Uncle Fuck Pussy
मेरा नाम सुहाना है मैं अठारह साल की हूँ। मैं एकलौती बेटी हूँ। अचानक मम्मी और पापा को हरिद्वार जाना पड़ गया क्यों की मम्मी के पापा का तबियत ख़राब हो गया था। वो जल्दीबाजी में चले गए। मुझे दिल्ली में ही छोड़ गए बोले कल आ जायेंगे तुम अकेली ही रह जाना। Uncle Fuck Pussy
शाम सात बजे मम्मी का यार शैलेश अंकल आ गए। मम्मी शैलेश अंकल से फंसी है। मैं कई बार मम्मी की चुदाई करते देख चुकी हूँ। मेरे घर में मम्मी और पापा में झगड़ा भी इसी वजह से होता है। पर अब तो लगता है मम्मी बहुत चाहती है उनको और उनके चक्कर में पापा को भी छोड़ सकती है.
पर पापा को डर है कही पापा को छोड़ दी तो पापा कही के नहीं रहेंगे इसलिए कॉम्प्रमाइज कर लिए है पर झगड़ा होता ही है। पर चुदाई भी होती है मम्मी की जब भी पापा घर से बाहर होते हैं। मैं तो अपने कमरे में पढाई करते रहती हूँ ऊपरी मंजिल पर और निचे मंजिल का दरवाजा बंद रहता है।
तो जैसे ही अंकल आये मैं बोली मम्मी पापा दोनों गए हैं। तो वो हैरान हो गए। वो बोले मम्मी तो बोली थी सिर्फ पापा जायँगे। मैं समझ गई शायद मम्मी अपने यार को आज चुदवाने के लिए बुलाई थी। वो बैठ गए मैं सोफे पर मैं पहले सोफे पर ही थी। और हमारी वासना पर कहानियां पढ़ रही थी।
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मैं बोली चाय पियेंगे तो बोले बना लो। मैं चाय बनाने चली गई। जब वापस आई तो देखि वो मेरे मोबाइल को अपने हाथ में ले रखे थे और उसमे हमारी वासना वेबसाइट पर एक कहानी खुली थी, मेरे तो होश उड़ गए थे। क्यों की वो देख लिए थे मैं सेक्स कहानी पढ़ रही थी।
उन्होंने पूछा तुम ऐसी कहानियां पढ़ती है ? मैं बोली कभी कभी, वो बोले पढ़ के कैसा लगता है ? तो चुपचाप हो गई। वो बोले फिर कुछ मन नहीं करता। मैं चुपचाप ही रही। वो बोले कोई बात नहीं सब पढ़ते हैं। मैं भी पढता हूँ। आ यहाँ बैठ मेरे पास। मैं बैठ गई वो अपना हाथ मेरे पीठ पर रख दिए और बोले देख तेरी मम्मी कितनी खुश है मेरे से चाहे तो तुम भी खुश हो सकती है।
मैं उनको देखि वो मुझे देख रहे थे और मुस्कुरा रहे थे। वो फिर मेरे सिर को सहलाने लगे पीठ को और फिर अपने उँगलियों से गाल को छूने लगे। मैं पहले से ही कहानी पढ़ कर गरम थी उन्होंने और भी ज्यादा गरम कर दिया। तो मुझे लगा क्यों ना अंकल से आज उद्घाटन करवा लूँ चूत की. दिन भर चुदाई के बारे में सोचते रहती हूँ।
मैं बोली आप अपने घर कब जायँगे तो वो बोले मैं तो पहले से यहाँ रहने आया था पर तेरी मम्मी तो मुझे छोड़ कर चली गई। आज तेरे पापा जाने वाले थे। और उन्होंने चाय पीया और मुझे अपने बाहों में भर लिए मैं सरमाती हुआ उनसे छुडाने की कोशिश करती रही पर धीरे धीरे मैं भी उनके बाहों में समाती गई.
