Tel Laga Kar Choda
मेरा नाम कृति है और आज में आप सभी के सामने अपनी एक सच्ची कहानी लेकर आई हूँ और में उम्मीद करती हूँ कि इसे पढ़कर आप सभी को बहुत मज़ा आएगा. दोस्तों यह मेरा पहला सेक्स अनुभव है जिसको में आज आपके सामने रखने जा रही हूँ. मुझे सेक्सी कहानियाँ पढ़ना बहुत अच्छा लगता है और में बहुत मज़ा करती हूँ. में एक शादीशुदा लड़की हूँ. Tel Laga Kar Choda
दोस्तों मेरी शादी बरेली में हुई थी, वैसे मेरे पति भी उत्तर प्रदेश से है, लेकिन वो दिल्ली में एक प्राईवेट कम्पनी में नौकरी करते है और इसी कारण हम लोग शादी के कुछ टाईम बाद ही दिल्ली रहने चले आये. एक दिन मेरे पति ने मुझसे कहा कि चलो एक महात्मा की यात्रा में चलते है.
उस दिन रविवार का दिन था और हम दोनों बिल्कुल फ्री थे इसलिए हम दोनों बहुत खुश होकर उस यात्रा में चले गये. दोस्तों में तो देखकर एकदम चकित रह गई क्योंकि वहाँ पर बहुत भीड़ थी और बहुत लंबी लाईन लगी हुई थी. में और मेरे पति साथ साथ चल रहे थे, तभी अचानक एक ज़ोर भीड़ आई, जिसकी वजह से में और मेरे पति अलग अलग हो गये.
तब मेरे पास मोबाइल भी नहीं था. में बिल्कुल चुपचाप अपनी लाईन में आगे की तरफ चल रही थी और फिर कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि मेरे चूतड़ को कोई पीछे से छू रहा है, लेकिन में चुप रही और मैंने सोचा कि शायद वो कुछ देर में हट जाएगा.
लेकिन अब कुछ टाईम बाद उसकी हरकत तेज़ हो गई और अचानक फिर से एक हल्का सा धक्का लगा और उस आदमी ने मेरी चूतड़ में अपनी एक उंगली को घुसा दिया. जब मैंने पीछे की तरफ देखा तो वो बहुत बेशर्मी से मेरी तरफ मुस्करा रहा था, लेकिन अब भी मुझे मेरे पति कहीं भी दिखाई नहीं दे रहे थे.
इस वजह से उसको पूरी तरह से आगे बढ़ने का मौका मिल रहा था और अब वो सही मौका देखकर मेरे बूब्स को छूने लगा, लेकिन में बहुत मजबूर थी. मैंने उससे कुछ नहीं कहा और वो इस बात का लगातार फायदा उठाता रहा.
फिर कुछ देर बाद यात्रा रुक गई थी और अब धक्के पे धक्के लग रहे थे और इस बात का फायदा उठाकर उसने अपना लंड मेरे चूतड़ पर सटा दिया और वो कुछ देर ऐसे ही रहा. फिर उसने मेरा ऐसा व्यहवार देखते हुए वो अब मेरे बूब्स पर अपना हाथ घुमाने लगा.
दोस्तों अब सच पूछो तो मुझे भी उसके ऐसा करने से मज़ा आ रहा था. में चुपचाप खड़ी थी. तभी अचानक उसने मेरा एक हाथ पकड़ा और पीछे ले जाकर अपने लंड पर रख दिया. मेरा मन उसको महसूस करके बिल्कुल दंग रह गया, वाह क्या लंड था उसका, एकदम गरम लोहे की रोड जैसा.
वो करीब 8 लंबा और 3 इंच मोटा होगा और अब मैंने उसके पूरे लंड पर हाथ घुमाया तो उसने मेरे कान में कहा कि लाईन से बाहर आ जाओ. मैंने उसकी इस बात पर हाँ कह दिया और अब हम दोनों धीरे धीरे उस लाईन से बाहर आ गए, लेकिन अभी भी मुझे मेरे पति कहीं भी दिखाई नहीं दिए.
अब वो मुझसे बोला कि चलो, तो मैंने कहा कि कहाँ? और इतने में उसके साथ वाले चार पांच लोग और आ गए, लेकिन अब मुझ पर सेक्स पूरी तरह से चड़ चुका था. में मन ही मन उसके साथ जाने को तैयार हो चुकी थी, लेकिन अब उसको थोड़ा नखरा दिखा रही थी और फिर मैंने उससे कहा कि मेरे पति यात्रा में है.
