Barish Me Sexy Dance
मेरे पापा एक सरकारी कर्मचारी थे और उन्होंने ३० कमरों का एक मकान बना रखा था जिसे वो किराए पर देते थे। मेरे पास कोई दूसरा काम या नौकरी नही थी। ये मकान ही हमारी कमाई का जरिया था। इसलिए जब हमारे मकान में कोई कमरा खाली हो जाता था तो मैं प्रोपर्टी डीलर्स से मिलकर कमरा किराए पर उठवाता था। कुछ दिनों बाद हमारे घर में एक जवान लेकिन विधवा आंटी रहने आई। Barish Me Sexy Dance
“२ कमरे चाहिए बेटा, कितना किराया लोगे??” आंटी ने मुझसे पूछा.
“8 हजार, १ कमरे का 4 हजार” मैंने कहा.
“ये तो बहुत जादा है बेटा, मैं विधवा हूँ, कमाई का कोई जरिया नही है, कुछ पैसे कम तो करो” आंटी बोली.
दोस्तों, वो भले की विधवा थी पर देखने में बिलकुल टंच माल लग रही थी। उम्र भी कोई जादा नही थी। कोई ३२ ३३ की उम्र रही होगी आंटी की। उनका साड़ी का आँचल हवा से उड़ रहा था तो मेरी नजर उसकी साडी के ब्लाउस की तरफ चली गयी। भई वाहहहहहह…..कितने मस्त मस्त कसे बिलकुल शेप में मम्मो के दर्शन मुझे हो गए।
दिल किया की अभी आंटी को पकड़ लू और उनको चोद चोदकर सारे मजे ले लूँ। मैं आंटी को कमरा देना चाहता था क्यूंकि इससे ये फायदा होता की एक तो मेरे खाली कमरे भर जाते और दूसरा रोज रोज इस मस्त माल वाली आंटी के दर्शन हो जाते।
“चलिए आंटी…आप विधवा है इसलिए मैं २ कमरों के ६ हजार ले लूँगा। इससे कम नही हो पाएगा” मैंने कहा.
अगले दिन आंटी अपना सारा सामान लेकर आ गयी और मेरे मकान में शिफ्ट कर गयी। उनके एक लड़का और एक लड़की थी। लड़की अभी छोटी थी , कोई १२ साल की रही होगी और चोदने लायक वो अभी नही हुई थी। शाम को मैं जब भी मकान में जाता आंटी मुझे चाय पिलाती। धीरे धीरे मेरी उसने दोस्ती हो गयी।
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मैं बाकी किरायेदार से किराया १ तारिक को बड़ी सख्ती से वसूल कर लेता था, पर आंटी के साथ मैं कोई जोर जबरदस्ती नही करता था। मैं कहीं न कही आंटी को पसंद करता था और चोदना चाहता था। मैं जब भी आंटी से मिलकर आता था.
तो रोज रात में यही सोचता था की अगर उनका पति जिन्दा होता तो खूब कसकर उनकी चूत मारता। उनके ४०” के दूध पीता। दोस्तों, धीरे धीरे वो विधवा आंटी मुझे बहुत अच्छी लगने लगी। एक दिन जब उनके बच्चे बाहर खेलने गये तो मैंने आंटी से अपने दिल की बात कह दी।
“आंटी, आप जवान है, खूबसूरत है, कोई भी मर्द आपसे शादी करने को तैयार हो जाएगा। आप शादी क्यों नही कर लेती? क्या आपका चुदवाने का दिल नही करता है??” मैंने साफ़ साफ़ पूछ लिया.
“बेटा जीतेन्द्र, मेरा चुदवाने का बहुत मन करता है। मुझे चूत में लंड खाना बहुत पसंद है। दुबारा शादी भी मैं करना चाहती हूँ पर इन दो बच्चों का मैं क्या करू?? अब कोई मुझसे शादी करेगा तो इन बच्चों की जिम्मेदारी तो नहीं उठाएगा” आंटी बोली.
“हाँ, आंटी ये तो सही कहा आपने” मैंने कहा.
