बड़े अजीब लगते थे पर आज इस मस्त माहौल में तो मेरा मन हुआ की सीधे उसकी कांखो में मुँह डाल दूँ और चूस लूँ.

नग्न होकर मौसी मुस्कराती हुई जान बूझकर कमर लचकाती हुई एक कैबरे डाँसर की मादक चाल से मेरी ओर बढ़ी उसके मांसल भरे पूरे ज़रा से लटके उरोज रबर की बड़ी गेंदों जैसे उछल रहे थे निपल गहरे भूरे रंग के थे, बड़े मूँगफली के दानों जैसे और उनके चारों ओर तीन चार इंच का भूरा गोल अरोल था मौसी का मंगलसूत्र उसकी छातियों के बीच में फंसा था.

वह सोने का एक ही गहना उसके शरीर पर था और उसकी नग्नता में चार चाँद लगा रहा था मौसी की फूली गुदाज चुनमुनिया घनी काली झांतों से आच्छादित थी; {दोस्तो यहाँ मैं आपको बता दूं कि मैं चूत को चुनमूनियाँ कह रहा हूँ आशा है आपको अच्छा लगेगा} ऐसा लगता था कि मौसी ने कभी झांतें नहीं काटी होंगी.

दामिनी मौसी के कूल्हे काफ़ी चौड़े थे और जांघें तो केले के पेड़ के तनों जैसी मोटी मोटी थीं मेरा लंड अब मौसी के इस मस्त जोबन से तन्नाकार फिर से ज़ोर से खड़ा हो गया था और मौसी उसे देखकर बड़े प्यार से मुस्कराने लगी उसे भी बड़ा गर्व लगा होगा कि एक छोटा कमसिन छोकरा उसकी अधेड उम्र के बावजूद उसपर इतना फिदा था और वह भी उसकी सग़ी बड़ी बहन का बेटा!

मेरे पास बैठकर मुझे पास खींचकर मौसी ने मेरी इच्छा पूछी की मैं पहले उसके साथ क्या करना चाहता हू अब मैं कई मायनों में अभी भी बच्चा था और बच्चों का स्वाभाविक आकर्षण तो माँ के स्तनों की ओर होता है इसलिए मैं इन बड़े बड़े उरोजो को ताकता हुआ बोला “मौसी, तेरे मम्मे चूसने दे ना, दबाने का मन भी हो रहा है.”

मौसी ने मुझे गोद में खींच लिया और एक चूचुक मेरे मुँह में घुसेड दिया मैं उस मूँगफली से लंबे चमडीले निपल को चूसने लगा चूसते चूसते मैंने मौसी की चूची दोनों हाथों में पकड़ ली और दबाने लगा मौसी थोड़ी कराही और उसका निपल खजूर सा कड़ा हो गया.

अब मैं दूध पीते बच्चे जैसा मौसी का मम्मा दबा दबा कर बुरी तराहा से चूस रहा था मेरा लंड पूरा खड़ा होकर मौसी के पेट के मुलायम माँस में गढ़ा हुआ था उसे मैं मस्ती में आगे पीछे होता हुआ मौसी के पेट पर ही रगडने लगा, कमरे में एक बड़ी मादक सुगंध भर गयी थी.

जब मैंने मौसी को कहा कि उसके बदन से इतनी मस्त खुशबू कैसे आ रही है,तो उसने बताया कि वह असल में उसकी चुनमुनिया से निकल रहे पानी की गंध थी क्योंकि मौसी की चुनमुनिया अब पूरी गरमा हो चुकी थी.

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मौसी मुझे चूमते हुए बोली “देख मेरी चूत कितनी गीली हो कर चू रही है तेरे मौसाजी होते तो अब तक इसपर मुँह लगाकर चूस रहे होते वे तो दीवाने हैं मेरी चुनमुनिया के रस के तू भी इसे चखेगा बेटे?”

मैं तो मौसी की चुनमुनिया पास से देखने को आतुर था ही, झट से मूंडी हिलाकर मौसी के सामने फर्श पर बैठ गया मौसी टिक कर आरामा से बैठ गई और अपनी जांघें फैला कर मुझे उनके बीच खींच लिया. पहले मैंने मौसी की नरम नरम चिकनी जांघों को चूमा और फिर उसकी चुनमुनिया {दोस्तो यहाँ मैं आपको बता दूं कि मैं चूत को चुनमूनियाँ कह रहा हूँ आशा है आपको अच्छा लगेगा}.

