Horny Bahan Ki Chudai Kahani
मेरा नाम आशा है. मेरा छोटा भाई दसवीं मैं पढता है. वह गोरा चिट्टा और करीब मेरे ही बराबर लम्बा भी है. मैं इस समय 19 की हूँ और वह 18 का. मुझे भैया के गुलाबी होंठ बहुत प्यारे लगते हैं. दिल करता है कि बस चबा लू. पापा गल्फ में है और माँ गवर्नमेंट जॉब में. माँ जब जॉब की वजह से कहीं बाहर जाती तो घर में बस हम दो भाई बहन ही रह जाते थे. Horny Bahan Ki Chudai Kahani
मेरे भाई का नाम अमित है और वह मुझे दीदी कहता है. एक बार माँ कुछ दिनों के लिए बाहर गयी थी. उनकी इलेक्शन ड्यूटी लग गयी थी. माँ को एक हफ्ते बाद आना था. रात में डिनर के बाद कुछ देर टीवी देखा फिर अपने-अपने कमरे में सोने के लिए चले गए. करीब एक आध घंटे बाद प्यास लगने की वजह से मेरी नींद खुल गयी.
अपनी साइड टेबल पर बोतल देखा तो वह खाली थी. मैं उठकर किचन में पानी पीने गयी तो लौटते समय देखा की अमित के कमरे की लाइट ऑन थी और दरवाज़ा भी थोड़ा सा खुला था. मुझे लगा की शायद वह लाइट ऑफ करना भूल गया है मैं ही बंद कर देती हूँ. मैं चुपके से उसके कमरे में गयी लेकिन अंदर का नज़ारा देखकर मैं हैरान हो गयी.
अमित एक हाथ मैं कोई किताब पकड़कर उसे पढ़ रहा था और दुसरे हाथ से अपने तने हुए लंड को पकड़कर मूठ मार रहा था. मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी की इतना मासूम लगने वाला दसवीं का यह छोकरा ऐसा भी कर सकता है. मैं दम साधे चुपचाप खड़ी उसकी हरकत देखती रही लेकिन शायद उसे मेरी उपस्थिति का आभास हो गया.
उसने मेरी तरफ मुंह फेरा और दरवाज़े पर मुझे खड़ा देखकर चौंक गया. वह बस मुझे देखता रहा और कुछ भी ना बोल पाया. फिर उसने मुंह फेर कर किताब तकिये के नीचे छुपा दी. मुझे भी समझ ना आया की क्या करूँ. मेरे दिल में यह ख्याल आया की कल से यह लड़का मुझसे शरमाएगा और बात करने से भी कतराएगा.
घर में इसके अलावा और कोई है भी नहीं जिससे मेरा मन बहलता. मुझे अपने दिन याद आये. मैं और मेरा एक कज़िन इसी उम्र के थे जब से हमने मज़ा लेना शुरू किया थातो इसमें कौन सी बड़ी बात थी अगर यह मूठ मार रहा था. मैं धीरे-धीरे उसके पास गयी और उसके कंधे पर हाथ रखकर उसके पास ही बैठ गयी. वह चुपचाप लेता रहा.
मैंने उसके कन्धों को दबाते हुए कहा “अरे यार अगर यही करना था तो कम से कम दरवाज़ा तो बंद कर लिया होता.” वह कुछ नहीं बोला बस मुंह दूसरी तरफ किये लेटा रहा. मैंने अपने हाथों से उसका मुंह अपनी तरफ किया और बोली “अभी से ये मज़ा लेना शुरू कर दिया. कोई बात नहीं मैं जाती हूँ तू अपना मज़ा पूरा कर ले. लेकिन ज़रा यह किताब तो दिखा.”
इसे भी पढ़े – इंजीनियरिंग कॉलेज सेक्सी गर्ल की पेला पेली
मैंने तकिये के नीचे से किताब निकाल ली. यह हिंदी में लिखी मस्तराम की किताब थी. मेरा कज़िन भी बहुत सी मस्तराम की किताबे लाता था और हम दोनों ही मज़े लेने के लिए साथ-साथ पढ़ते थे. चुदाई के समय किताब के डायलॉग बोलकर एक दुसरे का जोश बढ़ाते थे. जब मैं किताब उसे देकर बाहर जाने के लिए उठी तो वह पहली बार बोला “दीदी सारा मज़ा तो आपने ख़राब कर दिया अब क्या मज़ा करूंगा.”
“अरे अगर तुमने दरवाज़ा बंद किया होता तो मैं आती ही नहीं.” “हु अगर आपने देख लिया था तो चुपचाप चली जाती.” अगर मैं बहस मैं जीतना चाहती तो आसानी से जीत जाती लेकिन मेरा वह कज़िन करीब 6 महीने से नहीं आया था इसलिए मैं भी किसी से मज़ा लेना चाहती ही थी. अमित मेरा छोटा भाई था और बहुत ही सेक्सी लगता था.