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वो बोला कि कोई बात नहीं मिल जाएगे, यहाँ से कहाँ जाएगे. उसने अपने साथ वाले को इशारा किया वो चला गया और अब वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे दूर ले आया. कुछ दूरी के बाद उसका एक आदमी गाड़ी ले आया उसमे वो चार लोग भी पहले से ही बैठे हुए थे. बीच वाली सीट पर हम तीन लोग बैठे गए थे.
उस गाड़ी के सभी शीशे काले रंग के थे जिसकी वजह से बाहर वालों को अंदर कुछ भी नहीं दिखता था. अब गाड़ी चलने के कुछ देर बाद उसने मेरी साड़ी का पल्लू हटा दिया और अब वो मेरे ब्लाउज के बटन को खोलने लगा और एक एक करके उसके सभी बटन को खोल दिया और फिर मेरी ब्रा के हुक को भी खोलकर उन दोनों ने मेरे एक एक बूब्स को पकड़ लिया.
में जोश में होने की वजह से अब बिल्कुल बेशरम हो चुकी थी और मैंने उन्हें अपने साथ यह सब करने दिया. में बस धीरे धीरे सिसकियाँ ले रही थी और करीब 15 -20 मिनट के बाद वो गाड़ी एक फार्म हाऊस पर आ गई. मेरी साड़ी को उन्होंने कार में ही उतार दिया था इसलिए में अब सिर्फ पेटिकोट में ही थी और ऊपर से बिल्कुल नंगी.
वो सभी बिल्कुल बेफिक्र थे क्योंकि हमे देखने वाला बाहर का कोई भी नहीं था. अब मैंने अंदर जाकर देखा तो वहाँ पर एक बहुत बड़ा हाल था. वो मुझे हाल में ले आए और उस आदमी का नाम आनंद था और सभी लड़के हंस रहे थे. तभी अचानक से एक लड़का मुझसे बोला कि भाभी जी अपने अपना ऊपर वाला आकार तो हमे दिखा दिया है, अब नीचे वाला भी तो दिखा दो.
तो उनकी यह बात सुनते ही आनंद ने मेरे पेटीकोट को भी खोल दिया और मेरी पेंटी को भी उतार दिया और वो मेरी चूत में अपनी एक उंगली डालकर बोला कि अरे वाह यह तो बहुत गीली है और फिर आनंद ने फ्रिज में से एक बियर बाहर निकालकर वो उसे पीने लगा.
दूसरे लड़के मुझ पर टूट पड़े, कोई मेरी चूत को मसल रहा था तो कोई मेरे बूब्स को दबा रहा था. कोई मेरे चूतड़ में उंगली घुसा रहा था, लेकिन में तो बस आनंद की दीवानी थी. फिर वो कुछ देर बाद मेरे पास आया और मैंने उसका लंड पकड़कर अपने मुहं में डाल लिया. उसका बहुत बड़ा लंड था और उसका सुपाड़ा मेरे मुहं में बहुत मुश्किल से आ रहा था.
में उसके लंड को अब लगातार अंदर बाहर करके किसी रंडी की तरह चूसने लगी. फिर कुछ देर बाद यह सब देखकर मुझसे बोला कि क्यों बहुत प्यार आ रहा है? बाकी दूसरे लड़कों का लंड छोटा ही था एकदम मेरे पति के लंड के बराबर. दोस्तों में अब एक सोफे पर लेटी हुई थी और दो लड़के मेरे एक एक बूब्स को चूस रहे थे और नीचे एक लड़का मेरी चूत को चाट रहा था.
मेरे मुहं में आनंद के लंड था और सुपाड़ा मेरे गले को छू रहा था. कुछ देर चूसने के बाद उसने अपना लंड मेरे मुहं से बाहर निकाला और मुझसे घोड़ी बनने के लिए बोला तो में जल्दी से उसके सामने बिना सोचे समझे झुक गई और घोड़ी बन गई.
मुझे पता नहीं था कि वो मेरे साथ अब क्या करने वाला था? लेकिन में तो बस अपनी चुदाई के लिए तरस रही थी. मुझे तो अब कैसे भी करके अपनी चूत को उसके लंड से शांत करवाना था. वो मुझसे बोला कि तेरी गांड एकदम गोल गोल है और में आज तेरी गांड मारूँगा.
में उसके मुहं से यह बात सुनकर एकदम चकित हो गई क्योंकि मेरी गांड अभी तक एकदम कुँवारी थी. मुझे अपनी गांड के आज फटने का डर मन ही मन सताने लगा, लेकिन में अपनी चुदाई के लिए बहुत व्याकुल थी और मुझे उसके सामने कुछ नहीं दिख रहा था.
