Desi Cheater Wife
मैं एक शादी शुदा औरत हूँ। मैं हाउस वाइफ हूँ और सारा दिन घर पर ही रहती हूँ। मैं खाली समय में सेक्स विडियो देखना और नई नई चुदाई कहानियां पढना पसंद करती हूँ। मेरे पति का दोस्त धीरेन्द्र रोज मेरे घर आता था। वो कभी भी खाली हाथ नही आता था। हर दिन कोई न कोई सामान लेकर जरुर आता था। Desi Cheater Wife
कभी पास की दूकान से गरमा गर्म गुलाब जामुन ले आता तो कभी काजू बर्फी और गरमा गर्म समोसे। धीरे धीरे मुझे धीरेन्द्र अच्छा लगने लगा और मुझे उससे प्यार हो गया। एक दिन मेरे सीने में जोर का दर्द हो रहा था। मेरे पति रितेश अपने ऑफिस में थे। जब मैंने उनको फोन किया तो वो अपनी मीटिंग में बिसी थे और उन्होंने अपने दोस्त धीरेन्द्र को मेरे घर भेज दिया।
“क्या हुआ भाभी…???” धीरेन्द्र परेशान होकर बोला.
“धीरेन्द्र मेरे सीने में बहुत दर्द हो रहा है। मुझे जल्दी से होस्पिटल ले चलो!!” मैंने कहा.
धीरेन्द्र ने मुझे तुरंत अपनी कार में बिठाया और होस्पिटल ले गया। मैं चल नही पा रही थी तो उसने सनी देओल की तरह मुझे गोद में उठा लिया और डॉक्टर के कमरे तक ले गया। डॉक्टर से मुझे कुछ सूइयाँ लगाई और धीरेन्द्र से कहा की मेरे दिल की नशों में वसा जम गया है। इसलिए ये दर्द उठा। धीरेन्द्र मुझे घर ले आया और मेरा पूरा ख्याल रखने लगा।
जब मैं कोई तेल मसाले वाला खाना खाती तो वो बहुत नाराज होता। धीरे धीरे मैंने उसे अपना दिल दे दिया। मुझे उससे प्यार हो गया। मैंने उसे आई लव यू लिखकर व्हाट्सअप पर भेज दिया। धीरे धीरे हम सेक्स चैट करने लगे। मैं उसको अपनी नंगी नंगी फोटो खीचकर भेजने लगी। धीरे धीरे मेरा उससे चुदवाने का दिल करने लगा।
“रंजना….मेरा लौड़ा चूसेगी??” धीरेन्द्र पूछता.
“हाँ चूसूंगी!!” मैंने कहती.
“चूत देगी…???”
“हाँ दूंगी!!”
“कैसे देगी…??”
“जैसा तू चाहे!!” मैं जवाब देती.
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धीरे धीरे हम रोज रात में सेक्स चैट करने लगे। अगले महीने मेरी सास बहुत बीमार हो गयी और मेरे पति रितेश गाँव अपनी माँ को देखने चले गये। अब मैं घर पर अकेली थी। मैंने रात में अपने पति के दोस्त और बेस्ट फ्रेंड धीरेन्द्र को बुला लिया। उसके आते ही हम दोनों प्यार करने लगे और मैं उसे लेकर सीधा बेडरूम में चली गयी। हम दोनों ने एक दूसरे को पकड़ लिया और किस करने लगे। बहुत देर तक धीरेन्द्र मेरे रसीले होठ चूसता रहा।
“जान…. रितेश कहाँ गया???” धीरेन्द्र ने पूछा.
“उसकी माँ की तबियत खराब है। वो उनको देखने गाँव गया है!!” मैं बोली.
“तब तो जान…हम दोनों आज जंगल में मंगल करेंगे!!” मेरा आशिक बोला.
“तू मुझे कैसे चूत देगी??” धीरेन्द्र ने चहककर पूछा.
“जान तुम्हारा जैसे मन करे वैसे मेरी चूत मार लेना” मैंने कहा.
