School Girl
मेरा नाम भूमि है.. मैं 18 साल की हूँ। यह बात उन दिनों की है.. जब मैं स्कूल में पढ़ती थी। मेरी माँ जूही एक प्राइवेट स्कूल में इंग्लिश की टीचर हैं और मेरे पापा दुबई की एक कंपनी में हैं। वह साल दो साल में इंडिया आया करते हैं और 25-30 दिनों के लिए ही आते हैं। जब वे घर आते थे.. तब माँ बहुत खुश रहती थीं.. लेकिन उनके जाने के बाद माँ बहुत उदास हो जाती थीं। School Girl
हमारा घर शहर की आबादी से दूर था, हम किराये के मकान में रहते थे, यह घर पापा के दोस्त प्रकाश अंकल का था। प्रकाश अंकल पापा के दोस्त थे। यही वजह थी कि वह हम लोगों से किराया नहीं लिया करते थे। प्रकाश अंकल हमारे घर अक्सर आया करते थे। उनके आने पर माँ बहुत खुश रहती थीं। उनके आने से माँ का अकेलापन दूर हो जाता था।
कभी-कभी हम लोग प्रकाश अंकल के साथ बाहर उनकी कार से आउटिंग पर भी जाते थे। धीरे-धीरे वह हमारे साथ बेहद घुल-मिल गए थे। एक दिन मैं स्कूल से घर आई तो देखा कि मेरे पापा के दोस्त प्रकाश अंकल आए हुए हैं। माँ दोपहर का खाना बना रही थीं।
मैंने अपना स्कूल बैग कमरे में रखा और किचन की तरफ बढ़ गई.. लेकिन अन्दर का नज़ारा देख कर मेरे पाँव ठिठक गए थे। मैंने चुपके से किचन में झांक कर देखा.. प्रकाश अंकल ने माँ को अपने आगोश में लिया हुआ था। वह अपने हाथों को माँ के बदन पर घुमा रहे थे।
माँ अंकल की कमर पर हाथ फिरा रही थीं.. फिर गर्दन पर.. और फिर सर पर.. उधर अंकल माँ के होंठों को छोड़ कर उनके गालों को चूमने लगे और फिर गर्दन पर अपने होंठ फिराने लगे। माँ लगातार उनका साथ दे रही थीं और अंकल भी उनके गुदाज स्तन लगातार दबा रहे थे।
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अंकल ने माँ का जालीदार सफ़ेद कुरता ऊपर उठा दिया था। माँ ने नीले रंग की ब्रा पहनी थी। प्रकाश अंकल अब अपने होंठों को उनकी गर्दन पर लेकर आए और फिर उनके कंधों पर चूमने लगे। यह सब देख कर मैं पागल हुए जा रही थी, मैंने ऐसा पहली बार देखा था।
मेरे जिस्म में आग सी लग गई थी। मैं यह समझ चुकी थी कि एक शादीशुदा औरत को पूरे-पूरे साल बिना पति के रहना बेहद मुश्किल होता है। पेट की भूख तो खाने से मिटाई जा सकती है.. लेकिन जिस्म की भूख का क्या? यही वजह थी कि माँ ने अपना जिस्म प्रकाश अंकल को सौप दिया था।
वैसे भी मेरी माँ एक कॉलेज में टीचर थीं। वह खुले विचारों वाली महिला थीं। लेकिन मुझे फिर भी अपनी माँ से यह उम्मीद नहीं थी कि प्रकाश अंकल माँ को चोदेंगे। किशोरावस्था में होने के कारण मेरी इसमें दिलचस्पी और बढ़ गई थी, मैं न चाहते हुए भी उन दोनों को देखे जा रही थी।
अभी कॉलेज से आकर मैंने अपना ड्रेस भी नहीं बदला था। मैं अपनी चूचियों को शर्ट के ऊपर से ही मसलने लगी। अंकल और माँ को बड़ा मजा आ रहा था। माँ ने अंकल की पैंट में अपना हाथ डाला हुआ था। वह अंकल के लण्ड को सहलाने लगीं.. जिससे अंकल का लण्ड खड़ा होकर 6 इंच का हो चुका था।
अंकल ने अपना एक हाथ माँ की सलवार में डाल दिया.. शायद उनकी चूत गीली हो चुकी थी और थोड़ा-थोड़ा चिपचिपा पानी निकल रहा था। अंकल ने माँ की सलवार का इज़ारबंद खोलना चाहा.. तो माँ ने हाथ पकड़ कर रोक दिया- अभी नहीं, भूमि आ गई है स्कूल से.. रात को..
