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नई सेक्रेटरी की चूत कुंवारी और टाइट थी

फ़रवरी 13, 2023 by hamari

Gol Chuchi Porn

मैं एक कम्पनी में प्रोडक्शन मैंनेजर बन कर हुआ था। यह सितम्बर 2021 की घटना है। मैं जिस कम्पनी में जाता हूँ, अपनी सचिव खुद ही चुनता हूँ और हमेशा लड़की ही चुनता हूँ और हमेशा उसे चोदता भी ज़रूर हूँ। इस कम्पनी में मेरे चयन के लिये सात लड़कियाँ बुलाई गईं थीं। एक एक करके मैंने उनका इंटरव्यू लेना शुरू किया। Gol Chuchi Porn

मैं अपने सेक्रेटरी के इंटरव्यू में बिल्कुल साफ साफ बात कर लेता हूँ कि मेरी सेक्रेटरी को मुझसे चुदने के लिये राज़ी तो होना पड़ेगा। बाद में कोई झमेला ना हो, इसलिये बेहतर है कि पहले ही खुल के बात कर ली जाये कि भई अगर चुदाई मंज़ूर है तो नौकरी मिलेगी वर्ना नहीं।

और मैं पगार भी तो दे रहा हूँ पच्चीस हज़ार रुपये जबकि और सब केवल बारह से बीस हज़ार ही देते हैं। मेरे पास इतना वक़्त नहीं है कि मैं लड़की पटाने के काम में लग जाऊँ। पहली चार ने तो साफ मना कर दिया कि वह इसके लिये तैयार नहीं हैं। पांचवीं तैयार तो थी लेकिन जैसी मैं चाहता हूँ वैसी सुन्दर नहीं थी।

छठी जो आई, वह बहुत खूबसूरत थी, मदमस्त, सांवली, सलोनी गदराई जवानी, बहुत खूबसूरत हाथ और पैर। मर्दों को चुनौती देती हुई तीखी गोल चूचियाँ, रेशम जैसी चिकनी और मुलायम त्वचा। उसके अंग अंग से कामुकता टपकती थी। नाम था पुनम।

मैं बोला- सुनो पुनम रानी… मैं तुम्हें इसी शर्त पर रख सकता हूँ कि मैं तुम्हारे साथ जब मेरा जी करेगा सम्भोग करूँगा या मुख मैथुन करूँगा। मैं जब भी वापी से बाहर जाऊँगा, तुमको मेरे साथ सफर करना होगा और हम होटल में एक ही रूम में रहेंगे। तुम इसके लिये राज़ी हो तो आगे बात करें, वर्ना क्यों वक़्त बर्बाद करना !

पुनम ने कुछ देर सोचा, फिर मुस्करा के जवाब दिया- मैं तैयार हूँ… लेकिन वापी से बाहर जाने के बारे में मुझे अपने पापा से पूछना पड़ेगा… दूसरे, मेरा नाम पुनम है पुनम रानी नहीं।

मैं बोला- जिस लड़की पे मेरा दिल आ जाता है, मैं उसे रानी कह कर ही बुलाता हूँ… नाम कुछ भी हो। तुम अभी बात करो अपने पापा से !

पुनम ने तुरंत अपना मोबाइल फोन पर्स में से निकाला और नंबर लगाया। लाइन मिलने के बाद वह बोली- हाँ पापा.. नौकरी तो मिल रही है… पच्चीस हज़ार तनख्वाह है… बहुत बड़े अफसर हैं सर… लेकिन एक प्रॉब्लम है… इनको अक्सर आउट ऑफ स्टेशन जाना पड़ता है और इनकी सेक्रेटरी होने के कारण मुझे भी साथ जाना पड़ेगा…