उसके बाद हम दोनों बिस्तर में आ गये और लेटकर किस करने लगे। धीरे धीरे मैंने धीरेन्द्र के शर्ट की सब बटन खोल दी। फिर उसकी पेंट भी खोल दी। मैंने उसे नंगा कर दिया। फिर उसने भी धीरे धीरे मेरे ब्लाउस की एक एक बटन खोल दी। मेरा ब्लाउस उतार दिया।
फिर साड़ी, ब्रा और पेंटी भी निकाल दी। अब मैं अपने आशिक के सामने पूरी तरह से नंगी थी। हम दोनों नंगे हो गये थे। धीरेन्द्र मेरे उपर लेट गया और मेरे ताजे गुलाब से होठ चूसने लगा। मैं पूरी तरह से नंगी थी और बहुत सेक्सी माल लग रही थी।
“जान….बिना कपड़ों के तो तुम और भी हॉट और सेक्सी लगती हो!!” धीरेन्द्र बोला.
“डार्लिंग…मेरे सनम आज तुम मुझे कसकर चोद लो। तुम मेरा बहुत ख्याल रखते हो। मुझे उस दिन तुम होस्पिटल भी ले गये। इसलिए आज मैं पूरी तरह से तुम्हारी हूँ!!” मैंने धीरेन्द्र से कहा.
उसके बाद वो हँसने लगा और हम दोनों गर्मा गर्म किस करने लगे। मेरा जिस्म भरा हुआ था, बहुत सेक्सी और चिकना बदन था मेरा। मेरा आशिक धीरेन्द्र अब मेरे मम्मो पर आ गया था और मजे से मेरे बूब्स चूसने लगा था। उसने मेरे दोनों ३६” के बूब्स को हाथ में पकड़ लिया था और हल्का हल्का दबा रहा था। मुझे मजा मिलना शुरू हो गया था।
फिर धीरेन्द्र मेरे बूब्स को मुंह में लेकर चूसने लगा। आज मैं अपने पति के दोस्त से चुदने वाली थी। अपने पति का लौड़ा मैं बहुत खा चुकी थी। आज मेरा धीरेन्द्र से गांड मराने का दिल कर रहा था। मेरे पति रितेश कभी भी मेरी गांड नही चोदते थे। आज मेरा धीरेन्द्र से गांड मरवाने का बड़ा दिल था। पर अभी तो वो मेरे बूब्स चूसने में मस्त था।
धीरेन्द्र मेरी रसीली चूचियों को मुंह में लेकर चूसने लगा। चूं चूं….की आवाज आने लगी। मेरे मम्मे किसी अनार जैसे लाल लाल गुलाबी गुलाबी और बड़े खूबसूरत थे। वृत्ताकर दूध के शिखर पर काले काले रंग के घेरे वाले चूचुक थे, जो बहुत मस्त और सेक्सी लगते थे। धीरेन्द्र मेरी काली काली निपल्स में अपनी खुदरी जीभ को बार बार टकरा रहा था।
मैं उतेज्जन और चुदास से पागल हुई जा रही थी। वो मेरे दूध को किसी पके टमाटर की तरह कसकर दबा देता था, मेरी तो जान ही निकल जाती थी। लग रहा था आज वो मेरासारा दूध ही पी लेगा और सारा रस चूस लेगा। मैं उसके दांतों की तेज धार को अपने नर्म मम्मो पर महसूस कर सकती थी।
मैं “……उई..उई..उई…. माँ….माँ….ओह्ह्ह्ह माँ…. .अहह्ह्ह्हह..” करके सिसक रही थी। हाँ आज मैं उसने कसकर चुदवाना चाहती थी। मुझे बहुत मजा आया आ रहा था। बहुत आनंद मिला रहा था। मैंने भी उसे मना नहीं किया। वो मेरी रसीली चूचियों को देखकर पागल हो गया था।
मेरे पति का दोस्त धीरेन्द्र मेरे मम्मो को देखकर ललचा गया और तेज तेज मेरी छातियाँ दबाने लगा। सच में मुझको बड़ा मजा आया। वासना और काम की आग मेरे दिल में जल चुकी थी। मैं इतनी जादा चुदासी हो गयी की वो जो जो करता गया, मैंने करने दिया। कुछ देर बाद उसने मेरे चांदी से चमकते दूध मुंह में भर लिए और किसी छोटे बच्चे की तरह चूसने लगा।
