My Hindi Sex Story
सुनील से मेरी दोस्ती दो साल पहले हुई थी जब उसने 10त के बाद मेरे स्कूल मे अड्मिशन लिया था. इस दौरान हमारी दोस्ती बहुत गहरी हो गयी. हम आपस मे हर तरह की बाते शेर करते थे, लड़कियो की, सेक्स की और अपनी फॅंटसीस भी. मैं एक मिड्ल क्लास फॅमिली से हूँ जबकि वो एक अप्पर क्लास फॅमिली से. My Hindi Sex Story
उसके पापा क हमारी सिटी मे एक बड़ा 3स्तर होटेल है और एक प्लाइवुड फॅक्टरी भी जबकि मेरे पापा गूव्ट एंप्लायी हैं. पढ़ाई मे हम दोनो ही टॉपर तो नही पर अच्छे स्टूडेंट्स थे. 12त का लास्ट एग्ज़ॅम देकर हम स्कूल से साथ ही निकले. सुनील ने मुझसे कहा, “यार कल मेरी बेहन के बर्तडे पर घर मे पार्टी है, तूने ज़रूर आना है”.
मैं थोड़ा झिझका क्योकि बहुत अच्छी दोस्ती के बावजूद मे उसके बंगलो मे आज तक गया नही था, एक दो बार कहीं जाना था तो उसे घर के बाहर से ही पिक कर लिया था, मैने कोई बहाना बनाना चाहा पर वो ना माना. अगले दिन शाम को बढ़िया से तैयार होके और एक सुंदर सा गिफ्ट लेकर मैं सुनील के बंगलो पर पहुचा, आज पहली बार उसके घर के भीतर गया था.
घर बहुत बड़ा और सुंदर था, घर के इंटीरियर्स से पूरी रहीसी झलक रही थी. सुनील ने मुझे अपने पेरेंट्स से मिलवाया बस उसी पल से मेरी पूरी जिंदगी बदल गयी. जैसा की एक्सपेक्टेड था उसके पापा टिपिकल बिज़्नेसमॅन लुक मे थे, 3 पीसी सूट पहना हुआ, थोड़े बल्की, सिन्सियर आवाज़ ओवरॉल रोआबदार पर्सनॅलिटी.
पर ख़ास उसकी मा थी, बेइंतहा ब्यूटिफुल. शायद ही उनसे खूबसूरत हसीना कभी मेने देखी हो. शी वाज़ लुकिंग डॅम क्यूट आंड अडॉरेबल, मैं तो बस खो ही गया था उसमे. सुनील ने अपनी खूबसूरत बहनो से भी मिलवाया लेकिन मैं तो वहीं अटक सा गया था सो उस वक़्त वहाँ मौजूद उसकी बहनो या उनकी फ्रेंड्स वगेरह को इग्नोर करते हुए मैं बस बार बार उसकी मॉम ममता को ही ताड़ रहा था.
वो उनकी लगभग 5.5’ हाइट की केसर मिले दूध सी गोरी स्लिम बॉडी, गान्ड तक लहराते खुले स्ट्रेट सिल्की बाल, करीने से आइ लाइनर लगी हुई गहरी आँखें, ब्राइट कलर की लिपस्टिक मे डूबे रसीले होंठ, उफ़फ्फ़ स्पार्कल ब्लॅक कलर के बॅकसाइड से डीपकट गाउन मे कहर ढा रही थी वो.
मैं बस धड़कते दिल से ममता मटकती गान्ड बालो की आड़ से झाँकति उसकी पीठ और उसकी ठोस चुचियो के नॉर्मल से कहीं ज़्यादा उठाव को ही देख रहा था. किसी भी आंगल से वो 27 – 28 साल से अधिक की नही लग रही थी (आक्चुयल एज मे बी 38-40).
एक दो बार उसने भी भी मुझे ताड़ते हुए देख लिया, कहते हैं ना हर औरत मे एक सिक्स्त सेंस होती है उपर से मैं तो बस दीदे फाड़ कर उसी को घूर रहा था. जब एक दो बार हमारी नज़रे मिली तो उसने एक स्माइल पास करी, कुछ देर बाद मेरे करीब से गुज़रते हुए मुझसे पूछा, “अरे तुमने कुछ लिया या नही” क्यूकी सुनील अरेंज्मेंट्स एट्सेटरा मे बिज़ी था.
मेने मुस्करा के जवाब दिया कि “यॅ ई हॅव टेकन एनफ”. लगभग 3 घंटे वो पार्टी डॅन्स वगेरह चला फिर डिन्नर के बाद सब विदा हुए. मैं भी एक ऑटो लेकर अपने घर आ गया, रातभर बस ममता के सपने आते रहे बल्कि यू कहु कि रात भर उसके ख्यालो मे सो ही ना सका. अब एग्ज़ॅम्स ख़तम हो चुके थे कुछ ख़ास करने को था नही सो लेट उठा फिर तैयार होकर अभी नाश्ता ही कर रहा था कि मेरा मोबाइल बजा. देखा तो सुनील की कॉल थी.
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मेने कॉल पिक की ‘हाँ बोल भाई, सुबह सुबह कैसे याद किया’.
सुनील -यार आज तू क्या कर रहा है.
मे- कुछ ख़ास नही, बोल.
सुनील – तू एक काम कर मेरे घर आजा, आज लंच साथ में करेंगे.
मैं जो पहले उसके घर ना जाने को बहाने मारता था, तुरंत तैयार हो गया. बोला, ठीक है यार घंटे भर मे पहुचता हूँ. और थोड़ी देर मे उसके घर के लिए निकल पड़ा. जैसे ही मैं सुनील के बंगलो के गेट पर पहुचा, शीतल और ईशा बाहर निकल रही थी, उन्होने भी मुझे पहचान लिया.
हाई हेलो के बाद पता चला वो अपनी फ्रेंड्स के साथ मूवी जा रही हैं, तभी एक कार मे उनकी फ्रेंड्स आ गयी और वो उनके साथ निकल गयी. मै आगे जाके जैसे ही उनके घर मे एंटर हुआ सामने मेरी ड्रीम क्वीन खड़ी थी. मुझे देख बोली, ‘हाई अभी , आओ अंदर आओ. सुनील अपने रूम मे है, मैं बुलाती हूँ.’
‘सुनील बेटा, अभी आया है’ शी स्पोक लाउड्ली टुवर्ड्स सुनील रूम. उस समय वो शर्ट और प्लाज़ो पहने हुए थी. उसकी तनी हुई चुचियों से मेरी नज़र ही नही हट रही थी. ‘प्रेम अंकल कहाँ है’?’ मेने उससे बात करने की कोशिश की.
‘वो तो फॅक्टरी गये हैं, रात तक ही लौटेंगे’ जवाब मिला. “क्या लोगे कोल्ड ड्रिंक ओर कॉफी”.
इससे पहले मैं कुछ जवाब देता. “दो कॉफी मेरे रूम मे ही दे देना मॉम और मॉम ये आज लंच भी यहीं करेगा” पीछे से आते हुए सुनील बोला.
मेने फॉर्मली मना किया पर ममता बोली ‘ नही अभी तुम यहीं लंच कर के जाओगे आज वैसे भी बस मैं और सुनील हैं घर पर. हमे भी कंपनी मिल जाएगी’ फिर मुझे लेके सुनील अपने रूम मे ले गया.
सुनील – बे आ यार तुझे एक मस्त चीज़ दिखाऊ.
मे- क्या है.
सुनील- ‘देख कल रात एक सेक्स स्टोरीस की साइट मिली मुझे.’ उसके रूम मे उसका अपना पीसी था वित इंटरनेट कनेक्षन.
सुनील – देख क्या मस्त स्टोरीस हैं.
मे वो सब देख के – वाउ यार ये तो मस्त हैं भाई.
इतने मे ममता ने कॉफी के लिए आवाज़ लगाई तो सुनील कॉफी लेने चला गया और लाकर टेबल पर रख दी.
मैं कॉफी पीते हुए, ‘सुनील एक बात कहूँ यार तेरी मॉम बहुत अच्छी हैं, मैने इनके जैसी खूबसूरत और केरिंग औरत आज तक नही देखी’(दिल तो कर रहा था सेक्सी बोलू पर…) ये सुनकर सुनील खुश होता हुआ बोला, हाँ वो तो है पर मेरी मॉम इतनी जल्दी सबसे नही बोलती और मेरे दोस्तो मे तो शायद तुम पहले हो जिसे खुद मॉम ने आग्रह कर के खाने के लिए कहा है.
इस बीच सुनील पीसी पर ओपन सेक्स स्टोरी देखने लगा इट वाज़ ऑन मॉम सन इन्सेस्ट रिलेशन्स. मेरे कमीने दिमाग़ मे अचानक एक प्लान आया.
मे- क्या ये स्टोरीस सच होती हैं.
सुनील- मे बी.
मे- तुझे क्या लगता है.
सुनील- लगता तो है कि सही ही होंगी.
मे- {मन मे आगे बढ़ने की सोचते हुए}- एक बात बोलू, अगर तेरी मॉम जैसी मेरी मॉम होती तो पक्का मे ट्राइ ज़रूर करता.
कुछ पल सन्नाटा.. फिर मैं बोला – डोन्ट माइंड यार, क्या तुझे वो सेक्सीयेस्ट लेडी नही लगती.
सुनील ने मुझे घूरा फिर बोला – धीरे बोल यार, मॉम ना सुन ले, सच बताऊ, मैं भी कई बार उनके बारे मे सोच के मूठ मार चुका हूँ. लेकिन बस सोचा ही है, आज तक उनके नंगे बूब्स तक नही देखे.
सुनकर मैं मुस्करा उठा तभी डोर पे नॉक हुआ, ममता कुछ स्नेक्स लेकर आई थी, सुनील दरवाजे से ही लेके आ गया और वो वापिस किचन मे चली गयी. मैने मन मे सोचा कि आज मौका अच्छा है मुझे आज ही आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए.
मे- सुनील एक बात सच बता ये क्या तू वाकई, अपनी मॉम के साथ रीलेशन बनाना चाहता है ?
सुनील- क्या ये हो सकता है.
मे- एक काम कर तू कुछ देर हमे अकेला छोड़ दे, मैं उन्हे लाइन पे लाने की कोशिश करता हूँ.
सुनील- लेकिन जब तू उसे चोदेगा तो मैं सब देखूँगा ताकि मैं भी उसे चोद सकु.
मे- लेकिन तेरे सामने तो वो मुझे शायद हाथ भी ना रखने दे. देख आज तेरे पापा और बहने भी नही हैं घर पे तो वक़्त बर्बाद ना कर, कोई भहना बनाकर थोड़ा खिसक ले.
उसने कुछ सोचा फिर निकल लिया, मेने मैंन डोर की आवाज़ सुनी, अब मैं और ममता अकेले थे. कुछ देर मे मैं भी उठ कर बाहर लॉबी मे आ गया, सामने ही ओपन किचन मे ममता लंच तैयार कर रही थी. ‘सुनील कहाँ गया हे’ उसने मुझसे पूछा.
मे- ‘वो उसको किसी का फोन आया था तो वो उसे मिलने गया ह, आधे घंटे तक आएगा, मुझे वेट करने के लिए कह गया हे.’
ममता- कॉफी एक कप और लोगे, मैं अपने लिए बना रही थी.
मे (उसे घूरते हुए)- श्योर.
कॉफी लेकर वो मेरे साथ आकर सोफे पर ही बैठ गयी. हम साथ साथ कॉफी पी रहे थे, मैने सारा साहस इकट्ठा किया और मैं उसके थाइ पर हाथ रखते हुए नीचे उसके पैरों मे बैठ कर बोला ‘आंटी आप बहुत खूबसूरत हो बिल्कुल परियो जैसी, मैने आप से पहले कोई इतना प्यारा इतना क्यूट नही देखा.
मैं आपको चाहने लग गया हूँ और अगर आपने मेरा प्रपोज़ल आक्सेप्ट नही किया तो कसम से मर जाउन्गा मैं पता नही ऐसे ही क्या क्या मैं बोले जा रहा था. बस एक ही बात थी दिमाग़ मे कि अभी नही तो कभी नही. वो भी कुछ रियेक्शन नही दे रही थी बस चुपचाप मुझे देखे जा रही थी.
मेरे हाथ उसकी थाइस को प्लाज़ो के उपर से ही रब करते हुए उपर की ओर बढ़ रहे थे साथ ही उसकी स्मूद्नेस और फर्मनेस भी फील कर रहा था. नीचे से ही मेरे हाथ टी शर्ट के अंदर उसके बेल्ली पोर्षन तक पहुच गये. उसके बदन को डाइरेक्ट टच करते ही एक झुरजूरी से दौड़ गयी मुझमे और शायद उसमे भी.
उफ़फ्फ़… क्या माखन जैसी स्मूद स्किन थी उसकी, थोड़ा और उपर बढ़ते हुए उसकी मस्त ठोस चुचियो को अपने हाथों मे लेते हुए उसे झुकाते हुए सोफे पे ही लिटा सा दिया, दोनो हाथों से ब्रा मे कसी हुई चुचियाँ दबाते हुए मैने टी शर्ट उपर की और उठा दी और उनके बेल्ली पर किस करते हुए चाटने लग गया.
उसने सिसकी सी ली, ब्रा मे क़ैद उसकी चुचियाँ देखते हुए मैं पागल सा उनपे टूट पड़ा. उसने मुझसे अलग हटने की कोशिश की पर मैने उसे उठने ना दिया और उसकी ब्रा को अनहुक करते हुए टी शर्ट समेत सिर की तरफ से निकाल दी, अब वो दोनो चुचिया नग्न अवस्था मे मेरी साँस रोक रही थी. शैदाईयों की तरह मैं उनपे टूट पड़ा कभी लेफ्ट वाली को मूह मे लेता कभी राइट वाली को कभी दोनो बूब्स के बीच चाटने लग जाता.
मेरा घुटना उसके पैरों के बीच उसकी चूत से रगड़ खा रहा था. वो सिसकिया सी ले रही थी, मुझे उसकी तरफ से किसी प्रतिरोध का एहसास नही हो रहा था. कुछ देर ऐसे ही चूसने और चाटने के बाद मैने सिर उठा या तो हमारी नज़रे मिली. उसकी मदहोश आँखे देखते ही मेने फिर से उसकी चुचि मूह मे भर कर उसपर दाँत गढ़ा दिए.
“ओह्ह्ह.. खा जाओगे क्या, प्यार से चूसो..” वो पहली बार कुछ बोली. मैने उन मस्त चुचियों पे अपना काम जारी रखा.
वो फुसफुसा ई, “छोड़ो आ…. स.. सुनील आ जाएगा”.
मुझे भी अचानक वक़्त की कमी का एहसास हुआ मैं उसे वैसे ही टॉपलेस अपनी बाहों मे उठा कर सामने वाले बेडरूम मे ले गया (जो शायद उसीका था). उसे बेड पर लिटा कर मैने झट से अपने सारे कपड़े उतार फेंके, मेरा लंड अपने पूरे शबाब पर था. मैने उसका पलज़ो और पेंटी एक साथ झटके मे खींचते हुए उतार डाली.
उसकी क्लीन शेव चूत ने मुझे पागल सा कर दिया था. बिना कपड़ो क तो वो पहले से भी कहीं ज़्यादा मादक और जानलेवा लग रही थी. मैं उसपर झुक सा गया. पहली बार आगे बढ़ते हुए उसने मेरा लॉडा अपने हाथों मे ले वो उसे मसलने लगी और मैं उसके होंठों पर होंठ रख स्मूच करने लगा.