माँ अपने कपड़े सम्हालते हुए किचन से बाहर आ गई थी। उन्होंने खाना लगाया और मुझे आवाज़ दी। हम तीनों ने मिलकर लंच किया। फिर मैं टीवी देखने लगी माँ और अंकल आराम करने लगे। मैं यह समझ चुकी थी कि आज रात को मेरी माँ प्रकाश अंकल से चुदवायेंगी।
मैं यही सोच-सोच कर खुश हो रही थी कि आज मुझे अंकल-माँ की चुदाई देखने को मिलेगी। फिर रात को प्रकाश अंकल माँ और मैं खाना खाकर रात साढ़े दस बजे सोने लगे, मुझे नींद तो आ नहीं रही थी। तकरीबन दो घंटे ऐसे ही बीत गए। मेरी आँख हल्की सी लगने लगी थी।
तकरीबन 15 मिनट बाद मेरे कानों में चूड़ियों के खनकने की आवाज सुनाई पड़ी। मेरी नींद खुल चुकी थी.. मैंने धीरे से अपने कमरे की खिड़की खोली.. जो कि माँ के कमरे की तरफ खुलती थी। प्रकाश अंकल मेरी माँ के बदन पर अपना हाथ फेर रहे थे, वो शरमा रही थीं, अंकल ने उनका सफ़ेद दुपट्टा निकल कर अलग कर दिया था और उनके कन्धे पर हाथ रख दिया।
वो वहाँ से उठकर जाने लगीं.. अंकल ने माँ को पीछे से कस कर पकड़ कर अपने होंठ उनकी गर्दन पर रख दिए। वो थोड़ा छूटने के लिए कसमसाईं.. उनके चहरे पर एक घबराहट सी थी- प्रकाश.. है तो यह गलत ना.. कुछ गलत नहीं है जूही.. तुम्हारे पति मेरे दोस्त हैं.. और फिर तुम्हारी भी तो कुछ ज़रूरतें हैं।
प्रकाश अंकल ने माँ की गर्दन पर अपने होंठ फिराते हुए कहा। माँ ने एक लम्बी सी सांस लेते हुए आँखें बंद कर ली थीं- मुझे डर लगता है.. किसी को मालूम पड़ गया तो? माँ थोड़ा झिझक रही थीं.. लेकिन फिर धीरे-धीरे उनका विरोध कम हो गया और माँ ने खुद को ढीला छोड़ दिया।
अंकल ने उन्हें अपने पास खींचा और माँ के गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वो थोड़ा ना-नुकर करते हुए बोलीं- तुम्हें नहीं लगता कि हम जो कर रहे हैं, ये सब गलत है.. मुझे अपने पति को धोखा नहीं देना चाहिए।
अंकल ने कहा- जूही.. हम दोनों जो कर रहे हैं.. वो दो जिस्मों की जरुरत है.. तुम्हारे पति विनय मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं.. दुबई जाने से पहले उन्होंने मुझसे कहा था कि मैं आपका और आपकी बेटी भूमि का ख्याल रखूँ.. यदि तुम्हारा पति तुम्हारी इस जरूरत को पूरा करता है.. तो तुम बेशक जा सकती हो.. इस उम्र में ये सब सामान्य बात है। इसे धोखा नहीं कहते हैं.. यह तुम्हारी ज़रूरत है।
प्रकाश अंकल ने अपनी बात को जोर देते हुए माँ को समझाया था। माँ मन ही मन में अंकल साथ देना चाहती थीं.. पर सीधा कह न सकीं। अंकल भी उसके मन की बात समझ गए और उसे चूमने लगा। धीरे-धीरे माँ ने खुद को समर्पित कर दिया था और अब उनका विरोध समाप्त हो चुका था।
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मैं खिड़की से झांकते हुए अपनी माँ को अपने पापा के दोस्त से चुदते हुए देख रही थी। उन दोनों ने तकरीबन दस मिनट तक किस किया। अब माँ की शर्म खत्म हो गई थी.. वह भी खुल गई थीं और अंकल का भरपूर साथ दे रही थीं।