हाँ…हाँ… बाहर जायेंगे तो होटल में ही ठहरना होगा… कम्पनी होटल बुक करवाएगी… यह तो अभी मालूम नहीं… पर सर तो शायद फाइव स्टार में ही रुकेंगे… आप क्यों चिन्ता करते हैं… कम्पनी करवाएगी ना अपने रूल के हिसाब से… क्या करूं… हाँ…हाँ… इतनी सेलरी तो कहीं नहीं मिलेगी… तो कर दूँ हाँ? ओ के पापा…बाकी बातें घर आकर बताऊँगी।

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पुनम रानी ने मुस्करा के कहा- सर, पापा मान गये हैं, अब कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।

मैंने कहा- ठीक है अपना अपाइंटमेंट लेटर लेकर आओ और जाने से पहले मिलो।

पुनम- ठीक है सर, मुझे मंज़ूर है…लेकिन मेरी एक रिक्वेस्ट है कि कुछ भी करते हुए मेरी कोई फोटो या वीडियो ना लें !

मैं बोला- नो प्रॉब्लम… पुनम रानी… जो तुम नहीं चाहोगी वैसा कुछ तुम्हारे साथ नहीं होगा। अब तुम जाओ पर्सोनल डिपार्टमेंट में और अपना अप्पौइंटमेंट लेटर ले लो और फिर आकर मिलो मुझे !

पुनम रानी चली गई, करीब एक घंटे के बाद लौट के आई, बोली- सर लेटर मिल गया है… मैं पंद्रह दिन में जॉइन कर लूंगी… जिस स्कूल में पढ़ाती हूँ उनको नोटिस कम से कम दो हफ़्ते का तो देना पड़ेगा।

मैं बोला- ठीक है लेकिन जाने से पहले मुझे तेरा टेस्ट करना ज़रूरी है।

इतना कह कर मैंने उसे लिपटा लिया और उसके मुँह से मुँह चिपका कर उसके होंठ चूसने लगा। उसने भी अपनी जीभ मेरे मुँह में दे दी जिससे उसका मुख़रस मेरे मुँह में आना शुरू हो गया। उसने मेरे सिर को पकड़ लिया और बड़े प्यार से चुम्मी देती रही।

उसके मुँह की सुगंध कामाग्नि भड़काने वाली थी और उसके मुख रस का स्वाद बहुत मज़ेदार था तो लंड खड़ा हो गया और टनटनाने लगा। फिर मैंने उसकी टॉप में हाथ डालकर ब्रा का हुक खोला और दोनों हाथ अंदर करके उसके चूचुक सहलाये। मदमस्त मम्मे थे, बड़े बड़े संतरों की भांति।

मैंने टॉप ऊपर सरका के एक निगाह मारी, देख कर मज़ा आ गया। बड़े बड़े दायरों वाली बड़ी बड़ी निप्पल। गहरे काले रंग था निप्पल का और निप्पलों के दायरों का रंग हल्का काला था। दबाया तो बहुत ही आनन्दायक चूचुक लगे, नर्म नर्म लेकिन पिलपिले नहीं, इनको निचोड़ने और चूसने में बेतहाशा मज़ा आयेगा।

फिर मैंने उसकी जींस में हाथ घुसा के चूत में उंगली थोड़ी सी घुसाई। चूत गर्म और गीली थी। उंगली बाहर निकल के मैंने मुँह मे डाल के चूतरस का स्वाद चखा। फिर मैंने उसके हाथों का मुआयना किया, बड़े सुन्दर, सलोने और सुडौल हाथ थे। मखमल सी मुलायम, लम्बी मांसल उंगलियाँ, सलीकेदार और लम्बे आयताकार सुन्दर नाखून जो बस ज़रा से ही उंगलियों से बढ़े हुए थे, त्वचा एकदम रेशम जैसी चिकनी !

