Mother Vagina Fuck Story
प्रिय भाइयो, मेरे साथ जो बीता, यदि मेरी जगह आप होते तो शायद आप भी ऐसा ही करते। इसमें कोई शराफत दिखाने वाली बात ही नहीं थी, क्योंकि मैं कोई साधु-सन्यासी तो हूँ नहीं जो अपनी इच्छाओं को अपने वश में कर लूँ। पहले तो मैं आपको अपने परिवार के बारे में बता दूँ। घर में पापा, मम्मी और मैं, हम तीन ही प्राणी हैं। Mother Vagina Fuck Story
पापा को अपनी नौकरी के कारण लगातार टूर पर ही रहना होता है। अब घर में मेरे और मम्मी के अलावा कोई नहीं बचता। मम्मी की उम्र 38-40 के बीच होगी, लेकिन उन्होंने खुद को काफी मेंटेन किया है, इस कारण मुश्किल से 33-35 की ही लगती हैं। घर में किसी बाहरी व्यक्ति का ज्यादा आना-जाना नहीं होने के कारण मम्मी आमतौर पर घर में केवल ब्लाउज और पेटीकोट ही पहनती हैं।
ब्लाउज भी डीप नेक और चौड़े गले वाला, जिसमें से उनकी आधी से ज्यादा चूचियाँ बाहर आती रहतीं। और पेटीकोट इतना नीचे बाँधतीं कि उनकी नाभि को देख मेरे लंड खड़ा हो जाता। लेकिन मैं अपने मन पर काबू करके अपनी भावनाएँ दबाए रखता। एक बात थी कि मम्मी और मैं दोस्तों की तरह ही रहते थे, और साथ-साथ मार्केटिंग, घूमना-फिरना, पिक्चर देखना, होटल्स में जाना आदि करते थे।
एक बात और थी कि जब भी पापा घर आते, वो मम्मी से उतनी आत्मीयता नहीं दिखाते, जितनी कि एक आम इंसान को लगभग 15-20 दिनों के बाद अपनी पत्नी से मिलने पर दिखानी चाहिए। मम्मी पागलों की तरह उनका साथ पाने की कोशिश करतीं, और दूसरी ओर वो शायद जानबूझकर घर से बाहर रहते।
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मेरा अनुमान था कि वो अपनी कामाग्नि घर से बाहर ही शांत कर आते होंगे, इसलिए वो घर में मौजूद इतनी सेक्सी बीवी की तरफ ध्यान ही नहीं देते थे। एक-दो बार मैंने उनके बेडरूम में चोरी से झाँका तो मैंने उन्हें या तो अलग-अलग सोते हुए पाया या फिर मम्मी को उनके साथ छेड़खानी करते हुए, लेकिन वो कभी भी मम्मी में इंटरेस्ट नहीं दिखाते मिले।
मम्मी उनके गंदे कपड़े धोने और उन्हें प्रेस करने में ही लगी रहतीं, और वो वापस अपने नए टूर पर निकल जाते। कई बार मम्मी उनके जाने के बाद अकेले में रोती रहतीं। तो मैं बोलता कि मम्मी, मुझे अपना दुख बताओ, तो वो कहतीं कि कुछ बातें ऐसी होती हैं कि हम उन्हें किसी के साथ शेयर नहीं कर सकते।
जब कभी मुझे समय होता, तो मैं मम्मी के कामों में उनकी मदद कर दिया करता, जैसे कि कपड़े धोने या सुखाने, सब्जी काटने या साफ-सफाई में। इन सभी कामों के दौरान मेरी निगाहें लगातार मम्मी के जिस्म के भूगोल को देखती रहतीं। मम्मी बहुत ही नाजुक कॉटन के महीन कपड़े के ब्लाउज पहनती थीं, जिसमें से उनकी लेसी डिज़ाइनर ब्रा दिखाई पड़ती थी।
जब कभी मम्मी रविवार को सुबह-सुबह बेडरूम की चादर या तौलिये, पर्दे आदि धोतीं, तो मुझे हमारे बड़े से बाथरूम में कपड़े निचोड़ने के लिए बुला लेतीं। इस समय मम्मी अपने पेटीकोट को कमर में खोंस लेतीं और ज़मीन पर बैठकर कपड़ों को धोतीं। इस समय उनके पूरे मांसल सफेद स्तन घुटनों के दबाव के कारण ब्लाउज से बाहर आने को होते।
पेटीकोट भी लगभग जाँघों तक चढ़ जाता। मैं नल के पास खड़ा-खड़ा अपने लंड को मसलता रहता और मम्मी के शरीर को घूरता रहता। एक दिन मम्मी ने कपड़े धोने के बीच ही कहा कि चल, अपने पहने हुए कपड़े भी दे दे ताकि वो भी धुल जाएँ। मैंने तुरंत ही अपनी बनियान और बरमूडा खोल दिया और उन्हें मम्मी को दे दिया।
