Village Maal XXX Kahani
मैं गोंडा जिले का रहने वाला हूँ। मेरी कचहरी में पान की दुकान है। अब मैंने एक्स्ट्रा कमाई। के लिए साथ में एक फोटोस्टेट की दुकान भी खोल ली है। मैं स्टाम्प पेपर भी बेचता हूँ। कुछ दिनों पहले मेरी दुकान पर एक संगीता नाम की लड़की आयी। उसके साथ कुछ लोगों से गन्ने के खेत में जबरदस्ती कर दिया था, बस वही उसका मुकदमा चल रहा था। Village Maal XXX Kahani
जवान बिलकुल गांव की देहाती देसी लड़की थी। देखने में हट्टी कट्टी अल्हड, चौड़ी थाती, मस्त गदराए दूध चंचल आँखे, काले घने बाल। संगीता जब सुबह गन्ने के खेत में मैदान गयी थी, बस वहीँ उसके गांव के मनचलों ने उसके साथ जबरदस्ती की थी।
संगीता के बाप ने रिपोर्ट लिखवा दी थी। अब कचहरी में मुकदमा चल रहा था। संगीता मेरी दुकान पर पान खाने आयी थी, बस तभी मेरा उससे परिचय हों गया। जब जब वो पेसी पर आती, मेरी दुकान पर पान खाती। धीरे धीरे मैने उससे फोन नम्बर भी ले लिया।
जब दुकान पर कोई कस्टमर नही होता था, मैं उससे फ़ोन पर इस्क़बाजी की बात करता था। वो फोन पर मुझे अपना सब हाल बताती थी। उन आदमियों से उसे बहुत बुरी तरह नोचा था, रंडियों की तरह उसे खेत में चोदा था। कुल 5 लोग थे, जब एक झड़ जाता था तब दूसरा आता था, फिर दूसरा।
इस तरह संगीता को वो लोग खेत में मुर्गा बनाये हुए थे, और नॉन स्टॉप उसकी बुर फाड़ रहे थे। मोटे, छोटे, आड़े, तिरछे हर तरह के लण्ड संगीता की बुर को भांज रहे थे। खेत में गन्ने की पत्तियों के ऊपर संगीता की बुर से निकला खून ही खून था। ये सारी बातें संगीता ने मुझे बतायी।
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मैं उसके साथ खूब सहानुभूति दिखाने लगा। उसकी हर बात में मैं हामी भरने लगा। धीरे धीरे मैंने उसको शीशे में उतार लिया। दोंस्तों जिस लौण्डिया को पांच लोग हचक के पेल खा चूके हो, अब उसके पास छुपाने को बचा ही क्या? मिले चूत तो पेलो साली को बस मैं यही सोच रहा था।
इसलिये मैं उसका हमराज, हमदर्द बन गया था। मेरा असली मकसद संगीता को मुर्गा बनाके उसकी चूत लेना ही था। बस यही मेरा टारगेट था। धीरे धीरे जब मैं जान गया कि लौण्डिया सेट हो गयी है, मैं उसको गोंडा में स्कूटर पर घुमाने लगा। मैं उसे कभी कभी रेस्टोरेंट ले जाता।
अब संगीता मुझपर पूरा भरोसा करने लगी। मेरी हर बात पर वो हँस पड़ती, मैं उसका हाथ पकड़ लेता। बड़ी बड़ी देर तक उसका हाथ आपमें हाथ में लिया रहता। वो कुछ नही कहती। मैं जान गया की जो लड़की हाथ दे सकती है वो चूत भी दे सकती है।
क्योंकि जब शादी के लिए लड़का जाता है तो लड़की के बाप से ये नही कहता की मुझे आपकी बेटी की चूत चाहिए। लड़का हमेशा यही कहता है कि मुझे आपकी लड़की का हाथ चाहिए। हर लड़का हाथ मांग के लड़की की चूत खुलकर मरता है। बस मैं समझ गया कि अगर मुझे संगीता अपना हाथ दे रही है तो चूत भी समझ लो दोगी।
