Unsatisfied Wife Riding
मेरा नाम है रुपाली है, मेरी उम्र अठाईस साल है, मैं एक बहुत रईस परिवार की बहू हूँ। अपने शौक पूरे करने के लिए पैसे के पीछे मैंने अपनी खूबसूरती का स्कूल से लेकर अब तक जम कर इस्तेमाल किया। हम तीन बहनें ही हैं, पिता जी ने माँ की मौत के बाद अपने से कहीं कम उम्र की छोकरी से शादी करके हमें सौतेली माँ उपहार में दी। Unsatisfied Wife Riding
शुरु में बहुत बुरा लगा लेकिन फिर उससे हम तीनों की पटने लगी। उसकी उम्र चौंतीस की है और उसके कई यार हैं। पिता की गैर-मौजूदगी में वो न जाने कितने मर्दों के नीचे लेट जाती थी। उसके ही एक आशिक ने मेरी सबसे बड़ी बहन को फंसा लिया और उनकी यारी परवान चढ़ने लगी।
माँ की मौजूदगी में ही वो अपने आशिक को घर बुलवा के चुदवाती। उसके अलावा भी उसके कई आशिक थे। दूसरी बहन का भी ऐसा ही हाल हुआ। और फिर मेरे सोलहवां पार करते ही मेरे छोटे-छोटे नीम्बू रसीले आम बन गए और मेरे कदम बहकने में देर ना लगी और मेरा टाँका भी एक लड़के से फिट हो गया।
इसी बीच जब पापा को माँ के लक्षण मालूम हए तो यही सोच-सोच मेरे पापा डिप्रेस रहने लगे और फिर हर्ट-अटैक से उनकी मौत हो गई। देखते ही देखते मैं एक रांड बन गई। स्कूल, कॉलेज में मेरी पहचान एक बेहद चालू माल की बन गई। कई लडकों अथवा मर्दों ने मेरा रसपान किया।
तभी अशोक मेरी जिंदगी में आया। वो बहुत बड़ा बिज़नस-मैन था। उसने जिस दिन से मुझे कॉलेज जाते रास्ते में देखा वो मुझ पे लट्टू हो गया और मेरे को एक दिन उसने अपनी चमचमाती कार में बिठा ही लिया और मुझ से हां करवा कर दम लिया। वो बहुत पैसा मेरे ऊपर लुटाने लगा और मेरे भी शौंक पूरे होने लगे।
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वो मुझसे आठ साल बड़ा था, लेकिन मैं सिर्फ उसकी महंगी कारों उसके आलीशान बंगले और पैसा देख रही थी। आखिर में मैं उसकी दुल्हन बनकर उसके आलीशान बंगले की मालकिन बन गई। नौकर चाकर, सब मिल गया लेकिन जैसे दिन बीतने लगे वो बहुत व्यस्त हो गया, बिज़नस इतना फैला लिया तो मुझे कम समय देने लगा।
वैसे भी अब उसके लौड़े में दम नहीं रहा जो मेरे जैसी रांड को ठंडी कर दे ! मैंने भी अपने पर काफी काबू रखा लेकिन मेरी जवानी ही ऐसी है, मेरा जिस्म ही ऐसा है ! मैं हर रोज़ शाम को सैर करने निकलती थी, घर के नज़दीक ही एक हरा भरा बाग़ था।
एक रोज़ मैं बाग में सैर कर रही थी कि मुझे कुछ आवाजें सुनाई पड़ी। मैं आवाज़ की ओर बड़ी छुप के देख एक हट्टा कट्टा बंदा एक लड़के से अपना लौदा चुसवा रहा था, वो लड़का शायद गांडू था और वो लड़की से बेहतर लौड़ा चूस रहा था।
लेकिन जिस लौड़े को वो चूस रहा था वो बहुत बहुत बड़ा था, वो बंदा कोई प्रवासी मजदूर था जिसका लौड़ा बहुत बड़ा था। फिर उसने उसकी गांड मारने की लाख कोशिश की लेकिन दर्द की वजह से वो लड़का चुद नहीं पा रहा था। सच में मैंने पहली बार इतना बड़ा लौड़ा देखा था। मैंने इन्टरनेट पर कई लौड़े देखे लेकिन आज हकीकत सामने थी। “Unsatisfied Wife Riding”
उस लड़के ने उसका चूस चूस कर पानी निकलवा दिया। मेरी चूत भी फड़कने लगी। आखिर कितने देर से प्यासी थी। मैं वहां से चली आई। वो लड़का अब हर रोज़ वहाँ आता और उल्टा उस बन्दे को पैसा देता था उसके लौड़े से खेलने के लिए !
