Havasi Malkin Malish
मैं दिल्ली में रहती हूँ। पति का काफी अच्छा बिजनेस है, बेटा भी अपनी पढ़ाई पूरी करके अपने पापा के साथ ही काम करने लगा है। बेटी अभी छोटी है और कॉलेज में पढ़ती है, जवान है, बहुत खूबसूरत है। बेटे की तो गर्ल फ्रेंड है, मुझे पता है। बेटी का भी कोई न कोई बॉय फ्रेंड ज़रूर होगा, अभी मुझे पता तो नहीं है, पर मुझे शक है कि होगा ज़रूर। Havasi Malkin Malish
मुझे क्यों शक है उसकी भी एक वजह है। मेरे पति एक बहुत तगड़े चोदू हैं। आज तक कोई ऐसी औरत या लड़की नहीं है जो उन्हें पसंद आई हो और उनकी चंगुल से बिना चुदे बच के निकल गई हो, और उनकी सबसे बड़ी ताकत है पैसा। पैसे के दम ही उन्होंने बहुत सी औरतों को अपने बिस्तर पर लेटने को मजबूर कर दिया।
कम मैं भी नहीं हूँ। पति जब बाहर नित नई चूत को चोद रहे हों, तो मैं कैसे बिना मर्द के रह सकती थी। मैंने भी अपनी जवानी को बहुत से लोगों पर लुटाया है। मैंने कभी इस बात की परवाह नहीं की कि जो मेरे ऊपर चढ़ने जा रहा है, वो कौन है। मैंने हर खड़े लंड को अपनी चूत तक आने का खुला निमंत्रण दिया है।
अब जब माँ बाप इतने चुदक्कड़ हों, तो बच्चों पर असर क्यों नहीं पड़ेगा। मुझे याद जब मेरा बेटा 12वीं क्लास में था, तब उसने हमारी काम वाली बाई को चोद दिया था। मुझे तब पता चला जब मैंने उसे एक बार ऐसा करते देख लिया था। मगर मैंने देख कर भी अनदेखा कर दिया। उसको शै मिल गई, और उसके बाद तो उसने कमला को जी भर के चोदा।
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इसी लिए मुझे शक है कि मेरी बेटी का भी कोई न कोई बॉयफ्रेंड ज़रूर होगा, जिस पर वो अपनी खूबसूरत जवानी लुटवाती होगी। मतलब यह कि हमारे घर सेक्स कोई प्रतिबंधित चीज़ नहीं थी। सबको पता था कि हर कोई किसी न किसी को चोद रहा है, या किसी न किसी से चुदवा रही है। अपनी ज़िंदगी के मज़े लो और दूसरों को भी लेने दो, किसी पर कोई पाबंदी मत लगाओ।
बड़ी हंसी खुशी में ज़िंदगी गुज़र रही थी। हमारे घर में जो नौकर काम करता है, राजू, गर्मियों की छुट्टियों में उसका बेटा गाँव से यहाँ आ गया, हमारे घर। अब नौकर का बेटा था, तो हमें उससे क्या था। सारा दिन वो अपने क्वाटर में बैठा रहता, कभी कभार अपने बाप की मदद करवाने को हमारे घर के अंदर भी आ जाता था।
घर की साफ सफाई, या और किसी काम में वो अपने बाप की मदद करता रहता। खाने पीने को घर में खूब खुला था, दिन में वो अक्सर हाल में बैठ कर टीवी देखता रहता। एक दिन की बात है कि रात को एक पार्टी से हम लोग बहुत देर से लौटे। रात को मैंने भी कुछ ज़्यादा ही पी ली थी, तो सुबह बहुत देर तक सोती रही।
करीब 11 बजे सो कर उठी। उठ कर देखा, बेडरूम के पर्दे अभी भी बंद थे, तो अभी भी रात जैसा ही अंधेरा सा माहौल था। मैं कुछ देर लेटी लेटी अपने आस पास को समझती रही। फिर उठ कर बैठी। किचन में फोन मिला कर राजू से चाय लाने को कहा। मैंने रिमोट उठा कर टीवी ऑन किया।