उस दिन आंटी ने मेरे लिए रवे का हलुआ बनाया था। मुझे उन्होंने परोसा। मैं चाव से खाया। २ महीने बाद अचानक आंटी के पास पैसा खत्म हो गया। तो मैंने अपने पास के किराया पापा को दे दिया और बोल दिया की आंटी ने दिया है। कुछ दिन बाद जुलाई का मौसम आ गया। झमाझाम बारिश होने लगी।
मैं बजार में सब्जियाँ खरीद रहा था। आंटी भी उसे मार्किट में थी और सब्जी खरीद रही थी। अचानक मैं उनसे टकरा गया। फिर मैंने उनको एक दुकान में चाय पिलाई। आंटी बहुत मॉल लग रही थी और मेरा उनको चोदने का दिल कर रहा था। जैसे ही हम दोनों घर की ओर निकले फिर से बारिश होने लगी।
दोस्तों हम दोनों किसी दुकान में छिप पाते इससे पहले हम दोनों भीग गये। मेरी पैंट की जेब में मेरा मोबाइल, पर्स सब पड़ा हुआ था। सब कुछ भीग गया था। मेरी नजर आंटी पर पड़ी। बारिश ने उनके एक एक अंग को भिगो दिया था। उनकी आसमानी रंग की साड़ी पूरी तरह गीली हो गयी।
ब्लाउज भीग कर उनके ४०” के मम्मो से चिपक गया। मुझे आंटी के सुडौल दूधो के दर्शन साफ़ साफ़ हो गए थे। आंटी से मुझे उनके दूध को घूरते पकड़ लिया। मैंने नजरे नीचे कर ली। सायद वो समझ गयी थी की मैं उनको पसंद करता था और उनको चोदना चाहता था। मैंने ऑटो कर लिया। हम दोनों के हाथ में सब्जियों के भारी भारी झोले थे, इसलिए मैंने आंटी को ऑटो में बिठा लिया।
ऑटो तेजी से हमारे घर की और चल पड़ा। बारिश होने के कारण हवा बहुत ठंडी हो गयी थी और बहुत अच्छा मौसम हो गया था। मैं अब आंटी के भीगे ब्लाउस और उसके अंदर कैद २ बेहद मस्त मम्मो को नही ताड़ रहा था। क्यूंकि आंटी ने मुझे पकड़ लिया था। कुछ देर बाद मैं जब दूसरी तरह देख रहा था, आंटी ने अपना हाथ मेरी जांघ पर रख दिया। मैं डर गया और चौंक गया।
“आंटी???” मैंने धीरे से पूछा.
“जीतेन्द्र, क्या तुम मुझको पसंद करते हो???” आंटी से धीरे से कहा.
“हाँ” मैंने जवाब दिया.
“मुझे आज चोदोगे…..देखो मौसम कितना मस्त है। ऐसे मस्त मौसम में अगर लंड खाने को मिल जाए तो क्या कहने” आंटी से कहा.
“ठीक है……” मैंने धीरे से बोला.
दोस्तों मैं बहुत जादा खुश हो गया था। मैं ऑटो में ही आंटी को कसकर पकड़कर चुम्मी ले लेना चाहता था। पर मैंने अपनी बेचैनी को किसी तरह रोके रखा। आज मेरी मस्त आंटी की चूत मुझे पीने और चोदने को मिल जाएगी। इस बात को सोच सोचकर मैं फूले नही समा रहा था। कुछ देर बाद हमारा घर आ गया।
आंटी ने मेरे कान में धीमे से कह दिया की मैं २ ३ कंडोम लेकर उनके कमरे पर पहुचुं। मेरे पास पहले से ५ कंडोम पढ़े हुए थे। पहले ले लिए और मैं पहुच गया। उनके दोनों बच्चे स्कुल गये हुए थे। घर पर सिर्फ मैं और आंटी ही थे। मैंने दरवाजे की अंदर से कुण्डी लगा दी।
हम दोनों अभी भी बारिश के पानी से भीगे हुए थे। आंटी ने मुझे गले लगा लिया और बाहों में भर लिया। उफ्फ्फफ्फ्फ़….उनके गाल बहुत गोरे और प्यारे थे। पहला प्यार मैंने आंटी के मस्त मस्त गालों पर दिखाया। आज हमे कोई देखने वाला नही था।
कोई कुछ कहने वाला नही था। इसलिए हम दोनों हसबैंड वाईफ की तरह प्यार करने लगे। आंटी माँ कसम ….बिलकुल चोदने खाने वाला सामान थी। मेरे हाथ उसके ४०” के बूब्स पर चले गए और मैं दबाने लगा। फिर आंटी मुझसे लिपट गयी और मेरे होठ पीने लगा।
“जीतेन्द्र बेटे!! मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। बेटे आज तुम मुझको कसके चोद डालो” आंटी बोली.
“आंटी, आप बिलकुल टेंशन ना ले। आज आपका ये बेटा आपसे बहुत प्यार करेगा और आपकी रसीली बुर चोद चोदकर पूरी तरह से फाड़ देगा” मैंने कहा.