वो मुझे चूमने लगे मेरी चूचियों को दबाने लगे। मैं चुपचाप थी। बाहर से शांत थी अंदर से हलचल हो रही थी। दोस्तों धीरे धीरे मैं भी शर्म त्याग दी और अंकल को चूमने लगे हम दोनों ने लिप लॉक कर लिया वो मुझे चूमने लगे मैं भी उनको चूमने लगी। हम दोनों बैडरूम में चले गए। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
वो मेरे कपडे उतारने लगे पर मैं मना करने लगी क्यों कोई मर्द पहली बार मेरे कपडे उतार रहे थे। मैं बार बार पकड़ लेती जब वो मेरी पेंट उतार रहे थे मैं उतारने नहीं दे रही थी। अपने बाहों में भर लेती पर उनका सिर्फ एक ही इरादा था वह पर पेंट खोलना और चूत देखना। क्यों की वो भी चाहते थे कुंवारी लड़की का चूत जो जवान है कैसी होती है।
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उन्होंने उतार ही दिया मेरे कपडे। पर अपने चूत को मैं अपने हाथों से ढक ली। वो भी जबरदस्ती नहीं करते हुए मेरे होठ को चूसने लगे और मेरी छोटी छोटी चूचियों को हाथ से सहलाने लगे और उँगलियों से निप्पल को पकड़ने लगे। मैं धीरे धीरे कर के अपने पैर फैला दी शर्म छोड़ दी।
वो मेरे चूत पर हाथ रख लिए चूत पर हलके हलके रोयें की तरह बाल थी. वो निचे आ गए और चूत को देखने लगे मैं तकिये को अपने मुँह पर रख ली आँखे बंद कर ली वो मेरी चूत को छू रहे थे सहला रहे थे फाड़ कर देख रहे थे। वो बोली गजब की हो तुम। और फिर चूत को चाटने लगे।
मेरे पुरे शरीर में गुदगुदी होने लगी। जैसे वो चूत पर जीभ लगाते मैं उछल जाती। मैं बचने की कोशिश करने लगी क्यों की मेरे पुरे शरीर में कुछ कुछ होने लगा था। पर वो मुझे चारों तरफ से दबा लिए। और फिर चूत चाटने लगे। मेरी चूत से गरम गरम पानी निकलने लगा।
वो चूत को चाट चाट कर पानी पि रहे थे। अब मैं शांति से लेट गई और पैरों को फैला दी। अब मैं अपने आप को सौंप दी थी। अब वो कभी होठ कभी चूच कभी चूत को चाटने लगे मेरी धड़कन बढ़ गई थी मेरे होठ सूखने लगे थे। मैं अपने होश में नहीं थी उन्होंने अपना लौड़ा निकाला और मेरे मुँह में देने लगे पर मैं मना कर दी।
वो फिर चूत पर लौड़ा लगाए मैं बोली धीरे से दर्द हो रहा था। मैं बोली जोर से मत करना। वो बोले नहीं बेबी जोर से नहीं आराम आराम से करूंगा और तुम्हे खुश करूंगा मैं तकिये से अपने फेस को ढक ली। उन्होंने लौड़ा चूत पर लगाया और और से घुसाने लगे पर मुझे दर्द काफी ज्यादा होने लगी वो मैं कमर पीछे कर ली।
उन्होंने मुझे फिर से पकड़ पर करीब लाया और चूत पर लौड़ा लगाया। मैं फिर बोली धीरे से। वो अब धीरे से थोड़ा डाले मुझे जैसे दर्द हुआ रुक गया। मेरी चूचियों को सहलाने लगे। मैं शांति हुई को वो फिर से धक्के दिए उनका आधा लौड़ा अंदर चला गया। मुझे दर्द हो रहा था वो मेरी चूचियों को सहलाने लगे।
