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एक पाठिका की मेल आई जो उसने मेरी पहली चुदाई की कहानी पढ़ कर लिखी थी। उसने लिखा- सौरभ जी, मैं भी प्रिया के जैसे जॉब के बदले में चुदवाना चाहती हूँ। उसका नाम माधुरी अग्रवाल है मैंने पूछा कि तुम सिर्फ जॉब लेने के लिये चूत मरवाना चाहती हो या तुम्हें वैसे भी चुदास बहुत तेज़ उठा करती है। Pussy Sexy Smell XXX
उसने कहा- नहीं सौरभ जी, मेरा बहुत दिल करता है कि मैं रोज़ रोज़ चुदूं… अगर चुदाई के साथ साथ जॉब भी मिल जाये तो एक पंथ दो काज…
मैंने पूछा- माधुरी रानी, तुम पहले कभी चुदाई है?
बोली- हाँ, मैंने कई बार अपने बॉय फ्रेंड को चोदा है लेकिन अब उसकी शादी हो गई है किसी और लड़की से, तो मैं पिछले तीन महीनों से सूखी पड़ी हूँ, उसने शादी के बाद दुबारा मिलने की कोशिश की थी लेकिन मैंने उस धोखेबाज़ को गालियाँ देकर भगा दिया।
मैंने पूछा- क्या तुम सेक्रेटरी का काम कर सकोगी?
उसने जवाब दिया- हाँ, वैसे कभी किया तो नहीं है लेकिन मेरा वर्ड और एक्स्सेल में अच्छा हाथ सेट है तो कर लूँगी।
मैंने फिर पूछा- रानी, तुमको मुझसे भी चोदना होगा और मेरे उस फ्रेंड से भी जो तुम्हें जॉब देगा।
उसने कहा- मैं तो इतनी प्यासी हूँ कि जितना भी चोदी जाऊँगी उतना ही आनन्द आयेगा मुझे… आप दोनों खुशी से मेरी चूत मारिये!
उसकी इतनी रंगीली और लंड, चूत जैसे शब्दों से भरी हुई भाषा सुन कर मैं दंग रह गया। आमतौर पर लड़की ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करती हैं, और यदि करती भी हैं तो चुदाई के वक्त ना कि आम बोलचाल में… माधुरी रानी तो प्रिया से भी एक कदम आगे थी।
उसके मुख से ये शब्द सुन कर बेहद मज़ा भी आया, खासकर जब कि उसकी आवाज़ ही बहुत मीठी थी, बिल्कुल यूं लगता था कि कोई दूर कहीं बांसुरी बजा रहा है। पलक झपकते ही ये सौरभ मस्ता गया। मैंने अपने कुछ सहयोगियों से मालूम किया तो तीन लोगों को सेक्रेटरी की ज़रूरत थी.
और जब पता चला कि यह सेक्रेटरी काम के साथ साथ चूत भी देगी तो सभी फौरन मान गये और एक ने तो सबसे आगे बढ़ते हुए बिना किसी इंटरव्यू के उसे जॉब का ऑफर भेज दिया, तनख्वाह भी बढ़िया लगा दी, rs 18000 प्रति माह…
जॉब मिल जाने के बाद माधुरी रानी ने फोन किया- सौरभ जी, बताईये कहाँ और कैसे मिलेंगे? आपने मेरी जॉब लगवाई है उसका आपसे चुद कर धन्यवाद देना है आपको…
मैंने माधुरी रानी को गुड़गाँव अपने घर का पता देकर वहीं पर ही आने को कहा। मेरी पत्नी जूसी रानी चार पांच दिन के लिये अपनी बहन के घर फ़रीदाबाद गई हुई थी। अपनी बीवी के बिस्तर पर दूसरी लड़की को भोगने में मज़ा ही कुछ अलग होता है। माधुरी रानी अगले दिन सुबह 11 बजे मेरे घर पर पहुँच गई। उसे मैंने ड्रॉइंग रूम में बिठा दिया। वो सिकुची सी सोफे के सिरे पर बैठ गई।
माधुरी एक फैशनेबल लड़की है, सांवला रंग, बड़ी बड़ी सुन्दर सी आँखें, झक सफेद दांत और कंधों पर लहराते हुए गहरे काले बाल। मस्त फिगर जिसमें बड़ी बड़ी चूचियाँ ऐसी कि बंदा टकाटक घूरे ही जाये। उसकी चूचियाँ कम से कम 36c साइज़ की होंगी। गोल गोल मदमस्त उसकी टॉप को फाड़ के बाहर कूदने को तैयार !
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अंजु रानी ने एक हलके नीले रंग का स्लीवलेस टॉप और उसके नीचे एक बड़े घेरेदार प्रिंट वाली स्कर्ट पहन रखी थी जो उसके घुटनों के नीचे तक पहुंच रही थी। पैरों में ऊंचे हील की खूबसूरत सैंडल थी। सैंडल और स्कर्ट के बीच में अंजु रानी की सुडौल, चिकनी टांगें और सुन्दर से पैर दीख रहे थे।
उसके एक हाथ में एक बढ़िया बैग और दूसरे हाथ में एक फोल्डर था। अंजु रानी का चेहरा बहुत सुन्दर तो नहीं था लेकिन दिलकश ज़रूर है। उसे देख कर अच्छा लगता था और नज़र हटाने को बिल्कुल भी दिल नहीं करता। कद था कोई 5 फुट 5 इंच… ज़्यादा खूबसूरत ना होते हुए भी माधुरी रानी बहुत आकर्षक और सेक्सी लगती है।
मैंने कहा- रानी ज़रा चल के तो दिखाओ?
वो बोली- क्या देखना चाहते हो? मैं लंगड़ी तो नहीं हूँ?
मैं बोला- नहीं माधुरी रानी, मैं तो तुम्हारे गोल गोल नितम्ब चलते हुए कैसे झूमते हैं, ये देखना चाहता था।
अंजु रानी खिलखिला कर हंसी… क्या मनलुभावनी हंसी है इस सेक्स बम की !!! उठ के अंजु रानी हँसते हँसते एक मॉडल की तरह कमर लहरा लहरा के चल के दिखाने लगी। मैं भी हंसा लेकिन साथ साथ उसके मदमस्त चूतड़ों के उछल कूद से मैं मोहित भी हो गया।
सौरभ… साले चोदू, कितना मज़ा आयगा जब ये मस्त नितम्ब चाटने को, हाथ फेरने और चूमने को मिलेंगे !!! दस कदम चल कर अंजु रानी ने मुझे मंत्रमुग्ध कर डाला। वो वापिस आकर सोफे पर बैठ गई. इस बार वो सिकुची सिकुची नहीं बल्कि ठीक से आराम से बैठी, मुस्कराते हुए बोली- सौरभ जी आपसे मिलने के लिये मैंने काफी तैयारी की है।
मैं बोला- रुक ज़रा… सबसे पहले तो मुझे सौरभ जी कहना बंद कर.. मेरे दोस्त मुझे राजे कहते हैं और तू कह के संबोधित करते हैं। तू भी राजे कह और तू से बात कर!
अंजु रानी ने इतरा के मेरे कान में शहद घोला- मैं ना कहूँगी राजे… मैं तो राजा कहूँगी…हाँ तू कह सकती हूँ।
मैंने पूछा- माधुरी रानी, तो बता क्या तैयारी की है?
