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लालटेन की रौशनी में रंडी को पेला

अक्टूबर 11, 2022 by hamari

Village Khet Sexy Aurat

ये घटना पिछले साल की है। मैं और अनुपम अपने गांव में थे। वहां हमारी 2 एकड जमीन पर गेहूं बोया जाना था। हम दोनों भाई गांव के मकान में टिके हुए थे। हम मजदूरों से काम करा रहे थे। उस दिसम्बर के दिनों में बड़ी ठंड पड़ रही थी। बाहर जाते ही कुल्फी जम जाती थी। पर गेंहू की फसल तो बोनी ही थी। Village Khet Sexy Aurat

पानी को छूने पर लगता था कि हाथ कट गया हो। खैर किसी तरह हम दोनों भाइयों ने उस दिन काम करवाया। बहुत ठंड होने से एक तू मुतास बार बार लग रही थी। दूसरे लण्ड बार बार यही कह रहा था कि काश कोई चूत , कोई छेद मिल जाता। अब रात होने को आयी थी।

हम दोनों हमारे खेत में ही बने झोपडी वाले घर में थे। शाम के 6 बजे होंगे पर लगता था रात हो गयी है। मैं मफलर बांधकर मूतने निकला। फिर भी कान एक सेकंड में बर्फ से जम गये। मैंने मूतते हुए बीड़ी सुलगायी। मैंने इधर उधर सर घुमा के देखा। ठंड इतनी ज्यादा थी की कही कोई जुगनू, कोई झींगुर,कोई गिलहरी नही दिख रही थी। कोई कोई पीला बल्ब भी नही दिख रहा था।

आप तो जानते ही है कि गांव में बिजली नही होती है। कहीं कोई रौशनी नही दिख रही थी। मैं खुद अपने छप्पर वाले घर में मिट्टी के तेल से चलने वाली लालटेन इस्तेमाल कर रहा था। मैंने आखरी बार धार छोड़ी तो और ठंड से काँप गया। मैं मुतकर मुड़ा की इतने में खेत में किसी के होने का अंदेशा हुआ। मैं सोच कहीं सांड या मावेसी मेरा गेहूं ना खा जाए।

कौन है रे मेरे खेत में !! मैंने आवाज ही।

मैदान आई हूँ! एक लेडीज आवाज आई।

अरे ये तो कोई औरत या लड़की है! मैंने कहा। मैं भाग कर अंदर गया।

भाई! लड़की चोदनी है?? मैने पूछा.

कहाँ?? अनुपम ने पूछा।

खेत में हगने आयी है! मैंने कहा.

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हम दोनों छिपकर गये और उस औरत को पकड़ लिया। गांव की ही औरत थी। हम दोनों ने उसे कस के पकड़ लिया। मैंने मुँह में रुमाल बान्ध दिया और अपने झोपडी में ले आये। वो विरोध करने लगी। मैंने उनको कई थप्पड़ लगाये। 2 3 मुक्के तो पेट में मार दिए। मैं उस दिन के लिए शैतान बन गया था। पेट में मुक्के मारने ने वो ढेर हो गयी। हम लोगो ने उसके हाथ भी बांध दिए थे।

वो जमीन पर ढेर हो गयी। पेट पकड़ कर रोने लगी। मैंने छप्पर में ठुकी खूंटी से लालटेन उतारी और उन औरत के पास लाया। बाप रे!! क्या गठा हुआ गोरा चेहरा, बड़ी बड़ी पूरी की तरह फूली दूधदार छातियाँ। भाई आज तो मेरे लण्ड को गर्मी मिल जाएगी! उसे अकेले में ठंड में नही सोना पड़ेगा। मैंने अनुपम से कहा।

मेरा भाई अनुपम भी चुदासा हो गया। कितने महीनो से हम दोनों भाइयों ने चूत नही मारी थी। 3 महीने पहले हम लोग दालमंडी में रंडी चोदके आये थे। तब से हम दोनों भाइयों के लण्ड ने कोई छेद नही देखा था। चाहे मुझे 14 साल की जेल ही क्यों ना हो जाए! पर मैं इस औरत को पेलूंगा जरूर मैंने अनुपम से कहा।

उस शौच आयी औरत को मैंने उठाया और बिछी चारपाई पर पटक दिया। लालटेन की पीली रौशनी में मैंने देखा रो रोकर उसका बुरा हाल था। छोड़ दो मुझे भगवान के लिए! छोड़ दो! वो रुमाल बन्द मुँह से बराबर चीखे जा रही थी। पर उसकी आवाज सिर्फ झोपडी में ही सुनाई दे रही थी।