अब मुझ से भी रहा नहीं जा रहा था, अगले दिन मैंने कुछ न कुछ करने की मन में धार ही ली लेकिन मुझे यह भी डर था उस बाग़ से पुलिस चौकी दो किलोमीटर की दूरी पर थी। अगले दिन मैं गहरे गले का थोड़ा पारदर्शी सूट और सेक्सी ब्रा-पेंटी पहन कर गई। “Unsatisfied Wife Riding”
वो लड़का वहीं इंतज़ार कर रहा था। वो बंदा वहां पहुंचा और वो लड़का गांडू उससे चिपक गया मानो एक प्यासी औरत ! मैं हैरान थी। उसने पल में उसकी लुंगी एक तरफ़ कर उसका लौड़ा मुँह में ले लिया। बंदा आंखें बंद कर चुसवा रहा था।
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मैंने एक छोटा पत्थर उठा कर वहीं पड़े सूखे पत्तों पर फेंका। दोनों एक दम सीधे हो गए। मैंने एक पत्थर और फेंका तो वो लड़का भाग़ गया। लेकिन बंदा वहीं था उसको क्या फर्क पड़ता ! उसकी कौन सी इज्जत लुटती ! मजदूर था, वहीं बन रहे मकानों का चौंकीदार होगा !
मैं उसकी और बढ़ी, वो वहीं खड़ा अपना हथियार हिला कर मुठ मार रहा था। मुझे देख वो चौंक गया और जल्दी से अपनी लुंगी सीधी कर ली। लेकिन मेरे चेहरे पर मुस्कराहट देख थोड़ा समझ गया। लेकिन डर रहा था, वो चलने लगा। मैंने उसके पास जाकर पीछे से उसकी लुंगी खींच दी। वो हड़बड़ा कर मुड़ा ! “Unsatisfied Wife Riding”
कहाँ जा रहे हो? लड़के की लेने में ज्यादा स्वाद मिलता है क्या तुझे ?
जी ! जी ! घबरा सा गया !
इतना बड़ा लौड़ा है, क्यूँ लड़कों पर बर्बाद करते हो ?
क्या करें मेम साब, वो पैसे देता है और ऊपर से मज़े ! हम मजदूरी करने वाले इंसान हैं एक एक पैसा कीमती है !
अच्छा ! मैं आगे बढ़ी और उसकी लुंगी उतार कर वहीं बिछा कर खुद घुटनों के बल बैठ उसका लौड़ा सहलाने लगी।
क्या लौड़ा था ! बहुत ज्यादा बड़ा मोटा ! अब तक का मेरा सबसे मोटा लौड़ा था !
ऐसी चीज़ों को जाया नहीं करते राजा ! बन के रहो, मैं तुझे काम दूंगी ! यह ले कार्ड, कल आ जाना !
कह मैंने मुँह में लिया और चूसने लगी।
अह अह … वाह ! क्या मैं सपना देख रहा हूँ मैडम ?
सच में प्यासी के पास कुँआ आया था। मैं दीवानी हो गई उसके लौड़े की ! वो मस्त था, वो मुझे बाँहों में लेकर मेरे टॉप में छुपे मेरे मम्मों को दबाने लगा। उसके सख्त हाथ एक मर्द का एहसास साफ़-साफ़ करवा रहे थे। वो मेरी जांघें सहलाने लगा, साथ ही मेरे गोरे गोरे मक्खन जैसे पट्ट चूम रहा था।
हाय मेरे साईं ! और चाट ! और दबा ! खा जा !
बोला- मैडम, यहीं बग़ल में ही एक सरदार की कोठी बन रही है, वहीं दिन में काम करता हूँ, रात को चौकीदारी ! वहीं चलो !
उसने एक कमरे में अपना बिस्तर नीचे बिछा रखा था। मैं अपने आप अपने कपड़े उतार उसके पास बैठ गई और उसको नंगा कर चिपक गई। अब बिना डर हम एक होने जा रहे थे। वो मेरा दूध पीने लगा ! वाह मेरे शेर ! चढ़ जा मेरे ऊपर ! रौंद दे मुझे ! उसने मेरी टाँगे फैला ली और बीच में बैठ गया। “Unsatisfied Wife Riding”
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डालने से पहले फिर से थोड़ी देर मुँह में देकर गीला करवाया और फिर उतार दिया मेरी चूत के अन्दर ! लग रहा था कि आज मेरी सुहागरात है, चीरता हुआ लौड़ा देखते ही देखते पूरा मेरी चूत में था। दर्द तो हो रहा था लेकिन जल्दी ही मज़ा आने लगा और हम दोनों एक दूसरे में समां गए। मानो आज मुझे तृप्ति मिल गई हो ! कई तरह से मुझे पेला उसने मुझे ! उसका था कि बहुत मुश्किल से झड़ा। उसने तो मेरी चूत फाड़ दी। जब मैं कपड़े पहन रही थी तो वो लेटा हुआ अपनी मर्दानगी पर मूछें खड़ी कर मुझे घूर रहा था।
तभी उसके दो साथी मजदूर भी अपने अपने काम से वापिस आ गए। तब तक मैंने सिर्फ टॉप पहना था, पेंटी डाली थी। दोनों मेरे करीब आये और फिर अपने दोस्त को देखा। उसने न जाने क्या इशारा किया कि दोनों मेरे जिस्म के करीब आकर एक मेरी जांघ और दूसरा मेरे मम्मे सहलाने लगा। लेकिन मुझे जल्दी थी मैंने उन्हें अगले दिन आने का वादा किया। आते आते मुझ से रुका नहीं गया और दोनों के पास गई और उनकी लुंगी उठा कर उनके लौड़े देखे- क्या लौड़े थे ! हाय मोरी मईया ! कल आउंगी !