अंकल उनके गाल के बाद उनके वक्ष स्थल पर चुम्बन करने लगे, इससे वो उत्तेजित हो गईं। वह उनके स्तनों को सहला रहे थे.. और उनके चूचुकों को अपनी उँगलियों से दबा कर मसल रहे थे.. माँ पूरी तरह गर्म हो गई थीं। यह सब देख कर मेरे दिल में एक अजीब सी बेचैनी होने लगी थी।
मेरा हाथ खिड़की पर खड़े हुए ही अपनी सलवार के अन्दर न चाहते हुए भी चला गया था। उधर अंकल ने अपना हाथ माँ के पेट के ऊपर से सहलाते हुए उनकी सलवार में सरका दिया था.. शायद उनका हाथ माँ की चूत पर था।
‘आह्ह्ह.. प्रकाश..’ माँ मचल उठी थीं.. फिर अंकल माँ को अपनी गोद में उठाकर बिस्तर पर ले गए। उनको बिस्तर पर लेटा कर पीछे से उनकी कुर्ती की डोरियाँ खोलने लगे। माँ ने फिर से थोड़ी ना-नुकुर की.. पर अंकल ने कहा- अब मुझे मत रोको.. जब भी मैं तुम्हारे जिस्म को मज़ा देता हूँ, हर बार तुम ऐसे करती हो कि जैसे मैं पहली बार तुम्हारे साथ ऐसा कर रहा होऊँ? हर बार तुम ना नुकुर करती हो?
प्यासी माँ की चूत पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी.. इसलिए प्रकाश अंकल को भी कोई दिक्कत नहीं हुई। पाँच मिनट बाद प्रकाश अंकल बिस्तर पर माँ के ऊपर जा पहुँचे और माँ के पीठ की चुम्मियाँ लेने लगे। मैं यह सब देख रही थी.. लेकिन मैंने अपनी खिड़की अधखुली कर रखी थी इसलिए माँ.. अंकल को कोई शंका नहीं हुई।
प्रकाश अंकल धीरे माँ के दूध दबाने लगे.. माँ के मुँह से आवाजें निकलनी शुरू हो गई थीं। प्रकाश अंकल ने धीरे से माँ की गुलाबी सलवार का इजारबंद खोल दिया और धीरे से कुर्ती भी ऊपर सरका दी। माँ अब अधनंगी हो चुकी थीं। उन्होंने अपनी कमर पर एक काली डोरी बांधी हुई थी। प्रकाश अंकल के द्वारा माँ की चुदाई को देख कर मैं पागल हो रही थी।
प्रकाश अंकल ने इतनी जोर से माँ के दूध दबाए और चूसे कि माँ ‘आ.. आहा.. अआ.. हह्हा..आआह्ह.. धीरे से..’ करने लगीं। प्रकाश अंकल ने धीरे-धीरे माँ की सलवार घुटनों तक सरका दी और उनकी काली चड्डी के ऊपर से ही माँ के चूतड़ दबाने और चूमने लगे। माँ ने करवट बदली और खुद ही अपने जम्पर को उतार कर फेंक दिया। माँ अब ब्रा और पैंटी में थीं।
मैंने आज पहली बार अपनी माँ का गोरा जिस्म देखा था। ब्रा-पैंटी में वो मुझे उस समय बहुत ही कामुक.. सुन्दर और मासूम लग रही थीं, वे 34 साल की होने के बावजूद इस वक़्त जवान लड़की लग रही थीं। अंकल माँ को अपनी बाँहों में लेकर.. उनके होंठों को चूसने लगे, अब वो भी अंकल का साथ दे रही थीं।
मेरे लिए यह अनुभव जन्नत से कम नहीं था। प्रकाश अंकल ने उठकर माँ के पाँव सहलाने शुरू कर दिए और उसमें गुदगुदी करने लगे। माँ अपना पाँव हटाने लगीं। वह दोनों किसी प्रेमी जोड़े की तरह एक-दूसरे से खेल रहे थे, उनके अन्दर कोई जल्दबाजी नहीं थी, दोनों एक-दूसरे को प्यार कर रहे थे।
