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कुंवारी गांड में लंड घुसाया तो चिल्लाने लगी

दिसम्बर 1, 2023 by hamari

Cute Girl Chut

हमारा गाँव प्रयागराज के पास है। पर मैं मुंबई में रहता हूँ, मेरे घर में माँ पिताजी ओर मेरे दो छोटे भाई हैं। मेरी उम्र 22 वर्ष है, मैं दिखने में आकर्षक और गोरे रंग का हूँ, मेरा कद 5’6″ है। मेरा लण्ड ज्यादा बड़ा नहीं है, साईज लगभग 6″ है। Cute Girl Chut

बात आज से चार साल पहले की है जब मैं प्रयागराज में ग्याहरवीं क्लास में पढ़ता था तो मुझे अपने पड़ोस की एक लड़की अराध्या से प्यार हो गया। अराध्या दिखने में बेहद आकर्षक थी। जिसका बदन 32-28-34 का और रंग गोरा था। पूरी गली के लड़के उस पर लाइन मारते थे, उसका घर बिल्कुल मेरे घर के बराबर में था।

जब यह बात उसे पता चली कि मैं उससे प्यार करता हूँ तो पहले तो उसने मुझे कुछ जवाब नहीं दिया, लेकिन एक दिन जब मैं शाम को अपने घर की छत पर टहलने गया था तो उसी समय अराध्या भी अपने घर की छत पर टहलने के लिए आ गई। उसने मौका पाते ही एक कागज मोड़ कर मेरे घर की छत पर फेंका.

जब मैंने उस कागज को उठा कर खोल कर देखा तो मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा, उसमें लिखा था- ..आई लव यू टू ! फिर हमारी बातें शुरु होने लग गई और एक महीने तक कुछ कुछ बातें होती रही। अराध्या किसी के घर नहीं जाती थी पर वो मुझसे छत पर से बात कर लिया करती थी और कभी कभी घर पर भी आ जाती थी।

फिर एक दिन मैंने अराध्या को बाहर मिलने को बोला और वो मुझ से मिलने आ गई। हमने खूब बातें की और एक दूसरे को किस भी किया और फिर हम दोनों घर वापस आ गये। अब अराध्या से बात करने के लिए उसके घर में कैसे जाया जाये, मैंने यह सोचा पर कुछ हल न निकला।

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तीन दिन बाद अराध्या की मम्मी और छोटी बहन वर्षा मेरे घर आई, मैं तब सो रहा था और घर पर अकेला था। अराध्या की मम्मी ने मुझे जगाया और वर्षा को पढ़ाने के लिए जैसे ही बोला, मेरी तो नींद ही उड़ गई। मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा। इससे पहले कि आंटी मुझे कुछ और बोलती, मैंने तुरंत ही बोल दिया- ..ठीक है आंटी, रात को 8 से 10 तक पढ़ा दिया करूँगा।

आंटी बोली- ठीक है।

फिर वो दोनों चली गई। मेरा तो काम बन गया था और मैं खुशी से पागल हो रहा था। मैं 8 बजे से पहले खाना खाकर मम्मी से बोल कर अराध्या के घर आ गया।

मुझे देख कर आंटी बोली- अराध्या और वर्षा ऊपर के कमरे में हैं।

मैं बोला- अच्छा आंटी जी।

मैं ऊपर कमरे में चला गया, मुझे देख कर अराध्या और वर्षा बड़ी खुश हुई। फिर मैं भी उनके साथ बेड पर बैठ गया और मैंने वर्षा को इंग्लिश पढ़ने को बोला। मैंने उसे सेंटेंस बनाने सिखाये और बनाने को दिये, वो उस में लग गई।

मैंने अपना हाथ वर्षा के पीछे से ले जाकर अराध्या की कमर पर फेरने लगा ही था कि अराध्या एकदम ऐसे उछली जैसे उसे करंट लग गया हो। मैंने भी अपना हाथ बिजली की रफ़्तार से वापस खींचा।

तभी वर्षा बोली- क्या हुआ दीदी?

