Kadak Sexy Maal
मेरा नाम मुकेश है। मैं भोपाल में रहता हूँ। मेरी शादी हो चुकी है। मैं एक किसान हूँ। अभी मेरी उम्र 30 की है। मैं आपकी बीबी को रोज रात में नंगा करके चोदता हूँ। पर दोस्तों आज आपको अपनी साली की दास्तान सुना रहा हूँ। Kadak Sexy Maal
पिछले महीने की बात है मेरे खेतों में गन्ने की फसल कटनी थी। अब फसल पूरी तरह से पक गयी थी और एक एक गन्ना 6 6 फुट से लम्बा हो गया था। अब फसल को काटना था। इसलिए मेरी बीबी ने अपने भाई धर्मेश और बहन गुड़िया को मेरे घर पर बुला लिया।
सुबह होते की मेरा पूरा परिवार खेतो में आ जाता और गन्ना काटने का काम शुरू कर देता। मेरी बीबी, बाप, मेरी अम्मा, मेरे दो भाई मनीष और कनक, मेरी साली गुड़िया, साला धर्मेश और मैं अब सुबह सुबह ही खेत आ जाते और गन्ना काटने का काम शुरू कर देते।
दोस्तों मेरी साली गुड़िया बहुत कड़क माल है। वो इकदम फाडू सामान है और ऐसी खूबसूरती उसे खुदा ने दी है की किसी भी मर्द का लंड खड़ा कर दे। मैं पनी साली को पिछले साल चोद चूका हूँ। बड़ी चालाक मछली थी। किसी तरह से मुझसे पटने को राजी नही थी। पर दोस्तों मैं भी किसी हीरो से कम नही हूँ।
बड़ा बड़ा जुगाड़ करके मैंने अपनी साली गुड़िया को पटा लिया और आखिर में उसके घर पर ही उसे चोद लिया। अब वो कोई नखड़ा नही मारती है। और आराम से चुदवा लेती थी। अब जब गुड़िया मेरे सामने खेत में गन्ने को हसिया से काट रही थी तो मेरा ध्यान बार बार उसकी तरफ जा रहा था।
अब सर्दियों में गुड़िया पहले से मोटी ताज़ी सामान लग रही थी। मेरा फिर से उसे चोदने का दिल था पर अभी तो कोई चांस नही था क्यूंकि मेरा पूरा परिवार यही खेत में था। दोस्तों मेरे पास 50 बीघा खेत है जिसमे गन्ने काटने में महिना भर तो आराम से लग जाता है। और बाहरी मजदूरों की मदद भी लेनी पडती है।
दोपहर में मेरी बीबी खाना टुकनी में लेकर खेत पर आ जाती और सब लोग साथ में खाते थे। खेतों में कुछ खटीयाँ मैं लेकर आ गया था। दोपहर में कुछ देर सो भी लेता था। पिछले 10 दिन सब लोगो ने रोज काम किया और 15 बीघा गन्ना काट दिया और उसका बोझा बाँध दिया। फिर अचानक से मौसम जादा ठंडा हो गया।
मेरे साले को कुछ जरुरी काम पड़ गया और वो अपने घर चला गया। 4 दिन बाद खेत में सिर्फ मैं, मेरी साली और और मेरे दो भाई मनीष और कनक ही खेत पर आये थे। खटिया और बिस्तरा पड़ा हुआ था और आज साली को कसके चोदा जा सकता है। उस दिन का काम शुरू हो गया और हम चारो लोग गन्ना हंसिया से काटने लगे। दोपहर 2 बजे तक सब लोग काफी थक गये। मैंने देखा की मनीष और कनक का अब काम करने का मन नही था।
“क्या तुम लोग सुस्ताना चाहते हो???” मैंने पूछा.
दोंनो कुछ नही बोले। मेरा बड़ा लिहाज करते थे।
“जाओ !! तुम लोग घर जाकर खाना खा लो। चलो जाओ!! थोडा आराम भी कर लेना और ये तो पैसे आलू टिकिया भी खा लेना। और जब लौटना तो मेरा और गुड़िया का खाना ले आना। अपनी चाची (मेरी बीबी) को मत भेजना। खुद ही खाना लेकर आना” मैंने जोर देकर कहा और 20 का नोट निकालकर अपने भाइयो को दे दिया। उन दोनों को आलू की चाट खाना बड़ा पसंद था।
वो हँसते हुए चले गये। अब खेत में सिर्फ मैं और गुड़िया ही रह गये। मेरी बीबी की तबियत कुछ दिन से सही नही थी। इसलिए वो अब खेत में नही आ रही थी। मेरे बाप को भी जादा ठंड होने की वजह से बुखार चढ़ गया था। अम्मा भी कुछ ठीक नही थी। चारो तरह ऊँचे ऊँचे गन्ने के खेत में हम जीजा साली अकेले रह गये। मैंने गुड़िया को पकड़ लिया।
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“क्या कर रहे है जीजा जी???” वो बोली.