प्रकाश अंकल उनकी पायल को चूमने लगे और हाथ से पाँव पर मालिश करने लगे। प्रकाश अंकल धीरे से माँ की पैंटी की तरफ पहुँचे और उसे उतार कर किनारे रख दी। उनका लण्ड जो इतना खड़ा हो चुका था कि चड्डी फाड़ रहा था। अंकल पूरे नंगे हुए और माँ की टांगें ऊपर करके अपना सात इंच का लण्ड माँ की फूली हुई चूत में डाल दिया।
माँ सिसकार उठीं- अअह आआ.. आआह.. अहह..हाहा आआहह्ह..हा प्रकाश धीरे-धीरे.. भूमि उठ जाएगी.. अहह्ह..सिइइइ.. माँ ने मेरे जाग जाने के डर से अपनी आवाजें बंद कर लीं। प्रकाश अंकल धीरे-धीरे चुदाई की गति तेज करने लगे। माँ की चूड़ियाँ खन-खन कर रहीं थीं।
अंकल उनको तेज-तेज चोदने लगे। माँ भी अंकल के कंधे को पकड़ कर अपनी तरफ खींच रही थीं.. वैसे ही प्रकाश अंकल भी तेज स्पीड में उनकी चूत में धक्के लगा रहे थे। उनका सात इंच का लण्ड माँ की चूत में पूरा पेवस्त हो रहा था। माँ अपनी टांगें ऊपर किए हुए बिस्तर पर पड़ी लम्बी-लम्बी साँसें भर रहीं थीं।
तकरीबन आधे घंटे तक प्रकाश अंकल माँ को लण्ड डालकर चोदते रहे.. उसके बाद वे दोनों शांत हो गए। इसी के साथ उनकी पायलों की ‘छुन-छुन’ भी बंद हो गई थी। शायद प्रकाश अंकल झड़ चुके थे। वह दोनों काफ़ी देर बिस्तर पर नंगे ही पड़े रहे.. उसके बाद फिर वो दूसरी बार के लिए तैयार हुए।
कुछ देर बाद उन्होंने माँ को फिर से चूमना-चाटना शुरू कर दिया। माँ ने भी प्रकाश अंकल के लण्ड को मुँह में लेकर उनके लौड़े को चूसना शुरू किया। पहली ठोकर के सारे वीर्य साफ़ को किया। प्रकाश अंकल माँ को फिर से प्यार करने लगे। उनके दूध दबाने शुरू कर दिए। अब प्रकाश अंकल का लौड़ा फिर से हाहाकारी हो गया था। इस बार उन्होंने माँ को उल्टा किया.. मतलब अंकल ने माँ को कुतिया बना दिया।
‘ऐसे पीछे नहीं प्रकाश…’
‘तुम जानती हो मुझे कुतिया बना कर तुम्हारी गाण्ड मारना बहुत अच्छा लगता है.. जूही..’
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प्रकाश अंकल ने अपना मूसल माँ की गाण्ड के छेद में लगाया और उनके चूतड़ों पर एक थपकी दी। मैं सोच भी नहीं सकती थी कि मेरी माँ आज पूरी रंडी बनी हुई थीं। माँ समझ गईं कि अब ये थपकी देने का मतलब है कि उनकी गाण्ड में लौड़े की शंटिंग शुरू होने वाली है। उन्होंने खुद को गाण्ड मराने के लिए तैयार कर लिया था। प्रकाश अंकल ने माँ की गाण्ड में शॉट मारा..
‘आआह्ह्ह.. धीरे-धीरे प्रकाश..’
‘बस बस जूही.. हो गया..’
माँ के हलक से एक घुटी सी चीख निकली.. प्रकाश अंकल का हाहाकारी लण्ड माँ की मुनिया की सहेली उनकी गाण्ड में पूरा घुस चुका था।
जूही- प्लीज प्रकाश.. धीरे-धीरे दर्द हो रहा है..
माँ के चेहरे पर दर्द साफ़ झलक रहा था।
‘क्यों.. क्या विनय तुम्हारी गाण्ड नहीं मारता था?’