मेरे दोनो हाथ उसके पूरे बदन को मसले जा रहे थे. उसने मेरा लॉडा अपनी बुर पे सेट किया और मैंने एक हल्का झटका दिया, जल्द ही मेरा पूरा लंड उसकी चूत की गहराइयों मे गुम हो गया. उसने अपनी बाँहे मेरे कमर मे लपेट ली. किस्सिंग के साथ साथ मे उसकी चुचिया निचोड़े जा रहा था और साथ ही साथ हल्के पेस मे लगातार धक्के लगाए जा रहा था.
मुझे अपनी किस्मत पे यकीन नही हो रहा था वो हुस्न परी अब मेरे नीचे थी. कल ही तो मैने कल ही तो ममता को पहली बार देखा था और दीवाना सा हो गया था ओर आज मैं पूरे शब ओ शबाब के साथ उसे उसके ही बिस्तर पर दनादन ठोंक रहा था.
वॉट आ लकी बस्टर्ड आई ऍम. ये मेरा पहला सेक्स था उसे भी शायद ये एहसास था, वो बोली “बस ऐसे ही धक्के लगाते रहो अफ… ये मत ध्यान दो क मैं कितनी सेक्सी हूँ ह… ओह… तभी लंबा टिक पाओगे हूंम्म्म……आ..”
“कल तुम्हारी नज़र देखकर लग रहा था क़ि ज़रूर एक ना एक दिन तुम मुझे ज़रूर छोड़ ही डालोगे पर ये नही लगा था क़ि 24 घंटे से भी कम मे तुम मेरे बेड तक पहुच जाओगे आह….. पहली बार क हिसाब से बढ़िया कर रहे हो तुम…. और ज़ोर से… आ और तेज.. अफ….”
वो वैसे ही उखड़ी हुई सांसो मे बोलती गयी. मुझे तो बस चुदाई का मतलब यही पता था की लॉडा बुर में पेलो और दनादन धक्के लगाए जाओ. मुझे नही ध्यान कितनी देर मैं वही करता गया, अचानक मेरी बॉडी बहुत गरम फील होने लगी और वीपी बढ़ता सा लगा “मुझे कुच्छ हो रहा है रानी…” मैं बोला.
“बस, थोड़ा और कंट्रोल करो… मैं भी झरने बाली हुन्न्ं…” वो बोली.
मैं पूरी स्पीड मे धक्के लगा रहा था और वो भी नीचे से पूरे रिदम मे साथ दे रही थी, हम पसीने मे लथपथ एक दूसरे को बाँहो मे दबाए हुए बस सब भूल के अंधाधुंढ़ लगे हुए थे. सडन्ली मैने अपना सारा खून लंड की और दौड़ता हुआ फील हो रहा था, झटको के साथ मैं झड़ने लगा “आ… अया… आहह….” वो भी मेरे साथ ही झड् रही थी.
पस्त होकर मैं वहीं उसके बगल मे गिर गया. कुछ देर हम वैसे ही पड़े रहे फिर उसने उठकर अपनी पेंटी उठाई और अपनी बुर पोंच्छ कर मेरी और बढ़ा दी, मैने भी अपना लॉडा सॉफ किया. वो उठकर पहले ही एसी ओंन किया फिर बिना पैंटी के ही अपने कपड़े पहनने लगी.
मैं वैसे ही पड़ा उसे देख रहा था. वो वापस बेड पर आकर मेरे लौड़े की तरफ झुकी सुपाडे पे किस करते हुए मेरा लॉडा मूह मे भर लिया, कुछ देर चूसा वो फिर खड़ा होने लगा तो छोड़ के उठ गयी और कपड़े पहनने के लिए कहा. मैं कपड़े पहनने लगा.
वो बोली “जल्दी करो, सुनील ना आ गया हो” मेने जवाब दिया, “डॉन’ट वरी जान वो हमारे साथ है, बल्कि उसने ही ये मौका बनाया. अब मैं बाहर उसके पास जाता हूँ तुम भी आ जाओ.”
मैं बाहर लॉबी मे आया तो सामने सोफे पे सुनील बैठा था, मुझे आँख मारता बोला “कर ली चुदाई” मेने पास जाकर उसका हाथ दबाया और उसे थॅंक्स बोला. तभी पीछे से ममता बाहर आई पर सुनील को देख कर शरमाई नही बल्कि हमारे साथ ही बैठ गयी. वो बोली “खाना रेडी है, लगाऊँ या पहले स्टारटर लोगे.”
“स्टारटर मे क्या है” सुनील ने पूछा तो ममता ने वो झटका दिया क़ि हम दोनो हिल गये, उसने अपना टी शर्ट उतार दिया, ब्रा उसने पहनी नही थी. अब वो हमारे सामने टॉपलेस बैठी हुई थी और हम दोनो बस आँखे फाड़े उसे ही घूरे जा रहे थे.
“भूख लगी है तो जूस पी कर ही शुरुआत कर लो” वो बोली. बस फिर क्या था मुझसे पहले सुनील लपका. कुछ ही देर मे उसकी एक एक चुचि हम दोनो के मुंह मे थी. मेरा एक हाथ उसके बदन पे घूम रहा था तो दूसरा उसकी बुर पर, उसने लोवर के नीचे पैंटी भी नही पहनी थी.
तभी सुनील का हाथ रेंगता हुआ उसकी बुर की तरफ आया तो वो मदभरी आवाज़ मे उसे बोली, “ये तुम्हारे लिए नही है बेटे , इसे अपने दोस्त के लिए ही छोड़ दो. तुम बस इनसे ही मज़े लो.” और उसका सिर अपनी चुचि पर ही दबा दिया.
मैं चुचि चूसने लगा. लगभग 15 मीं तक यही सब चलता रहा.
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“बस काफ़ी हुआ,” उसने बोलते हुए हमे अलग कर दिया. और उठ कर टी शर्ट वापस पहनती हुई किचन मे चली गयी. कुछ ही देर मे डाइनिंग टेबल पर खाना लग चुका था. हम तीनो ने साथ साथ खाना खाया. खाने के बाद वो बर्तन ले कर किचन मे गयी और कुछ ही देर मे पूरी नंगी हाथ मे कस्टर्ड से भरा बोल लेके आई.
सुनील मूह फाड़े हुए उसकी चूत की तरफ देख रहा था, उसे ऐसे घूरते देख वो मुस्कुराते हुए टेबल के पास आकर स्टाइल से खड़ी हुई बोली, “ये तुम्हारे लिए नही है सुनील , हाँ तुम्हारा दोस्त जब चाहे इसके मज़े ले सकता. तुम जब भी चाहो मौका मिलते ही मुझे न्यूड करके उपर उपर से जैसे चाहो मज़े ले सकते हो चुदाई के अलावा.”
वो टेबल पर चढ़ कर एक हाथ से चूत को फैलाते हुए दूसे हाथ से सर्विस स्पून मे भरकर केस्टर्ड अपनी चूत और चूचो पे बिखेर लेती है और बड़ी ही सेक्सी आवाज़ मे बोलती है “वॉट आर यूं लुकिंग फॉर, हॅव स्वीट डिश बाय्स. अभी यूं स्टार्ट फ्रॉम टनेल आंड सुनील यूं स्टार्ट फ्रॉम माउंटन्स.”
सुनील खड़ा होके बूब्स चाटना स्टार्ट कर देता है और मैं उसके दोनो पैरो के बीच सिर घुसा कर चाटना शुरू कर देता हूँ. कस्टर्ड थोड़ी देर मे ख़त्म हो जाती है फिर भी मैं उसकी चूत फैला कर अंदर तक चाटना जारी रखता हूँ. वो जोरो से छटपटा रही थी. मुझसे और बर्दाश्त नही होता तो मैं उसे लेकर बेडरूम मे आता हूँ.
फिर पीछे हट के अपने कपड़े उतार के लॉडा सीधा उसकी बुर में पेल देता हूँ और लगातार धक्के लगाना लग जाता हूँ, वो भी नीचे से झटके लगाकर पूरा एंजाय कर रही थी, वहीं मुझे देख कर सुनील भी अपने कपड़े उतारने लगता है. और फिर नंगा लॉडा हाथ मे लेकर बेड पर आ जाता है.
मैं उसे इशारा करता हूँ और ममता की बुर में से लंड निकाल कर उपर को बढ़ते हुए उसके बूब्स के दोनो और पाओ फैलाकर उसके मूह मे डाल देता हूँ. हम दोनो के रस मे लिपदे लौड़े को वो बड़े चाव से चूसने लग जाती है साथ ही दोनो हाथो से मेरी दोनो जांघे सहला रही थी.
मैने सुनील को हाथ से इशारा किया और उसने भी आओ देखा ना ताओ और अपना लंड ममता की बुर में पेल दिया. उसे झटका सा लगा वो कसमसाई पर मेने उसे हिलने नही दिया. आँखे चौड़ी कर वो गु गु कर कुछ बोलने की कोशिश कर रही थी पर मेने मूह से अपना लॉडा नही निकाला.
जल्द ही मैं और सुनील दोनो ने पूरे जोश से अपना माल उगल डाला उसी समय उसकी चूत भी घनघना उठी. रिलॅक्स होके हम तीनो बेड पे ही पसर गये. “तो नही माने तुम आख़िर अपनी मा की चूत मार ही ली” वो सुनील के बालो मे उंगलिया घुमाते हुए बोली.
फिर हम से इस पूरे इन्सिडेंट को सीक्रेट रखने का वादा लिया और साथ ही वॉर्न किया क़ि अगर किसी को बताया तो उसकी चूत भूलनी पड़ेगी. फिर वो उठकर कपडे पहनने लगी. सुनील की बहनो के वापस आने का टाइम हो गया था. मैं भी कपड़े पहन वहाँ से अपने घर निकल गया.
लेट ईव्निंग मे घर पहुचा तो पापा जोकि अभी ऑफीस से आए थे अपने दोस्त के यहाँ जा रहे थे, मॉम किचन मे बिज़ी थी और मेरी सिस्टर अपने कमरे मे बैठी एग्ज़ॅम्स की तैयारी कर रही थी. मा किचन मे काम कर रही थी, हमारा किचन घर के कॉर्नर मे था, किचन की विंडो से लॉबी का पूरा व्यू दिखता था. जिसमे लगी जैल की वजह से अंदर से बाहर का तो सब दिखता था पर पर बाहर से किचिन के अंदर का नही दिखता था.
किचन मे झाँकते हुए मेने मा को बोला, “क्या बना रही हो मॉम”.
“इधर आ, कहाँ था तू”.
“ओह मा, बोला तो था अपने दोस्त सुनील के घर जा रहा हूँ” तभी मेरी नज़र मॉम के खुले गान्ड तक लंबे बालो पर पड़ी साथ ही सारी मे मा की उभरी हुई गान्ड पर पड़ी. शॉर्ट मे मॉम का डिस्क्रिप्षन दूँ तो वो जस्ट विद्या बालन की कॉपी लग रही थी उस वक़्त, ममता को चोदने के बाद मेरे दिमाग़ मे सेक्स ही सेक्स भरा पड़ा था.
किचन के अंदर जाते हुए मैने मॉम को पीछे से हग कर लिया. और अपनी नाक मॉम के बालो मे डाल के मदहोश कर देने वाली गंध लेने लगा. मेरे दोनो हाथ मॉम की कमर मे लिपटे हुए थे. बचपन से ही मुझे मां के बालो के प्रति अलग ही अट्रॅक्षन था, ये मॉम को भी पता था . और मैं ऐसे ही उसके बालो से खेलता था.
मॉम के बालो मे नाक घुमाते हुए सडन्ली मेरे लिप्स उसके कंधो पे टच हुए, वैसे तो ये कोई बड़ी बात नही थी पर उस दिन की मुझ पर सेक्स की मदहोशी का अलग ही असर था. मेने फिर से मॉम के कंधे पर किस जड़ दिया. मुझे मॉम की बॉडी मे सिहरन सी फील हुई.
साथ ही एक सिसकी सी उसके मूह से निकली. मैने अपनी कमर आगे घुमाते हुए अपने लंड को सारी के उपर से ही मॉम के हिप्स मे घुसा दिया. मैं उसके हिप्स को फील करते हुए अपनी नाक बालो के उपर से ही उसकी पीठ पर रगड़ रहा था. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मॉम- “क्या कर रहा है” कहते हुए उसने हिप्स से मुझे पीछे को धकेला.
“ओह मा, आपके बालो की खुश्बू दीवाना बना देती है. आई रियली लव इट.” मैने पकड़ ढीली ना करते हुए जवाब दिया.
“और तेरी बदबू, जा पहले जाकर नहा के आ. और तंग मत कर मुझे खाना बनाने दे”.
मैं नहा के लोवर न टी शर्ट चेंज कर के वापस आया तो मा किचन मे नही थी. बेडरूम मे देखा तो वो बेड पर लेट किसी मॅगज़ीन के पन्ने पलटते हुए शायद कुछ सोच रही थी.
“खाना बन गया क्या,” मैने पूछा.
“रोटी बनाना बाकी है, तेरे पापा आ जाए तो बनाती हूँ.” मॉम ने बिना मुझसे नज़रे मिलाए जवाब दिया.
मैं लॉबी मे आकर टीवी देखते हुए आज जो भी हुआ उसके बारे मे सोचने लगा. ममता की याद आते ही लंड मे सिहरन सी दौड़ गयी. मैं सोच ही रहा था क़ि कैसे ममता ने रंडी की तरह बिहेव करते हुए मेरे और सुनील के साथ सेक्स किया और मेरा लॉडा भी चूसा.
अचानक मेरे दिमाग़ मे आया क़ि क्या मा भी ऐसे मेरा लॉडा चूस सकती है. ये तो तय है अब ममता को मैं बार बार चोदूगा लेकिन अभी मेरा ध्यान बार बार मॉम की चुदाई की और जा रहा था. वैसे तो मेरा चाइल्डहुड क्रश मेरी अपनी बेहन थी पर मेरी मॉम भी कोई कम सेक्सी नही थी.
तभी मेरे कानो मे बर्तन की आवाज़ आई तो पता लगा क मॉम किचिन मे आ गयी है. मैं उठ कर किचन की और बढ़ गया, उसने किचन के डोर पर मुझे देखा पर कुछ बोली नही. मैं अंदर जाकर उसके पीछे खड़ा हो गया. उसने बालो का जुड़ा सा बनाकर क्लिप लगा रखा था.
मेने क्लिप खोलकर उसके बालो को फ्री कर दिया. और धीरे धीरे बालो मे उंगलियाँ उपर से नीचे घुमाने लगा. वो चुप चाप रोटी बेलने मे लगी रही. मैने आगे को होते हुए अपने लंड से उसके हिप्स को छुआ. उसके बदन की थरथराहट मैं फील कर सकता था.
उसके बालों को सूंघते हुए मैने उसके हिप्स को थोड़ा और दबाया. उसे पक्का ये फील ज़रूर हुआ होगा. उसकी कमर पे हाथ रखते हुए मैं उसके बेल्ली पोर्षन को सहलाने लगा. उसने सारी नाभि से एक इंच नीचे बाँधी हुई थी. मैं हाथ घुमाते हुए उंगली उसकी नाभि मे डाल दी.
“अफ….. अहह…” एक सिसकी सी उसने ली. उसने कुछ कहा नही बस बेलन का हॅंडल मेरे पेट मे लगाते हुए मुझे पीछे को धकेला और फिर अपने काम मे लग गयी. मेरा लंड पूरा एग्ज़ाइटेड था मेने फिर से आगे होते हुए मा की गान्ड की दरार मे फसा दिया.