अब मैं केवल अपनी V-शेप जॉकी में था, जिसमें से मेरा उत्तेजित लंड बाहर आने को मचल रहा था, लेकिन मैं उसे हाथों से सहलाकर दबाए हुए था। गीले हाथ होने से मेरा V-कट जॉकी भी गीला हो चुका था। तभी मम्मी ने मेरी ओर पीठ की और अपनी ब्रा और ब्लाउज खोलकर अपने पेटीकोट को सीने पर बाँध लिया और ज़मीन पर बैठकर ब्रा और ब्लाउज को भी धोने लगीं।
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पेटीकोट का नेफा, मतलब नाड़ी बाँधने की जगह वाला हिस्सा, मम्मी के दोनों स्तनों के बीच में होने से मुझे मम्मी के हिलते हुए उरोज साफ दिखाई पड़ रहे थे। नीचे से पेटीकोट मम्मी के चूतड़ों को बड़ी मुश्किल से ढक पा रहा था। मैं ऐसी कोशिश में था कि मुझे मम्मी की चूत के दर्शन हो सकें, लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
तभी मम्मी बोलीं कि चल, नल के नीचे बैठकर नहा ले। तो मैं वहीँ मम्मी के सामने पत्थर पर बैठ गया और नहाने लगा। मैं जानबूझकर अपने हाथों में साबुन लेकर उसे अपने अंडरवियर में डालकर अपने गुप्तांगों की सफाई करने लगा। तो मम्मी खड़ी होकर बिल्कुल मुझसे सटकर खड़ी हुईं और दीवार पर बने शेल्फ में से कुछ निकालने लगीं।
इस समय मम्मी की चूत वाला हिस्सा मेरे चेहरे के सामने था। मैं तत्काल पत्थर से उतरा और ज़मीन पर बैठ गया। इससे मुझे मम्मी के पेटीकोट के अंदर झाँकने का मौका मिल गया। मम्मी ने जालीदार छोटी सी पैंटी पहन रखी थी, जो कि गीली होने के कारण मम्मी की चूत से चिपकी हुई थी।
मम्मी को समय लगता देख मैंने जानबूझकर अपने हाथों को सिर में चलाना शुरू कर दिया, जिस वजह से मेरा हाथ और कोहनियाँ मम्मी की जाँघों के जोड़ों पर टच कर रही थीं। लेकिन मम्मी वहाँ से तभी हटीं, जब उन्हें शेल्फ में से एक हेयर रिमूवर साबुन मिल गया।
मम्मी ने मेरे सामने ही खड़े-खड़े उस साबुन को अपनी दोनों भुजाओं के बीच लगाया और अपने अंडरआर्म्स साफ किए। इसके बाद मम्मी ने धीरे से अपनी पैंटी निकाल दी और उस साबुन का झाग बनाकर पेटीकोट में हाथ डालकर चूत पर रगड़ने लगीं। जैसे ही मेरी निगाह मम्मी से मिली, तो वो हल्के से मुस्कुरा दीं।
मैं जानबूझकर धीरे-धीरे अपने पैरों को रगड़ रहा था, ताकि मम्मी के साथ ही नहाने का मौका मिल सके। मम्मी ने भी अपने पेटीकोट को बाँधने की जगह से हाथ डालकर अपने सीने पर साबुन लगा लिया और फिर शावर चालू करके पानी में खड़ी हो गईं।
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मम्मी के बदन से जैसे-जैसे पानी नीचे बहकर आता, उसके साथ उनकी चूत और अंडरआर्म्स के बाल भी बहकर ज़मीन पर आने लगे। जब मम्मी शावर की ओर मुँह करके अपना चेहरा धो रही थीं, तब मैंने बड़ी सफाई से उनके पेटीकोट में झाँका, तो मुझे उनकी फूली हुई चिकनी मांसल चूत दिखाई पड़ गई।
और मेरा लंड अभी तक के अपने सबसे ज्यादा तनाव पर आ चुका था। लेकिन मैं फिर मन मारकर रह गया। इसके बाद मैं और मम्मी दोनों ही बाथरूम से बाहर आ गए। मम्मी ने अपने सीने पर एक तौलिया लपेट लिया था, जो कि केवल उनके निपल्स को ढक पा रहा था।
नीचे तो मम्मी के झुकते ही गाँड की दरार दिखाई पड़ने लगी थी। मम्मी ने उसी पोजीशन में अपने बाल बनाए और फिर हमने नाश्ता किया। इसके बाद जब मम्मी ने वापस अपने कपड़े पहन लिए और मैं थोड़ा घूम-फिर आया। जब मैं दोपहर में घर आया, तो मम्मी को बेड पर लेटे हुए पाया।
पूछने पर मम्मी ने बताया कि उन्हें कपड़ों की प्रेस करने के दौरान करंट का जोर का झटका लग गया है, इस कारण उनका पूरा बदन दर्द कर रहा है। तो मैंने उन्हें डॉक्टर को बताने का कहा, तो वो बोलीं कि नहीं, बस तू थोड़ा सा मेरी पीठ और कमर की मालिश कर दे, आराम मिल जाएगा।