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उसके बाद हम दोनों पागलों की तरह किस करने लगे। आंटी मुझे बिस्तर पर ले गयी। उन्होंने खुद अपनी साड़ी निकाल दी। तो मैंने अपने भीगे कपड़े निकाल दिए। शर्ट पेंट मैंने निकाल दी। मैं अब अपनी किरायेदारिन आंटी के सामने खड़ा था और मैं पूरी तरह नंगा था।
दोस्तों, आप लोग तो जानते ही होंगे की बरसात में ठंडे ठंडे मौसम में लंड कितना जादा खड़ा होता है। मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल था। मैं आंटी के सामने पूरी तरह से नंगा था और मेरा लंड खड़ा हुआ था और बहुत मोटा हो गया था। उधर आंटी जैसे जैसे अपनी साड़ी निकालती गयी उनके जिस्म का सफ़ेद और उजला उजला भाग मुझे दिखने लगा।
अब वो मेरे सामने ब्लाउस और पेटीकोट में थी। वो बहुत जादा चुदासी महसूस कर रही थी इसलिए उन्होंने देर नही की और जल्दी जल्दी अपने भीगे और दूध से चिपके ब्लाउस को वो खोलने लगी। उन्होंने अंदर ब्रा नही पहनी थी।
जैसे ही ब्लाउस उन्होंने निकाला मुझे तो जैसे चक्कर आ गया। दो ४०” के बड़े बड़े बेहद खूबसूरत दूध मेरे सामने थे। मैं पागल हो रहा था। फिर उन्होंने भीगा पेटीकोट भी निकाल दिया। जैसा मैं उम्मीद कर रहा था आंटी से कोई पेंटी नही पहनी थी। उनकी काली काली झांटे मैं साफ़ देख सकता था।
“जीतेन्द्र!! आओ चोदो आकर मुझे” आंटी से आदेश दिया.
मैं आंटी के साथ बेड में चला गया। एक टॉवेल से आंटी ने अपना और मेरा जिस्म अच्छी तरह से पोछ दिया। अब हम लोग सूख गए थे। मैंने आंटी को बाँहों में भर लिया। हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे और चूमने लगे। एक नंगी चुदासी और अधेड़ औरत को बाहों में भरना बड़े फक्र और गर्व वाली बात होती है। ठीक ऐसा ही हो रहा था मेरे साथ।
मैं २४ साल का था और एक ३३ साल की अधेड़ औरत को मैं कसके चोदने वाला था। बरसात के इस सेक्सी मौसम में आज आंटी की अनचुदी चूत का इंतजाम हो गया था। ये बहुत अच्छी और मस्त बात थी। जब एक औरत और मर्द के जब दो नंगे जिस्म आपस में मिले तो आग लगना तो लाजमी थी।
हम दोनों के जिस्मो की हवस और शारीरिक भूख जाग गयी। मेरी किरायेदारिन आंटी भी चुदना चाहती थी, और मैं भी उनको चोदना चाहता था। वो ठुकवाना चाहती थी, मैं उनको ठोकना चाहता था। हम दोनों बड़े जोश और खरोश से एक दूसरे को किस करने लगा। आंटी मुझे अपने दिल में छुपा लेना चाहती थी, वो मुझसे इतना प्यार कर रही थी।
मैं उनके लिए एक प्यार का गीत गाने लगा। कुछ देर बाद मैं उनके उपर ही आ गया और उनके दूध पीने लगा। आज चुदासी विधवा आंटी की चूत में मैं लंड देने वाला था। आंटी ने खुदको मेरे हवाले कर दिया था। मैं मजे लेकर और खुलकर उनके दूध मस्ती से पी रहा था।
उफफ्फ्फ्फ़….कितने सेक्सी और मधहोश कर देने वाले आम थे उनके की मैं आपको क्या बताऊँ। बड़े बड़े मम्मो की निपल्स के चारो और काले घेरे तो जैसे चार चाँद लगा रहे थे और मेरे दिल पर छूरियाँ चला रहे थे। मैं एक एक निपल्स को बड़े प्यार और आराम से चूस रहा था और पी रहा था।
आज मैं जीभके अपनी हवस पूरी करलेना चाहता था। मैं आंटी के उन दूध को जी भरके चूस लेना चाहता था जिनको देख देखकर मैं हमेशा ललचाता रहा था। फिर मैं उनकी चूत पर पहुच गया। शायद कई महीनो से उन्होंने अपनी झाटे नही बनाई थी। इसलिए काफी बड़ी बड़ी झाटें हो गयी थी।