‘नहीं.. वह गाण्ड मारने के शौक़ीन नहीं हैं.. मुझे इन्हीं धक्कों का और तुम्हारे लण्ड का बड़ी बेसब्री से इन्तजार था। मुझे नहीं मालूम था प्रकाश कि तुम्हारा लौड़ा इतना बड़ा है.. आह्ह.. चोदो मुझे और जोर से चोदो..’
प्रकाश अंकल माँ के ऊपर कुत्ते जैसे चढ़े थे.. माँ की गाण्ड पर जैसे ही चोट पड़ती.. उनके दोनों चूचे बड़ी तेजी से हिलते। प्रकाश अंकल ने उनके हिलते हुए दुद्धुओं को अपने हाथों से पकड़ लिया.. जैसे प्रकाश अंकल ने माँ की चूचियों का भुरता बनाने की ठान ली हो।
उनकी गाण्ड को करीब दस मिनट तक ठोकने के बाद वे माँ की पीठ से उतरे और फिर उन्होंने माँ को चित्त लेटा दिया। अब उन्होंने माँ की कमर के नीचे तकिया लगाया और उनके पैर फैला कर उनकी चूत में अपने मूसल जैसे लौड़े को घुसेड़ दिया।
माँ भी नीचे से अपनी कमर उठा कर थाप दे रही थीं, माँ के मुँह से अजीब सी आवाजें निकलने लगीं थीं- चो..द.. प्रकाश.. और..ज्जोर.. स्से..धक्के.. मारर.. मेरेरेरे.. राज्ज्ज्ज..जा ! और फिर वो अचानक शिथिल पड़ गईं.. माँ झड़ चुकी थीं।
प्रकाश अंकल ने भी तूफानी गति से धक्के मारते हुए उनकी चूत में अपने लण्ड का लावा छोड़ दिया। उन दोनों की चुदाई देखकर मेरी भी चूत गीली हो गई थी.. मैंने अपनी उंगली से अपनी चूत को सहलाना शुरू कर दिया था।
मुझे मालूम था कि आज प्रकाश अंकल माँ को देर तक चोदेंगे.. मैंने महसूस किया था कि जब चुदाई होती है.. तो फिर उन दोनों को.. मेरी तो जैसे सुध ही नहीं रहती है। प्रकाश अंकल का इंजन अभी माँ की चूत में शंटिंग कर रहा था।
मेरी आँखें मुंदने लगी थीं.. कुछ देर बाद मैं सो गई। अब तो अंकल और माँ के बीच के सभी परदे मेरे सामने खुल चुके थे.. माँ भी अपनी पूरी मस्ती से अपनी चूत कि चीथड़े उड़वाने में लग चुकी थीं। प्रकाश अंकल माँ को जब चाहते तब चोदते थे।
धीरे-धीरे वह दोनों मेरे सामने ही एक कमरे में चले जाते और कई-कई घंटे बाद निकलते थे। मैं भी हमेशा माँ और अंकल की चुदास लीला देखती थी रात को जाग जाग कर… एक दिन मैं जब सुबह उठी.. तो देखा कि प्रकाश अंकल मेरे साथ ही लेटे थे। वह मुझे पूरी तरह से चिपटाए हुए थे।
मैंने अंकल से पूछा- माँ कहाँ हैं?
अंकल- वह तो अपने कॉलेज चली गईं।
‘ठीक है.. मैं आपके लिए चाय बना दूँ?’
अंकल ने सिगरेट सुलगाते हुए ‘हाँ’ में सिर हिला दिया था। थोड़ी देर बाद मैं चाय लेकर आ गई थी। अंकल में मुझे पास में बैठने के लिए इशारा किया।
मैं वहीं उनके पास बैठ गई।
‘कल रात को तुम सो रहीं थी या जाग रही थीं?’ अंकल ने प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए सवाल किया।
अचानक इस तरह के सवाल से मैं सकपका गई थी। अंकल को शायद ये मालूम पड़ गया था कि माँ और उनकी चुदाई का मैंने पूरा नजारा देखा है।
‘देखो भूमि.. मैं तुम्हारा अंकल हूँ.. तुम्हारी माँ का ख्याल रखना मेरा फ़र्ज़ है.. तुम बड़ी हो गई हो.. समझदार हो.. इस बात को समझ सकती हो।’
मैंने बिना कोई जवाब दिए अपना सिर शर्म से नीचे झुका लिया था।
‘वैसे कितने साल की हो गई हो तुम?’