माधुरी रानी बोली- राजा…मैंने तेरी सब कहानियाँ पढ़ी हैं… उन्हें पढ़ के मैंने यह अन्दाज़ लगाने की कोशिश करी कि तू किन किन हरकतों से खुश होकर चुदासा होता है… लड़की क्या क्या करे जिससे तेरी ठरक अंधाधुंध बढ़े… इस पर मैंने बड़े ध्यान से रिसर्च की और उसी हिसाब से तैयारी की।
मैं बोला- माधुरी रानी, माना तू बड़ी रिसर्च स्कॉलर है, पर अब बता तो सही क्या होम वर्क करके आई है?
माधुरी रानी खिलखिला के हंसी और बोली- तुझे लड़की का सारा बदन चाटने का बड़ा शौक है… इसलिये मैं अपनी टांगें और बाहें वेक्सिंग करवा के आई… वैसे मेरे बाल बहुत थोड़े हैं फिर भी मैंने सोचा कि सौरभ को मैं एकदम चिकनी मिलूं… लेकिन झांटें पूरी की पूरी जंगल समान रहने दीं क्योंकि तू उनमें मुंह रगड़ता है… बगल के बाल भी यूं ही रहने दिये…
मेरी समझ में आया कि सौरभ लड़की के पैरों और हाथों को चाट के बहुत उत्तेजित होता है इसलिये मैंने पेडीक्यूर और मैनीक्यूर करवाया… सौरभ को लड़की का स्वर्ण रस पीने में मज़ा आता है तो इसलिये मैं सुबह 5 बजे उठी और टोइलेट से फ्री हो गई ताकि मेरे राजा को कम से कम 6 से 7 घंटे का जमा किया हुआ अमृत तो मिले…
नई सैंडल खरीदी ऐसे डिज़ाइन की जिसमें तू मेरे पैर तकरीबन पूरे अच्छे से हर समय देख सके… मैंने लिपस्टिक भी नहीं लगाई जिससे राजा को मेरे होंठ चूसने से पहले उन्हें पोंछना न पड़े क्योंकि राजा को होंठों का स्वाद पसंद है न कि लिपस्टिक का… फिर मैंने यह स्कर्ट और टॉप खरीदी जिसे उतारने में ज़रा भी दिक्कत ना हो… यार सौरभ मेरे पांच हज़ार खर्च हो गये तेरे को खुश करने की तैयारी में… सच सच बता मेरी रिसर्च सही है कि नहीं?
मुझे मानना पड़ा कि हाँ माधुरी रानी का होम वर्क एकदम पर्फेक्ट है, मैं हंस के बोला- माधुरी रानी बिल्कुल सही…यार तू कहानी पढ़ती थी या मुझे?
उठकर मैं माधुरी रानी के नज़दीक गया और उसे सोफे से उठाकर उसे आलिंगन में कस के बाँध लिया। मैं उसके खूबसूरत चेहरे को निहारता हुआ बोला- रानी तूने तो मुझे मोहित कर लिया है यार… तू सच में एक सेक्स बॉम्ब है…तू पांच हज़ार की चिंता न कर, मैं दे दूंगा।
माधुरी रानी थोड़ी उदास होकर बोली- नहीं राजा, तू सरासर झूठ बोल रहा है…तू कोई मेरे ऊपर मोहित वोहित नहीं हुआ… मेरे जैसी काली लड़की पर कौन मोहित होगा… यही तो ट्रैजेडी है मेरी कि मैं काली हूँ… मुझे मालूम है तू मेरा दिल रखने के लिये कह रहा है।
मैं उसकी चुम्मी लेकर बोला- रानी, कौन चूतिया कहता है कि तू सुन्दर नहीं है… इतनी काली भी तू नहीं है जितना तू समझती है… तेरा रंग उत्तर भारत के एक आम हिन्दुतानी जैसा है… गोरा नहीं है लेकिन काला भी नहीं है… थोड़ा सांवला है… तेरा हर अंग खूबसूरत है… तेरा चेहरा कितना खिला खिला एक हंसते हुए फूल जैसा है… तू माधुरी रानी सुन्दर ही नहीं बहुत सुन्दर है… ले अब मेरी चुम्मी ले।
माधुरी रानी ने खुश होके मुझे बड़े प्यार से मुंह पर चूमा और बोली- राजा… तू बहुत चूतिया बनाता है लड़कियों को पर तेरी बातें सुन के अच्छा भी लगता है… आज कुछ ऐसा करेंगे जो तेरी किसी भी कहानी में नहीं किया गया… मैं प्लानिंग कर के लाई हूँ… बताऊँ या ससपेन्स रहने दूं तेरे लिये?
मैंने कहा- नहीं, बताने की ज़रूरत नहीं है, ये ससपेन्स रहे तो ज़्यादा मज़ा आयेगा।
माधुरी रानी ने कहा- मैं एक गाना मोबाइल पर बजाऊँगी… उस गाने पर हम दोनों अपना एक एक कपड़ा उतार के फेंक देंगे… मैं टॉप उतारूं तो तू शर्ट उतारना… मैं स्कर्ट उतारूं तो तू अपनी पैंट उतारना… सिर्फ उतारना नहीं है बल्कि उतार के दूर फेंकना है… जब तक गाना खत्म होगा हमें पूरा नंगा हो जाना है… ठीक है न?
मैं बोला- हाँ ठीक है।
उसकी चुदाई के लिये की गई इतनी प्लानिंग से मैं बहुत प्रभावित था और मुझे दिख रहा था कि यह लड़की बेतहाशा मज़ा देने वाली है।
माधुरी रानी चहक के बोली- देख राजा… दो गाने हैं जो मर्द में कामवासना इतनी ज़्यादा भड़काते हैं जिसकी कोई हद नहीं… मैं बहुत गाने सुनती हूँ लेकिन आदमी की गोलियों में आग लगाने वाले ये ही दो गाने मुझे सबसे अधिक पसंद हैं. तुझे बस यह चूज़ करना है कि किस गाने पर कपड़े उतारते हुए डांस करूं और किस पर नंगी होकर…
मैं बोला- रानी, गाने कौन से हैं ये तो बताओ तभी तो चूज़ करूंगा।
माधुरी रानी ने बताया- एक गाना है- हुस्न के लाखों रंग कौन सा रंग देखोगे, आग है ये बदन कौन सा अंग देखोगे।
और दूसरा है- अंग से अंग लगा ले सांसों में है तूफान, जलने लगी है काया जलने लगी है जान! दोनों ही गाने गज़ब के लंड खड़ा कर देने वाले हैं… अब जल्दी से बता राजा पहले किस गाने पर नाचूँ?
मैंने कुछ देर सोचा, मैंने दोनों गाने सुने हुए थे हालांकि काफी पुराने समय के थे… फिर मैंने फैसला किया कि ‘हुस्न के लाखों रंग’ गाना नंगे डांस के लिये बेहतर रहेगा और यही मैंने माधुरी रानी को कह दिया। माधुरी रानी ने गाना चालू किया और लगी डांस करने…
एक कैबरे डांसर की तरह वो बड़ा भड़कीला डांस कर रही थी… उसकी भाव भंगिमायें और मुद्राएं उत्तेजित करने वाली थीं। माधुरी रानी की ज़बरदस्त चूचियाँ माधुरी के नाचते हुए खूब उछल कूद कर रहे थे जिन्हें देख कर मैं पागल हुए जा रहा था।
अचानक माधुरी रानी ने नाचते नाचते अपनी स्कर्ट नीचे की और वैसे ही नाचते हुए पैर स्कर्ट से बाहर निकाल लिये, उसने एक किक जो मारी है स्कर्ट को तो वो दस गज़ दूर जाकर गिरी। मैंने भी झट से अपनी पतलून उतार के दूर कहीं को उछाल फेंकी।
माधुरी रानी खूब मस्त होकर डांस कर रही थी। फिर उसने अपनी टॉप भी नाचते हुए उतारी और दूर फेंक दिया। अब माधुरी रानी केवल ब्रा और चड्डी में थी… क्या मस्त फिगर थी यार माधुरी रानी की… और चूचों का तो कहना ही क्या !!!
