Teen Couple First Sex
मेरे पड़ोस की एक लड़की थी जिसका नाम पुष्पा था। वो भी अपनी किशोरावस्था में होगी, थी गोरी एकदम। कोई खास नाक नक्शा नहीं था उसका और न ही कोई खास जिस्म था उसका। चूची भी उसकी छोटी-छोटी थी। वो अक्सर करके मेरे घर आती थी और अपनी पढ़ाई से सम्बन्धित सवालों का हल मेरे से पूछती थी। Teen Couple First Sex
मेरी नजर उसकी जवानी पर तब पड़ी जब वह पलथी मारने के लिए अपने पैर को मोड़ने लगी तभी मेरी नजर उसकी चूत पर पड़ी। उसने स्कर्ट पहनी थी, शायद गलती से उस दिन वो चड्डी पहनना भूल गई थी। चूत पर हल्के-हल्के रोंये थे और चूत बिल्कुल लाल थी, साथ ही साथ उसके गाण्ड के भी दर्शन हो गये।
उसी समय मेरी इच्छा उसके साथ मजे लेने की हुई, पर घर में काफी लोग होने की वजह से में कुछ नहीं कर पाया। लेकिन कहते हैं न कि ऊपर वाले के घर देर है अंधेर नहीं। नंगी लड़की देखने की जिज्ञासा बता दी. रविवार का दिन था और घर में सब लोग एक पार्टी में गये थे। उस दिन वह फिर कुछ गणित का सवाल लेकर मेरे पास आई। मैंने बताने से इन्कार कर दिया तो वो मुझसे बार-बार रिक्वेस्ट करने लगी। मैंने बदले में उससे सवाल बताने के फीस मांगी।
वह बोली- ठीक है मैं मम्मी से पैसे लकर आती हूँ।
मैंने कहा- फ़ीस तो तुम्हारे ही पास है।
वह बोली- नहीं, मेरे पास कोई पैसे नहीं हैं।
मैंने कहा- है, पर तुम देना नहीं चाहती हो।
‘अच्छा तो तुम्हीं बताओ कि मेरे पास पैसे कहाँ से आये?’
मैंने कहा- तुम बिना कुछ बोले और प्रश्न किये मेरी एक बात मान लो, तो मेरी फीस मुझे मिल जायेगी।
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उसने मुझसे पूछा- क्या करना है।
मैंने कहा- मेरी एक अधूरी जिज्ञासा है, बस उस जिज्ञासा को शांत कर दो।
पुष्पा बोली- कैसी जिज्ञासा?
‘लेकिन एक वादा करो…’
उसने कहा- कैसा वादा?
मैंने कहा- जो मैं तुमसे कहूँगा, वो तुम किसी से नहीं कहोगी।
‘लो, मैं वादा कर रही हूँ, कि किसी से नहीं कहूँगी, अब तुम अपनी जिज्ञासा बोलो।’
‘पुष्पा मैं तुम्हें…’
मेरे ग़ला सूख रहा था।
वो बोली- हाँ-हाँ मैं तुम्हें…?
‘मैं तुम्हें बिना कपड़े के देखना चाहता हूँ।’
इतना कहकर मैंने अपनी आँखें बन्द कर ली। तभी मुझे अपने गालों पर एक चुम्बन का अहसास हुआ, मैंने झट से अपनी आँखें खोली।
तो उसने पूछा- मैं सच में अपने कपड़े उतारूँ? क्या तुम मुझे पूरी नंगी देखना चाहते हो?
मैंने अपनी सहमति दी तो वह बोली- ठीक है, मैं तुम्हारे सामने नंगी होऊँगी, पर मेरी भी एक शर्त है।
उस शर्त के बारे में जो वो कहने वाली थी और जिसे मैं जानता था कि उसकी क्या शर्त है, फिर भी मैंने पूछा, तो उसने अपनी नजरों को नीचे करती हुई बोली- तुम भी मेरे सामने नंगे होओगे। मैं भी तुमको नंगा देखकर अपनी जिज्ञासा शांत करूँगी।
मैंने भी अपने आपको उसके सामने नंगा होने के लिये हामी भरी और उसे पहले कपड़े उतारने के लिये बोला। पुष्पा ने जब अपनी फ्राक उतारी तो फ्राक के नीचे उसने कोई पैंटी नहीं पहनी थी, मैंने पुष्पा से पूछा- पुष्पा तुम चड्डी नहीं पहनती हो क्या?