बस दोंस्तों, मैंने एक दिन संगीता से बातों बातों में कह दिया की काश कोई लड़की मुझे भी दे देती। वो मान गयी। मैं बहुत खुश हुआ। लगा जैसे मैंने लाख रुपये जीत लिए हो। अब एक समस्या थी की संगीता को कहाँ चोदा जाए। अपने घर पर तो नही ले जा सकता 30 40 लोग का परिवार है। कुत्ते बिल्लियों की तरह बच्चे है घर पर। संगीता को कहाँ ले जाता वहां।
घूम फिराके यही आईडिया आया की पान की ढाबली में संगीता को मुर्गा बनाओ और इसकी गुझिया मारो। मैंने संगीता को शाम 8 बजे आने को कहा। क्योंकि 8 बजे तक कचहरी में सब दुकान ऑफिस बंद हो जाते है। मैं सुरक्षित उसको चोद बजा सकता हूँ। संगीता हमेशा साइकिल से चला करती थी मर्दाना नेचर की थी।
शनिवार को मैंने अपनी पान की दुकान 8 बजे तक बढ़ा दी। अपना पान का कॉउंटर बड़ा दिया। पान पुकार, पान मसाले की पुड़िया सब लपेट ली थी मैंने और गत्ते में रख दी थी। मैंने दुकान बढ़ा ली थी। मैं बाहर खड़ा हो गया कि देखने लगा अपनी मॉल संगीता का इंतजार करने लगा।
मैंने चारों ओर नजरे घुमाकर देखा की कहीं कोई आदमी तो नही है। कचहरी पूरी तरह खाली हो गयी थी। सारे वकील, मुंसी, दुकानदार जा चुके थे। मेरे लण्ड में खुजली हो रही थी। आज तो चूत मिल ही जाएगी। यही सोचकर मैं अपने लण्ड पर पंत के ऊपर से ही लण्ड मल रहा था।
मैंने घडी में देखा। 8 बज गए थे। अभी तक संगीता नही आयी। फिर सवा 8 बज गये। मैं सोचने लगा भोसड़ी के लगता है लौण्डिया हाथ से निकल गयी और उसकी चूत भी गयी। एक एक सेकंड एक एक साल के बराबर लग लग रहा था। मैंने उम्मीद नही छोड़ी। मैंने एक सिगरेट सुलगायी और फुकने लगा।
मेरी आँखे संगीता और उसकी चूत के लिए तरस गयी थी। मैंने उम्मीद नही छोड़ी मैं निरास हो गया। मेरी सिगरेट भी अब खत्म को चुकी थी। मैं जान गया कि अब मुझे न संगीता मिलेगी और ना उसकी चूत। वहां मेरी दुकान के बदल कुत्ते कुतियों के साथ प्रेमालाप कर रहे थे।
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कुतिया अपने दोनों पैर फैलाके जमीन पर लेटी थी। कुत्ता उसकी बुर सूंघ रहा था। ये सब देखकर मुझे गुस्सा आ गया। मैंने पत्थर फेक्के कुत्ते कुतिया को मारा। बहनचोद!! यहाँ मेरी मॉल नही आयी और तू अपनी मॉल को चोदेंगे, उसकी बुर चाटेगा। पत्थर मैंने खींच के मारा। उसके लण्ड पर लगा।
कुत्ता कुतिया पिल्ल पिल्ल करता हुआ वहां स टाँग उठाके भाग निकला। मैं बहुत निरास हो गया था। मैंने दुकान बंद करदी, मैं ताला भरने लगा। पीछे से किसी साइकिल वाले ने घण्टी बजायी। मैं मुड़ा। अरे बॉप रे!! संगीता थी। आप लोगों को दोंस्तों बता नही सकता हूँ, कितनी खुशि मिली।
संगीता ने साइकिल स्टैंड पर खड़ी की। वो मेरे पास दौड़ कर आई। मैंने शाहरुख़ खान की तरह बाहे फैलाके उसका स्वागत किया चूत जो मिलने वाली थी। मैंने उसे खुशि से गले लगा लिया। कितने महीने लगे लौण्डिया पटाने में। आज गले लगी है।
मैंने उससे साइकिल में ताला भरने को कहा। हम दोनों ढाबली में आ गये। मेरी ढाबली जादा बड़ी नही थी। अब एक नई चुनौती मेरे सामने थी। हम लोग पूरा पूरा आराम से लम्बा होकर नही लेट सकते थे। मुझे दिमाग लगाकर जुगाड़ से संगीता को मुर्गा बनना था यानि उसकी चूत लेनी थी।
