Couple Cam Sex
मेरी चुदाई की कहानी मेरी कॉलेज लाईफ से शुरू हो जाती है। मेरा boy friend जिसका नाम भावेश है, जो बाद में मेरे जीवन का हमसफर भी बना। शुरू शुरू में जब हमने कॉलेज ज्वाईन किया तो केवल हम दोनों क्लास मेट ही थे। वो पढ़ने में भी बहुत अच्छा था, इसलिये मेरी उससे दोस्ती भी हो गई। Couple Cam Sex
हमने पढ़ाई में ही तीन समेस्टर निकाल दिये। वो मेरी बहुत हेल्प करता, लेकिन कॉलेज टाईम में ही… न तो उसने कभी मेरे घर आने की कोशिश की और न ही उसने मुझे अपने घर बुलाया। हाँ… उसमें एक अजीब आदत थी, वो यह कि जब कभी भी मैं उसके पास किसी प्रॉब्लम को लेकर जाती.
तो वो मेरी प्रॉब्लम सोल्व तो करता लेकिन बीच-बीच में मेरे उरोजों में झाँकने की कोशिश जरूर करता और मेरे उरोजों की गहराइयों को मापने की कोशिश करता। शुरू में तो मुझे बड़ा अजीब से लगता पर बाद में उसकी इस हरकत का असर होना ही बंद हो गया।
हम दोनों लोकल ही थे। अरे हाँ… मैं तो अपना पूरा परिचय देना तो भूल ही गई। मेरा नाम यामिनी है, मैं इंदौर की रहने वाली हूँ, पाँच फुट पाँच इंच लम्बी हूँ। मेरे यौवन के दिनों का फिगर 28-30-28 था। न तो मेरी छाती ही ठीक से विकसित हुई थी और न ही मेरे शरीर का दूसरा अंग।
मैं बहुत दुबली पतली थी फिर भी कॉलेज के लड़के मुझे लाईन मारने से नहीं चूकते थे। कामेन्ट तो ये होते थे कि एक बार मिल जाये तो इसकी चूची दबा-दबा कर बड़ी कर दूँ तो ये और मस्त माल लगेगी। शुरू में मुझे बहुत बुरा लगता था और रोना भी आता था।
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लेकिन धीरे-धीरे आदत होती गई और कभी-कभी लड़को की कमेन्ट सुनकर जब मैं घर पहुँचती थी तो शीशे के सामने नंगी खड़ी हो जाती थी और अपने छोटे छोटे लटके हुए अपने उरोजों को निहारती और अपने हाथों से दबाने की कोशिश करती। खैर अब मैं तो शादीशुदा हूँ और मेरे उरोज भी काफी बड़े, सुडौल और आकर्षक हो गये हैं।
बात चौथे समेस्टर की है, एक प्रोजेक्ट मिला था, वो मुझसे पूरा नहीं हो पा रहा था और भावेश कॉलेज से समय नहीं दे पा रहा था। कई दिन टल जाने के बाद एक दिन मैंने मन में ठान लिया कि भावेश के घर पर ही प्रोजेक्ट पूरा करूँगी। ऐसा सोचते ही मैं एक दिन भावेश के घर दोपहर में पहुँची तो उसकी माँ ने दरवाजा खोला।
नमस्ते करने के बाद उन्होंने मुझे दूर से ही भावेश का कमरा दिखा दिया। उस समय शायद भावेश की माँ के अतिरिक्त घर में कोई नहीं था। मैं सीढ़ियों से चढ़कर भावेश के कमरे की तरफ बढ़ रही थी, कमरे के पास पहुँच कर मैं ठिठकी। भावेश के कमरे का परदा हिल रहा था और उस परदे के हिलने से बीच-बीच में अन्दर क्या हो रहा है, दिखाई पड़ रहा था।
उसी बीच मैंने देखा कि भावेश कान में ईयर फोन लगा कर बिल्कुल नंगा बैठा है और अपने अंगूठे से अपने लंड के अग्र भाग के ऊपर चलाता और फिर उंगली को अपनी जीभ से चाटता। मैं एकदम शॉक्ड हो गई भावेश का यह रूप देख कर…
मैं थोड़ी देर खड़ी रही और भावेश को देखती रही। भावेश की हरकत और नंगा बदन देख कर मेरे शरीर में हल्की से अकड़न होने लगी और मुझे लगा कि मेरे शरीर से कुछ निकल रहा है। स्वत: ही मेरे हाथ मेरे नाजुक अंग पर चले गये और मुझे कुछ गीलापन सा लगा। उस समय मैंने सलवार सूट पहना हुआ था तो सलवार के ऊपर से ही उस नाजुक स्थान को साफ करने लगी।
मेरा दिमाग में अब भावेश को नंगा देखने का खुमार चढ़ चुका था। मैंने थोड़े से परदे को हटाते हुए उसको आवाज लगाई और ऐसे कमरे में प्रवेश किया जैसे मैंने कुछ देखा ही नहीं हो। इस तरह अचानक मेरे अन्दर आने से भावेश हड़बड़ा गया और पास पड़ी हुई टॉवल को अपने नीचे के नंगे अंगों को छुपा लिया।
‘ओह… I am sorry… बोल कर मैं वापस जाने लगी तो
भावेश मुझे रोकते हुये बोला- कोई बात नहीं, अब अन्दर आ ही गई हो तो बैठो।
मैंने बैठते हुए पूछा- तुम नंगे बैठे हो कोई ऊपर नहीं आता क्या?
