Nai Dulhan XXX Kahani
मेरा नाम पूजा है मैं उन्नीस साल की हूँ। दोस्तों आप सुन्दर हो तो अच्छे बॉयफ्रेंड मिल सकता है। लोग आपको झांसे में लेने के लिए हमेशा तैयार रहेंगे। आप को चोदने की इच्छा रखेंगे। पर शादी की बात जैसे होगी आपको अपनी औकात के अनुसार ही मिलेगा अगर मैं गरीब हूँ तो गरीब के घर ही जाउंगी। Nai Dulhan XXX Kahani
और अगर परिवार सही नहीं रहा और बिखरा हुआ रहा तो आपकी ज़िंदगी भी बिखरी हुई रहेगी। मेरे पापा पहले ही गुजर गए थे। घर में मैं और मेरी दो छोटी बहन। हमेशा रोटियों के लाले पड़े रहते थे क्यों की माँ एक छोटा सा दूकान चला कर किसी तरह हम लोगों को बड़ा किया।
अब बड़ा होने के बाद शादी के बारे सोचने लगी। फिर शादी के लिए खर्चे नहीं हमलोगों का कोई स्टेटस नहीं कोई मदद करने वाला नहीं। दुखी हो गई थी ज़िंदगी से बस दिन रात यही चर्चा की मेरी शादी मेरी शादी कब होगी।
किसी जानकार ने एक लड़के के बारे में मेरी मम्मी से बताई की घर बहुत अच्छा है। किसी चीज की कमी नहीं है बहुत पैसे वाला है। गाड़ियां है अपना व्यापार है इज्जतदार लोग है। पर लड़का विकलांग है पोलिओ का शिकार है। मम्मी को सब कुछ पसंद आ गया। वो सोची की कभी मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी।
पर मेरी बहन और मेरे कुछ दोस्त बोलने लगे की लड़का ही सब कुछ होता है। धन दौलत का क्या करोगी। पर मेरे लिए कोई रास्ता नहीं था। मुझे भी लगा की मेरे से दो मेरी छोटी बहन है अगर मैं मजबूत रहूंगी तो इन लोगों को भी मदद कर सकुंगी और माँ जो अकेली हो जाएगी उसका भी सहारा बन पाऊँगी।
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और सिर्फ लड़का देख कर शादी कर ली तो खुद ही वो डींगे मारने में लगा रहेगा होगा कुछ भी नहीं बड़ा बनने की बात करता रहेगा। मुझे ऐसा लड़का भी नहीं चाहिए जो गरीब हो या स्ट्रगल कर रहा हो। मैं अपने मम्मी को हां कर दी शादी के लिए।
और फिर मेरी शादी जनवरी में हो गई। दोस्तों शादी बहोत धूमधाम से हुआ वो सब मिला जो मैंने सपने में भी नहीं सोची। बीस तोले सोने महंगी साड़ियां। वो सब जो मेरे पहुच से हमेशा ही दूर थे वो सब चीज। मैं बहुत ही खुश थी मेरी माँ भी और मेरी बहनें भी।
मेरे ससुराल वाले ने मेरी माँ को भी अच्छे खासे पैसे दिए शादी के लिए क्यों की उनलोगों को पता था इनके पास कमी है। वो अपनी शादी अच्छे से करना चाहते थे इसलिए कोई कमी नहीं रहे दोनों साइड से इसलिए दिल खोल कर खर्चे किया।
मेरी डोली ससुराल आ गई। पूरा घर भरा हुआ था मेहमानो से मुझेः ढेर सारी अंगूठियां पैसे जेवर मिले मुँह दिखाई में। शाम हो गई मेरी दोनों ननद ने सुहागरात के लिए कमरे तैयार किये। और मुझे भी सजा कर कमरे में ले गई। मैं गुलाब की पंखुड़ियां पर अपने बेड पर बैठी रही अपने पिया की वाट जोह रही थी।
वो करीब दस बजे आये। वो शराब के नशे में थे। जैसे ही अंदर आये उनकी भाभी कमरे का दरवाजा बंद कर दी वो बैठ गए। वो मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिए। और करीब आ गए मेरे माथे को चूमा। मैं नजरे निचे किये बैठी थी उन्होंने मेरा घूँघट हटा दिए उन्होंने साडी का पिन खोल दिया और मैं बैठी थी ब्लाउज के ऊपर से चूचियां दिख रही थी वो वही देख रहे थे.