“तुझे नही पता क्या। आज तेरी चूत लूँगा। इतनी दिन हो गये तुजे मेरे घर आये पर तूने ये नही सोचा की मुझे एक चुम्मा दे दो” मैंने शिकायत करके कहा.
गुड़िया को पीछे से कमर से पकड़ लिया और गालो पर चुम्मा देने लगा। आज तो उसे किसी तरह से चोदना ही था। वो भी मान गयी और बिना किसी नखड़े के किस करवाने लगी। खड़े खड़े मैंने उसी अपनी ओर घुमाया और सीने से जकड़ लिया। दोस्तों गुड़िया की कद काठी काफी मजबुत है और देखने में बिलकुल पंजाबन कुड़ी लगती है।
चेहरा हल्का सा लम्बा है पर भरा हुआ है। गुड़िया के दूध 34” के है और 34 28 32 का फिगर है उसका। गुड़िया बिलकुल देसी लड़की है और उसे चोदने को कोई भी लड़का फौरन ही तैयार हो जाएगा। रंग खूब गोरा है दोस्तों। पूरी तरह से चोदने लायक सामान है मेरी साली।
मैंने खड़े खड़े ही 15 मिनट तक उसे सीने से चिपकाए रखा और खूब गालो पर किस किया। फिर गुड़िया के गुलाबी होंठो को चुसना शुरू कर दिया। आज वो नीले सलवार सूट पर थी। उसके दुप्पटे को मैंने हटा दिया और खटिया पर फेंक किया। बिना दुप्पटे में गुड़िया की जवानी देखते ही बन रही थी। 34” की कड़ी कड़ी और सुडौल छातियाँ मैंने हाथ से दाबना शुरू कर दिया।
गुड़िया “ओह्ह माँ….ओह्ह माँ…उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ….” करने लगी। मैं दिमाग घूम गया और इंजन गर्म हो गया। मैंने गुड़िया को सिर को दोनों हाथो से पकड़ लिया और उसके मुंह को अपने मुंह की तरह दबाने लगा। उसके बाद तो वो भी खुलकर मेरे लब चूसने लगी और हम दोनों मियाँ बीबी की तरह गरमा गर्म चुम्बन करने लगे।
काफी देर तक रोमांस होता रहा। अब मैं जल्दी से एक हाथ नीचे ले गया और गुड़िया की सलवार का नारा ढूढने लगा। फिर मुझे नारे की डोर मिल गयी और मैंने जल्दी से उसे खींच दिया। सलवार उतर गयी और नीचे सरक गयी। मैंने तुरंत अपनी साली की चूत के उपर चड्डी पर हाथ रख दिया तो मुझे गर्म गर्म लगने लगा।
“आह गुड़िया!! तेरी चूत कितनी गर्म है रे!! अगर अंडा भी तेरी चूत पर रख दूँ तो वो भी कुछ देर में उबल जाए” मैंने बोला.
फिर चूत को घिसने लगा। गुड़िया “ओहह्ह्ह…ओह्ह्ह्ह…अह्हह्हह…अई..अई. .अई… उ उ उ उ उ…आह जीजा जी आह आह” करने लगी। मैं रुका नही और चूत को घिसता ही रहा। वैसे भी आज का दिन काफी ठंडा था इसलिए गुड़िया की गर्म चूत मुझे सुकून दे रही थी।
मैंने चड्डी के उपर से खूब देर तक उसकी चूत को रगड़ा। गुड़िया की माँ चुद गयी। “जीजा जी !!! आराम से करो” वो बोली। अब मेरा टेमपेरेचर भी हॉट हो गया। मैंने अब गुड़िया को लेकर पास पड़ी खटिया पर ले गया और लिटा दिया। मैंने ही उसकी सलवार उतारी। फिर सफ़ेद चड्डी उतार दी।
“गुड़िया पैर खोलो!!” मैंने बोला.