तेरी तो मैं चूत मारकर रहूँगा! मैंने उस शादी शुदा औरत से कहा।

इससे पहले मैं जब कभी गांव जाता था तो यहाँ के घरों की सारी जवान औरते नयी बहुवे हाथ भर भरके चूड़ी पहनती थी, चाँदी की मोटी मोटी पायल पहनती थी। ज्यादातर जवान मालदार चुच्चे वाली औरते गांव की कच्ची सड़कों पर बैठकर ही चूड़ी और पायल हिला हिलाकर कड़ाई और बर्तन ईंट से घिसती थी।

उस वक़्त वो बड़ी सेक्सी लगती थी। जमीन पर बैठके बर्तन मांजने से उसकी विशाल दुधभरी छातियां हर राहगीर देख लेता था। उसे भी कुछ घण्टों के लिए सुकून मिलता था। बस तभी से ख्वाहिश थी की किसी गाँव की गवारिन लेकिन मालदार औरत को कास एक बार चोदने खाने को मिलता। सायद आज ये छिपी ख्वाहिश पूरी होने वाली थी।

ऐ छिनार!! देख हम दोनों भाइयों को चुप चाप चूत दे दे! हम तुझे सुबह जाने देंगे, वरना हम इस झोपकी में ये लालटेन फोड़ के आग लगा देगे और भाग जाएंगे। तू इसी में जलकर मर जाएगी!! मैंने कहा.

वो शादी शुदा पर गजब की मालदार औरत फिर से विरोध् करने लगी। अपने बंधे हुए हाथ पैर चलाने लगी!

इसी झोपड़ी में जलकर मर!! अनुपम ने लालटेन उतारी और जमीन पर फेकने लगा! वो औरत काँप गयी और हाँ में ऊपर नीचे सिर हिलाने लगी। मैंने अनुपम को इशारा किया झोपड़ी में आग ना लगाने का। उस ने लालटेन फिर से खूटी में टांग दी।

मैंने ठण्ड में कपड़े निकाल दिए। बर्फ सी कुल्फी जमी जा रही थी। पर गर्म चूत मिलेगी, इससे राहत थी। मैंने उस जवान मालदार और फूली फूली पूड़ी की तरह दुधदार छतियों वाली औरत के पैर खोल दिए चोदने नोचने के लिए। उसके हाथ और मुँह को बंधे रहने दिया।।

मैं जुगाड़ से उसका स्वेटर, ब्लॉउज़ निकाल दिया। कोई ब्रा नही। सायद गांव की गवारिन ब्रा व्रा नही पहनती है। मैंने उसकी सारी , पेटीकोट निकल दिया। कोई पैंटी, चड्डी नही। मेरे मुहँ में पानी भर आया। मैं पुरानी चरमराती चारपाई पर उस शौच आयी औरत को लिटा कर उसपर लेट गया। भर भरके उसकी फूली फूली छातियां पीने लगा। वो औरत रोई जा रही थी।

रो मत! तुजे भी मजा आएगा!! चुदाई में आदमी औरत दोनों को मजा मिलता है!! मैंने कहा.

रो रोकर छिनाल के आँशु उसके मुँहपर बिखर गये थे। मैंने उसके ओंठ पिने लगा तो नमकीन आँशु मेरे मुँह में चले गए। मैं एक चमाट जड़ दिया। चुप चाप चोदने खाने दे राण्ड!! वरना तुझको इसी झोपड़ी में जला दूँगा! मैंने गरजकर कहा।

वो रोना बन्द कर दी। मैं उसके गाढ़ी लिपस्टिक लगी होंठ चूसने लगा। क्या गोरा गोरा मुख था। मैं उसके नमकीन आशुओं को पीने लगा। क्या बोलती आँखे थी, मस्त सामान था। मैं अपनी औरत मान के उसके होंठ पीने लगा। फिर नीचे बढ़ा, छतियों को पीने लगा। उसकी काली काली उठी हुई निप्पल्स को मैंने छेड़ते हुए कई बार अपने दाँत गड़ा के काट लिया।

सर्द में मर्द से उसे दर्द मिला। वो चिहुँक गयी। मैं गोल गोल मुँह चलाकर उसकी दुधभरी छतियों को गोल गोल मुँह चलाते हुए पीने लगा। वो शान्त हो गयी। मुझे लगा की उसके मर्द से अच्छी मैं उसकी छातियां पी रहा हूँ। मैंने पहली छाती खूब देर पी। फिर दूसरी छाती मुँह में लगा ली और दांत गड़ा गड़ाकर गोल गोल मुँह चलाकर उसकी दूसरी छाती पीने लगा।

कहाँ से एक मछली मेरे खेत में हगने आ गयी?? ऊपरवाले तू महान है! मैंने भगवान को धन्यवाद किया। मैंने मजे से उसके दूध पीने में मग्न हो गया सत्यतम ऐसी गर्म चुदाई देख के बेकाबू हो गया। कपड़े उतार के हरामी मुठ मारने लगा।

ओए अनुपम!! अबे मुठ मार लेगा तो इस मछली को कैसे पेलेगा?? मैंने पूछा.