वह तौलिये को लपटते हुए खड़ा हुआ और दरवाजे को अन्दर से बन्द करते हुये बोला- शायद आज मैं दरवाजा बन्द करना भूल गया। तुम बताओ कैसे आना हुआ?
‘वही प्रोजेक्ट में तुम मेरी मदद करो।’
वो बोला- ओह…
फिर मेरे कंधे पर हाथ रखते हुये बोला- तुम्हें भी मेरी मदद करनी होगी।
मैंने बिना कुछ सोचे उसे हाँ बोल दिया और पूछा- कैसी हेल्प करनी है?
तो उसने मुझसे पक्का वादा लेते हुए कहा- तुम इंकार नहीं करोगी?
मैं इन तीन समेस्टर में उसके इतने करीब आ चुकी थी कि मुझे उससे प्यार हो गया था और उसके लिये मैं सब कुछ कर सकती थी जो भी वो मुझसे चाहता इसलिये मेरे हाँ कहते ही.
वो मुझसे बोला- तुम मुझसे प्यार करती हो?
मैं अचकचा गई और हकलाते हुए मैंने उससे हाँ बोल दिया। तो उसने खुश होते हुए मुझे कस कर अपनी बाँहों में जकड़ लिया। यह मेरे जीवन का पहला क्षण था कि जब मैं किसी मर्द के बाँहो में इस तरह से जकड़ी हुई थी। थोड़ी देर वो मुझे अपनी बाँहों में जकड़ा रहा.
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फिर मुझे अपने से अलग करता हुआ मुझे कम्प्यूटर के पास बैठाया और एक चैट डॉयलॉग बाक्स को दिखाते हुए बोला- जिससे मैं चैटिंग कर रहा हूँ, ये एक मेल और फीमेल हैं और दोनों मुझसे चैट तो कर रहे हैं लेकिन वेब कैम में नहीं आ रहे है।
इनका कहना है कि अगर तुम्हारा कोई फीमेल पार्टनर हो तो ही वो दोनों वेब कैम में सामने आयेंगे। अगर तुम मेरी पार्टनर बन जाओ तो मजा आयेगा। फिर जैसा मैं बोलूँगा, वो दोनों करेंगे और फिर जो वो दोनों बोलेंगे हम दोनों को करना पड़ेगा।
मैंने थोड़ा सा मुंह बनाते हुए बोला- इसलिये तुम नंगे बैठे हो और चाहते हो कि मैं भी नंगी हो जाऊँ?
उसने मुस्कुराते हुये हाँ में सिर हिलाया।
उसकी इस बात से मेरी आँखों में आँसू आ गये। मेरी आँखों में आँसू आने के कारण वो मेरे आँसू को पौंछते हुए बोला- यामिनी, तुम परेशान मत हो… नहीं करना है तो मत करो। पर मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और समेसटर ओवर होने के बाद जैसे ही मुझे जॉब मिलेगी मेरी जीवन संगिनी तुम ही रहोगी। चाहे तुम इस समय मेरे साथ हो या न हो।
उसकी इस बात को सुन कर पता नहीं मुझे कैसे उस पर विश्वास हो गया और बिना कुछ बोले मैं उसके साथ वेब कैम पर उसके सामने बैठ गई। थोड़ा मुझे संकोच तो हो रहा था, फिर भी मुझे पता नहीं क्यों भावेश पर अपने से ज्यादा भरोसा होने लगा।
वेब कैम की रिक्वेस्ट भावेश ने भेजी जो दूसरी ओर से तुरन्त ही एक्सेप्ट कर ली गई। दूसरी तरफ भी एक यंग कपल था। उसने सबसे पहले ऑफर भेजा कि तुम अपनी पार्टनर के कुर्ते के अन्दर हाथ डालो। भावेश ने वैसे ही किया पर मेरे हाथ ने उसके हाथ को बीच में ही रोक लिया।
तभी सामने से कमेन्ट आया कि तुम्हारी पार्टनर तो तैयार ही नहीं है। इस पर भावेश को मेरे ऊपर हल्का सा गुस्सा आया और वो अपनी चैटिंग बन्द करने वाला ही था, पता नहीं मुझे क्या हुआ कि अचानक मैंने भावेश का हाथ पकड़ा और अपनी छाती पर रख दिया।
भावेश मेरे उरोजों को सामने से आते हुए कमेंट के अनुसार दबाता और बीच में मेरे उरोजों के दानों को दबाता। भावेश के ऐसा करते रहने से मेरे ऊपर एक बार फिर से उत्तेजना हावी होने लगी। फिर भावेश ने उनसे भी वैसा ही करने को कहा, तो दूसरे कपल ने भी वैसा ही किया।