फिर उसने अपने लंड को तेल लगाकर चिकना किया और मेरी गांड के छेद पर भी थोड़ा सा तेल लगाकर लंड को गांड के ऊपर रख दिया और वो मुझसे बोला कि तुम बस दो मिनट के लिए दर्द को बर्दाश्त कर लेना और उसने बातोँ ही बातों में एकदम से एक जोरदार धक्का मारा.
मेरी तो एकदम साँस ही बंद हो गई और आँखो के आगे अंधेरा सा छा गया. मुझे लगा कि आज मेरी गांड फट गई और मेरे गले से चीख भी नहीं निकल रही थी और जैसे ही मैंने दर्द के मारे अपना मुहं खोला तो एक कमीने ने मेरे मुहं में अपना लंड डाल दिया.
मेरी आँखों से आँसू बाहर निकल आए और मेरे उस दर्द ने मुझे चीखने, चिल्लाने पर मजबूर कर दिया, लेकिन उन सभी की पकड़ के आगे में मजबूर थी. फिर कुछ ही देर बाद उसके कुछ धक्को के बाद मेरी हालत थोड़ी ठीक हो गई और अब मुझे अच्छा महसूस होने लगा था.
फिर अचानक एक लड़का जिसका नाम निर्मल था वो मेरे नीचे घुसकर नीचे लेट गया उसका लंड तनकर खड़ा था. आनंद ने मुझे उस पर बैठने के लिए बोला और में अब उसके लंड पर धीरे धीरे बैठ गयी. वो नीचे से अपने लंड को एक हाथ से पकड़कर मेरी चूत में डालने लगा. उसने एकदम से ज़ोर लगा दिया और अब उसका लंड फिसलता हुआ पूरा अंदर चला गया.
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अब निर्मल नीचे से धक्के लगा रहा था और आनंद ऊपर से और में बीच में चुद रही थी. वो दोनों लगातार धक्के लगा रहे थे और करीब दस मिनट के बाद निर्मल का लंड झड़ गया, लेकिन आनंद अभी भी चल रहा था. अब निर्मल ने मुझे उठा दिया और अब दूसरा लड़का अर्जुन उसकी जगह पर लेट गया. फिर मेरी दोनों तरफ से चुदाई हो रही थी.
मेरे मुहं से सिसकियाँ निकल रही थी अहहह उह्ह्ह्हह्ह आईईईईईई मज़ा आ गया हाँ और ज़ोर से धक्का देकर चोदो मुझे, लेकिन कुछ देर के बाद अर्जुन का लंड भी झड़ गया और उसके साथ ही आनंद का लंड भी अब अपनी जगह छोड़ चुका था.
जिसकी वजह से मेरी गांड और चूत दोनों उनके गरम गरम वीर्य से लबालब हो चुकी थी. मैंने उनका वो गरम गरम लावा अपनी चूत गांड में महसूस किया और में अब बहुत अच्छा महसूस कर रही थी और जब में उठकर खड़ी हुई तो मेरी गांड और चूत दोनों से ही उनका माल बूंद बूंद करके टपक रहा था.
अब दोनों लड़के निरंजन और हेमंत बाकी रह गये थे इसलिए उन्होंने मुझे एक बार फिर से घोड़ी बना लिया और मेरे नीचे निरंजन और ऊपर हेमंत था. मेरी गांड और चूत अब एकदम से खुल चुकी थी, जिसकी वजह से दर्द का नामो निशान नहीं था. आनंद ने अपना लंड एक बार फिर से मेरे मुहं में घुसा दिया और उधर कुछ ही झटको के बाद हेमंत का लंड झड़ गया.
आनंद ने निरंजन को उठाकर पीछे आने को बोला. अब आनंद मेरे नीचे था और निरंजन मेरी गांड पर सवार हो गया था. आनंद का लंड हर एक धक्के के साथ मेरी बच्चेदानी के साथ टकरा रहा था और मेरे मुहं से सिसकियाँ निकल रही थी. तभी कुछ देर के बाद निरंजन का वीर्य निकल गया और उस हरामी ने अपना माल से भरा हुआ लंड मेरे मुहं के अंदर जबरदस्ती ठूंस दिया.
दोस्तों उसके लंड का स्वाद एकदम नमकीन चावल जैसा था. मैंने पहली बार वीर्य का स्वाद चखकर देखा था और अब मेरे पीछे निर्मल मेरी गांड पर सवार हो गया. मेरी यह तीसरी बार चुदाई हो रही थी. में उनके चुदाई करने के तरीके को देखकर बहुत खुश थी क्योंकि वो कोई भी मेरे एक भी छेद को खाली नहीं छोड़ रहे थे और वो एक के बाद एक चुदाई कर रहे थे.