‘पिछले महीने में 18 साल की..’ मैंने धीरे से शरमाते हुए जवाब दिया था।
अंकल ने मुझे अपने सीने से लगा लिया- बड़ी हो गई है मेरी बच्ची.. तू फ़िक्र मत कर.. तेरे लिए मैं तेरी माँ से बात करता हूँ..
अंकल ने मुझे गले लगाये हुए ही मेरी पीठ पर सहलाते हुए कहा था। मैं किसी मासूम बच्चे की तरह उनसे चिपकी हुई थी। अंकल ने मुझे अपनी ओर खींचा और अपनी गोद में झटके से खींच लिया.. हम दोनों बिस्तर पर गिर गए।
मैं बुरी तरह घबरा गई.. मैं हल्की सी आवाज में बोली- अंकल प्लीज मुझे जाने दो..
‘कुछ नहीं होगा तुझे मेरी गुड़िया रानी..’
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अंकल मेरे कंधों पर किस करने लगे.. मुझे अच्छा लग रहा था.. परन्तु शर्म भी आ रही थी.. क्यूंकि वे मेरे अंकल थे। मैं छूटने की कोशिश करने लगी.. परन्तु अंकल ने मुझे पीछे से जकड़ रखा था। अचानक उनका हाथ मुझे अपनी टांगों के बीच महसूस हुआ।
अंकल मेरी नन्हीं सी मासूम योनि को मसल रहे थे। मुझे अच्छा लग रहा था.. परन्तु थोड़ा अजीब भी.. क्यूंकि यह सब मेरे साथ पहली बार हो रहा था। अंकल ने मुझे मुँह के बल बिस्तर पर लिटा लिया और मेरे ऊपर लेट कर मेरी पीली जालीदार कुर्ती की ज़िप खोल कर मेरी पीठ पर चुम्बन करने लगे। मैं चुपचाप सिसकारियाँ भर रही थी।
अंकल ने मेरे अधखिले उभार मसलने शुरू कर दिए.. मेरे पीछे उभारों पर मुझे उनके लौड़ा का दबाव साफ़ महसूस हो रहा था। नीचे मेरी योनि में कुलबुलाहट सी होने लगी थी। योनि को और साथ में भगांकुर को मसलवाने को मन कर रहा था।
फिर अंकल ने मेरी काली चूड़ीदार पजामी नीचे खिसका दी और मेरी गुलाबी रंग की चड्डी की एक झटके में नीचे खिसका लिया। मुझे शर्म सी महसूस हो रही थी परन्तु आनन्द भरी सनसनाहट में लिपटी.. मैं चुपचाप लम्बी-लम्बी सांसें ले रही थी।
मुझे लग रहा था कि मेरी योनि कुछ रीतापन है.. उसे भरने के लिए मैं कुछ अन्दर लेने को मचल रही थी। मुझे सीधा करके अंकल की अब उंगली आसानी से मेरी गुलाबी चूत में जा रही थी। मैं बहुत जोर से सिसकारियाँ ले रही थी ‘उन्नन्नह्हह.. आअह्हह.. ऊऊह्ह. आहन्न.. आहऊर चूसो..’
फिर प्रकाश अंकल ने मेरे छोटे-छोटे चूचों को चूसना छोड़ कर होंठों का किस लेना शुरू कर दिया- तू तो मेरी गुड़िया रही है भूमि.. मैं तो कब से तेरे पकने का इंतज़ार कर रहा था.. मूआआह्ह्ह..
