Village Lover XXX
मैं वैसे इतना कमीना तो नहीं हूँ पर दोस्तों आपको बता दूँ की मैंने बब्बी के साथ कुछ हद्द से ज्यादा ही कमीनापन दिखलाया जोकि शायद मुझे नहीं दिखलाना चाहिए था पर क्या चूत का भुत तो वोही जानता है जिसे अरसों तक किसी भी चूत का स्वाद नहीं आया होगा| Village Lover XXX
मैंने कई बार अपने घर के सामने २१ वर्षीय पकड़म–पकडाई खेलने वाली लौंडिया को रिझाते हुए अपने खाली कमरे में बुलाने की कोशिस की पर वो कभी भी मेरे घर नहीं आती और दूर से से ही खेलते हुए मुझे मूक मुस्कान दे देती और जानबूझ कर अपने मोटे चुचों को हिलाती हुई मुझे अपना दीवाना बनाने की कोशिश करती|
मैं जब भी उसम अपने घर के बहार घूमते हुए देखता तो मेरा हमेशा एक हाथ मेरे लंड के सुपाडे को मसल रहा होता था| मैंने कई बार तो उसकी चूत के ख्याल को दिमाग में लाते हुए अपने लंड पर सरसों का तेल लगाकर हस्तमैथुन किया था|
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एक रोज जब मैं भरी दोपहर को अपने टी.वी. पर कुछ मनोरंजन देख रह आता तो अचानक मेरे घर पर बब्बी आई जिसे देख मैं चौंक गया| उसने आते ही कहा की क्यूँ.. आज क्या बात है मुझे निहारने नहीं आये हाँ.. ?? जिसपर मैंने इतराते हुए कहा की क्या करें जब किसी को हमारा घर ही नहीं पसंद तो! “Village Lover XXX”
वो मेरे कामुक इरादों को समझती हुई कहने लगी लो अब आ गए. अब बताओ ऐसी क्या बात करनी है आपको. मैंने भी उसका हाथ पकड़ अंदर को खींच लिया और खेने लगा बस ज़रा सा सबर करो सब पता चल जाएगा. अब वो बैठ चुकी थी मेरे घर के अंदर.
तभी मैं फिर अंदर को जाकर अपने लंड पर सरसों का तेल लगाकर नंगा ही उसके सामने आया और उससे कहने लगा की यह जो लंड है. तुम्हारी याद में बुरी तड़पा जा रहा और उसने कहा यह लो इसे तो अं संवारा देती हूँ.
बब्बी ने तभी मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया जिसपर मुझे बरसों पुराना सुख मिल रहा था. और मैं अपने हाथ से उसके बालों को खोल सहला रहा था| मैं भी भी अब उसके कपड़ों को खोल कतई नंगी कर उसे चूमना फिर उसके होंठों को दबोचते हुए चूचकों को मसलकर गरम करना शुरू कर दिया| “Village Lover XXX”
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अब मैं नीचे को झुका और उसकी चूत को सूंघते उसमें हलके–हलके से अपनी ऊँगली से मसलने लगा जिसपर वो अपने दाँतों को आपस में घिसने लगी| मैंने उसकी चूत को सहलाते हुए अपने गीले लंड को निकाला और उसकी चूत के उप्पर टिकाते हुए जोर का धक्का मारा जिससे मेरे लंड एक बार में ही उसकी चूत में आगे–पीछे होने लगा| हम दोनों एक बार में इसी तरह अनंत मज़े का एहसास करने लगे थे| कुछ पल में मैंने अपने लंड को रौदते हुए उसे जमकर चोदना शुर कर दिया.
जिसपर वो पागलों की तरह चिल्लाने लगी और साथ ही बब्बी की चूत का पानी भी निकला| अब मेरा लंड तो ओर ही आराम से उसकी चूत में फिसलता हुआ अंदर–बाहर हो रहा था जिससे मैं उसे अपनी बाहों में जकड़ते हुए अपने लंड के धक्के उसकी मस्तानी चूत में दिए जा रहा था| चुदाई के इस सिलसिले को मैंने उसी मुद्रा में शाम तक चलाया जिससे आखिरकार उसकी चूत के उप्पर ही गाढ़ा पीला वीर्य निकल पड़ा और बब्बी ने थक – हार कर मुझे बहुत “कमीना” बन्दा कहते हुए आखिरी चैन भरी साँस ली.