तभी हेमंत ने मेरे बूब्स पर बियर गिरा दी और फिर बीच में घुसकर मेरे बूब्स से बियर को चाटने लगा. वो हरामी साला मुझे पता नहीं मेरे बूब्स को चाट रहा था या बियर, लेकिन आनंद अब भी करीब 20- 25 मिनट तक लगातार मेरी चुदाई करता रहा और फिर कुछ देर बाद निर्मल और आनंद का लंड ठंडा हो गया.
मेरी चूत और चूतड़ दोनों ही एक बार फिर से माल से भर गई थी और में अब बहुत थक चुकी थी. हरामी निरंजन ने आनंद के कान में कुछ कहा और आनंद मुस्करा दिया. निरंजन और निर्मल ने मुझे गोद में उठाकर नीचे जमीन पर लेटा दिया और वो सभी पांच लोग मेरे आस पास खड़े हो गये और अब वो सभी हसंते हसंते मेरे ऊपर पेशाब करने लगे.
दोस्तों मेरा अब बहुत बुरा हाल हो चुका था. मेरी गांड, चूत, मुहं और सारा बदन बहुत दर्द कर रहा था. हेमंत को आनंद ने कहीं जाने के लिए बोला और वो चार लोगों के साथ गाड़ी ले जाने के लिए कपड़े पहनने लगा. मैंने उससे अपने जाने के बारे में पूछा तो आनंद बोला कि यह इन लोगों को छोड़कर अभी वापस आ रहा है और में यही हूँ.
तो हेमंत और निरंजन और दूसरे लड़के वहां से चले गये. अब मुझे आनंद ने बोला कि जाओ नहा लो फिर में तुम्हे घर पर छोड़ दूँगा. में बाथरूम में चली गई और नहाते हुए अचानक आनंद बाथरूम में आ गया और वो मुझसे बोला कि उसका अभी मन नहीं भरा है. में एक बार फिर में पूरी बेशर्म हो चुकी थी.
मैंने कहा कि आ जाओ मेरी जान. चुदाई से ना तो मेरी चूत घटेगी और ना ही गांड, लेकिन तुम्हारा लंड जरुर कुछ देर बाद झड़कर छोटा हो जाएगा. अब उसने अपना लंड मेरे मुहं में डाल दिया और उसने पांच मिनट के बाद डॉगी स्टाइल में मेरी चुदाई शुरू कर दी. 20 -25 मिनट वो फिर से लगा रहा, कभी डॉगी स्टाइल में तो कभी खड़े खड़े धक्के देने में लगा रहा.
फिर उसका झड़ गया और इधर में दो बार झड़ा चुकी थी. आज मुझे पता चला था कि असली चुदाई क्या होती है? मेरे पति के साथ चुदाई तो बस कुछ मिनट का खेल ही था. फिर में और आनंद साथ साथ नहाते रहे और फिर कुछ देर बाद हेमंत गाड़ी लेकर आ गया. हेमंत को वहीं छोड़कर आनंद और में गाड़ी लेकर आ गए.
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हम दोनों मेरे घर पर आ गये थे और जब हम घर पर आए तो मैंने देखा कि मेरी पति मेरे ना आने की वजह से बहुत चिंता में डूबे हुए बैठे थे. मैंने उन्हे बताया कि यह आनंद जी है और इन्होने मेरी यहाँ तक आने में बहुत मदद की है. में बहुत मुश्किलों का सामना करते हुए बहुत दुःख दर्द को सहते हुए यहाँ तक पहुंची हूँ. अगर यह ना होते तो ना जाने मेरा क्या होता? और वैसे यह भी पटियाला से है. मेरे पति ने उनका बहुत बहुत धन्यवाद कहा और फिर हम सभी ने एक साथ बैठकर चाय पी और जाते समय आनंद ने मेरा मोबाईल नम्बर ले लिया और चला गया.
फिर मेरे और आनंद के बीच चुदाई का यह सिलसिला पांच साल तक लगातार चलता रहा. में उसकी चुदाई से बहुत खुश थी, वो मुझे कभी अपने घर पर तो कभी मेरे घर पर तो कभी फार्म हाऊस में ले जाकर चोदता और में उसके साथ बहुत मज़े करती. तो दोस्तों यह थी मेरी चुदाई की कहानी जो कहाँ से जाकर कहाँ खत्म हुई, लेकिन मुझे उसकी उस पहली चुदाई में बहुत मज़ा आया क्योंकि उसने पहली ही बार में मुझे वो मज़ा दिया था जिसके लिए में बहुत सालों से तड़प रही थी.