उसकी बेल्ली पे हाथ घुमाते घुमाते मैने उंगलिया उसके पेटिकोट मे घुसा दी, उसने फिर मुझ पर बेलन यूज किया. मैं पीछे नही हटा और उसके पब्लिक एरिया की सॉफ्टनेस अपनी उंगलियो क पोरो पर फील कर रहा था. रोटी बनाना रोक वो दोनो हाथ किचन स्लीप पर टिका कर गहरी साँसे ले रही थी.
मेने हाथ थोड़ा और अंदर डालने की कोशिश की तो उसके झाटों के बाल से हाथ टच हुआ तो मैं उसके कान मे फुसफुसाया, “आपके सिर के बालो की तरह ये भी बहुत मस्त हैं” मुझे कंधे से पीछे धकेलते हुए मा ने सिस्टर को आवाज़ दी. “नेहा, बेटी आ जाओ डिन्नर रेडी है”.
इससे पहले की मैं कुछ करता या कहता डोरबेल की आवाज़ आई. मैने पीछे हट कर अपने खड़े लंड को लोवर मे अड्जस्ट किया और जाकर दरवाजा खोला,बाहर पापा थे, फ्रेंड्स के यहाँ से शायद थोड़ा ड्रिंक कर के आए थे. सबने साथ मे डिन्नर किया, इस बीच मॉम मुझसे नॉर्मली बिहेव कर रही थी.
फिर मॉम टेबल समेटने लगी और बाकी सब अपने अपने कमरो मे आ गये. मैं अपनी कमीनी किस्मत पर इतरा रहा था. अब मुझे इंतज़ार था मॉम को अपने नीचे लेने का. रात के 11:30 हो गये थे, बिस्तर पे लेटे हुए मुझे नींद नही आ रही थी. मेरे ख्यालो मे बस ममता के साथ की मस्तिया और मॉम की अनदेखी चूत ही आ रही थी.
मैं बिस्तर से उठ मॉम के रूम की और बढ़ गया. दरवाजे पे जाके मैने हल्के से पुश किया, दरवाजा खुला हुआ था. मैं अंदर गया. डॅड के खर्राटे सुनाई दे रहे थे वैसे भी वो ड्रिंक कर के आए थे तो उम्मीद थी घोड़े बेच कर सो रहे होंगे. दरवाजे की तरफ ही मॉम सो रही थी (शायद).
मेने फ्लोर के एक साइड मे मॉम की सारी पड़ी हुई देखी तो समझ गया कि मॉम ब्लाउस और पेटिकोट मे ही सो रही है. उन्होने एक सिल्की सी चादर ओढ़ रखी थी. डॅड मॉम की तरफ पीठ करे हुए सो रहे थे. मैं मॉम के पास जाकर घुटनो पर बैठ गया और हाथ चादर मे डाल दिया.
मेरा हाथ मॉम की नंगी पिंडलियो पर पड़ा, मैं सहलाता हुआ उपर की और बढ़ा और उनकी लोवर थाइस तक पहुच गया. कुछ समय वही सहलाने के बाद मैं उपर की और बढ़ने लगा तो उनके इकट्ठे हुए हुए पेटिकोट मे उलझ गया. आई गेस्ड या तो आज मॉम की चुदाई हुई है या फिर उन्होने मास्टरबेट किया है.
क्योकि मैं कामरस की महक भी फील कर रहा था. मैं मॉम को उठाना नही चाहता था तो कुछ देर वही मिड थाइस मे सहलाता रहा फिर हाथ बाहर निकाल कर उनके चेहरे की तरफ बढ़ा. उपर की तरफ दोबारा हाथ चादर मे डाल कर उनकी एक चुचि अपने हाथ मे भर ली और धीरे धीरे दबाने लगा. डिम लाइट मे मुझे लगा जैसे मॉम मुस्करा रही थी.
कुछ देर ऐसे ही करने मे मैं बहुत हॉट फील कर रहा था. ब्लाउस के शायद दो फ्रंट हुक खुले थे. मैं उनके बूब्स फील कर रहा था, अचानक कसमसाते हुए उन्होने करवट ली और सीधी लेट गयी. मैने हिम्मत करते हुए उनकी चादर हटा दी, मैं बारी बारी दोनो बूब्स दबा रहा था. इससे एक बूब ब्लाउस से ऑलमोस्ट बाहर आ गया था.
मेने बाकी के हुक खोल दिए. अब मॉम ऑलमोस्ट न्यूड मेरे सामने लेटी थी पेटिकोट कमर तके ब्लाउस ओपन , अंडरगारमेंट्स उन्होने पहने नही थे. उनके बूब्स किसी भी आंगल से ममता से कम नही थे. देख कर ही मैं पागल हो रहा था. आगे बढ़ कर मेने उनका एक बूब मूह मे ले लिया और हाथ पेटिकोट मे डाल दिया, सीधे लेटने की वजह से मेरा हाथ सीडे उनकी चूत तक पहुच गया.
मैं बूब्स चुसते हुए उसकी चूत को सहलाने लगा बीच बीच मे उंगली चूत के अंदर भी डाल रहा था. अनलाइक ममता मा की चूत बड़ी बड़ी झाटों मे गुम थी और उसमे से कामरस टपक रहा था. नींद मे ही पैर फैला कर लेटी हुई मा शायद कोई चुदाई का ही सपना देख रही थी.
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बूब्स छोड़कर मैने अपने होंठ मा की चूत पर टीका दिए और लम्बी जीभ निकाल कर चाटने लगा. चूत से बहुत मस्त स्मेल आ रही थी. मेरा लंड फटने को हो रहा था. एक हाथ से मैं अपना लंड मसल रहा था. अचानक मुझे अपना वीपी बढ़ता हुआ फील हुआ और झटके खाते हुए मेरे लंड ने अपना माल छोड़ दिया जो की सीधा मा की चूत पर गिरा.
मैं कुछ देर वही कार्पेट पर लेट गया. फिर उठा तो अभी मेरे लंड मे कुछ अकड़न बाकी थी तो मैं मॉम के मुंह के पास जाकर अपना लॉडा उनके लिप्स पर लगा दिया जिसमे अभी भी कुछ बूंदे माल की लगी हुई थी. उसके होंठों मे हल्की सी कपकपाहट सी हुई, कुछ पल यू ही हल्के हल्के रगड़ कर मैं हट गया.
मॉम को वैसे ही छोड़ कर मैं अपने रूम मे आकर लेट गया और मस्त नींद मे खो गया. सुबह 7 बजे मेरी नींद खुली तो मैने देखा मेरे कमरे का दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था, मुझे अच्छे से याद था क़ि मैने दरवाजा भले ही बोल्ट नही किया पर प्रॉपेरेली बंद किया था और बिना लोवर पहने ही सो गया था.
मेने नीचे देखा तो लंड महाराज पूरे ज़ोर शोर से सलामी दे रहे थे. इसका मतलब मॉम या सिस कोई तो आया था रूम मे जिसने शायद मुझे नंगा देखा भी होगा. ये सोचते ही हाथ खुद ब खुद लंड को सहलाने लग गया. धीरे धीरे पूरे ज़ोरो से मूठ मारी और सारा माल वही बेड पे टपका दिया. फिर उठा और फ्रेश होके बाहर गया. मॉम ऐज यूषुयल किचन मे बिज़ी थी, पापा न्यूसपेपर पढ़ते हुए नेहा दी के साथ चाय पी रहे थे.
मे- गूडमॉर्निंग.
मुझे देख कर वो स्माइल करते हुए बोले, “उठ गये साहबज़ादे गूडमॉर्निंग, और अब आगे क्या करना है, कुछ सोचा है”.
मे- “पापा जैसा की मैने आपको पहले भी बोला है, मैं किसी नौकरी मे इंट्रेस्टेड नही हूँ. इसलिए अब एम बी ए कर के कोई छोटा मोटा बिज़्नेस स्टार्ट करूँगा. इसके लिए अपने ही शहर का एक कॉलेज सेलेक्ट भी कर लिया है बस रिज़ल्ट आ जाए.” कहकर मैं किचन मे घुस गया और जाकर मॉम को पीछे से हग कर लिया.
मॉम- “बिना कपड़ो क सोना हो तो कम से कम दरवाजा लॉक तो कर लिया कर”.
मैं ये सोचकर खुश हो गया की वो मॉम है जिसने सुबह मेरे लौड़े के दर्शन किए हैं, मैने पीछे से ही मॉम के गॉल पर किस कर दिया.
मॉम ने मुझे बाहर की और धकेलते हुए कहा, “बाहर बैठो मैं चाय ला रही हूँ.”
चाय के बाद मैं टीवी देखने लग गया, डॅड ऑफीस और दी कॉलेज के लिए निकल गये. लगभग 8:30 बजे हमारी मैड झरना आई और काम मे लग गयी. लगभग 25 साल की थी वो, रीसेंट्ली मॅरीड, मुझे हमेशा बाबू या राजा कहकर बुलाती थी. बहुत सुंदर तो नही पर भरे पूरे शरीर की मालकिन थी, नैन नक्श तीखे, सिंप्ली ब्लॅक ब्यूटी.
नेहा के रूम की सफाई करवाने के बाद मॉम झरना को मेरे रूम मे भेज कर मुझे बोली – “अभी जाके अपना रूम सॉफ करवा लो.”
मैं उठ कर अपने रूम की और चल पड़ा. मैं घुसा ही था की बेड के पास खड़ी झरना मुझे देख कर बोली, “ राजा, ये क्या है? नया बेड शीट गंदा कर दिया!”
“मैने क्या किया..” मैं बोला.
उसके हाथ मे बेडशीट थी और उंगली सुबह मारी हुई मूठ के दाग पर. वो बोली “तुम अभी छोटे हो… किसको याद कर.. पानी गिराया… मा को या दीदी…को.” और हँस दी.
“चुप कुतिया… तुमको याद कर रहा था..” मैं बोला.
“हाय,.. फिर से बोलो…”
“क्या?”
“वोही जो तुमने अभी मुझे कहा..”
“ क्या… कुतिया!”
“हाँ, मुझे… कुतिया कहलाना बहुत अच्छा लगता है…”
“अपने घरवाले को बोलो वो तुझे कुतिया कहकर पुकारेगा, कुतिया…”
“साला कुतिया बनाता है लेकिन कुतिया बोलता नही. अब से तुम मुझे ‘कुतिया’ के नाम से पुकारो… लेकिन अकेले मे..”
शी कंटिन्यूड, “ लेकिन राजा अभी से ये पानी गिराओगे तो कमजोर हो जाओगे और फिर तुम्हारी घरवाली दूसरे के साथ मज़ा मारेगी.. अभी तुम बच्चे हो..”
मैने उसे घूरा. मेरी आँखे उसके लो कट कॉटन के ब्लाउस से झाँकते हुए चुचियो पर जम गयी, नीचे वो लहंगा पहने हुए थी. उसे देख कर मन खराब होने लगा, उसके मम्मो को पकड़ के चूसने का दिल किया.
“कुतिया, तेरा पति तेरे दूध चुसता है या नही..?” मैने पूछा.
जवाब ना देते हुए उसने चादर बदली की फिर बोली “अब इसे गंदा मत करना.. और…?”
“और क्या कुतिया…” आँख मारते हुए मैं बोला.
“ओह.. कुतिया सुनना बहुत अच्छा लग रहा है..”
“बोल ना कुतिया.. पति को अपना दूध पिलाती है?..”
“हा रे… वो तो मुआ छोड़ता ही नही है”.
मैने जाकर उसका हाथ पकड़ लिया और बोला, “ कुतिया, मुझे अपना चुचि चूसने दो,” मैने दूसरा हाथ उसकी चुचि की ओर बढ़ाया तो वो पीछे को हो गयी.
“छी.. क्या गंदा बात करते हो” वो बोली “ना तो तुम छोटे बच्चे ना ही मर्द बने हो…तुम्हे अभी इंतज़ार करना होगा”.
“कुतिया, प्लीज़ कुतिया, मैने अभी तक नंगी चुचि नही देखी.. प्लीज़ एक बार दूध पिला दो…” मैं रिक्वेस्ट करने के अंदाज मे उसे बोला. पर वो मुस्करा के हाथ छुड़ा के रूम से निकल गयी. मैं अपना पीसी खोल कर उसपे बिज़ी हो गया. कुछ देर मे वो आके मेरे पास खड़ी हो गयी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“क्या हुआ झरना!.”
“झरना नही ‘कुतिया’ बुलाओ.. भाभी जी (मेरी मॉम) नहाने गयी है.. जल्दी से चूस लो..”
मेरा चेहरा 100 वाट के बल्ब की तरह रोशन हो गया. उसकी दोनो चुचि अपने हाथो मे लेता हुआ मैं बोला “ओह्ह्ह कुतिया तुम बहुत अच्छी हो..”
मैने उसका ब्लाउस खोल दिया. उसने हाथ पीछे ले जाते हुए ब्रा के हुक खोल दिए. उसकी नंगी चुचिया मेरे सामने तनी हुई खड़ी थी, मैं एक के बाद एक दोनो को दबाने और चूसने लग गया. मैने एक हाथ से अपना लोवर नीचे खिसकाते हुए अपना लॉडा बाहर निकाल लिया, फिर लहंगे के उपर से ही उसकी चूत को हथेली मे भरकर भींच दिया. उसने पेंटी नही पहनी थी, मुझे उसका चूत से निकलते कामरस का आभास हो रहा था. मैने उसकी चूत मे कपड़े समेत ही उंगली घुसा दी.
“ओह्ह्ह्ह्ह राजा… क्या कर रहे हो.. तुम तो खाली दूध पीना चाहते थे. आह… मत करो, उंगली बाहर निकालो…”
उसने हाथ नीचे किया तो मेरे लौड़े से टकरा गया. तो उसने मेरे लंड को मुट्ठी मे जकड़ लिया.
“राजा.. यह तो पूरा तैयार है…”
“ कुतिया, मुझसे चुदवाएगी….”
“हाँ.. राजा… लेकिन अभी नही”.
मैने हाथ उसके लहंगे के अंदर डाल दिया. ममता की तरह उसकी चूत भी चिकनी (शेवन)थी. मैने उसमे उंगली डाल दी.
“बस राजा… मा आ जाएगी” उसने खुद को हटाते हुए अपने कपड़े ठीक किए.
मेरा लॉडा अभी भी बाहर था, वो उसे पकड़ते हुए बोली “लगता है इसे कमरे के अंदर बंद करना पड़ेगा..” फिर उसने मेरा अंडरवेर और लोवर उपर चढ़ा दिया.
“कुतिया, आज रात को यहा रुक जा खूब जमकर चोदूगा..”
“जल्दी मौका दूँगी” बोलते हुए वो बाहर निकल गयी.
कुछ देर मॉम और झरना बाकी घर के काम करती रही और मैं कंप्यूटर पर नेट सर्फ करता रहा. तभी सुनील का कॉल आया.
वो बोला “और कमीने क्या हाल हैं”.
“भोंस डी के हाल तो तेरे बता, अब तो अपनी मा की चूत फाड़ रहा होगा”.
“साले कसम से तेरे कारण वो हो गया जिसके मैं बस ख्वाब ही देख सकता था. अब तो बस अपनी बहनो की और चोदने की तमन्ना है. सोच साले दो दो कुँवारी चुते… उन्हे फाड़ने मे कितना मज़ा आएगा.”
