Bhabhi Ki Badi Chuchiyan
दोस्तो मैं साहिल मेरी बैंक मैं उस समय नई नोकरी लगी एक मकान किराये पर लिया. पास मैं एक परिवार रहता था छोटा परिवार था. उस मैं करीब 35 साल की एक भाभी जो ज्यादातर घर पर अकेली ही रही थी सासु थी नही ससुर जी अक्सर गाँव जाते थे पति नोकरी पर बच्चे स्कूल. Bhabhi Ki Badi Chuchiyan
प्रज्ञा नाम सांवला रंग गठीला मांसल बदन कड़क कड़क चुचिया कसी हुई भाभी थी मेरा पठान खून इस भाभी की चुत का दीवाना होने लगा. शुरू मैं हल्की फुल्की पहचान हुई मैं उसके बच्चों के लिए मंहगे चॉकलेट लाता.
प्रज्ञा भाभी इम्प्रेस होने लगी उसके लटके झटके चेंज होने लगे. वो जब अकेली होती बड़े ही मादक अंदाज मैं बात करती और डबल मिनिग मैं बात करती. वो बेहद कामुक थी उसकी आँखों के इशारे मुजे उत्तेजित करते.
एक दिन मैं उसके घर गया जब वो अकेली थी वो नाहा कर ही आयी थी वो बालो को दोनो हाथों से सूखा रही थी. ऐसा करने से ब्लाउस मैं किसी उसकी बड़ी बड़ी चुचिया हिल रही थी. मैं बात करते उसकी चुचियो के मजे ले रहा था.
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मुझ से कंट्रोल हवा नही मैंने उसका पकड़ लिया और उसकी चुचिया मसल दी मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था विवाद के डर से. लेकिन मुजे आश्चर्य हुआ प्रज्ञा ….भैय्य्या …..दरवाजा खुल्ला है मैंने दरवाजा लगाया और भाभी को बाहों मैं जकड़ लिया.
उसके बदन के गठीलेपन का मांसलता का मसला मसल कर मजा लिया वो भी मत करो भैय्य्या मत करो भैय्य्या बोलती. मेरे हाथों की मालिश से उत्तेजित हो गर्मा गयी थी तभी बाहर किसी ने उसको आवाज लगाई हम दोनों अलग हुवे.
प्रज्ञा …..हा… भाभी ….आयी मुजे रुकने का इशारा कर निकल गयी बात कर वापिस आयी मुजे समझाते बोली …भैय्य्या मैं शादीशुदा हु आप समझते क्यो नही आप को तो बहुत सी लडकिया मिल जाये गी.
मैंने उसको अपने सीने से लगाया और उसके उसके पुट्ठे कस कर दबाए प्रज्ञा ….(मेरे कमर मैं हाथ डाल कर )मुझ मैं ऐसा क्या है मैंने उसका हाथ अपने लंड पर टच किया बोला इस शेर से पूछो प्रज्ञा भाभी (जोर से ठहाका लगाते बोली )ये आप का शेर तो बहुत गुस्से मैं है.
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मैं बोला इसको आप की गुफा मैं जाना है प्रज्ञा ..(आंख मारते बोली )है …….भगवान …….अंदर चलो बेडरूम मैं भैय्य्या उसकी साडी खुल चुकी थी. वो सिर्फ पेटिकोट और ब्लाउस मैं मुजे अंदर ले गयी वहा खेल शुरू हुआ.
मैं …प्रज्ञा भाभी के नंगे बदन को चूम और चूस कर उसकी तारीफ कर रहा था वो बेहद उत्तेजित हो चुकी थी. वो बार बार मेरा लंड पकड़ कर उसको हिला रही थी उसने मुजे पलँग पर लेटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गई लंड को हाथ से अपनी चुत पर सेट किया.
लंड सर्रर्रर्रर से चुत मैं समा गया वो तेजी से अपनी कमर को हिलाने लगी उसका बदन कड़क हो गया था. उसका बड़ा मंगलसूत्र मेरी छाती पर लटक रहा था उसकी नंगी चुचिया मेरी आँखों के सामने हिल रही थी वो उचक उचक कर लंड पर अपनी चुत पटकने लगी. “Bhabhi Ki Badi Chuchiyan”
मैं उसकी चुचियो को बुरी तरह से मसल रहा था और प्रज्ञा भाभी मैं जोश भर रहा था जल्दी ही वो थक गई. लंड उसकी चुत मैं ही था वो मेरे सीने पर सिर रख गहरी गहरी सांस लेने लगी. मैं उसकी नंगी मांसल पीठ पर हाथ फेरने लगा.
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फिर वो घोड़ी बनी मैं लंड लेकर उसकी कमर पकड़ कर हिलने लगा प्रज्ञा….. आआआआआह ….आआआआठहठहद…..की आवाज करने लगी मैंने लंड को उसके पेटिकोट से पोछ कर फिर ठुकाई करने लगा अचानक वो हिचकी जैसे आवाज निकालने लगी. उसका बदन झटके लेने लगा और ईईईईईई आआककक्काआकककककक की आवाज के साथ उसका बदन ढीला पड़ गया. वो झर गयी थी उसकी चुत से ढेर सारा मटमैला पानी निकालने लगा. मैंने भी अपना वीर्य उसकी कमर पर गिरा दिया.
प्रज्ञा भाभी ….बाप …..रे….आप का माल तो बहुत ज्यादा निकलता है पूरी गीली कर दी फिर वो मुझ से चिपक कर बात करने लगी बोली …आप का स्टेमिना बहुत है बिना कंडोम के आप कितने देर तक मेरी लेते रहे उसदिन के बाद कई बार प्रज्ञा भाभी को चोदा हर एंगल से उसकी ठुकाई करि फिर मेरा ट्रांसफर हो गया 3 साल बाद मेरा उसी शहर मे फिर ट्रंसफर हुआ उसके घर गया जैसे ही मैंने उसको अपनी और खिंचा वो बोली नही भैय्य्या अब मुफ्त मैं कुछ नही होगा.