इस तरह दो चार-छोटी हरकत करवाने के बाद उसने लिखा- अब हम दोनों पूरी तरह सहमत हैं और अब जो चाहो वो ऑन कैम हम लोग गेम खेल सकते हैं।
दूसरा कपल जिसका नाम अजीत और मोना था, दोनों झाँसी के रहने वाले थे। उसमें से मोना चैट करने लगी और भावेश से बोली- यामिनी को अपनी गोदी में बैठाओ।
(अब मेरी भी झिझक खत्म हो चुकी थी इसलिये भावेश के कहने से मैं उसके ऊपर बैठ गई।) तभी पता नहीं भावेश को क्या याद आया, वो तुरन्त उठा और नेकर पहन कर नीचे गया और थोड़ी देर बाद ऊपर आया। मैंने उससे पूछा तो बताया कि नीचे माँ को देखने गया था, वो अब सो रही है।
कहकर उसने अपनी नेकर उतारी और फिर नंगा होकर बैठ गया और मुझे अपनी गोदी में बैठा लिया। इस समय भावेश के लिंग सिकुड़ा हुआ सा था। (मैं कालेज की एक लड़की हूँ, फिर भी मुझे थोड़ा संकोच था कि मैं चूची, बुर, चूत, लंड, लौड़ा, गांड ऐसे शब्दों का यूज करूँ।
यहाँ तक कि मेरी सहेलियाँ भी मुझे ओल्ड फैशन्ड कहती थी और वो खुले आम जब भी कोई लड़का मूतता था तो बोलती थी- देख क्या लंड है उसका! लेकिन मेरे सेक्स की दुनिया भावेश के घर बिताये हुए उस दोपहर के पल ने बदल दी।) खैर! तभी अजीत ने लिखा कि यामिनी को अपने ऊपर इस तरह खड़ा करो कि उसकी गांड तुम्हारे मुँह के पास हो और उसकी सलवार उतार कर मुझे उसकी चूत को दिखाओ।
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भावेश ने मेरी तरफ देखा और बोला- अजीत, तुम्हारी चूत देखना चाहता है।
मुझे ये शब्द बड़ा अजीब सा लगा लेकिन मुझमे खुमारी भी बढ़ती जा रही था और मजा भी आ रहा था इसलिये मैं बिना कुछ बोले अपनी जगह पर खड़ी हुई। उसी समय भावेश ने कैम को ऐसा सेट किया कि उसका केवल दूसरी तरफ मुँह दिखे।
दूसरी तरफ से ओ॰के॰ आने पर भावेश वापस चेयर पर बैठ गया और मैं उसकी जांघों पर खड़ी हो गई। मेरा चूतड़ सॉरी मेरी गांड ठीक भावेश के मुँह पर थी। अजीत ने जैसा कहा, भावेश ने मेरी सलवार का नाड़ा खोल कर सलवार को मुझसे अलग कर दिया। मेरे हाथ अपने आप ही मेरी योनि एक बार फिर से सॉरी चूत पर चले गये और दोनों टांगें आपस में सिकोड़ने लगी।
तभी अजीत का फिर मैसेज आया- चड्डी उतारो।
पर इस बार भावेश थोड़ा रूक गया और मैसेज टाईप करने लगा जिसमे उसने अजीत से कहा- मोना भी अपने पूरे कपड़े उतारे।
मैसेज डिलिवर होते ही मोना ने एक झटके में अपने पूरे कपड़े उतार दिए। मोना की चूची काफी बड़ी-बड़ी थी और उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। मोना ने एक कदम आगे बढ़ते हुए अपने हाथ से अपनी चूत को फैलाया, फिर अपने हाथ से ही अपनी चूची को दबाती और अपने निप्पल को अपनी जीभ से चाटती। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
अब भावेश की बारी थी उसने भी मेरी चड्डी को मेरे से अलग कर दिया और मेरी गांड में अपने हाथ फेरते हुए बोला- यामिनी, तुम्हारी गांड तो बहुत ही चिकनी है! कहकर दो-तीन किस उसने मेरी गांड पर कर दिए। मैं अचकचा सी गई। मेरी भी उलझन बढ़ती जा रही थी और मेरी चूत के एक अजीब सी खुजली सी हो रही थी।
तभी अजीत का मैसेज आया- तुम इसकी चूत चिकनी नहीं रखते हो क्या?