ऐसे गज़ब के चूचे मैंने तो कभी नहीं देखे थे। मेरा अंदाज़ गलत था, उसके चूचों के साइज़ के बारे में… मैंने लिखा था कि कपड़े पहने हुए माधुरी रानी के चूचुक 36c के होंगे लेकिन अब मुझे लगने लगा कि ये मतवाले चूचे 38c होने चाहियें।
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माधुरी रानी के डांस के साथ ये भी नाच रहे थे और देखने वाले इस सौरभ की गांड फाड़े डाल रहे थे। तभी माधुरी रानी ने अपनी ब्रा को उतार के जाने कहाँ फेक दिया और अपनी आलीशान चूचियों को जैसे क़ैद से आज़ाद कर दिया। बड़ी बड़ी गोल गोल मतवाली चूचियाँ ब्रा के हटते ही कूद के बाहर को निकलीं। ओओओओओ…..ओहहह !!!!
यार चूचे हों तो माधुरी रानी जैसे हों… उसके चूचे देख के मेरी सांस ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे ही रह गई, गला सूख गया और माथे पर पसीना छलक उठा, बदन एकदम से मानो चार पांच डिग्री गरम हो गया। मस्त चिकनी चूचियाँ ! खूब बड़े बड़े, उठे हुए गहरे काले निप्पल और हर निप्पल का एक एक बड़ा सा दायरा जिसका रंग हल्का काला !
अभी मैं खुद को संभाल भी नहीं पाया था कि माधुरी रानी ने अपनी पतली सी चड्डी भी उतार दी और उसे नाचते नाचते मेरे पास लाकर मेरी नाक को चड्डी में घुसा दिया। फिर उसने चड्डी को मेरी नाक और मुंह से खूब ज़ोर ज़ोर से रगड़ा।
उसकी चड्डी सूंघ के यारों मज़ा आ गया ! लुत्फ आ गया !! स्वाद आ गया !!! मुझे एक साथ माधुरी रानी की चूत, गाण्ड और झांटों की सुगंध मिल रही थी। थोड़ी सी गंध उसके पसीने की भी इन सभी गंधों में मिली हुई थी। एक चुदास से लबालब भरी हुई लड़की के बदन की अंतरंग सुगंधें एक साथ पहली बार मैंने सूँघी थीं।
‘अब बहनचोद मुझे देखेगा भी या मेरी कच्छी ही में घुसा रहेगा… खायेगा क्या इसे? …एक लड़की नंगी नाच रही है और एक गांडू चड्डी से खेले जा रहा है?’
माधुरी रानी की फटकार ने मुझे जैसे सोते से जगाया। जैसे ही मैंने नज़र उठाई तो सारा शरीर झनझना उठा, यूँ लगा कि बिजली का एक तेज़ करंट का तार मुझे छू गया हो। माधुरी रानी मादरजात नंगी मेरे सामने नाच रही थी और वो सेक्सी गाना बजे जा रहा था जिसकी धुन पर मेरी चुदासी माधुरी रानी डांस कर रही थी।
क्या मदमस्त फिगर थी ! क्या बदन था !! यह तो वो पटाखा था जो हिजड़ों में भी गर्मी पैदा कर दे, कब्र में लटके पैरों को भी मिल्खा सिंह बना दे और जो लंड बरसों से ढीले पड़े हों उनको भी खड़ा कर के लोहे के समान बना दे। यह वो लड़की थी जिस सेक्स के भंडारे को देख कर तो सन्यासी भी बलात्कारी बन जाएँ।
माधुरी रानी मचल मचल के, थिरक थिरक के नाच रही थी, उसका अंदाज़ बेहद कामुक और उत्तेजक था। जिसने गाना लिखा था उसे भी यह ख्याल नहीं आया होगा कि उसके मस्ती वाले गाने पर नाचते हुए एक ज़ोरदार चुदाई का खेल होगा। नंगी माधुरी रानी एक जन्नत की हूर जैसी लग रही थी।
क्षमा चाहता हूँ माधुरी रानी पूरी नंगी नहीं थी, उसने अपने सैंडल नहीं उतारे थे, नंगी माधुरी रानी अपने हाइ हील के सैंडल में डांस करती हुई गज़ब ढा रही थी। उसकी अदाओं पर मर मिटने को जी चाहता था, लंड अकड़ अकड़ के पागल हो रहा था और तुनके पे तुनका मारे जा रहा था मानो कि माधुरी रानी को सलाम कर रहा हो।
माधुरी रानी थिरकते हुए मेरे पास आई और मुझे इशारा किया कि क्योंकि उस ने अपनी चड्डी उतार दी है तो मैं भी अपना अंडरवीयर उतार फेंकूँ। बिना एक भी पल गंवाये मैंने अपना कच्छा उतारा और उसे एक तरफ को फेंक दिया।
कच्छे की क़ैद से आज़ाद होते ही लंड उछल उछल कर बताने लगा कि वो भी तैयार है इस खेल का हिस्सा बन जाने के लिये… जैसे ही मैं नंगा हुआ, माधुरी थिरकती हुई मेरे करीब आ गई और उसने अपने दिलकश चूचे मेरे चेहरे से रगड़ने शुरू कर दिये।
उसने मेरा सिर पकड़ के खूब अच्छी तरह से मेरा मुंह अपनी चूचियों से, चूचियों के बीच में और निप्पलस में घुसा घुसा के रगड़ा। वो मेरा सिर बालों से कस के जकड़े हुए थी और जैसा उसका दिल होता था वैसे मेरे मुंह को इधर उधर घुमाते हुए मम्मोँ पर दबा दबा कर रगड़ती. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
और कभी चूचों से मेरे मुंह को दबा देती, कभी एक, तो कभी दूसरी निप्पल मुझे चूसने को देती। मैं भी मस्ती से भरा हुआ था और जब भी मौका लगता उसकी चूची में दाँत गड़ा देता या निप्पल को काट लेता। थोड़ी देर के बाद मैंने माधुरी रानी की कमर जकड़ ली.
दूसरे हाथ से उसकी गर्दन और फिर मैंने चूचियों को आराम से चूसना शुरू किया। यारो, क्या ही मदमस्त चूचे थे नरम, रेशम से चिकने और बहुत ही ज़ायकेदार… चूस के मजा इतना आ रहा था कि बयान करना मुश्किल है। जब मैं चूची को कस के काट लेता तो माधुरी रानी कराह उठती।
वो गालियाँ दिये जा रही थी- चूस चूस बहन के लौड़े सौरभ..। चूस मादरचोद चूस..। हाँ और ज़ोर से दाँत गाड़ इन हरामज़ादी चूचों म़ें.। काट के खा जा कुत्ते..। तू काट के खा ही जा बहन के यार..। हाँ हाँ..। और ज़ोर से कमीने..। चूस चूस..। तेरी माँ को कुत्ते चोदें साले हरामी..। बहन चोद..। गांडू..। चूसे जा चूसे जा साले चूसे जा..। इत्यादि इत्यादि… और मैं चूसे गया।
मैंने माधुरी रानी की चूत पर हाथ फिराया तो हाथ पूरा भीग गया। माधुरी रानी की चूत पूरी गर्म थी और चुद जाने को तैयार ही नहीं बेकरार भी… माधुरी रानी चूचियाँ चुसवाते हुए भी थिरक रही थी गाने की धुन पर… इस से चूची मुंह म़ें घुसे घुसे भी थोड़ा थोड़ा हिल रही थी।
यह एक अनूठा अनुभव था जो मैंने पहली बार किया था, नाचते हुए इस से पहले किसी लड़की ने चूचे नहीं चुसवाये थे। काफी समय के बाद माधुरी रानी सिसकारते हुए बोली- सुन राजा…हरामी अब मैं तेरे को ऐसा मजा दूंगी जो तूने पहले कभी नहीं लिया होगा…अब तू चूसना बंद कर नहीं तो कुत्ते मैं गरम होकर तुझे अभी चोद डालूँगी!