अराध्या बोली- कुछ नहीं, ऐसे लगा जैसे कुछ चुभ गया हो।

मैं मन ही मन मुस्करा रहा था और अराध्या भी, मैंने फिर से हाथ लगाया। इस बार अराध्या ने कुछ नहीं किया पर वो मन ही मन मुस्कुरा रही थी। उसके शरीर पर रोंगटे खड़े हो गए थे, जिन्हें मैं साफ़ महसूस कर रहा था, अराध्या के शरीर में हल्की सी कंपकपी भी हो रही थी।

कुछ ही देर में वर्षा ने सेंटेंस बना दिए, मैं वर्षा को बोला- वाह क्या बात है वर्षा, तू तो बड़ी समझदार है।

फिर मैंने उसे कुछ ओर सेन्टेन्स दिये और बोला- बस आज के लिए इतना ही काफी है।

इतना कहकर में छत के ऊपर से ही अपनी छत पर आ गया क्योंकि गाँव में बिजली रात में कम ही आती थी इसलिए जल्दी ही घना अन्धेरा छा जाता है। मैं अपने कमरे में चला गया, तभी मुझे अराध्या की हल्की सी आवाज सुनी।

मैंने बाहर आकर देखा तो वो अराध्या ही थी, उसने मुझे एक किस की और वापस अपने कमरे में चली गई! अब तक तो मैं उसे प्यार की नज़र से ही देखता था, पर अराध्या के रिस्पांस की वजह से मुझमें और हिम्मत आ गई थी और मैं भी अब उसे वासना की नज़र से देखने लग गया था।

मुझे भी अब उसके साथ सेक्स करने को मन करने लगा था। उस रात मैं काफी देर तक यही सोचता रहा, और फिर मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला। उसी रात मुझे एक हसीं सपना आया जिसमें अराध्या ओर मैं एक दूसरे को किस कर रहे थे।

मैं उसे पलट कर उसके गाल पर चुम्बन करने लगा और उसके होंठ चूसने लग गया। जैसे ही मैंने उसके होंठ अपने होंठों में लिए, उसे करंट सा लगा। मैंने टॉप के ऊपर से ही उसके मम्मे दबाना जारी रखा। फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और हम एक-दूसरे को चूसने लगे।

उसे अजीब लगा क्योंकि यह उसका पहली बार था.. काफ़ी समय बाद मैंने उसको मुक्त किया। फिर में अराध्या के ऊपर लेट कर उसे चुम्बन करने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी। मैंने उसके टॉप में हाथ डाल कर उसके मम्मे दबाना चालू कर दिया। मैं बहुत सख्ती से उसके मम्मे दबा रहा था। उसे बहुत दर्द हो रहा था..

फिर मैंने कहा- अराध्या डार्लिंग.. प्लीज़ टॉप उतारो।

उसने मना कर दिया.. लेकिन में नहीं माना, मैंने उसके हाथ ऊपर करके उसका टॉप निकाल दिया। अराध्या अब ब्रा और पैन्टी में मेरे नीचे दबी थी। मैंने ब्रा में हाथ डाल कर उसके चूचे दबाना चालू कर दिए। मैंने थोड़ी देर बाद ब्रा भी निकाल दी। अब उसके नंगे मम्मे मेरे हाथों में थे। मैंने उन्हें बहुत ज़ोर से दबा रहा था। उसके चूचे एकदम लाल हो गए।

फिर मैंने अपनी जीभ अराध्या की चूचियों पर लगाई.. उसे बहुत ज़ोर का झटका लगा। मैं उसके मम्मों को चूसने लगा। उसकी आँखें बंद हो गईं और सिसकारी निकलने लगी। उसकी पैन्टी भी गीली होने लगी.. मैंने उसके मम्मे बहुत देर तक चूसे। फिर मैंने उसे चुदाई के लिए बोला लेकिन उसने मना कर दिया।

मैं उसे चुदाई के लिए तैयार ही कर रहा था कि तभी मेरे पिताजी ने मुझे आकर जगा दिया। मेरा वो हसीं सपना वहीं टूट गया। मुझे गुस्सा तो बहुत आया पर कुछ बोला नहीं। मैं उठने के बाद फ्रेश होकर नहाने के लिये बाथरूम में गया। मैंने आज पहली बार उसके नाम की मुट्ठ मारी थी और मुझे असीम आनन्द की प्राप्ति हुई।

फिर में नाश्ता करके कॉलेज में चला गया। वहाँ पूरे दिन मेरा मन नहीं लगा, फिर मैं कॉलेज से घर आकर 8 बजने का इंतज़ार करने लगा। आखिर 8 बज गए ओर मैं फिर से अराध्या के घर चला गया। मैंने वहा जाकर जो देखा मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ क्योंकि अराध्या उसी टॉप में थी जिसमें मुझे वो सपने में दिखाई दी थी।