अंकल ने मुझे चूमते हुए ख़ुशी ज़ाहिर की। कुछ देर के बाद मैं पूरी तरह से गर्म हो गई। फिर अंकल ने अपना लोअर खोला और अपना लण्ड मेरे हाथ में थमा दिया। उनका लण्ड अब तन कर पूरा 90 डिग्री का हो गया था। मैं पहले तो शरमाई.. लेकिन कुछ देर के बाद जब उन्होंने फिर से लण्ड पकड़ाया.. तो मैं थोड़ा खुल गई।
अंकल ने बोला- इसे सहलाओ और आगे-पीछे करो।
मैं वैसा ही करने लगी। अंकल ने फिर मेरी नन्हीं सी मासूम चूत में एक उंगली डाल दी। मैं जोर से ‘आह्ह्ह..’ करके सिस्कार उठी। कुछ देर के बाद मैंने अपनी चूड़ीदार पजामी खुद उतार दी।
‘वाह.. क्या नन्हीं सी पिंक.. बिना बाल की चूत है.. आज तो मैं तुझे कली से फूल बनाऊंगा.. मेरी गुड़िया रानी..’ अंकल ने हाँफते हुए कहा।
मेरी चूत पूरी भीगी हुई थी। मेरी चूत पर एक भी बाल नहीं था.. हल्का सा रोंया ही अब तक आया था। मेरी चूत पूरी पावरोटी की तरह फूली हुई थी। फिर अंकल ने मुझे अपना लण्ड चूसने के लिए बोला.. मैंने मना कर दिया।
अंकल ने बोला- कुछ नहीं होता..
मैं बोलने लगी- नहीं.. मुझे घिन आ रही है..
‘देखो इस तरह से चूसो..’
यह कहते हुए प्रकाश अंकल ने मेरी चूत को चूसना शुरू कर दिया।
मैं चिल्लाने लगी- आह्हह्हह्हह.. अंकल नहीं.. बस करो..
अंकल अपनी जीभ से मुझे चोद रहे थे.. मेरे मुँह से सिसकारियाँ फूट रही थीं ‘अंकल आह्ह.. मेरी चूत में आग लग रही है.. अहह्ह्ह.. कुछ करो..’ वे लगातार मेरी चूत को चूसते रहे। मैं जोर से चिल्ला रही थी- और जोर से.. आह्ह.. मैं अपने हाथ से उनके सिर को अपनी चूत के ऊपर खींच रही थी।
अपने पैरों को कभी ऊपर तो कभी दोनों जांघों को जोर से दबा रही थी.. कभी-कभी मेरी साँसें फूल जाती थीं। कुछ देर के बाद मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.. अंकल ने सारा का सारा पानी पी लिया। मैं बिस्तर पर नंगी निढाल पड़ी थी। वो मेरे गोर दुबले-पतले नाज़ुक जिस्म को देख रहे थे। मैं जोर से हाँफ़ रही थी.. जैसे कोई कई मील से दौड़ कर आई होऊँ।
‘डरती है मेरी गुड़िया रानी.. अंकल से डरती है? कुछ हुआ मेरी बेबी.. मज़ा आया ना?’ अंकल ने मुझे सीधे लिटा कर प्यार से कहा।
मैंने हाँ में सिर हिलाया। अब अंकल का मुँह मेरे सामने था.. उनका चेहरा लाल हो चुका था। वो मेरे चेहरे की तरफ देख भी नहीं रहे थे। उन्होंने अपने इनर को उठाया.. लोअर नीचे सरका कर अपने लौड़े को बाहर निकाला।
उस वक्त तो मुझे पता नहीं था कि मेरा यौनांग कुछ छोटा था। मुझे थोड़ा अजीब जरूर लग रहा था.. पर कामोत्तेजना बहुत हो रही थी। अंकल ने मेरी टांगें फैला दीं और खुद टांगों के बीचों-बीच आ गए। उन्होंने लौड़े पर थूक लगाया और योनिद्वार के ठीक बीचों-बीच मुझे उनका लौड़ा महसूस हुआ।
उन्होंने मेरे दोनों घुटनों को अपने हाथों से थामा और जोर का एक धक्का लगाया ‘आआआ.. ईईई आश्स्श्श्श.. माँ…. मेरी तो जैसे जान ही निकल गई.. मैं छूटने के लिए तड़पने लगी। नीचे मेरी चूत में जलन सी हो रही थी।
‘धीरे से.. धीरे से.. कुछ नहीं होगा मेरी गुड़िया रानी को..’
