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एक हिस्ट्रीशीटर की रांड बनी मैं

सितम्बर 23, 2022 by hamari

Nashili Aurat Chudai XXX

आज मैं आपको अपनी स्टोरी सूना रही हूँ। मैं उम्मीद करती हूँ कि यह कहानी सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी। ये मेरी जिन्दगी में घटी एक सच्ची घटना है। मेरे पति राजू की दोस्ती एक बदमाश आदमी से थी। उसका नाम विकाश भाई था। वो कानपूर देहात में एक हिस्ट्रीशीटर था। Nashili Aurat Chudai XXX

उसके नाम पर तमाम मामले दर्ज थे। कुल ६० केस उस पर दर्ज थे और रोज उसकी कोर्ट में पेशी पड़ती थी। लोगो के कत्ल, लूटमार, बड़े बड़े व्यापारियों के बच्चों को किडनैप करके फिरौती वसूलना, रेप, राहजनी और कई तरह के केस विकाश भाई पर दर्ज थे। वो एक गैंगेस्टर था और धीरे धीरे उसका आतंक कानपुर में बढ़ता ही गया।

सब लोग उससे बहुत डरते थे। वो मेरे पति का बचपन का दोस्त था। इसलिए मेरे घर उसका आना जाना लगा रहता था। जब मैंने पहली बार विकाश भाई को देखा था मैं बहुत खौफ खा गयी थी। देखने में वो बहुत मोटा ताजा था और उसकी आँखें हमेशा लाल रहती थी।

मेरे पति उसके साथ बैठकर शराब पीते थे। धीरे धीरे वो मुझे अच्छा लगने लगा। विकाश भाई मुझे भाभी भाभी कहकर बुलाने लगा। वो आये दिन किसी सा किसी को लूट लेता था और मेरे लिए कभी पायल, कभी सोने के झाले और तरह तरह के गिफ्ट ले आता था।

मुझे कायदे से उससे वो सब गहने नही लेने चाहिए थे पर मुझे सोने चांदी के गहने बहुत पसंद थे और मेरे पति मेरे लिए कुछ बनवा भी नही पाते थे। इसलिए विकाश भाई मुझे जो भी देता था मैं ले लेती थी। धीरे धीरे मुझे वो अच्छा लगने लगा।

अब मेरे पति जब रात में मुझे नंगा करके मेरी चूत मारते थे तो मुझे लगता था की विकाश भाई ही मुझे चोद रहा है। एक दिन जब शाम को २ बोतल शराब लेकर वो मेरे घर आया तो मेरे पति किसी काम से बाहर गये थे।

“भाभी अरे कहां हो???? और राजू कहाँ है???” विकाश भाई बोला.

“वो तो किसी काम से बाहर गये है। आप बैठों!!” मैंने कहा.

विकाश भाई के पीने के लिए मैंने कांच के गिलास ले आई।

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“आओ भाभी आज आप भी पियो। आज मैं आपके लिए अपने हाथ से जाम बनाता हूँ” विकाश भाई बोला और जबरदस्ती मेरे लिए उसने एक लार्ज गिलास बना दिया। बर्फ के टुकड़े डालकर हम दोनों पीने लगे। धीरे धीरे मुझे भी शराब चढ़ गयी थी।

“वैसे भाभी आप हो बहुत सुंदर। कहाँ आप इस १० हजार रुपए कमाने वाले हसंराज के साथ इस छोटी सी खोली में रह रही हो। अरे आप जैसी खूबसूरत औरत को तो कोई बंगले वाला आदमी मिलना चाहिए!!” विकाश भाई बोला। मैं मुस्कारने लगी। धीरे धीरे विकाश भाई मेरे पास आ गया और मेरे हाथ को लेकर चूमने लगा। मैंने कुछ नही कहा। क्यूंकि वो मुझे अच्छा लगता था। मैंने उसे पकड़ लिया और उसके ओठो पर किस करने लगी और चुम्मी देने लगी।

“विकाश भाई आप मेरे लिए कितने गहने लाए। मुझे सोने की जंजीर दी, झुमके दिए, अंगूठी दी। मैं कैसा आपका अहसान उतार पाउगी” मैंने शराब का नशे में झूमते हुए कहा। मैंने एक बड़ा ग्लास शराब पी ली थी।

“भाभी कभी दिल करे तो चूत दे देना। मेरा सारा अहसान इस तरह आप उतार देना” विकाश भाई बोला।

“तो आज ही तुम मुझे चोद लो विकाश भाई!!”मैंने कहा।

दोस्तों आज मेरा भी उस गैंगेस्टर से चुदने का मन था। सीधे साधे आदमियों से मैंने कई बार चुदवाया था, पर किसी कतली, अपराधी गैन्गेंसटर से मैंने आजतक नही चुदाया था। मैं शुरू से ही किसी अपराधी से इश्क लडाना चाहती थी। मुझे अपराधी और खुनी शुरू से ही बहुत अच्छे लगते थे। इसलिए मैं विकाश भाई को पसंद करने लगी थी। और आज उससे खुलकर चुदवाना चाहती थी। मेरा पति भी आज घर में नही था।

“भाभी सच में क्या तुम मेरा लंड खाना चाहती हो???” विकाश भाई शराब का गिलास लेकर लहराते हुए बोला.