पुष्पा बोली- मैं कच्छी पहनती तो हूँ, पर आज तुम्हारे लिये ही नहीं पहनी।
‘तो क्या तुम जानती थी कि मैं तुम्हें नंगी देखना चाहता हूँ?’
वो बोली- हाँ… तभी तो जैसे ही तुम्हारे घर के लोग पार्टी में गये, मैं तुम्हारे पास सवाल पूछने के बहाने आ गई, इतना ही नहीं उस दिन भी मैंने कच्छी नहीं पहनी थी जब मैं तख्त पर पाल्थी मार कर बैठ रही थी और तुमने मेरी वो जगह देखी थी, जहाँ से शूशू की जाती है।
और मैंने तुम्हारी नजर देख ली थी कि कहाँ पर है। मैं उस दिन का इंतजार करने लगी जब तुम घर पर अकेले हो। और आज मैं मौका पा गई। क्योंकि जिज्ञासा तुम्हारी नहीं मेरी थी किसी लड़के को अपने सामने बिल्कुल नंगा देखने की, इसलिए मैंने इतना सब कुछ किया।
इतना कह कर उसने देर नहीं लगाई, अपने पूरे कपड़े उतार दिए और मेरे सामने मादरजात नंगी खड़ी हो गई। क्या थी उसकी छोटी-छोटी चूची, बिल्कुल नींबू जैसी। ऐसा लगा कि उसको पकड़ कर उसकी नीबू जैसी चूची को चूस लूँ… और मैं उसको पकड़ कर उसकी चूची को दबाने वाला ही था कि वो झटके से अलग हो गई और बोली- पहले अपने कपड़े उतारो, तुमने भी वादा किया है और तुम्हें भी नंगा होना पड़ेगा।
मैंने भी वादे के अनुसार अपने पूरे कपड़े उतार दिये और उसके सामने नंगा हो गया। उसके बाद पुष्पा मेरे पास आई और मेरे लण्ड को छूकर बोली- तुम इसको क्या कहते हो?
‘लण्ड…’ मैंने तुरंत ही बोला।
‘अच्छा तो यह तुम्हारा लण्ड है, और यह मेरा लण्ड है…’ उसने बड़ी मासूमियत से कहा।
‘अरे नहीं, इसको बुर कहते हैं।’ मैंने कहा।
‘और इसको क्या कहते हैं?’ मेरी गाण्ड पर थपकी देते हुई बोली।
‘गाण्ड…’
‘और इसको?’ अब उसने अपनी गाण्ड पर हाथ फिराते हुए बोली।
‘गाण्ड!!’
‘क्यों? इसको गाण्ड क्यों कहते हैं?’
मैंने पूछा- क्या मतलब?
तो वो बोली- कि जब तुम्हारा ये लण्ड और मेरी ये बुर है तो फिर हमारी और तुम्हारी गाण्ड का एक नाम क्यों?
मैंने कहा- अरे पगली, ये दोनों एक जैसी है और इन दोनों का आकार अलग-अलग है न इसलिए!!
‘इन दोनों का आकार अलग-अलग क्यों है?’
फिर मैंने उसे समझाया कि जिस प्रकार बिजली से बल्ब जलाने के लिये साकेट और टाप का आकार अलग-अलग होता है उसी प्रकार आदमी और औरत का यह अंग अलग-अलग होता है। और जानती हो, इसको क्या कहते हैं उसकी चूची की घुंडी को दबाते हुए मैंने कहा- इसको चूची कहते हैं।
तुरंत ही एक जोर का थप्पड़ मेरे गाल में लगा, मैंने गाल सहलाते हुए पूछा- मारा क्यों?
तो वो बोली- इसको दबा दिया तो मुझे दर्द हो रहा था।
‘अच्छा तो यह बात है…’ कहकर मैंने उसे अपने बदन से चिपका लिया और धीरे-धीरे से उसके बदन को सहलाने लगा। अब वो धीरे-धीरे गरम होने लगी और जैसे-जैसे मैं उसके साथ करता वैसे ही वह मेरे साथ करती। मैंने उसकी पीठ सहलाते-सहलाते उसकी गाण्ड में अपनी उँगली डाल दी। इधर मैंने उसकी गाण्ड में उँगली कि और उधर वि मेरी नकल करते हुए मेरी गाण्ड में उँगली गड़ाने लगी।
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थोड़ी देर बाद पुष्पा बोली- दीपक, मुझे पेशाब लगा है।
मैंने उसे अपने से अलग करते हुए उससे कहा- जाओ, करके आओ।
‘अरे पागल… इस नंगी हालत में मैं बाहर कैसे जा सकती हूँ?’