(भावेश क्या बोलता।)
उसने अजीत से कहा कि वो अपना लंड मोना से चुसवाये। भावेश के कहने पर अजीत खड़ा हुआ तो उसका लंड तना हुआ था और काफी लम्बा नजर आ रहा था। अजीत के लंड को मोना अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मोना को ऐसा करते देख कर मेरी आँखें फटी की फटी रह गई।
मोना बड़े प्यार से अजीत का लंड चूस रही थी, कभी वो अजीत के पूरे लंड को अपने मुँह के अन्दर डालती तो कभी उसके लंड के अग्र भाग को अपनी जीभ से चाटती। काफी देर ऐसा करने के बाद जब मोना ने अजीत के लंड को अपने मुँह से निकाला.
तो अजीत का लंड सिकुड़ गया और उसी समय मोना ने अपने मुँह को कैमरे के सामने खोल दिया उसके मुँह में कुछ सफेद सा था। तो मेरी जिज्ञासा बढ़ गई तो इस बार मैंने मैसेज लिखा- अजीत, तुम्हारा लंड तो टाईट था अब सिकुड़ क्यों गया और मोना के मुँह में ये सफेद-सफेद क्या है?
मेरे मैसेज को पढ़ते ही दोनों हँसने लगे। फिर मोना उधर से मैसेज टाईप करने लगी और मुझसे पूछा- सही बताना, आज तक चुदी हो या नहीं? या सेक्स के बारे में नहीं जानती हो क्या?
मेरे ‘नहीं’ लिखने पर फिर वो बताने लगी कि मेरे मुँह जो सफेद सा पदार्थ देखा था वो अजीत का वीर्य था। और अजीत का जब वीर्य निकल गया तो उसका लंड सिकुड़ कर छोटा हो गया। तुम भी भावेश का लंड चूसो और उसका वीर्य अपने मुंह में लो, बड़ा मजा आयेगा।
मोना जल्दी जल्दी मैसेज टाईप कर रही थी, उसने भावेश को खड़ा होने के लिये बोला, जैसे ही भावेश खड़ा हुआ और मेरी नजर उसके लंड पर गई तो मेरा हाथ अपने आप मेरे होंठ से चिपक गया। हालाँकि मैंने पूरी तरीके से किसी मर्द का लंड नहीं देखा था फिर भी भावेश का लंड काफी बड़ा नजर आ रहा था।
तभी मोना ने फिर से टाईप किया और बोली- जैसे मैंने अजीत के लंड को चूसा था, वैसे तुम भावेश के लंड को चूसो। मेरे सिर पर उत्तेजना हावी होती जा रही थी और संकोच भी खत्म हो गया था तो मैंने भावेश का लंड अपने मुँह में लिया और जिस तरह मोना अजीत के लंड की चुसाई कर रही थी, ठीक वैसे ही मैं भी भावेश का लंड चूस रही थी।
जैसे-जैसे मैं भावेश का लंड चूस रही थी वैसे-वैसे मेरे शरीरमें भी एक अजीब सी उत्तेजना में वृद्धि हो रही थी और भावेश के मुँह से अजीब सी आवाज आ रही थी और वो मेरे सिर को बड़े ही ताकत के साथ अपने लंड के और करीब लाता जिससे उसका लंड मेरे हल्क तक चला जाता जिसके कारण मुझे घुटनसी होती।
अचानक भावेश को पता नहीं क्या हुआ, वो मेरे सिर को पकड़ कर अपने लंड से मुझको अलग करने लगा और बोलने लगा- यामिनी, मेरा निकलने वाला है, तुम अपना मुँह हटा लो। उधर अजीत और मोना हम दोनों को एकटक देख रहे थे और भावेश की हरकत से मोना समझ गई कि वो मुझे अपने से अलग करना चाहता है।
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इसलिये उसने फिर मैसेज लिखा- अपनी कुतिया के मुँह में उल्टी कर!
मैंने मैसेज तो पढ़ लिया लेकिन भावेश मैसेज नहीं पढ़ रहा था और वो कोशिश कर रहा था कि वो अपना लंड मेरे मुंह से निकाल ले। मैं उसके लंड को निकाल कर खड़ी हुई और उससे चिपकते हुए बोली- भावेश, मैं समझ गई कि तुम अपना वीर्य मेरे मुँह में क्यों नहीं आने देना चाहते हो। पर तुम मेरा प्यार हो और तुम्हारे लिये मैं कुछ भी कर सकती हूँ। कभी भी तुमसे नहीं बोलूँगी कि ये गलत है या था। हाँ… तुमको अगर पसन्द होगा तो! और जब तुम अपने लंड का पानी खुद चख सकते हो तो मैं क्यो नही।
जितनी देर मैं भावेश से चिपकी रही उतनी देर वो मेरी गांड को सहलाता रहा। फिर मैं नीचे बैठी और उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। भावेश की सिसकारियाँ बढ़ने लगी वो बड़बड़ाये जा रहा था- जानू, तुम मेरा माल अपने मुँह में ले लो पर गटकना नहीं!