अब मैंने वर्षा से कल का काम दिखाने को कहा जो उसने पूरा कर रखा था। फिर कुछ देर बाद वर्षा टॉयलेट जाने लगी तो मैंने उसे एक गिलास पानी लाने को भी बोल दिया। वर्षा के जाते ही मैंने और अराध्या ने एक जोरदार चुम्बन किया, मैंने अराध्या को रात के सपने के बारे में बताया।

फिर मैंने उसे कहा- मैं तेरे साथ सेक्स करना चाहता हूँ।

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उसने पहले तो मना किया लेकिन बाद में उसने हाँ कर दी।  इतने में ही वर्षा आ गई और हमने बातें बंद कर दी। अब हम दोनों मौके की तलाश करने लगे और एक दिन हमें रात को मौका मिल ही गया। अराध्या ने रात को एक बजे मेरे पास अपने भाई के नंबर से काल की जिसे मैंने दो बार तो अनजान नम्बर समझ कर काट दिया।

जब थोड़ी देर बाद फिर से काल आई तो मुझे वो नंबर नींद में होने की वजह से अपने दोस्त का लगा और मैंने कॉल रिसीव करते ही बोला- मादरचोद तेरी गांड में चुल रहवे के… 24 घंटे जब चहावे तभी कॉल कर दे तू! उधर से कोई जवाब मिले बिना ही फोन कट गया।

फिर सुबह के 2 बजे काल आई, फिर मैंने कॉल रिसीव करके बोला- ..हेलो?

उधर से आवाज़ आई- मैं अराध्या बोल रही हूँ, अपना दरवाज़ा खोलो।

इतना सुनते ही मेरी नींद गायब हो गई और मैंने अपना दरवाज़ा खोला, वो अंदर आ गई। उसने मेरे गाल पर एक प्यारा सा चांटा मारा, बोली- ऐसे ही करते है फ़ोन पर बातें?

मैं बोला- जानू, मैंने सोचा कि मेरा दोस्त है कोई।

फिर मैंने इतना कहते ही उसको होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसना शूरू कर दिया। वो भी मेरा साथ देने लगी। कुछ देर बाद मैंने अपनी जीभ अराध्या के मुँह में डाल दी और वो होंठों से उसे चूसने लगी। मैं एक हाथ से उसके गोल मम्मे दबा रहा था जो उत्त्तेजना के कारण और भी सख्त हो गए थे।

फिर मैंने उसके चूचों को ऊपर से ही चूसना शुरु कर दिया और एक हाथ से उसका दूसरा मुम्मा भींच रहा था। अब मैं उसका टॉप उतार कर उसके मुम्मे चूसने लग गया। मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी। कसम से यार… क्या मम्मे थे… एकदम रूई जैसे और उनके ऊपर गुलाबी निप्पल ऐसे लग रहे थे मानो मिल्क केक पर स्ट्राबेरी रक्खी हो।

मैं तो उन्हें पागलों की तरह चूसे जा रहा था और अराध्या भी तेज़ सिसकारियाँ भर रही थी। उसके चूचे एक मिनी फुटबॉल की तरह सख्त हो गए थे, लगभग उन्हें 10 मिनट तक चूसता रहा मैं, उनमें से अब एक स्वादहीन दूध निकलने लगा था जिसे मैं बड़े शौक से पी रहा था।

अराध्या तो मानो सातवें आसमान पर थी। वो मेरे सर को पकड़ कर अपने चूचों पर जोर जोर से दबा रही थी और सिसकारियाँ ले रही थी। फिर मैं जैसे ही उसकी नाभि का पास पहुँचा तो वो बैठने की नाकाम कोशिश करने लगी। पर बैठ न सकी.. मैंने उसकी नाभि के चारों तरफ चुम्बन की झड़ी लगा दी।

अराध्या तो आँखें बंद करके लेटी हुई थी, उसने मुझे कस कर पकड़ लिया, जिसकी वजह से उसके नाख़ून मेरी गर्दन के पीछे गड़ गए। फिर मैंने उसकी पजामी भी उतार फेंकी, बस अब वो मेरे सामने नीले रंग की पैंटी में थी। मैं उसके पेट और कमर को चूमता रहा, एक हाथ से मैं उसके मम्मे सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसकी चूत को।

उसकी पैंटी भी काफी गीली हो गई थी। मैं उसकी पैंटी उतारने ही लगा तो उसने अपनी टांगें सिकोड़ ली, बोली- ये सब गलत है… कुछ गलत हो गया तो मैं समाज को मुँह दिखने लायक नहीं रहूँगी। मैंने उसे बहुत समझाया और वो मान गई।