‘अरे तो कपड़े पहन लो…’
‘अरे बहुत तेज से लगी है, जब तक़ मैं कपड़े पहनूँगी तब तक तो यहीं निकल जायेगा।
‘तो यहीं कर लो, फिर बाद में साफ कर लिया जायेगा।’
पुष्पा बैठ कर मूतने लगी, सीटी जैसी आवाज उसके मूत से आ रही थी, जिसकी वजह से मुझसे रहा नहीं गया और पता नहीं मुझे क्या हुआ मेरा हाथ उसकी बुर पर चला गया और मैं उसकी बुर सहलाने लगा, मेरा हाथ उसके पेशाब से गीला हो रहा था पर मेरा गीला हाथ उसकी बुर पर पड़ता तो एक छपाक की आवाज आती…
पता नहीं मुझे क्या हुआ, मैंने उसको खड़ा कर दिया क्योंकि मैं उसको खड़े होकर मूतते देखना चहता था। जब वो खड़ी हुई तो मैंने अपनी मध्यिका उँगली उसके योनि द्वार पर रखकर अन्दर की तरफ़ धकेलने लगा, जिसके कारण उसकी पेशाब की बूँदें मेरे बदन पर आ रही थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उत्तेजना ही तो थी यह कि मेरी जीभ लपलपा कर उसके बुर के मुहाने पर चली गई। कसैला सा स्वाद था… मैंने उसकी एक टांग उठाकर पास पड़ी कुर्सी पर रख दिया और उसके बुर को चाटने लगा। नंगी पुष्पा भी काबू से बाहर हो रही थी.
मेरे सर को मजबूती से पकड़ कर अपने बुर को मेरे मुँह से रगड़ रही थी, आह… सी… सी… आह की आवाज उसके मुँह से आ रही थी और अचानक मेरे मुँह में कुछ शायद उसके रज की बूँद आ गिरी। मैं मुँह हटाना चाह रहा था, पर वो मेरा सर इस प्रकार पकड़े थी कि मैं चाह करके भी अपना मुँह वहाँ से नहीं हटा पाया.
मैंने उसकी गाण्ड में उँगली डाल दी पर मेरी ये कोशिश भी बेकार गई और उसने अपने रज की एक-एक बूँद मेरे मुँह में भर दी। जैसे ही उसकी पकड़ ढीली पड़ी मैंने उसकी बुर कि पुत्ती को पकड़ कर जोर से मसल दिया, वो चीख पड़ी और बोली- यह क्या कर दिया? दर्द हो रहा है।
‘तुम भी तो अपने बुर से मेरा मुख से नहीं हटा रही थी! अपने रस की एक-एक बूँद पिला दी।’
‘अच्छा यह बताओ कि मेरे रस कैसा लगा?’
‘यह तो मैं नहीं बताऊँगा। तुम मेरा लौड़ा चूसो और इसके स्वाद को अपने आप जान जाओ।’
‘अरे इतनी सी बात… ये लो मेरे राजा!’ इतना कहकर नंगी पुष्पा घुटने के बल बैठ गई और मेरे लोड़े को पकड़ कर आगे की चमड़ी को हटा कर अपने जीभ से उस भाग को चाटने लगी। वो इस प्रकार उस हिस्से को चाट रही थी जैसे छोटा बच्चा खाना खाने के बाद अपने जीभ से अपने हथेली को चाटता है, ठीक उसी प्रकार से वो मेरे लण्ड को चाट रही थी।
फिर उसने मेरी गाण्ड के छेद में अपनी उँगली से सहला कर मेरे लौड़े से अपने मुख को चोद रही थी। उसके इस तरह के मुख चोदन से मुझे लग रहा था कि मैं अब झड़ा कि तब झड़ा। करीब पंद्रह मिनट के बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया।
पुष्पा ने भी मेरे वीर्य की एक-एक बूँद ठीक उसी प्रकार चूस की जैसा कि मैंने उसके किया था। जब उसने मेरे लौड़े को छोड़ा तो लौड़ा इस प्रकार दिखाई पड़ रहा था कि जैसे बच्चे की छुन्नी। मेरे लौड़े या यूँ कहें कि छुन्नी को देख कर हँसने लगी और कहने लगी- देख तो दीपक मैंने तेरे लौड़े का क्या हाल कर दिया।
मैंने कहा- तू इतन अच्छा चूसती है, इसका तो ये हाल होना ही था। कहाँ से सीखा ये सब?