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जैसे वो मेरी चूचियों को सहलाते मैं चुदवाने को तैयार हो जाती। उन्होंने इस बार जोर से धक्के दिए और पूरा लौड़ा चूत में दाखिल हो गया दर्द काफी हो रहा था हाथ लगा कर देखि तो थोड़ा थोड़ा खून भी आने लगा था मैं बोली या क्या है। वो बोले कुछ नहीं पहली बार ऐसा होता ही है।
वो अब धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगे। दो से तीन मिनट तक दर्द हुआ फिर मेरी चूत गरम हो गई और गीली होने लगी। अब उनका लौड़ा आसानी से अंदर बाहर आने लगा और मुझे काफी अच्छा लगने लगा। वो अब मुझे जोर जोर से धक्के दे दे कर चोदने लगे और मैं खुद उनको सहायता कर रही थी जब वो धक्के लगाते मैं खुद निचे से धक्के लगाती।
वो मेरी बूब्स को मसल रहे थे सहला रहे थे पी रहे थे। निप्पल को दबा रहे थे मेरी गांड सहला रहे थे और लौड़े को अंदर बाहर कर रहे थे। अब मैं ऊपर चढ़ गई वो निचे आ गए उनका लौड़ा पकड़ पर अपने चूत में सेट की और बैठ गई पूरा लौड़ा मेरी चूत में समा गया।
पहले से तीन चार बार धीरे धीरे की पर अब मेरी वासना भड़क गई थी। अब मैं अपनी गांड को गोल गोल घुमा रही थी और अंदर लौड़ा को ले ली थी। वो निचे से धक्के देते मैं ऊपर से गोल गोल घुमाती। वो बोले तुम तो बड़े ही हॉट चुड़क्कड़ हो तो मैं बोली आप भी बहुत अच्छे से प्यार करते हो। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
तो वो बोले तुम्हारी मम्मी भी ऐसे ही चुदवा कर मजे लेती है। क्यों की वो भी इस वेबसाइट पर रोजाना आती है। दोस्तों अब वो जोर जोर से जल्दी जल्दी लौड़े को अंदर बाहर करने लगे। मैं मैं अब अब आह आह आह आह आहे करने लगी उफ़ उफ़ आवाज खुद व खुद निकल रही थी। मैं पसीने पसीने हो गई। अब मैं खुद हो उनको चोदने लगी। वो बस बस कर रहे थे पर मैं अभी ज्यादा ही गरम हो रही थी।
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मुझे और चाहिए थे पर वो बस हो रहे थे तभी वो निकाल लिए लौड़ा मेरी चूत से और मुझे फिर से निचे लिटा दिया। अब वो मेरे दोनों पैर अपने कंधे पर रख लिए और जोर जोर से पेलने लगी अपना लौड़ा मेरी चूत में ड्रिल करने लगे अब मैं बर्दास्त नहीं कर पा रही थी। वो बोले देख अब मेरी बारी मैं हिल गई थी उनके झटके से। जोर जोर से वो ड्रिल करने लगे मुझे फिर से दर्द होने लगा पर वो तुरंत ही झड़ गए और मैं भी शांत हो गई और लेट गई। दोस्तों उसके बात तो ऐसी थकान हो गई मैं आपको बता नहीं सकती मैं आँख बंद कर ली। हाथ पैर फैला दी।
और बेसुध पड़ गई। वो भी वैसे ही लेटे थे। वो पांच मिनट बाद सिगरेट जला लिए और मैं अपने कपडे पहनने लगी। फिर मैं बोली अब आप चले जाओ। वो मुझे चुम लिए और चले गए। क्यों की आस पड़ोस की बात है सामने वाली आंटी आते हुए देख ली थी इसलिए मैं उनको भेज दी। जब उनके साथ गेट तक गई तो देखि वो आंटी इधर ही देख रही थी। पर अंकल बाहर निकल कर बोले बेटा कोई जरूरत हो तो फ़ोन कर देना। तो वो आंटी समझ गई शायद पापा मम्मी भी बोले होंगे इनको आने के लिए।