मैंने बेहद रूमानी अंदाज में उनकी चूत के उपर झाटो में अपनी उँगलियाँ फिराने लगा। आंटी मचलने लगी। आखिर मैंने घास के ढेर से रसीली चूत को ढूढ़ ही लिया। मैंने चूत पीना शुरु कर दी। उफफ्फ्फ्फ़…..कितनी मस्त रसीली बुर की आंटी की। मैंने चूत के लटकते होठो को बड़े करीने से पुचकार कर अपनी उँगलियाँ से खोल दिया और असली चूत को पीने और चाटने लगा।
आंटी सी सी सी सी… अई…अई….अई……अई करने लगी। मैंने और जोर जोर से आंटी की बुर चाटने लगा। फिर मैंने वही पास में सब्जी की टोकरी में रखा लम्बा बैगन उठा लिया और आंटी के भोसड़े में डाल दिया। मैं जल्दी जल्दी बैगन को आंटी के भोसड़े में डालने लगा।
वो बहुत जादा गर्म हो गयी और उनकी बेचैनी मैं साफ़ देख सकता था। उनकी बेचैनी देखकर मुझे बहुत खुसी हुई और मैं और तेज तेज आंटी की रसीली चूत को बैगन से चोदने लगा। कुछ देर बाद वो अपनी गांड और कमर उठाने लगी।
“बेटा जीतेन्द्र, आज चोद डाल मेरी चूत को” आंटी बोली और उन्होने कामोत्तेजना में अपना सीधा हाथ मेरे सिर पर रख दिया और मेरे बाल में ऊँगली चलाने लगी। मैंने आधे घंटे आंटी का भोसड़ा उस बैगन से चोदा। फिर उनकी चूत से फच्च फच्च की आवाज करता पानी निकलने लगा।
मैं बहुत जादा चुदासा महसूस कर रहा था। बैगन को मैंने फेक दिया और अपना मोटा ७” का लंड मैंने आंटी के भोसड़े में पेल दिया और जल्दी जल्दी उनको चोदने लगा। मैंने आंटी के दोनों हाथ कलाई से पकड़ लिए और घप्प घप्प उनको चोदने लगा। बरसात के मौसम में तो चूत मारने में डबल मजा मिलता है।
वाःह्ह्ह्ह दोस्तों, आंटी का भीगा भीगा बदन मुझे बहुत ठंडा और सेक्सी लग रहा था। मैं जब आंटी को जोर जोर से कमर उपर नीचे करके चोद रहा था तो पट पट पट पट की आवाज आंटी की चूत से आने लगी। जैसे पॉपकॉर्न मशीन में पॉप कर रहे हो। हम दोनों के पेट आपस में खट खट टकरा रहे थे इसलिए वो मीठी मीठी आवाज आ रही थी।
मैं आंटी को पेलते पेलते उनके गाल पर किस कर लेता था। फिर उसने रसीले ओंठ पीकर मैं उनको ठोंकने लगा। आंटी आआआआअह्हह्हह… अई…अई…. .ईईईईईईई..सी सी सी करने लगी। कुछ देर बाद मैंने अपना माल आंटी की चूत में डाल दिया।
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मेरा लौड़ा बाहर निकल आया। जैसे मैंने लंड आंटी की बुर से निकाला मेरा माल उनकी चूत से बाहर की ओर बहने लगा और बेडशीट पर गिर गया। आंटी की पहले राउंड की चुदाई सम्पन्न हो चुकी थी। उन्होंने मुझे बाहों में भर लिया और मेरी वाइफ की तरह मुझे किस करने लगी। हम दोनों दो जिस्म एक जान हो गए थे।
“आंटी एक बात कहू??” मैंने पूछा बड़े प्यार से उनको बाहों में भरे हुए.
“हूँ…..” आंटी बोली.
“आंटी मुझसे शादी करोगी” मैंने कहा.
“क्या???” वो हैरान हो गयी.
मैंने उनको बताया की मैं उनसे सच्चा प्यार करने लगा हूँ। और ताउम्र उनकी चूत मारना चाहता हूँ। वो बहुत देर तक खामोश रही। सायद उनको मेरी बात का विश्वास नही हो रहा था। कुछ देर बाद फिर मैं उनके दूध पीने लगा। मैंने उनको उनके दोनों बेहद सुंदर घुटनों पर घोड़ी बना दिया। आंटी का पिछवाडा किसी इंडियन रेलवे स्टेशन के प्लेटफोर्म से कम नही था। बहुत बड़ी गांड थी उनकी। मैं किसी कुत्ते ही तरह बड़ी देर तक उनके चुतड चूमता रहा और बुर पीता रहा। फिर मैंने उनकी बुर में अपना मोटा लंड फिर से डाल दिया और चोदने लगा। दोस्तों मैंने उस बरसात वाले दिन आंटी को ४ बार चोदा।