Aurato Ke Kamuk Ishare
दोस्तो अभी कुछ दिन ही हुवे थे हम तीनों दोस्तो को बड़ी मुश्किल से एक कमरा एक कॉलोनी मैं किराये से लिये हैम तीनो 18 साल के एक ही कॉलेज मैं एडमिशन हुवा मैं जुबैर साथ मैं मोहसिन और चंगेज हम तीनों की पसंद भी मंगलसूत्र वाली कमसिन सेक्सी भाभी थी कॉलोनी मैं यू तो कई थी. Aurato Ke Kamuk Ishare
लेकिन मेरे मकान के पास एक मकान था उस से लगा कमरा ही हमको किराये से मिला था दोनो की छत जुड़ी थी पास वाले के मकान के बीच मैं एक चौक जैसा था उसपर सिर्फ लोहे की जाली लगी थी लाइट और हवा के लिए उस दिन ठंड की दोपहर मैं और मोहसिन पड़ोसी की छत पर सिगरेट पी रहे थे.
तभी आवाज आई (उस छत पर चौक की जाली से )औरत …अरे …अरे भैया छोड़ो न …..मैंने और दोस्त ने धीरे से नीचे जाली मैं झांका वहाँ चोक मैं एक वाश बेसिन था उसके पास मैं बाथरूम वाशबेसिन पर कांच के गिलास मैं दारू या कोल्डड्रिंक था.
एक लड़का दोनो हाथ से साडी खिंच रहा था औरत अंदर सामने के कमरे मे थी नजर नही आ रही थी औरत (हँसते हुवे)साडी को झटका मत मारो फट जाए गी लड़का …फट जाने दो …और एक झटका दिया कमरे से औरत पेटीकोट ब्लाउस मैं सीधे लड़के से चिपट गयी.
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मेरा दिमाग सुन्न ही गया ये तो पड़ोसी की बीवी प्रज्ञा थी भरा बदन सांवली रंगत मंगलसूत्र इसको तो हम रोज देखते थे ये हस्ती भी थी लेकिन सिर पर पल्लू और हमेशा ढंकी रहती थी कभी इसके सिर का पल्लू नही हटा और आज ये लड़के के सामने नंगी थी.
तभी प्रज्ञा भाभी को लड़के ने किस किया और उसकी बड़ी बड़ी छाती मसली प्रज्ञा भाभी तेजी से अपने पेटीकोट का नाडा खोल कर बोली जल्दी करो लड़का नीचे घुटन पर बैठ गया और प्रज्ञा की पेंटी नीचे कर दी बोली बाल सुबह ही साफ किये है आप को मेरी चिकनी पसंद है न….
लड़का उसकी चुत चाटने लगा थोड़ी देर मैं प्रज्ञा उफान पर आ गयी बहुत उत्तेजित हो गयी थी वो उस लड़के का सिर अपनी चुत पर दबा रही थी और दूसरे हाथ से अपने ब्लाउस के हूक खोलने लगी उसकी बड़ी बड़ी छातियों का उतेजजना के कारण ऊपर नीचे होने लगी.
अब वो सिर्फ काले रंग की ब्रा मैं थी लड़का उठा और गिलास उठा कर उस मैं से कुछ घूंट मारे और फिर चुत चाटने लग गया अब प्रज्ञा सिसकारियां निकालने लगी थी और उसने भी गिलास से एक झटके मैं सारा पी गयी और अचानक अंदर कमरे की और दौड़ पड़ी.
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लड़का भी भागा अंदर से दोनो के हँसने की आवाज आ रही थी दोनो के सिर्फ पैर दिख रहे थे अचानक प्रज्ञा ….देखो ….सम्हाल ना गिरा मत देना अब प्रज्ञा के पैर गायब हो गए थे सिर्फ लड़के के पैर ही दिख रहे थे.
तभी दोनो फिर चौक मैं आये लड़के ने प्रज्ञा भाभी को उठा रखा था वो उस से चिपकी हुई थी बाथरूम का दरवाजा प्रज्ञा ने पकड़ा और लड़के से बोली ….(हँसते हुवे)लो …अब ….सेटिंग करो ..बार …बार गलत जगह गुस रहा है.
प्रज्ञा ने लड़के को अपनी दोनो टांगो मैं कमर पर लपेटा हुवा था प्रज्ञा ….ईईसशहठहठहद ….की आवाज निकाली और लड़का नीचे से ऊपर उसकी चुत मैं धक्के लगाने लगा प्रज्ञा मजे मैं उचक उचक कर लण्ड लेने लगी तभी प्रज्ञा चुदाई करवाते सीसीकी लेते ऊपर की और देखा मेरी और उसकी नजर मिल गयी.
वो हड़बड़ाते हम दोनो जाली से हट गए नीचे से आवाज आई प्रज्ञा …अरे …छोड़ो मुजे ऊपर कोई है …निकलो यहाँ से जल्दी …हम दोनों कमरे मे आ गए चंगेज को बताया वो भी प्रज्ञा भाभी की चुदाई के लिए पागल हो गया.
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शाम को मैं जब नीचे जा रहा था तभी प्रज्ञा भाभी बाहर खड़ी थी मेरी नजर मिली वो सकपका गयी अगले दिन दोपहर को जब मैं कॉलेज से आया दोनो दोस्त कॉलेज मैं ही थे वो बाहर अपने बाल सूखा रही थी तभी प्रज्ञा …भैया …एक …मिनिट अंदर आना… मैं उसके घर गया वो सामने नहाई खड़ी थी वो मुजे समझा रही थी कि कल जो भी देखा किसी को मत बताना मैं भी सौदे पर आ गया बात तय हो गयी वो मोहसिन के हाथ मे जो सिगरेट का पैकेट था उसको कैमरा समझी थी एक बार की चुदाई के लिए प्रज्ञा ने सहमति दे दी थी.
दरवाजा वो खुद बंद कर चुकी और मैं भी उसके गदराए बदन को अपनी बाहों मैं जकड़ कर चूसने लगा गदराई प्रज्ञा भी कल से अधूरी थी पूरे जोश से मजे लेने लगी मैं भी पूरे जोश से उसकी चुत मैं फछड़ फछड़ करने लगा. प्रज्ञा(हांफते हुवे )…थका….. दिया ….आपने मैं …कहाँ भाभी अभी तो घोड़ी बन ना है प्रज्ञा ..अरे…..बाप …रे फिर प्रज्ञा घोड़ी बानी और 30 मिनिट ठुकी बहुत खुश थी वो अगले दिन मोहसिन को बुलाया फिर चंगेज तीन दिन तक रोज ठुकाई प्रज्ञा सौदा पूरा हुवा.