नंगी पुष्पा मुझसे बोली- यह बताओ कि तेरे को मजा आया या नहीं?
‘अरे बहुत मजा आया। पर तुम तो बड़ी पक्की खिलाड़ी हो और मुझसे तो कह रही थी कि आदमी का लण्ड देखने की तुम्हारी बहुत जिज्ञासा है?’
‘अरे वो तो मैं मजाक कर रही थी। मैंने तो तुम्हारी जिज्ञासा को शान्त करने के लिये ये सब किया था।’
‘वो कैसे?’ मैंने पूछा, तो वो बोली- वैसे तो जब भी कभी मैं अपने सवाल तुमसे पूछती थी, तो तुम मेरी तरफ देखे बिना मेरे सवाल बता देते थे। पर जब मैं उस दिन फ्राक पहन कर आई थी, और गलती से मेरे टांगों की तरफ तुमने देखा और उसी वक्त मुझे तख्त पर बैठने को कहा.
उस समय तो में नहीं समझ पाई पर जब मैं घर गई और कपड़े बदलने लगी तभी मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ। मुझे लगा कि मुझे फ्राक पहन कर तुम्हारे पास नहीं आना चाहिये था और उस पर यह कि मैंने पैन्टी भी नहीं पहनी थी।
मैं तुम्हें देखना चाहती थी यदि मैं दूसरे दिन भी फ्राक पहन कर जाऊँ तो तुम्हारा रिएक्शन क्या होगा। लेकिन जब उस दिन भी तुमने मुझे पलंग पर बैठने के लिये कहा तो मैं समझ गई कि तुम क्या चाहते हो। इसलिये मैं उस दिन से इंतजार कर रही थी कि कब तुमको मैं घर में अकेला पाऊँ और तुम्हारी जिज्ञासा को शान्त करूँ।
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‘अच्छा एक बात तो बताओ, तुम इतना सब कैसे जानती हो… इस तरह लण्ड चूसना, पहले से तो चुदी हुई हो क्या?’
‘नहीं…’ पुष्पा बोली- पहले से तो नहीं चुदी हूँ… हाँ पर ये सब मैंने अपने भैया-भाभी की रतिक्रिया के कारण सीखा है। मेरे भैया-भाभी रतिक्रिया करते समय बड़े उन्मुक्त रहते हैं। मुझे याद है कि यह उनके सुहागरात वाली घटना है।
भैया और भाभी की शादी लव मैरिज थी, इसलिये उनमें कोई हिचकिचाहट नहीं थी, रात के साढ़े बारह बज रहे होंगे, तभी भैया के कमरे से आती हुई आवाज सुनाई पड़ी: भैया कह रहे थे- पूजा तेरी गाण्ड बड़ी मादरचोद हो रही है।
भाभी बोली- ‘हाँ, तू तो ऐसे बोल रहा है कि मैं दस-बीस आदमी से चुदवा कर आ रही हूँ। तुमने तो ही मेरे सब छेद को अपने लण्ड से खोल कर भोसड़ा बना दिया है। मुँह, बुर, गाण्ड सब में ही अपना लण्ड डाल कर होल पोल कर दिया है।’
मेरा मन उनके रूम में झांक कर देखने का करने लगा। मैं उठी और उनके रूम के उस जगह को तलाशने लगी, जहाँ से मैं अन्दर देख सकूँ। तभी मुझे भाभी की आवाज सुनाई पड़ी, वो भैया से कह रही थी- जानू, जरा सी खिड़की तो खोल दो, बड़ी गर्मी हो रही है।
भैया बोले- रहने दो, हम लोगों को कोई इस तरह देख लेगा।
भाभी बोली- एक पुष्पा का ही तो कमरा अपने बगल में है, और किसका है? और वो तो सो रही है और अगर उसने गलती से देख भी लीया तो वो भी कुछ हम लोगों से सीखेगी ही और मजा भी लेगी कि कैसे उसके भैया उसकी भाभी को चोदते हैं।
इतना सुनना था कि मेरे रोंगटे खड़े हो गये। तभी भाभी बोली- कितनी ठंडी हवा मेरे नंगे बदन पर पड़ रही है। आओ, जल्दी से मेरी चूत चाटो, इसमें बड़ी खुजली हो रही है, बड़ी देर से इसका रस तुम्हारे मुँह में जाने के लिये तरस रहा है। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