मैंने जैसे ही चूची से मुंह हटाया, माधुरी रानी ने फिर से डांस करना शुरू कर दिया। उसकी चुसी हुई गीली चूचियाँ भी नाचने लगीं जिससे मेरी ठरक बढ़े चली जा रही थी। माधुरी रानी ने अब अपनी टांग मेरे तरफ बढ़ाते हुए सैंडल पहने हुए पैर मेरे मुंह पर रख दिया.
और बोली- चाट मेरे पैर भोसडी के गांडू.. जी भर के चाट इनको.. चाट चाट के मेरा दिल खुश कर मादरचोद.. ज़रा सी कसर रह गई तो बहन के लौड़े, इन्ही सैंडल से तेरी गांड़ बजाऊँगी.. कमीने मादरचोद. अब चाट.. बहन का यार इतनी देर लगा रहा है कमीना…
अंधा क्या चाहे दो आँखें… मैंने वो हसीन पैर सैण्डल पहने पहने ही चाटना शुरू किया। उसके पैर से सैण्डल के चमड़े को हल्की सी गंध आ रही थी। बहुत ठरक बढ़ाने वाली गंध थी बहनचोद उसके पैरों की। मैंने दीवानों की तरह एक के बाद एक उसके दोनों पैर चाटने शुरू किये।
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बहन की लौड़ी अब भी एक पैर पर खड़े खड़े थिरके जा रही थी। जब मैं उसके पैर ऊपर से चाट चुका तो तलवे चाटने के लिये मैंने सैण्डल उतर फेंके। हाँ यारो, अब माधुरी रानी पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी और अपने जलवा बिखेर रही थी।
मैंने बड़े मज़े से चटखारे लेते हुए माधुरी रानी के सुन्दर पैरों के मक्खन जैसे चिकने और नरम तलवों को चाटना चूसना शुरू किया। यारो, एक लड़की के पैर चाटने का मज़ा ही कुछ अलग है। अच्छे से माधुरी रानी के तलवे चूस चाट के मैंने अपना ध्यान उसके पैरों के अंगूठे और उंगलियों पर केन्द्रित किया।
उसके अंगूठे के साथ वाली उंगली अंगूठे से ज़रा सी बड़ी थी, बाकी की तीन उंगलियाँ थोड़ी थोड़ी करके छोटी होती जा रही थीं जैसा सब लोगों के पैरों में होता है। उंगलियाँ गोल और सुडौल थीं और नाखून बड़े सलीके से तराशे हुए, नैचुरल शेड की पोलिश की हुई थी।
सच में माधुरी रानी किसी अच्छे ब्यूटी सैलुन में पैडीक्योर करवा के आई थी। इतने मादक पैर देखकर उत्तेजना से भरकर मैंने एक एक करके माधुरी रानी के पैरों की सभी उंगलियाँ खूब मज़े ले ले कर चूसीं। उंगलियों के बीच के भाग पर खुश होकर खूब जीभ फिराई। यार मस्ती आ गयी !
लंड का हाल तो यारों बद से बदतर हुए जा रहा था। अत्यधिक ठरक चढ़ने के कारण मेरे अंडों में हल्का हल्का सा दर्द होने लगा था। शायद वो लावा से पूरे भर चुके थे और चाहते थे कि लावा झाड़ दिया जाये। उधर माधुरी रानी की उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी, वो अब ज़ोर ज़ोर से सीत्कार भर रही थी, मुझे मोटी मोटी गालियाँ दे रही थी लेकिन फिर भी गाने की धुन पर थिरके जा रही थी।
मैंने उसके पैर को पकड़ के उसे अपनी तरफ घसीटा और झट से तीन उंगलियाँ उसकी चूत में घुसा दीं। चूतरस से लबालब भरी हुई थी और जैसे ही उंगलियाँ पूरी अंदर गईं माधुरी रानी एक ज़ोर की किलकारी मारते हुए झड़ी। ढेर सा रस चूत से छूटा…मेरा पूरा हाथ भीग गया परंतु मैं उंगलियाँ अंदर बाहर किए जा रहा था।
माधुरी रानी तड़प उठी और उसने कस के मेरे हाथ को पकड़ लिया जिससे मैं धक्के ना लगा सकूं- हरामी मेरी जान निकालेगा क्या? सारा पानी तो निकल गया चूत हरामज़ादी फट जायगी अगर तू उंगली दिये जायगा तो…रुक जा कमीने…रंडी की औलाद साले… हाय हाय…इतना तेज़ तो राजा मैं कभी नहीं झड़ी ऊ..ऊ..ऊ… आआआ… आह बहन के यार.’
मैंने कहा- बहन चोद रंडी तू तो कह रही थी कोई स्पेशल मज़ा देगी… क्या हुआ उस स्पेशल मज़े का… साली रांड… झड़ के बैठी है… कुतिया, माँ की लौड़ी पहले नहीं बक सकती थी की तू झड़ने वाली है तो मैं तेरा जूस ही पी लेता… साली रंडी की औलाद… सारा रस हो गया ना बर्बाद?
माधुरी रानी ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा- ज़रा तसल्ली रख कमीने… तूने क्यों चूत में तीन तीन उंगलियाँ घुसेड़ दीं… घुसेड़ी तो घुसेड़ी साले ने ज़ोर से धक्के भी ठोके। अब दो मिनट सांस ले लूँ तो मादरचोद देती हूँ तो तेरे को जन्नत का नज़ारा!