रात को सोते समय मैं अक्सर टी शर्ट और पेंटी ही पहनती हूँ, कभी कभी लोअर भी पहन लेती हूँ। मगर मुझे सिर्फ पेंटी या नंगी सोना ही अच्छा लगता है। कभी कभी बिल्कुल नंगी भी सो जाती हूँ। पर कोई आ न जाए इस डर टी शर्ट और पेंटी ही पेंटी ही पहन कर सोती हूँ।
मैं बाथरूम में गई, पेशाब किया, और हाथ मुँह धो कर वापस आकर बेड पे लेट गई। तभी राजू का बेटा चाय की ट्रे लेकर कमरे में आया और मेरे बेड के पास ट्रे ले कर खड़ा हो गया। बेशक वो मेरी तरफ ही देख रहा था, मगर उसकी तिरछी नज़रें मेरी गोरी, चिकनी और मांसल जांघों को ही घूर रही थी।
मुझे लगा कि लड़के पर नई नई जवानी चढ़ी है, तो इसे भी औरत के बदन को घूरना अच्छा लगता होगा। मगर मैंने उसे अनदेखा कर दिया, घूरता है तो घूर ले या, तू कौन सा कुछ उखाड़ के ले जाएगा। मैं चाय पीने लगी पर वो मेरे पास ही खड़ा रहा।
मैंने उस से पूछा- क्या हुआ, कुछ कहना है?
वो बोला- नहीं।
मैंने उसको डांटा- तो जाओ फिर!
वो चला गया, पर मुझे अच्छा नहीं लगा। मेरे दिल में खयाल आया ‘क्या यार खामख्वाह बेचारे को भगा दिया। कहीं बुरा न मान जाए।’
चाय पीकर भी मैं वैसे ही बेड पर लेटी रही और रात की पार्टी की बातें याद करने लगी। पहले सीधी लेटी थी, फिर उल्टी हो कर लेट गई। मैं अपने ही ख्यालों में खोई थी, तभी फिर से दरवाजा खुला और वो अंदर आया। चाय का कप उठाते हुये उसने मेरी तरफ देखा। एक 45 साल की गोरी चिट्टी, 5 फुट 6 इंच कद की भरपूर बदन की औरत, बेड पर आधी नंगी हालत में आपके सामने लेटी हो तो आप क्या करोगे।
मेरी टी शर्ट मेरी कमर से उठी हुई थी, मेरी सारी पेंटी, मेरी जांघें, मेरे चूतड़ सब नुमाया हो रहे थे। मैंने उसकी तरफ देखा, इस बार उसकी हालत मुझे पहले से भी खराब लगी। अब वो कैसे अपने जवानी के जोश को संभाल पाता। मैंने उसकी ओर देखा, वो थोड़ा झेंप रहा था, मगर फिर भी चोर निगाह से मुझे ताड़ भी रहा था।
जाने से पहले मैंने उससे पूछा- रूम की सफाई कर दी?
वो बोला- जी, कर दी।
मैंने मस्ती करते हुये जानबूझ कर कहा- कहाँ कर दी? इतनी तो धूल दिख रही है, दोबारा करो।
तो वह चला गया और थोड़ी देर बाद सफाई वाला समान लेकर आ गया और कमरे में पड़े फर्नीचर की सफाई करने लगा। मैं बेशक टीवी देख रही थी मगर मेरा सारा ध्यान उसी पर था, कैसे वो चोरी चोरी मेरी नंगी टाँगें देख रहा था।
मैंने उससे पूछा- गाँव में क्या करते हो?
वो बोला- जी स्कूल में पढ़ता हूँ।
मैंने फिर पूछा- बस पढ़ते हो?
वो बोला- जी, शाम को अखाड़े में जाता हूँ।
मैंने मुस्कुरा का कहा- पहलवान हो।
वो शर्मा गया।
मैंने कहा- तो बॉडी वोडी तो लगती नहीं तुम्हारी?
वो बोला- जी, पहलवानी में बॉडी नहीं बनती, शरीर में ताकत आती है।
मैंने पूछा- कितने दांव पेच सीख लिए पहलवानी के?
