Bete Ka Sexy Land
माँ बेटा अन्तर्वासना कहानी पढ़े हैलो दोस्तो आपको आपकी नई दोस्त कंचन यादव का प्यार भरा नमस्कार कबूल करे। मैंने बहुत सी कहानियां पढ़ी हुई है। जिन्हें पढ़कर मेरे मन में आया क्यों न मैं भी अपनी गाथा आप सब लोगों के सामने रखूँ। Bete Ka Sexy Land
पहले तो मैं ड़रती रही के अपनी कहानी आप लोगों तक कैसे पहुँचाऊँ। फेर मैंने अपनी कहानी टाइप करके इस साईट के ही एक लेखक को भेज दी। सो आप मेल के जरिये बताना कैसी लगी। सबसे पहले अपने बारे में बतादू। मेरा नाम कंचन है। मेरी उम्र 36 साल है और मैं अपने पति अतुल यादव और 18 साल के बेटे हिमांशु के साथ वड़ोदरा की एक मशहूर सोसाईटी में रहती हूँ।
मैं एक हाउसवाइफ हूँ और मेरे पति अतुल अरोड़ा 40 साल के है और वो एक टूरिस्ट विभाग में काम करते है। जबके मेरा बेटा हिमांशु अभी 11वीं में पढ़ रहा है। ये कहानी मेरे और मेरे बेटे के पहले सेक्स के बारे में है। हुआ यूं के मेरा बेटा और मेरे पति बहुत ही फ्रेंडली स्वभाव के है।
मतलब के वो बाप बेटा कम और दोस्त ज्यादा है। सुबह काम और स्कूल जाने से पहले और आने के बाद दोनों मोरनिंग, इवनिंग वॉक पे जाते है। सच कहूँ तो मेरे पति काफी दोस्ताना स्वभाव के मालिक है। दोनों में काफी बनती है।
अक्सर ही वो लड़कियो, मोहल्ले की औरतो की बाते करते रहते है। मेरे पति तो यहां तक सेक्स के मामले में खुले विचारो वाले है के अपनी ही कज़न सिस्टर के बारे में उसकी गांड, चूची की बात करते रहते है।
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हमारे किचन और बेटे के स्टडी रूम में एक दीवार का फासला है। एक दिन पति ने नोट किया के मेरा बेटा, किचन में खाना बनाते वक़्त मेरी गांड को निहार रहा है। जब उसने पूछा के हिमांशु क्या देख रहे हो। तो वो डर गया और रोने लग गया और उनसे माफ़ी मांगने लगा।
अतुल ने उसे कुछ नही कहा और मुझे अलग कमरे में लिजाकर बताया के मेने कई दिनों से नोट किया है के जब तुम कोई काम करती हुई झुकती हो तो ये तुम्हारी चूचियाँ, गांड देखकर अपनी आँखे गर्म करता है।
अतुल की बात सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया और जैसे ही मैं बेटे को डांटने उसके कमरे में आने लगी। तो अतुल ने मुझे ये कहते हुए समझाकर शांत करवाया के बच्चा है, जवानी की दहलीज़ पे नया नया उतरा है। अक्सर ही बच्चों से गलती हो जाती है। तुम उसे कुछ न कहना मैं उसे खुद समझाऊंगा।
अगले दिन से जब दोनों बाहर सुबह की सैर पे गए वापिस आये, तो अतुल ने बताया के कंचन, हिमांशु का तुम्हारे प्रति नज़रिया बदल गया है। वो तुम में माँ कम और अपनी पत्नी ज्यादा देखता है। अब क्या करे ? माँ होने के नाते मेरा एक दिल तो करे के इसकी जमकर पिटाई करूँ, लेकिन पति के रोकने पे रुक गयी।