मैंने फटाफट अपने कपड़े खोले और बरमूडा पहनने लगा, तो मम्मी बोलीं कि ऐसे मत पहन, ये तेल में गंदा हो जाएगा। तो मैं केवल अंडरवियर और बनियान में तेल लेकर आ गया। मम्मी तब तक पेट के बल बेड पर लेट चुकी थीं और ब्लाउज के हुक खोलकर मुझे बोलीं कि ब्रा का हुक भी खोल दे।
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मैंने जैसे ही मम्मी की ब्रा का हुक खोला, उन्होंने उसे बाहों से निकाल दिया और कोहनियों के बल लेट गईं। इस पोजीशन में उनके मांसल स्तन हवा में झूल रहे थे। लेकिन मैं उनकी पीठ पर ही तेल लगा रहा था। जब मैं कमर पर तेल लगाने लगा, तो मम्मी ने अपने पेटीकोट को ढीला करके उसे अपने चूतड़ों से थोड़ा सा नीचे कर लिया, जिस वजह से उनकी सफेद पैंटी दिखाई पड़ने लगी।
इधर नीचे मम्मी ने अपने पैर मोड़-मोड़कर अपने पेटीकोट को घुटनों से काफी ऊपर कर लिया था। जब मैं कमर की मालिश के बाद हिप्स तक आया, तो मम्मी बोलीं कि रुक, मेरी पैंटी खोल दे, नहीं तो तेल में गंदी हो जाएगी। इसके बाद मम्मी ने अपने कूल्हे थोड़े से ऊपर उठा दिए और मैंने उनकी पैंटी को हिप्स से सरका दिया।
तभी मम्मी सीधी हुईं और अपने पेटीकोट में हाथ डालकर पैंटी को बाहर निकाल फेंक दिया। और फिर पीठ के बल सीधी लेट गईं और पैरों को ऊँचा करके बोलीं कि बेटा, मेरे पैरों में भी खून जम सा गया है, प्लीज पहले पैरों की मालिश कर दे। अब मैं मम्मी के केले के तने के समान सफेद जाँघों की मालिश कर रहा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मम्मी आँख मूँदे बेड पर लेटी हुई थीं। जब मैंने तेल लगाते हुए मम्मी की जाँघों के और ऊपर तक हाथ बढ़ाया, तो मम्मी ने अपने पेटीकोट का थोड़ा सा हिस्सा अपनी चूत पर ढक सा दिया। और अपने एक हाथ से अपने कड़क और मांसल स्तनों को सहलाने लगीं। यह देख मैंने हिम्मत करके और जानबूझकर अपनी उंगलियों को मम्मी की जाँघों के जोड़ों की बीच टच कर रहा था।
एक बार तो मैंने अपनी एक उंगली को मम्मी की चूत में घुसाने की कोशिश की। अचानक मम्मी ने गहरी साँस ली और आँखें बंद कर कामुक सी अंगड़ाई ली, जिसके कारण मम्मी का पेटीकोट उनकी चूत पर से हट गया। और मेरी आँखों के सामने मुझे मेरा जन्मस्थल दिखाई पड़ने लगा।
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मैंने उसी तरह मालिश करते हुए अपनी उंगलियाँ मम्मी की चूत पर भी रगड़ दी, मानो मैं मालिश ही कर रहा हूँ। तो मम्मी ने अपनी दो उंगलियों से अपनी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया और आँखें बंद किए हुए ही सिसकारियाँ लेना शुरू कर दिया। उन्हें इस स्थिति में देख मैंने गर्म लोहे पर चोट करना उचित समझा और तुरंत ही मम्मी का पेटीकोट और अपना अंडरवियर निकाल फेंका और मम्मी के ऊपर चढ़कर मम्मी की चिकनी मुलायम चूत को चाटने लगा। मम्मी तो मानो इसी समय का इंतज़ार कर रही थीं।
उन्होंने अपनी जाँघों को और फैला दिया और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर उसे जोर-जोर से चूसने लगीं। इस समय हम 69 की पोजीशन में थे। इसके बाद तो मम्मी मेरे ऊपर चढ़ गईं और अपने स्तनों को मेरे मुँह में ठूँसकर मेरे लंड को अपनी चूत में घुसा लिया और मेरे ऊपर जोर-जोर से कूदने लगीं। उनकी हालत ऐसी हो रही थी, मानो किसी भूखे को कई दिनों बाद भोजन मिला हो। इसके बाद तो घर में हम पति-पत्नी की तरह ही रहने लगे। जब पापा घर में होते हैं, तब भी मम्मी मेरे साथ ही रात बिताना पसंद करती हैं और मौका मिलते ही मेरे साथ मजे लेकर वापस पापा के पास जाकर सो जाती हैं।
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