मैंने जैसे ही उसकी पैंटी उतारी तो मुझे उसकी चूत के दर्शन हो गए। उसकी गुलाबी रंग की चूत पर हल्के रोयें थे, मैं अपने मुँह को उसकी चूत के पास ले गया। क्या गज़ब की खुशबू आ रही थी। जैसे ही मैंने उसकी चूत पर जीभ लगाई वो तो एकदम कांप गई और उसकी चूत से कामरस की धारा फ़ूट पड़ी।

उसकी सिसकारियाँ अब मादक आवाज में बदलने लगी थी- आह्ह्ह्ह… उम्मम्मम्मीईईई… ऊह्ह्हूओ तेज़ करो… मेरी जान ! आअह्हह… उम्मनम्म्म… म्म… मैंने उसकी चूत से निकले सारे रस को पी लिया। अब मैंने अपना लण्ड अराध्या के मुख के पास ले जाकर कहा-‘चूसो इसे!

उसने पहले तो मना कर दिया पर उत्तेजना के वशीभूत होकर वो मेरा लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगी। अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए। अब अराध्या भी मेरे लौड़े को उतनी ही तेज़ी से चूस रही थी जितनी तेज़ी से मैं उसकी चूत को चूस रहा था।

अब मेरा वीर्य निकलने वाला था, मैंने अराध्या को जोर से चूसने को बोला और मैं भी उसकी चूत और जोर से चाटने लगा। कुछ ही पलों में हम दोनों साथ ही झड़ गए। अराध्या ने मेरा एक एक बून्द वीर्य जीभ से चाट लिया और मैं भी उसका सारा रस पी गया, जो कुछ नमकीन से स्वाद का था।

अब हम दोनों ने पोजीशन बदली और फिर एक दूसरे के होंठों को चूमने लग गए। मैंने अराध्या के कण के पीछे गर्दन पर नाभि पर, सारे शरीर पर चुम्बनो की बौछार कर दी।अराध्या भी अलन एक हाथ से मेरी कमर सहला रही थी और एक हाथ से मेरी मुट्ठ मार रही थी।

अब अराध्या फिर से गर्म हो चुकी थी, मैंने अराध्या से अपना लण्ड चूसने को बोला और वो मेरे लण्ड को एक मंझे हुए खिलाड़ी की तरह चूसने लग गई। अब मेरे मुँह से भी मादक आवाज़ें निकलने लग गई थी- आह्ह्ह्ह्ह कम ऑन अराध्या… उम्म्मम्म… ओह्हूऊऊऊ… मेरी जान उम्म्म तू बड़ी अच्छी है।

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सुबह के 3 बज गए थे, अब मैंने समय की नज़ाकत समझते हुए मैंने अराध्या को बेड पर लिटा दिया। मेरा लण्ड अराध्या ने चूसकर बिल्कुल चिकना कर दिया था। अब मैंने अराध्या की चूत पर थूक लगाया और अपने लण्ड को उसकी चूत पर सेट किया। मैं अराध्या के ऊपर झुक गया और उसके हाथ सही तरीके से दबा लिए और उसके पैरों को भी अपने पैरों से दबा लिया।

अब मैंने अपने होंठ अराध्या के होंठों से मिला कर एक जोरदार धक्का मारा, धक्का मारते ही मैंने उसकी होंठ दबा लिए और उसकी एक हल्की सी चीख निकल कर रह गई। ‘उउय्यईईई म्माआआह मरर्रर्र गग्यईईई…!’ वो दर्द क मरे बिलबिला उठी। मैंने उसके होठों को दबाये रखा और कुछ देर के लिये रुक गया। मैंने कुछ देर बाद उसके होंठ छोड़े उसका मुँह एकदम लाल हो गया था।

वो दर्द से करहाती हुई बोली- …प्लीज़ छोड़ दो मुझे, मुझे बहुत दर्द हो रहा है… मैं मर जाऊँगी… छोड़ दो मुझे।

मुझे उस पर दया भी आ रही थी, पर मैंने सोचा कि अगर आज छोड़ दिया तो फिर कभी चूत देने को तैयार नहीं होगी। मैं उसे चुम्बन करता रहा, उसका दर्द भी अब कम हो चला था, फिर मैंने उसको बिना बताये एक जोरदार धक्का और जड़ दिया। अराध्या चिल्ला उठी और बड़ी मुश्किल से अपने हाथों से उसका मुँह भींच पाया।