इसलिए मैंने सोचा की अगर घर में ही मज़ा मिल जाये तो बाहर जाने की क्या ज़रुरत. फिर अमित का लौड़ा अभी कुंवारा था. मैं कुंवारे लंड का मज़ा पहली बार लेती इसलिए मैंने कहा “चल अगर मैंने तेरा मज़ा ख़राब किया है तो मैं ही तेरा मज़ा वापस कर देती हूँ.”
फिर मैं पलंग पर बैठ गयी और उसे चित लिटाया और उसके मुरझाये लंड को अपनी मुठी में लिया. उसने बचने की कोशिश की पर मैंने लंड को पकड़ लिया था. अब मेरे भाई को यकीन हो चूका था की मैं उसका राज़ नहीं खोलूंगी इसलिए उसने अपनी टाँगे खोल दी ताकि मैं उसका लंड ठीक से पकड़ सकूं.
मैंने उसके लंड को बहुत हिलाया डुलाया लेकिन वह खड़ा ही नहीं हुवा. वह बड़ी मायूसी के साथ बोला “देखा दीदी अब खड़ा ही नहीं हो रहा है.” “अरे क्या बात करते हो. अभी तुमने अपनी बहन का कमाल कहाँ देखा है. मैं अभी अपने प्यारे भाई का लंड खड़ा कर दूँगी.” ऐसा कह मैं भी उसकी बगल में ही लेट गयी.
मैं उसका लंड सहलाने लगी और उससे किताब पढ़ने को कहा. “दीदी मुझे शर्म आती है.” “साले अपना लंड बहन के हाथ में देते शर्म नहीं आयी.” मैंने ताना मारते हुए कहा “ला मैं पढ़ती हूँ.” और मैंने उसके हाथ से किताब ले ली. मैंने एक स्टोरी निकाली जिसमे भाई बहन के डायलॉग थे. और उससे कहा “मैं लड़की वाला बोलूंगी और तुम लड़के वाला.”
मैंने पहले पढ़ा “अरे राजा मेरी चूचियों का रस तू बहुत पी लिया अब अपना बनाना शेक भी तो टेस्ट कराओ.”
“अभी लो रानी पर मैं डरता हूँ इसलिए की मेरा लंड बहुत बड़ा है तुम्हारी नाज़ुक कसी चूत में कैसे जायेगा.”
और इतना पढ़कर हम दोनो ही मुस्करा दिए क्योंकि यहाँ हालात बिलकुल उलटे थे. मैं उसकी बड़ी बहन थी और मेरी चूत बड़ी थी और उसका लंड छोटा था. वह शर्मा गया लेकिन थोड़ी सी पढ़ाई के बाद ही उसके लंड में जान भर गयी और वह तन कर करीब 6 इंच का लम्बा और 1.5 का मोटा हो गया.
मैंने उसके हाथ से किताब लेकर कहा “अब इस किताब की कोई ज़रुरत नहीं. देख अब तेरा खड़ा हो गया है. तू बस दिल में सोच ले की तू किसी की चोद रहा है और मैं तेरी मूठ मार देती हूँ.” मैं अब उसके लंड की मूठ मार रही थी और वह मज़ा ले रहा था. बीच बीच में सिसकारियां भी भरता था.
एकाएक उसने चूतड़ उठाकर लंड ऊपर की ओर ठेला और बोला “बस दीदी” और उसके लंड ने गाढ़ा पानी फेंक दिया जो मेरी हथेली पर गिरा. मैं उसके लंड के रस को उसके लंड पर लगाती उसी तरह सहलाती रही और कहा “क्यों भैया मज़ा आया?”
“सच दीदी बहुत मज़ा आया.”
“अच्छा यह बता की ख्यालों में किसकी ले रहा था?”
“दीदी शर्म आती है. बाद में बताऊंगा.”
इतना कह उसने तकिये में मुंह छुपा लिया.
“अच्छा चल अब सो जा नींद अच्छी आएगी. और आगे से जब ये करना हो तो दरवाज़ा बंद कर लिया करना.”
“अब क्या करना दरवाज़ा बंद करके दीदी तुमने तो सब देख ही लिया है.”
“चल शैतान कही के.”
मैंने उसके गाल पर हलकी सी चपत मारी और उसके होंठो को चूमा. मैं और किस करना चाहती थी पर आगे के लिए छोड़ कर वापस अपने कमरे में आयी. अपनी शलवार कमीज उतार कर नाईटी पहनने लगी तो देखा की मेरी पेंटी बुरी तरह भीगी हुयी है. अमित के लंड का पानी निकलते-निकलते मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया था.
अपना हाथ पेंटी में डालकर अपनी चूत सहलाने लगी. उँगलियों का स्पर्श पाकर मेरी चूत फिर से सिसकने लगी और मेरा पूरा हाथ गीला हो गया. चूत की आग बुझाने का कोई रास्ता नहीं था सिवा अपनी ऊँगली के. मैं बेड पर लेट गयी. अमित के लंड के साथ खेलने से मैं बहुत एक्साईटेड थी और अपनी प्यास बुझाने के लिए अपनी बीच वाली ऊँगली जड़ तक चूत में डाल दी.
