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बहनों को चुदने के लिए लंड चाहिए 4

फ़रवरी 12, 2021 by hamari

Randiyo Ke Jaise Sex

सामूहिक चुदाई मनोहर कहानियाँ पढ़े हेल्लो फ्रेंड्स, मैं कनिका अपनी कहानी का अगला और आखिरी भाग लेकर आई हूँ. आपने मेरी कहानी बहनों को चुदने के लिए लंड चाहिए 3 में पढ़ा की, कैसे हम दोनों बहने रात घर से बहार आकर लेबियन सेक्स करने लगी जिसे हमारे वॉचमैन ने देख लिया. और फिर हम चूत शांत होने पर घर आकर सो गई. अब आगे-  Randiyo Ke Jaise Sex

में  सुबह माँ आई और उन्होंने गेट नॉक किया और हमें नहा धो कर ब्रेकफास्ट के लिए नीचे बुला लिया. फिर हम दोनों एक साथ उठे और हम दोनों ने एक साथ बाथ लिया और ब्रेकफास्ट के लिए नीचे चले गये और ब्रेकफास्ट करते करते मैंने माँ से धीरे से पूछा कि माँ हम आज शाम को बाहर जा सकते है.

माँ ने मेरी और देखा और फिर पूछा कि क्या काम है? मैंने कहा माँ हमें कुछ शॉपिंग करनी है. माँ बोली तो अपने सामान पापा को लिखवा दो, वो ले आयेंगे. तभी रितिका बोल पड़ी नहीं माँ, हम ले आयेंगे, पापा नहीं ला पायेंगे, तभी माँ समझ गई कि हमारे सामान पापा नहीं ला सकते है.

फिर उन्होंने थोड़ी देर सोचा और बोली अच्छा चलो मुझे लिख कर दे दो, में ले आउंगी. हम दोनों के मुँह से एक साथ निकल गया नहीं, माँ चौक गई और पूछा क्यों नहीं? मैंने रितिका के हाथ पर हाथ रख उसे शांत रहने को कहा और फिर में बोली नहीं माँ हम ले आयेंगे आप चिंता मत करो. तो वो बोली तुम दोनों पिछली बात को भूल गई हो, जो अब फिर अकेले बाहर जाने की जिद कर रही हो.

फिर में बोली माँ अब पिछली बार जो हुआ वो सोचकर हम दोनों पूरी लाईफ तो डरकर घर नहीं बैठ सकते और फिर अब हम दोनों अपने उसी डर को मिटाने के लिए तो बाहर जाना चाहते है. माँ ने सोचा और फिर बोली कनिका बात तो सही है, लेकिन में अब रिस्क नहीं ले सकती हूँ, अब में भी तुम्हारे साथ चलूंगी. मैंने कहा माँ आप बेकार की टेंशन ले रही हो.

फिर मैंने झूठ बोला कि हमारे साथ हमारी दिल्ली की दो चार फ्रेंड्स भी आ रही है. माँ हल्का सा चौंक गई और बोली तुम दोनों की दिल्ली में कौनसी फ्रेंड्स है. मैंने कहा अरे है मुंबई में मेरी फ्रेंड स्वाति थी ना, उसकी कज़िन दिल्ली में है, में जानती थी कि माँ स्वाति को अच्छे से जानती थी और उसकी कज़िन भी थी दिल्ली में है, यह भी वो जानती थी.

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उन्होंने पूछा कि वो तुम्हें कहा मिलेगी. मैंने कहा वो हमें अगली रेड लाईट से पिक कर लेगी. फिर माँ ने कहा चलो ठीक है, लेकिन पिछली बार की तरह ज्यादा रात मत करना और उनसे कहना कि वो तुम्हें यही ड्रॉप कर दे और मोबाइल चालू रखना, ठीक है. मैंने कहा ठीक है.

फिर यह सुनकर रितिका बहुत खुश हो गई और फिर वो रूम में चली गई और जैसे ही में रूम में आई तो रितिका ने मेरे होंठ चूम लिए और बोली अरे तू तो कमाल के बहाने लगाती है. हमें रोकने के लिए माँ के पास कोई जवाब ही नहीं बचा.