मैंने कहा- अपने पैर सैंडल से निकाल कर टेबल पर रखो।

पैर भी बहुत खूबसूरत थे, अंगूठा साथ वाली उंगली से ज़रा सा छोटा। सभी उंगलियाँ ऐसा लगता था किसी मूर्तिकार ने तराश कर बनाईं हैं। नाखून साफ और सुन्दर, थोड़े थोड़े ही आगे निकले हुए। तलवे मुलायम जैसे किसी छोटी बालिका के हों।

मैंने झुककर एक एक करके अंगूठा और सब उंगलियाँ चूसीं, तलवे चूसे और एड़ी पर जीभ घुमाई। बहुत स्वादिष्ट ! मेरी पूरी तसल्ली हो चुकी थी। अब मैं सिर्फ उसके जॉइन करने की बाट जोह रहा था। ‘हूउऊऊऊऊँ… .हूउऊऊऊऊँ… ..हूउऊऊऊऊँ’ मैंने खुश होकर हुंकार भरी। सब कुछ बढ़िया और तसल्लीबख्श ! इसे चोद कर वाकयी में खूब मज़ा आयेगा। बिल्कुल सही चुनाव हुआ था सेक्रेटरी का !

पुनम रानी की चूत लेने का फितूर मेरे दिल-ओ-दिमाग पर छा गया था। हालांकि मुझे कोई चुदाई की तकलीफ नहीं थी, रोज़ अपनी खूबसूरत, सेक्सी पत्नी की चुदाई करता ही था लेकिन नई चूत का मज़ा लेने का ख्याल एक नशा बनकर मुझ पर चढ़ गया था।

पुनम रानी की चूत लेने का फितूर मेरे दिल-ओ-दिमाग पर छा गया था। हालांकि मुझे कोई चुदाई की तकलीफ नहीं थी, रोज़ अपनी खूबसूरत, सेक्सी पत्नी की चुदाई करता ही था लेकिन नई चूत का मज़ा लेने का ख्याल एक नशा बनकर मुझ पर चढ़ गया था।

चौथे दिन मेरा सब्र जवाब दे गया, मैंने पुनम रानी के मोबाइल पे काल किया और कहा कि वो स्कूल से छुट्टी ले आधे दिन की और होटल गेटवे में आ जाये। होटल में मैंने फोन किया और एक रूम बुक किया, अपनी बीवी को फोन किया और कहा कि मेरी होटल में एक मीटिंग है और मैं रात नौ बजे तक घर आऊँगा।

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मैं होटल चला गया, रूम में चेक-इन करके पुनम रानी की बाट जोहने लगा। ठरक के मारे मेरा खून उबल रहा था और लण्ड था कि बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था। खैर बड़ी मुश्किल से वक्त गुज़रा। पुनम रानी डेढ घंटे के बाद पहुँची।

उसने जीन्स के ऊपर पीले रंग का टॉप पहना था, बड़ा गज़ब ढा रही थी पुनम रानी ! कंधे पर एक खूबसूरत सा बैग था और पैरों में हाई हील की चप्पल जिसमें उसके सुन्दर पैर और भी ज्यादा सुन्दर लग रहे थे। मैंने आव देखा ना ताव, लपक के उसे अपनी बाँहों में जकड़ कर बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया।

काफी देर तक उसकी जीभ चूसी और उसका मुखरस पिया, फिर मैंने उसकी टॉप उतार के एक तरफ को फेंक दिया। उसने अंदर ब्रा भी नहीं पहन रखी थी। उसके तने हुए चूचुक मानो न्योता दे रहे थे कि आओ और हमें चूसो। माशाअल्लाह… क्या मम्मे थे ! भारी, लेकिन तने हुए। मैंने दोनों चूचियों को दबाया।

पुनम रानी चिहुँक उठी, बोली- सर इन में हमेशा अकड़न सी रहती है, और ये गर्म भी हो जाती हैं अपने आप। जब गर्म होती हैं तो अकड़न कई गुना बढ़ जाती है।