तकिये को सीने से कसकर भींचा और जांघो के बीच दूसरा तकिया दबा आँखे बंद की और अमित के लंड को याद करके ऊँगली अंदर बाहर करने लगी. इतनी मस्ती चढ़ी थी कि क्या बताये मन कर रहा था की अभी जाकर अमित का लंड अपनी चूत में डलवा लूँ. ऊँगली से चूत की प्यास और बढ़ गयी इसलिए ऊँगली निकाल तकिये को चूत के ऊपर दबा औंधे मुंह लेटकर धक्के लगाने लगी.
बहुत देर बाद चूत ने पानी छोड़ा और मैं वैसे ही सो गयी. सुबह उठी तो पूरा बदन अनबुझी प्यास की वजह से सुलग रहा था. लाख रगड़ लो तकिये पर लेकिन चूत में लंड घुसकर जो मज़ा देता है उसका कहना ही क्या. बेड पर लेते हुए मैं सोचती रही की अमित के कुंवारे लंड को कैसे अपनी चूत का रास्ता दिखाया जाये. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
फिर उठकर तैयार हुयी. अमित भी स्कूल जाने को तैयार था. नाश्ते की टेबल हम दोनो आमने-सामने थे. नज़रे मिलते ही रात की याद ताज़ा हो गयी और हम दोनो मुस्करा दिए. अमित मुझसे कुछ शर्मा रहा था की कहीं मैं उसे छेड़ ना दूँ. मुझे लगा की अगर अभी कुछ बोलूंगी तो वह बिदक जायेगा इसलिए चाहते हुए भी ना बोली.
चलते समय मैंने कहा “चलो आज तुम्हे अपने स्कूटर पर स्कूल छोड़ दूँ.”
वह फ़ौरन तैयार हो गया और मेरे पीछे बैठ गया. वह थोड़ा सकुचाता हुआ मुझसे अलग बैठा था. वह पीछे की स्टेपनी पकडे था. मैंने स्पीड से स्कूटर चलाया तो उसका बैलेंस बिगड़ गया और सँभालने के लिए उसने मेरी कमर पकड़ ली. मैं बोली “कसकर पकड़ लो शर्मा क्यों रहे हो?”
“अच्छा दीदी” और उसने मुझे कसकर कमर से पकड़ लिया और मुझसे चिपक सा गया. उसका लंड कड़ा हो गया था और वह अपनी जांघो के बीच मेरे चूतड़ को जकड़े था.
इसे भी पढ़े – दोस्त की चाची की गांड फाड़ दी चोदकर
“क्या रात वाली बात याद आ रही है अमित?”
“दीदी रात की तो बात ही मत करो. कहीं ऐसा न हो की मैं स्कूल में भी शुरू हो जाऊं.”
“अच्छा तो बहुत मज़ा आया रात में?”
“हाँ दीदी इतना मज़ा ज़िन्दगी में कभी नहीं आया. काश कल की रात कभी ख़तम न होती. आपके जाने के बाद मेरा फिर खड़ा हो गया था पर आपके हाथ में जो बात थी वो कहाँ. ऐसे ही सो गया.”
“तो मुझे बुला लिया होता. अब तो हम तुम दोस्त हैं. एक दुसरे के काम आ सकते हैं.”
“तो फिर दीदी आज रात का प्रोग्राम पक्का.”
“चल हट केवल अपने बारे में ही सोचता है. ये नहीं पूछता की मेरी हालत कैसी है. मुझे तो किसी चीज़ की ज़रुरत नहीं है. चल मैं आज नहीं आती तेरे पास.”
“अरे आप तो नाराज़ हो गयी दीदी. आप जैसा कहेंगी वैसा ही करूंगा. मुझे तो कुछ भी पता नहीं अब आपही को मुझे सब सीखाना होगा.”
तब तक उसका स्कूल आ गया था. मैंने स्कूटर रोका और वह उतरने के बाद मुझे देखने लगा लेकिन मैं उसपर नज़र डाले बगैर आगे चल दी. स्कूटर के शीशे मैंने देखा की वह मायूस सा स्कूल में जा रहा है. मैं मन ही मन बहुत खुश हुई की चलो अपने दिल की बात का इशारा तो उसे दे ही दिया. शाम को मैं अपने कॉलेज से जल्दी ही वापस आ गयी थी. अमित २ बजे वापस आया तो मुझे घर पर देखकर हैरान रह गया. मुझे लेटा देखकर बोला “दीदी आपकी तबियत तो ठीक है?”
“ठीक ही समझो तुम बताओ कुछ होमवर्क मिला है क्या?”
“दीदी कल संडे है ही. वैसे कल रात का काफी होमवर्क बचा हुआ है.”
मैंने हंसी दबाते हुवे कहा “क्यों पूरा तो करवा दिया था. वैसे भी तुमको यह सब नहीं करना चाहिए. सेहत पर असर पड़ता है. कोई लड़की पटा लो आजकल की लड़कियां भी इस काम में काफी इंटरेस्टेड रहती हैं.”