कहकर वो झड़ने लगा और उसका वीर्य से मेरा मुँह भर गया और कुछ हिस्सा मेरे मुँह से बाहर आ गया। भावेश ने मुझे उठाया और अपने मुँह को मेरे पास करते हुए बोला- आधा तुम मेरे मुँह में डाल दो। मैंने ऐसा ही किया आधा मैं पी गई और आधा भावेश पी गया। थोड़ा सा कसैला और बदबूदार लगा था मुझे पहली बार फिर भी भावेश के लिये मैं पी गई।
भावेश का बाकी का माल जो मेरी कुर्ती पर गिर गया था वो उसको चाटने लगा। और फिर मेरी कुर्ती और शमीज उतार कर मुझे भी पूरी तरह नंगी कर दिया। तभी अजीत का मैसेज फिर आया उसमें लिखा था कि क्या तुमने (भावेश) ने उसको (मुझे) कभी चोदा है?
भावेश ने तुरन्त ही उत्तर दिया- नहीं, यह हम दोनों के लिये पहली बार है जो हम तुम्हारे सामने कैम पर हैं। आज से पहले मैंने यामिनी को कभी भी नंगी भी नहीं देखा था। ‘इसका मतलब यामिनी अभी तक नहीं चुदी है।’
तभी मैंने लिखा- नहीं, मैं अभी तक नहीं चुदी हूँ और न इसके बारे में जानकारी है।
अजीत ने मैसेज लिखा- चलो, आज तुम दोनों को कैसे चुदने का खेल होता है, ये दिखाता हूँ। बस इतना करो कि अपनी कुर्सी को 90 डिग्री में घुमा लो और यामिनी को अपने गोदी में बैठा कर कस कर चिपका लो और फिर हमारा खेल देखो।
हमने अपनी कुर्सी को 90 डिग्री में घुमा लिया और मैं भावेश के ऊपर चढ़ कर बैठ गई जैसा कि मोना और अजीत ने हमें करके बताया था। मुझे भावेश ने कस कर पकड़ लिया, मेरी छाती और भावेश की छाती आपस में चिपक गई थी। मेरे और भावेश के गाल आपस में इस तरह सटे हुए थे कि हम दोनों ही आसानी से उन दोनों के चुदाई के खेल को देख सकते थे।
उधर अजीत और मोना ने अपना खेल प्रारम्भ कर दिया। अजीत ने कुर्सी पर बैठे ही अपनी दोनों टांगों को हवा में उठा लिया और अजीत अपने घुटने के बल बैठ कर मोना की चूत चाटने लगा। थोड़ी देर चूत चाटने के बाद अजीत खड़ा हुआ और अपना लंड मोना की चूत में एक झटके से डाल दिया और उसके बाद आगे पीछे होने लगा।
जब अजीत जोर-जोर से मोना की चूत में धक्के मार रहा था तो मोना की चूची बहुत तेज तेज हिल रही थी। उन दोनों के चुदाई के इस खेल को देखने से मेरे अन्दर भी गर्मी बढ़ती ही जा रही थी और शायद भावेश के जिस्म में भी गर्मी बढ़ती जा रही थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
भावेश का हाथ कभी मेरी पीठ को सहलाता और कभी मेरी गांड के उभारों को सहलाता और बीच-बीच में अपनी उंगली को मेरे गांड की छेद के अन्दर डालने की असफल कोशिश करता। उधर थोड़ी देर धक्के लगाने के बाद मोना उठी और अपने दोनों पैरों के घुटने के बल पलंग पर खड़ी हो गई और अपने दोनों हाथ को आगे की ओर टिका कर झुक गई।
मैंने भावेश से पूछा- ये क्या है?
भावेश ने तुरन्त ही वैसा ही प्रश्न अजीत से पूछा। तो अजीत ने अपने वेब कैम को जूम करते हुए बताया कि ये कुतिया की पोजिशन है। इसमे मैं मोना की चूत में पीछे से लंड डालूँगा और उसकी गांड भी मारूँगा। अजीत के अपने कैम को जूम करने से मोना की चूत और गांड साफ-साफ दिख रही थी।
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उसके बाद अजीत ने एक बार फिर मोना की चूत में अपना लंड डाल दिया और धक्के लगाने लगा। मोना ने अपनी गर्दन को मेरी तरफ मोड़ा और मुझे आँख मारते हुए अपने एक हाथ से अपने चूतड़ के उभार को सहलाने लगी। कुछ देर इस तरह करने के बाद अजीत हल्के से एक साईड हुआ.