यह कहते हुए अंकल मेरे मासूम नन्हें अधखिले वक्ष-उभार मसलने लगे और मुझे चूमने लगे। पहली बार मेरी चूत में कोई लण्ड गया था। कॉलेज में मुझे कई सारे लड़के मुझे लाइन मारते थे.. लेकिन मैंने सोचा नहीं था कि यह सौभाग्य प्रकाश अंकल को मिलेगा।
लगभग 5 मिनट में मेरा दर्द कुछ कम हुआ.. तो मुझे अच्छा लगने लगा और मैं खुद ही कमर हिलाने लगी और कूल्हे उठाने लगी। अंकल ने मेरी कमर के नीचे तकिया लगाया और हल्के-हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिए और लगभग दो मिनट में उनकी रफ्तार बहुत तेज हो गई।
अब मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.. मेरी योनि में मीठी सी चुभन मुझे आनन्द भरी टीस दे रही थी। लगभग 7-8 मिनट तक धक्के लगाने के बाद मुझे चरमोत्कर्ष प्राप्त होने लगा और मुझे योनि के अन्दर संकुचन सा महसूस हुआ। मुझे योनि के अन्दर कुछ रिसता हुआ सा महसूस हुआ..
अंकल ने लौड़ा झटके से बाहर निकाला और सारा वीर्य मेरे योनि मुख और मेरे पेट पर गिरा दिया.. और मेरे ऊपर गिर गए। वे झड़ चुके थे और लम्बी-लम्बी सांसें लेने लगे। मुझे चूत में दर्द महसूस हो रहा था.. मेरी चूत खून से लथपथ हो गई थी.. मैं डर गई थी।
तब अंकल ने बताया- पहली बार में ऐसा होता है..
मैंने चड्डी चूत पर चढ़ा ली। कुछ देर बाद अंकल मेरे छोटे-छोटे चूतड़ों को मसलने लगे और फिर से मेरी चड्डी को कमर तक खिसका दिया। मैं आँखें बंद करके चुपचाप लेटी हुई थी। अंकल मेरे ऊपर छा गए थे। उनका लौड़ा मेरी चूत में दुबारा घुस गया था..
मैं एकदम से थक कर चूर हो गई थी। ऐसा लग रहा था कि न जाने कितनी दूर से दौड़ लगा कर आई होऊँ। कुछ देर अंकल का लण्ड मेरी चूत में ही पड़ा रहा.. अंकल ने अपनी आँखें खोलीं और मेरे सुनहरे घने बालों में अपना दुलार भरा हाथ फिराया। हम दोनों एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे। उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत से बाहर खींचा.. फिर अंकल ने लोअर पहना और बाथरूम में घुस गए..
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मैं चुपचाप हल्की सी आँख खोलकर उनको देख रही थी.. जैसे ही वो अन्दर घुसे.. मैंने जल्दी-जल्दी अपनी पजामी ऊपर खींची.. कपड़े और बाल ठीक-ठाक किए और जल्दी से वहाँ से बाहर निकल आई.. क्यूंकि मेरा मन अंकल से नजर मिलाने को नहीं हो रहा था। मेरे ख्याल से इस सारे प्रकरण में अंकल का कोई दोष नहीं था। मैं जानती थी कि मेरी माँ जूही जो 34 साल की जवान और खूबसूरत औरत हैं.. उनके साथ जो हो रहा था.. वह मेरे साथ भी कभी भी हो सकता है.. लेकिन आज ही के दिन यह सब हो जाएगा.. मैं नहीं जानती थी।
कुछ देर बाद प्रकाश अंकल मेरे नजदीक आए और उन्होंने मेरे गालों पर एक ज़ोरदार पप्पी ली और 2 दिन बाद वापस आने का वादा करके चले गए। फिर एक दिन वह हुआ.. जिसकी मैंने कभी उम्मीद भी नहीं की थी। शाम के 9 बज रहे थे.. प्रकाश अंकल की कार दरवाजे पर आकर रुकी थी। अंकल का रात को इस तरह आना.. कोई नई बात नहीं थी.. लेकिन मैंने दरवाजे पर जाकर देखा कि आज अंकल के साथ एक और आदमी भी था। दोस्तों अभी इस माँ बेटी की चुदाई की कहानी अभी जारी रहेगी. आगे की कहानी अगली पार्ट में पढ़े…
Raman deep says
कोई लड़की भाभी आंटी तलाकशुदा महिला जिसकी चूत प्यासी हो ओर मोटे लड से चुदवाना चाहती हो तो मुझे कॉल और व्हाट्सएप करे 7707981551 सिर्फ महिलाएं….लड़के कॉल ना करे
Wa.me/917707981551?text=Hiii Raman