“दीदी आप तो ऐसे कह रही हैं जैसे लड़कियां मेरे लिए शलवार नीचे और कमीज ऊपर किये तैयार है कि आओ पेंट खोलकर मेरी ले लो.”
“नहीं ऐसी बात नहीं है. लड़की पटानी आनी चाहिए.”
फिर मैं उठकर नाश्ता बनाने लगी. मैं सोच रही थी की कैसे इस कुंवारे लंड को लड़की पटाना चोदना सिखाऊं. लंच टेबल पर उससे पूछा “अच्छा यह बता तेरी किसी लड़की से दोस्ती है?”
“हाँ दीदी सुधा से.”
“कहाँ तक?”
“बस बातें करते हैं और स्कूल में साथ ही बैठते हैं.”
मैंने सीधी बात करने के लिए कहा “कभी उसकी लेने का मन करता है?”
“दीदी आप कैसी बात करती हैं.”
वह शर्मा गया तो मैं बोली “इसमें शर्माने की क्या बात है. मुट्ठी तो तू रोज़ मारता है. ख्यालो में कभी सुधा की ली है या नहीं सच बता.”
“लेकिन दीदी ख्यालो में लेने से क्या होता है.”
“तो इसका मतलब है की तू उसकी असल में लेना चाहता है.” मैंने कहा.
“उससे ज़्यादा तो और एक है जिसकी मैं लेना चाहता हूँ जो मुझे बहुत ही अच्छी लगती है.”
“जिसकी कल रात ख्यालो में ली थी?”
उसने सर हिलाकर हाँ कर दिया पर मेरे बार-बार पूछने पर भी उसने नाम नहीं बताया. इतना ज़रूर कहा की उसकी चुदाई कर लेने के बाद ही उसका नाम सबसे पहले मुझे बताएगा. मैंने ज़्यादा नहीं पूछा क्योंकि मेरी चूत फिर से गीली होने लगी थी. मैं चाहती थी की इससे पहले की मेरी चूत लंड के लिए बेचैन हो वह खुद मेरी चूत में अपना लंड डालने के लिए गिड़गिड़ाए.
मैं चाहती थी की वह लंड हाथ में लेकर मेरी मिन्नत करे की दीदी बस एक बार चोदने दो. मेरा दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा था इसलिए बोली “अच्छा चल कपडे बदल कर आ मैं भी बदलती हूँ.” वह अपनी यूनिफार्म चेंज करने गया और मैंने भी प्लान के मुताबिक अपनी शलवार कमीज उतार दी. फिर ब्रा और पेंटी भी उतार दी क्योंकि पटाने के मदमस्त मौके पर ये दिक्कत करते.
अपना देसी पेटीकोट और ढीला ब्लाउज ही ऐसे मौके पर सही रहते हैं. जब बिस्तर पर लेटो तो पेटीकोट अपने आप आसानी से घुटनो तक आ जाता है और थोड़ी कोशिश से ही और ऊपर आ जाता है. जहाँ तक ढीले ब्लाउज का सवाल है तो थोड़ा सा झुको तो सारा माल छलक कर बाहर आ जाता है. बस यही सोचकर मैंने पेटीकोट और ब्लाउज पहना था. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
इसे भी पढ़े – पति ने नहीं चोदा तो ससुर के साथ हमबिस्तर हुई बहु
वह सिर्फ पायजामा और बनियान पहनकर आ गया. उसका गोरा चिट्टा चिकना बदन मदमस्त करने वाला लग रहा था. एकाएक मुझे एक आईडिया आया. मैं बोली “मेरी कमर में थोड़ा दर्द हो रहा है ज़रा बाम लगा दे.” यह बेड पर लेटने का परफेक्ट बहाना था और मैं बिस्तर पर पेट के बल लेट गयी.
मैंने पेटीकोट थोड़ा ढीला बाँधा था इसलिए लेटते ही वह नीचे खिसक गया और मेरे पैरो के बीच की दरार दिखाई देने लगी. लेटते ही मैंने हाथ भी ऊपर कर लिए जिससे ब्लाउज भी ऊपर हो गया और उसे मालिश करने के लिए ज़्यादा जगह मिल गयी. वह मेरे पास बैठकर मेरी कमर पर आयोडेक्स(पेन बाम) लगाकर धीरे धीरे मालिश करने लगा.
उसका स्पर्श(टच) बड़ा ही सेक्सी था और मेरे पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी. थोड़ी देर बाद मैंने करवट लेकर अमित की ओर मुंह कर लिया और उसकी जांघ पर हाथ रखकर ठीक से बैठने को कहा. करवट लेने से मेरी चूचियां ब्लाउज के ऊपर से आधी से ज़्यादा बाहर निकल आयी थी. उसकी जांघ पर हाथ रखे रखे ही मैंने पहले की बात आगे बढ़ाई “तुझे पता है की लड़की कैसे पटाया जाता है?”
“अरे दीदी अभी तो मैं बच्चा हूँ. ये सब आप बताएंगी तब मालूम होगा मुझे.”
