Sexy Horny Sali XXX
ये मेरी जिन्दगी की सच्ची घटना है। मेरी दीदी की शादी उज्जैन में हो गयी थी। मैं अक्सर दीदी के घर जाया करता था। उज्जैन में घूमने लायक कई दर्शनीय स्थान थे। इसलिए मैं खुद भी दीदी के घर घूमने चला जाता थे। मेरे जीजा यहाँ के डैम में इंजीनियर थे इसलिए हम लोग कभी भी डैम घूम सकते थे। पिछली बार होली में मैं दीदी के घर गया था। Sexy Horny Sali XXX
जीजा की बहन और मेरी दीदी की नन्द प्रतिभा से मेरी मुलाक़ात हुई। दोस्तों वो बहुत हॉट और सेक्सी माल थी। क्या फिगर था उसका। अच्छा ख़ासा 5’6” का फिगर था और जिस्म पूरा भरा हुआ था। मैंने मन ही मन में सोच लिया की मुझे कैसी भी करके प्रतिभा को पटाना है और कसके चोदना है। धीरे धीरे मैं अपने मिशन में लग गया।
कभी मैं उसकी किचेन में मदद कर देता तो कभी उसकी सब्जियां काट देता। उसे हिंदी फिल्मों के नये नये गाने बहुत पसंद थे। मैं उसे रोज नई नई फिल्मो के गाने सुनाता। “नवीन!! आखिर तुम मुझे इतना तेल मालिश क्यों लगाते है???” प्रतिभा मुझसे इशारों इशारों में पूछती.
“तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। प्रतिभा आई लव यू!!” मैंने बोल देता। पर वो मेरा मकसद खूब समझती थी। वो जानती थी की मैं उसे कसके चोदना और पेलना चाहता हूँ। पर वो भी 23 साल की जवान लौंडिया थी। धीरे धीरे वो मुझसे पट गयी। फिर मैं उसे लेकर उज्जैन के डैम घूमने चला गया।
वहां पर हम दोनों से खूब मजे किये। डैम के किनारे हम दोनों काफी देर तक हाथ में हाथ डाले बैठे रहे। मैंने जी भर कर उसके होठ चूसे। आह!! उसके ताजे गुलाबी होठ थे जैसे कि मीठा पान। अब मैं उसे चोदना चाहता था और वो मुझसे चुदाना चाहती थी।
हम दोनों घूम कर मजे लेकर घर आ गये। शाम को जीजा के एक दोस्त की बीबी की डिलीवरी होनी थी। तो जीजा और मेरी दीदी वहां चले गये। अब घर पर मैं और प्रतिभा बिलकुल अकेले थे। दीदी और जीजा के जाते ही मैं प्रतिभा के कमरे में चला गया।
“प्रतिभा चुदाई का मजा लिया जाए???” मैंने पूछा.
वो बस मेरी आँख में ही देख रही थी। फिर उसने हाँ में सिर हिला दिया। मैंने उसे बाहों में भर लिया और किस करने लगा। प्रतिभा ने एक हलकी कॉटन टी शर्ट और शॉर्ट्स पहन रखे थे। सबसे पहले हम दोनों ने किस किया। फिर धीरे धीरे हम आगे बढ़ने लगे। मेरा हाथ प्रतिभा की चुस्त टी शर्ट पर चला गया। मैं हल्के हाथ से दबाने लगा और उसका साइज मालुम करने लगा।
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“तुम्हारा तो बहुत बड़ा है। कितना साईंज है मम्मे का???” मैंने पूछा “36” प्रतिभा बोली.