मैंने संगीता को बिलकुल से नन्गा नही किया। बल्कि मैं बड़े आराम से उसे धीरे धीरे पुचकार पुचकार कर चोदना चाहता था। वैसे भी उसका दिल एक बार टूट चुका था। सबसे पहले मैं बैठ गया। फिर मर्दाना बदन वाली संगीता को अपनी गोद में ले लिया।
पहलवानी कसरती बदन वाली लड़की थी। जैसी ही मेरी गोद में बैठी, मेरी तो साँस ही अटक गई। बड़ी भारी थी दोंस्तों। पर मैंने किसी तरह संभाला। उसे अपनी गोद में बिठाया। वाह!! खूब हट्टी कट्टी लौण्डिया थी। खूब बड़े बड़े मम्मे थे। हम दोनों ने एक दूसरे को गले लगा लिया।
मैं दावे से कह सकता हूँ की संगीता मुझसे प्यार करने लगी थी। पर मैं उससे नही बल्कि उसकी चूत से जादा प्यार करता था। काम के भावना में आकर वो मेरी मेरी पीठ सहलाने लगी। मेरे ऊपर भी कामदेव हावी होने लगा। हम दोनों एक दूसरे की पीठ सहलाने लगे।
आज बड़े दिनों बाद मैं कोई चूत मारने जा रहा था। हम दोनों की आँखे बंद हो गयी थी। कहीं हम दोनों को कोई तीसरा अजनबी चुदाई करते ना पकड़ ले, इसलिए मैंने अपनी ढाबली का पीला बल्ब बन्द कर दिया था। मैंने अपना मोबाइल जला लिया था और एक कोने रख दिया था। मोबाइल से इतनी रौशनी हो रही थी की मैं संगीता की चूत और गाण्ड ढूंढ लूँ।
पहले तो हम दोनों ने खूब चुम्मा चाटी की। फिर बातों बातों में संगीता रोने लगी और कहने लगी की उसका हमेशा से सपना था वो चुदवाना तो चाहती थी मगर इस तरह प्यार से। पर हुआ कुछ और। मैंने उसकी पीठ सहलाई और उसकी हिम्मत बढ़ाई। मैंने उसे समझाया कि इंसान जो सोचता है हमेशा नही होता। वो सामान्य हुई।
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हम दोनों चुदाई की ओर बढ़ चले। मैंने उससे कहा कि अगर कपड़े पहने रहोगी तो तुमको कैसे लूंगा। वो उतरने लगी। मेरी नजरों भूखे भेड़िया की तरह उसका गर्म जिस्म तलाशने लगी। चुदास मेरे लण्ड पर पानी बनकर तैरने लगी। जमाना हो गया था कोई चूत के दर्शन नही हुए थे। आज इंतजार खत्म होने वाला था।
मैंने भी अब खुद को और नही रोक सकता था। मैंने अपनी टीशर्ट, पैंट उतार दी। संगीता भी नँगी हो गयी। उसने अपना सलवार सूट, ब्रा पैंटी सब ढाबली के कोने में बड़ी हिसाब से रखा जिससे उसमे सिकुड़न ना हो। मैंभी नन्गा होकर बैठ गया। गदरायी जवानी से मालामाल संगीता को मैंने अपनी गोद में बैठा लिया।
मेरा लण्ड तमतमा गया। खड़ा होकर उसके पेट में गड़ने लगा। मैंने उसे हल्का सा एडजस्ट किया। अब मेरा लण्ड सही जगह पहुँच गया। मैं संगीता के मम्मे पीने लगा। बड़े बड़े मस्त मम्मे। निपल्स इतनी शर्मीली, नुकीली, और इतनी नुकीली की मैं उसके रूप पर मुग्ध हो गया।
कुछ देर तो मैं हाथों से छूकर उस आठवे अजूबे को देखता रहा। खूब दूध पिए होंगे उन लोगों ने इसके तभी इतने बड़े बड़े मम्मे हो गए मैंने सोचा। मैं संगीता के दोनों होंठ पर बड़े ही कामुक अंदाज में अपना अंगूठा रगड़ने लगा। संगीता मस्त हो गयी।