पर नज़र जमाई औरत के गुप्ताँग का यह मेरा पहला दर्शन था और मौसी की उस रसीली चुनमुनिया को मैं गौर से ऐसे देखने लगा जैसे देवी का दर्शन कर रहा हू बड़े बड़े गुलाबी मुलायम भगोष्ठ, उनके बीच गीला हुआ लाल गुलाबी छेद और ज़रा से मटर के दाने जैसा क्लिटोरिस.

यह सब मैं इस लिए देख पाया क्योंकि मौसी ने अपनी उंगलियों से अपनी झातें बाजू में की हुई थीं मैं उस माल पर टूट पड़ा और जैसा मुँह में आया वैसा चाटने और चूसने लगा मौसी ने कुछ देर तो मुझे मनमानी करने दी पर फिर प्यार से चुनमुनिया चाटने का ठीक तरीका सिखाया.

“ऐसे नहीं बेटे, जीभ से चाट चाट कर चूसो झांतें बाजू में करो और जीभ अंदर डालो फिर जीभ का चम्मच बनाकर अंदर बाहर करते हुए रस निकालो हाँ ऐसे ही मेरी जान, अब ज़रा मेरे दाने को जीभ से गुदगुदाओ, हां ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह यह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, बहुत अच्छे मेरे लाल ! बस ऐसा ही करता रहा, देख तुझे कितना रस पिलाती हूँ.”

मौसी ने जल्द ही मुझे एक्स्पर्ट जैसा सीखा दिया मैंने मुँह से उसकी चुनमुनिया पर ऐसा करना किया कि वह पाँच मिनट में स्खलित हो गई और मेरे मुँह को अपनी चुनमुनिया के पानी से भर दिया चुनमुनिया का रस थोड़ा कसैला और खारा था पर बिल्कुल पिघले घी जैसा चिपचिपा.

मैंने उसे पूरा मन लगाकर चाट लिया तब तक मौसी मेरे चेहरे को अपनी चुनमुनिया पर दबा कर हौले हौले धक्के मारती रही. तृप्त होकर मौसी ने मुझे उठाया और पलंग पर ले गई “बड़ा फास्ट लरनर है रे तू, चुनमूनियाँ का अच्छा गुलामा बनेगा तेरे मौसाजी की तरह अब चल बेटे, आराम से लेट कर मज़ा लेंगे” पलंग पर लेट कर मेरे फनफनाए लंड को सहलाती हुई वह बोली “झडेगा तो नहीं रे जल्दी?”

मैंने उसे आश्वस्त किया और मौसी मुझे पलंग पर लिटा कर मेरे मुँह पर चढ बैठी अपनी दोनों टाँगें मेरे सिर के इर्द गिर्द जमाते हुए वह बोली “अब घंटे भर तेरा मुँह चोदून्गि और तुझे चुनमूनियाँ का रस पिलावँगी मैंने वादा किया था तुझे परीक्षा में तीसरा आने पर इनाम देने का, सो अब ले, मन भर कर अपनी मौसी के अमृत का पान कर.”

अपनी चुनमूनियाँ मेरे होंठों के इंच भर उपर जमाते हुई वह बोली “अब देख, तुझे इतना चूत रस पिलाऊन्गि कि तेरा पेट भर जाएगा तू बस चाटता और चूसता रहा” मैं पास से उसकी रसीली चुनमूनियाँ का नज़ारा देख रहा था और उसे सूंघ रहा था. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

इतने में वह चुनमूनियाँ को मेरे मुँह पर दबाकर मेरे चेहरे पर बैठ गई और मेरा चेहरा अपनी घनी झांतों में छुपा लिया मैंने मुँहा मारना शुरू कर दिया और उसे ऐसा चूसा कि मौसी के मुँह से सुख की सिसकारियाँ निकलने लगीं “तू तो चुनमूनियाँ चूसने में अपने मौसा की तरह एकदमा उस्ताद हो गया एक ही घंटे में” कसमसा कर स्खलित होते हुए वह बोली.