फिर मैं तेज तेज उसकी टी शर्ट के उपर से ही उसके बूब्स दबाने लगा। हम फिर किस करने लगे। काफी देर तक मैंने उसके बूब्स उपर से दबाए तो प्रतिभा चुदासी हो गयी। फिर उसने खुद ही अपनी टी शर्ट और ब्रा खोल दी। अब वो मेरे सामने नंगी थी। इधर मैंने भी अपनी टी शर्ट और जींस उतार दी। अब मैं भी नंगा था।
मैंने अपने हाथ प्रतिभा के बूब्स पर रख दिए। जैसे बिजली के चालू तार को मैंने छू लिया. उफ्फ्फ्फ़!! कितनी बड़ी बड़ी, भव्य, गोल गोल बेहद खूबसूरत छातियाँ थी। मेरा दिल मचल गया था। मेरे हाथ उसकी नंगी कमसिन छातियों पर दौड़ने लगे। प्रतिभा “..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ….आहा …हा हा हा” की आवाज निकालने लगी।
धीरे धीरे मेरे हाथ और तेज तेज उसकी रसीली छातियों को दबाने लगे। प्रतिभा हो भी नशा सा छा रहा था। फिर मैं झुककर उसकी छातियाँ पीने लगा। हम दोनों खड़े होकर रोमांस कर रहे थे। कुछ देर बाद प्रतिभा ने खुद ही अपने शॉर्ट्स निकाल दिए और पेंटी भी निकाल दी।
मैंने उसकी चूत पर हाथ लगा दिया और जल्दी जल्दी सहलाने लगा। हम दोनों खड़े थे और पूरी तरह से नंगे थे। जैसे जैसे मैं उसकी चूत सहला रहा था प्रतिभा “……अई…अई….अई……अई….इसस्स्स्स्स्स्स्स्…….उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” की आवाज निकाल रही थी। फिर मैंने उसे अपनी गोद में उठा दिया। उसकी चूत में मैंने लंड डाल दिया।
प्रतिभा ने मुझे कसके पकड़ पकड़ लिया। मेरे कन्धों को उसने मजबूती से पकड़ लिया। मेरी कमर में उसने अपनी दोनों टाँगे जकड़ दी। फिर मैं उसे तेज तेज चोदने लगा। इस तरह से हम दोनों आज एक नया पोस ट्राई कर रहे थे। मै तेज तेज धक्के उसकी चूत में मार रहा था। हवा में उसकी चूत मार रहा था।
मैंने उसे कसके पकड़ रखा था। अगर मैं 6 फिट का गबरू जवान लड़का ना होता तो मैं उसे इस तरह उठा के नही पेल पाता। प्रतिभा को मैं हवा में उछाल उछाल कर बजा रहा था। वो चुद रही थी। उसकी कुवारी चूत को मैं फाड़ रहा था। मुझे भरपूर संतुस्टी मिल रही थी। प्रतिभा का चेहरे मेरे चेहरे के पास ही था।
जब मन करता था मैं उसे किस कर लेता था। दोस्तों उस दिन तो बहुत मजा आ गया था। अपने जीजा की बहन को मैंने कसके चोदा था। फिर कुछ देर बाद तो मैं और भी तेज धक्के मारने लगा। हवा में गोद में उठाकर उसको चोदने में बहुत ताकत लग रही थी, पर मजा भी खूब आ रहा था.
प्रतिभा की रसीली चूत से पट पट चट चट की आवाज आने लगी। अगर वो मुझे कसके नही पकड़ती तो नीचे गिर जाती. उनके खूबसूरत मम्मे मेरे सीने से दब रहे थे. मुझे गुल गुल लग रहा था.
उफ्फ्फ्फ़कितनी मांसल चूचियां थी उसकी.
उसने उत्तेजना में आँखें बंद कर ली और गपा गप ठुकाई का आनंद लिया। कुछ देर बाद मैं खुद को रोक ना सका। गोद में उठाकर पेलते पेलते उसकी चूत में मेरा माल निकाल दिया। जीजा की बहन अब चुद चुकी थी। अब मैंने उसे अपनी गोद से नीचे उतारा।
“नवीन!! यू आर सो हॉट!!” प्रतिभा बोली.
उसके बाद हम बिस्तर पर लेट गये। किस करते करते हम सो गये। रात के 9 बजे मेरी दीदी का फोन आया की वो हॉस्पिटल में ही रुकेगी। अभी डिलीवरी नही हुई है। मैं खुशी से उछल पड़ा।
“क्या हुआ नवीन??? इतना खुश क्यूँ हो????” प्रतिभा ने पूछा.