मैंने कहा चल ठीक है, लेकिन इतना खुश मत हो, बस यह सोच कि रात को कुछ गड़बड़ ना हो तो वो बोली कुछ गड़बड़ नहीं होगी. तू देखना बहुत मज़ा आने वाला है. फिर शाम होते ही मैंने ऊपर एक ग्रे कलर की टी-शर्ट डाल ली जो मेरे पेट को आधा ढक रही थी और मैंने नीचे नीले कलर की लेगी पहन ली, लेगी इतनी टाईट थी की उसमें से मेरे चूतड़ साफ़ दिखाई दे रहे थे और रितिका ने गुलाबी कलर का टॉप और नीले कलर की स्कर्ट पहन ली.

फिर मैंने माँ से पूछा हम जायें तो माँ हमें बाहर तक छोड़ने आई और हमें समझाती रही कि कोई भी प्रोब्लम हो तो हम तुरंत उन्हें या पापा को फोन करें. फिर मैंने उनसे कहा हमें कुछ नहीं होगा और हम निकल गये. रितिका बहुत खुश थी और वो उसके चेहरे पर साफ दिख रहा था.

में भी खुश तो थी कि हमारा प्लान काम कर गया, लेकिन मुझे थोड़ा डर भी था कि अब आगे बस में क्या होगा? हमने फिर मेट्रो पकड़ी और वहां से होते हुए हम पुराने किले पहुंचे और काफ़ी देर खड़े रहे और फिर बस का इंतज़ार करते रहे.

आज वहां पर बहुत लोग थे हमने सोचा कि शाम होते ही सब चले जायेंगे फिर एक बस आई पूरी भरी हुई उसमें हम चढ़ गये, लेकिन अगले दो स्टॉप तक हमें किसी ने हाथ तक नहीं लगाया. रितिका ने निराश होकर बोला यहाँ कुछ नहीं होगा, ऊतर जाते है और अगली बस देखते है.

फिर हम ऊतर गये और फिर हम दूसरी बस का इंतज़ार करने लगे और फिर कई बसे आई, लेकिन किसी में कुछ नहीं हुआ और ऐसा करते करते अंधेरा होने लगा और उधर माँ के फोन आने लगे कि कब तक वापस आओगी और फिर हम दोनों निराश हो गये.

फिर मैंने रितिका से कहा कि चल घर चलते है फिर कभी देखेंगे, वो भी झट से मान गई और फिर हम दोनों ने एक बस पकड़ी और घर जाने के लिए और उसमें चढ़ गये, उसमें सारी सीट भरी थी और उसमें बस खड़े होने की जगह थी. ऊपर से उसमें सब बड़े लोग थे और ज्यादातर औरते थी.

रितिका और निराश हो गई और हम दोनों एक 40-45 साल की आंटी की सीट के पास आकर खड़े हो गये, वो और उनकी एक लड़की थी जो हमसे कुछ छोटी होगी, वो वहां बैठी थी. उनके पति हमारे पास में खड़े थे.

रितिका का मुँह लटका हुआ था, में भी थोड़ी निराश थी उधर में माँ से फोन पर बात करके बता रही थी कि हम कुछ देर में वापस आ जायेंगे. तभी मुझे अपने चूतड़ पर कुछ महसूस हुआ, मैंने नीचे देखा तो वो आंटी के पति अंकल का हाथ मेरे चूतड़ पर चल रहा था, पता नहीं वो गलती से था या जानबुझ कर, लेकिन उनका हाथ मेरे चूतड़ पर चल रहा था. “Randiyo Ke Jaise Sex”

मैंने भी सोचा कि देखते है यह क्या है? और यह सोचकर में वैसे ही चुपचाप खड़ी रही. फिर धीरे-धीरे जब अंकल ने देखा कि में कुछ नहीं कह रही हूँ और ना ही में दूर हटकर खड़ी हुई तो उनकी हिम्मत बड़ गई और उन्होंने अपनी पूरी हथेली मेरे चूतड़ पर रखकर मेरे चूतड़ को सहलाना शुरू कर दिया में चुपचाप खड़ी रही.