कुछ देर मेरे मुँह पर बैठने के बाद मौसी बोली “राज बेटे, अपनी जीभ कड़ी कर और मेरी चूत में डाल दे, तेरी जीभ को लंड जैसा चोदून्गि” मेरी कड़ी निकली हुई जीभ को मौसी ने अपने भगोष्ठो में लिया और फिर उछल उछल कर उपर नीचे होते हुई चोदने लगी उसकी मुलायम गीली चुनमूनियाँ की म्यान मेरी जीभ को बड़े लाड से पकड़ने की कोशिश कर रही थी.

मेरी जीभ कुछ देर बाद दुखने लगी थी पर मैं उसे निकाले रहा जब तक मौसी फिर एक बार नहीं झड गई मेरे चुनमूनियाँ रस पीने तक वह मेरे मुँह पर बैठी रही और फिर उठ कर मेरे पास लेट गई और बड़े लाड से मुझे बाँहों में भर कर प्यार करने लगी “मज़ा आया बेटे? कैसा लगा मेरी चुनमूनियाँ का पानी?” उसने पूछा.

मैं क्या कहता, सिर्फ़ यही कह पाया कि मौसी, अगर अमृत का स्वाद कोई पूछे तो मैं तो यही कहूँगा कि मेरी मौसी की चुनमूनियाँ के रस से अच्छा तो नहीं होगा मेरी इस बड़े बूढ़ों जैसी बात को सुनकर वह हँस पडी. जल्द ही मेरी माँ की वह चुदैल छोटी बहन फिर गरमा हो गई और शायद मुझे चुनमूनियाँ चूसाने का सोच रही थी.

पर मेरा वासना से भरा चेहरा देख कर वह मेरी दशा समझ गई “राज, तू इतना तडप रहा है झडने के लिए, मैं तो भूल ही गयी थी चल अब सिक्स्टी-नाइन करते हैं, तू मेरी चूत चूस और मैं तेरा लंड चूसती हूँ.” मुझे अपने सामने उल्टी तरफ से लिटा कर मौसी ने अपनी एक टाँग उठाई और मेरे चेहरे को अपनी चुनमूनियाँ में खींच लिया.

फिर अपनी टाँग नीचे करके मेरे सिर को जांघों में जकडती हुई बोली “मेरी निचली जाँघ का तकिया बना कर लेट जा मेरी झांतों में मुँहा छिपाकर चूस मेरी टाँगों के बीच तेरा सिर दबता है उसकी तकलीफ़ तो नहीं होती तुझे? असल में मुझे बहुत अच्छा लगता है तेरे सिर को ऐसे पकडकर.”

मैंने सिर्फ़ सिर हिलाया क्योंकि मेरे होंठ तो मौसी की चुनमूनियाँ के होंठों ने, उन मोटे भगोष्ठो ने पकड़ रखे थे उसकी रेशमी सुगंधित झांतों में मुँह छुपाकर मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी सुंदरी की ज़ुल्फों में मैं मुँह छुपाए हू मौसी ने अब धक्के दे देकर मेरे मुँह पर अपनी चुनमूनियाँ रगडते हुए हस्तमैथुन करना शुरू कर दिया.

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फिर मौसी ने मेरी कमर पकडकर मुझे पास खींचा और मेरे लंड को चूमने लगी कुछ देर तक तो वह मेरे शिश्न से बड़े प्यार से खेलती रही, कभी उसे चूमती, ज़ोर से हिलाती, कभी हल्के से सुपाडा चाट लेती मस्ती में आकर मैं उसकी चुनमूनियाँ के भगोष्ठ पूरे मुँह में भर लिए और किसी फल जैसा चूसने लगा.

मौसी हुमककर मेरे मुँह में स्खलित हो गई मुझे चुनमूनियाँ रस पिलाने के बाद उसने मेरा लंड पूरा लालीपोप जैसा मुँह में ले लिया और चूसने लगी मैं तो मानों कामदेव के स्वर्ग में पहुँच गया मौसी के गरम तपते मुँह ने और मेरे पेट पर महसूस होती हुई उसकी गरमा साँसों ने ऐसा जादू किया कि मैं तिलमिला कर झड गया मौसी चटखारे ले ले कर मेरा वीर्यापान करने लगी.