मैं उसको पिलाने लगी। मेरे मम्मे बहुत बड़े बड़े फुल साइज़ के थे। बड़ी नशीली छातियाँ थी मेरी। धीरेन्द्र पागलों की तरह मेरी मीठी मीठी छातियाँ पीने लगा। वो बहुत जोर जोर से मेरी छातियाँ दबा दबाकर पी रहा था, जैसे किसी आम को दबा दबाकर उसका रस निकालते है, बिलकुल उसी तरह धीरेन्द्र हाथ से मेरी छातियाँ दबा दबाकर उसका रस निकाल रहा था और पी रहा था।
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उसके बाद वो अपने ९ इंची लौड़े से मेरी रसीली मादक चूचियों को चोदने लगा। फिर धीरेन्द्र मेरे पेट पर आकर बैठ गया और उसने अपना ९” का रसीला लंड मेरे दोनों खूबसूरत बूब्स के बीच में रख दिया और दोनों छातियों को कसकर पकड़कर वो मेरे मम्मे चोदने लगा। मैंने कभी सोचा नही था की कभी कोई गैर मर्द मेरे रसीले दूध को चोदेगा।
एक नये तरह का नशा मुझे पूरे शरीर में चढ़ रहा था। मैं दीवानी हो रही थी। ओह गॉड, ये आदमी तो सच में जैसे कोई कामदेव है। मैं खुद से बुदबुदा रही थी। मेरे पति का दोस्त धीरेन्द्र क्या मस्त तरह से जल्दी जल्दी मेरे दोनों मम्मो को चोद रहा था। आज तो मैं उसकी दीवानी हुई जा रही थी।
ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरे बूब्स नही मेरी बुर चोद रहा है। उसका मोटा लंड मेरे दोनों बूब्स को किसी आटे की तरह गूथ रहा था। धीरेन्द्र बहुत भारी था। उसके वजन से मेरी साँस फूल रही थी। पर उससे अपने मम्मो को चुदवाना भी जरुरी था।
मेरी दोनों चूचियों को उसने कसकर अपने हाथ से दबा रखा था और मेरे बूब्स को जल्दी जल्दी अपने मोटे लौड़े से चोद रहा था। मैं “…..ही ही ही ही ही…….अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह….. उ उ उ…” की आवाज बार बार निकाल रही थी। अब धीरेन्द्र ने मुझे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और मेरी चूत में लंड डालने लगा।
“जान….रुको। मैं चूत तो रोज अपने पति से मरवा लेती हूँ। पर गांड मराने का कभी मौक़ा नही मिलता। इसलिए धीरेन्द्र मेरे दिलबर…आज तुम अच्छे से मेरी गांड चोदो!!” मैंने कहा.
“जैसा हुक्म मेरी जानम!!!” धीरेन्द्र बोला.
उसने मुझे बेड के सिरहाने पर कुतिया बना दिया। बेड के सिरहाने वाले स्टैंड को पकड़कर मैं कुतिया बन गयी। मेरा आशिक धीरेन्द्र मेरे पीछे आ गया और झुककर मेरी बुर चाटने लगा। धीरे धीरे मैं गर्म होने लगी। फिर धीरेन्द्र मेरी गांड को चाटने लगा और मुझे भरपूर मजा देने लगा। मुझे बड़ा मजा आ रहा था। मेरी गांड इकदम कुवारी थी क्यूंकि मेरे पति कभी मेरी गांड नही चोदते थे।
“ओह्ह्ह्ह बेबी…..यू आर सो सेक्सी!!’ मेरा आशिक धीरेन्द्र बोला.