अचानक उनका हाथ मेरी ब्लाउज पर पड़ा और हलके साथ से वो मेरी चूचियों को सहलाने लगे। धीरे धीरे मैं लेट गई वो मुझसे चुम्मा मांगनें लगे। मैं हलके से एक किस उनके गाल पर दे दी। उन्होंने अपनी बैसाखी अलग रख दी क्यों की वो बैसाखी के सहारे से ही चलते हैं।
उन्होंने मेरी ब्लाउज को खोला और ब्रा का हुक खोला मेरी गदराई हुई बदन पर दो बड़ी बड़ी चूचियां बाहर निकल गई। वो देखकर हैरान हो गए वो मेरी तारीफ करने लगे तुम कितनी सुन्दर हो। वो मेरे होठ को चूमने लगे। वो मुझे बाहों में भरने लगे।
मैं भी उनको अपनी बाहों में ले ली और चूमने लगी उन्होंने पेटीकोट का नाडा खोल दिया और मेरी पेंटी भी निकाल दी। वो कभी ऊपर कभी निचे कभी ऊपर कभी निचे। कभी चूचियां दबाते कभी मुँह में लेते कभी चूत सहलाते कभी चूत चाटते। करीब एक घंटे तक ऐसे ही करते रहे मैं तब तब बिना चुदे ही तीन बार झड़ चुकी थी।
मैं क्या क्या कहती अपने मुँह से की चोदो। मैं इशारा भी की अब शुरू करते है पर वो शुरू नहीं किये और लेट गए मेरे बगल में। मैं बोली क्या हुआ तो वो बोले बस हो गया। मैं बोली अभी तो कुछ हुआ भी नहीं और आप कह रहे हैं हो गया। तो वो कहने लगे।
मैं इससे ज्यादा तुम्हे कुछ नहीं कर सकता। जैसे मेरे पैर सूखे हैं वैसे ही मेरा लंड भी सूखा था। मेरा लंड खड़ा नहीं होता है। माफ़ करना मुझे। पर मैं तुम्हे एक अच्छी ज़िंदगी दूंगा। और मैं तुम्हे ऐसी ज़िंदगी दूंगा जिसमे कोई रोक टोक नहीं होगा तुम अपने हिसाब से जीना यहाँ तक की तुम चाहो तो सेक्स सम्बन्ध भी किसी से बना सकती हो।
पर मैं तुम्हारी भावना को समझ सकता हूँ चाहे तो आज भी अपनी ज़िंदगी जी सकती हो। मेरे जीजा जी तुम्हारी मदद करेंगे। मैं उनसे पहले ही बात कर चुका हूँ। दोस्तों ये बात उनके मुँह से सुनकर थोड़ा हैरानी हुई पर परेशानी नहीं हुई मेरे पास और कोई चारा नहीं था इसके अलावा।
पूरी ज़िंदगी सुहागरात के अपने देखती आई और आज ऐसे ही निकल जाये तो पूरी ज़िंदगी सोचते ही रहूंगी। की कुछ भी नहीं हुआ उस दिन। जब इनके जीजा जी मुझे देखने आये थे शादी के पहले तो मैं फ़िदा थी उनपर क्यों की बात चित का तरीका इज्जत देना पढ़े लिखे सुलझे हुए इंसान और गोरा सुन्दर चेहरा।
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कोई भी पति के रूप में स्वीकार कर लेगी ऐसी है उनकी पर्सनालिटी। सच पूछिए तो मैं यही सोच रही थी खास मुझे ऐसा लड़का मिलता। पर मेरी पहुंच यहाँ तक नहीं थी तो सोच भी नहीं सकती थी। पर आज मुझे ऐसा लगा की मान लेती हु शादी उनसे ही हुई है।
अब मैं खुश थी चलो पति सक्षम नहीं है पर जीजा जी इनके तो सक्षम है और जब मेरा पति ही बोल रहा था तो ऐसे में क्या सोचना। दोस्तों जीजा जी बगल बाले कमरे में ही थे और उस कमरे का दरवाजा मेरे कमरे से भी था यानी को मेरे कमरे से बगल के कमरे में बिच के दरवाजे से जाया जा सकता है।
तभी मेरे पति दे उनको व्हाट्सप्प पर मेसेज भेजा वो बिच के कमरे से अंदर आ गए। और पति देव उस कमरे में चले गए और दरवाजा उन्होंने बंद कर दिया। अब मैं और जीजाजी जिनको शैलेश जी सबलोग कहते हैं। शैलेश जी बेड पर बैठ गए और मैं भी वही पहले से ही बैठी थी कपडे अस्त व्यस्त थे क्यों की पहले उन्होंने खोल दिया था।