“जान!! आज सारी रात हम ऐश कर सकते है!! क्यूंकि जीजा और दीदी आज रात हॉस्पिटल में ही रहेंगे!!” मैंने कहा और प्रतिभा के पुट्ठे सहलाने लगा।
“तुम फिर मुझे अभी चोदो!! इंजतार किस बात का?” प्रतिभा किसी देसी छिनाल और रंडी की तरह बोली।
हम दोनों फिर से किस करने लगे। अब हम दोनों लेटकर चुदाई करने वाली थे। मेरी नजर प्रतिभा के नंगे जिस्म पर पड़ी। १ जोड़ी सुंदर पाँव और उनकी गोल मटोल १० उँगलियाँ, मेरा तो माथा ही घूम गया। मैंने सब कुछ छोड़ के उसके खूबसूरत पावों को चूम लिया। उसकी टाँगे बड़ी की चिकनी, चमकदार और गोरी थी।
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मैंने उसकी दोनों टांगों को बारी बारी कई बार चूमा। होश उड़ गए। वो शर्म से गड़ी जा रही थी। उसके घुटने भी दुधिया गोरे रंग के थे। मैंने कुछ देर उसके रूप को निहारा और फिर दोनों घुटनों को चूम लिया। प्रतिभा की चूत की खुशबू मेरी नाक के नथुनों में आने लगी।
“उफ्फ्फफ्फ्फ़।।।।इसी रसीली बुर!!” जब टांगे, टखने, पैर इतने खूबसूरत है तो इन सब अंगों की रानी उसकी चूत कैसी होगी?? मैं मन ही मन सोचने लगा। प्रतिभा की मस्त गदराई जांघो के दर्शन हुए तो लगा की खुदा मिलने वाला है। उसकी जांघे खूब गोल गोल मांसल गदराई हुई थी। उसका सौंदर्य अभूतपूर्व था। भगवान से उसे बड़ी फुर्सत में बैठकर बनाया था।
मैं बार बार उनके नंगे बदन को सहला रहा था। आज मैं उसे कसके चोदना चाहता था। ये हमारा चुदाई का दूसरा राउंड होने वाला था। मेरे हाथ बार बार प्रतिभा की नंगी गदराई चूचियों पर दौड़ जाते थे। उसकी चूचियां बड़ी गोल मटोल और तनी हुई नारियल के आकार की थी। कितनी बड़ी बड़ी और रसीली थी।
मुझे उसे हाथ में लेकर बेहद मजा आ रहा था। मेरा लंड पूरी तरह खड़ा हो चुका था। वो बहुत गोरे खूबसूरत जिस्म की मालकिन थे। मैंने उसे बाहों में भर लिया। उसकी साँसे मेरी सांसों से टकराने लगी। हम दोनों किस करने लगे।
एक बार फिर से मेरे हाथ उसकी कमर और गोल मटोल पुट्ठों पर चले गये। मैं बिना रुके उसके पुट्ठे सहला रहा था। उसे भी भरपूर मजा मिल रहा था। हम दोनों गर्म हो गये थे। साफ़ था की अब हम दोनों गरमा गर्म चुदाई करने वाले थे।
“प्लीस नवीन!!! आओ मुझे चोदो ना और कितना तड़पाओगे???” प्रतिभा मिन्नते करती हुई बोली.
मैं उसके उपर लेट गया और उसकी चूचियों को मैंने किसी पान की तरह मुंह में भर लिया, फिर जल्दी जल्दी चूसने लगा। मुझे बहुत मजा मिल रहा था। उसकी चूचियां बड़ी मुलायम और नर्म थी। मुझे तो सीधी जन्नत मिल रही थी। मैंने 15 मिनट तक जीजा की बहन की चूची पी। फिर चूत में लंड डाल दिया।
मैं प्रतिभा को चोदने लगा। उसने मुझे बाहों में भर लिया और जल्दी जल्दी लंड खाने लगी। उसका चेहरा पिचक सा गया था। मैं उसकी सांसे पी रहा था। मेरी कमर जल्दी जल्दी नीचे उपर हो रही थी। मैं उसे जल्दी जल्दी चोद रहा था। उसकी बड़ी बड़ी 36” की छातियाँ मेरे सीने के वजन से दब रही थी।
मुझे बड़ा मुलायम मुलायम लग रहा था। धीरे धीरे मेरे धक्को की रफ्तार बढ़ने लगी। मैं जल्दी जल्दी उसे ठोकने लगा। उसकी चुद्दी से चट चट की आवाज आने लगी। लगा की मैं उसके साथ दिवाली के पटाखे दगा रहा हूँ। मुझे अब चुदास और और जादा नशा चढ़ गया था।
मैं और तेज धक्के प्रतिभा की चुद्दी में मारने लगा। फिर हम दोनों के जिस्म अकड़ गये। मैंने अपना माल उसकी चूत में निकाल दिया। दूसरे राउंड की चुदाई पूरी हो चुकी थी। मैंने फ्रिज से ओरेंज जूस की एक बोतल निकाली और २ ग्लासों में दूध निकाला। हम दोनों ने जूस पिया।
उसके बाद हम दोनों ने साथ में नहाया और मजा किया। प्रतिभा खाना बनाने चली गयी। तब तक मैंने एक फिल्म देख ली। रात के 2 अब बज चुके थे। हम दोनों एक ही बिस्तर पर लेटे थे क्यूंकि रात में अकेले प्रतिभा को सोने में डर लगता था।
“प्रतिभा!! गांड दे ना!!” मैंने कहा.
“नही नवीन! दर्द होगा!” प्रतिभा बोली.