“कमोंन….फक मी रियली हार्ड!! फक माई ऐस” मैंने उससे रिकवेस्ट की.
उसके बाद वो फिर से झुककर मेरी गांड पीने लगा। दोस्तों मैं पीछे से पूरी तरह से नंगी थी और बहुत सुंदर लग रही थी। धीरेन्द्र की जीभ जल्दी जल्दी मेरी गांड के छेद को चाट रही थी। मैं सनसनी हो रही थी। वो मेरे गुदा को किसी कुत्ते की तरह चाट रहा था।
फिर उसने मेरी गांड में थूक दिया और अपने लौड़े में ढेर सारा थूक मल लिया और मेरी गांड के छेद पर मेरे आशिक धीरेन्द्र ने अपने लंड का सुपाड़ा लगा दिया और जोर का धक्का अंदर को मारा। पहली की कोशिश में मेरी गांड की सील टूट गयी और धीरेन्द्र का लंड पूरा ९ इंच अंदर घुस गया। मुझे दर्द होने लगा और मैंने रोने लगी।
“बेबी….प्लीस अपना हथियार बाहर निकाल लो, वरना मैं मरजाउंगी” मैंने रोते रोते आशू बहाते हुए कहा। सच में दोस्तों मुझे बहुत जादा दर्द हो रहा था। पर धीरेन्द्र ने अपना मोटा ओखली जैसा लंड मेरी गांड में ही बनाये रखा और धीरे धीरे मुझे पेलने लगा। “..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ….आहा …हा हा हा” बोल बोलकर मैं रोने लगी।
पर धीरेन्द्र नही रुका और मेरी गांड मारने लगा। मैं रो रही, चीख रही थी, चिल्ला रही थी। पर धीरेन्द्र मुझे बजाता ही रहा। कुछ देर बाद तो वो मेरी गांड में ताबड़तोड़ धक्के मारने लगा। उसने चिकनाई करने के लिए फिर से मेरी गांड में उपर से थूक दिया। थूक सीधा मेरी गांड में जाकर गिरा।
धीरेन्द्र ने फिर से अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया और मुझे बजाने लगा। कम से कम आधा घंटे तक मैंने तीव्र दर्द को किसी तरह बर्दास्त किया। उसके बाद मेरा दर्द कम हो गया और मुझे भी मजा आने लगा। मेरा आशिक धीरेन्द्र जल्दी जल्दी मेरी गांड किसी कुत्ते की तरह मारने लगा। इसी बीच उसने मेरी चूत में दो ऊँगली डाल दी।
अब वो २ काम एक साथ कर रहा था। मेरी चूत में जल्दी जल्दी ऊँगली भी कर रहा था और पीछे से डॉगी स्टाइल में मेरी गांड भी मार रहा था। मैं “ओह्ह गॉड!! ओह्ह गॉड!!….फक मी हार्डर!!….कमाँन फक मी हार्डर!! फक माई ऐस…” कहकर किसी छिनाल की तरह चिल्ला रही थी। अब मुझे मजा आने लगा था।
धीरेन्द्र अपने मोटे लंड से मेरी गांड मजे से चोद रहा था। उसने ५० मिनट इसी तरह मुझे कुतिया बनाकर मेरी गांड चोदी और अपना माल मेरी गांड में ही निकाल दिया। फिर हम दोनों एक दूसरे को बाहों में भरकर लेट गये। आधे घंटे बाद ही मेरे आशिक धीरेन्द्र का मेरी रसीली चूत पीने का दिल करने लगा।
“बेबी…. आई वांट टू लिक यूर पुसी!!” मेरे पति का दोस्त धीरेन्द्र बोला.