उसने अपने सफ़ेद सेक्सी और चिकने पैर खोल दिए। देखा तो उसकी चूत रसीली हो गयी थी। मुझे उसका रस देखकर चैन मिला क्यूंकि ये रस बता देता है की लड़की को भी उतना आनन्द आ रहा है जितना की लड़के को। मैं बिना विलम्ब किये अपना मुंह गुड़िया के भोसड़े पर लगा दिया और चाटने लगा।
वो अब“आआआअह्हह्हह…..ईईईईईईई….ओह्ह्ह्….अई. .अई..अई…..अई..मम्मी….” करने लगी। मैं जल्दी जल्दी उसकी चूत की कली कली चाटने लगा। लाल लाल चूत के होठ बड़ा जोश जगा रहे थे। आज पुरे एक साल बाद गुड़िया को पेलने का मौका मिल रहा था क्यूंकि उसके पापा यानी ससुर उसे सिर्फ गन्ना कटवाने के लिए मेरे घर भेजते थे।
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मेरे उपर शक करते थे की कही मैं अकेले में गुड़िया को चोद न डालूं। मैं भी कितने दिन से नई बुर का इन्तजार कर रहा था। मेरी बीबी अब पेट से हो गयी थी इसलिए अब चूत मारना बंद कर दिया था। कितने दिन ने मेरे 10” के लौड़े को चूत का छेद नसीब नही हुआ था।
मैं भी किसी चोदू आदमी की तरह उसकी चूत पी रहा था। चूत के दाने को दांत से पकड़कर अपनी ओर खिंच रहा था। “जीजा जी!! आराम से मेरी चूत चटिये!! दर्द होता है!!” साली बार बार कह रही थी। मैं अपनी धुन में मग्न था और चूत को उंगलियों से खोल खोलकर चाट रहा था। फिर जल्दी जल्दी ऊँगली करने लगा।
गुड़िया “……अम्मा….अम्मा…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” करने लगी। मैं भी किसी हरामी मर्द की तरह उसकी चूत में ऊँगली घुसाकर गोल गोल हिला दिया। गुड़िया किसी सूखे पत्ते की तरह कापने लगी और हिसने लगी। वो थरथरा रही थी।
मैं बहुत कमीनापन देने लगा और ऊँगली जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगा। बड़ा आनन्द दिया अपनी साली को। उसकी सिसकियाँ मुझे और जादा जोश दिला रही थी। कुछ देर बाद 2 ऊँगली, फिर 3 ऊँगली और फिर पूरी मुट्ठी उसके भोसड़े में दे दी।
दोस्तों जब किसी औरत का बच्चा होता है तो उसका भोसड़ा फ़ैल जाता है। उसी तरह से आज करिश्मा हो गया था। जब मैंने मुट्ठी अंदर भोसड़े में दे दी तो गुड़िया की चूत बहुत फ़ैल गयी। मैंने भी खूब मजा लिया। बार बार मुट्ठी डालता और निकाल लेता। डालता और निकाल लेता। फिर ऊँगली करता। इसी खेल को बार बार करने से गुड़िया झड़ गयी और अपना पानी छोड़ दी।
“चलो कपड़े उतार दो गुड़िया!!” मैं बोला.
वो अब बैठ गयी और अपनी कमीज को उतार दी। अब ब्रा भी खोल दी। पूरी तरह से नंगी हो गयी थी। दोस्तों चारो तरह गन्ने के बड़े बड़े खेत थे इसलिए कोई रिस्क नही था। कोई हम दोनों को नही देख सकता था। मैंने अपना शर्ट पेंट उतार दिया। खटिया पर अपनी नंगी साली पर लेट गया और उसे अपनी बाहों में भर लिया। कुछ देर फिर से होठ चूसने लगा।
आज पुरे 1 साल बाद गुड़िया से प्यार कर रहा था इसलिए कुछ जादा ही सेक्सी मुझे लग रही थी। मैंने उसे खूब किस किया और खूब चुम्मा लिया। कुछ देर होठो पर किस किया। और अब दूध चूसने लगा। गुड़िया अपनी नाक से तेज तेज गर्म गर्म सांसे मेरे चेहरे पर छोड़ने लगी। उसके दूध 34” के थे और बड़ी शान से किसी नारियल की तरह तने हुए थे।
मैंने दोनों हाथो से दोनों दूध को मसलने लगा तो गुड़िया “…….उई. .उई..उई…….माँ….ओह्ह्ह्ह माँ……अहह्ह्ह्हह…”की सिस्कारियां लेने लगी। मैं दांत से उसकी निपल्स को चबा चबाकर जब अपनी तरफ खींचता तो उसे लगती थी। “अईई !!…जीजा !! दर्द होता है। धीरे धीरे चूसो” वो कहती थी। पर मैं कहाँ सुनने वाला था।
मैं 20 मिनट तक उसके दोनों बूब्स को हाथ से दबा दबाकर और बड़ा कर दिया और मुंह में लेकर सब रस चूस गया। अब मैं आकर उसके पेट चूमने लगा। कुछ देर बाद मैंने मेन काम शुरू कर दिया और उसकी चूत में अपना 10” लंड डालने लगा। थोड़ी मेहनत के बाद लंड अंदर घुस गया और मैंने चुदाई शुरू कर दी। गुड़िया सु सु करने लगी।
मैं काम लगाना शुरू कर दिया और पट पट करके चोदने लगा। गुड़िया चुदने लगी और दोनों हाथो से मेरी कमर को पकड़कर अपनी चूत में दबाने लगी। ““ हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ….ऊँ—ऊँ…ऊँ फाड़ो जीजा!! आज तुम फाड़ दो मेरी चुद्दी को… सी सी सी सी… हा हा हा.. ओ हो हो….” मेरी साली गुड़िया कहने लगी। मैंने भी अच्छे गहरे और लम्बे धक्के देने शुरू कर दिए। गुड़िया की चूत से चट चट की आवाजे आने लगी।
मुझे उसकी आवाजे बड़ी मीठी लग रही थी। मैं और तेज तेज हौकना शुरू कर दिया। गुड़िया ने अपनी दोनों टाँगे मेरे मुंह पर रख दी। मैंने उसके पैरो को किस करके उसे पकर पकर पेलने लगा। वो “जीजा!! जीजा!! अई …अई… करने लगी। मैं बिना रुके अपने गन्ने के खेत में ही साली की विधिवत ठुकाई करता रहा। फिर भी मैंने नही झड़ा। मैंने अपने 10” लंड को बाहर निकाला तो मेरा सुपारा लाल लाल दिन की रौशनी में चमक रहा था।
“चल रंडी!! चूस इसे!!” मैंने कहा और खटिया पर पसर गया और लेट गया। “जीजा नही !! लंड मत चुस्वाओ प्लीस!!” गुड़िया कहने लगी.