इतना कह के उसने लंड को चाटना शुरू किया, खूब मुँह गीला कर के माधुरी रानी ने लंड को चाट चाट के अपनी लार से तर कर दिया। मेरा तो हाल पहले ही खराब था उसके यूं चाटने से बड़ी मुश्किल से मैंने खुद को कंट्रोल किया।
अचानक से माधुरी रानी ने लंड को अपनी मस्त चूचियों के बीच में फंसा लिया और अपने हाथ दोनों चूचियों के अगल बगल जमा दिये। फिर माधुरी रानी ने अपने हाथों को चूचियों पर जमाये जमाये ऊपर नीचे करना शुरू किया जैसे कि लंड की मथनी चला रही हो।
माधुरी रानी के मोटे मोटे नरम गरम चूचों के बीच में आराम से फंसे हुए लंड के तो यारों मज़े लग गये। माधुरी रानी कभी ऊपर नीचे करके तो कभी आगे पीछे करके चूचे मथती। जैसे ही लंड थोड़ा सा सूख जाता, वो दोबारा से जीभ से चाट चाट के लौड़े को अपने मुखरस से तर कर देती।
मेरा हाल बिगड़ता जा रहा था, लंड इतनी मस्त चूचियों से मथवा कर फटने को हो गया था। माधुरी रानी को भी खूब मज़ा आ रहा था क्योंकि उसकी चूचियों को लगातार लंड का दबाव और उसके अपने हाथों की रगड़ से माधुरी रानी भी उत्तेजित हो चली थी।
वो गर्मी में डूब कर मोटी मोटी गालियाँ दे रही थी, उसके सुन्दर चेहरे पर तेज़ उत्तेजना की लाली छा गई थी और उसकी आँखें में लाल लाल डोरे तैरने लगे थे जैसे कि खूब शराब पीने पर होता है। चुदास का नशा यारों हर दूसरे नशे पर भारी होता है।
‘क्यों मेरे राजा? आ रहा है न मज़ा जन्नत का? पहले किसी लौंडिया ने दिया है इतना मज़ा?… बहन के लंड आज तुझे पता चलेगा असली मज़ा क्या होता है… ले भोसड़ी के… ले भोसड़ी वाले ले… कमीने माँ के लौड़े सौरभ के बच्चे… ले ले ले…’ माधुरी रानी के मुख से झाग निकलने लगी थी और मस्ती में चूर होकर उसके हाथ अब तेज़ी से चल रहे थे।
चुदासी माधुरी रानी अब चूचियों से मेरा लंड मसलते मसलते गहरी सीत्कारें भर रही थी। यह बात तो माननी पड़ेगी कि लंड को माधुरी रानी के गोल गोल नरम चूचियों में फंस कर जो रगड़ाई हो रही थी उसमें मज़ा तो ऐसा आ रहा था कि पूछो नहीं।
वास्तव में इतना आनन्द पहले किसी भी चुदक्कड़ ने नहीं दिया था। माधुरी रानी बार बार लंड को चाट के गीला करती और फिर उसे मम्मों में मथ डालती। माधुरी रानी ने अपनी टांगें चौड़ी कर ली थीं, शायद उसकी चूत धड़ाधड़ रस छोड़ रही थी।
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तभी अचानक मेरे सिर में एक बिजली सी कौंधी और मैं ज़ोर की आह भरता हुआ बड़े ज़ोर से झड़ा। मोटे मोटे लावा के गरम लौंदे बड़ी तेज़ी से छूटे, माधुरी रानी की ठुड्डी और उसका गला मेरे लंड की मलाई से सन गया। माधुरी रानी ने बड़े प्यार से लंड को चूचियों के बीच से निकाला और लंड के नीचे वाली मोटी नस दबा दबा के लावा को अच्छे से निकल जाने दिया।
माधुरी रानी के दोनों हाथ, चूचे भी वीर्य से पूरे सन गये। वो भी स्खलित हो रही थी, बार बार टांगें फैला और सुकड़ा रही थी और ज़ोर ज़ोर से सीत्कार ले रही थी, साथ साथ में मुझे गालियाँ भी दिये जा रही थी। फिर उसने अपने गले, ठुड्डी और चूचियों पर फैला हुआ लावा उंगलियों से समेटा और उंगली चाट चाट के सारा वीर्य मुँह में ले गई।
‘मां के लंड.. तेरा मक्खन तो यार मस्त, ज़ायकेदार है… क्या खाता है बहन के लौड़े तू… यार मज़ा आ गया मलाई पी के… अच्छा अब तू बता कमीने तुझे मज़ा आया या नहीं? कभी यूं लौड़ा फिराया था चूचों में? सच सच बोलना…मेरी चूत की कसम खा के बोल?’ माधुरी रानी लंड की मलाई चाटते हुए चटखारे लेकर बोली।
मैंने सिर हिला कर हामी भरी कि हाँ वाकई में मज़ा बेहद आया।
माधुरी रानी ने कहा- चल मेरे हरामी राजा अब तू मेरी चूत को चूस कर और मज़ा ले… साले माँ के लंड ने तीन तीन बार झाड़ दिया… अब तुझे चूत चूसने को दूंगी और स्वर्ण अमृत पिलाती हूँ…ले बहन के लंड अब तू फुल ऐश कर कमीने…
माधुरी रानी टांगें चौड़ी कर के बैठ गई और बोली- चल आजा राजा मेरी टांगों के बीच में… स्वर्ग है यहाँ…कमीने गांडू की औलाद… अब सोमरस पी मेरी बुर का…आ जल्दी से आजा बहन चोद…
मैं फटाफट उसकी रेशमी, चिकनी और मुलायम लातों के बीच बैठ गया, अपना मुंह उसकी चूत से सटा दिया और जीभ उस रसरसाती हुई चूत में घुसा दी।
‘हाय कुत्ते… पी…मेरा रस पी… भोसड़ी के… ले… ले… ले…’ इतना कहते हुए माधुरी रानी ने स्वर्ण रस की एक तेज़ धार मेरे मुख में छोड़ी।
मैं जल्दी जल्दी उस गर्म गर्म सुनहरे अमृत को पीने लगा, वास्तव में बहुत ही ज़्यादा स्वाद आ रहा था, माधुरी रानी सुर्र सुर्र करके धार मारे जा रही थी और मैं एक पिल्ले की तरह पिये जा रहा था। शायद बहुत देर से रोक कर रखा हुआ था, इसलिये माधुरी रानी धारा को धीमे नहीं कर पा रही थी.
लेकिन फिर भी मैं तेज़ तेज़ घूँट भर के पिए जा रहा था, मेरी चेष्टा यही थी कि एक भी बूंद नीचे गिर के बर्बाद न हो। माधुरी रानी सीत्कार भरते हुए अपना पेट खाली कर रही थी और चुदास से बौरा कर दनादन गालियाँ दिये जा रही थी।
उसके श्याम सुन्दर मुखड़े पर छाई तमतमाहट, माथे पर पसीने की बूंदें और प्यारे से मुंह से निकलती हुई मस्त गालियाँ मेरी ठरक को फिर से चढ़ा रहे थे… उस पर उसकी रसीली चूत से निकलती हुई अमृत की धार! यार क्या बताऊँ!! बस यूं समझ लो कि इतने ज़ोर से झाड़ने के बाद भी लंड दुबारा से अकड़ चुका था और तुनक तुनक कर अपनी बेसब्री दिखा रहा था।
खैर कुछ देर में माधुरी रानी का स्वर्ण अमृत खाली हो गया, उसने पांच सात बार लपलप करके बची हुई बूंदें भी मेरे मुंह में जाने दीं। सच में अमृत ही था… पीकर इतना आनन्द मिला कि वर्णन करना दूभर। ज्यों ही स्वर्ण रस आना बंद हुआ मैंने जीभ पूरी चूत में दे दी और लगा अंदर घुमाने।
माधुरी रानी मज़े में बिलबिला उठी और चूत में लबालब भरे हुए चूतरस के मदमस्त स्वाद से मैं भी चिहुँक गया। ज़ोर ज़ोर से जीभ पूरी चूत में डालकर मैं मधु पीने लगा। मैं जितना रस पीता जाता था, चूत में उस से कहीं अधिक रस फफक फफक के निकले जाता था।
सो चूत पूरी की पूरी रस से भरी ही रहती थी। कभी मैं माधुरी रानी के बुर में जितनी जीभ जा सकती है उतनी घुसा के चूत का रसपान करता तो कभी मैं योनि के होंठों को चूसता और बीच बीच में माधुरी रानी की झांटों के गलीचे जैसे जंगल में नाक रगड़ रगड़ कर मज़ा लूटता। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
कई बार मैंने उसके स्वर्णरस के छेद में जीभ की नोक से रगड़ा। माधुरी रानी तेज़ी से बढ़ती हुई उत्तेजना से बौरा सी गई थी, उसने अपनी जाँघें कस कर भींच कर मेरा सिर जकड़ लिया। मैं भी चूतरस के मस्त स्वाद से बेहाल होने लगा था।
माधुरी रानी के मुंह से अजीब अजीब सी आवाज़ें आने लगी थीं, चूत से अमृत बहुत तेज़ बहाने लगा था, वो कभी टांगें भींचती तो कभी खोलती, कभी वो मेरे बाल खींचती और कभी ज़ोर से मुक्के मारती। मेरा लंड पूरे ज़ोर से अकड़ गया था और बेताब हो चला था, मैंने अपना मुंह माधुरी रानी की चूत से अलग किया और खड़ा होकर उसे गोद में उठा लिया.