वो बोला- अभी तो नया नया शुरू किया है, तो अभी तो बस उस्ताद जी की मालिश करनी, अखाड़े की सफाई करनी, भैंस का दूध दोहना, बस ऐसे ही काम करता हूँ।
मैंने पूछा- तू मालिश कर लेता है?
वो बोला- हां जी, उस्ताद जी तो मेरे ही अपनी मालिश करवाते हैं।
मैंने सोचा ‘औरतों से तो ब्यूटी पार्लर में बहुत मसाज कारवाई है, कभी किसी मर्द से अपने जिस्म की मालिश नहीं करवाई। पूछ के देखूँ, अगर ये मेरे जिस्म की मालिश भी कर दे, एकदम कड़क।’
मैंने उससे पूछा- तेरा नाम क्या है?
वो बोला- सूरज!
मैंने पूछा- सूरज, जैसे तो अपने उस्ताद की मालिश कर देता है, क्या मेरी भी मालिश कर देगा?
वो तो लाल हो गया, शरमा कर बोला- मैडम, आपकी मालिश मैं कैसे कर सकता हूँ। आप तो औरत हो।
मैंने कहा- तो क्या हुआ, डरता है क्या?
वो बोला- नहीं जी, डरता तो मैं किसी से भी नहीं।
मैंने कहा- तो फिर?
वो चुप रहा।
मैंने कहा- उधर बाथरूम में तेल की शीशी पड़ी है, उठा कर ले आ, अगर मेरी मालिश कर सकता है। नहीं तो जा और अपना काम कर।
वो जैसे दुविधा में फंस गया हो कि अगर मालिश की तो मैडम के गोरे बदन को छूने को मिलेगा, अगर न की तो कुछ भी नहीं मिलेगा। कुछ देर वो वैसे ही खड़ा रहा।
मैंने उसे कहा- खड़ा क्या है, जा तेल की शीशी ले कर आ!
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वो बाथरूम में गया और नारियल तेल की शीशी उठा लाया, मैं सीधी हो कर बैठ गई, वो मेरे पाँव के पास आकर बैठ गया। वो मुझे और मैं उसे देख रही थी, दोनों के ही मन में एक अजीब सी कशमकश थी। मैं सोच रही थी कि अगर मेरे जिस्म की मालिश करते करते ये गरम हो गया, तो क्या मैं इसके साथ सेक्स करूँ या न करूँ। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने आज तक इतनी कम उम्र के नौजवान के साथ सेक्स नहीं किया था। मुझे तो ये भी डर था कि कहीं वो ये सब कर भी पाएगा, या नहीं। बेशक जवान है, पर अभी पूरा मर्द बन गया होगा या नहीं। वो भी कुछ ऐसा ही सोच रहा होगा, मेम साब के गोरे बदन को मैं कैसे छूऊँ, कहीं गलत जगह हाथ लग गया, मेम साब बुरा मान गई तो।
जब कुछ समय तक हम दोनों चुपचाप एक दूसरे को देखते रहे तो मैंने अपना पाँव उठा कर उसकी जांघ पे रखा और बोली- यहाँ से शुरू कर!
उसने अपने हाथ पे थोड़ा सा तेल डाला और मेरे पाँव को हल्के हल्के से मलने लगा।
मैंने पूछा- अपने उस्ताद की भी ऐसे ही मालिश करता है?
वो बोला- नहीं तो… उस्ताद का बदन तो लोहे की तरह सख्त है, उनकी तो खूब रगड़ रगड़ के मालिश करता हूँ।
मैंने कहा- तो मेरे पाँव को इतनी नरमी से क्यों मल रहा है?
वो बोला- आप तो औरत हो, और आपका बदन तो पहले से ही बहुत कोमल है, आपको उस्ताद की तरह से थोड़े ही रगड़ सकता हूँ।
मैंने हंस पड़ी और बोली- और अगर मैं ये चाहूँ कि तुम मुझे रगड़ो तो?