इतना सुनने के बाद मुझे उन लोंगों की रतिक्रिया को देखने की इच्छा हुई और मैं उनके कमरे की खिड़की की तरफ चल दी। मैंने झाँका तो देखा भाभी अपनी एक टांग भैया के कंधे पर क्रास डाला हुआ है और भाभी ने भैया का सर ठीक उसी प्रकार अपने बुर से चिपका रखी थी, जैसे मैंने तुम्हारे साथ किया था।
भाभी कह रही थी- ओ मेरे राजा चूस मेरी चूत को… चाट मेरी चूत को… बड़ा मजा आ रहा है। कितना अच्छा चाटता है रे मेरे राजा।
दो-तीन मिनटों बाद भाभी घुटनों के बल बैठी और भैया का लौड़ा मुँह में लेकर चूसने लगी। फिर भैया ने भाभी को गोद में उठाया और बिस्तर पर ले गये और वहाँ पर तो और गजब का नजारा था। भैया बिस्तर पर पीठ के बल लेट गये, भाभी उनके मुँह की तरफ अपनी गाण्ड की और भैया का लण्ड पकड़ कर अपने मुँह में लेने लगी।
उधर भैया भी कभी भाभी की गाण्ड में उँगली करते हुए बुर चाटते तो कभी उनकी गाण्ड चाटते। उनकी इस हरकत को देख कर मेरा हाथ अपने आप मेरे बुर को सहलाने लगा। मैं तुरंत दौड़ कर अपने कमरे में गई और पजामी और चड्डी उतार कर फिर से उनके कमरे में झांकने लगी।
इतने में भाभी बोली- मेरा निकलने वाला है, मैं गय्यई… इतना कहकर वो ढीली पड़ गई और आह… ओह… आह… की आवाज निकालने लगी।
इतने में भैया बोले- पूजा, मेरा भी निकलने वाला है जल्दी से मेरे लौड़े को मुँह में लो।
भाभी ने तुरंत ही भैया के लौड़े को अपने मुँह में भर लिया और उनके लौड़े के रस को पीने लगी।
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पूरा रस चूसने के बाद भाभी उनके बगल में लेट गई और एक-दूसरे के होंठों को चूसने लगे, फिर भैया भाभी से बोले- पूजा, तुम बुर और गाण्ड को एक साथ चटवा लेती हो और पूरा मजा ले लेती हो, मेरी गाण्ड का क्या होगा?
भाभी बोली- ठीक है, चलो पोजीशन बदल करके 69 की अवस्था में आ जाओ। मैं तुम्हारी गाण्ड चाटते-चाटते लौड़ा खड़ा करती हूँ और तुम मेरी बुर चाट कर मेरे बुर में गरमी पैदा करो ताकि चुदाई का भी कार्यक्रम शुरू किया जाये।
उसके बाद भाभी और भैया पोजिशन बदल कर 69 की अवस्था में आ गये, भाभी भैया की गाण्ड चाट रही थी और लौड़ा चूस रही थी और भैया भाभी की बुर चाट रहे थे। जिस समय भाभी भैया का लण्ड चूस रही थी उनके मम्मे बड़ी तेजी-तेजी हिल रहे थे और भैया उन मम्मों को पकड़ कर दबाने की कोशिश कर रहे थे।
थोड़ी देर बाद भैया का नाग फिर से तन कर खड़ा हो गया, भैया ने भाभी को अपने ऊपर से हटाया और उनको नीचे लेटा कर उनके बुर में अपने लण्ड को सेट करके एक ही झटके में अपना पूरा का पूरा लण्ड उनकी चूत में डाल दिया।
अब वो आसन बदल-बदल कर रतिक्रिया कर रहे थे। कभी भैया नीचे लेटते और भाभी भैया के ऊपर भैया के निप्पल पकड़ कर उछल कूद मचाती तो कभी भैया भाभी को घोड़ी बना कर उनकी चूत का भुर्ता बनाते और साथ ही साथ गाली देते हुए उनकी गाण्ड में चपत रसीद कर देते।
दर्द से भाभी बिलबिला उठती और बोलती- भोसड़ी के… कितना मेरे गाण्ड की धुनाई करेगा? अभी हाथ से मार रहा है और फिर लण्ड से इसको धुनेगा।
‘बुर चोदी… तेरी गाण्ड है ही इतनी मस्त कि मेरा लौड़ा अपने आप रास्ता भटकते हुए तेरी गाण्ड में चला जाता है।’ इतना कहकर भैया हँसने लगे और भाभी भी ओ-आ-ओ कर रही थी।
तभी भैया बोले- आज बुर और गाण्ड एक साथ ही चोद देता हूँ, काफी थक गया हूँ…
‘हाँ यार, थक तो मैं भी गई हूँ। जल्दी से दो-चार धक्के मेरी गाण्ड में भी लगा दो, मुझे भी बहुत नींद आ रही है, भाभी बोली।