तभी मैंने देखा कि वो आंटी भी रितिका की जांघों को अपनी कोहनी से रगड़ रही है, लेकिन रितिका इतनी दुखी थी कि उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था. मैंने रितिका को इशारा किया और हल्का सा अपनी जगह से रितिका के पास जाने के लिए गई तो अंकल ने तुरंत मेरी इस हरकत पर अपना हाथ हटा लिया.

में रितिका के पास गई और उसके कान में बोला कि मुझे लगता है कि यह अंकल और आंटी ठरकी है और यह तेरी ख्वाइश पूरी कर सकते है. तब उसका ध्यान आंटी के हाथ पर गया, वो मेरी बात सुन कर मुस्कुराई और बोली कि उसे अंकल के पास आने दे. “Randiyo Ke Jaise Sex”

मैंने भी कुछ नहीं कहा और हम दोनों ने एक दूसरे की जगह बदल ली. लेकिन अब एक प्रोब्लम थी कि अंकल इतना घबरा गये थे कि अब वो रितिका से थोड़े दूर हटकर ही खड़े हो गये. लेकिन उनकी पत्नी ने हिम्मत दिखाते हुए रितिका की जगह मेरी जांघों को कोहनी से टच करना शुरू कर दिया.

में भी वैसे ही खड़ी रही, उनकी हिम्मत थोड़ी खुली और धीरे धीरे उनकी कोहनी की जगह अब वो अपनी उंगलियों से मेरी जांघें सहलाने लगी और धीरे धीरे उनका पूरा हाथ मेरी जांघों को सहलाने लग गया. फिर धीरे धीरे उनका हाथ मेरे चूतड़ों तक पहुंचा तो मैंने उनकी और देखा तो उनकी भावना से भरा हुआ चेहरा और ठरकीपन को देखकर मेरे मुँह पर मुस्कुराहट आ गई.

यह देख वो भी मुस्कुरा दी और मुझसे बोली बेटा तुम मेरी बगल की सीट पर बैठ जाओ. मैंने कहा नहीं आंटी ठीक है और आपके बगल की सीट पर तो आपकी बेटी बैठी है ना, इस पर वो बोली इसे तो में अपनी गोद में बिठा लूँगी. तुम इधर आ जाओ. फिर उनके एक इशारे पर उनकी बेटी उठी और उनकी गोद में बैठ गई. “Randiyo Ke Jaise Sex”

वो लड़की हमसे कुछ ही छोटी होगी और उसका वजन लगभग रितिका से थोड़ा ही कम होगा, लेकिन आंटी ने तो उसे ऐसे गोद में बैठा लिया जैसे कोई बच्ची हो और वो भी आंटी की गोद में बच्चों की तरह बैठ गई और फिर में कुछ ना कह पाई और उनके बगल की सीट पर जा कर बैठ गई. फिर धीरे धीरे उनका हाथ वापस मेरी जांघों को सहलाने लगा और में उनका साथ दे रही थी.

यह देख अंकल को भी थोड़ी हिम्मत आई और उन्होंने रितिका की जांघों को अपनी उंगलियों से टच करना शुरू कर दिया और रितिका ने कुछ प्रतिक्रिया नहीं दी तो वो भी समझ गये कि हम दोनों क्या चाहते है? फिर अंकल ने धीरे धीरे रितिका की जांघों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और उसकी स्कर्ट के अंदर तक हाथ को ले जाने लगे, लेकिन फिर भी वो वैसे ही खड़ी रही.