“हां भाई आज मेरा तुमसे चुदने का पूरा मन है” मैंने कहा.

उसके बाद दोस्तों हम दोनों से एक एक गिलास शराब और लगा ली। फिर विकाश भाई ने मुझे पकड़ लिया और मेरे होठ चूसने लगा। मैं ३० साल की एक खूबसूरत औरत थी। मेरा चेहरा हल्का लम्बा था। मेरी आँखों में बहुत कशिश थी। मेरा कद ५ फुट था और मेरा फिगर ३८, ३४, ३६ था। मैं भरे हुए जिस्म वाली औरत थी। मुझे चुदाई करने की आदत थी।

कुछ दी देर में मैं भी विकाश भाई को अपने आशिक की तरह प्यार करने लगी और उसने मुझे सीने से लगा लिया। जैसे मैं उसकी कोई औरत या प्रेमिका हूँ। वो मेरे जिस्म की पकड़कर सहलाने लगा। धीरे धीरे उस डॉन और गैगेस्टर विकाश भाई ने मेरी साडी को उतारना शुरू कर दिया। फिर मेरी साड़ी निकाल दी।

अब मैंने उसके सामने सिर्फ पेटीकोट ब्लाउस में आ गयी थी। मेरा जिस्म इकदम भरा हुआ था। मैं जवान, खूबसूरत और सेक्सी माल लग रही थी। कोई भी मर्द अगर मुझे पेटीकोट ब्लाउस में देख लेता तो मुझे चोदने के ख्वाब देखने लग जाता।

विकाश भाई ने मुझे कसके पकड़ लिया और मेरे गुलाबी होठो को चूसने लगा। मुझे भी अच्छा लग रहा था क्यूंकि रोज रोज मैं अपने सीधे साधे आदमी का लंड खा खाकर बोर हो गयी थी। मुझे पूरा विश्वास था की विकाश भाई का लंड कम से कम १०” लम्बा तो होगा ही। क्यूंकि वो ६ फुट का लम्बा चौड़ा मर्द था।

विकाश भाई मेरे होठो को चूस रहा था जैसे मैं उसकी औरत हूँ। मेरी पीठ को ब्लाउस के उपर से वो सहलाए जा रहा था। फिर उसने ब्लाउस के उपर से ही मेरे ३८” के दूध को दबाना शुरू कर दिया। मैं “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी….. ऊँ—ऊँ…ऊँ….” करने लगी।

मेरी भरी हुई चूचियां मेरे गहरे ब्लाउस से किसी नगीने की तरह चमक रही थी। इसलिए विकाश भाई ललचा गया था। वो हाथ से मेरे कबूतरों को दबाने लगा। मैं उत्तेजित हो रही थी। मुझसे चुदास चढ़ रही थी। मेरा सेक्स करने का मन कर रहा था। मैं आज कसके चुदना चाहती थी। विकाश भाई के ताकतवर हाथ मेरे आम को कस कसके निचोड़ रहे थे और दबा रहे थे।

मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मेरे कबूतरों को दबा दबा कर विकाश भाई मेरे होठ पी रहा था। इतना मस्त आलम आजतक नही हुआ था। फिर विकाश भाई ने मुझे सोफे पर लिटा दिया और अपने कपड़े उतारकर नंगा हो गया। मेरे ब्लाउस को वो खोलने लगा तो मेरा कलेजा आज धक धक कर रहा था।

मैं डर रही थी की कहीं मेरा पति राजू घर ना आ जाए और कहीं मुझे विकाश भाई से चुदते हुए ना पकड़ ले। फिर विकाश भाई ने मेरे ब्लाउस निकाल दिया। फिर मेरी ब्रा भी खोल दी। अब मैं नंगी हो गयी थी। मेरे सफ़ेद बड़े बड़े 38” के मम्मो को देखकर विकाश भाई का लौड़ा खड़ा हो गया था।

“ओह्ह्ह्ह भाभी ….उपर वाले से भी आपको क्या मस्त माल बनाया है। आज मैं आपको मजे लेकर कसके चोदूंगा” विकाश भाई बोला.