थोड़े दिन बाद सब सामान्य हो गया। एक दिन हम स्कूल की छुट्टियों में शिमला घूमने गए। वहां करीब एक हफ्ता होटल में रहे। वहां भी मेने नोट किया के हिमांशु का ध्यान वहां पे रुकी लड़कियों की चूची और गांड पे ही है।
मेरी इस तरह से देखने से अतुल भी मुझे देखकर हंस दिया और बोला,” अब बोलो, ये आपके साथ ही नही बल्कि हर उस लड़की के साथ सम्भोग के सपने संजोता है। जो इसके मन को भाती है। थोड़े दिन बाद हम घर आ गए। अब तो बाप बेटे में इतना खुलापन आ गया था के वो डायरेक्ट ही चूत, लण्ड की बाते करने लगे थे।
मैंने अतुल को भी डाँट दिया के तुम ही इसे सिरे चढ़ा रहे हो। कल को कोई बात हो गयी न मुझे दोष मत देना। इसपे अतुल ने कहा,” डिअर पतनी साहिबा बेटा बड़ा हो रहा है। उसको सही गलत की पहचान नही है। मैं उसे पिता होने के नाते एक दोस्त बनकर उसके दिल में जो भी है, बाहर निकाल रहा हूँ। “Bete Ka Sexy Land”
क्योंके यदि मैं एक पिता बनके ये सब उस से पूछूँगा तो शायद ही कभी मेरी किसी बात का जवाब वो देगा। जबके एक दोस्त बनकर मैं उसकी हर एक अच्छी बुरी बात जान गया हूँ। एक दिन सफाई के दौरान उन दोनों की बातचीत मैं एक पेपर पे लिखी देखकर हैरान रह गयी। जिसमे उसके पिता कुछ जवाब पूछ रहे थे।
अतुल – हिमांशु क्या, तुम्हे तुम्हारी माँ अच्छी लगती है ?
हिमांशु – हाँ बहुत ज्यादा।
अतुल – माँ के शरीर का कोनसा पार्ट अच्छा लगता है?
हिमांशु – माँ की बड़ी गांड और चूचियाँ।
अतुल – अकेले में माँ के साथ रहना चाहोगे?
हिमांशु – हाँ मैं एक पति बनकर उसकी केअर करना चाहता हूँ।
अतुल – यदि माँ तुमसे सम्बन्ध न बनाये तो ?
हिमांशु – तो भी मैं अपनी माँ को ही चोदना चाहूँगा। प्यार से न तो ज़बरदस्ती ही सही।
अतुल – माँ यदि बुरा मान गयी तो ?
हिमांशु – मुझे कोई फर्क नही पड़ता, मुझे तो बस अपना गरम लावा, उसकी चूत में भरना है बस।
ऐसी बाते पढ़कर मेरे तन बदन में गुस्से से आग लग गयी। सोचा आने दो इन दोनों को आज ही क्लास लगाती हूँ। शाम को जब दोनों खाने की टेबल पे इकठे हुए तो मैंने उन दोनों को डाँट दिया और उनसे आगे से ऐसी कोई भी शिकायत न आने का वादा लिया। वो दोनों आपस में कुछ भी करते लेकिन मेरे सामने शो नही करते।
फेर एक दिन अतुल ने बोला,” कंचन हमारे बेटे की शादी तो अब इस छोटी उम्र में नही कर सकते। लेकिन इसमें सेक्स का तूफान उमड़ रहा है। हम दोनों मिलकर इसको समझाते है। ऐसा करो आज से इसे अलग नही सुलाना। बल्कि हमारे कमरे में ही हमारे बिस्तर पे सुलाना। “Bete Ka Sexy Land”
मैं –भला वो क्यों ?