‘चिन्ता ना कर रानी, अभी इनकी सारी गर्मी और अकड़न दूर कर दूँगा !’ मैं बोला और बड़े ज़ोर से दोनों चूचुक निचोड़े और निप्पलो को कस के उमेठा।

वो सी सी करने लगी तो मैंने लपक कर एक चूची मुँह में लेकर चूसनी शुरू कर दी और दूसरी चूची को पूरे ज़ोर से दबाता रहा। हाय राम, कितनी ज़ायकेदार चूचियाँ थी ! मैं हचक हचक कर बारी बारी से दोनों चूचियाँ चूसता गया, एक चूची चूसता तो दूसरी को दबा दबा कर निचोड़ता। फिर पहली चूची दबाता और दूसरी को चूसता।

पुनम रानी मस्ती में चूर होकर आहें भर रही थी, उसकी कसमसाहट बढ़ती ही जा रही थी, उसके चूचुक और भी गर्म हो गए थे। मेरे लण्ड का तो हाल पूछो ही मत, गुस्साये सर्प की तरह फुनकार रहा था, मेरे टट्टों में दबाब बहुत बढ़ चुका था, लगता था कि बस फटने ही वाले हैं।

जब मुझसे न रहा गया तो मैंने पुनम रानी की चूची छोड़कर जल्दी जल्दी अपने सारे कपड़े उतार फेंके। कोई इधर गिरा कोई उधर जाके पड़ा। ‘हाय…हाय…अम्मा री…कितना लंबा और मोटा है सर आपका लिंग…यह तो मुझे फाड़ देगा नीचे… सर प्लीज़ ज़रा धीमे धीमे करियेगा !’

‘तेरी फाड़ूँगा बाद में, पहले इसे अच्छे से चूस… पूरा का पूरा अंदर जाना चाहिये !’ इतना कह कर मैं बिस्तर पर बैठ गया और पुनम रानी का सर पकड़ कर उसका मुँह एकदम लण्ड से सटा दिया।

पुनम रानी ने पहले तो पूरे लौड़े को नीचे से ऊपर तक चूमा, टट्टे सहलाये और फिर बड़े दुलार से खाल पीछे खींच के टोपे को नंगा किया। टोपे को नीचे ऊपर से पहले तो सूंघा और फिर प्यार से उसने जीभ इसके सब तरफ फिरानी शुरू कर दी, चाट चाट के सुपारी को टुन्न कर डाला।

लण्ड फुदक फुदक के अपनी बेसबरी दिखा रहा था। सुपारी को खूब चाटने के बाद पुनम रानी ने लण्ड मुँह में घुसा लिया और धीमे धीमे पूरा का पूरा जड़ तक लण्ड मुँह में ले लिया। अब वो चटखारे ले ले कर चूसने लगी जैसे लोग आम चूसते हैं।

यह तो एक खूब खेली खाई चुदाई की खिलाड़ी थी। लण्ड का टोपा, जो फूल के कुप्पा हो गया था, पुनम रानी के मुँह के अन्दर गले से सटा हुआ था और वो मुखरस निकाल निकाल के दबादब चूसे जा रही थी। जब वो मुँह आगे पीछे करती तो उसके महा उत्तेजक मम्मे भी फ़ड़क फ़ड़क कर इधर उधर हिलते डुलते और मेरे मज़े को सैंकड़ों गुणा बढ़ा देते।

यारो, मस्ती में मैं चूर हो गया था ! पुनम रानी लण्ड चूसने के साथ साथ मेरे अंडे भी बड़े हल्के हल्के हाथ से सहला रही थी। मेरे मुँह से अब आहें निकल रही थीं, सी सी करता हुआ मैं झड़ने के क़रीब जाने लगा, उसका सिर पकड़ कर जो मैंने चार तगड़े धक्के मारे हैं तो लण्ड झड़ा, ऐसा लगा कि लण्ड एक पटाखे की तरह फट गया हो।