भैया मैं पेल लूंगा! अनुपम बोला और पीछे मुँह करके झोपडी की दिवार की तरफ मुँह करके मुठ मार रहा था।

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मैंने उस शौच आयी औरत की मस्त फूली फूली छतियों को पीना जारी रखा। जैसे ही छाती हाथों से दबोटता और छोड़ता फिर से फूल जाती। मुझे प्यार आ गया, उस औरत की इस अदा पर। मैं अब उसके पेट को चाटने लगा। गाँव की गोरियों को खाने पीने की कोई कमी नही होती है।

गेहूं, चावल , दाले सब उनके खेतों में उगता है इसलिए गोरियाँ खूब पेल पेलकर खाती है। सायद इसीलिए उस हसींन औरत का पेट बड़ा मांसल था, थोड़ी चर्बी ऊपर ही ओर उठी हुई थी। मन हुआ की चाकू से चर्बी काटकर खा जाऊ। मैं उसके पेट की चर्बी को हल्के हल्के दांतो ने पकड़कर काटने चबाने लगा।

वो औरत चरमराती हुई मेरी जर्जर चारपाई पर उछल गई। मैं उसकी योनि स्थल की ओर बढ़ चला। बाप रे!! इतना बड़ा भोसड़ा!! मैंने कहा। खूब बड़ी से हल्की झांटोदार कजरारी गदरायी चूत। लंबे लंबे बुर की फाकें, कसी गाण्ड। मैं कुछ देर उस मस्त औरत के बुर के दर्शन करता रहा।

ईस्वर की बनावट को देखता, उसकी प्रशंसा करता रहा। मैंने उँगलियों से चूत के दोनों पट खोले। आँहा! मांसल लाल गुलाबी दानेदार चूत के दर्शन हुए। थोड़ा और खोला तो गोल गोल रिंगवाला छेद के दर्शन हुआ। मैंने बढ़कर छेद में अपनी झीब डाल दी।

वो शादी शुदा औरत मचल गयी। मैं उसके चूत को कसके रस ले लेकर जीभ डालकर पीने लगा। वो औरत मचलने लगी। गाण्ड उछालने लगी। मैंने उसकी दोनों टाँगों को कसके पकड़ लिया और चूत का छेद पीने लगा। मैं जान भुजकर अपनी जीभ से नुकीली रगड़ देने लगा।

फिर कजरारी बुर के दोनों पटों को दोनों होंठभर भरके पीने लगा।। थोड़ा उसके मूत की 2 4 बुँदे भी पी गया। हल्की हल्की झांटों में बुर का सौंदर्य अप्रतिम था। मन हुआ की छिनाल को चोदूँ वोदु नही, बस लेटकर बुर को ही देखता रहूँ। घण्टा भर हो गया। सर्दी की रात में अब रात के 9 बजने को आये। ठंड बढ़ चली।

भाई जल्दी चोदूँ छिनाल को!! मुझे ठंड लग रही है! अनुपम बोला.

अनुपम! मेरे भाई! जिसके पास है लण्ड, उसे कभी नही लग सकती ठण्ड! मैंने कहा और फिर उस औरत की बुर पे सिर गिराके पीने लगा। वो औरत तो अब सायद मजा लेने लगा। मैंने सिर उठाकर देखा अब वो चुप थी, जरा भी नही रो रही थी।

अच्छा है! मैंने कहा और बुर पीने लगा।

जादा क्या मजे लेना, ये सोचकर मैंने अपना उफनता लण्ड डाल दिया राण्ड के कजरारे भोंसड़े में। और गाचागच राण्ड को पेलने लगा। उस औरत से आँखे मुंड ली। मुझे प्यार आ गया इस अदा पर, भारतीय औरत अपने मर्द से पेलवाए और किसी और से आँखे जरूर मूँद लेती है। मुझे प्यार आ गया।