अतुल — क्योंके इसके माँ बाप होने के नाते इसके अच्छे, बुरे का हमने ही सोचना है। ताजो ये जवानी के जोश में कोई ऐसी गलती न करदे के हमारा सोसाइटी में नाम बदनाम हो जाये।
मैं — ठीक है।
अतुल — ऐसा करो तुम लड़कियों वाली बाते इसे समझाओ और मैं लड़को वाली समझाता हूँ।
उस रात वो हमारे बीच सो गया। उसे समझ नही आ रहा था के आज साथ में क्यों सुलाया है।
रात को उठकर वो अपने कमरे में चला गया। जब हमे जाग आई । तो उसे पास न पाकर चिंतित हुए। अतुल उसके कमरे में देखने गए तो वो आँखे बन्द करके लण्ड हाथ में लिए मेरा नाम लेकर मुठ मार रहा था। उसे देखकर अतुल चुप चाप वापिस आ गए और इशारे से मुझे बुलाकर माज़रा देखने को कहा। जब मैंने वो सीन देखा तो हक्की बक्की रह गयी।
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वो आँखे बन्द करके आई लव यु कंचन, आ जाओ प्लीज़ मेरी प्यास बुझा दो। मेरा लण्ड अपनी चूत में ले लो, जैसी कामुक बाते कर रहा था। जब उसका काम हुआ तो ढेर सारा माल फर्श पे गिरा, इतना माल तो कभी मेरे पति का भी नही निकला होगा। करीब 5 इंच लम्बा लण्ड जो अब भी फुंकारे मार रहा था। मेरी हालत उसे देखकर पतली हो रही थी। “Bete Ka Sexy Land”
कहते है न जब काम का असर दिमाग में हो तब अच्छा बुरा, कोई रिश्ता नाता नज़र नही आता। वही हाल अब मेरा हो गया था। सरल भाषा में कहूँ तो अब मेरा भी दिल उसके लण्ड को लेने के लिए मचल रहा था। कही तो मैं उसपे गुस्सा होने गयी थी और कहाँ उसपे जाकर फ़िदा ही हो गई।
मुझे कुछ समझ नही आ रहा था के क्या करूँ अब ? एक तरफ माँ की ममता और दूसरी तरफ काम के अवेश में उसका तना हुआ लण्ड ही दिखाई दे रहा था । आज पता नही क्यों माँ की ममता पे काम उतेज़ना हावी हो रही थी। मेने बहुत कण्ट्रोल किया, खुद को भी समझाया परन्तु न जाने क्यों मेरा ध्यान बेटे के लण्ड पे जाकर रुक जाता।
इसी वजह से मैं टेंशन में रहने लगी। अतुल ने भी बहुत बार जानना चाहा। लेकिन उन्हें कैसे कहती के अब आपके लण्ड की नही, बल्कि बेटे के लण्ड की भूख है। जब कभी भी हम सेक्स करते तो पहले जैसा मज़ा न आता। हर बार मेरा मन हिमांशु के लण्ड को ही मांगता। आखिर एक दिन ऐसा भी आ गया जब हम दोनों माँ बेटा घर पे रह गए।
जबके मेरे पति अपने किसी काम के लिए 2 दिन तक कही गए हुए थे। मैंने सोचा चलो अच्छा मौका है। क्यों न मज़ा लिया जाये। स्कूल में छुट्टी थी तो सुबह हिमांशु बाथरूम में नहा रहा था। उसने आवाज़ लगाई के माँ यहां नहाने की साबुन नही है। “Bete Ka Sexy Land”
मैंने उसे साबुन देने जैसे ही बाथरूम का जरा सा दरवाज़ा खोला तो उसने साबुन लेने के लिए मेरा हाथ थामा तो वो हम दोनों फिसल कर गिर पड़े। शावर चलता होने के कारण मेरे कपड़े भी भीग गए और मेरा बदन साफ दिखने लगा। भला अंधा क्या चाहे 2 आँखे वाली बात हो गयी थी।
कुछ पल के लिए हिमांशु की नज़र मेरे भीगे दिख रहे उरोज़ों पे जाकर रुक गयी थी। जबके मैं शर्म से मरे जा रही थी। उस वक़्त हिमांशु मेरे ऊपर और मैं उसके निचे गिरी थी। उसने मेरे बदन को हाथ लगाने के बहाने से पूछा, माँ आपको कही चोट तो नही लगी।
एक तो भीगा बदन, ऊपर से उसका कामुक स्पर्श पाकर मेरी तो हालत बिगड़ गयी। सच पूछो तो मैं बहक गई थी! काम में इतना अंधी हो गई के बेटे को भी हवस की नज़र से देख रही थी। दिल की धड़कन बहुत तेज़ हो रही थी। आवाज़ भी थरथरा रही थी, होंठ सूख चुके थे। अब बात थी के हम में से पहल कौन करे ? “Bete Ka Sexy Land”
मन में ये भी आया के कंचन यदि आज पीछे हट गयी तो फेर ऐसा हसीन मौका नही मिलेगा। दिल को कठोर करके मेने वही पे अपने कपड़े एक एक करके उतारने शुरू कर दिए। मुझे ऐसा करते देखकर हिमांशु बोला,” ये क्या कर रही हो माँ ?