फिर उसने हल्का सा अंकल की और देखा, लेकिन वो उसकी जांघों में इतने मस्त थे कि उन्होंने रितिका को देखते हुए भी नहीं देखा और फिर धीरे धीरे उनका हाथ रितिका के चूतड़ों पर चला गया और वो हल्के हल्के उन्हें उसकी स्कर्ट पर से ही सहलाने लगे. रितिका को भी मज़ा आ रहा था उसके चेहरे से साफ पता चल रहा था.

फिर धीरे धीरे बस भी खाली होती गई और फिर बस में हम दोनों के अलावा आंटी की फेमिली और एक आदमी और बैठा था और कंडक्टर और ड्राइवर ही बस में रह गये, लेकिन रितिका और अंकल वहीं खड़े रहे. इधर आंटी मेरी जांघो को सहलाते हुये टी-शर्ट के अंदर जाकर मेरी लेगी के ऊपर से मेरी चूत पर टच कर रही थी. “Randiyo Ke Jaise Sex”

में भी बस की खिड़की के बाहर देख रही थी, मेरे कुछ ना बोलने से उनको और हिम्मत आ गई, अब उनकी बेटी ने मेरे बूब्स दबाने शुरू कर दिए थे. मैंने जब अपने बूब्स पर उसके हाथ देखे तो में समझ गई कि पूरी फेमिली ही ठरकी है. उधर रितिका की स्कर्ट के अंदर लगभग अंकल का हाथ जाने लग गया था.

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और कुछ ना बोलने की वजह से अंकल ने अपना पूरा हाथ एकदम से रितिका की स्कर्ट के अंदर डाल दिया और पेंटी के ऊपर से उसके चूतड़ों को मसलने लग गये. उनके एकदम से इतना कामुक होने पर रितिका भी थोड़ी हैरान हुई, लेकिन फिर वो कुछ ना बोली. यह देखकर अंकल की और हिम्मत बड़ गई और वो रितिका की पेंटी पकड़कर खींचने लगे.

लेकिन रितिका ने उनका हाथ पकड़ लिया, लेकिन रितिका कुछ बोल नहीं रही थी तो अंकल जानते थे कि वो क्या चाह रही है? तभी दूसरी और से एक आदमी उठा और उसने रितिका का हाथ पकड़ लिया जिससे अंकल फ्री हो गये और उन्होंने तुरंत उसकी पेंटी नीचे खींच दी, अब वो सिर्फ़ स्कर्ट में थी और उसके नीचे वो बिल्कुल नंगी थी. “Randiyo Ke Jaise Sex”

अब रितिका के पीछे दो आदमी थे, अंकल और वो दूसरा आदमी और दोनों अब रितिका की स्कर्ट उठाकर उसके चूतड़ों को मसलने लग गये. उधर आंटी और उनकी बेटी मेरे बूब्स और चूत को सहलाते हुये मसलने लग गये थे. आंटी ने मेरी टी-शर्ट को मेरी नाभि तक ऊपर उठा दिया और मेरी लेगी को उतारने लगी तो मैंने उन्हें रोका, लेकिन उनकी बेटी ने तुरंत मेरे हाथ पकड़ लिए.

फिर आंटी मेरी लेगी को नीचे करने लगी, लेकिन मैंने भी अपने चूतड़ नहीं उठाये तो उन्होंने अपना एक हाथ मेरी गांड के नीचे लगाया और मुझे हल्का सा उठा दिया और फिर मेरी लेगी को पंजो तक पूरी नीचे ऊतार दिया. अब मेरे नीचे सिर्फ़ पेंटी बची थी और आंटी वापस मेरी पेंटी के ऊपर से मेरी चूत को रगड़ने लगी. “Randiyo Ke Jaise Sex”

और उनकी बेटी मेरे बूब्स मसलने लगी और दूसरी और वहाँ अंकल और वो दूसरा आदमी रितिका के नंगे चूतड़ों को बुरी तरह मसलने में लगे थे. फिर अंकल ने अपना हाथ आगे किया और रितिका की दोनों टाँगो के बीच उसकी चूत को टटोलने लगे. रितिका ने भी अपने पैर हल्के से फैला लिए और दूसरा आदमी उसकी गांड और गोरे-गोरे चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से मसलने लगा. “Randiyo Ke Jaise Sex”

अब अंकल अपने एक हाथ से रितिका की चूत सहलाने लगे और दूसरे हाथ से उसकी टी-शर्ट के ऊपर से उसके बूब्स को मसलने लगे. रितिका को बड़ा मज़ा आ रहा था. उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थी. अब बस का कंडक्टर भी रितिका के पास आ गया और आते ही उसके बूब्स को दबाने लगा.