मेरी वासना शांत होते ही मैंने चुनमूनियाँ चूसना बंद कर दिया था मौसी ने मेरा झडा हुआ ज़रा सा लंड मुँह से निकाला और मुझे डाँतती हुई बोली “चुनमूनियाँ चूसना क्यों बंद कर दिया बेटे? अपना काम हो गया तो चुप हो गये? तू चूसता रह राजा, मेरी चुनमूनियाँ अब भी खेलने के मूड में है, उसमें अभी बहुत रस है अपने लाल के लिए.”

मैं सॉरी कहकर फिर चुनमूनियाँ चूसने लगा और मौसी मज़े ले लेकर मेरे लंड को चूस कर फिर खड़ा करने के काम में लग गयी आधे घंटे में मैं फिर तैयार था और तब तक मौसी तीन चार बार मेरे मुँह में झडकर मुझे चिपचिपा शहद पिला चुकी थी.

हम पड़े पड़े आराम करने लगे वह मेरे लंड से खेलती रही और मैं पास से उसकी खूबसूरत चुनमूनियाँ का मुआयना करने लगा उंगलियों से मैंने मौसी की चुनमूनियाँ फैलाई और खुले छेद में से अंदर देखा ऐसा लग रहा था कि काश मैं छोटा चार पाँच इंच का गुड्डा बन जाऊ और उस मुलायम गुफा में घुस ही जाऊ पास से उसका क्लिटोरिस भी बिलकुल अनार के दाने जैसा कड़ा और लाल लाल लग रहा था.

और उसे मैं बार बार जीभ से चाट रहा था मौसी की झांतों का तो मैं दीवाना हो चुका था “मौसी, तुम्हारी रेशमी झांतें कितनी घनी हैं इनमेंसे खुशबू भी बहुत अच्छी आती है, जैसे डाबर आमला वाली सुंदरी के बाल हों.” मौसी आराम करने के बाद और मेरे उसकी चुनमूनियाँ से खेलने के कारण फिर कामुक नटखट मूड में आ गयी थी.

मुझसे बोली “मालूम है मैं जब अकेली होती हूँ तो क्या करती हूँ? यह मेरी बहुत पुरानी आदत है और कभी कभी तो तेरे मौसाजी की फरमाइश पर भी यह नज़ारा उन्हें दिखाती हूँ.”

मैंने उत्सुकता से पूछा कि वह क्या करेगी “अरे, हस्तमैथुन करूँगी, जिसे आत्मरती भी कहते हैं, या खडी बोली में कहो तो मुठ्ठ मारूँगी, या सडका लगाऊन्गि मुझे मालूम है कि तेरे जैसे हरामी लडके भी हमेशा यही करते हैं बोल तू मेरे नाम से सडका मारता था या नहीं?” मैंने झेंप कर स्वीकार किया कि बात सच थी.

मेरे सामने फिर मौसी ने मुठ्ठ मार कर दिखाई अपनी उपरी टाँग उठा कर घुटना मोड कर पैर नीचे रखा और अपनी दो उंगलियाँ अपनी चुनमूनियाँ में डाल कर अंदर बाहर करने लगी मैं अभी भी मौसी की निचली जाँघ को तकिया बनाए लेटा था इसलिए बिलकुल पास से मुझे उसके हस्तमैथुन का सॉफ दृश्‍य दिख रहा था.

मौसी का अंगूठा बड़ी सफाई से अपने ही मनी पर चल रहा था बीच बीच में मैं मौसी की चुनमूनियाँ को चूम लेता और हस्तमैथुन के कारण निकलते उस चिकने पानी को चाट लेता मेरी तरफ शैतानी भरी नज़रों से देखते देखते मौसी ने मन भर कर आत्मरती की और आख़िर एक सिसकारी लेकर झड गई.

लस्त होकर मौसी ने तृप्ति की साँस ली और अपनी दोनों उंगलियाँ चुनमूनियाँ में से निकालकर मेरी नाक के पास ले आई “सूंघ राज, क्या मस्त मदभरी सुगंध है देख मुझे भी अच्छी लगती है, फिर पुरूषों को तो यह मदहोश कर देगी.”