मैं – मेरे कपड़े भीग गए है। तो सोचा क्यों न मैं भी नहा ही लू। वैसे भी तू मेरा अपना बेटा ही तो है। अब तुमसे क्या शर्माना।? बचपन में भी तू रोजाना मेरा स्तनपान करता था। वो बात अलग है के आज तू बड़ा हो गया है। जबके मेरा शरीर वैसे का वैसा ही पड़ा है। “Bete Ka Sexy Land”
अपनी माँ का नग्न शरीर देखकर हिमांशु की आँखे खुली की खुली रह गई। उसका 5 इंची लौड़ा तन चूका था। वो आने बहाने मुझको छूने की कोशिश कर रहा था। मेने भी सोचा चलो बच्चे को खुश कर देती हूँ। इसमें हम दोनों की ही तो ख़ुशी है। मेने बहाने से साबुन हिमांशु को पकडाते हुए कहा के हिमांशु मेरी पीठ पे जरा साबुन लगा दो। वहां मेरा हाथ नही पहुँच रहा। “Bete Ka Sexy Land”
हिमांशु ने जल्दी से साबुन पकड़ा और पीठ पे लगाने लगा। एक ऊपर से चलता छावर, दूजा हिमांशु के हाथ का स्पर्श, तन मन में काम ज्वाला जग रही थी। मेने उसकी तरफ घुमकर मुंह कर लिया और कहा, अब आगे भी लगा दो। वो मेरी तरफ ऐसे देख रहा था मानो मैं कोई मज़ाक कर रही थी।
मेने उस से साबुन पकड़ी और उसके पेट से होते उसके लण्ड पे लगाने लगी। आज पहली बार उसका लण्ड मेरी मुठी में था। तो उसे धोने के बहाने मैं हिला रही थी। जिस से मज़े के कारण उसकी सांसे उखड़ रही थी और वो भी मुझे बाँहो में भरके कभी मेरे मम्मे तो कभी होंठो को चूम रहा था और आई लव यु कंचन डार्लिंग बोल रहा था।
उसका आज ऐसा बोलना मुझे जरा सा भी अजीब नही लग रहा था। शायद आप समझ ही चुके होंगे के क्यों मुझे अच्छा लग रहा था। मैं भी सेम टू यू हिमांशु बोलकर उसकी बात का जवाब दे रही थी। जब उसके लण्ड से साबुन धुल गई तो मैं निचे बैठकर उसके लण्ड को निहारने लगी और उसके लण्ड की चमड़ी ऊपर निचे करने लगी। “Bete Ka Sexy Land”
मुझे पता था के उसने पहले कभी सेक्स नही किया लेकिन मुठ मारकर उसने अपने लण्ड की चमडी ढीली जरूर करली थी। जिस से ये तो पता लग गया था के इस से इसको कोई तक़लीफ़ नही होगी और सोचते सोचते मुझे पता ही नही चला कब मैंने उसको अपने मुंह में ले लिया और अपना सर आगे पिछे करके उसको चूसने लगी।
मेरी इस प्रतिकिर्या से मानो हिमांशु को गड़ा हुआ खज़ाना मिल गया हो। उसके चेहरे पे जैसे बहार आ गयी थी। वो भी मज़े लेकर मेरा मुख पकड़कर अपना लण्ड पेल रहा था। वो बड़ा बेरहम व्यवहार कर रहा था। मानो मुझ से कोई बदला ले रहा हो के इतने दिन से मुझे प्यास क्यों रखा। पहले क्यों नही आई।
वो ज़ोर ज़ोर से झटके लगा रहा था। जिस से मुझे साँस लेने में काफी तकलीफ हो रही थी, बीच बीच में खांसी भी आ रही थी। मुंह में लण्ड होने के कारण मुझसे बोला तो नही जा रहा था लेकिन मैं इशारे से उसे रुकने को बोल रही थी। “Bete Ka Sexy Land”