उसने पहले मुझे चौंक कर देखा, फिर हल्के से मुस्कुरा दिया। उसकी मुस्कुराहट में शर्म भी थी, और आगे आने वाली किसी बड़ी खुशी की आस भी थी।
मैंने कहा- सिर्फ पाँव नहीं, ऊपर तक मालिश करो।
तो उसने मेरे घुटने तक तेल लगा कर मालिश की। उसके हाथों में जैसे जादू था, मुझे अपनी टाँगों में जैसे बिजली सी दौड़ती महसूस हुई, उसको भी हुई होगी, जब उसने अपने हाथों से मेरी नंगी टाँगें छू कर देखी होंगी। फिर मैंने अपनी दूसरी टांग भी उसके आगे की, उसने वहाँ पर भी घुटने तक ही तेल लगाया।
मैंने कहा- बस घुटने तक ही तेल लगाएगा, आगे नहीं?
वो बोला- जी लगा दूँगा.
उसने अपने हाथ पर तेल लिया और मेरी जांघों पर तेल मलने लगा, मगर उसके काँपते हाथों को मैं बहुत अच्छे से महसूस कर सकती थी। वो बहुत डर डर कर ऊपर को बढ़ रहा था। मैंने उसका हाथ पकड़ा और बिल्कुल अपनी चड्डी के पास, अपनी कमर पर हाथ रख कर कहा- यहाँ तक लगा!
उसके बाद उसको हिम्मत सी हो गई और वो मेरी जांघों को बड़े अच्छे से मलने लगा।
फिर उसने कहा- अगर आप उल्टी हो कर लेट जाओ तो जांघों के पीछे भी तेल लगा दूँगा।
मैं एकदम से पलट गई और उल्टी लेट गई, उसके छूने से मुझे भी मज़ा आने लगा था। पहले उसने मेरी एड़ी से लेकर घुटने तक और फिर घुटने से लेकर चूतड़ तक तेल लगा कर मालिश की।
में आपने पढ़ा कि मेरे नौकर का बेटा छुट्टियों में अपने पिता के पास आया हुआ था तो वो हमार घर भी आ जाता और घर के काम में अपने पिता की मदद कर देता. एक दिन मैंने देखा कि वो मुझे घूरता रहता है, मेरे छोटे कपड़ों में से दिख रहे मेरे नंगे बदन को ताड़ता रहता है.
मुझे भी मजा लेने की सूझी और मैंने अपना खेल शुरू कर दिया. मैंने थोड़ा और मस्ती की, मैंने अपनी चड्डी को खींच कर अपने दोनों चूतड़ों में घुसा लिया, अब मेरे दोनों चूतड़ मेरी चड्डी से बाहर थे और मेरी चड्डी मेरे चूतड़ों की दरार में फंस गई थी।
मैंने कहा- यहाँ भी लगा दे।
उसके चेहरे पर जैसे खुशी ने ही डेरा कर लिया हो। उसने पहले तो आराम आराम से तेल लगाया, मगर मेरे हौंसला देने पर बड़े प्यार से मेरे दोनों चूतड़ दबा दबा के, मसल मसल के, इनकी मालिश की।
मैंने पूछा- और भी लगा देगा?
वो बोला- जी मैडम!
मैंने उल्टी लेटे लेटे ही अपनी टी शर्ट उतार दी और बोली- ले पीठ पर भी मालिश कर दे।
उसने पहले तो मेरी पीठ पर तेल डाला और फिर लगा मालिश करने। मगर मेरी बगल में बैठ कर मेरी पीठ की मालिश करने में उसे दिक्कत हो रही थी।
मैंने उसे कहा- अगर दिक्कत हो रही है, तो मेरी टाँगों पर बैठ जा और फिर रगड़ के मालिश कर।
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वो जब मेरी टाँगों पर चढ़ कर बैठा, तो मैंने उसके आँड और लंड का स्पर्श अपनी जांघों पर महसूस किया। मर्द आखिर मर्द ही होता है। मैंने महसूस कर लिया था कि उसका लंड पूरी तरह से अकड़ा हुआ है। वो भी इसी कोशिश में था कि उसका अकड़ा हुआ लंड मेरी चूतड़ों से न छूए, मगर जब सारी पीठ पर उसे मालिश करनी थी, तो आगे पीछे होते होते अक्सर उसका लंड मेरे चूतड़ों को छू जाता, मैं भी नीचे लेटी आराम से मज़े ले रही थी।
मेरी पीठ, कंधों की मालिश करते हुये उसने मेरी बगल से मेरे बूब्स को भी छू कर देखा। वो तो ये ज़ाहिर कर रहा था कि वो मेरे बदन की मालिश कर रहा है, मगर मुझे उसकी उंगलियों की हरकत से पता चल गया था कि वो मेरे बूब्स को छू कर देख रहा था।
धीरे धीरे उसका डर खुलता गया और अब वो बड़े आराम से अपना तना हुआ लंड मेरी गांड पे मसल रहा था। शायद उसका दिल कर रहा होगा कि वो अपनी पेंट और मेरी चड्डी उतार फेंके और बस अपने कड़क लंड से मुझे चोद डाले। चाहती तो मैं भी यही थी, मगर अभी नहीं मैं थोड़ा सब्र से उसे वो सब देना चाहती थी, जो उस वक़्त उसे चाहिए था, मगर साथ की साथ मैं खुद भी उस से अपनी तसल्ली चाहती थी।
जब मेरी पीठ पर उसने मालिश कर ली तो मैंने कहा- और करेगा?
