Pahadi Bhabhi Chudai Kahani
नमस्कार मित्रो मेरा नाम अखंड प्रताप सिंह है और मेरी उम्र 55 साल है. आज मैं आप सबको मेरी जवानी की एक चुदाई की कहानी सुना रहा हूँ. आज भी मेरे उम्र के सब बुड्ढो को वो दिन याद है जब राज कपूर की “राम तेरी गंगा मैली” फिल्म थिएटर में लगी थी और कई कुंवारे लड़को ने मन्दाकिनी को सफ़ेद पतले झिल्लीदार कपडे में नहाते हुए देखा था. Pahadi Bhabhi Chudai Kahani
तो कई लड़को ने उसकी रस भरी जवानी पर मदहोश होते हुए घर आकर रात में उसको अपने ख्वाबो में लेकर तरह-तरह से चोदा था और अपने–अपने तरीके से सुहागरात मनाई थी. कई लड़के तो इतने फ़िदा हुए की उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों के दर्शन पाकर अपने लंड को संभाल नहीं पाए.
और उसकी शराब से नशीली आँखों की और मस्त अंगूरी बदन के गदराये शरीर के बाद उसके भीगे हुए बड़े-बड़े गोरे-गोरे आधा-आधा किलो भारी बूब्स देखकर हॉल में ही पेंट से खड़े हुएलंड को बाहर निकाल कर सड़का (हस्त-मैथुन) कर शांत हो सके.
मैंने भी उस फिल्म को कई बार देखा सिर्फ मन्दाकिनी की गोरी चूचियों की खातिर. दोस्तों मर्द को सबसे पहले औरत का गोरा जिस्म और मांसल जांघे भरी हुई चुची और मस्त गोल साडी के नीचे से झांकती गोल गहरी नाभि ही आकर्षित करती है. हर मर्द इस पर ही मर मिटा है और जी भर कर औरत को चोदना चाहता है.
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इस फिल्म के बाद मेरा भी पहाड़ (हिल्स) पर जाना हुआ. वहां एक दिन मुझे एक शादी-शुदा गोरी अल्हड मस्त जवान औरत दिखी. बाजार में वो कुछ लेने आये थी. आज भी वो दिन याद आता है एकदम मन्दाकिनी की तरह दिखती थी. उसको देखते ही दिल ने कहा इस जवानी के समुन्दर में ज़रूर डूबना है.
इसकी बड़ी-बड़ी चूचियां और पीछे से भरी मांसल चूतड़ अंदर गांड की खूबसूरती बता रहे थे. मुँह में पानी बाहर आया लार टपकने लगी और लंड खड़ा हो कर पानी छोड़ने लगा. देखने वाले सब लड़के उसके ऊपर ही लाइन मार रहे थे और वो बेखबर सामान ले रही थी और हर कोई उसका सामान (चूत) देखने को उतावला नज़र आया.
मैंने भी अपने मन में उसका पीछा करना सोचा और उसके पीछे पहाड़ के ऊपर उसके घर की ओर चल पड़ा. थोड़ी दूर जाकर सन्नाटे के करीब हिम्मत कर उसको आवाज़ दे कर रोका. “सुनिए एक मिनट..” “क्या है?” उसका सवाल सुन बड़ा अच्छा लगा चलो उसकी आवाज़ तो सुनी.
मैंने कहा “आप मुझे बड़ी अच्छी लग रही हो.मैं आप से दोस्ती करना चाहता हूँ.”
वो हंस पड़ी— “क्या मैं इतनी खूबसूरत हूँ?”
“यस यू आर ब्यूटीफुल” मैंने कहा. आपका नाम जान सकता हूँ?”
उसने कहा “मेरा नाम कविता है.”
मैंने कहा –“आप कविता जितनी ही सुन्दर हैं और मैं आपका दोस्त बनना चाहता हूँ.”
वो बोली मैं घर में अकेली रहती हूँ यहाँ मेरा हस्बैंड बाहर काम करता है. तुम इस जगह के नहीं लगते. बाहर से आये हो?”