लेकिन वो काम में अँधा हुआ पेलने में इतना मगन हो गया था के उसे मेरे किसी इशारे का पता नही चला और वो अपनी स्पीड से अपना काम करता रहा। आखिर उसने अपना पूरा वीर्य मेरे गले में उतार दिया और जोर से मुंह बन्द कर दिया। एक पल के लिए मानो मैं बेहोश होने लगी थी। मैंने धक्का देकर उसको पीछे गिराया और जोर जोर से खाँसने लग गयी। उसने मुझे उस हालत देखा तो उसके तोते उड़ गए।
हिमांशु – मुझे माफ़ करदो माँ, मैंने जानबूझकर ऐसा नही किया बस पता नही ऐसे कैसे हो गया।
काफी समय बाद मेरी सांसे कण्ट्रोल में आई। मुझे उस पर बहुत गुस्सा आ रहा था। लेकिन अभी सेक्स करना बाकी था । इसलिए उसे डाँट भी नही सकती थी। इस लिए उसे झूठी सी स्माईल देकर कहा, आज तो अपनी माँ को मार ही डालते तुम। “Bete Ka Sexy Land”
इतना वहशिपन भी ठीक नही है। हिमांशु ने एक बार फेर माफ़ी मांगी। मुझे लगा अब शायद ही हिमांशु सेक्स के लिए ।मानेगा। तो मैंने भी उदास सा चेहरा बनाते हुए कहा, एक शर्त पे माफ़ी मिल सकती है ?
हिमांशु — वो क्या माँ?
मैं — यदि बिस्तर पे मेरे साथ आज सेक्स करेगा तो मैं माफ़ कर सकती हूँ।
मेरी बात सुनकर हिमांशु का मुंह खुले का खुला ही रह गया। उसे यकीन ही नही आ रहा था के इतना कुछ हो जाने के बाद भी माँ ऐसा कुछ बोलेगी। उसने बिन समय गंवाए हाँ बोलदी। हम दोनों नंगे ही शावर बन्द करके बैडरूम की तरफ चल दिए।
उसने मुझे बाँहो में उठाया हुआ था और जैसे फिल्मो में हीरो, हेरोइन की आँखों में आँखे डाले उसको ही देखते चलता रहता है। ऐसे ही चल रहे थे। बैडरूम में जाकर उसने मुझे बैड पे पटक दिया और खुद भी मुझ पे चढ़ गया।
अब फेर शुरू होने लगा कामवासना का खेल। उसने माथे से लेकर निचे पैर की ऊँगली तक एक एक अंग को चाट दिया। मेरी चूत अब भी आग उगल रही थी, थोडा चूत को चाटकर बोला,” आह्ह्ह… ऐसा स्वाद ज़िन्दगी में कभी नही चखा। पापा की तो रोज़ाना चाँदी होती होगी। “Bete Ka Sexy Land”
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उसके जीभ का स्पर्श मात्र से ही मैं बहकने लगी और उसको चूत में लण्ड डालने का आग्रह करने लगी। उसने मेरी व्याकुलता को समझते हुए अपना गर्म रॉड जैसा दहकता लण्ड मेरी चूत के मुंह पे रखकर हल्का सा झटका दिया। जिस से मेरी आह्ह्ह्ह निकल गयी।
उसके अगले झटके से पूरा लण्ड मेरी चूत में समा चूका था। अब वो पागलपन पे उत्तर आया था। क्योंके एक तो उसका पहला सेक्स था, दूजा उसको इतनी जानकारी भी नही थी। सो उसका मन जैसे बोलता वो वैसे ही करता रहा। करीब 10 मिनट की इस खेल में वो और मैं एक साथ रस्खलित हुए और वो मेरे ऊपर गिरकर हांफ रहा था। सच मानो तो मुझे भी बेटे का पहला सेक्स बहुत अच्छा लगा। हम दोनों काफी समय तक ऐसे ही लेटे रहे। फेर हम दोनो उठकर दुबारा नहाये और इस तरह से मैंने अपने बेटे के लण्ड का स्वाद चखा।