झर झर करके लण्ड तुनके मरता और हर तुनके के साथ एक बड़ी सी वीर्य की बूंद पुनम रानी के मुँह में डाल देता। पुनम रानी ने अब लौड़ा थोड़ा बाहर कर लिया था, सिर्फ सुपारी मुँह में थी, वो सारा का सारा मक्खन पी गई। जब लण्ड उसके मुँह में ही बैठ गया तो उसने बाहर निकाल दिया।

एक छोटी बूंद लौड़े के छेद पर बैठी हुई थी, पुनम रानी ने उसे भी अपनी जीभ से चाट लिया। मैं भी लण्ड की तरह मुरझा के बिस्तर पर लेट गया। पुनम रानी मेरे बग़ल में लेट गई और बड़े प्यार से मेरे बालों में उंगलियाँ घुमाने लगी।

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‘सर इसे मुँह में तो ले लिया जैसे तैसे लेकिन नीचे का छेद तो बहुत छोटा है। कैसे जायेगा ये मूसली जैसा भीतर?’

मैं उसके निप्पल उमेठता हुआ बोला- अरे रानी… बड़े मज़े से घुसेगा.. औरत की चूत जो है हाथी का लण्ड भी लील सकती है… यह तो इंसान का है.. अच्छा यह तो बता, लण्ड चूसने में मज़ा आया?

पुनम रानी ने करवट मेरी तरफ ली और बोली- हाँ सर..। मज़ा तो ख़ूब आया। आपकी क्रीम कितनी स्वाद है। पी कर आनन्द आ गया… यह तो मैं रोज़ पीना चाहूँगी।

‘हाँ हाँ रोज़ पीना… अब सुन… मुझे सर कहना बंद कर… सर सिर्फ दफ्तर में। मुझे चोदने वालियाँ मुझे राजा या राजे कह के पुकारती हैं… समझी !’ मैंने प्यार से उसकी चूचियाँ मसलीं।

‘आह…हाय राजा, क्या करते हो? तुम बहुत सताते हो। जब तुम इन्हें दबाते हो तो पता नहीं क्यों मेरे बदन में बिजली दौड़ने लगती है मेरा दिल करता है कि तुम मुझे जकड़ कर मेरी चटनी पीस दो। पूरा बदन ऐंठ जाता है, जी में आता है कि कोई मेरे शरीर को कुचल के रख दे। ऐसा क्यों होता है… बताओ ना राजे?’

‘यह निशानी है कि तुझे वासना ने जकड़ लिया है… अब जब तक तेरी जम कर चुदाई नहीं होगी एक मोटे तगड़े लण्ड से, यह अकड़न और यह गर्मी यूँ ही तुझे दुखाती करती रहेगी !’

और मैंने पुनम रानी को खींच कर अपने ऊपर लिटा दिया।

‘आ चल…आज तेरा कचूमर बना ही दूँ !’ उसका सुन्दर मुखड़ा अपने मुँह से चिपका कर मैंने उसके होंठ चूसने शुरू कर दिये और साथ ही साथ उसकी चूचियाँ दबोच कर उन्हें पूरी ताक़त से मसलने लगा।

पुनम रानी ने भी बड़े मज़े ले ले के अपने होंठ चुसवाये। फिर कुछ देर के बाद मैंने उसकी कमर पकड़ कर थोड़ा उसे ऊपर को घसीटा ताकि मम्मे मेरे मुँह के पास आ जाएँ। पुनम रानी के बड़े बड़े चुचुक जैसे ही मेरे मुँह के सामने आये, मेरे बदन में वासना की आग भड़क उठी.