और मोना की गांड को थोड़ा सा फैलाते हुए उसकी छेद पर पहले तो थुका और उसके बाद फिर अपनी उंगली से छेद के अन्दर डालने लगा, उसके बाद फिर अपनी जीभ उसके आस पास के क्षेत्र में चलाने लगा और उस छेद को भी चाटने लगा।
उसकी इस हरकत से मेरे शरीर का दम निकला जा रहा था, मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे नीचे से कोई धार फूट रही हो। भावेश के भी बर्दाश्त से बाहर हो रहा था, वो मेरी गांड के पीछे से अपने हाथ को चलाते हुए मेरी चूत को छू रहा था। मेरा रस उसके अंगों में और हाथों में लग गया था।
वो मुझसे बोला- तुम्हारा पानी छूट गया है।
मुझे बड़ी शर्म सी लग रही थी लेकिन भावेश से चिपकना मेरी जिंदगी का सबसे हसीन पल भी था। इसलिये उसकी इस बात को सुनकर मैंने हौले से उसके गाल को चूम लिया। जब अजीत थोड़ी देर तक मोना की गांड चाट चुका तो उसने अपने लंड को मोना की गांड के अन्दर डाल दिया.
फिर उसी तरह वो धक्के पे धक्का दिये जा रहा था और बीच-बीच में मोना की चूची को जोर से मसल देता आवाज तो नहीं आ रही थी पर मोना के भाव से लग रहा था कि चूची जोर से मसलने के कारण उसे दर्द हो रहा होगा और इसलिये वो अपने होंठों को अपने दाँतों के बीच दबा रही थी और उसकी आँखें चढ़ी हुई थी।
अजीत भी जोर-जोर से धक्के लगा रहा था, वो कभी अपने लंड को मोना की गांड में डालता तो कभी उसकी चूत में डालता। फिर थोड़ी देर बाद मोना सीधी बैठ गई और अजीत ने अब अपने लंड को मोना के मुँह में डाल दिया और अपना पूरा माल मोना के मुँह में डाल दिया जिसे मोना ने पूरा चूस लिया।
उसके बाद अजीत नीचे बैठ कर मोना की टांगो को फैलाते हुए उसकी चूत को चाटने लगा। कुछ देर ऐसा करने के बाद दोनों लोग कम्प्यूटर के सामने आकर बैठ गये और एक दूसरे के होंठ को चूमने लगे। उसके बाद अजीत ने मैसेज भेजा कि मेरी प्यारी बीवी की चूत और गांड चुदाई कैसी लगी।
भावेश ने तुरन्त ही मैसेज दिया- यार, बड़ा मजा आया। जिन्दगी में पहली बार लाईव चुदाई देख रहा हूँ।
तभी अजीत बोला- चलो, अब तुम यामिनी को चोदो।
इतना पढ़ते ही भावेश ने मुझे गोदी में उठाया और पलंग पर लेटा दिया और जिस तरह से अजीत ने झटके से मोना की चूत में अपना लंड डाला, उसी तरह से भावेश भी मेरी चूत में अपना लंड डालने की कोशिश कर रहा था पर जा नहीं पा रहा था।
हम दोनों ही सोच में पड़ गये कि ऐसा कैसे है कि अजीत एक झटके में मोना की चूत और गांड में अपना लंड डाल रहा था और भावेश का लंड मेरी चूत में जा ही नहीं रहा था। काफी देर ऐसा करते रहने पर भी भावेश का लंड मेरी चूत के अन्दर नहीं गया। तभी मेरी नजर स्क्रीन पर पड़ी तो देखा कि दोनों हँस रहे थे।
तभी अजीत ने अपने हाथ से इशारा करके हम दोनों को कम्प्यूटर के पास बुलाया और मैसेज भेजा कि मोना पहले से चुदी चुदाई है इसलिये उसकी चूत और गांड में मेरा लंड आसानी से चला गया और तुम दोनों का यह पहला मौका है। इसलिये भावेश तुम कोई क्रीम लेकर पहले अपने लंड पर लगाओ और उसकी चूत के अन्दर भी लगाओ।