इतना सुनते ही भैया बोले- तो ठीक है गाण्ड ढीली छोड़।
‘यार मेरी गाण्ड को खोल कर के थोड़ी चाट भी लो ताकि सुरसुराहट कम हो जाये।’
भाभी के इतना बोलते ही भैया ने अपना लण्ड निकाला और भाभी की गाण्ड को थोड़ा सा ढीला किया और अपनी जीभ वहाँ लगा दी। उनको इस तरह करते देख पता नहीं मेरी उंगली कब मेरी योनि के अन्दर चली गई और मैं कब झर गई, मुझे पता नहीं चला।
जब मेरा हाथ पूरा गीला हो गया तब पता लगा कि मैं भी झर चुकी हूँ। जब मैंने अपना हाथ देखा तो वो पूरा मेरे रस से सना हुआ था। भैया की बात मेरे कानों में गूंज रही थी ‘पूजा, तेरा रस तो बहुत मजेदार है।’ और पता नहीं कब मेरी हथेली मेरी मुँह के पास आ गई और मेरी जीभ हथेली पर चलने लगी।
मुझे मेरे रस का स्वाद बड़ा मजेदार लग रहा था। तभी भाभी की दबी-दबी सी चीख सुनाई दी- अबे लौड़े की धीरे से अपना लौड़ा अन्दर डाल। मैं कोई रंडी नहीं हूँ तेरी बीवी हूँ। इसी झटके से अपनी बहन की गाण्ड मारे तो जानू!!!
तब भैया बोले- जानू नाराज मत हो। लो धीरे-धीरे डाल रहा हूँ।
5-7 मिनट बाद भैया बोले- जानू, मैं झरने वाला हूँ। तेरी गाण्ड में झरूँ कि मुँह में???
‘नहीं गाण्ड में नहीं, मेरे मुँह में अपना माल निकाल। आज अपनी सुहागरात है। अपना तोहफा लिये बगैर नहीं छोड़ूँगी।’
‘तो खोल अपना मुँह, मैं आया।’ इतना कहकर भैया अपना लौड़ा हिलाने लगे और अपना पूरा वीर्य भाभी के मुँह में डाल दिया और भाभी उसको पूरा गटक गई।
तब भैया बोले- मेरा तोहफा तो दो मुझे।
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इतना सुनते ही भाभी ने अपना हाथ अपने बुर में डाला और वहाँ से रस निकाल करके भैया को चटाने लगी। फिर भैया की आवाज आई- मेरे पास तुम्हारे लिये एक तोहफा और है। लेकिन उससे पहले एक काम और है उसको निपटा दे… इतना कहकर भैया ने भाभी के चूतड़ों के नीचे से हाथ डाल कर उठाया और खिड़की की तरफ आने लगे।
उनको खिड़की की तरफ आता देख मैं भी अपने रूम के ओट में हो गई यह देखने के लिये कि अब भैया भाभी क्या करेगें। देखा कि भैया ने भाभी को उठा कर खिड़की पर बैठा दिया और बोले लो अब मूत लो लेकिन ध्यान रखना कि सुबह सबसे पहले बारजा धो लेना।
जब भाभी मूत ली तो भैया बोले- मैं तेरे लिये सोने के कंगन और सेक्सी ब्रा और पैंटी लाया हूँ, कल सुबह पहन लेना।
इतना कहकर दोनों सोने के लिये चले गये। एक बार मैं फिर उनकी खिड़की की तरफ चल दी तो दोनों ही नंगे एक-दूसरे से चिपक कर सो रहे थे। उसके बाद मैंने भी अपने पूरे कपड़े उतरे और सोने के लिये चल दी। भैया-भाभी की चुदाई की कहानी सुनाने के बाद पुष्पा ने मेरे होंठो को चूमना शुरू कर दिया। एक तरीके से वह मेरी जीभ का भी रसास्वादन कर रही थी।
रसास्वादन करते-करते पुष्पा बोली- दीपक आज मैं तुमसे चुदने ही आई हूँ, आज मुझे जी भर के चोदो… मेरी जन्म-जन्म की प्यास बुझा दो।
मैं अगर अपनी बात कहूँ तो पुष्पा के अलावा उस तरह का सेक्स का मजा मुझे फिर कभी नहीं आया। पुष्पा धीरे से मेरे निप्पल को चाट रही थी और बीच-बीच में वो दाँत गड़ा देती जिसका असर यह होता कि मैं भी उसके निप्पल को पकड़ कर मरोड़ देता, जिससे वो सिसकारने लग जाती।
‘दीपक मेरी एक बात मानोगे?’