मैंने बड़े ज़ोर से एक चूची में दांत गाड़ दिये और दूसरी चूची को पूरी ताक़त से हाथों से ऐसे निचोड़ा जैसे धुलने के बाद तौलिये को निचोड़ते हैं। चूचुक वाकई मे बहुत सख्ताये हुए थे। पुनम रानी गहरी गहरी साँसें लेने लगी। बदल बदल के मैंने चूचियों को चूसना, काटना और मसलना जारी रखा।

पुनम रानी अब तड़पने लगी थी, उस पर कामावेश पूरा चढ़ गया था। मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाली, चूत पूरी तरह रस से सराबोर थी। उंगली घुसते ही वो एकदम से कंपकंपा उठी और हाय हाय करने लगी, उसने मेरे बाल कस के जकड़ लिये थे और वहशियों की तरह वो मेरा मुँह अपने चूचुकों में ज़ोर ज़ोर से रगड़ रही थी जैसे कि मेरा मुँह चूचियों में घुसेड़ देना चाहती हो।

अब उसे एक तगड़े लण्ड से चुदवाने की गहरी इच्छा बावला बनाये जा रही थी। मैंने करवट लेकर पुनम रानी को बेड पर पटक दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया, तुरंत उसने अपनी टांगें फैला लीं। एक तकिया मैंने उसके चूतड़ों के नीचे टिका दिया और पहले उसकी झांटों पे हाथ फेरा।

उसकी झांटें गहरे काले रंग की और बहुत घनी घुँघराली थीं, हाथ फेरा तो लगा किसी बढिया ग़लीचे को छू लिया। फिर उंगली दुबारा चूत में दी। जैसे ही उंगली थोड़ी सी अंदर घुसी, उसकी चूत का पर्दा रास्ते में आ गया, मैं भौंचक्क हो गया। यह पुनम रानी तो अभी तक कुमारी थी।

उसकी बातों से या उसके लण्ड चूसने के ज़बरदस्त स्टाइल से तो लगता था कि वो घाट घाट का पानी पी चुकी है। शायद वो मर्दों के साथ लण्ड चूसने के आगे न बढ़ती हो। अब मुझे शक सा भी होने लगा था कि पता नहीं चुदवाएगी या नहीं ! पर यहाँ तो वो चुद जाने के लिये पूरी तत्पर होकर आई थी। शायद सोचा होगा कि एक ना एक दिन तो चुदना है ही, तो चलो आज क्यों नहीं।

मेरी तो ऐश लग गय कि एक कुमारी लड़की को चुदी हुई औरत बनाने का मौक़ा मिला। कुमारी को चोदने का मज़ा भी तो बेहिसाब आता है। लण्ड चूत के मुहाने पे जमा के मैंने एक ज़ोर का धक्का दिया, मेरा लौड़ा उस बारीक सी झिल्ली को फाड़ता हुआ चूत में घुस गया।

चूत क्योंकि बहुत रसा रही थी, इसलिये लण्ड घुसने में बिल्कुल भी दिक्कत न हुई, हालांकि उसकी कुमारी बुर बहुत कसी थी जैसी अनचुदी चूतें होती हैं। फटे हुए पर्दे से गर्म गर्म लहू निकलने लगा जिससे चूत में खूब पिच पिच मच गई जबकि लण्ड को तो बड़ा मज़ा आया उबलते उफनते खून की बौछार में भीग के !

पुनम रानी कराहने लगी और रोते रोते बोली- सर मैंने कहा था इतना बड़ा मेरे छोटे से छेद में कैसे घुसेगा…हाय…हाय… बहुत दर्द हो रहा हे… उई माँ…अब ना बचूंगी… आपने पूरा घुसेड़ के मुझे नीचे से फाड़ डाला… अब क्या होगा सर?…हाय…राम…आपने कंडोम भी नहीं पहना…बच्चा ठहर गया तो मेरा क्या होगा?’