“तो तू अपनी बहनो को भी चोदना चाहता है.” मैने पूछा.
“साले जब मादर चोद बन सकता हूँ तो बहन चोद क्यो नहीं.”
“ह्म…. एक काम कर इनडाइरेक्ट्ली उनको सेक्स मॅगज़ीन्स वगेरह लाकर दे और उनसे बातचीत के दोरान कुछ कुछ सेक्सी वर्ड्स यूज करा कर. ट्राइ टू ओपन देम. उन्हे भी देख लेंगे.”
मैं उसे और क्या कहता मैं भी तो अपनी मा और बेहन दोनो को चोदना चाहता था.
तभी मॉम की आवाज़ आई “अभी तुम्हारा लंच रेडी है, नेहा भी आने वाली होगी. मैं कुछ काम से मार्केट जा रही हूँ. थोड़ी लेट आउन्गी” नेहा के आने के बाद मैं लंच कर के सो गया.
शाम को जब उठा तो फ्रेश होकर लॉबी मे आ गया. मॉम भी वापस आ गयी थी और किचन मे बिज़ी थी, नेहा अपने रूम मे स्टडी कर रही थी. मैने कुछ देर टीवी देख फिर टीवी चलता छोड़ कर सीधा किचन मे घुस गया , मुझे अंदर आता देख कर मॉम ने इग्नोर कर दिया.
मैं सीधा जाकर मॉम के पीछे खड़ा हो गया. सबसे पहले उनके रेशमी बालो को क्लिप की क़ैद से आज़ाद किया फिर अपना मूह बालो मे डालकर रब करने लगा. “आई लव यूं मॉम” मैने कहा. मैने अपना सेमिएरेक्ट लॉडा लोवर से बाहर किया और मॉम के हिप्स से रगड़ने लगा.
अब मैं अपनी पूरी बॉडी से उसकी बॉडी दबा रहा था. वो बीच बीच मे अपना काम रोक कर गहरी साँसे भरने लगती थी. मैने अपना काम बिना कोई ध्यान दिए चालू रक्खा. धीरे धीरे गर्दन से लेकर गान्ड तक पूरी बॉडी पर पीछे से हाथ घुमा रहा था. दूसरे हाथ से हिप्स रब कर रहा था.
अब मेरा लॉडा भी पूरा तन चुका था. उसे भी सारी और पेटिकोट के उपर से ही पूरा फील हो रहा होगा. ऐसे ही मेरे हाथ खिसकते हुए मॉम की जाँघो तक पहुच गये, मैने उनकी थाइस पर पूरी तसल्ली से लगभग 10 मीं तक हाथ फेरा, उसकी थाइ ठोस और सुडोल थे.
फिर मैं पीछे से ही हाथ उपर बेल्ली एरिया मे ले आया. अब मेरे हाथ बेल्ली पोर्षन और कमर के पीछे के हिस्से मे ही घूम रहे थे. अब शायद सिचुयेशन मॉम के कंट्रोल से बाहर हो गयी थी, लास्ट ईव्निंग की तरह मॉम ने मुझे बेलन से पीछे की ओर धकेला पर बोला कुछ नही, मैं मॉम की बेल्ली को सहलाते हुए उनके कान मे बोला. “मॉम, पापा के सोने के बाद मेर रूम मे आना प्ल्ज़”.
“तू आज झरना को कुतिया क्यू बोल रहा था, शरम नही आती” मॉम ने कहा.
“मॉम वो तो वही बोली थी के उसे कुतिया सुनना अच्छा लगता है” मेने अपनी नाक और अप्पर लिप्स उसकी गर्दन से स्टेट हुए एक हाथ तो बेल्ली पे ही रहने दिया और दूसरा चुचियो के निचले हिस्से तक ले गया. मेरी उंगलिया अब मॉम की चुचि को छू रही थी.
“मैं समझ नही पा रही हूँ कि कोई अगर मुझे कुतिया बोले तो मैं कैसा फील करूँगी” मॉम ने बेखुदी मे शायद खुद से कहा.
“आपको पता है मॉम झरना कह रही थी की उसका घरवाला उसे रोज कुतिया बनाता तो है पर बुलाता नही है… अब इसका क्या मतलब है की रोज कुतिया बनाता है” मैने पूछते हुए अपनी उंगलियो को मॉम के बूब्स पर घुमाया.
“क्या पापा भी आपको कुतिया बनाते हैं” बोलते हुए बड़े ही सॉफ्ट्ली मैं एक हाथ उनके पूरी चुचि पर फेरने लग गया. मेरा दूसरा हाथ खिसक कर उनके पब्लिक एरिया मे पहुच गया, स्मूद स्किन फील होतेही मुझे झटका लगा शायद आज ही दिन मे मॉम ने सारी खेती सॉफ की थी.
सिसकी भरते हुए मॉम बोली “ आह… आ.. … तेरे पापा अक्सर मुझे कुतिया बनाते हैं.” मेरा हाथ खिसक कर सारी के उपर से ही चूत पर पहुच गया था. अब मैं एक हाथ से उसके बूब्स दबा रहा था और दूसरे से चूत. मुझे लग रहा था क़ि मॉम सब एंजाय कर रही हैं. तभी कल्लबेल्ल बजी , पापा आ गये थे. मैं किचन से निकलते हुए मॉम को बोला, “मैं रात मे वेट करूँगा”.
फिर सब नॉर्मल रहा. डिन्नर के बाद मैं अपने रूम मे चला गया. आधी रात हो गयी पर वो नही आई तो मैं उठकर उनके रूम की और चल पड़ा. कल की तरह रूम खुला था, मैं बेड के पास पहुचा. मा चादर ओढ़ के सो रही थी. मेने धीरे से चादर हटाई. आज शायद मेरी किस्मत काम नही कर रही थी, मा ने सोने से पहले चेंज नही किया था.
वो वैसे ही सारे मे प्रॉपर्ली कवर्ड सो रही थी. मैं उन्हे मॅग्ज़िमम न्यूड देखना चाहता था इसलिए धीरे धीरे उनकी सारी की गाँठ खोलने लगा. सारी निकलना तो संभव था नही तो मैने सारी पेटिकोट से निकल कर पेटिकोट की गाँठ भी खोल दी और जितना हो सके दोनो को नीचे खिसका दिया. या तो मा को इस सबका एहसास नही हो रहा था या वो नाटक कर रही थी.
अब उसकी नंगी चूत मेरी नज़ारो के सामने थी, मैने अपना तना हुआ लॉडा बाहर निकाल कर उसकी नंगी चूत पर रख दिया और कपड़ो के उपर से ही धीरे धीरे उसके बूब्स दबाने लगा. कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैने उसके ब्लाउस के हुक्स खोल दिए. उसकी ब्रा मे कसी हुई बड़ी बड़ी चुचियाँ देखकर मैं पागल हुआ जा रहा था.
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मैं एक हाथ से उसकी ब्रा मे क़ैद चुचि और दूसरे हाथ से अपना लंड लगातार दबाने लग गया. मेरा लंड फटने को हो रहा था, मैने झटके लेते हुए अपना सारा माल उसके मूह और चुचियो पर छोड़ दिया, कल रात की तरह जाने से पहले मैने उसके होंठो से अपने लंड को किस करवाया, फिर जाकर अपने कमरे मे शांति से सो गया.
अगले दिन फिर मैने झरना की चुचियाँ चूसी और उसकी चूत मे उंगली भी की. आज भी उसने खुद को कुतिया कहलवाया. मॉम नॉर्मल थी, रात के बारे मे मुझसे कोई सवाल जवाब नही हुए (रात मैं अध नंगी ही छोड़ आया था). फिर मैने सुनील के घर जाकर ममता को चोदने की सोची.
सुनील को कॉल लगाया तो उसने सिस्टर्स के घर होने की बात बोलकर केएलपीडी कर दी. तो मैं एक दूसरे दोस्त के साथ मूवी देखने चला गया. शाम को जब मैं वापस घर पहुचा तो हमेशा की तरह मॉम किचन मे थी और नेहा दी शायद अपने रूम मे. मौका देखकर मैं किचन मे घुस गया. मॉम की चुचि दबाते हुए बोला, “ कुतिया, कल रात मेरे रूम मे आई क्यो नही.”?
मॉम बिना कोई जवाब दिए अपना काम करती रही. पिछली दोनो रातो को मैने मॉम के बूब्स से अच्छे से खेला था फिर भी इस वक़्त का मज़ा अलग ही था. मैने बूब्स प्यार से प्रेस करते हुए पीछे से ही अपना लंड मॉम की गान्ड से सटा दिया और बोला, “कुतिया, मुझे और कितना तड़पओगी..”
“जो कर रहे हो तुम कर रहे हो, मैने क्या किया..” वो बोली.
“ओह्ह क्या मस्त चुचि है तुम्हारी.. मज़ा आ गया दबाने मे..”
“इमॅजिन व्हाट विल हॅपन इफ़ युवर फादर आंड दीदी सीज यूं डूयिंग दिस..”
“दे विल बीट मी.. सो व्हाट..” मैने पेटिकोट उठा कर उसकी बुर सहलाने लगा. उसने पैंटी नही पहनी हुई थी. उसकी नंगी बुर कामरस छोड़ रही थी..
“कुतिया, तेरी बुर बहुत टपक रही है…. मुझे चूसने दे..”
“तू जा झरना के पास ये तेरे लिए नही है.”
“देख कुतिया जो आज रात तू मेरे कमरे मे ना आई तो कल मैं अपने एक दोस्त को बुला लूँगा और हम दोनो मिलकर तेरा रेप कर डालेंगे”.
“कल की कल देखेंगे, अभी छोड़ मुझे, नेहा आने वाली है किचन मे”.
मैने एक बार और चूत को कस कर भींच दिया, उसकी आ निकल गयी. अब वो भी पूरी गरम हो रखी थी. मुझसे कंट्रोल नही हुआ और मैने अपना लॉडा बाहर निकाल कर उसकी नंगे चुतड़ों से सटा दिया और दोनो हाथ उसकी कमर पर जमा दिए. जो मज़ा आ रहा था मैं बयान नही कर सकता.
“रानी, थोड़ा चुतड़ पीछे करो.” मैं भारी आवाज़ से बोला.
“रानी मत बोलो, मुझे भी कुतिया बोलो” मॉम ने गॅस बंद किया और किचन की स्लॅब पकड़ के झुकते हुए अपने हिप्स पीछे की और बढ़ा दिए. मैने आओ देखा ना ताओ और पीछे से ही अपना लॉडा उसकी बुर में पेल दिया. उसने बड़ी मुश्किल अपनी चीख रोकी. शी स्विच्ड ऑफ गॅस आंड पुश्ड हर हिप्स बॅक. आई स्प्रेड हिप्स अवे आंड सॉ कंट होल. विदाउट वेटिंग आई पुश्ड लौडा इन कंट आंड स्टार्टेड फक्किंग माइ मदर फॉर फर्स्ट टाइम इन किचन.
“बेटे, जल्दी से पानी गिरा दो.. कोई आ जाएगा..”
“रात मे चुदवाओगी.. रंडी साली…”
“हाँ राजा.. बुर खोलकर आउन्गी.. अभी नेहा देखेगी तो अच्छा नही होगा..”
मैने जल्दी जल्दी और तेज झटके लगाने शुरू कर दिए, और कुछ ही धक्को मे झड गया. मॉम भले ही खूबसूरती मे ममता से 19 थी पर मेरे ख्वाबो की रानी थी. मैं ज़्यादा देर टिक ना पाया, आख़िर आज पहली बार अपनी मा को चोद रहा था.
“इसिको कुतिया बनाना बोलते है, समझे प्यारे..” मॉम बोली.
“मॉम कम इन नाइट ऑन माइ बेड.”
“कमीने अब तो मुझे मॉम मत बुला. कुतिया बुला, रंडी हूँ मैं अब तेरी.”
तभी लॉबी मे कोई आहट सुनकर मैं तुरंत अपने कपड़े ठीक कर के किचिन से बाहर निकल आया और टीवी लगाकर बैठ गया. डिन्नर के बाद मैं अपने रूम मे जाकर लेट गया. मॉम का वेट करते हुए मेरी आँख लग गयी. अचानक किसी के हिलाने से मैं जागा.
सामने थी मेरे ख्वाबो की रानी, मेरी कुतिया, फुल न्यूड. मैने उसे बेड पर खींच लिया और एक ज़ोरदार स्मूच दिया. फिर अचानक मैं उठा और लाइट ऑन करदी साथ ही दरवाजा भी खोल दिया, जो शायद अंदर आते हुए मॉम ने बंद कर दिया था.
“ये क्या कर रहे हो, कोई आ जाएगा” वो बोली.
“आज मैं तुम्हे ऐसे ही चोदुन्गा मेरी रानी, लाइट और दरवाजा खोलकर”.
“डोंट कॉल मी रानी. आई एम रंडी आंड कॉल मी रंडी. पर प्लीज़ दरवाजा बंद कर दो कोई आ सकता है”.
मैने दरवाजा बंद कर दिया और बेड के पास जाकर मॉम के दमकते हुए नंगे बदन को निहारने लगा.
“अब तुम मत तडपाओ.. जल्दी से इस कुतिया को चोदो..” वो टांगे चौड़ी कर कर दोनो हाथों से अपनी चूत की फांको को फैलाते हुए बोली.
मैं उसकी टाँगों के बीच बैठ गया और उसकी रसीली टपकती चूत पर अपने होंठ टिका दिए. कुछ देर किस करने के बाद मैं जीभ निकल कर चाटने लग गया.
“आउच.. अफ… क्या कर रहे हो…” वो रोकते हुए बोली.
“ओह्ह्ह कुतिया, लेट मी ईट कंट..”
“नही पहले मुझे चोदो… मुझे खूब चोदो.. तीन दिन से तडपा रहे हो..”
मैने जीभ सिकोड कर अंदर तक घुसा दी.
“ओह्ह्ह्ह. नो.. आह…”
आई चूड कंट आंड रब्ब्ड इट. आई मसाज्ड कंट वित मी पाम्स.
“ओह्ह्ह्ह… लौडा अंदर डालो.. चोदो मुझे….”
वो मस्ती मे मेरी जीभ की हर हरकत पर अपने चूतर उठा रही थी. अब मुझ से भी कंट्रोल नही हो रहा था मैने पोज़िशन लेते हुए अपना लॉडा उसकी बुर में पेल दिया.
“आ.. मंजू मेरी जान… मेरी रंडी, कैसा लग रहा है.. कुतिया.” मैं धक्के लगाता हुआ बोला.
“बस राजा, पेलते रहो…आह…” मुझे अपनी बाहो मे लेकर किस करते हुए वो बोली. कुछ देर बाद जब तूफान थम गया तो हम दोनो अगल बगल पड़े अपनी सांसो को कंट्रोल कर रहे थे.
“एक बात बताओ, 3 दिन पहले तक सब कुछ नॉर्मल था. फिर ऐसा क्या हुआ जो तुमने अपनी ही मा को चोद डाला.”
“एक बात बताओ, 3 दिन पहले तक सब कुछ नॉर्मल था. फिर ऐसा क्या हुआ जो तुमने अपनी ही मा को चोद डाला.” मॉम ने पूछा.
“मॉम..” मैं जवाब देने लगा तो वो बात काटते हुए बोली, “जब एक शादीशुदा औरत अपने पति क अलावा किसी दूसरे से संबंध बनती है तो वो सिर्फ़ एक रंडी होती है सिर्फ़ एक कुतिया. इसलिए मुझे अबसे वही बुला”.