आयोडेक्स लगाने के दौरान मेरा ब्लाउज ऊपर खिंच गया था जिसकी वजह से मेरी गोलियां नीचे से भी झाँक रही थी. मैंने देखा की वह एकटक मेरी चूचियों को घूर रहा है. उसके कहने के अंदाज़ से भी मालूम हो गया की वह इस सिलसिले में ज़्यादा बात करना चाह रहा है.
“अरे यार लड़की पटाने के लिए पहले ऊपर ऊपर से हाथ फेरना पड़ता है ये मालूम करने के लिए की वह बुरा तो नहीं मानेगी.”
“पर कैसे दीदी.” उसने पूछा और अपने पैर ऊपर किये.
मैंने थोड़ा खिसक कर उसके लिए जगह बनायीं और कहा “देख जब लड़की से हाथ मिलाओ तो उसको ज़्यादा देर तक पकड़ कर रखो देखो कब तक नहीं छुड़ाती है. और जब पीछे से उसकी आँख बंद कर के पूछो की मैं कौन हूँ तो अपना केला धीरे से उसके पीछे लगा दो. जब कान में कुछ बोलो तो अपना गाल उसके गाल पर रगड़ दो. वो अगर इन सब बातों का बुरा नहीं मानती तो आगे की सोचो.”
अमित बड़े ध्यान से सुन रहा था. वह बोला “दीदी सुधा तो इन सब का कोई बुरा नहीं मानती जबकि मैंने कभी ये सोचकर नहीं किया था. कभी कभी तो उसकी कमर में हाथ डाल देता हूँ पर वह कुछ नहीं कहती.”
“तब तो यार छोकरी तैयार है और अब तो उसके साथ दूसरा खेल शुरू कर.”
“कौन सा दीदी?”
“बातों वाला. यानि कभी उसके संतरो की तारीफ करके देख क्या कहती है. अगर मुस्कराकर बुरा मानती है तो समझ ले की पटाने में ज़्यादा देर नहीं लगेगी.”
“पर दीदी उसके तो बहुत छोटे-छोटे संतरे हैं. तारीफ के काबिल तो आपके है.” वह बोला और शर्माकर मुंह छुपा लिया.
मुझे तो इसी घडी का इंतज़ार था. मैंने उसका चेहरा पकड़कर अपनी ओर घूमाते हुवे कहा “मैं तुझे लड़की पटना सीखा रही हूँ और तू मुझ ही पर नज़रे जमाये है.”
“नहीं दीदी सच में आपकी चूचियां बहुत प्यारी है. बहुत दिल करता है…..” और उसने मेरी कमर में एक हाथ डाल दिया.
“अरे क्या करने को दिल करता है ये तो बता.” मैंने इठलाकर पूछा.
“इनको सहलाने का और इनका रस पीने का.”
अब उसके हौसले बुलंद हो चुके थे और उसे यकीन था की अब मैं उसकी बात का बुरा नहीं मानूंगी.
“तो कल रात बोलता. तेरी मूठ मारते हुवे इनको तेरे मुंह में लगा देती. मेरा कुछ घिस तो नहीं जाता. चल आज जब तेरी मूठ मारूंगी तो उस वक़्त अपनी मुराद पूरी कर लेना.” इतना कह उसके पायजामा में हाथ डालकर उसका लंड पकड़ लिया जो पूरी तरह से तन गया था. “अरे ये तो अभी से तैयार है.”
तभी वह आगे को झुका और अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा लिया. मैंने उसको बांहो में भरकर अपने करीब लिटा लिया और कस के दबा लिया. ऐसा करने से मेरी चूत उसके लंड पर दबने लगी. उसने भी मेरी गर्दन में हाथ डाल मुझे दबा लिया. तभी मुझे लगा की वो ब्लाउज के ऊपर से ही मेरी लेफ्ट चूची को चूस रहा है.
मैंने उससे कहा “अरे ये क्या कर रहा है. मेरा ब्लाउज ख़राब हो जायेगा.”
उसने झट से मेरा ब्लाउज ऊपर किया और निप्पल मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. मैं उसकी हिम्मत की दाद दिए बगैर नहीं रह सकी. वह मेरे साथ पूरी तरह से आज़ाद हो गया था. अब यह मेरे ऊपर था की मैं उसको कितनी आज़ादी देती हूँ.
अगर मैं उसे आगे कुछ करने देती तो इसका मतलब था की मैं ज़्यादा बेकरार हूँ चुदवाने के लिए और अगर उसे मना करती तो उसका मूड ख़राब हो जाता और शायद फिर वह मुझसे बात भी न करे. इसलिए मैंने बीच का रास्ता लिया और बनावटी गुस्से से बोली “अरे ये क्या तू तो ज़बरदस्ती करने लगा. तुझे शर्म नहीं आती.”
“ओह्ह दीदी आपने तो कहा था की मेरा ब्लाउज मत ख़राब कर. रस पीने को तो मना नहीं किया था इसलिए मैंने ब्लाउज को ऊपर उठा दिया.”