एक चुदासी लड़की को देखकर हर लड़के का चेहरा खुसी से खिल और लाल हो जाता है। बिलकुल मेरा चेहरा में लाल हो गया। उधर संगीता भीं चूदने जा रही थी। शर्म और खुशि से उसका चेहरा भी लाल हो गया। मैंने संगीता के नुकीले मम्मो को समोसे की तरह मुँह में भर लिया।
मैंने पिने लगा। संगीता तड़पने लगी। मैं और मस्ती से उसके दूध पीने लगा। मैं उसकी पीठ पर बराबर हाथ फेर रहा था जिससे वो और गरम हो जाए और खुल कर चुदवाये। मुझे शरारत सूझी और मैंने संगीता के मस्त शक्तिशाली नँगे कन्धों को हल्का सा मादक अंदाज में काट लिया।
उसके नँगे कंधे तो मुझे बड़े सेक्सी लग रहे थे। मैंने उसके कन्धों को खूब काटा। वो और चुदासी हो गयी। किसी लौण्डिया।को बस आप चोदिये मत, नँगे नँगे अपनी गोद में बिठाये रखिये और हल्के हल्के मजा लेते रहिए। चुम्मा चाटी करते रहिए। बस दोंस्तों, मैं इसी पालिसी में चल रहा था।
मैं संगीता के मस्त नुकीले बेहद सुंदर दूध को पीता था, काटता था, उसके नँगे मांसल कन्धों को शरारत के साथ काटता था, उसकी नाभि चाटता था, उसके मस्त गोरे पेट में काटता था। बस मजा आ गया दोंस्तों उस दिन। ढाबली की बत्ती मैंने पहले ही बुझा दी थी।
दो जवान जब चुदाई का कार्यक्रम बना रहे हो तो वैसे भी वहां अँधेरा रहना ही बेहतर है। इसमें कोजीनेस जादा मिलती है। मेरे हाथ संगीता के मस्त गोल लपलपे चुत्तड़ पर चले गये। मैंने उसके चुत्तड़ पकड़कर उसको हलका ऊपर उठाया। लण्ड को सुराख में डालने लगा। छेद नही मिला। संगीता ने खुद दोंस्तों मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी बुर में डाल दिया।
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जब को मर्दाना बदन लाऊँडिया दोबारा मेरी गोद में बैठी तो वजन पड़ा। मेरा लण्ड सीधा संगीता की बुर में। मैंने हल्का ढाबली की दिवार का सहारा ले लिया। संगीता अपने ऊपर लिटाया। धीरे धीरे उसके मस्त नँगे चुत्तड़ को पकड़ मैंने आगे पीछे सरकाने लगा। मेरा लण्ड गिअर की तरह संगीता की बुर पर फिसलने लगा। वो चूदने लगी। मैं उसको चोदने लगा। थोड़ी मेहनत वो भी करने लगी। अब संगीता मेरे लण्ड पर पिस्टन की तरह जल्दी जल्दी फिसलने लगी। मुझे तो मौज आ गयी दोंस्तों। संगीता को बड़ी आराम से बिना किसी जल्दबाजी में मैंने 1 घण्टे अपने लण्ड पर लिता के चोदा दोंस्तों।
मजा आ गया मुझे। जब मेरे लण्ड ने रस छोड़ा बड़ा धीरे धीरे आराम से रस निकला क्योंकि पानी ऊपर जा रहा था। सारा माल संगीता की चूत में चला गया। मैंने और संगीता से गहरी सासें थी। मैंने उसे अपने लंड से नही उतारा। खूब देर तक उसके दूध पीता रहा। जिंदगी का मजा तो मेरी तरह लौण्डिया को चोदने में ही है दोंस्तों। आराम से धीरे धीरे बड़े प्यार से। फिर दोंस्तों मैंने संगीता को मुर्गा बनाके यानि कुतिया बनाके उसकी गाण्ड मारी। 12 बजे तक मैंने संगीता को 3 4 बार लिया दोंस्तों। फिर अपनी साइकिल पर बैठ चली गयी। मैं घर लौट आया।
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