मैं बोला- सुन हरामज़ादी… अब बेडरूम में चलते हैं… आगे का खेल उसी पलंग पर जहाँ मैं जूसी रानी को रोज़ चोदता हूँ… अब आयेगा ना असली मज़ा!
माधुरी रानी खुशी से फूल कर बोली- हाँ हाँ राजा… तेरी बीवी के बेड पर चुदाई करेंगे… राम… मेरी तो सोच सोच के ही चूत आनन्दमयी हो गई… तू साले है बड़ा कमीना… अच्छा एक बात मेरी मानेगा बहनचोद?
मैंने माधुरी रानी के होंठ चूमकर पूछा- बोल रानी क्या कहती है….आज तो तू जो मांगेगी मिलेगा।
‘ठीक है चूत के पिस्सू… चूत में लंड घुसा के फोन करना अपनी बीवी को… तू उससे कैसे बात करता है मैं सुनना चाहती हूँ… बोल माँ के लौड़े करेगा ना?’
‘कमीनी कुतिया…करूंगा करूंगा…साली रंडी!’ इतना कह के मैंने उसके होंठों से अपने होंठ चिपका लिये और उन्हें चूसता हुआ माधुरी रानी को गोदी में लिये लिये अपने बेडरूम की ओर चल दिया। माधुरी रानी ने अपने हाथ कस के मेरी गर्दन से लिपटा लिये थे और वो खूब मज़े से अपने होंठ चूसवा रही थी।
बेडरूम में मैंने उसे बिस्तर पर पटक दिया और एक वहशी की तरह उस पर टूट पड़ा, उसके चूचे भम्भोड़ता हुआ मैं बोला- अब तू हरामज़ादी नाच नाच के चुदवायेगी… बहन चोद आज तेरे बदन का कचूमर निकाल के छोडूंगा… साली सड़कछाप रांड चार दिन तक चल नहीं पायेगी।
‘हाँ कुत्ते तोड़ दे मुझे… मां चोद के रख दे साले मेरी… और ज़ोर से निचोड़ इन मादरचोद कुचों को…’ माधुरी रानी मस्ती में सिर इधर उधर हिला रही थी।
मैंने पूरी ताक़त से उसके मम्मे दबाने और निचोड़ने शुरू किये, मैं जितना ज़ोर से कुचलता था माधुरी रानी उतनी ही मस्त हुए जा रही थी। दिख रहा था कि अब वो चुदने को व्याकुल हो रही है। मैंने लंड को उसकी रसरसाती हुई बुर के मुंह पर जमाया और एक ही शॉट में पूरा लंड घुसेड़ दिया, चूत काफी टाइट थी और खूब गरम भी हो रही थी, लौड़े को यूं लगा कि किसी गरम रस से भरी हुई, बेहद संकरी व नरम नरम ग़ुफा म़ें चला गया हो।
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ज्यों ही लंड चूत म़ें घुसा, माधुरी रानी ने एक ज़ोर की सीत्कार भरी जबकि मैंने दुबारा से उसके कुचमर्दन का काम शुरू कर दिया। मैंने ज़ोर ज़ोर से माधुरी रानी की निप्पलों को उमेठा, उन्हें उंगलियों म़ें दबा के कस के नोचा और धीरे धीरे धक्के मारने लगा। माधुरी रानी ने अपनी टांगें कस के मेरी कमर पर लपेट लीं और दोनों हाथ मेरे कंधों पर जमा दिये।
‘बहन के लौड़े….बिना बताये ही ठूंस दिया इस मादरचोद लंड को… हाय हाय हाय… कमीना बिल्कुल फंसा हुआ है चूत म़ें… हाय हाय हाय… कुत्ते बहुत मज़ा आ रहा है… तू ठहर बहनचोद सौरभ के बच्चे… आज तेरे इस संडमुसंड का मैं बैंड बजाऊँगी… हाय हाय हाय… बस यूं ही पड़ा रहने चूत म़ें… बहुत मज़ा आ रहा है… धक्के जब मैं कहूँ तब लगाना… बस तू चूचे तोड़ता जा… उखाड़ के अलग कर दे मादरचोदों को… हाय हाय… मेरे राजा राजा राजा… मैं तो मर जाऊँ तुझ पर!’
माधुरी रानी बेतहाशा उत्तेजित होकर क़ुछ क़ुछ बके जा रही थी और मैं दबादब उसके मतवाले मम्मे भम्भोड़े जा रहा था। अब मैं धक्के नहीं मार रहा था। जब यह हरामज़ादी चाहेगी, धक्के मार दूँगा, मुझे कौन सी जल्दी है। यह तो मानना पड़ेगा कि माधुरी रानी किसी भी मर्द को रिझाने और उसे चोदने की कला म़ें पारंगत है।
मैं माधुरी रानी के ऊपर लेट गया और लगा उसके होंठ चूसने। कभी ऊपर वाला चूसता तो कभी नीचे वाला। लंड को उसकी चूत म़ें घुसाये घुसाये मैं सिर्फ तुनके मार रहा था। कुछ ही देर में माधुरी रानी की ठरक इतनी बढ़ गई कि उसने मेरे होंठों से अपने होंठ अलग करके सी सी करना शुरू कर दिया।
उसकी अधखुली आँखों में उत्तेजना के नशे के मादक गुलाबी डोरे तैरने लगे थे। सीत्कार भरते हुए माधुरी रानी ने अपनी कमर ऊपर नीचे करके धक्के लगाने की कोशिश शुरू कर दी। उसने अपनी टांगें उछाल कर अपनी रेशमी जाँघों में मेरे सिर को जकड़ लिया।
‘चोद सौरभ चोद… धक्के मार मार के आज फाड़ दे चूत को… हरामज़ादी ने दुखी कर रखा है… हाय हाय अब जल्दी कर कुत्ते… अब सबर नहीं हो रहा…’
माधुरी रानी का नशा अब काबू से बाहर होने लगा था। मैंने लंड को बाहर निकाला और उसकी टांगें सिर से अलग करके उसे पलट दिया। फिर उसके चूतड़ ऊपर को उठा के पीछे लंड लपलपाती हुई चूत में ठोक दिया। माधुरी रानी ने एक चीख मारी और कस के चूत को टाइट करके लंड को भींच लिया।
‘उठ कुतिया… अब तू एक कुतिया जैसे ही चुदेगी… उठ ऊपर को… बहन की लौड़ी अपनी कोहनी और घुटनों पर टिक जा और चुपचुपा एक गरम कुतिया जैसे चुदवाये जा… अगर लंड बाहर निकल गया तो कमीनी तेरी गाण्ड फाड़ दूंगा.. उठ अब रंडी की औलाद!’