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मैंने उसे बड़े प्यार से चूमा, उसके आँसू पौंछे और उसका पूरा मुँह पे बहुत सारी चुम्बन लिये। मुझे पता था कुमारी लड़कियाँ चूत की झिल्ली फटने पर एक बार दहशत में आ जाती हैं, घबरा जाती हैं और उनको काफी प्यार से हिम्मत देने की ज़रूरत होती है। अभी दस मिनट में ये भी मस्त होकर चूतड़ कुदा कुदा के चुदवायेगी और बार बार खुश होकर चूत मरवाएगी।

मैं- पुनम रानी… मेरी रानी… बिल्कुल फिकर न कर… अभी दर्द ठीक हो जायेगा… बस दो मिनट तसल्ली रख… हाँ मेरी रानी… बस दो मिनट… मैंने नसबंदी करवा रखी है। इसलिये चिंता न कर !

इतना कह कर मैंने उस पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी। मैंने होंठ गीले कर कर के उस बार बार पलकों पर, होंठों पर, गालों पर और माथे पर चुम्मियाँ लीं, कान की लौ चूसी, दोनों गाल बारी बारी से चूसे, फिर मैंने उसके कंधों के ऊपरी भाग पे जीभ फिराई, उसके बाज़ू ऊंचे करके बगलें चाटीं।

इतना प्यार भरे मधुर चुम्बन पा के उसकी घबराहट फौरन कम हो गई और उसे भी मज़ा आने लगा। इस दौरान मैंने लण्ड एकदम शांत रखा हुआ था, कोई धक्का नहीं मारा, बस थोड़ी थोड़ी देर में एक दो तुनके मार देता था। पुनम रानी का, लगता था, दर्द खत्म हो गया था क्योंकि चूत दुबारा से रस बहाने लगी थी।

पुनम रानी भी मेरी चुम्मियों के जवाब में मुझे चूमने लगी थी। अब मैंने हल्के हल्के धक्के भी देने शुरू कर दिये। पुनम रानी को दर्द न हुआ क्योंकि उसने भी मज़े लेते हुए अपने नितम्ब हिला कर धक्के के जवाब में धक्के लगाये।

मैंने फिर उसके होंठों को चूसते चूसते धक्के थोड़ा तेज़ शुरू किये। पुनम रानी में भी वासना का आवेश बढ़ता जा रहा था, वो बड़े उत्साह से मुँह उचका उचका के अपने होंठ चुसवा रही थी। उसने अपनी बाहें कस के मेरे बदन से लिपटा ली थीं और उसने अपनी मुलायम मुलायम टांगें चौड़ा कर मेरी फैली हुई टांगों में लपेट रखी थीं, उसके पैर मेरे टखनों में फंसे हुए थे।

पुनम रानी का रेशमी साटिन जैसा बदन मेरे बदन से चिपक के मेरी वासनाग्नि को अंधाधुंध भड़काए जा रहा था, मेरी सांस तेज़ हो चली थी, माथे पर पसीने की बूंदें उभर आई थीं। मैंने पुनम रानी के होंठ छोड़ कर उसकी तरफ देखा, वो भी अब गर्म हो चली थी, उसने आधी मुंदी हुई मस्त आँखों से मेरी तरफ बड़े प्यार से देखा, दोनों हाथों मेरा चेहरा पकड़ा और फिर अपनी तरफ खींच के मेरे होंठ चूसने लगी।

थोड़ी देर इसी प्रकार चूसने के बाद बोली- राजे… तुमने कितना मस्त कर दिया है… अब ज़रा भी दर्द नहीं हो रहा… बड़ा मज़ा आ रहा है… पता है राजे मेरा बदन में फिर से अकड़न महसूस होने लगी है… ऐसा क्यों हो रहा है?

मैंने उसका एक चुम्बन लिया और कहा- रानी… तू चुदासी हो रही है… मैं सब अकड़न ठीक कर दूंगा… तुझे चोद चोद के… अब तो दर्द होने का काम भी खत्म हो चुका… अब तो रानी बस मस्ती और बस मस्ती में डूबे रहना है।

इतना कह कर मैंने दोनों हाथों से पुनम रानी के उरोज पकड़ लिये और उन्हें भींचे भींचे ही धक्के पे धक्का लगाने लगा। धक्के के साथ साथ चूचुक मर्दन भी खूब ज़ोरों से हो रहा था। पुनम रानी अब मस्तानी होकर चुदाये जा रही थी और साथ में सीत्कार भी भरती जाती थी.