“हाँ दिल्ली से.” “आई वांट तो मेक लव टू यू” मैंने बहुत डर कर कहा.
वो हंस पड़ी और बोली- “लव भी करना है और डरते भी हो मर्द हो घर चले आओ.”
मैं उसके साथ उसके घर पहुँच गया वो बोली “चाय पियोगे?”
मैंने कहा “पी लूंगा.”
असल में तो मेरा मन पहले उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों से दूध पीने का हो रहा था. वो चाय बन लाई. मैंने चाय को देखते ही कहा- “यह तो काली चाय है इसमें दूध कहाँ है?” वो अपने ब्लाउज की तरफ आंख से इशारा कर बोली- “दूध तो यहाँ है आप को निकलना पड़ेगा और जितना पीते हो ले लो.” ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
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मैंने मन ही मन खुश होते हुए कहा- “फिर चाय की क्या ज़रूरत है दूध पीकर ही काम चला लूंगा.” यह कह कर मैंने उसको अपनी बाँहों में खींच लिया और उसको गोद में उठाकर उसके बेडरूम में ले आया. जहाँ लेकर उसको मैंने आराम से बिस्तर पे लिटा दिया. मैंने कहा “आप एकदम राज कपूर की मन्दाकिनी लगती हो, मैं आपको मन्दाकिनी ही कह कर बुलाऊंगा.”
वो हंसने लगी और बोली- “बात ही करोगे या कुछ करोगे भी फिर कोई आ जायेगा. जल्दी से आप अपनी और मेरी प्यास बुझा दो.”
मैं आराम से लेट गया और उसके गुलाबी नरम होंटो को अपने होंटो में दबा कर चूसने लगा. साथ ही अपनी ज़बान से उसकी ज़बान के बीच युद्ध करने लगा. उसकी आँखों में नशा चढ़ रहा था साथ ही मेरा लौड़ा भी तन कर क़ुतुब मीनार हुआ जा रहा था. उसकी खुशबूदार सांसे गरम हो रही थी और मैं मस्त हुआ जा रहा था.
धीरे धीरे उसका ब्लाउज के ऊपर से भरी भरी चूचियां सहलानी शुरू की. उसके बाद बटन खोल कर ब्लाउज फेक उसके ब्रा के ऊपर से बूब्स को प्रेस करते हुए मसाज किया. फिर क्या था वो भी मस्त हो मेरा साथ देने लगी. आग उसके अंदर की जल उठी थी.
उसके बाद जब उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ मेरे सामने आये तो उसके हलके ब्राउन निप्पल्स मैंने अपने होंटो में लेकर चूसने लगा और दूसरे हाथ से उसकी चुची सहलाता रहा दबाता रहा. एक हाथ उसकी गरदन के नीचे से डाल एक चुची पकड़ ली और मुँह निप्पल्स पर लगा चूसने लगा.
वो आह आह ऊऊऊ करने लगी. लेफ्ट हैंड तो गर्दन के नीचे से उसकी चूची पर था और मुँह में निप्पल्स भरे उसको अच्छे से सक कर रहा था तो राइट हैंड खाली था जिसको मैंने धीरे धीरे नीचे चूत की फांको को अलग कर बीच में चूत के सिंघाड़े को अपनी दोनों उँगलियों से सहलाना रगड़ना शुरू किया.
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बाद में उसका पेटीकोट का नाडा खोल कर ढील कर पेटीकोट बाहर फेका जिससे उसकी मोटी-मोटी गोरी-गोरी जांघे मेरे सामने थी जिसके बीच गुलाबी बुर और हलके काले काले बाल (झांटे) बहुत सुन्दर नज़ारा बना रहे थे. दोनों जांघो को दबा दबा कर मैंने उसकी गुलाबी बुर के ऊपर के दोनों काले सिंघाड़े को गुलाब की पंखुड़ियों की तरह अलग किया.