पर किसी तरह पहन कर बैठी थी। वो आकर बोले अगर आप कहेंगे तभी आपसे रिश्ते बनाएंगे। और मैं तो कहता हूँ ज़िंदगी को जिओ और आप भी मजे करो। इतनी धन दौलत है पर एक चीज नहीं है वो मैं आपको दे दूंगा। मैं बोली अब तो कोई चारा भी नहीं है। मेरे पास मैं वापस थोड़े ना जा सकती हूँ अपने घर। आप जैसा समझें ठीक वो करें।
वो मेरे होठ को ऊँगली से छुए और बोले खुश रहिये और अपने पति को खुश रखिये। उनको आपका प्यार चाहिए शरीर नहीं। तभी मैं रो दी और उनके गले लग गई वो मुझे सहलाते रहे और मैं जैसे चुप हुई वो मेरे होठ पर किस कर लिए मैं अपनी आँखे बंद कर ली। वो चूमते रहे और मेरे कपडे खोलते रहे। मैं लेट गई उन्हों सारे कपडे उतार दिए।
उन्होंने अपने सारे कपडे उतार दिए और मुझे अपनी बाहों में ले लिए मेरी सिंदूर मेरी काजल फ़ैल चुका था। वो मेरे जिस्म से खेल रहे थे। मैं भी उनके उँगलियों की छुअन से काँप रही थी होठ दबा रही थी मेरी चुत गीली हो चुकी थी।
मैं चुदना चाह रही थी क्यों की एक रात में दो बार गरम हो चुकी थी। पहले तो प्यासी ही रह गई थी पर इस बार मुझे जम कर लौड़ा चाहिए थे। मैं उनके लौड़े को पकड़ ली और अपने चूत में रगड़ दी। बोली वो पहले ही छेड़ कर चले गए हैं। अब आप मेरी आग बुझा दीजिये जो आग उन्होंने मेरे जिस्म में लगाई है।
वो मेरी चूचियों को दबा रहे थे पी रहे थे निप्पल को मसल रहे थे। और मेरी चुत में ऊँगली कर रहे थे मैं सिसक रही थी सिसकारियां निकल रही थी। पागल हो रही थी खुद ही अपनी चूचियां दबाती तो कभी चुत में ऊँगली करती।
दोस्तों अब वो अपना लौड़ा मेरी चुत पर लगाए और मुझे कस के पकड़ा और जोर से घुसा दिए। इसी वक्त का इंतज़ार था मुझे वर्षों में लाल साडी में रहूं सिंदूर और काजल बिखरा हुआ हो मेरा पति मुझे जम कर चोदे। पर पति नहीं बल्कि और कोई चोद रहा था।
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दोस्तों अब मैं निचे से धक्के देने लगी। मैं उनके छाती को सहलाने लगी। वो मेरे होठ को चूसने लगे। चूत में लंड डालने लगे। मैं अपनी पैरों से उनको बाँध ली वो बिच में मेरे पैरों से बंधे थे और जोर जोर से धक्के दे रहे थे। मेरी तो सिसकारियां निकल रही थी। चुदाई हो रहा था अंगडाइयाँ ले रही थी। मेरे जिस्म के सारे पुर्जे खुल गए थे वासना की आग भड़क गई थी। मुँह खुला का खुला ही रह रहा था कंठ सुख रहे थे होठ लाल हो गए थे। आँखे बंद हो रही थी पुरे शरीर में झांझझानाहट हो रही थी। मैं जोर से पकड़ कर गांड उठा उठा कर चुदवा रही थी।
करीब एक घंटे तक हम दोनों भी सेक्स की नशे में थे और अचानक मेरे शरीर में आंधी आई और मैं उनको दबोच ली वो भी आ आ आ आ करने लगे और एक दम से दोनों शांत हो गए। मेरी चुत में वीर्य भर चुका था। दोनों शांत हो गए थे। अब हिला भी नहीं जा रहा था। हम दोनों ही अलग अलग हो कर सो गए थे आँखे बंद कर के। करीब आधे घंटे बाद दोनों उठे अपने अपने कपडे पहने वो फिर दूसरे कमरे में चले गए मैं अपने पति का इंतज़ार करने लगी।