उसके बाद यामिनी को बिस्तर पर लेटाओ और उसे कहो कि वो अपने हाथों से अपनी चूत के छेद को खोले और फिर तुम उस छेद के अन्दर अपने लंड को धीरे-धीरे डालना। जब तुम्हारा पूरा लंड तुम्हारे पार्टनर की चूत के अन्दर चला जाये तभी तुम मेरी तरह धक्के लगा सकते हो।
फिर उसने मुझे भी समझाया- तुम पहली बार किसी मर्द का लंड अपनी चूत में लोगी और तुम्हें बहुत दर्द भी होगा पर तुम बर्दाश्त कर लेना। एक बार तुमने लंड का मजा ले लिया तो फिर मोना की तरह आसानी से किसी का भी लंड अपनी चूत में ले सकती हो। और हाँ दोनों चुदाई करते समय हम लोगों की तरफ देखते रहना।
उसके बाद भावेश क्रीम ले आया, पहले अपने लंड पर लगाई, फिर अपनी उंगली से मेरी चूत के अन्दर लगाई और वो अपने लंड को मेरी चूत में डालने लगा। लेकिन इस बार भी उसका लंड फिसल कर बाहर आ जा रहा था। हम दोनों लगातार अजीत की तरफ देख रहे थे।
जब इस बार भी लंड मेरी चूत में नहीं गया तो अजीत ने मोना को पलंग पर लेटाया और उसकी कमर के नीचे दो तकिया रख दिए, मोना ने अपनी चूत फैला दी और अजीत एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर धीरे-धीरे उसकी चूत में डालने लगा।
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अब भावेश ने भी ऐसा ही किया और मेरी कमर के नीचे उसने दो तकिया लगाए जिससे मेरी कमर का हिस्सा थोड़ा ऊपर उठ गया। उसके बाद मैंने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को फैला दिया और भावेश ने अपने लंड को पकड़ कर जैसे ही मेरी चूत के अन्दर डाला.
मुझे ऐसा लगा कि मेरे अन्दर कुछ बहुत ही गर्म चीज ने प्रवेश कर गया है। मेरे दोनों हाथ स्वतः ही मेरी चूत से हट गये और मैं झटके से पीछे खिसक गई। भावेश ने मुझसे पूछा तो मैंने बताया कि तुम्हारा ये (उसके लंड की ओर इशारा करके) बहुत ही जल रहा है।
भावेश बोला- और मुझे लगा कि मेरा लंड किसी गर्म तवे में टच कर गया है।
तभी अजीत का मैसेज आया, उसमें लिखा था- पहली बार ऐसा होता है।
हम दोनों इस खेल में अनाड़ी थे ही, इसलिये कुछ समझ में नहीं आ रहा था, फिर भी हम दोनों ने आँखों ही आँखों में इशारा किया। क्योंकि दोनों को यह बात तो पता थी कि पहली बार कुछ दर्द या अजीब सा होता है और फिर खूब मजा आता है।
अजीत और मोना ने भी हमको यही बताया था। इसलिये एक बार फिर हम दोनों ने अपनी पोजिशन ली। इस बार जब भावेश ने अपने लंड को मेरे अन्दर किया तो मैंने अपनी आँखें बन्द कर ली और भावेश ने भी एक जोर से धक्का लगाया तो मुझे लगा कि मेरे अन्दर कुछ कट सा गया है और मैं चीख पड़ी।
भावेश ने मेरे मुँह में हाथ रख दिया, इससे मेरी चीख अन्दर ही घुट कर रह गई। यह तो अच्छा था कि तो वक्त दोपहर का था और भावेश की मम्मी अपने कमरे में सो रही थी, शायद इसलिये उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की, नहीं तो उनको अब तक भावेश के कमरे में होना चाहिए था। भावेश मुझे लगभग डाँटते हुए बोला- मरवायेगी क्या? मम्मी ऊपर आ सकती है?