अगर मैं अराध्या का मुँह न भींच पाता तो उसकी आवाज नीचे तक चली जाती। अराध्या की आँखों से आँसू निकल आये थे और वो दर्द के मारे बिलबिला रही थी। अराध्या मुझसे छूटने की हर संभव कोशिश कर रही थी पर वो नाकाम रही.. मैंने उसका मुँह दबा रखा था इसलिए उसके मुँह से बस ऊऊह्हह्हह आःह की आवाज़ आ रही थी।

फिर मैंने एक धक्का और मारा, इस बार मेरा लण्ड पूरी जड़ तक उसकी चूत में चला गया। अराध्या लगभग बेहोश से हो गई, अराध्या बुरी तरह तड़प रही थी और उसकी चूत से बहुत सारा खून निकल रहा था। फिर मैं रुका रहा, अराध्या का गला सूख गया था, मैंने पास में रखे गिलास से उसके मुँह में पानी डाला। वो दर्द के मारे कराह रही थी।

फ़िर मैंने अपना लण्ड धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरु कर दिया और मैं अराध्या को लगातार चुम्बन करता रहा। जब मैं अपना लण्ड अंदर बाहर कर रहा था तो अराध्या को कैसा लग रहा था, उसी के शब्दों में जानिये… ‘मुझे हर धक्के के साथ ऐसा लग रहा था, मानो मेरे चूत बाहर निकल जएगी।

जब लंड चूत के अंदर जाता था, मानो चूत अंदर की तरफ जा रही हो, और जब बाहर की तरफ आता था, तो चूत बाहर की तरफ खिंची जा रही हो। अब अराध्या का दर्द कम हो चला था, इसलिए मैंने अब अपने धक्कों की रफ़्तार कुछ तेज़ कर दी थी और अब अराध्या भी कुछ मादक आवाज़ें निकाल रही थी।

अब अराध्या भी कमर उचकाने लगी थी, मुझे पता चल गया था कि अब उसे भी मज़ा आने लगा है। अब अराध्या मेरे साथ अपनी कमर उचका कर देने लगी और वो इतनी असीम आनन्द ले रही थी कि उससे एक शब्द भी तक से नहीं बोला जा रहा था और अब वो कह रही थी- फ़ास्ट, और फ़ास्ट, फाड़ दो मेरी चूत को, आआह… आआ ऊह्ह्ह ऊऊओ ऊऊऊम्मम्म!

अब मैंने भी अपने झटको की रफ़्तार तेज़ कर दी थी, उसकी चूत से अब थोड़ा थोड़ा चिकना पानी निकल रहा था जिसकी वजह से अब मेरे लण्ड को उसकी चूत में जाने में ज्यादा दिक्कत नहीं हो रही थी। अब मैं थक गया था इसलिए मैंने अराध्या को बेड से उठाया और अपने ऊपर आने को बोला।

अराध्या तुरंत ही मेरे ऊपर आ गई और मेरे लण्ड पर बैठकर उचकने लगी। अब हमारी मादक आवाज़ों के संगीत से पूरा कमर भर गया था। मैं एक हाथ से उसके मम्मे दबा रहा था और एक हाथ की उंगली उसकी गांड में घुसा कर अंदर बाहर कर रहा था। अब अराध्या के मुँह से अज़ीब अज़ीब आवाज़े निकलने लगी थी- आःह्ह्ह ऊऊऊ ऊऊय्य्य्यईई…

मुझे पता चल गया था कि वो झड़ने वाली है। इसलिए अब मैं उसके ऊपर आ गया और अब मैंने भी अपने धक्कों की रफ़्तार और तेज़ कर दी और अराध्या एकदम चिल्ला पड़ी- आआईईईई… उसका शरीर एकदम अकड़ गया और उसकी चूत की पकड़ भी मेरे लौड़े पर और बढ़ गई।

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अब लगभग 20 मिनट की चुदाई के बाद में भी झड़ने वाला था और कुछ ही पलों में एक तेज़ आवाज़ ‘आआआःह्हआआ’ के साथ मेरे लण्ड ने भी अराध्या की चूत में पिचकारी चलानी शुरू कर दी और मैं निढाल होकर अराध्या के ऊपर गिर पड़ा। अराध्या भी एकदम चित पड़ी थी।

कुछ देर तक हम ऐसे ही लेटे रहे, फिर मेरे फोन में 4 बजे का अलार्म बज गया, अब मैं अराध्या के ऊपर से जल्दी से उठा और अराध्या भी बैठ गई। अराध्या के बैठते उसकी चूत से खून ओर वीर्य दोनों बाहर निकलने लगे और बेड के पास फर्श पर टपक गया। अराध्या की चूत और उसके मम्मे बुरी तरह से लाल हो गए थे, उसकी चूत सूज गई थी.