वो बोला- जी, आप बोलो, कहाँ की मालिश करनी है?
लड़के में आत्मविश्वास जाग चुका था। मैंने उसे नीचे उतरने का इशारा किया, वो साइड में बेड पर बैठ गया, तो मैं सीधी हो कर लेट गई। मेरी 36 साइज़ की बूब्स उसकी आँखों के सामने आए, तो वो तो जैसे पलक झपकना ही भूल गया, आँखें फाड़ फाड़ के वो मेरे गोरे मोटे बूब्स को देखने लगा।
मैंने उसका तेल से सना हाथ पकड़ा और खुद अपने मम्मे पर रखा और सहलाया। जैसे ही मैंने उसका हाथ छोड़ा, तो उसने झट अपने दोनों हाथों पर और तेल लगाया, और मेरे दोनों मम्मे पकड़ लिए। ये मालिश करने वाली पकड़ नहीं थी, एक मर्दाना पकड़ थी, जैसे कोई भी मर्द किसी औरत का मम्मा मज़े लेने के लिए दबाने के लिए पकड़ता है।
बेशक उसके चेहरे पर अभी दाढ़ी मूंछ नहीं आई थी, मगर मर्दानगी थी उसके बदन में। मैं बिस्तर पर फैल कर लेटी रही और वो मेरे बदन की मालिश भूल कर सिर्फ मेरे मम्मों से ही खेलता रहा। मैं भी मस्त हो कर लेटी रही, और उस लड़के को देखती रही, जो अभी अभी मर्द बना था। उसकी पेंट को उसके लंड ने ऊंचा उठा रखा था।
मैंने उसकी उठी हुई पैन्ट की तरफ इशारा करके पूछा- ये क्या है?
वो बड़ी बेशर्मी से बोला- लंड है जी।
मैंने कहा- अभी कहाँ, अभी तो तुम छोटे हो।
वो बोला- नहीं मैडम जी, अब तो पूरा बन गया है, पहले छोटा सा था, अब तो दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है।
मैंने अपने हाथ से उसकी पैन्ट के ऊपर से ही उसके लंड को छू कर देखा, सच में कड़क मर्दाना लंड। अब वक्त आ गया था कि मैं उसको भी नंगा करके देखूँ, तो वैसे तो मैं उसके सामने नंगी ही पड़ी थी, पर अपनी भाषा में भी थोड़ी बेशर्मी ला कर उसे कहा- मुझे तेरा लंड देखना है।
वो सकपका सा तो ज़रूर गया मगर घबराया नहीं, शायद उसे भी पता था कि बेशर्मी से ही उसे सब कुछ हासिल हो सकता है, शराफत से नहीं। वो उठ कर खड़ा हुआ और पहले अपनी टी शर्ट और फिर अपनी पेंट और चड्डी दोनों एक साथ ही उतार दी।
करीब 5 इंच का लंड रहा होगा उसका, मगर इतना कड़क के ऊपर उसकी नाभि तक उठा हुआ। मैंने उसे हाथ के इशारे से अपने पास बुलाया और उसका लंड अपने हाथ में पकड़ा, बहुत दिनों बाद ऐसा कड़क लंड हाथ लगा था। मैंने उसकी चमड़ी पीछे हटाई, तो गुलाबी रंग का टोपा बाहर निकल आया।
मैंने उससे पूछा- हाथ से करता है?