दर्द के मारे मेरे आँख से आँसू निकल रहे थे और लगभग रोते हुये बोली- मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
भावेश मेरे ऊपर झुक गया और मेरी आँखों से निकलते हुये आँसू को पीने लगा और बोला- पगली मुझे भी तो ऐसा लग रहा है कि मेरे लंड का चमड़ा फट गया है और मुझे भी खूब जलन हो रही है। थोड़ी देर और बर्दाश्त करते हैं।
अब हम लोग केवल अपने में ध्यान दे रहे थे। उसके बाद भावेश ने अपने को थोड़ा पीछे किया और एक बार फिर जिस तरह से अजीत ने बताया था उसी प्रकार से धक्का दिया। इस बार मुझे ऐसा लगा कि मेरे हलक तक कुछ घुस गया है। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
जिस प्रकार उल्टी आने पर मुंह खुलता है ठीक उसी प्रकार मेरा मुँह खुल गया और आँखें ऐसा लग रही थी कि बाहर आ जायेगी। पता नहीं भावेश को क्या सूझी कि वो मेरे ऊपर गिर गया और मेरे स्तनों को दबाने लगा और मेरे स्तन की घुंडी को अपने मुंह में लॉलीपॉप की तरह चूसने लगा।
उसके थोड़ी देर ऐसा करते रहने से मेरे शरीर के अन्दर एक अजीब सी सिरहन सी उठने लगी और मुझे लगने लगा कि मैं भावेश को अपने अन्दर ले सकती हूँ। और पता नहीं क्या हुआ कि मेरी कमर खुद-ब-खुद ऊपर की ओर उठने लगी मानो कह रही हो ‘भावेश, मेरे ऊपर लेटो नहीं, आओ मेरे अन्दर आओ।’
शायद भावेश को भी मेरी कमर उठने का भान हो गया इसलिये वो सीधा हुआ और अपने लंड को एक बार फिर थोड़ा बाहर निकाला और फिर एक जोर से धक्का दिया। उसके बाद वो धक्के पे धक्का देता रहा और उसके धक्के को मैं अपने अन्दर महसूस करती रही।
हालाँकि उसके इस तरह के धक्के से मुझे तकलीफ हो रही थी और मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी पर पता नहीं कब वो सिसकारी उत्तेजना भरी आवाज में बदल गई। ठीक यही हालत भावेश की भी हो रही थी, उसके चेहरे से पसीना निकल रहा था और अपनी पूरी ताकत और वेग के साथ मेरे अन्दर आने की कोशिश कर रहा था।
कभी वो तेज धक्के लगाता तो कभी सुस्त पड़ जाता मानो थक गया हो… और फिर तेज धक्के लगाने लगता। इसी क्रम में मेरा जिस्म भी उसका साथ देता। मैं कभी उत्तेजनावश उसकी पीठ में नाखून गड़ा देती तो कभी उसकी घुंडी को दोनों उंगलियों के बीच में लेकर मसल देती।
वो भी गुस्से में आकर मेरे गाल में एक चपत लगा देता। उधर मेरी चुदाई का आनन्द अजीत और मोना भी ले रहे थे। तभी भावेश का शरीर अकड़ने लगा और फिर ढीला पड़ गया और मुझे लगा कि मेरे अन्दर को लावा फूट गया हो। भावेश हाँफते हुए मेरे ऊपर गिर गया।
भावेश ने अपने लंड को मेरे भीतर ही पड़े रहने दिया, बाहर निकालने की कोई कोशिश नहीं की। थोड़ी देर बाद उसका लंड सिकुड़ कर बाहर आ गया और भावेश मुझसे अलग होकर मेरे बगल में लेट गया। पहली बार मुझे वो आनन्द प्राप्त हुआ जो मैं अपनी सहेलियों से सुनती थी।
हालाँकि मेरे योनि के अन्दर एक जलन सी हो रही थी। मुझे इस समय भावेश पर बहुत प्यार आ रहा था, मैं उसके बाल सहला रही थी। फिर भावेश और मैं दोनों अपनी जगह से उठे क्योंकि हम दोनों को ही अपने नीचे कुछ गीला सा लग रहा था।
उसी समय मेरी और भावेश की नजर बिस्तर पर पड़े हुए खून पर गई। पता नहीं भावेश को क्या हुआ वो एकदम से अलमारी के पास गया और रूई निकाल लाया और मुझे बिस्तर पर बैठा कर मेरी टांगें फैला कर मेरी चूत और उसके आस पास की जगह को साफ किया।
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उसके बाद वो मुझसे बोला- यामिनी यह मेरे और तुम्हारे मिलन की निशानी है, अब जिन्दगी भर ये मेरे पास रहेगी! कहकर उसने उसे एक छोटी सी पन्नी के अन्दर रख लिया। तभी मेरा ध्यान कम्प्यूटर पर गया, अब अजीत और मोना भी एक दूसरे को आगोश में लेकर चूम रहे थे। भावेश और मैं उठ कर पास आये, अजीत ने विक्टरी का निशान बनाते हुए एक आँख मार दी। मैं थोड़ा सा शरमा गई जबकि भावेश के चेहरे पर एक मुस्कान थी।
हमारी पहली चूत चुदाई के बाद अजीत ने एक मैसेज भेजा, जिसमें भावेश के लिये लिखा था- तुम मेरी मोना को चोद लो और मैं यामिनी को। भावेश ने मेरी तरफ देखा तो मैंने मना कर दिया। जिस पर भावेश ने भी मना कर दिया। उसके बाद अजीत ने कहा- जब कभी भी तुम दोनों के मन में अदला बदली का ख्याल आये तो हमें कॉल करना। कह कर हम दोनों ने एक दूसरे से विदा ली। उसके बाद मैंने भी अपने कपड़े पहने और घर चली आई। दोस्तों सभी मेरी कहानी बाकि है, कल फिर आउंगी आप सबका लंड खड़ा करने कहानी का अगला भाग लेकर.