मैंने अराध्या की चूत को कपडे से साफ कर दिया और उसने मेरे लण्ड को चाटकर साफ कर दिया। जब अराध्या उठी तो उससे चला भी नहीं जा रहा था, मैं उसे सहारा देकर उसकी छत पर छोड़ आया और अपने कमरे में जैसे ही वापस आया तो बेड देखकर मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। बेड की चादर बुरी तरह से खून में सन गई थी।

मुझे लगा कि अब तो मैं गया… तभी मेरी नज़र बेड के पास रखी टेबल पर गई जहाँ वाटर कलर रखे हुए थे। मैंने रेड कलर को एक ग्लास पानी में घोल कर बेड पर डाल दिया और लेट गया। फिर में सरदर्द का बहाना करके दोपहर के 12 बजे तक सोता रहा। उस दिन अराध्या भी कॉलेज नहीं गई थी क्योंकि उसे बुखार हो गया था। उससे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था।

अब मैं बहुत खुश था क्योंकि जिससे पूरी गली के लड़के बात करने तक को तरसते थे, मैंने उसकी चूत मार ली थी। अब मेरा मन उसकी गांड मारने के लिए करने लगा था। अब ऐसे ही पूरा दिन गुज़र गया और रात के 8 बजे में वर्षा को पढ़ाने के लिए उनके घर गया।

तो जाते ही आंटी ने पूछा- रात को तू छत से ही चला गया था क्या?

मैंने बोला- जी आंटी!

वो बोली- ठीक है।

मैं फिर ऊपर वाले कमरे में चला गया, वहाँ अराध्या लेटी हुई थी और वर्षा पढ़ रही थी। मुझे देखकर अराध्या बैठ गई।

मैंने अराध्या से पूछा- क्या हुआ?

वो बोली- कुछ नहीं, बस रात सर्दी से बुखार हो गया।

मैं जोर से हँस पड़ा और बोला- इतनी गर्मी में सर्दी से बुखार हो गया?

और फिर ऋतु भी हँस पड़ी। अब मैंने वर्षा को पढ़ाना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद आंटी ने नीचे से वर्षा को आवाज़ दी और अराध्या की दवाई ले जाने के लिए बोला। वर्षा नीचे चली गई, मैंने अराध्या से कहा- क्यों, रात मज़ा आया या नहीं?

वो बोली- पहले तो मैं दर्द के मारे मर ही गई थी लेकिन बाद में बहुत मज़ा आया।

तो मैं बोला- आज रात को फिर आ जाना, क्या पता हम कल रहें, ना रहें?

इतना कहते ही उसने मेरा मुँह बंद कर दिया और बोली- आज तो कह दिया, अब कभी मत कहना… अगर तुम्हें कुछ हो गया तो मैं भी ज़िंदा नहीं रहूँगी।

मैंने उसे कहा- पूरी रात मेरे कमरे का दरवाज़ा खुला रहेगा, एक बजे तक आ जाना…

वो बोली- ठीक है।

फिर मैं ऋतु को पढ़ा कर अपने घर आ गया और अराध्या के आने की प्रतीक्षा करने लगा। 12.30 बजे अराध्या मेरे कमरे में आ गई। अराध्या के आते ही मैं उस पर टूट पड़ा, उसे बुरी तरह से चूमने लग गया, उसका शरीर बुखार की वजह से अब भी गर्म था।

अब मैंने अराध्या को पीछे बेड पर लिटा दिया और उसके मुँह में अपनी जीभ डालकर चूसने लगा, उसके चूचे कमीज के ऊपर से ही दबाने शुरू कर दिए। 5 मिनट बाद मैंने उसका कमीज उतार दिया और अब वो मेरे सामने ब्रा में थी। मैंने उसके मुम्मे चूसने और दबाने शुरू कर दिए।

अराध्या भी मेरे सिर को पकड़ कर अपने चूचों पर जोर जोर से दबा रही थी और सिसकारी भर रही थी। उसके चूचे फूल कर कड़े हो गए थे। अब मैंने उसकी ब्रा भी उतार फेंकी, उसके चूचे मुझे आज कल से बड़े दिख रहे थे, मैं उनका निप्पल मुँह में लेकर चूसने लग गया।