“प्लीस मुझे आज तुम कसके चोद लो क्यूंकि तुम मुझे बहुत अच्छे लगते है!!” मैंने किसी रंडी की तरह ये कह दिया था।

उसके बाद तो वो डॉन, गैगेस्टर और अपराधी हिस्ट्रीशीटर मेरे उपर कूद पड़ा और मेरे दूध को अपने हाथ से दबाने लगा। मेरी चूचियां बहुत बडी बड़ी और बहुत खूबसूरत थी। विकाश भाई से आजतक कई औरतों की चूत बजाई थी पर मेरे जैसी मस्त माल आजतक उसे चोदने खाने को नही मिली थी।

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वो मेरे उपर लेट गया और मेरे 38” के मम्मो को दबाने लगा। मैं भी “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..” की आवाज के साथ अपने दूध को दबवा रही थी। विकाश भाई मेरी चुचियों की गुलाबी अनार जैसी दिखने वाली निपल्स को अपने हाथ से घुमा रहा था और ऐठ रहा था।

मैं और जादा चुदासी हो रही थी। मेरी चूत का रस निकल रहा था। मैं जल्दी से उसका मोटा लंड खाना चाहती थी। फिर से विकाश भाई मेरी काली काली निपल्स को अपनी ऊँगली से पकड़कर घुमाने लगा और मुझे उतेज्जित करने लगा। फिर मुंह में लेकर मेरे अनार और मुसम्मी को चूसने लगा। मैं पागल हो रही थी।

“आऊ…..आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी..हा हा हा..” की गर्म गर्म आवाजे मेरे मुंह से निकल रही थी। मैं अब गर्म हो रही थी। आज अपने पति के गैगेस्टर दोस्त से मैं चुदने वाली थी। १ घंटे तब वो डॉन और अपराधी मेरी चूचियों को मुंह में लेकर पीता रहा। जाने कौन सा स्वर्ग उसे मिल रहा था।

एक चूची को मुंह में भर लेता फिर दूसरी को मुंह में भर लेता। खूब मजा लिया उसने। मैं भी ऐसा ही चाहती थी की विकाश भाई मुझे गर्म करके चोदे तभी तो चुदाई का फुल मजा आता। फिर उसने मेरे पेटीकोट का नारा खोल दिया और निकाल दिया। मैंने नीली रंग की लेसवाली नई दिसाइन की चड्ढी पहन रखी थी।

विकाश भाई ने वो भी निकाल दी। अब मैं पूरी तरह से नंगी हो गयी थी। बड़ी देर तक विकाश भाई मेरी भरी और गदराई जाँघों को सहलाता रहा। फिर उसने मेरी खूबसूरत चिकनी और गोरी टांगो को खोल दिया। कुछ देर तक वो मेरे पैर की उँगलियों को चूमता रहा। फिर मेरी सुंदर जांघ को वो चूम रहा था। उसे मेरी चूत दिख गयी तो वो जैसे सब कुछ भूल गया था।

“भाभी तुम्हारी चूत तो बहुत खूबसूरत है!!!” वो बोला.

“….तो मुझे जल्दी से चोद लो ना!” मैंने नखड़ा मारते हुए कहा.

उसके बाद विकाश भाई मेरे चूत पर अपना हाथ लगाने लगा और सहलाने लगा। कुछ देर बाद वो पागल हो गया था। मेरी चूत को वो मुंह लगाकर चाटने लगा। मैं आनन्दित महसूस कर रही थी। “आई…..आई….. अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…” इसी तरह की गर्म गर्म आवाजे मेरे मुंह से निकल रही थी।

विकाश भाई मेरी चूत को पी रहा था। उसकी जीभ मेरी चूत पर नाच रही थी। विकाश भाईजल्दी जल्दी मेरी बुर चाटने लगा और मजा लेने लगा। वो किसी चुदासे ठरकी कुत्ते की तरह मेरी योनी को चाट और चूस रहा था। मैं बहुत अजीब लग रहा था। पर हल्का हल्का मजा भी मिल रहा था। “…..ही ही ही ही ही…….अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह….. उ उ उ…” मैं आवाज निकालने लगी।

मेरे चूत के होठ भी पूरी तरह से खुल गये थे और किनारे की तरफ मुड़ गये थे। विकाश भाई मेरी रसीली बुर को जल्दी जल्दी चाट रहा था और मेरे क्लाइटोरिस [चूत के दाने] को भी वो चबा रहा था। मैं पागल हो रही थी। मुझे मजा भी मिल रहा था।