जिससे उसकी बुर के ऊपर सिंघाड़े को अपनी ज़बान की ढेर सारी लार से टपका कर गीला किया और फिर अपनी ज़बान से सांप की तरह लपलपाता हुआ चाटने लगा. जिससे उसके पुरे जिस्म में करंट दौड़ गया. वो अअअअअ ह्ह्हह्हुउउउउ ऊऊह्ह्ह्हह्ह करने लगी. उसने भी मेरा पेंट खोल लौड़ा मुँह में चूसने की इच्छा जताई.
मैंने उसको अपने ऊपर उल्टा लेट जाने को कहा ताकि मैं उसकी चूत चाट सकूँ और उसकी गांड के दर्शन कर सकूँ. वो मेरे ऊपर उलटे लेट गई और मेरा कॉक (लंड) हाथ में लेकर उसने मुँह की गहराई में उतार लिया. उसकी ज़बान मेरे गुलाबी सुपाड़े को चाट रही थी और मेरा लंड उसके मुँह के अंदर-बाहर हो रहा था.
उसकी ज़बान मेरे लौड़े को अच्छे से चाट रही थी. वो लंड को तन कर क़ुतुब मीनार बना चुकी थी. मैं भी नीचे लेटकर उसके बुर के अंदर-बाहर ज़बान को डाल रहा था जिससे उसको बहुत सुख मिल रहा था. मैंने एक ऊँगली उसकी गांड में डाल दी और उसको दुगना मज़ा दिया.
वो बोली तुम्हारा राकेट तैयार है तो मुझे जल्दी से सैर करवा दो नहीं तो कोई आ जायेगा. मैंने कहा-जल्दी से लंड पर बैठ जाओ रानी यह तुमको जन्नत की सैर करा लाएगा. वो मेरे लंड पर अपनी चिउट फैला कर बैठ गई. उसकी गीली चूत में मेरा लंड अंदर बाहर होने लगा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उसके चूतड़ ऊपर-नीचे उचकते हुए मैंने अपना मुँह उसके निप्पल्स पर लगा दिया ताकि चुदाई के साथ-साथ उसकी चूचियां भी आराम पाती रहें. 7-8 मिनट तक उसको गॉड में बैठा कर सेक्स करने के बाद मैंने उसको लिटा कर दोनों जांघे फैला दी और ऊपर आकर लंड को सामने से चूत में दाखिल किया.
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अपने चूतड़ मैंने आगे-पीछे किये तो जवाब में उसने भी अपनी गांड को उठा कर लंड की ओर धकेला ताकि धक्का लंड का अंदर गहराई तक जा सके. उसकी गांड काफी सुन्दर थी तो मैंने लंड बाहर खींच खूब थूक लगा कर उसके गांड की एंट्री पर रखा और ताकत से लंड की एंट्री प्यार की काली गुफा में कराई जिससे उसके मुँह से थोड़ी दर्द भरी आवाज़ निकली. पर वो मेरा लंड आराम से गांड में ले अह्ह्हह्ह्ह्ह ओह्ह्हह्ह्ह्हह्ह हांयययय येह.. येह फ़क मी फ़क मी हार्ड डीपर ऊऊओह्ह एहहहहहहहहह यस कम ऑन आआआआ याह मोर एंटर.
ऐसे ही चोदो मेरे राजा…. तुम्हारा लंड बहुत आराम दे रहा है… शादी के बाद औरत को लंड की कीमत समझ आती है… जान. ऐसे ही धक्का देते रहो… लंड अपने पुरे ज़ोर पे था अंदर बाहर. लंड को गांड से निकल के फिर मैंने चूत में डाला. धक्कों से उसकी चूचियां खूब हिलती जिसे देख कर अजब मज़ा मिलता. दोनों हाथ से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां थामे मैंने कस के सम्भोग किया. फिर लंड को झड़ने से पहले बाहर खींच लिया और वो अपनी ज़बान निकाल बैठ गई जिस पर मैंने अपना सारा प्यार के शहद (हनी) टपका डाला. इस तरह उस मन्दाकिनी के साथ मेरा सेक्सी एनकाउंटर हुआ.
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