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अब अराध्या और भी तेज़ सिसकारी लेने लगी थी, उसके चूचों से हल्का सफ़ेद पानी निकलने लगा था, जिसे में बड़े चाव से पी रहा था। अब मैं उसके कान के पीछे और गर्दन पर किस करने लग गया, अराध्या तो पागल सी होती जा रही थी। फिर मैंने उसकी सलवार उतार दी और एक हाथ से उसके चूतड़ सहलाने लग गया ओर एक हाथ से उसकी चूत को।

मैंने उसकी पैंटी भी उतार फेंकी जो गीली हो गई थी, उसकी चूत भी सूजी हुई थी। मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में जैसे ही डाली, वो कराह उठी। फिर मैंने धीरे धीरे ऊँगली अंदर बाहर करनी शुरू कर दी और अपनी जीभ से उसकी चूत के दाने को चाटने लग गया। फिर मैंने उसकी गांड भी चाटनी शुरू कर दी।

अब अराध्या मादक आवाज़ें निकाल रही थी और मेरे मुँह को अपनी चूत पर दबा कर बोल रही थी- जान खा जाओ मेरी चूत को आआज्ज… फिर हमने पोजीशन बदली और 69 की पोजीशन पर आ गए, अब वो मेरे लण्ड की मुट्ठ मार रही थी और अपने होंठों से चूस रही थी।

अब मैं उसकी चूत और गांड दोनों को चाट रहा था और उसके चूचों को भी मसल रहा था, उसकी चूत से लगातार पानी बह रहा था जिसे मैं चाट रहा था। अब मैंने एक हाथ उसके चूचे से हटाकर एक ऊँगली उसकी गांड में डाल दी। अराध्या के मुख से ‘ऊऊम्मम्मह्ह्ह्ह् ऊऊम्मम्मह्ह्ह्ह् ! की आवाज़ आ रही थी। मैंने अराध्या को घोड़ी बनने को कहा तो वो उठी और घोड़ी बन गई।

अराध्या मुझ से बोली- जान धीरे से करना, कल बहुत दर्द हुआ था।

मैं बोला- ठीक है, आज पीछे से करूँगा, थोड़ा दर्द होगा, पर सह लेना… बाद में कल से भी ज्यादा मज़ा आएगा।

वो बोली गांड मरवाने में बहुत दर्द होता है, मुझे मेरी सहेली ने बताया था।

मैंने कहा- मैं धीरे से करूँगा।

मैंने अपनी ऊँगली पर खूब सारी वैसलीन ली, और उसकी गाँड में अंदर तक अच्छी तरह से लगा दी। थोड़ी अपने लंड पर भी लगा ली। जैसे ही मैं धक्का लगाने की कोशिश करता, वैसे ही अराध्या आगे को हो जाती, कितनी ही बार ऐसा हुआ। फिर मैंने उसे बेड से नीचे उतार कर झुकने को कहा, वो झुक गई।

मैंने उसे कस के पकड़ लिया और लण्ड का सुपाड़ा उसकी गांड के छेद पर सही तरह टिका कर जोर से दबाया, जैसे ही मेरा सुपाड़ा अंदर गया, अराध्या चीख पड़ी- आआआआईईई ‘मेरी गांड फट गई, छोड़ दो मुझे, मुझे नहीं मरवानी गांड ! मैं उसके ऊपर झुक गया और उसकी कमर गर्दन और कान को चूमने लग गया।

थोड़ी देर में अराध्या का दर्द कम हो गया और इसी बात का फायदा उठाते हुए मैंने एक धक्का जड़ दिया। अबकी बार मेरा लण्ड आधे से ज्यादा उसकी गांड में उतर गया, अराध्या रो पड़ी और वो रोते हुए कह रही थी- छोड़ दो प्लीज, मुझे छोड़ दो!

तभी मैं बोला- बस हो गया, अब नहीं होगा दर्द !