वो मेरे जिस्म के सबसे गर्म और सम्वेदनशील हिस्से को पी रहा था। मुझे कुछ कुछ हो रहा था। ऐसी गर्म गर्म हरकतों से मेरी चूचियां फूल कर और बड़ी बड़ी हो गयी थी। मेरे दूध अब ३८” के हो गये थे। मेरे जिस्म में काम और चुदास की आग लग चुकी थी। आज मैं भी विकाश भाई से कसकर चुदवाना चाहती थी।

उसने मेरी दोनों टाँगे पूरी तरह से खोल दी थी। इसके साथ ही उसने अपनी हाथ की बीच वाली ऊँगली मेरी चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगे। “आऊ….. आऊ…..हमममम अहह्ह्ह्हह….सी सी सी सी.. हा हा हा..” करके मैं तेज तेज चिल्लाने लगी। मैं क्या करती दोस्तों, मेरी चूत में अजीब से सनसनाहट हो रही थी।

विकाश भाई जल्दी जल्दी अपनी मध्यमा से मेरी बुर फेटने लगा। मैं अपनी कमर और पेट उपर उठाने लगी। मेरा गला बार बार सुख रहा था। अजीब हालत थी ये। मेरे तन मन में सनसनाहट हो रही थी। एक तरफ विकाश भाई की ऊँगली, तो दूसरी तरह उनकी जीभ और होठ।

आज मेरा बच पाना मुश्किल ही नही नामुमकिन था। विकाश भाई को जाने क्या मजा मेरी चूत पीने में मिल रहा था, मैं नही समझ पा रही थी। उनकी जीभ मेरे जिस्म के सबसे कोमल और सम्वेदनशील हिस्से से खेल रही थी। ये विचित्र और अलग अहसास था। मेरे चूत के दाने को वो अपने दांत से पकड़ लेते थे और उपर की तरह खीच लेते थे। मैं पागल हो रही थी।

“प्लीससस……प्लीससस.. उ उ उ उ ऊऊऊ…..ऊँ—ऊँ….ऊँ……विकाश भाईजी अब मुझे चोद लो वरना मैं मर जाउंगी!!” मैंने कहा.

आखिर विकाश भाई ने मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया और मुझे चोदने लगा। मैं भी मस्ती से चुदवाने लगी। उसके जल्दी जल्दी चोदने से मेरी बुर के दोनों होठ बार बार खुलते थे और बार बार बंद हो जाते थे। वो मुझे जोर जोर से पेल रहा था। सच में मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

बहुत मजा मिल रहा था। बड़ी नशीली रगड़ थी विकाश भाई की। बहुत सुख मुझे मिल रहा था दोस्तों। मैं “……अई…अई….अई……अई….इसस्स्स्स्स्स्स्स्…….उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” बोल बोलकर चिल्लाए जा रही थी। वो ४० साल का गैगेंस्टर हचर हचर करके मेरे जैसी ३० साल की खूबसूरत औरत को चोद रहा था।

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उसके मोटे से लम्बे लौड़े पर मेरा पूरा शरीर थिरक रहा था और डांस कर रहा था। जैसे लग रहा था वो कोई इंजन मेरी चूत में डाल के चला रहा हो। वो मेरी बुर पर बड़ी मेहनत कर रहा था। वो हच हच करके मुझे चोद रहा था। जैसे वो अपना लौड़ा मेरी बुर में डालता था, लौड़ा हच्च से देता था मैं २ ४ इंच आगे सरक जाती थी। फिर जैसे वो लौड़ा निकलता था मैं २ ४ इंच वापिस पीछे आ जाती थी। वो जोर जोर से हच हच करके मेरी बुर में लौड़ा अंदर बाहर कर रहा था। घंटों यही सिलसिला चला। कुछ देर बाद विकाश भाई का माल मेरी चूत में ही निकल गया।

“क्या भाभी कैसा लगा??? मजा आया?? अब बताओ मेरे लौड़े में दम है की नही???” वो मुझसे हंसकर पूछने लगा। हम दोनों अभी भी शराब के नशे में थे। “सच में विकाश भाई आज तू तुमसे मेरी चूत की धाजियाँ उड़ा दी। आज तुम्हारे जैसे गैगेस्टर से चुदकर मुझे मजा आ गया। अब तुम रोज रात में आकर मेरी चूत मारना!!” मैंने कहा। उसके बाद वो मुझसे किस करने लगा। उसके बाद दोस्तों आज भी विकाश भाई मेरे पति की गैर मौजूदगी में मेरे घर आता है और मेरी चूत कसके मारता है। मेरे पति को हमारे चक्कर के बारे में कुछ नही मालुम है।

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