‘हाँ बोलो…’
‘जैसा-जैसा मैं कहूँ, वैसा-वैसा तुम करना, मैं तुम्हें स्वर्ग का आनन्द दूँगी। और यह मत बोलना यह गन्दा है, वो गन्दा है… बस करते जाना।’
‘ठीक है आज मैं तुम्हारी सब बात मानूगा।
मैं साथ ही साथ उसकी बुर मैं उँगली करने लगा, वो गीली हो चुकी थी और उसका रस मेरे हाथो में था। तभी उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने पूरे बदन को टच करते हुए उँगली को अपने मुँह में ले गई और रस को चूस लिया और अपनी जीभ मेरे में डाल दी।
हम लोग 69 की अवस्था में आ गये, वो मेरा लण्ड चूस रही थी और मैं उसकी चूत को चाट रहा था और उसकी चूत से आते हुए रस का मजा ले रहा था, ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं कोई मलाई चाट रहा हूँ। इतने में मैं भी झर गया और उसने भी मेरी मलाई को पूरा चाट गई।
फिर हम दोनों एक दूसरे से अलग हुए और थोड़ी देर निढाल होकर जमीन पर ही लेटे पड़े रहे और पुष्पा बड़े प्यार से मेरे लौड़े को पकड़ कर सहला रही थी और मैं उसकी चूची को दबाता तो कभी उसके निप्पल मैं चिकोटी कटाता।
पुष्पा मुझसे बिल्कुल सट कर लेटी थी और अपनी एक टांग मेरे जांघों के ऊपर रखे हुए थी। कभी-कभी तो मेरे सुपाड़े के आवरण को बड़ी बेदर्दी से इस प्रकार नीचे की ओर करती थी कि मेरे मुँह से हल्की सी सीत्कार निकल जाती थी और फिर अपने नाखून से उस कटी हुई जगह को कुरेदती थी।
उसकी इस हरकत से जहाँ मीठा-मीठा दर्द होता था वहीं एक अजीब सी उत्तेजना बढ़ती जाती थी और इस कारण मेरा लण्ड फिर से खड़ा होकर के अकड़ने लगा। लण्ड महराज को अकड़ता देख वो धीरे से मुस्कुराई और बोली- बड़ा अकड़ रहा है, रूक जा थोड़ी देर मैं तेरी अकड़ निकालती हूँ।
इतना कहते ही पुष्पा उठी और तेजी से रसोई की ओर गई और वहाँ से एक कटोरी में तेल ले आई, धार बनाकर मेरे लण्ड पर तेल उड़ेली और लण्ड को तेल से सरोबार कर दिया। फिर खुद भी जमीन पर लेट कर अपनी टांगों को उठा कर अपने सर से मिलाते हुए बोली- मेरे राजा, अपनी उँगली से तेल ले-ले कर मेरे चूत के छेद में डालो ताकि यह भी चिकनी हो जाये।
मैंने उसके कहे अनुसार किया, उसके बाद पूजा ने पास पड़ी पलंग से रजाई जमीन पर बिछाई और अपने चूतड़ के नीचे तकिया रखा, उसके ऐसा करते ही उसकी चूत उपर की ओर उठ गई और चूत का मुहाना दिखने लगा।
मैंने भी घुटने के बल बैठ कर अपनी पोजीशन पकड़ी और अपने लण्ड को सेट करके धक्का मारा, लेकिन लण्ड अन्दर न जाकर ऊपर निकल गया। फिर पुष्पा ने अपने हाथ से अपनी चूत को थोड़ा सा फैलाया और मैंने लण्ड को धीरे से सेट करके अन्दर झटके से डाला।
पुष्पा एक बारगी तो चिल्ला उठी और मुझे धक्के देकर हटाने लगी और बोली- कमीने हट… कमीने बहुत दर्द हो रहा है।