“रंडी!! तुझे भी लंड चुसाऊंगा और तेरी माँ के मुंह में भी डाल दूंगा। अब नाटक मत कर और इसे चूसकर मुझे मजा दे” मैंने रॉब जमाते हुए कह और जबरन गुड़िया का गला पकड़कर उसे अपने लंड के पास झुका दिया और उसके मुंह में लंड घुसा दिया। मजबूरन उसे मुंह खोलकर लंड अंदर लेना पड गया। आखिर वो खुल गयी और बैठकर लंड फेटने लगी और झुककर चूसने लगी।
“बेटा!! और जल्दी जल्दी मेरा लौड़ा फेट!! धीरे में मजा नही आता है!!” मैं बोला.
अब मेरी साली गुड़िया जल्दी जल्दी मेरा 10” पहलवान वाला लौड़ा फेटने लगी और मुंह में लेकर जल्दी जल्दी सिर उपर नीचे करके हिला हिलाकर चूसने लगी। उसे भी अच्छा लगने लगा। मैं आराम से खटिया में लेता ऐश कर रहा था। ठंड के मौसम में धुप में लेटकर अपनी साली से लंड चुसाई करवा रहा था। काफी देर तक मजा वो देती रही।
“गुड़िया!! आज मेरे लंड की सवारी कर ले” मैंने कहा.
गुड़िया मेरी कमर पर लंड को चूत में घुसाकर बैठ गई। मैंने उसके दूध को मसलना फिर से शुरू कर दिया।
“चलो गुड़िया चुदाई शुरू करो मेरी जान!!” मैं बोला.
गुड़िया मेरे लंड की सवारी करने लगी। किसी घोड़े की सवारी जैसे लोग करते है वैसे करने लगी। गुड़िया को नशा चढ़ गया और जम्प मार मारकर चुदवाने लगी। “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी….. ऊँ—ऊँ…ऊँ….”कर रही थी।
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10 मिनट तक गुड़िया से धक्के दिए। अब वो थक गयी। मैंने उसकी कमर पकड़ी और नीचे से उपर को चूत में धक्के मारने लगा। खूब पेला गुड़िया को जिससे वो वासन के नशे में आ गयी और उसकी आँखे लाल लाल हो गयी। मेरे कंधे पकड़कर वो आगे की झुक गयी। दोस्तों उसकी दुधियाँ चूचियां की निपल्स काली काली थी और बड़े बड़े काले गोले दूध पर कितने हसीन लग रहे थे। मैं ऊँगली से उसके अंगूर यानी की निपल्स पकड़ लिए और गोल गोल मरोड़ने लगा। गुड़िया “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हममममअहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..” करने लगी।
फिर मुझपर ही लेट गयी। मैंने उसके मस्त मस्त चूतड़ पकड़ लिए और और कसके दबा दबाकर नीचे से उसे चोदने लगा। दोस्तों जिन्दगी का असली मजा तो साली को चोदने में आता है। मैं भी असली मर्द की तरह उसे बड़ी देर तक चोदा और फिर चूत में ही झड़ गया। पसीना छूट गया हम दोनों के। सर्दी के मौसम में गुड़िया का गर्म गर्म जिस्म बड़ा सुकून दे रहा था। झड़ने के बाद भी मैंने अपना लंड उसकी भोसड़ी में घुसाए रखा और अपने सीने पर लिटाये रखा। कुछ देर बाद मैंने उसकी गांड चोदी।