मैं उसे लगातार किस किये जा रहा था और उसकी चूची दबा रहा था। जब अराध्या रो रही थी तो मैं यह सोच कर बड़ा खुश था कि मेरे लण्ड में इतना दम है। फिर मैंने उसे बातों में लगाये रखा और अपना लन्ड धीरे धीरे उसकी गांड में सरकाता रहा। जब मेरा लंड उसकी गांड में जड़ तक पहुँच गया गया, तब मैं कुछ देर रुका।

उधर अराध्या की आँखों से आँसू लगातार टपक रहे थे, कुछ देर में उसका दर्द कम हो चला था। अब मैंने अपना लण्ड धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरु कर दिया। शायद अब उसे भी मज़ा आने लगा था और उसने अपनी गांड हिलानी शुरू कर दी थी।

उसे दर्द तो अब भी हो रहा था पर अब उसके मुख से हल्की ‘आआआह्ह्ह आआह्ह्ह्ह ‘की आवाज़ भी निकलने लगी थी और मैंने अब अपने धक्कों की रफ़्तार कुछ बढ़ा दी थी। और कुछ ही देर में अराध्या का दर्द बिल्कुल गायब हो गया, वो कूल्हे उठा कर मेरा साथ देने लगी।

अब उसके मुख से निकलने वाली आवाज़ें तेज़ होने लगी थी, वो कह रही थी- फाड़ दे मेरी गांड को साले ! और जोर से कर, और जोर से, !

अब मैं भी पूरी ताक़त से धक्के मार रहा था पर अराध्या ने तो एक बात रट ही ली थी- और जोर से… और जोर से!

अब मैं थक चुका था तो मैं बेड पर लेट गया और उसे अपने ऊपर आने को कहा। वो मेरे ऊपर आकर मेरे लंड पर बैठकर अपनी कमर उचकाने लगी। अब मैंने उसके दोनों चूचों को चूसना और दबाना शुरू कर दिया। अराध्या तो मानो सातवें आसमां पर थी और उसकी मादक आवाज़ें निकल रही थी- आआःह हआआ उम्म्म उम्म्म ऊओह्ह्हू !!

उसने भी मेरे ऊपर चुम्बन की बौछार कर दी थी। अब मेरा वीर्य निकलने वाला ही था इसलिए अब मैं अराध्या के ऊपर आ गया। मैंने अपना लण्ड उसकी गांड से निकाल कर उसकी चूत में डाल दिया। उसकी चूत इतनी गीली हो गई थी कि एक ही बार में मेरा आधे से ज्यादा लण्ड उसकी चूत में फच्च से चला गया और फिर में धक्के लगाता रहा।

अब कमरे में ‘फच्च फच्च’ की आवाज़ें गूंजने लगी थी और अराध्या भी अपनी मोहक आवाजों के साथ मेरा पूरा साथ दे रही थी। तभी मेरा लण्ड उसकी चूत में एकदम फूल गया, मेरे शरीर में खिंचाव के साथ मेरे लण्ड ने उसकी चूत में वीर्य की बौछार करनी शुरु कर दी। इसी के साथ अराध्या की भी चीख निकल पड़ी और उसका शरीर भी एकदम अकड़ गया।

वो मुझ से इस तरह से चिपक गई जैसे चमगादड़ दीवार पर चिपक जाती है। हम दोनों एक साथ ही झड़ गए और मैं अराध्या के ऊपर कुछ देर तक ऐसे ही पड़ा रहा। फिर मैंने अराध्या की चूत से अपना लण्ड निकाल लिया.

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अराध्या मेरे लण्ड को चूसने लग गई और मेरे लण्ड पर लगा सारा कामरस अच्छी तरह से साफ़ कर दिया और अपनी चूत भी साफ़ कर ली। और मैंने उसकी गांड पर लगा खून भी साफ़ कर दिया। अराध्या को खड़ा होने में भी दिक्कत हो रही थी, मैंने ही उसे सहारा देकर खड़ा किया फिर मैंने उसकी गाण्ड, जो सूज गई थी, पर बोरोलीन लगाई और उसे एक दर्दनिवारक की गोली देकर उसके कमरे तक उसे छोड़ कर आ गया। अपने कमरे में आकर मैंने अपना लण्ड देखा जो छिल गया था, मैंने उस पर भी बोरोलीन लगाई और सो गया।

उसके बाद हमारी चुदाई का कार्यक्रम लगभग रोज़ चलने लगा और करीब एक साल तक हमने खूब जमकर चुदाई की जिसकी वजह से हमारी हर रात को सुहागरात मनती थी। उसके बाद अराध्या की शादी हो गई। अराध्या मेरे साथ फ़ोन पर अब भी बातें करती है, कहती है- चुदाई को जो सुख मेरी जान तूने मुझे दिया, उसे दुनिया का कोई भी मर्द मुझे नहीं दे सकता। अब अराध्या के एक 3 साल का लड़का और 1 साल की लड़की भी है, और जब भी वो गाँव में आती है तो मैं भी गाँव में चला जाता हूँ! आज भी अगर हमें चुदाई करने का मौका मिलता है तो हम चूकते नहीं हैं।

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