“लेकिन रंडी तो वो होती है जो कई लोगो से सेक्स करती हो, तुमने अब तक कितने…”
“मादर चोद, नेवेर अस्क एनी वुमन ओर गर्ल दिस क्वेस्चन. नोट ईवन युवर वाइफ. अब तुम मुझे बताओ की तुम्हे अपनी मा को चोदने का आइडिया किसने दिया.”
“ओके तो सुन मेरी प्यारी कुतिया…” फिर मैने उसे शुरू से लेकर अब तक के सारे इन्सिडेंट्स बता दिए.
“तो अब आगे क्या” मॉम ने पूछा.
“अगर तुम साथ दो तो…” मैं हिचकते हुए बोला.
“जो तुम चाहो, जैसे तुम चाहो”.
“मैं तुझे और ममता को एक साथ चोदना चाहता हूँ, बल्कि मैं चाहता हूँ जब मैं ममता को चोदु तो साथ ही तुम भी सुनील से चुदवाओ. साथ ही मैं नेहा को भी चोदना चाहता हूँ.” मैने सब उगल दिया.
कुछ पल सन्नाटा. फिर कुछ सोचते हुए वो बोली, “सुनील का लंड कैसा है.” साथ ही मेरा लंड मुट्ठी मे पकड़ के सहलाने लगी. मैने खुशी के मारे उसे किस किया और बोला “ कुतिया, उसका भी मेरे जैसा है, वो भी तुझे जमकर चोदेगा..”
“ओके देन, बुला लेंगे उन्हे किसी दिन मौका देख कर. अभी तो तू एक ट्रिप और लगा” बोलकर कर मुझे कस कर चिपका लिया. मैने भी अपने फिर खड़े हो चुके लौड़े को उसकी बुर में घुसा कर फिर धक्के स्टार्ट कर दिए.
“ओह राजा ज़ोर ज़ोर से मारो मेरी बुर.. आ बहुत मज़ा आ रहा है… कल रात जब तूने मुझे नंगा किया तभी अपना लॉडा मेरी बुर मे क्यू नही पेल दिया. आ… आ…”
नाउ वी वर क्लिमॅक्सिंग. हमने एक दूसरे को कस के खुद से जकड़ लिया था. धक्को से पूरा बेड हिल रहा था. उसने अपनी टांगे मेरी कमर के गिर्द लपेट ली और लगी झरने. मैने उसकी बुर में अपना माल छोड़ दिया. हम कुछ देर ऐसे ही चिपके रहे, एक दूसरे को चूमा, कुछ देर एक दूसरे को सहलाया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“रंडी, कैसा लगा मेरा लंड ? खुश किया या नही..?”
“यस, राजा, यूं आर गुड. पुट ओं सम मोर वेट फिर कोई भी औरत तेरे नीचे आएगी तो मस्त हो जाएगी.”
वो बोली और उठ क जाने लगी “नाउ आई विल गो.”
“साली, यहीं सो जा ना. पूरी रात झप्पी डालके सोएंगे.”
कपड़े पहन कर उसने मेरे लंड पर किस किया और बोली “कल फिर चोद लेना अपनी कुतिया को और हाँ सुबह झरना की चूत ज़रूर मारना, मैं बाहर से चुपके से देखूँगी.” फिर वो अपने रूम मे चली गयी और मैं घोड़े बेच कर सो गया. अगले दिन सुबह मैं झरना का इंतज़ार कर रहा था, जब वो मेरे रूम मे मे आई मैने तुरंत जाकर उसे पीछे से जकड़ लिया, अपना लंड बाहर निकाल के उसकी गान्ड पर रगड़ने लगा.
“कुतिया अब इसे बर्दाश्त नही हो रहा अब चोदने दे ना.”
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वो मेरा लंड हाथ मे लेकर मुठियाते हुए बोली “थोड़ा सबर कर राजा, मुझे भी तेरा ये लंड बहुत भा गया है. अभी तेरी मा नहाने जाएगी तो मैं आउन्गी, फिर जो चाहे कर लेना” बोलकर फटाफट अपने काम मे लग गयी. तकरीबन आधे घंटे बाद वो आके सीधे मेरे बेड पर लेट गयी और बोली, “राजा, तेरी कुतिया बहुत भूखी है…. जल्दी ठंडा कर…”
मैने झटपट दोनो के कपड़े उतारे और उसपे पिल गया, पापा ऑफीस और दी अपने कॉलेज के लिए निकल चुके थे. मॉम खुद छिप कर हमारी चुदाई देख रही होंगी सो डर कोई था नही इसलिए मैं ज़्यादा ही अग्रेसिव हो रहा था.
“कुतिया चल जल्दी से पोज़िशन ले, आज तेरा कुत्ता तुझे चोदेगा.”
मैं किसी तरह के फोरप्ले मे ना पड़कर सीधे उसे कुतिया बना कर चोदने लग गया. दोनो हाथ उसकी चुचियो पर कसे हुए थे. दो तीन धक्को मे ही पूरा लंड उसकी चूत मे उतार दिया. फिर ढकधक पेलने लग गया.
“बेटा इतनी जल्दी क्या है, कौन सी तेरी ट्रेन छूटी जा रही है.” मॉम पीछे से बोली. मा की आवाज़ सुनकर झरना मेरे नीचे से निकलने की कोशिश करने लगी, तो मॉम ने उसका कंधा दबाते हुए कहा, “कुतिया अब तो तूने पूरा लॉडा अंदर ले ही लिया है तो पूरा मज़ा ले ले पहले चुदाई का.”
झरना से पहले मैने दो ही चुते मारी थी, ममता और मंजू (मॉम) की, दोनो ही लेट 30स मे थी. उनकी तुलना मे झरना की 24 साल की उफनती जवानी का अलग ही मज़ा आ रहा था. अभी ज़्यादा टाइम नही हुआ था उसकी शादी को तो चूत एकदम कसी हुई थी. उसमे लंड चलाने मे अलग ही मज़ा आ रहा था. मैने धक्के लगाते हुए मॉम की और देखा, वो बाथरूम से ही आई थी और बस एक टवल मे थी. मैं मॉम से बोला, “साली कुतिया तू तो नहाने गयी थी, इतनी जल्दी बाहर कैसे आ गयी”.
झरना नाराज़गी दिखाती हुई बोली, “राजा मा को गाली तो मत दो.”
मॉम, “झरना जैसे तुझे पसंद है.. मैं भी चाहती हूँ कि कोई मुझे भी कुतिया बोले, खूब गाली दे… मैं भी अभी की तरह तुझे कुतिया ही बुलाउन्गी… ये सब बस हम तीनो क बीच रहेगा”.
इस बीच मेरे धक्के बदस्तूर जारी थे. मैने मॉम को इशारे से अपने पास बुलाया और पकड़ के उनका टवल खींचना चाहा तो वो पीछे हट गयी. मैं बोला “कोई कुतिया कभी कपड़े नही पहनती, तू भी ये टवल उतार. तेरी बुर और चुचियाँ देखते हुए इसे चोदूगा तो और मज़ा आएगा”.
झरना फिर नाराज़गी भरी आवाज़ मे, “राजा, मैं तो तुझसे चुदवा रही हूँ… मा को एसा नही बोलना चाहिए, मा को नंगा नही देखना चाहिए…”
मैं उसे अनसुना कर के मॉम से बोला “कुतिया, तेरी चुचि और चूत ज़रूर बहुत मस्त होगी..खोल ना.. पापा और दी को नही पता चलेगा….रंडी, कुतिया दिखा दे अपनी जवानी.”
“कुतिया जो बोलेगी सब करूँगा, रात दिन तेरी बुर चाटूँगा, गान्ड चाटूँगा, अपना माल दिखा दे…”
झरना ने आँखे बंद कर ली, इन नंगी बातो से वो और भी एग्ज़ाइटेड होके अपने होंठ काट रही थी और पोज़िशन बदलते हुए वो मिशनरी स्टाइल मे चुदवाने लगी. दोनो टाँगों को फैला कर दोनो बाजुओ मे मुझे जकड़ रक्खा था.
जोश मे झरना मॉम से बोली “कुतिया, हरामी बेटा इतना खुशामद कर रहा है तो दिखा दे अपनी जवानी बेटे को…बहुत मस्त चुदाई कर रहा है , रंडी तू भी चुदवा ले कुतिया अपने बेटे से…”
मैं मॉम से “मेरी प्यारी कुतिया, नखरा क्यो कर रही है, चोदूगा नही, टच भी नही करूँगा..बस खोलकर खड़ी हो जा कुतिया…”
इस बार मॉम खड़ी हुई और एक झटके मे टवल उतार फेंक दिया, अब वो नंगी मेरे सामने खड़ी थी और मैं जोश मे दाँत भींचे हुए पूरे ज़ोर से झरना की चूत फाड़ रहा था.
“अफ कुतिया, क्या मस्त चिकनी चूत और कड़क कड़क चुचि है..”
वी बोथ साइड टुगेदर आंड देन किस्ड पॅशनेट्ली फॉर फ्यू मिनिट्स. व्हेन वी ओपंड और आइज़ वी सॉ दट मदर हॅज़ डिसपीयर्ड. उसे देखते हुए मॉम को चोदने का मज़ा ही कुछ और था. अफ …. मैं झड़ने लगा. मैने अपना पूरा लोड झरना की चूत मे खाली कर दिया. थक कर मैं बेड पर गिर गया.
झरना अपनी सांसो को संहालते हुए बोली, “वाह राजा मज़ा आ गया, पता है ये कुतिया आज पहली बार एक ही चुदाई मे तीन बार झड़ी है”.
दिन की शुरुआत चुदाई से हुई थी. मैं जब कुछ देर बाद संभला तो फील हुआ कि मैं रूम मे अकेला था. नहा धो के मैं रूम से निकला, ब्रकेफ़स्ट करने मैं लॉबी मे जा ही रहा था की मेरे मोबाइल की बेल बजी.
“हेलो” मैने फोन पिक किया.
“हेलो हीरो, क्या हो रहा है” उधर से ममता की आवाज़ आई.
“बस तुम्हे ही याद कर रहा था”.
“रहने दे झूठे तभी 3 दिन से फोन तक नही किया”.
“ऐसी बात नही, मैं तुम्हे मिलकर बताता हूँ”.
“तो आजा फिर मैं इंतज़ार कर रही हूँ”.
“ओके आई एम कमिंग”.
मैने नाश्ता करके मॉम के पास किचन मे गया और उन्हे किस करते हुए बताया मैं सुनील के घर जा रहा हूँ, शाम को देर से आउन्गा शायद और सुनील के घर के लिए निकल गया. रास्ते मे ही ममता का फिर फोन आया की पहुचे नही अब तक तो मैने बताया की ऑटो मे ही हूँ बस थोड़ी देर मे पहुच रहा हूँ. जब उसके घर पहुचा तो डोर ममता ने ही खोला.
“और मेरी जान क्या हो रहा है” मैं बोला.
“बस जल रही हूँ उस आग मे जो तू जला के छोड़ गया था”.
“क्या बात बड़े मूड मे है” मैने अंदर आके उसकी चुचि मसलते हुए कहा.
आह… वो आ भरती हुई बोली “कमीने थोड़ा सब्र कर ले कहीं भाग नही रही मैं”.
घर मे शायद वो अकेली थी तो मैने पूछा, “घर पे कोई नही है क्या.”
“ना रे, सुनील अपने मामां के यहाँ गया है और शीतल और ईशा स्कूल. हम भी शीतल और ईशा के एग्ज़ॅम्स ख़त्म होते ही जाएँगे वहाँ.”
“क्या? वापसी कब होगी” मैने सोफे पर बैठते हुए पूछा.
“20-25 दिन तो रुकेंगे ही वहाँ” जवाब मिला. तो मैने उसे अपने बगल मे खींच लिया.
“मैं तो तुम्हे और सुनील को बुलाने आया था अपने घर” फिर मैने उसके बदन सहलाते हुए अब जो पिछले 3 दिन मे हुआ सब बताया, फिर उसे अपनी फोरसम की फॅंटेसी भी बताई.
“सॉरी मेरे राजा अब तो ये सुनील और मेरे वापस आने के बाद ही पासिबल है. अभी तो तू मेरी आग बुझा”.
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बस फिर क्या था, मैं सोफे से उठा उसे अपनी बाहों मे लिया और बेडरूम मे ले गया. उसे बेड पर लिटाते हुए उसके नरम गुलाबी होंठो पर अपने होंठ टिका दिए कुछ ही देर मे हम पागलो की तरह एक दूसरे के मुंह मे जीभ डाले हुए बड़े ही जुनूनी अंदाज़ मे एक दूसरे को किस कर रहे थे.
किस करते हुए ममता एक हाथ से मेरा लंड मसल रही थी और मैं दोनो हाथों से जैसे उसकी चुचियाँ निचोड़ रहा था. कुछ ही देर मे उसने मुझे छोड़ कर मेरी टी शर्ट उतार दी और मेरी छाती पर जगह जगह किस करते हुए मेरे दोनो निपल चूसने लगी. वो ट्राउज़र के उपर से ही मेरा लंड मसले जा रही थी.
मैं उसे अलग करते हुए अपनी पेंट उतार फेंकी. वो मुस्कुराती हुई खड़ी हो गयी और बड़ी ही अदा से अपने कपड़े उतारने लगी.वो शायद मुझे ये स्ट्रीप शो का मज़ा देना चाहती थी, हवा मे किस्सस देते हुए बड़े ही मादक अंदाज मे एक एक कर के अपने कपड़े निकाल रही थी. और मैं ये शो एंजाय कर रहा था. कुछ ही देर मे वो पूरी न्यूड मेरे सामने खड़ी थी.
मुझे बेड पर धकेलते हुए उसने मेरा लंड मूह मे भर लिया और आइस क्रीम की तरह चुसते हुए मुझे ब्लोवजोब देने लगी. मैं उसकी नंगी चुचिया मूह मे भर कर चूसने लगा. थोड़ी देर मे मुझे लगा की मैं छूटने वाला हूँ तभी उसने मेरा लंड छोड़ दिया. मैने उसे खुद पर लिटाते हुए पलट कर अपने नीचे ले लिया.
उसकी पूरी बॉडी मैं चाटने लगा. चाटते हुए मैने उसकी चूत पर होंठ टिका दिए, मैने दोनो हाथों से उसकी चूत को फैलाते हुए उसकी चूत के दाने को मूह मे भर लिया. अब तक के हर सोर्स से मिले सेक्स क तरीकों को उसके उपर आज़मा रहा था. अब बात मेरे बर्दाश्त से भी बाहर हो रही थी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
सो पीछे हटते हुए मेने अपना तना हुआ लंड उसकी चूत मे पेल दिया. और फिर कर दी रेलगाड़ी शुरू. उसके उपर लेटे हुए मैने उसके कान की लौ कोमुह मे भर कर चूसने लगा. वो मासी क मारे ज़ोर से सीत्कार कर उठी. कुछ ही देर मे हम दोनो झड् गये और इतना झाडे क निढाल होकर बेड पर पस्त हो गये.
वो मेरी छाती पर सिर रखकर बोली “इट वाज़ माइ सेक्स एक्सपीरियेन्स सो फर” फिर मेरे लंड पर झुक कर किस करते हुए वो खड़ी होकर कपडे पहनने लगी. मैं भी अपने कपड़े पहन रहा था तभी मुझे ऐसा लगा कि बेडरूम क दरवाजे पर कोई है. मैने तेज़ी से उठकर दरवाजे से बाहर झाँका पर वहाँ कोई नही था.