फिर अंकल रितिका की टी-शर्ट को उतारने लगे. रितिका ने पहले तो अपने हाथों से अपनी टी-शर्ट को दबाया, लेकिन अंकल कहाँ मानने वाले थे. उन्होंने उसके हाथ ज़बरदस्ती ऊपर किए और उसकी टी-शर्ट ऊतार दी, अब वो सिर्फ़ ब्रा और स्कर्ट में थी. इधर आंटी की बेटी ने भी मेरी टी-शर्ट ऊतार दी थी और मेरी ब्रा पर से मेरे बूब्स से खेल रही थी.

फिर मैंने अपनी खिड़की बंद कर दी और उस पर पर्दा डाल दिया था जिससे कि बाहर का कोई अंदर ना देख सके, फिर आंटी ने मेरी चड्डी उतार दी और मेरे बदन पर सिर्फ़ ब्रा रह गई, कुछ ही देर में उनकी बेटी ने मेरी ब्रा को भी ऊतार कर मुझे बिल्कुल नंगा कर दिया.

फिर आंटी सीट के नीचे बैठ गई और मेरी चूत को चूसने लगी और उनकी बेटी मेरे बूब्स को चूसने लगी. मैंने पीछे मुड़कर रितिका की हालत देखी तो उसके शरीर पर बस स्कर्ट ही बची थी. उसकी ब्रा कंडक्टर ने उतार दी थी और वो अब उसके बूब्स को चूस रहा था और स्कर्ट भी कुछ ही बची थी. “Randiyo Ke Jaise Sex”

उसे अंकल ने ऊपर उठा रखा था और वो भी उसकी चूत चूस रहे थे और पीछे खड़ा आदमी उसके चूतड़ को चूम रहा था. फिर आंटी अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर तक ले जा रही थी और मस्त तरह से मेरी चूत को चूस रही थी. फिर मैंने वहां उनकी बेटी को नंगा करना शुरू कर दिया था.

आंटी ने जैसे ही ऊपर देखा तो उन्होंने अपनी बेटी को देखा और फिर मेरी और देखा और मुस्कुराई. फिर मेरी चूत को वापस चूसने लगी, फिर वहां रितिका की स्कर्ट भी तीसरे आदमी ने उतार दी और फिर अपने कपड़े भी उतारने लगा. “Randiyo Ke Jaise Sex”

रितिका अभी भी वर्जिन थी तो मुझे डर था कि वो इतने लंड झेल पायेगी या नहीं और में यह सोच रही थी कि तीनों आदमीयों ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए थे और थोड़ी ही देर में तीनों बिल्कुल नंगे हो गये. इधर मैंने आंटी की बेटी को भी पूरा नंगा कर दिया और उसके छोटे छोटे बूब्स चूसने लगी. अब बस वहां आंटी ही कपड़े पहनी थी. “Randiyo Ke Jaise Sex”

अंकल ने रितिका को अपना लंड चूसने को कहा तो रितिका का मन नहीं कर रहा था, लेकिन फिर वो किसी तरह घुटनों के बल बैठी तो तीनों ने अपने अपने लंड उसके मुँह के सामने रख दिए, लेकिन इतने में आंटी उठी और उन आदमियों से बोली अरे उस अकेली बेचारी को क्यों पकड़ रखा है और वैसे भी यह दोनों कुँवारी लड़कियाँ है.