उसकी नज़र मेरी लेफ्ट चूची पर ही थी जो की ब्लाउज से बाहर थी. वह अपने को और नहीं रोक सका और फिर से मेरी चूची को मुंह में ले लिया और चूसने लगा. मुझे भी मज़ा आ रहा था और मेरी प्यास इनक्रीज कर रही थी. कुछ देर बाद मैंने ज़बरदस्ती उसका मुंह लेफ्ट चूची से हटाया और राइट चूची की तरफ लाते हुवे बोली “अरे साले ये दो होती हैं और दोनो में बराबर का मज़ा होता है.”
उसने राइट मम्मी को भी ब्लाउज से बाहर किया और उसका निप्पल मुंह में लेकर चुभलाने लगा और साथ ही एक हाथ से वह मेरी लेफ्ट चूची को सहलाने लगा. कुछ देर बाद मेरा मन उसके गुलाबी होंठो को चूमने को करने लगा तो मैंने उससे कहा “कभी किसी को किस किया है?”
इसे भी पढ़े – पति के दोस्त के लिए ट्रेन में अपनी चूत फैला दी
“नहीं दीदी पर सुना है की इसमें बहुत मज़ा आता है.”
“बिलकुल ठीक सुना है पर किस ठीक से करना आना चाहिए.”
“कैसे?” उसने पुछा और मेरी चूची से मुंह हटा लिया. अब मेरी दोनों चूचियां ब्लाउज से आज़ाद खुली हवा में तनी थी लेकिन मैंने उन्हें छुपाया नहीं बल्कि अपना मुंह उसके मुंह के पास ले जाकर अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए फिर धीरे से अपने होंठ से उसके होंठ खोलकर उन्हें प्यार से चूसने लगी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
करीब दो मिनट तक उसके होंठ चूसती रही फिर बोली “ऐसे.” वह बहुत एक्साईटेड हो गया था. इससे पहले की मैं उसे बोलूं की वह भी एक बार किस करने की प्रैक्टिस कर ले वह खुद ही बोला “दीदी मैं भी करू आपको एक बार?” “कर ले.” मैंने मुस्कराते हुवे कहा. अमित ने मेरी ही स्टाइल में मुझे किश किया.
मेरे होंठो को चूसते समय उसका सीना मेरे सीने पर आकर दबाव डाल रहा था जिससे मेरी मस्ती दोगुनी हो गयी थी. उसका किस ख़तम करने के बाद मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और बांहो में लेकर फिर से उसके होंठ चूसने लगी. इस बार मैं थोड़ा ज़्यादा जोश से उसे चूस रही थी. उसने मेरी एक चूची पकड़ ली थी और उसे कस कसकर दबा रहा था.
मैंने अपनी कमर आगे करके चूत उसके लंड पर दबायी. लंड तो एकदम तन कर आयरन रोड हो गया था. चुदवाने का एकदम सही मौका था पर मैं चाहती थी की वह मुझसे चोदने के लिए भीख मांगे और मैं उसपर एहसान करके उसे चोदने की इज़ाज़त दूँ. मैं बोली “चल अब बहुत हो गया ला अब तेरी मूठ मार दूँ.”
“दीदी एक रिक्वेस्ट करू?”
“क्या?” मैंने पूछा. “लेकिन रिक्वेस्ट ऐसी होनी चाहिए की मुझे बुरा न लगे.”
ऐसा लग रहा था की वह मेरी बात ही नहीं सुन रहा है बस अपनी कहे जा रहा है.
वह बोला “दीदी मैंने सुना है की अंदर डालने में बहुत मज़ा आता है. डालने वाले को भी और डलवाने वाले को भी. मैं भी एक बार अंदर डालना चाहता हूँ.”
“नहीं अमित तुम मेरे छोटे भाई हो और मैं तुम्हारी बड़ी बहन.”
“दीदी मैं आपकी लूँगा नहीं बस अंदर डालने दीजिये.”
“अरे यार तो फिर लेने में क्या बचा.”
“दीदी बस अंदर डालकर देखूँगा की कैसा लगता है चोदुंगा नहीं प्लीज दीदी.”
मैंने उसपर एहसान करते हुवे कहा “तुम मेरे भाई हो इसलिए मैं तुम्हारी बात को मना नहीं कर सकती पर मेरी एक शर्त है. तुमको बताना होगा की अक्सर ख्यालो में किसकी चोदते हो?” और मैं बेड पर पैर फैलाकर चित्त लेट गयी और उसे घुटने के बल अपने ऊपर बैठने को कहा.
वह बैठा तो उसके पायजामा के ज़रबन्द को खोलकर पायजामा नीचे कर दिया. उसका लंड तन कर खड़ा था. मैंने उसकी बांह पकड़ कर उसे अपने ऊपर कोहनी के बल लिटा लिया जिससे उसका पूरा वज़न उसके घुटनो और कोहनी पर आ गया. वह अब और नहीं रुक सकता था. उसने मेरी एक चूची को मुंह में भर लिया जो की ब्लाउज से बाहर थी.