तभी ममता ने मुझे पुकारा, “अभी, जान इधर आओ” वो कपबोर्ड खोले खड़ी थी. ‘ये रखो’ कहते हुए उसने मुझे कुछ नोट पकड़ा दिए. मैने हैरान होते हुए पूछा ये किसलिए. तो वो बोली “जान मुझे अच्छा नही लगा कि तुम ऑटो मे आते हो, पर्चेस आ बाइक फॉर यूं”.
“मैं ये कैसे ले सकता हूँ… तुम मुझे…”
“बस.. मैं कुछ नही सुनूँगी, चुपचाप रख लो”.
मैने फिर भी मना किया पर वो नही मानी तो मुझे वो जेब मे रखने पड़े. फिर आने का वादा कर के मैं घर लौट आया. पिछले एक हफ्ते मे मेरी लाइफ बहुत बदल गयी थी. कहाँ छड़ों की जिंदगी और कहाँ अब 3 – 3 चुते मेरे लिए जब चाहूँ तब अवेलबल थी. अपनी तो निकल पड़ी.
मॉम और झरना के साथ तो रोज़ मज़े लेता ही था, हफ्ते भर मे 2 बार ममता को भी चोद आया था. फिर ममता की बेटियो के एग्ज़ॅम्स ख़तम हो गये तो वो उन्हे लेकर अपने मायके चली गयी (सुनील पहले ही वहाँ गया हुआ था). इधर नेहा की भी छुट्टियाँ शुरू हो गयी थी. तो थोड़ा सेक्स कम हो गया. इस बीच हमारी कॉलोनी की क्रिकेट टीम, जिसका मैं भी मेंबर था, सबने बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाया.
तो मैं भी उनके साथ घूमने निकल गया, 10 दिन का मजेदार ट्रिप था. वापसी मे मैं वही पास के सिटी मे अपनी बुआ के यहाँ रुक गया, क्योकि उनका बार बार फोन आ रहा था. लगभग 15 दिन बाद सनडे के दिन मैं घर वापस पहुचा, अपने घर के बाहर एक लग्षुरी कार खड़ी देखकर चौंका. मैं जैसे ही मैं डोर पर पहुचा तो अंदर से सुनील के पापा निकल रहे थे, उनके पीछे पापा और मॉम खड़े थे.
“ओह हाय अभी हाउ आर यूं?”
“फाइन अंकल, आप यहाँ कैसे ?”
“बस तुम्हारे पापा से कुछ अफीशियल काम था. चलता हूँ अभी फिर आउन्गा” अलग ही ढंग से मुस्कराते हुए उन्होने जवाब दिया.
“ओके अंकल बाइ” उन्हे विश करता हुआ मैं घर मे घुसा.
सबसे मिला… पता नही क्यू मुझे मॉम डॅड के बिहेवियर मे कुछ अजीब सा लग रहा था. बट मैने इग्नोर कर दिया. कुछ रेस्ट कर के मैं शाम क समय लॉबी मे आया तो मॉम किचन मे लगी हुई थी पर बाकी शायद कोई घर मे नही था. मैं मौका देख कर सीधा किचन मे घुस गया और जाकर मॉम को बाँहो मे भर लिया.
मे – “और मेरी कुतिया, याद आई मेरी”.
अपनी नाक उसके बालो मे रब करते हुए मैं बोला “आज रात सारी कसर पूरी कर दूँगा”.
मॉम को कोई हरकत ना करता देख और ना ही कुछ जवाब मिलता देख मैं बोला, “क्या हुआ मेरी रानी, जवाब क्यू नही दे रही”.
जैसे ही मैने उसकी चुचियो को हाथ मे भरा उसने कोहनी के ज़ोर से मुझे पीछे धकेल दिया. मैने पीछे से एक हाथ से उसकी गान्ड मसलते हुए कहा, “क्या हुआ जानू, नाराज़ हो क्या, इतने दिन लगा दिए मैने इसलिए”.
तभी अचानक वो पलटि और रख के तमाचा जड़ दिया मेरे गाल पर. मैं अवाक एक हाथ अपने गाल पर रखे हुए उसका चेहरा देख रहा था. उसके तमाचे से ज़्यादा मुझे उसके आँसू दर्द दे रहे थे.
“क….. क… क्यों…” बस यही मेरे मूह से निकला.
मैं अवाक से एक हाथ अपने गाल पर रखे हुए उसका चेहरा देख रहा था. उसके तमाचे से ज़्यादा मुझे उसके आँसू दर्द दे रहे थे.
“क….. क… क्यों…” बस यही मेरे मूह से निकला.
वो कुछ ना बोली, बस रोती हुई अपने रूम मे चली गयी. मैं सोच मे डूबा हुआ अपने रूम मे आ गया. बाकी का दिन ऐसे ही निकल गया. अगले दिन सुबह झरना काम करने मेरे रूम मे आई तो मुझे देख मुस्काराई पर मेरा मूड अभी भी ऑफ था. मैने उसे पूछा, “कुतिया एक बात बता, मेरे पीछे घर पे क्या क्या हुआ”.
“कुछ ख़ास नही राजा”.
कुछ तो हुआ है, शायद इसे नही पता, मैने मन मे सोचा. वो मेरे सामने झुक के अपनी चुचिया दिखाती हुई आती है तो मेरा भी मन मचल जाता है और मैं उसको पकड़ के उसकी चुचिया मसलते हुए एक ज़ोरदार स्मूच मारा. फिर मॉम का ध्यान आते ही उसे छोड़ दिया.
घर के माहौल मे एक अज़ीब सी तल्खी थी, मैं मॉम से बात करना चाहता था पर कर नही पा रहा था. आख़िरकार हिम्मत जुटा कर मैने मॉम को जब अकेला देखा तो पूछ ही लिया, “मॉम प्लीज़ बताओ क्या हुआ है, क्या मुझसे कोई ग़लती हो गयी है या कुछ और बात है प्लीज़ बताओ?”
मॉम की फिर रुलाई फुट पड़ी, “सॉरी बेटा मैं तुझे मारना नही चाहती थी पर उसका गुस्सा तुझ पर उतर गया…. सॉरी”
“मा पहले बैठो तुम” मैने उन्हे सोफे पर बिठा कर पानी पिलाया फिर पूछा “अब मुझे बताओ तो हुआ क्या है”.
“सुनील के पापा जो कल आए थे वो किसी अफीशियल काम से नही आए थे”.
“फिर…”
“तेरे जाने के चार दिन बाद जब रात को तेरे पापा घर आए थे वो बहुत टेन्स थे, बहुत पूछने पर उन्होने बताया की ऑफीस मे वो एक झूठे रिश्वत के केस मे फस गये हैं.” मॉम ने सुबक्ते हुए बताया.
“ओह्ह्ह गॉड… फिर पापा ने क्या किया”.
“उन्होने कई बार सफाई दी पर कोई फ़ायदा नही हुआ. लास्ट मे उन्होने डाइरेक्ट उस पार्टी से मिलने की सोची तो वो उसके ऑफीस मे गये. वो कोई और नही सुनील के पापा थे. बहुत मिन्नतें करने के बाद वो एक शर्त पर कंप्लेंट वापस लेने पर राज़ी हुए”.
“कैसी शर्त”.
“.. वो.. वो मेरे साथ सेक्स करना चाहते थे”.
“पर वो…. ऐसे कैसे…. उन्होने तुम्हे कब… यार जहाँ तक मैं जानता हूँ वो तो तुमसे मिले भी नही हैं.” मैने परेशान होकर पूछा.
“तेरे कारण” मॉम ने सपाट लहजे मे जवाब दिया. “उन्हे तेरे और अपनी पत्नी के रिश्तों के बारे मे पता है”.
एक बॉम्ब सा फूटा मेरे उपर.
मॉम बोली “उन्होने तुझसे बदला लेने के लिए तेरे पापा को इस झूठे केस मे फसाया”.
मैं खुद को टूटते हुए महसूस कर रहा था, मुझे एहसास नही था की इसकी ये कीमत मुझे चुकानी पड़ेगी. तभी मुझे याद आया जो मैने उस दिन ममता क बेडरूम क बाहर आहट सुनी थी वो मेरा वहम नही था. कुछ देर वैसे ही सन्नाटा रहा. फिर मैने टूटते लहजे मे मॉम से पूछा “फ़ि.. फिर आ.. आप लोगो ने क.. क.. क्या किया”.
“हुहह… क्या करते अगर ना बोलती तो ना सिर्फ़ तेरे पापा की जॉब जाती बल्कि जैल भी हो सकती थी…” मॉम ने ठंडी साँस छोड़ते हुए कहा “तबसे वो 3 -4 बार आ चुके हैं”.
मैं अपनी आँखो से बहते आँसू भी नही रोक पा रहा था.
दर्द भारी आवाज़ मे बोला, “आपने मुझे बताया क्यू नही”.
“उससे क्या होता. वैसे भी उसने ये सब तुझे बताने से मना किया था सब तुझे बताने से मना किया था. ये सब मैने तेरे पापा को भी नही बताया.”
“मतलब”.
“उसने ये सब बाते जब मुझसे अकेले मे की तब वहाँ तेरे पापा नही थे”.
“सॉरी मा… मेरी वजह से…” मैं रो पड़ा.
“संभाल खुद को… अभी तो हमे और भी बहुत सहना है शायद.”
मैं अपना मूह उठाकर मा की ओर देखने लगा.
मॉम फिर बोली, “कल वो ये कहकर गया है की नेहा को वो अपनी सेक्रेटरी बनाना चाहता है, मैं जानती हूँ उसकी नियत नेहा पर भी खराब है”.
मेरे होश ओ हवास गुम थे. नेहा के बारे मे सुनकर मैं जड़ हो गया था.
मॉम- “फिलहाल तो मैने नेहा के रिज़ल्ट्स के बहाने उसे टाल दिया है, पर….”
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मैं खुद को किसी चक्रव्यूह मे फसा हुआ बेबस सा फील कर रहा था. मैं दुख से ज़्यादा शरम महसूस कर रहा था. तभी अपने पीछे एक आहट सी सुनकर मैने और मॉम ने पलटकर देखा तो दोनो शॉक्ड रह गये. पीछे नेहा खड़ी थी, पता नही कब वो आई थी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
शायद नेहा ने सब कुछ सुन लिया था, उसका चेहरा अवाक था और आँखों से आँसू बह रहे थे. उसके हसीन मुखड़े पर दर्द देखकर मुझे अपना दिल फट ता हुआ लगा. मॉम भी सन्न रह गयी थी, दर्द से भरे आँसू बहाते हुए वो बस नेहा को देखे जा रही थी.
खामोसी तोड़ते हुए मैं बोला, “न… नेहा दी, .. डॉन’ट वरी दी मैं ऐसा कुछ नही होने दूँगा दी, म.. मैं सब ठीक कर दूँगा” मैं आगे बढ़कर उनका हाथ थामने लगा.
चटाआक… नेहा ने तुरंत एक थप्पड़ जड़ दिया मेरे गाल पर और रोते हुए अपने कमरे मे भाग गयी.
मैं बस खुद मे बुदबुदा रहा था, “नही मैं ऐसा नही होने दूँगा”.
मैं तुरंत उठा और सबसे पहले ममता को फोन लगाया पर उसका नंबर आउट ऑफ कवरेज था फिर मैने सुनील को फोन लगाया.
“हेलो” सुनील की आवाज़ आई.
अभी- “सुनील, यार यहाँ एक बड़ा मसला हो गया है”.
सुनील- “अबे ऐसा क्या हो गया”.
फिर मैने उसे सारी बात बताई वो चुपचाप सुनता रहा. मेरी बात ख़तम होने पर भी उसने कोई जवाब नही दिया तो मैने बोला, “यार क्या हुआ तू कुछ बोल क्यू नही रहा. ये सब रोकना होगा, तुझे अपने पापा से बात करनी होगी.”
सुनील- “देख यार ये थोड़ा मुश्किल है”.
अभी- “मतलब”.
सुनील- “जैसा की तू बता रहा है मेरे पापा को तेरे और मॉम के बारे मे पता चल गया है, पर अभी शायद उन्हे मेरे इस सब मे इन्वॉल्व होने का पता नही है, ऐसे मे तो तू ही बता मैं इस मसले पर उनसे खुल के बात कैसे करू जबकि मेरी वैसे ही उनसे फटती है.”
“तो अब मैं क्या करू”.
“मेरी मान तू अपनी मॉम को साथ लेके खुद जा के पापा से मिल के सॉरी बोल, शायद वो मान जाए और ये सब रोक दे”.
“पर….” मैं कुछ बोलते हुए रुक गया.
फोन काटने के बाद मैं कुछ देर मैने तसल्ली से सोचा फिर मैं खुद प्रेम अंकल से मिलने चल पड़ा. मैं प्रेम अंकल के ऑफीस पहुचा तो वो अपने कॅबिन मे ही थे.
मैं बोला, “हेलो अंकल”.
“ओ हेलो अभी, कैसे हो ?” उनकी आवाज़ मे एक व्यंग सा था.
“अंकल मैं आपसे कुछ बात करना चाहता हूँ”.
“बोलो”.
“अंकल मैं… आप… आक्च्युयली मैं आपसे माफी माँगने आया हूँ.” मन पक्का करते हुए मैने बोला. “जो कुछ भी मेरे और आंटी के बीच हुआ… उसके लिए.”
प्रेम – “तो तेरी उस रंडी मा ने तुझे सब कुछ बता ही दिया, चलो वैसे भी इससे मुझे कोई ख़ास फ़र्क़ नही पड़ता”.
“अंकल… ज़बान संभाल के वो मेरी मा है”.
“साले और ममता मेरी बीबी… खैर इसकी सज़ा तो उसे भी दूँगा पर अभी तेरी और तेरे परिवार की बारी है. तेरी मा के बाद अब तेरी बेहन को भी चोदूगा, जा कर ले जो तू कर सकता है.”
“अंकल प्लीज़ मेरे किए की सज़ा उन्हे मत दो”.
“दफ़ा होज़ा हरामजादे. निकल जा यहाँ से. और हाँ… बोल देना अपनी मा को आज रात आउन्गा मैं तेरे घर उसकी बजाने. हाहाहा”.
मैं गुस्से और बेइज़्ज़ती का दर्द लिए निकल पड़ा वहाँ से. घर पहुचते ही जब मैने बेल बजाई तो मॉम ने डोर खोला. मेरे डबडबाती आँखे और दर्द भरा चेहरा देखकर इससे पहले वो कुछ बोलती मैं कंट्रोल ना कर पाया और फुट फुट के रोने लग गया. मॉम मुझे बाहों मे भर कर अंदर ले गयी. कुछ देर मुझे सोफे पर साथ बिठा कर चुप करवाया, पानी पिलाया फिर पूछा की क्या हुआ.
मैने मॉम को सब बता दिया. “मॉम मैं ही इस सब का ज़िम्मेदार हूँ, मेरी वजह से ही नेहा को भी…. मॉम प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.” और रोते हुए उनके कंधे पर सिर रखते हुए कहा.
“चुप कर अभी, अब जो हो गया सो हो गया, मैं तो ये सब झेल लूँगी पर मुझे पता है की तू नेहा से कितना प्यार करता है, सच्चे दिल से उसे चाहता है, जब वो कमीना नेहा के साथ ये सब करेगा तो तुम दोनो ही पूरी तरह टूट जाओगे. संभाल खुद को, तू ऐसे करेगा तो हमारा क्या होगा.”