लेकिन मुझे लगा कि मैं अपना लण्ड निकाल नहीं सकता हूँ, इसलिए मैं थोड़ा रूक कर उसके दूध के निप्पल को चूसने लगा। जब कुछ देर बाद उसका दर्द कम हुआ तो अपने चूतड़ को उठाकर मेरे लण्ड को अन्दर लेने की कोशिश करने लगी और मेरे कान में बोली- मेरे राजा, इसको फाड़ दो।
उसकी इस बात को सुनकर मैं भी लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगा। धीरे-धीरे वो बड़बड़ाने लगी- चोद मेरे को चोद, फाड़ दे मेरी बुर को। कब से तड़पा रही थी ये मादरचोद। और पता नहीं क्या-क्या बोले जा रही थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
थोड़ी देर बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं खलास होकर उसके ऊपर गिर गया और थोड़ी देर उसके ऊपर लेटा रहा। फिर उसने मुझे धीरे से हटाया और खड़ी हुई और जब उसकी नजर निकले हुए खून पर पड़ी तो हँस कर बोली- देख तूने तो मेरा खून बहा दिया…
इतना कहकर वो पानी से भरा हुआ मग लाई और अपनी चूत को साफ करने लगी फिर बड़े प्यार से मेरे लण्ड को साफ किया और ऊपर से मेरा कुर्ता पहन कर चादर को लेकर बाथरूम में गई और चादर को अच्छे से साफ किया। बाथरूम से निकल कर उसने क्रीम को उँगली में लेकर अपने बुर में डालकर क्रीम लगाने लगी।
मैंने पूछा- यह क्या कर रही हो?
तो बोली- थोड़ी जलन हो रही है, इसलिये क्रीम लगा रही हूँ।
फिर मेरे लण्ड की तरफ देखकर मुस्कुरा के बोली- देख कैसा मुरझाया सा लटका है, अभी थोड़ी देर पहले कैसे अकड़ रहा था। अब देखो तो पूरी अकड़ निकाल दी ना।
‘पुष्पा क्या मेरे लिये चाय बनाओगी? और यह क्या… मैं पूरा नंगा हूँ और तुम कुर्ता पहनी हो?’
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‘लो बाबा, ये लो… कहकर कुर्ता उतार कर मुझे दे दिया और चाय बनाने लगी। चाय बनाते समय जब पुष्पा के कूल्हे हिल रहे थे तो उसको देखकर मेरे लण्ड ने फिर से फुँफकार मारनी शुरू कर दी। पुष्पा ने चाय दी और मेरी गोद में बैठते हुए बोली- लो चाय के साथ बिस्कुट भी खा लो। इतना कहकर उसने लपक कर के मेरे लौड़े को पकड़ा और अपनी चूत में डाल लिया- राजा तुम मेरे को आज चोद के मस्त कर दो। फिर वो मेरे कानों को अपने होंठों से किटकिटाए जा रही थी।
मैंने थोड़ी देर के बाद पुष्पा को उसी तरह गोद में उठाया और डायनिंग टेबल पर पटक दिया और उसके दोनो पैरों को अपने कंधे पर रखकर जोर से धक्के पे धक्के देता गया। चोदते हुए उसकी हिलती हुई चूची देखना बड़ा ही खूबसूरत था। उस दिन वास्तव में मेरी जिज्ञासा शान्त हुई थी कि मैंने पुष्पा को कई आसनों से चोदा और चुदाई का पहला पाठ सीखा। तो दोस्तो, अगली कहानी में पुष्पा और मैंने क्या-क्या मस्ती की और पूजा यानी पुष्पा की भाभी किस प्रकार मुझसे चुदी, यह मैं आप लोगों को बताऊँगा।