मैंने भी आँखे मूँद ली और पेलते हुए ईस्वर का ध्यान करते हुए भजन करने लगा। मैं पकापक उस दूसरे कीे मॉल को पेलने लगा। दाने दाने पर लिखा और खाने वाले का नाम , हर चूत में लिखा है चोदने वाले का नाम, तभी तो ये चिड़िया हमारे जाल में फस गयी। उस गजब की औरत की चूड़िया और पायल खन खन करके आवाज कर रही थी। मैं इसी आवाज के लिए तरस रहा था।

मैं और जोर जोर से धक्के मारने लगा। उसकी चूड़िया और जादा हिलने लगी, और आवाज करने लगी। मेरा लण्ड और टाइट हो गया और कस कस के उसकी कजरारी बुर की फाके फाड़ने और खोंलने लगा। जाड़ों में तो बस गरम चूत का ही सहारा रहता है। वरना आदमी तो मर ही जाए।

चाह्ये मीट मुर्गा ना मिले बस हर रात चूत मिलती रहे। मैं जाना। जोरदार धक्कों से उसके पेट की उभरी हुई चर्बी ऊपर नीचे लपर लपर करके हिलने लगी। मुझे प्यार आ गया और जोर जोर से हरामिन को चोदने लगा। दोनों पूड़ी की तरह फूली छातियाँ फटाफट हिलने लगा।

इस सौंदर्य को पाकर मैं नतमस्तक हो गया। और मेहनत से चोदने लगा। बड़ा गोस सा छिनाल के बदन में। गोरा सफ़ेद मांस ही मांस ऊपर से नीचे तक। भरी भरी गोल गोल जांधे , गुद्दीदार चूत। मैं अपने दोनों चुत्तरो सेे कूद कूदकर साली को लेने लगा। उसकी साँसे टंग गयी। मैं नॉनस्टॉप पेलता, चोदता रहा।

35 मिनट की जी तोड़ मेहनत के बाद मैंने राण्ड की चूत में पानी छोड़ दिया। अनुपम!!।आ भोसड़ी के!! ले आके इसको!! इसकी चूत को ले लेकर रोशन कर दे! इसकी जवानी को सलाम कर आके भाई! मैंने अपने नँगे ठंड में हाथ में लण्ड लेकर काँपते भाई से कहा। मैंने कपड़े नही पहने बस दूसरी चारपाई पर चला गया। रजाई खींच के लेट गया। सुस्ताने लगा।

अनुपम आया और सीधे छिनार की बुर की फाकों के बीच लण्ड सैंडविच की तरह रखा और मार दिया गच से। लण्ड अंदर और छिनार के पेट की चर्बी बाहर। मेरा भाई चोदने लगा छिनार को। मैंने सिर के नीचे हाथ रखकर लेट गया और अपने सगे भाई से चुदती उस औरत के मुख को देखने लगा।

कितनी किस्मतवाली है रंडी!! ठंड में 2 2 लण्ड पा गयी। जिंदगी भर दीपक लेकर ढूंढती तो भी नही पाती। जिंदगी भर आज की रात की रंगरलिया सोच सोचकर अपनी चूत में ऊँगली डालकर मुठ मारेगी। मैं मन ही मन उस अनजानी औरत के चुदते लाल मुख के सौंदर्य को देखकर खुद से कहा।

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मेरे भाई से उसका मस्त चोदन किया। पूरा घड़ी देखकर 50 55 मिनट चोदा रंडी को और चूत का चौराहा बना दिया। अनुपम हटा, तब तक मेरा लण्ड फिर गन्ने की तरह तैयार था। अनुपम मेरी चारपाई पर आ गया। 10 मिनट का आराम मैंने दिया छिनाल को और फिर साली को चारपाई पर घुमाकर कुतिया बना दिया। भाई! ऊपर से नीचे तक बदन में बस गोश ही गोस। जैसा जब कस्टमर मुर्गा लेने जाता है तो गोसदार मुर्गा की लेता है वैसे मैं बेहद खुश हो गया।

पहले तो मैंने उसको कुतिया बनाकर एक बार और चूत मारी। फिर ढेर सारा थूक अपने लण्ड में मलकर उनकी गाण्ड में पेल दिया और मजे से चोदने लगा। छिनाल की गाण्ड बड़ी कसी थी। खूब देर गाण्ड चोदी। फिर अनुपम आ गया। रंडी को पूरी रात हम दोनों भाइयों ने खूब खाया। सुबह उनके हाथ में 500 का नोट हमने थमा दिया। रंडी ऐसी गायब हुई की आज तक दोबारा नही दिखाई दी। फिर रात में हम दोनों ने अपने खेत में हगने आयी कई लड़कियों औरतों को उसी झोपडी में लालटेन की रौशनी में पेला।

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