वो शर्मा गया- जी कभी कभी।
मैंने पूछा- क्यों कभी किसी की ली नही क्या?
वो बोला- कहाँ मैडम जी, गाँव में कहाँ मौका मिलता है।
मैंने कहा- क्यों, कहीं खेत खलिहान में, कोई लड़की पटा कर ले जाता।
वो बोला- अरे नहीं मैडम जी, अपने गाँव में ही नहीं, बल्कि मैंने तो आज तक किसी की देखी भी नहीं।
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मैं उठ कर बैठ गई, अब लंड हाथ में था, तो किस बात का इंतज़ार करना था। एक बिल्कुल अंजान, कच्चा, मासूम, नौसिखिया आशिक मुझे मिल गया था जिसने कभी चूत देखी भी नहीं थी। मैंने सबसे पहले उसका लंड पकड़ा और खींच के बाथरूम में ले गई, वाशबेसिन पे ले जा कर अपने हाथ से अच्छे से उसका लंड धोया।
फिर वापिस कमरे में आ गई, और बेड पर बैठ कर उसको अपने सामने खड़ा किया. उसका लंड पकड़ा और अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं, जो सिखानी नहीं पड़ती, इंसान अपने आप सीख जाता है। जैसे ही मैंने उसका लंड अपने मुँह में लिया, उसने मेरा सर पकड़ लिया, और थोड़ी देर बाद खुद कमर हिला हिला कर मेरा मुँह चोदने लगा, मेरी पीठ मेरे मम्मों और मेरे चेहरे पर हाथ फिरा फिरा कर स्वाद लेने लगा।
लंड चूसने के बाद मैंने उससे पूछा- चाटेगा?
उसने शरमा कर ना कर दी।
मैंने उससे पूछा- कैसे करेगा, आगे से या पीछे से?
उसने कहा- पहले आगे से फिर पीछे से!
अब ये बातें उसको किसने सिखाई, किसी ने नहीं मगर फिर भी उसे पता था। मैंने अपनी चड्डी उतारी और बेड पे लेट गई। वो बेड पर आया, मेरी दोनों टाँगें खोली और मेरी चूत पर अपना लंड रख दिया और अंदर डालने लगा, मगर उसका लंड अंदर घुसा नहीं क्योंकि उसने अपना लंड मेरी भग्नासा पर ही रखा था।
मैंने उसे कहा- अरे यहाँ नहीं डालते!
फिर उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर रखा और फिर कहा- यहाँ डालते हैं।
उसने ज़ोर लगाया तो उसका लंड अंदर घुस गया। जैसे लंड मैं पहले ले चुकी थी, वैसा लंड तो नहीं था उसका, मगर फिर भी ठीक था, अच्छा था, मजबूत था, कड़क था और मेरी चूत के अंदर ऊपर उसके लंड के टोपे की रगड़ मैं अच्छे से महसूस कर रही थी।
बेशक पहली बार था मगर जैसे मैंने उसको समझाया था, उस हिसाब से वो ठीक चोद रहा था। मैंने उसे अपने ऊपर लेटा लिया। खुद अपना मम्मा अपने हाथ में पकड़ कर उसके मुँह में दिया, उसके अपने दोनों मम्मे चुसवाए। उसको होंठ चूसने बताए, लड़की को कैसे किस करते हैं, वो भी समझाया।
वो भी कभी मुझे चूमता, कभी मुझे चूसता। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे क्या न करे। ऐसा पगला था, कभी कभी चूमने और चूसने के चक्कर में चोदना भूल जाता, और मैं उसके चूतड़ पर मार कर कहती- इसे क्यों रोक दिया, इसे तो चालू रख! और वो फिर से अपनी कमर हिलाने लगता। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
फिर वो बोला- अब मैं आपको पीछे से चोदूँगा।
मैं उठ कर घोड़ी बन गई, तो वो अपना लंड मेरी गांड पे रखने लगा तो मैंने कहा- अरे यहाँ नहीं, नीचे डाल!