माधुरी रानी एक एक्सपर्ट चुदक्कड़ थी। बड़े आराम से उसने लौड़ा बाहर निकलने दिये बिना ही खुद को पहले कोहनी के बल उठाया और फिर नितंब उठाते हुए घुटनों के बल हो गई। मैंने भी खुद को साथ साथ उठाया ताकि लंड चूत से बाहर ना निकले।
इसके बाद मैंने पीछे से उसके मम्मे जकड़ के ऐसा दबाया, निचोड़ा और मसला है कि पूछो मत। कुछ देर के बाद मैंने चूचियों को राहत देने के लिये माधुरी रानी के चूतड़ मसलने शुरू किए। यार रेशम जैसे मक्खनी चूतड़ !!! उनको मसल मसल के मज़े से बुरे हाल हो गया।
बस फिर मैंने यूं ही बारी बारी से माधुरी रानी का कुचों और नितम्बों को बहुत देर तक मसला जिससे माधुरी रानी ठरक से पगला गई। अब वो चोदने की गुहार लगाने लगी, उसकी चूत से रस तो पहले ही से बहे जा रहा था-
राजा क्या आज मेरी जान निकाल के रहोगे… अब तूने देर की तो कसम से मर जाऊँगी… अब चोद भी दे धड़ाम धड़ाम… चूत में आग लगी है राजा… दे कमीने दे ज़ोर का धक्का! माधुरी रानी बेहाल हालत में बोली।
‘नहीं कमीनी रांड… जब तक तू भीख नहीं मांगेगी तब तक मैं धक्के नहीं मारूंगा… शुरू में तू कह रही थी ना मुझ से भीख मंगवाएगी चूत लेने की… ले बहन चोद… अब तू भीख मांग… साली रंडी की औलाद… मांग भीख… एक धक्का फ्री में देता हूँ… ले बहन की लौडी… एक धक्का ले.’ इतना कह के मैंने एक ज़ोरदार धक्का लगाया।
माधुरी रानी मज़े से चीख पड़ी और गिड़गिड़ाते हुए कहने लगी- हाँ राजा हाँ… प्लीज़ प्लीज़ अब और ना सताओं अपनी माधुरी रानी को… हाथ जोड़ती हूँ राजा के पैरों में… प्लीज़ ज़ोर ज़ोर से चोद डालो… प्लीज़ राजा… तू जो कहेगा मैं करूँगी… उमर भर तेरी रखैल बन के रहूंगी… बस तू अब देर न कर!
इतना सुन कर मैंने दनादन धक्के पे धक्का ठोकना शुरू किया, मैंने उसके मम्मे जकड़ रखे थे और उन्हें जकड़े जकड़े ही मैं धक्के लगा रहा था ताकि हर धक्के में चूचा भी कस के मसला जाये। माधुरी रानी के बाल बिखर के इधर-उधर लहरा रहे थे, उसका सिर हर धक्के पर ऊपर नीचे हो जाता था, वो मदमस्त होकर किलकारियाँ मारते हुए चुदवा रही थी।
और क्यों ना हो, वो बेचारी तीन चार महीने से सूखी भी तो पड़ी थी बिना चुदे। बड़े समय के बाद आज उसे मौका मिला था कि वो हचक हचक के चोदी जाये। उसकी चूत लगातार रस छोड रही थी, हर धक्के में थोड़ा सा रस और निकल आता, रस हर धक्के में थोड़ा सा चूत के बाहर भी सरक आता।
माधुरी रानी की जाँघें और मेरी झांटें चूत के पानी से बिल्कुल भीग गयी थीं, हर धक्के पर खूब फचाक फचाक की आवाज़ें कमरे में गूंज उठतीं। माधुरी रानी मुंह से ‘हैं हैं हैं’ की आवाज़ें निकल रही थी, हम दोनों की साँसें फूल चुकी थीं।
माधुरी रानी हाँफते हुए बोली- राजा… बस ऐसे ही चोदे जा… साले कुत्ते… बड़ा मस्त चोदता है गांडू तू… हाँ हाँ हाँ… यूं ही धक्के दे… ठीक ठीक है मेरे कुत्ते… हैं हैं हैं… फाड़ दे मेरी चूत कमीने… और ज़ोर से पेल बहन चोद लौडा… हाय मैं मर जाऊं… बहुत बड़ा मादरचोद है तू कमीने!
मैंने भी हाँफते हुए कहा- तेरी माँ को भी चोदूंगा हरामज़ादी… रंडी मादरचोद… ले बहन की लौड़ी… ले ले ले ले कमीनी कुतिया आज बनाता हूँ तेरी चूत की चटनी… बहनचोद चुदक्कड़ रांड… ले ले ले… लिये जा इस लंड को तेरी चूत में!
हर बार मैं ले ले कहता हुआ ज़ोरदार धक्का ठोकता और माधुरी रानी सीत्कार लेते हुए, मज़े में चूर होते हुए चुदवाये जाती। यूं ही गालियाँ बकते हुए करीब 30-35 मिनट तक माधुरी रानी की जमकर चूत मारी गई। मैंने माधुरी रानी को एक धक्का इतने ज़ोर से मारा कि वो मुंह के बाल बिस्तर पर ढह गई।
मैंने एक गुलाटी मारी और उसे नीचे करके खुद ऊपर हो गया, फिर मैंने दनादन धक्के पे धक्के लगाने शुरू किये। कमरे में चुदाई की पिच्च पिच्च, माधुरी रानी की ‘हैं हैं आह आह ओह ओह’ और मेरी ‘हूँ हूँ हूँ’ की ज़ोर ज़ोर की आवाज़ें भरी हुई थीं।
कोई भी सौ मीटर दूर से भी सुन कर समझ सकता था कि यहाँ ज़बरदस्त चुदाई चल रही है। हम पूरी तरह से बदहवास हो गये थे, माधुरी रानी के बाल बिखर गये थे, उसके माथे पर पसीना आ गया था, आँखें बंद और मुंह थोड़ा सा खुला हुआ था। अपने होशोहवास खोकर माधुरी रानी चुदने का अलौकिक आनन्द लूट रही थी।
तभी माधुरी रानी ने एक किलकारी मारी, बड़े ज़ोर से हाय हाय करते हुए मेरे बाल जकड़ कर खींचे और टांगें मेरी कमर में लिपटा कर ज़ोर ज़ोर से पैर मेरे चूतड़ों पर बरसाये। मैं समझ गया कि वो झड़ने को है। माधुरी रानी के चूचे अपने पंजों में जकड़कर मैंने धड़ाधड़ कई धक्के पूरी ताक़त से मारे.
एक ज़ोरदार सीत्कार के साथ वो झड़ी और चूत से रस कि बौछार छोड़ते हुए एक दम निढाल सी होकर हाय हाय करते हुए अपनी मां को याद करने लगी। तब तक मैं भी बेहाल हो चुका था, चूत के गर्म गर्म रस से और भी उत्तेजित हो चुका था, बड़े ज़ोरों से माधुरी रानी की चूचियाँ मसलते हुए मैं भी स्खलित हो गया।
लंड से गोली की रफ़्तार से छूटे वीर्य के बड़े बड़े लौंदों से माधुरी रानी कि चूत भर गई, राजा राजा कहते हुए माधुरी रानी ने मुझे खींच के लिपटा लिया और आँखें मूंद कर चुपचाप पड़ गई, मैं भी उसके ऊपर मूर्छित सा होकर लेट गया।
हम काफी देर तक ऐसे ही पड़े रहे और अपनी उखड़ी हुई साँसें काबू में करते रहे। जब बदन में चुदाई से चढ़ी गर्मी शांत हो गई, साँसें ठीक हो गयीं और पसीना सूख गया तो माधुरी रानी धीमे से फुसफुसाते हुए बोली- राजा आज तुझे चोदकर आनन्द आ गया… कसम से कहती हूँ… आज मैं कितनी बार झड़ी हूँ बता नहीं सकती… बस यूं समझ ले कि मैं झड़े गई, झड़े गई और बस झड़े गई… सबसे ज़्यादा मज़े की बात तो यह रही कि हमने तेरे बिस्तर पर चोदा…’ इतना कहकर माधुरी रानी ने बड़े प्यार से मुझे चूमा।
मैंने भी उसे चूमते हुए कहा- रानी तू भी बहुत मस्त चोदती है… तूने आज जो मज़ा दिया है गाना बजाकर और झूम झूम कर… यार मज़े के मारे गांड़ ही फाड़ दी मेरी… अच्छा अब बता अब और क्या मज़ा देगी?