एक लंड से ज्यादा नहीं झेल पायेंगी. यहाँ तीन जवान लड़कीयां है एक एक आदमी एक लड़की को पकड़ लो. इस पर अंकल तो वहीं रहे और कंडक्टर मेरे पास आ गया और वो तीसरा आदमी आंटी की बेटी को लेकर अगली सीट पर चला गया. आंटी ने अपने सारे कपड़े उतारे और ड्राइवर के पास चली गई.

ड्राइवर ने भी अंधेरी जगह देखकर बस साईड में खड़ी कर दी और आंटी पर सवार हो गया. फिर कंडक्टर मेरे मुँह के सामने अपना लंड लेकर खड़ा हो गया. में जानती थी कि वो क्या चाहता है, लेकिन उसका काला लंड देखकर मेरा उसे मुँह में लेने का मन नहीं कर रहा था. “Randiyo Ke Jaise Sex”

उधर रितिका ने अंकल के लंड को सहलाना शुरू कर दिया और उनकी बॉल्स को चूमने लगी, अंकल का लंड पूरा तन गया और लगभग 7 इंच का हो गया. फिर रितिका ने अब उनके सुपाड़े को दो चार बार चूमा और फिर उनका लंड अपने मुँह में ले लिया. “Randiyo Ke Jaise Sex”

यह देख मुझे भी जोश आया और मैंने अपनी आँखें बंद की और कंडक्टर के लंड को सीधे मुँह में डाल लिया और धीरे धीरे उसे चूसने लगी. फिर बगल की सीट पर लेटी आंटी की बेटी की चुदाई शुरू हो गई थी, क्योंकि उसकी सिसकियाँ में साफ सुन सकती थी.

और रितिका ने अंकल के लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और उसे बड़े मज़े लेकर चूसने लगी, जबकि मुझे कंडक्टर का लंड चूसने में ज्यादा मज़ा नहीं आ रहा था, लेकिन में क्या करती? लेकिन उसका लंड भी पूरी तरह तन चुका था और करीब 8 इंच का हो गया था.

फिर उसने मुझसे रुकने को कहा और अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया और घुटनो के बल बैठ गया और मुझे सीट पर लेटने को कहा, में चुपचाप सीट पर लेट गई. फिर उसने मेरी दोनों टाँगो को उठाया और अपने कंधे पर रख लिया और मेरी चूत को चाटने लगा, उसकी जीभ के स्पर्श से में एकदम उत्तेजित हो उठी और मुझे बड़ा मज़ा आने लगा. “Randiyo Ke Jaise Sex”

वो मेरी चूत के आस पास हर जगह को चाट रहा था. कभी मेरी जाँघो को चूमता तो कभी मेरी चूत को चाटता और फिर जीभ उसने मेरी गांड पर रख दी और उसे चाटने लगा. मुझ को बड़ा मज़ा आने लगा. फिर कुछ देर उसने ऐसा ही किया और मुझसे बोला लड़की कौन से छेद में चुदना चाहोगी गांड में या चूत में? में सोच में पड़ गई, क्योंकि में दोनों जगह से कुँवारी थी.

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फिर वो ही बोला तेरी गांड चोद दूँ में एकदम डर गई और बोली नहीं तो वो बोला तो क्या चूत देगी. मैंने कहा हाँ, लेकिन आप कंडोम पहनकर करना तो वो हंस पड़ा और बोला आज कल तुम जैसी रंडीयों के भी बड़े नखरे है. यह सुन मुझे बड़ी शर्म आई, एक दो कोड़ी का कंडक्टर मुझसे रंडी कह गया. “Randiyo Ke Jaise Sex”

में क्या करती और किया भी हमने रंडीयों जैसा काम था. फिर वो उठा और उसने मेरी चूत में लंड डाल कर मेरी जोरदार चुदाई की और फिर मैंने उसके लंड का पानी भी पीया और मेरी बहन की चुदाई भी लगभग ख़त्म हो गई थी और उसने भी खूब मजे लिए और फिर हम घर आ गये और अब हमें जब भी चुदाई करानी होती है तो अब हम खूब मजे करते है और लंड के मजे लेती है.

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