“हाँ दर्द होगा पर बाद में तुझे भरपूर मजा मिलेगा!!” मैंने उसे विश्वास दिलाया।
बड़ी चापलूसी करने के बाद प्रतिभा गांड चुदाने को राजी हो गयी। मेरा प्रतिभा की गांड मारने का बहुत मन था। उसके बाद मैंने प्रतिभा की टांगे खोल दी और उसकी गांड के नीचे २ मोटी तकिया लगा दी। अब उसकी गांड का छेद अब उपर आ गया था।
मैं झुककर उसकी गांड में थूक दिया और झुककर अपनी जीभ से उसकी कसी कसी गांड पीने लगा। दोस्तों प्रतिभा बहुत गोरी थी इसलिए उसकी गांड भी बहुत खूबसूरत, चिकनी, सफ़ेद और सुंदर थी। मैंने बड़ी देर तक प्रतिभा की गांड को जीभ लगाकर चाटा और मजा लिया।
फिर मैंने अपना 8” का मोटा लंड उसकी गांड पर रख दिया और जोर का धक्का मारा। प्रतिभा“….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..” बोलकर चिल्लाने लगी। मेरे मजबूर और ताकतवर लौड़े से प्रतिभा की कसी गांड की सील तोड़ दी थी। उसमे से खून निकल रहा था। वो चीख रही थी।
मैं धीरे धीरे उसकी कुवारी गांड को चोदने लगा। उसकी गांड बहुत कसी थी। मैं धीरे धीरे अपने लौड़े को अंदर बाहर करने लगा। मुझे बहुत कसा कसा लग रहा था। मैं उसे पेलने लगा। उसे दर्द में कराहते देख मुझे बहुत आनंद महसूस हो रहा था। मैं उसकी गांड में जूझ रहा था।
मेरे मोटे लंड ने अपना कमाल दिखा दिया था। फिर 15 मिनट बाद प्रतिभा की गांड का दर्द खत्म हो गया। मैं जल्दी जल्दी उसकी गांड चोदने लगा। प्रतिभा जल्दी जल्दी मुंह से गर्म गर्म हवा छोड़ने लगी। उसकी आँखें उलट गयी थी। उसकी हालत खराब थी। “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..” की आवाज वो निकाल रही थी।
मुझे खुशी मिल रही थी। फिर मैं तेज तेज धक्के उसकी गांड में देने लगा। उफ्फ्फ्फ़ कितनी कसी और कुवारी गांड थी प्रतिभा थी। मैंने 40 मिनट उसकी गांड चोदी और माल भी उसे में गिरा दिया। मेरे जिस्म और मत्थे पर पसीना छूट गया था। उधर प्रतिभा भी हांफ रही थी। मैंने अपना लंड उसकी गांड से निकाल लिया।
वो अपनी गांड सहलाने लगी क्यूंकि अभी भी उसे दर्द हो रहा था। मैंने लंड को प्रतिभा के मुंह के सामने कर दिया और जल्दी जल्दी फेटने लगा। कुछ देर बाद मेरे लंड से फिर से 5 6 पिचकारी माल की निकली जो सीधा प्रतिभा के मुंह पर जाकर गिरी। वो बहुत चुदासी फील कर रही थी।
मेरे माल को उसने मुंह में ले लिया और सारा माल पी गयी। ये वाली हम दोनों की अब तक की सबसे शानदार चुदाई थी। मैंने अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया। वो मजे लेकर से मेरा ९” का लौड़ा चूसने लगी। धीरे धीरे उसे अच्छा लगने लगा।
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वो जल्दी जल्दी मेरे लौड़े को हाथ से फेट भी रही थी। मुझे अलग तरह की यौन उतेज्जना महसूस हो रही थी। अब मेरा लौड़े ३ इंच मोटा हो गया था। प्रतिभा इसे किसी आइसक्रीम की तरह चूस रही थी। मुझे मजा आ रहा था। मेरा लौड़ा तो किसी खूटे की तरह दिख रहा था। बिलकुल तम्बू दिख रहा था। प्रतिभा इसे अपने मुंह में पूरा अंदर तक गहराई तक लेने लगी और लगन से चूसने लगी। मुझे तो परम आनंद मिलने लगा। अब मेरा लंड बहुत सुंदर और गुलाबी लग रहा था। लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था।
प्रतिभा की उँगलियाँ उसपर जल्दी जल्दी घूम रही थी और मेरे लंड को फेट रही थी। मुझे आनंद आ रहा था। मैंने उसके सिर को दोनों हाथो से पकड़ लिया और जल्दी जल्दी लेटे लेटे ही उसका मुंह चोदने लगा। उसे तो साँस तक नही आ पा रही थी। मुझे ये सब बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने काफी देर तक मुख मैथुन का मजा ले रहा था। उसके बाद हम दोनों साथ में ही लेट गये और सो गये। सुबह दीदी आई तो उन्होंने बताया की जीजा के दोस्त की बीबी को लड़का हुआ है। जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ है और खतरे की कोई बात नही है। ये सुनकर हम सब बहुत खुश थे।