मैं दोनों जांघे खोलकर लेट गयी। मैं भी उसे आज अपनी रसीली चूत पिलाना चाहती थी। धीरेन्द्र की लम्बी जीभ मेरी चूत के बिलकुल अंदर तक जा रही थी और बड़ी खलबली मचा रही थी। मुझे इतना जूनून चढ़ गया की लगा कहीं मेरी चूत फट ना जाए। धीरेन्द्र बड़ी जोर जोर से मेरी बुर पी रहा था।
जैसे वो चूत नही कोई आइसक्रीम हो। फिर वो मेरे झांट को भी अपनी जीभ से चूमने लगा। फिर धीरेन्द्र जोर जोर से मेरी बुर में ऊँगली करने लगा और जल्दी जल्दी मेरी चूत फेटने लगा। मैं बड़े प्यार से उसके सर में अपना हाथ फिराने लगी। मेरी चूत बड़ी पनीली हो गयी थी, क्यूंकि धीरेन्द्र उसको जल्दी जल्दी फेट जो रहा था।
कमरे में मेरी चूत को फेटने की पनीली फच फच करती आवाज आ रही थी। मैं ये सब बर्दास्त नही कर पा रही थी। मैं जल्द से जल्द चुदवाना चाहती थी। “…उई..उई..उई…. माँ…माँ….ओह्ह्ह्ह माँ….अहह्ह्ह्हह..” मैं चिल्ला रही थी। अपनी दोनों गोरी गोरी टाँगे उठा उठाकर धीरेन्द्र से चूत में ऊँगली करवा रही थी।
मैं जानती थी की मुझसे बड़ी छिनाल इस दुनिया में दूसरी नही मिलेगी। दोस्तों, ये बात मैं अच्छी तरह से जानती थी।अब वो मुझे चोदने जा रहा था। धीरेन्द्र ने मेरी गोरी गोरी जांघो को खोल दिया और मेरी चूत में लंड डाल दिया और मुझे जल्दी जल्दी चोदने लगा।
मेरे दिमाग में बड़ी जोर की यौन उत्तेजना होनी लगी। मेरे जिस्म की रग रग में, एक एक नश में खून फुल रफ्तार से दौड़ने लगा। मैं चुदने लगी। धीरेन्द्र का मजबूत लौड़ा खाने लगी। मैं संभोगरत हो गयी, चुदवाने लगी। धीरेन्द्र सचिन तेंदुलकर की तरह मेरी चूत में बैटिंग करने लगा। मेरा चेहरा तमतमा गया।
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धीरेन्द्र का मस्त बड़ा सा लौड़ा खटर खटर करके मेरी चूत में दौड़ने लगा। मैं जोशा गयी।“….ओह्ह्ह्ह फक मी हार्डर…ओह्ह्ह यससससस….कमोंन फक मी हार्ड!! ओह्ह माय गॉड…यससससससस यस!!” मैंने उत्तेजना में चुदवाते चुदवाते हुए कहा। धीरेन्द्र बहुत जोर जोर से मुझे पेलने लगा। मेरा पूरा चेहरा तमतमा गया। मेरे जिस्म में गर्मी छिटक गयी। मेरे कान, नाक, आंख, स्तन, भगोष्ठ व योनि की आंतरिक दीवारें फुल गयी। मेरा भंगाकुर का मुंड नीचे की तरफ धस गया।
मेरी धड़कने बढ़ गयी। मेरी चूत अच्छे से चुदने लगी। चूत की दिवाले योनी पथ पर अपना तरल पदार्थ चोदने लगी। इस चिकने मक्खन से मेरी चूत और भी जादा चिकनी और फिसलन भरी हो गयी। धीरेन्द्र का लौड़ा मेरी चूत के छेद में खटर खटर करके फिसलने लगा जैसे किसी कोयले की अँधेरी खदान में खुदाई का काम कर रहा हो। वो मुझे किसी रंडी की तरह चोदने लगे। उसने लगातार २ घंटे तक ठोंका और जमकर मेरी चूत मारी। दोस्तों मेरे पति ३ दिन बाद गाँव से लौटे तब तक मैं ८ बार धीरेन्द्र से चुद चुकी थी।