मैं उसे अभी और छेड़ना चाहती थी. “सुन अमित ब्लाउज ऊपर होने से चुभ रहा है. ऐसा कर इसको नीचे करके मेरे संतरे ढांप दे.”
“नहीं दीदी मैं इसे खोल देता हूँ.”
और उसने ब्लाउज के बटन खोल दिया. अब मेरी दोनों चूचिया पूरी नंगी थी. उसने लपककर दोनों को कब्ज़े में कर लिया. अब एक चूची उसके मुंह में थी और दूसरी को वह मसल रहा था. वह मेरी चूचियों का मज़ा लेने लगा और मैंने अपना पेटीकोट ऊपर करके उसके लंड को हाथ से पकड़ कर अपनी गीली चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया.
कुछ देर बाद लंड को चूत के मुंह पर रखकर बोली “ले अब तेरे चाकू को अपने खरबूजे पर रख दिया है पर अंदर आने से पहले उसका नाम बता जिसकी तू बहुत दिन से चोदना चाहता है और जिसे याद करके मूठ मारता है.” वह मेरी चूचियों को पकड़कर मेरे ऊपर झुक गया और अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए. मैं भी अपना मुंह खोलकर उसके होंठ चूसने लगी.
इसे भी पढ़े – कुसुम भाभी ने भारी स्तनों को चूस कर हल्का कराया
कुछ देर बाद मैंने कहा “हाँ तो मेरे प्यारे भाई अब बता तेरे सपनो की रानी कौन है.”
“दीदी आप बुरा मत मानियेगा पर मैंने आज तक जितनी भी मूठ मारी है सिर्फ आपको ख्यालो में रखकर.”
“हाय भैया तू कितना बेशरम है. अपनी बड़ी बहन के बारे में ऐसा सोचता था.”
“ओह्ह दीदी मैं क्या करू आप बहुत खूबसूरत और सेक्सी है. मैं तो कब से आपकी चूचियों का रस पीना चाहता था और आपकी चूत में लंड डालना चाहता था. आज दिल की आरज़ू पूरी हुयी.”
और फिर उसने शर्माकर आँखे बंद करके धीरे से अपना लंड मेरी चूत में डाला और वाडे के मुताबिक चुपचाप लेट गया.
“अरे तू मुझे इतना चाहता है. मैंने तू कभी सोचा भी नहीं था की घर में ही एक लंड मेरे लिए तड़प रहा है. पहले बोला होता तो पहले ही तुझे मौका दे देती.”
और मैंने धीरे-धीरे उसकी पीठ सहलानी शुरू कर दी. बीच-बीच में उसकी गांड भी दबा देती.
“दीदी मेरी किस्मत देखिये कितनी झाँटु है. जिस चूत के लिए तड़प रहा था उसी चूत में लंड पड़ा है पर चोद नहीं सकता. पर फिर भी लग रहा है की स्वर्ग में हूँ.”
वह खुल कर लंड चूत बोल रहा था पर मैंने बुरा नहीं माना.
“अच्छा दीदी अब वायदे के मुताबिक बाहर निकालता हूँ.”
और वह लंड बहार निकलने को तैयार हुवा. मैं तो सोच रही थी की वह अब चूत में लंड का धक्का लगाना शुरू करेगा लेकिन यह तो ठीक उल्टा कर रहा था. मुझे उस पर बड़ी दया आयी. साथ ही अच्छा भी लगा की वायदे का पक्का है. अब मेरा फ़र्ज़ बनता था की मैं उसकी वफादारी का इनाम अपनी चूत चुदवा कर दूँ.
इसलिए उससे बोली “अरे यार तूने मेरी चूत की अपने ख्यालो में इतनी पूजा की है. और तुमने अपना वादा भी निभाया इसलिए मैं अपने प्यारे भाई का दिल नहीं तोडूंगी. चल अगर तू अपनी बहन को चोदकर बहनचोद बनना ही चाहता है तू चोद ले अपनी जवान बड़ी बहन की चूत.”
मैंने जानकार इतने गंदे वर्ड्स यूज किये थे पर वह बुरा ना मानकर खुश होता हुवा बोला “सच दीदी.” और फ़ौरन मेरी चूत में अपना लंड धकाधक पेलने लगा की कहीं मैं अपना इरादा न बदल दूँ.
“तू बहुत किस्मत वाला है अमित.” मैं उसके कुंवारे लंड की चुदाई का मज़ा लेते हुवे बोली.
“क्यों दीदी?”
“अरे यार तू अपनी ज़िन्दगी की पहली चुदाई अपनी ही बहन की कर रहा है. और उसी बहन की जिसकी तू जाने कबसे चोदना चाहता था.”
“हाँ दीदी मुझे तो अब भी यकीन नहीं आ रहा है लगता है सपने में चोद रहा हूँ जैसे रोज़ आपको चोदता था.”