मैंने देखा कि उंगलियाँ ऐसी लग रही थीं जैसे किसीने सफेद चिपचिपे शहद की बोतल में डुबोई हों मैंने तुरंत उन्हें मुँह में लेकर चाट लिया और फिर मौसी की चुनमूनियाँ पर मुँह लगाकर सारा रस चाट चाट कर सॉफ कर दिया मौसी ने भी बड़े प्यार से टाँगें फैलाकर अपनी झडी चुनमूनियाँ चटवाई.

मैं अब वासना से अधीर हो चुका था और आख़िर साहस करके दामिनी मौसी से पूछ ही लिया “मौसी, चोदने नहीं दोगी तुम मुझे? उस रात जैसा?”

मौसी बोली “हाई, कितनी दुष्ट हूँ मैं! भूल ही गई थी अरे असला में चोदना तो मेरे और तेरे मौसाजी के लिए बिलकुल सादी बात हो कर रह गयी है हमारा ध्यान इधर उधर की सोच कर और तरह की क्रिया करने में ज़्यादा रहता है आ जा मेरे लाल, चोद ले मुझे.”

टाँगें फैला कर मौसी चुतडो के नीचे एक तकिया लेकर लेट गई और मैं झट से उसकी जांघों के बीच बैठ गया मौसी ने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चुनमूनियाँ में घुसेड लिया उस गरम तपती गीली चुनमूनियाँ में वह बड़ी आसानी से जड तक समा गया मैं मौसी के उपर लेट गया और उसे चोदने लगा.

मौसी ने मेरे गले में बाँहें डाल दीं और मुझे खींच कर चूमने लगी मैंने भी अपने मुँह में उसके रसीले लाल होंठ पकड़ लिए और उन्हें चूसता हुआ हचक हचक कर पूरे ज़ोर से मौसी को चोदने लगा इस समय कोई हमें देखता तो बड़ा कामुक नज़ारा देखता कि एक किशोर लडका अपनी माँ की उमर की एक भरे पूरे शरीर की अधेड औरत पर चढ कर उसे चोद रहा है.

कुछ मिनटों बाद मौसी ने मेरा सिर अपनी छातियों पर दबा लिया और एक निपल मेरे मुँह में दे दिया फिर मेरा सिर कस कर अपनी चूची पर दबा कर आधे से ज़्यादा मम्मा मेरे मुँह में घुसेडकर गान्ड उचका उचका कर चुदाने लगी.

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साथ ही मुझे उत्तेजित करने को वह गंदी भाषा में मुझे उत्साहित करने लगी “चोद साले अपनी मौसी को ज़ोर ज़ोर से, और ज़ोर से धक्का लगा घुसेड अपना लंड मेरी चुनमूनियाँ में, हचक कर चोद हरामी, फाड़ दे मेरी चुनमूनियाँ.” मैने भरसक पूरी मेहनत से मौसी को चोदा जब तक वह चिल्ला कर झड नहीं गई “झड गयी रे राजा, खलास कर दिया तूने मुझे! मर गई रे, हाइ रे” कहकर वह लस्त पड गई फिर मैं भी ज़ोर से स्खलित हुआ और लस्त होकर मौसी के गुदाज शरीर पर पड़ा पड़ा उस स्वर्गिक सुख का मज़ा लेता रहा.

मौसी मुझे चूम कर बोली “मेरे मुँह से ऐसी गंदी भाषा और गालियाँ सुनकर तुझे बुरा तो नहीं लगता बेटे?” मैंने कहा “नहीं मौसी, बल्कि लौडा और खड़ा हो जाता है” वह बोली “मुझे भी मस्ती चढती है हम रोज बोल चाल में इतनी सभ्य भाषा बोलते हैं इसीलिए ऐसी भाषा से कामवासना बढ़ती है तेरे मौसाजी भी खूब बकते हैं जब तैश में होते हैं.” मैं इतना थक गया था मौसी से गप्पें लगाते लगाते ही कब मेरी आँख लग गई, मुझे पता भी नहीं चला.

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