“मॉम…” मैं कुछ बोल नही पा रहा था बस मॉम को लिपटे हुए रोए जा रहा था. मेरी आँखे बंद किए मॉम को हग किए हुए और उनके कंधे पर सिर टिकाए हुए बैठा था की अचानक एक हाथ मेरे बालो को सहलाता हुआ फील हुआ तो मैने सिर उठा कर देखा, मॉम के पीछे नेहा खड़ी थी, उसकी आँखों से भी आँसू बह रहे थे.
नेहा- “आ.. अभी आई एम सॉरी”.
अभी- “नो दी, आई एम सॉरी”.
और मैने उठ कर दी को गले लगा लिया.
“जो भी हो अभी मुझे तुझ पर हाथ नही उठाना था, यूं डॉनट वरी अभी, अब जो भी होगा हम मिलकर फेस करेंगे.”
“यूं डॉन’ट वरी अभी, अब जो भी होगा हम मिलकर फेस करेंगे.” नेहा ने मुझे हौसला दिया.
मैं भी आने वाले हालातों के लिए मन ही मन खुद को मजबूत बनाने लगा. रात को नेहा दी को मैने अपने रूम से बाहर आने के लिए मना कर दिया था. डॅड अपनी मजबूरी पर होपलेस से शराब के नशे मे बैठे थे. शायद मॉम ने उन्हे प्रेम अंकल के आने के बारे मे बता दिया था. तभी बेल बजी, मैने डोर खोला.
प्रेम अंकल आए थे, मुझे देखकर उन्होने एक व्यंग्यात्मक मुस्कान दी और जानबूझकर मुझे दिखाते हुए मॉम को बेडरूम मे ले गये. मुझे अपना दिल रोता हुआ सा महसूस हुआ. डॅड वही सोफे पर ढेर हो गये थे. मैं उन पर चादर डाली और बिना कुछ बोले अपने रूम मे चला गया और बिस्तर पर गिर कर फुट फुट कर रोने लगा.
तभी दरवाजे की आवाज़ पर मैने उठकर पीछे देखा तो नेहा दी मेरे रूम मे एंटर कर रही थी. मैं अपने आँसू पोछता हुआ खड़ा हो गया, नेहा दी ने डोर क्लोज़ किया और मेरे करीब आकर बोली, “मैं समझ सकती हूँ अभी इस वक़्त तुम्हे क्या फील हो रहा होगा. डॉन’ट वरी डियर, वी विल कम अप.” उन्होने मुझे बाँहो मे भर लिया.
कुछ देर हम वैसे ही रहे, फिर नेहा ने शायद मेरा ध्यान भटकाने के लिए मुझसे पूछा, “अभी एक बात बताओ, डू यू रेआली लव मी.”
“य… यस आई डू” मैने थोड़ा झिझकते हुए जवाब दिया.
“और वो भला कब्से” नेहा ने फिर पूछा.
“याद नही, पर शायद तुमसे से ज़्यादा कभी कुछ चाहा नही”
“आआई लव यूं टू अभी” कहते हुए नेहा ने मुझे तुरंत हग कर लिया.
कुछ देर हम दोनो ऐसे ही एक दूसरे को बाँहो मे लिए हुए फील करते रहे. मैं तो सातवे आसमान पर था. फिर काफ़ी देर तक हम साथ बैठे हुए प्यार भरी बाते करते रहे , उसने मुझे हौसला दिया की इस सब से बाहर निकल आएँगे, फिर वो अपने रूम मे चली गयी और मैं जो भी आज दिन मे हुआ भूल कर नेहा के ख्यालो मे गुम हो गया और एक बार फिर मैं खुद की किस्मत को सराहता हुआ बोल उठा “लकी बस्टर्ड”.
अगले सुबह मैं मॉम के पास गया, प्रेम अंकल शायद देर रात ही किसी समय चले गये थे. मैं खुद को मजबूत बनाता हुआ बोला, “मॉम, अगेन आई एम सॉरी फॉर ऑल दिस हॅपनिंग टू यू.”
मॉम- “अभी जो भी हुआ उसे अब बदला नही जा सकता बस मैं परेशान हूँ तेरे पापा को लेकर. इन दिनों वो ज़यादा ही पीने लगे हैं, बहुत डिपरेसद हैं. तुम्हारे साथ मेरे रीलेशन बने वो बस मेरी दबी हुई इच्छाए थी लेकिन वो मैं उनसे च्छूपा कर कर रही थी. पर इस सब के लिए वो खुद को दोषी मान रहे हैं. उन्हे अभी तक इस सब दिनों पीछे का रियल रीज़न नही पता.”
अभी- “मैं कोशिश करूँगा मॉम उन्हे बेटर फील कराने की”.
मॉम- “एक बात और अभी, प्रेम कुछ समय के लिए आउट ऑफ कंट्री जा रहा है, तुम अगर इसका कोई फ़ायदा उठा कर कुछ कर सकते हो तो करो. रही नेहा की बात तो उसके एग्ज़ॅम्स ख़तम हो चुके है मैं उसे 1 महीने के लिए तुम्हारे मामां के यहाँ भेज रही हूँ.”
मैने भी कुछ सोचते हुए सहमति दे दी. “ये ठीक रहेगा मॉम. वैसे भी परसो हमारा रिज़ल्ट आ रहा है तो सुनील और उसकी मॉम भी वापस आ जाएँगी ताकि आगे अड्मिशन्स हो सके. तभी मैं उनसे बात कर के आगे के बारे मे सोचूँगा”.
आज रिज़ल्ट का दिन भी आ गया, पिछले 3 दिन मे मॉम और मेरे बीच काफ़ी कुछ नॉर्मल हो गया था. नेहा मामा घर चली गयी थी, वो जाना तो नही चाहती थी पर मेरे समझाने पर राज़ी हो गयी. इधर मॉम के साथ फिरसे किस्सिंग और हग वगेरह शुरू हो गये थे, दो बार झरना के साथ भी सेक्स किया.
इस सबसे मेरे होश ओ हवास भी नॉर्मल होने लगे थे, शॉक से बाहर आकर मैं आगे का सोच रहा था. डॅड मेरा रिज़ल्ट चेक करने के लिए स्पेशली छुट्टी लेकर ऑनलाइन ही बैठे थे. मैने 76% स्कोर किया. मॉम डॅड दोनो बहुत खुश हुए. मैने नेहा को कॉल कर के बताया तो उसने भी मुझे कॉनग्रॅजुलेट किया.
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फिर मैने सुनील को फोन किया, उसने बताया की उसके 72% मार्क्स आए हैं और वो लोग कल सुबह तक लौट रहे हैं. फिर मेरा रिज़ल्ट पूछा और हम दोनो ने एक दूसरे को बधाई दी. रात को डॅड हमे डिन्नर पर लेकर गये जहाँ उन्होने सेलेब्रेशन क नाम पर पहली बार मेरे साथ एक एक बियर भी पी. डॅड को खुश देख कर मॉम भी खुश थी. देर रात मे मॉम खुद मेरे रूम मे आई और हमने सेक्स किया.
अगले दिन सुबह मैने पहले झरना के साथ सेक्स किया और फिर मैं सुनील के यहाँ के लिए निकल गया. बेल बजाते ही डोर खुद ममता ने खोला, उसका स्माइलिंग फेस देखकर एक बार तो मैं आने का कारण ही भूल गया फिर खुद को संभालते हुए मैं उसे गुड म्प्र्निंग विश करता हुआ अंदर एंटर हुआ. ममता ने मुझे हग करते हुए किस किया. फिर बैठने को कहा और मेरे लिए कोल्ड ड्रिंक लेकर लॉबी मे मेरे साथ ही आकर बैठ गयी.
“हम सुबह ही आए हैं, सुनील अभी सो रहा है.” फिर थोड़ा ठहर कर बोली “अभी… सुनील ने मुझे बताया जो भी प्रेम ने किया. मैने उनसे फोन पर बात की थी पर वो सुनने को राज़ी ही नही थे उल्टा तुम्हारे साथ रीलेशन को लेकर मुझ पर भड़क उठे”.
अभी- “तो अब क्या करेंगे हम”.
ममता हताश स्वर मे- “काश मैं कुछ कर पाती पर प्रेम तो सुनने को तैयार ही नही हैं बल्कि वो तो मुझे पनिश करने के लिए दूसरी शादी करने को तैयार बैठे हैं.”
मैं सब तरफ से नौम्मीद हो चुका था अब क्या करू समझ नही आ रहा था, मेरे दिमाग़ मे प्रेम की व्यंगया भरी हसी और नेहा का मासूम चेहरा ही घूम रहा था. मैं खुद से बोल उठा, “इस सबकी बहुत बड़ी कीमत चुकाओगे तुम मिस्टर प्रेम. फिर चाहे जो भी रास्ता मुझे अपनाना पड़े.”
तभी सुनील अपने रूम से बाहर आया. “अरे अभी तू कब आया”.
“बस थोड़ी देर पहले” मैने जवाब दिया.
ममता उठ कर किचन मे चली गयी. सुनील ने पास बैठते हुए मुझसे पूछा, “सॉरी भाई पापा वाले मॅटर मे तेरी हेल्प ना कर पाने के लिए, पर देख तो ये भी इतनी बड़ी बात नही है की वो अगर तेरी मॉम के साथ प्यार करे क्योकि अब सब खुलने के बाद तू भी तो जब चाहे उनकी बीबी के साथ सेक्स कर सकता है.”
मैने हिकारत भरी नज़र से उसे देखते हुए कहा, “बिना मर्ज़ी के मजबूर करके सेक्स करने को प्यार नही रेप कहते हैं”.
सुनील- “सॉरी यार अगर तुझे बुरा लगा तो, मैं तो तेरा मूड सही करने को बोला था. बाकी जो तू चाहे, जैसे चाहे मैं तेरी हर हेल्प करने को तैयार हूँ.”
मैं कुछ सोचते हुए बोला “वक़्त आने पर ज़रूर आजमाउन्गा” अब मैं किसी पर भी यकीन तक नही कर पा रहा था. फिर मैं किसी ज़रूरी काम का बहाना बना कर वहाँ से निकल आया.
सारे रास्ते बंद थे, कुछ समझ मे नही आ रहा था क्या करू. छोटी छोटी बातो पर गुस्सा करने लग गया था, मॉम भी मुझे टेन्षन मे देखकर समझाती रहती थी. ऐसे ही एक दिन मैं बिना लंच किए अपने रूम मे लेटा हुआ हालातों के बारे मे सोच रहा था की तभी मॉम आई.
और बोली “अभी, इस तरह टेन्षन और गुस्से से तुम अपनी परेशानी बढ़ा रहे हो, ठंडे दिमाग़ से काम लो बेटा… और अगर हालत बदल नही सकते तो उनके हिसाब से अपना रुख़ ऐसे बदलने की कोशिश करो की उनसे तुम्हे नुकसान कम हो और फ़ायदा ज़्यादा.”
तभी मेरे मोबाइल पर नेहा का फोन आया, फॉर्मल बातों के बाद नेहा ने भी मुझे समझाया की मैं ज़्यादा टेन्षन ना लू.
नेहा- “अभी मैं तुम्हे इतने दर्द मे नही देख सकती”.
अभी- “मैं क्या करू कोई रास्ता ही नही निकल रहा”.
नेहा- “अगर तुम बुरा ना मानो तो एक रास्ता बताऊ, जिससे हम ना सिर्फ़ हालत का फ़ायदा उठा सकते हैं बल्कि अपना बदला भी ले सकते हैं.”
अभी- “वो कैसे”.
नेहा- “अगर हम मान जाए जो वो चाहता है उसके बाद”.
उसकी बात काटते हुए अभी बोला, “पागल हो गइ हो क्या”.
नेहा- “पहले सुनो तो.…”
अभी- “नही मैं इतनी बड़ी कीमत नही चुका सकता”.
नेहा- “कोई और रास्ता है तुम्हारे पास. सोचकर बताना मुझे, अभी फोन रखती हूँ बाइ आंड लव यूं”.
अभी- “आई लव यूं टू”.
मैं बैठकर मॉम और नेहा की बातो पर सोचने लगा. मुझे ऐसे गुमसूँम सा बैठा देखकर मॉम फिर मेरे पास आई और पूछा क्या हुआ, मैने उन्हे नेहा के साथ हुई पूरी बात बताई. थोड़ी देर सोच कर उन्होने भी हा कर दी. वैसे भी मेरे पास सिवाय अपनी किस्मत और सो कॉल्ड चुदाई के टॅलेंट के अलावा कुछ नही था जिससे मैं प्रेम अंकल से जीत पाता. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उपर से डॅड की भी जिंदगी और फॅमिली के फ्यूचर का सवाल था. आख़िर मैने आगे बढ़ने की सोची. अगले दिन मैं सुनील के साथ अड्मिशन के लिए कॉलेज गया, जो की आराम से हो गया था. फिर हम साथ ही कॉलेज के सामने एक केफे मे आकर बैठ गये.
सुनील- “अभी तुझे मॉम याद कर रही थी, उस दिन भी तू घर से ऐसे ही निकल आया.”
सुनील थोड़ा रुक कर फिर बोला, “देख यार जो भी हो रहा है तू या मैं रोक तो नही सकते तो इसे भी अपने गेम का पार्ट बना लेते हैं और एंजाय करते हैं.”
अभी ने ठंडे स्वर मे जवाब दिया “शायद तू सही कह रहा है”.
सुनील चहकते हुए बोला, “तो फिर कब है नेक्स्ट सीन, आई मीन जो हमने स्वाप प्लान किया था”.
मैने कॉफी का घूँट पीते हुए जवाब दिया, “मॉम से बात करके बताता हूँ.”
घर आकर मैने मॉम को सब बताया, उनकी सहमति मिलने के बाद मैं सुनील से अगले दिन ममता को लेकर आने के लिए बोल दिया. नेक्स्ट दे मॉम ने जल्दी काम निपटा कर झरना को छुट्टी दे दी और बढ़िया से तैयार होके आ गयी.
तभी डोरबेल बजी, मैने मॉम की आँखों मे देखा जैसे पूछ रहा था, आर यूं श्योर अबाउट दिस. उनके इशारे पर जाके मैने दरवाजा खोला, बाहर सुनील और ममता आ पहुचे थे. अंदर आते ही दोनो को मैने बारी बारी हग किया और ममता को किस भी किया.
मॉम भी ममता को टाइट्ली हग करते हुए बोली, “ओहो अभी, तेरी माल तो सच जन्नत की परी है…ममता बहन, सच मैं भी मर्द होती तो जिंदगी भर तुझे चोदती चाटती रहती.”
ममता अपनी तारीफ सुनकर शर्मा गयी. मॉम ने उन्हे बिठाया और हमे बाते करता छोड़ कोल्ड ड्रिंक लेने चली गयी. मॉम के जाते ही मैने ममता को अपनी और खींचा और उसके होंठो को चूसने लगा. वही सोफे पर लिटाते हुए मैने ममता का ब्लाउस खोल दिया और फिर उसकी साड़ी और पेटिकोट उतार कर उसको नंगा कर दिया.
“सुनील, तेरी मा को मालूम है की मुझे क्या पसंद है, देख कितनी चिकनी चूत है…”
मैने उसकी टांगे फैला कर चुसाइ स्टार्ट कर दी.