‘साले अब क्या जान लेगा कमीने मेरी… सारा शरीर दुख रहा है… कितने ज़ोर से चूचियाँ कुचली हैं बहनचोद… छूते ही दर्द से जान निकलने को होती है… हरामी चूत के पिस्सू… लेकिन कमीने तूने मज़ा भी बेहद दिया… चल तुझे चूस चूस के झाड़ने का लुत्फ देती हूँ… सच में चुदाई की हिम्मत नहीं हैं… नहीं तो बार बार चुदवा कर मज़े लूटती… बोल कैसे चुसवायेगा? लेटे लेटे या बैठ कर? जैसे तेरी मर्ज़ी हो वैसे ही चूसूँगी।
मैंने कहा- माधुरी रानी जैसे तेरी इच्छा हो तू वैसे ही चूस। मुझे तो लौड़ा चुसवाने का स्वाद मिलेगा फिर चाहे लेते हुए मिले या खड़े हुए क्या फर्क पड़ता है।
इतनी देर में लंड भी अकड़ चुका था। माधुरी रानी ने मुझे बिस्तर पर ऐसे लेटने को कहा जिससे मेरी टांगें बेड से नीचे रहें, पैर फर्श पर टिके रहें। उसने मेरी टांगें फैला दीं और खुद भी फर्श पर घुटनों के बल बैठ गई। फिर उसने लंड को में ले लिया और होंठों को कस के लौड़े पर चिपका दिया।
लंड माधुरी रानी के गरम गरम मुंह में जाते ही फुनफुनाने लगा और उसके मुंह के भीतर ही तुनके मारने लगा। तब माधुरी रानी ने जीभ से धीरे धीरे लंड के टोपे पर मारना शुरू किया तो यारों मेरे बदन में यूं लगा कि बिजली की लहरें नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे भाग रही हैं। उसकी जीभ की ठोकर से बड़े ज़ोर की सरसराहट हो रही थी।
माधुरी रानी होंठों को आगे पीछे करके लंड को मुंह से चोद रही थी और साथ साथ जीभ सुपारे से छुआ छुआ के मुझे पागल किये जा रही थी। यकायक माधुरी रानी ने मुंह से लंड को बाहर निकल कर अपना मुंह मेरी गाण्ड से सटा दिया और गीली जीभ से छेद के इर्द गिर्द चाटा। इतना मज़ा आया कि जिसका कुछ हिसाब नहीं।
थोड़ी देर मेरी गाण्ड चाट के माधुरी रानी ने फिर से लौडा मुंह में ले लिया और लगी जीभ से छुआ छुआ के बेइंतिहा मज़ा देने लगी। मैं आँखें मूंद के जन्नत का आनन्द लूटने लगा कि तभी अचानक माधुरी रानी ने एक उंगली मेरी गाण्ड में तेज़ी से पूरी की पूरी घुसा दी।
उंगली गाण्ड में जाते ही ऐसी आग सी लगी बदन में कि एक ज़ोर की चीख मारकर मैं तपाक से झड़ा। ‘दन दन दन’ लंड ने पूरा का पूरा मसाला माधुरी रानी के मुंह में छोड़ दिया। बहुत दिनों के बाद किसी लड़की ने गाण्ड में उंगली घुसा के मुझे झाड़ा था। मेरी वर्षों पहले की गर्ल फ्रेंड स्वर्गीया चंदा रानी यह बहुत किया करती थी।
जब उसकी मुझे जल्दी से झाड़ने की मर्ज़ी होती थी तो वो यही करती थी, गाण्ड में तेज़ी से उंगली घुसेड़ती थी और मैं झड़ जाता था। चंदा रानी चुदाई की एक महान खिलाड़िन थी। अब लगा कि माधुरी रानी भी टक्कर की खिलाड़िन है चोदम-चुदाई के खेल की। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
माधुरी रानी बड़े मज़े से सारा मक्खन पी गई और चटखारे लेते हुए बोली- सौरभ मज़ा आ गया… बोल तुझे भी पूरा मज़ा आया कि नहीं?
‘बहुत मज़ा आया मेरी कुतिया माधुरी रानी… तूने गाण्ड में क्यों उंगली दी? हराम की औलाद, मैं उंगली घुसते ही झड़ गया।’
‘साले मादरचोद… इतना तुझे मज़ा आया कि तूने ज़ोर की चीख मारी कि सारे पड़ोसियों ने भी सुन ली होगी… अब झड़ झड़ा के बहन का यार शिकायत कर रहा है… कमीना कुत्ता कहीं का.’ माधुरी रानी ने जवाब दिया।
यार इस चूत की भाषा तो मस्त कर देने वाली थी, मैंने उसे खींच के जकड़ लिया और कस के एक गहरा चुबन उसके प्यारे होंठों का लिया। माधुरी रानी ने भी मस्त होकर लिपट लिपट कर चुम्बन दिया, फिर उसने बड़े ज़ोर से मेरे चूतड़ों पर दांत मार के काटा।
मैंने दर्द से आह भरते हुए पूछा- रानी, यह किस खुशी में?
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माधुरी रानी ने इतराते हुए कहा- राजा यह तेरी सज़ा है… मैंने कहा था और तूने माना था कि चूत में लंड घुसा के तू जूसी रानी को फोन करेगा और मैं तेरे बात करते हुए चोदूंगी… तूने कहाँ किया उसे फोन… कमीने मादर चोद… अगर फोन नहीं करना था तेरी गांड फटती थी तो पहले ही माना कर देता… साला रांड की औलाद।
‘अरे नहीं रानी…उस समय ध्यान ही नहीं रहा… कमीनी, तू नहीं याद दिला सकती थी?’ मैं खीज के बोला।
माधुरी रानी ने हंसते हुए कहा- हाय मेरा राजा… बुरा ना मान जानू मैं तो तुझे बना रही थी… असल में हम दोनों ही जोश में भूल गये थे कि तेरी बीवी को तुझे तब फोन करना है जब तू मेरी चूत में लौड़ा डाले हुए हो… कितना मज़ा आता ना… वो तुझसे कुछ पूछती और मैं झकास एक तगड़ा सा धक्का मारती.. कोई बात नहीं यार, अगली बार यह काम भी कर लेंगे… अच्छा राजा अब मैं चलती हूँ… कल जॉब जॉइन करनी है और तेरे दोस्त की चुदाई करनी है… तीन चार दिन के बाद फिर मिलेंगे।
मैंने माधुरी रानी को पांच हज़ार रुपये दिये जो उसने मुझसे मिलने की तैयारी में खर्च किये थे, फिर एक ज़ोरदार आलिंगन में बंध कर और एक लम्बा और गहरा चुम्मा लेकर हम अलग हुए। माधुरी रानी ने अपने बाल ठीक किये और कपड़े पहने और बाय-बाय कर के चली गई।