कामुकता के नशे में चूर होकर उसकी आँखें मुंद गई थीं, मुँह थोड़ा सा खुल गया था और चूत दबादब रस छोड़े जा रही थी। अचानक मैंने धक्कों की स्पीड कम कर दी और बहुत ही हौले हौले लण्ड पेलना शुरू किया। मैं लौड़ा पूरा चूत के बाहर निकलता और फिर धीरे से जड़ तक बुर के अंदर घुसेड़ देता।

पुनम रानी तड़प उठी, कहने लगी- राजे… बड़ा मज़ा आ रहा है… मेरा एसा दिल कर रहा है कि तुम मेरा कचूमर निकल दो… तुम धीरे हो जाते हो तो ये बदन काट खाने को हो रहा है… अब राजे पूरी ताक़त से धक्के ठोको।

मुझे पता नहीं क्या हो रहा है…बस जी कर रहा है कि तुम मुझे दबोच कर मेरा मलीदा बना दो… फिर उसकी आवाज़ और ऊँची हो गई- राजे…तोड़ दो…पीस दो मेरा बदन… मैं दुखी आ गई इससे… हाय…हाय… अब मसलो ना… किस बात का इंतज़ार कर रहे हो… मेरी जान निकली जा रही है !

उसे तड़पाने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। मैंने उसके होंठ चूसने शुरू कर दिये जिससे उसका मुँह बंद हो गया। अब वो आराम से होंठ चुसाये जा रही थी, चुदाई करवाये जा रही थी और मुँह बंद होने के कारण अपनी तड़पन दूर करने के लिये पूरा बदन कसमसाये जा रही थी।

जब मैंने दस बारह खूब तगड़े धक्के ठोके, तो वो पागल सी होकर मुझ से पूरी ताक़त से लिपट गई, उसकी गर्म गर्म तेज़ तेज़ चलती सांस सीधे मेरे नथुनों में आ रही थी, चूत से रस छूटे जा रहा था। और फिर जैसे ही मैंने एक तगड़े धक्के के बाद लण्ड को रोक के तुनका मारा, पुनम रानी चरम सीमा पर पहुँच गई.

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उसने मेरा सिर कस के भींच लिया और अपनी कमर उछालते हुए कुछ धक्के मारे। वो झड़े जा रही थी। अब तक कई दफा चरम आनन्द पा चुकी थी, झड़ती, गरम होती और ज़ोर का धक्का खा के फिर झड़ जाती। ऐसा कई मर्तबा हुआ। अब तक मैं भी झड़ने को हो लिया था, मैंने पुनम रानी के उरोज जकड़े जकड़े ही कई ताक़तवर धक्के ठोके और स्खलित हो गया। इस दौरान पुनम रानी भी कई बार फिर से झड़ी। हमारी साँसें बहुत तेज़ चल रही थीं।

झड़ के मैं पुनम रानी के ऊपर ही पड़ा हुआ था। पुनम रानी आँखें मींचे चुप चाप पड़ी थी और अभी अभी हुई विस्फोटक चुदाई का मज़ा भोग कर सुस्ता रही थी। कुछ देर के बाद जब हमारी स्थिति सामान्य हुई तो मैंने पुनम रानी के मुँह को प्यार से चूमा, उसके चहरे पर बहुत संतुष्टि का भाव था जैसे कोई बच्चा अपना मनपसंद खिलौना पाकर तृप्त दिखाई देता है। चुदी हुई पुनम रानी बड़ी प्यारी सी गुड़िया सी लग रही थी।

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