और फिर उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत पे रखा, वो फिर से चोदने लगा, मगर इस पोज में उसको खेलने के लिए कुछ नहीं मिल रहा था, सिर्फ चुदाई ही कर सकता था। तो थोड़ा सा चोद कर वो बोला- मैडम जी वैसे ही सीधी हो जाओ, उसमें ज़्यादा मज़ा है।
मैं फिर से सीधी हो कर लेट गई, वो मेरे ऊपर लेटा तो मैंने उसे अपनी बांहों में भरा और पलटी मार कर उसे नीचे और खुद उसके ऊपर आ गई। उसका लंड मेरी चूत से लगा था, बस मैंने हल्का सा ज़ोर लगाया और उसका लंड मेरी चूत में घुस गया। लंड घुसते ही मैं उठ गई और जैसे ही मैं सीधी हुई, सूरज का पूरा लंड मेरी चूत निगल गई। फिर मैंने खुद अपनी कमर हिलाई तो वो बोला- वाह मैडम, इसमें तो और भी मज़ा है।
मैंने पूछा- तुझे अच्छा लगा?
वो बोला- हाँ बहुत अच्छा लगा, बस ऐसे ही करती जाओ।
मैं अपनी कमर हिला हिला कर उसको चोदती रही और वो नीचे लेटा, मेरे मम्मों से खेलता रहा, कभी दबाता, कभी चूसता, एक दो बार तो काट भी लिया। हम दोनों को कोई जल्दी नहीं थी, इस लिए बड़े आराम से चुदाई चल रही थी। मैं सिर्फ उस लड़के को मज़ा देने के लिए सेक्स कर रही थी, मुझे अपने मज़े या झड़ने की कोई चिंता नहीं थी।
मैंने तो सोचा था कि अगर ये जोश जोश में पहले झड़ भी गया तो भी कोई बात नहीं। मगर फिर भी वो नौजवान दमदार था, करीब बीस मिनट हो गए थे, चुदाई को चलते और वो वैसे ही टन्न की आवाज़ निकाल रहा था। मगर मेरा जोश चर्मोत्कर्ष पर था, मुझे लग रहा था कि बस मैं झड़ी के झड़ी।
और वही हुआ। अगले ही पल मेरी चूत से पानी की धार बह निकली। मैंने नीछे झुक कर खुद उसके होंठ अपने होंठों में लेकर चूस डाले और झड़ने के बाद उसके ऊपर ही शांत हो कर लेट गई। फिर थोड़ा संभाल कर मैंने उससे कहा- तेरा नहीं हुआ?
वो बोला- बस होने ही वाला है.
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मैंने उसे फिर से अपने ऊपर कर लिया। इस बार उसने बड़े ज़ोर से मेरी चुदाई की क्योंकि उसे सिर्फ झड़ना था, 1 मिनट की शानदार चुदाई के बाद उसके वीर्यपात से मेरी चूत भर गई। एक मिनट में वो पसीने से नहा गया। मैंने पूछा- मज़ा आया? वो बोला- बहुत मज़ा आया। कुछ देर हम दोनों एक दूसरे को बांहों में भर के लेटे रहे। फिर वो उठा और कपड़े पहन कर चला गया। मैं भी बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर अपने काम काज में बिज़ी हो गई। वो करीब 15 दिन और हमारे घर रहा और करीब करीब मैंने 10 बार और उससे चुदवाया।
बेशक मुझे उसका लंड छोटा सा लगता था, मगर लौंडे में दम बहुत था। तब मुझे एहसास हुआ कि लंबे लंड की बात नहीं है, मर्द में दम होना चाहिए, औरत को तो वो छोटे लंड से भी तृप्त कर सकता है। बाकी भूख तो कभी भी शांत नहीं होती, 9 इंच का लंड खा कर भी मैं और बड़ा लंड चाहती हूँ। पर अगर मेरी तसल्ली 5 इंच का लंड भी करवा सकता है, तो फिर तो लंड चाहे 2 फीट का भी हो, तो भी मुझे तृप्त नहीं कर सकता। छुट्टियाँ खत्म होने पर वो अपने गाँव वापिस चला गया और मैं फिर से किसी और नए लंड की तलाश करने लगी।
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