“उफ़फ्फ़ अभी, तेरे साथ चुदाई के बाद मैने प्रेम को एक बार भी चोदने नही दिया, उफ़फ्फ़ तूने मुझे पागल कर दिया है…”
ममता कोहनियो के बल खुद को पीछे की और टिकाते हुए अपनी कमर उचका कर अपनी चूत चटवा रही थी. सुनील मुस्कुराता हुआ सब देख रहा था… तभी मॉम ड्रिंक्स लेकर आई और मुस्कराते हुए सब देख रही थी.
ममता- “सुनील, तू खाली अपनी मा को नंगा देखता रहेगा की अभी की मॉम को भी रगड़ेगा….देखा कितनी मस्त गान्ड है उसकी, मुझसे भी अच्छी …”
ममता सुनील को उकसाते हुए बोली “बेटा, ऐसी मस्त चुतड़ वाली औरतो को चोदने का एक अपना ही मज़ा है, बहुत दम होता है ऐसी औरतो मे… रात दिन चुदवाएगी तो भी नही थकेगी….” और मस्ती मे अपनी गान्ड उठा कर सिसकने लगी… “उफ़फ्फ़ अभी, ऐसा प्रेम ने कभी नही किया और ना सुनील को ही एसा मस्त करना आता है…आहह….गुड….वेरी नाइस…”
मॉम “बेटा, गेस्ट को शरबत पीने दो फिर मज़ा लेना… मैने लंच भी रेडी कर दिया है, लंच हम 1.30 को लेंगे, तेरे पापा के साथ…”
मैने मूह ममता की चूत से हटाया पर दो उंगली डाल के हल्के हल्के कुरेदने लगा और दूसरे हाथ से शरबत का ग्लास उठा कर ममता को दिया. और सुनील को बैठा देख कर बोला “सुनील, जल्दी से पी ले और अगर तुझे शरम आ रही है तो मेरी मा को लेकर बेड रूम मे जा और चोद कुतिया को……”
सभी शरबत पी रहे थे, मेरी बात सुनकर ममता बोली, “नही, कोई कहीं नही जाएगा, हम एक ही बेड पर, एक ही रूम मे मस्ती लेंगे..”
ममता वाज़ बिंदास आंड स्लूटी और सुनील जो पहले भी मेरे सामने अपनी मा को चोद चुका था चुपचाप शरबत पीता रहा… मैने मॉम की ओर देखा और आँख मार कर स्टार्ट करने को बोला. मुझे पता था मॉम को कैसे एग्ज़ाइट करना है.
अभी- “क्या कुतिया, तू अबतक ऐसे ही बैठी है, देख ये कुत्ता कितना भूखा है, कुच्छ खिला पिला उसे..”
ममता ये सुन कर ज़ोर से हँस पड़ी. आई वाज़ फिंगरिंग हर….“वाह अभी, सच तू बहुत मस्त है, तू मेरा बेटा होता और मुझे कुतिया बोलता तो मैं घर मे सबके सामने नंगी रहती…. तू मुझे भी कुतिया बोल…”
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आफ्टर झरना आंड माइ मदर, ममता तीसरी औरत थी जो इस तरह के लूज टॉक से एग्ज़ाइटेड हो रही थी, पर शायद सुनील को ये पसंद नही आया. वो बोला, “मॉम, ये कितना गंदा वर्ड है, कुतिया बोलना औरत के लिए सबसे बड़ी गाली है, अभी तू भी किसी को कुतिया मत बोल….”
पर ममता मुस्कराते हुए मेरा सिर अपनी चूत पर टिका कर बोली, “अभी, तू इस कुतिया की गर्मी ठंडा कर और सुनील अब अगर तू मुझे घर मे कुतिया नही बोलेगा तो कभी चुचि भी नही दिखाउन्गी …जा देख क्या रहा है…तू भी इस कुतिया (माइ मदर) को ठंडा नही करेगा तो मेरे बाद अभी को ही डबल शिफ्ट मेहनत करनी पड़ेगी”.
ये सुनकर मॉम सुनील के पास से उठकर ममता के पीछे आकर उसकी चुचिया अपने हाथो मे भर ली, और बोली, “ कुतिया, लगता है तू बहुत कुत्तों से मरवाती है… बहुत मस्त चुचि है…”
ममता अपने चूतड़ हिलाते हुए बोली- “नही यार, अभी के पहले सिर्फ़ 2 ही कुत्तों ने चाटा था, एक प्रेम ने एक मेरे टीचर ने, लेकिन वो मादरचोद सिर्फ़ चुदाई करता था, ठीक से चुचि भी नही मसलता था.. लेकिन बेटीचोद टीचर का लौडा बहुत बड़ा था… साला बहुत देर तक चोदता था… साले ने 2 साल तक चोदा और तब उसी ने अपने एक रिश्तेदार (प्रेम) से शादी कराई…लेकिन मैने शादी के बाद उस से कभी नही चुदवाया… 19 साल तक प्रेम ने चोदा इस कुतिया को और उस दिन पहले अभी और फिर इस सुनील ने चोदा”.
मैने देखा सुनील ने मॉम के पीछे से आकर उनकी बॉडी पर यहाँ वहाँ हाथ फिराना शुरू कर दिया.
ममता- “मंजू, तेरे इस कुत्ते अभी का लंड है तो प्रेम के जैसा, उस टीचर के लंड से छोटा और थोड़ा पतला भी लेकिन बहुत मज़ा दिया इस मादर चोद कुत्ते ने… तुझे कितनो ने चोदा…”
मॉम ममता के साथ छेड़खानी करती रही और सुनील ने मॉम के कपड़े उतार दिए और लास्ट मे अपने भी. उसका लंड भी मेरी तरह फटने को तैयार हाल मे था पर मैं चोदने की जल्दिबाजी मे नही था.
मॉम- “मैं तो सुहाग रात तक कुँवारी थी… लेकिन शादी के 5-6 रात के बाद ही घर के एक नौकर ने मुझे धोके से चोद लिया और उस के बाद अगले 7 साल तक चोदता रहा, फिर जब एक दिन वो मेरी कमसिन बेटी की चुचि मसल रहा था मैने उसे घर से बाहर निकाल दिया और अब 12-13 सालो से सिर्फ़ अभी के पापा ही चोद रहे है….”
ये तो मेरे लिए भी शॉकिंग न्यूज़ थी. मुझे याद था वो नौकर. कही उसने नेहा को भी तो नही चोद रक्खा मैं सोचने लगा… ममता ने ये पूछ भी लिया.
“नौकर ने तेरी बेटी को चोदा भी होगा…”
अपनी चुचिया चूस्ते हुए सुनील के बालो मे हाथ फिराती हुई मॉम ने जवाब दिया “नही, मेरी बेटी उस समय छोटी थी, हा शायद लौडा सहलवाया हो या चूसाया हो…”
सुनील बहुत बेचैन हो रहा था. “आंटी, बेड पर चलो… चोदूगा…”
तभी ममता बोली “तेरे बेटे, इस कुत्ते अभी ने कैसे चोदा अपनी कुतिया मा को.. ये बता”.
तो मॉम सब बताते हुए ममता से बोली “ममता, तेरी खूबसूरती और जवानी ने मेरे बेटे को बर्बाद कर दिया…उस रात तुम्हे चोद कर आया और घर मे सब थे, फिर भी हरामी चुचि और चूत को दबाता रहा, 2 रात अपने हज़्बेंड के बगल मे थी, फिर भी कुत्ते ने मुझे नंगा किया, लौडा लिप्स पर रगड़ा.. और उसके अगली रात मैं खुद ही बेटे के लौडा पर बैठ कर कुतिया बन गई…”
मॉम ने झरना के बारे मे कुछ नही बताया.
“कोई बात नही, सुनील ने भी अभी के सामने ही मुझे, अपनी मा को चोदा है और कुतिया बनाया है…”
दोनो रंडियो की तरह बाते कर रही थी पर सुनील से अब कंट्रोल नही हो रहा था मॉम के चुतड़ों मे अपना लंड रगड़ते हुए वो बोला, “साली, तुम दोनो सिर्फ़ बाते ही करती रहोगी के चोदने भी दोगी…चल बेड पर, मुझे बर्दास्त नही हो रहा है…”
उन्हे खड़ा होते हुए देख कर ममता बोली “चल अभी , हम भी देखे तेरी कुतिया कैसे चुदवाती है…” और हम भी खड़े होकर मॉम और सुनील के साथ बेडरूम मे आ गये. मेरा लंड मुट्ठी मे जकड़ते हुए वो बोली “राजा, आज तो तेरा लौडा बहुत ही ज़्यादा टाइट है…”
मैं मुस्कुरा कर आँख मारते हुए बोला, “रानी, तेरे बारे मे सोचते ही लौडा आइरन रोड जैसा टाइट और गरम हो जाता है… चल कुतिया , मुझे खुश कर..”
दोनो बेड पर अगल बगल लेट गयी, मैने दोनो नंगी हसीनाओ पर नज़र डाली. कहने की जरूरत नही ममता हुस्न और खूबसूरती क मामले मे मॉम से 21 नही 22 ही होगी…
“सुनील, तू बहुत बड़ा बेबकूफ़ है…” मैं बोला.
वो मेरी मॉम की चूत मे अपना लॉडा डालते हुए मेरी और देखने लगा “क्यो, कैसे?”
मैने ममता को स्मूच करते हुए अपना लॉडा उसकी बुर में पेल दिया तो वो आ भरते हुए बोली, “आह अभी मज़ा आ गया… और एसे ही मार…” उसकी चुचि मसलते हुए मैं सुनील से बोला, “ देख, तूने किस के बदले इतना बढ़िया माल मुझे दे दिया…जितना मस्त तेरी मा का फिगर है, खूबसूरती है उतना ही मस्त तेरी इस कुतिया मा की चूत है…”
सुनील मुस्कराते हुए मुझसे बोला, “अभी, बुद्धू मैं नही तुम हो….मेरी मॉम सिर्फ़ देखने मे खूबसूरत है, लेकिन तेरी मॉम जैसी गर्मी, मस्ती मेरी मॉम मे नही है..तेरी मा की चूत भी मेरी मॉम की चूत से ज़्यादा टाइट, गरम और रसीली है…”लगातार धक्के मारता वो बोला “जा अब मैं तेरी माल ममता को कभी नही चोदूगा, मुझे जब भी चुदाई का मॅन करेगा तेरे घर आकर तेरी मा को ही चोदूगा …उफ़फ्फ़ एसा मज़ा तेरी रंडी ( हिज़ मदर) को चोदने मे नही आया था…अब पता लगा डॅड क्यू नही माने होंगे”.
फिर और तेज़ झटके लगाता हुआ मॉम से बोला, “ आंटी, मैं जब आउन्गा , बिना ममता के तब भी आप चोदने दोगी ना…”
ही एनक्वाइयर्ड वेदर माइ मदर विल फक वित हिम इफ़ ही कम अलोन विदाउट हिज़ मदर.
अपनी टांगे उसके कंधो पे टिकाए हुए वो बोली “देख बेटा, तूने मुझे चोद लिया है…आज अगर खुश कर देगा तो तू जब आएगा चुदवाउन्गी और साथ मे एक जवान लड़की का भी मज़ा दिलवाउन्गी..बहुत मस्त माल है वो कुछ ही टाइम पहले उसकी शादी हुई है…”
मैं मॉम की बात सुनकर मुस्कुरा उठा. मैने ममता की बुर में पिलाई करते हुए सुनील की और देखा तो लगा की वो बस झड़ने वाला है.
मॉम- “बस सुनील, थोड़ी देर और…. यस, हार्ड, फास्ट.. फास्टर.. यस.. लाइक तट…. गुड..वेरी गुड….”
सुनील- “ओह्ह्ह्ह आंटी… आह… इट इज… सो गुड… सो.. नाइस…. आप तो मुझसे शादी कर लो, बी माइ वाइफ…. यस… आहह….”
मॉम- “सुनील… हार्ड.. हार्ड…. आहह… ऑओह्ह्ह्ह. आई.. आम… ओवर..”
“यस आंटी… थॅंक यूं… आई एम कूल्ड…”
मैने मॉम का बदन अकड़ता जा रहा था थोड़ी देर ऐसे ही आकड़े रहने के बाद फिर अचानक ढीला पड़ गया. सुनील भी पस्त होकर मॉम की चुचियो पर सिर रखे ही ढेर हो गया. मैं चूँकि उनके आने से पहले एक सेक्स पवर बढ़ाने वाली टॅबलेट ले चुका था और सेक्स भी तसल्ली से कर रहा था इसलिए मेरा अभी टाइम लगना था, मैं लगभग 45 मीं तक लगातार चुदाई करता रहा और इस बीच ममता 3 बार झड़ी. फिलहाल मैं उसे घोड़ी बनाकर पीछे से पेल रहा था.
“ह.. अभी….गुड, वेरी नाइस, डीप इनसाइड, और ज़ोर से… और अंदर….” ममता उँची आवाज़ मे चिल्ला रही थी. मॉम मुस्कराते हुए हमे ही देख रही थी.
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“यस अभी, यूं आर बेस्ट, बेटर देन देट सर आंड प्रेम… यस.. कीप प्रेस्सिंग.. हार्ड, डीप, डीप इनसाइड.. यस… और अंदर… आहह…” ममता कंटिन्यूड “यस अभी, आई वॉंट मोर, लॉंगर, कीप पंपिंग… मेक मी मदर ऑफ युवर सन… आई एम युवर बिच.. तेरी रंडी हूँ मैं… चोद मुझे.. फाड़ दे आज मेरी बुर… ह…”
इधर मा अब उनके उपर पड़े हुए सुनील की पीठ सहलाते हुए बोली “सुनील बेटा, मेरे उपर उल्टा घूम जाओ, लौडा चूस दूँगी तो फिर तुरंत टाइट हो जाएगा…एक बार और चाहिए….. मज़ा आया.. बहुत मज़ा दिया….”
मॉम एक राउंड और चाहती थी पर सुनील तका हुआ था इसलिए मॉम ने उसे सीधा बेड पर लिटा दिया और खुद घूमकर उसके उपर 69 वाली पोज़िशन मे आ गयी. मॉम उसके लंड को मूह मे भर कर चूसने लगी. सुनील भी जैसे मॉम की चूत को चबा ही रहा था, थोड़ी ही देर मे सुनील फिर से फुल हार्ड था. मॉम ने खुद घूम कर उसके लंड पर अपनी चूत टिका दी और अंदर लेकर उस पर कूदने लगी.
सुनील- “ओह्ह्ह्ह आंटी बहुत मज़ा आ रहा है….”
वो अपना सेकेंड राउंड एंजाय कर रहे थे और अब मैं भी झड़ने के करीब था सो मेरे धक्के भी तेज होते जा रहे थे.
ममता- “उफ़फ्फ़ अभी, यूं आर किल्लिंग मी… मेरी चूत फाड़ दी तूने कुत्ते.उफ़फ्फ़… इट वॉंट जस्ट युवर कॉक, युवर कॉक हॅज़ फिटेड सो वेल… आअहह….”
ममता- “बस अभी आई एम कमिंग अगेन… आहह….”
उधर मॉम और सुनील ने फिर पोज़िशन्स बदल ली थी , मॉम- “यस सुनील.. फास्ट, हार्ड, वेरी फास्ट… फ्यू मिनिट्स मोर.. यस, यस….”
और बस लगभग एक साथ ही हम चारो झड़ के बेड पर ही गिर गये. सबसे पहले मॉम ने खुद को संभाला और कहा, “सा एक हो गया है अभी के पापा आते ही होंगे, उठ कर सब कपड़े पहन लो.”
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