फिर वह मेरी एक चूची को मुंह में दबा कर चूसने लगा. उसके धक्को की रफ़्तार अभी भी कम नहीं हुई थी. मैं भी काफी दिनों के बाद चुद रही थी इसलिए मैं भी चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी. वह एक पल रुका फिर लंड को गहराई तक ठीक से पेलकर ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा. वह अब झड़ने वाला था. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं भी सातवे आसमान पर पहुँच गयी थी और नीचे से कमर उठा-उठाकर उसके धक्को का जवाब दे रही थी. उसने मेरी चूची छोड़कर मेरे होंठो की मुंह में ले लिया जो की मुझे हमेशा अच्छा लगता था. मुझे चूमते हुए कस कस कर दो चार धक्के दिए और और “हाय आशा मेरी जान” कहते हुवे झड़कर मेरे ऊपर चिपक गया.
मैंने भी नीचे से दो चार धक्के दिए और “हाय मेरे राजा” कहते हुवे झड़ गयी. चुदाई के जोश ने हमदोनो को निढाल कर दिया था. हमदोनो कुछ देर तक यूं ही एक दुसरे से चिपके रहे. कुछ देर बाद मैंने उससे पूछ “क्यों मज़ा आया मेरे बहनचोद भाई को अपनी बहन की चूत चोदने में ?” उसका लंड अभी भी मेरी चूत में था. उसने मुझे कसकर अपनी बांहो में जकड़कर अपने लंड को मेरी चूत पर कसकर दबाया.
और बोला “बहुत मज़ा आया दीदी. यकीन नहीं होता की मैंने अपनी बहन को चोदा है और बहनचोद बन गया हूँ.”
“तो क्या मैंने तेरी मूठ मारी है”
“नहीं दीदी यह बात नहीं है.”
“तो क्या तुझे अब अफ़सोस लग रहा है अपनी बहन को चोदकर बहनचोद बनने का.”
“नहीं दीदी ये बात भी नहीं है. मुझे तो बड़ा ही मज़ा आया बहनचोद बनने में. मन तो कर रहा की बस अब सिर्फ अपनी दीदी की जवानी का रस ही पीता रहूँ. हाँ दीदी बल्कि मैं तो सोच रहा हूँ की भगवान ने मुझे सिर्फ एक बहन क्यों दी. अगर एक दो और होती तो सबको चोदता. दीदी मैं तो यह सोच रहा हूँ की यह कैसे चुदाई हुयी की पूरी तरह से चोद लिया लेकिन चूत देखी भी नहीं.”
इसे भी पढ़े – बर्थडे गिफ्ट दे मामी की चूत की प्यास बुझाई
“कोई बात नहीं मज़ा तो पूरा लिया न?”
“हाँ दीदी मज़ा तो खूब आया.”
“तो घबराता क्यों है? अब तो तूने अपनी बहन चोद ही ली है. अब सब कुछ तुझे दिखाऊँगी. जब तक माँ नहीं आती मैं घर पर नंगी ही रहूंगी और तुझे अपनी चूत भी चटवाऊंगी और तेरा लंड भी चूसूंगी. बहुत मज़ा आता है.”
“सच दीदी?”
“हाँ. अच्छा एक बात है तू इस बात का अफ़सोस ना कर की तेरी सिर्फ एक ही बहन है मैं तेरे लिए और चूत का जुगाड़ कर दूंगी..”
“नहीं दीदी अपनी बहन को चोदने में मज़ा ही अनोखा है. बाहर क्या मज़ा आएगा?”
“अच्छा चल एक काम कर तू माँ को चोद ले और मादरचोद भी बन जा.”
“ओह दीदी ये कैसे होगा?”
“घबरा मत पूरा इंतज़ाम मैं कर दूंगी. माँ अभी 38 साल की है तुझे मादरचोद बनने में भी बड़ा मज़ा आएगा.”
“हाँ दीदी आप कितनी अच्छी हैं. दीदी एक बार अभी और चोदने दो इस बार पूरी नंगी करके चोदुंगा.”
“जी नहीं आप मुझे अब माफ़ करिये.”
“दीदी प्लीज सिर्फ एक बार.” और लंड को चूत पर दबा दिया.
“सिर्फ एक बार.” मैंने ज़ोर देकर पूछा.
“सिर्फ एक बार दीदी पक्का वादा.”
“सिर्फ एक बार करना है तो बिलकुल नहीं.”
“क्यों दीदी?”
अब तक उसका लंड मेरी चूत में अपना पूरा रस निचोड़कर बाहर आ गया था. मैंने उसे झटके देते हुवे कहा “एक बार बोलूंगी तब तुम अभी ही मुझे एक बार और चोद लोगे?”
“हाँ दीदी.”
“ठीक है बाकि दिन क्या होगा. बस मेरी देखकर मूठ मारा करेगा क्या. और मैं क्या बाहर से कोई लाऊंगी अपने लिए. अगर सिर्फ एक बार मेरी लेनी है तो बिलकुल नहीं.”
उसे कुछ देर बाद जब मेरी बात समझ में आयी तो उसके लंड में थोड़ी जान आई और उसे मेरी चूत पर रगड़ते हुवे बोला “ओह दीदी यू आर ग्रेट.”
प्रातिक्रिया दे