Sexy Maal Ki Chudai
कुछ दिन से मेरी कामवाली पता नही क्यों मेरे घर काम करने नही आ रही थी। मेरी मम्मी ने कहा की मैं जाकर पता करूँ। जब मैं उसके घर गया तो मेरी उससे मुलाकात हुई। मैं अपनी कामवाली की बहुत इज्जत करता था इसलिए कभी उसका नाम लेकर नही बुलाता था। उसे हमेशा आंटी कहकर बुलाता था। Sexy Maal Ki Chudai
वो उम्र में ही मुझसे बहुत बड़ी थी। मैं कहाँ २३ साल का था और कामवाली आंटी ३२ ३४ की होंगी। खैर मेरी कामवाली आंटी से मुलाकात हुई। जब मैंने पूछा की वो क्यूँ नही घर आ रही है तो वो रोने लगी। आंटी का शराबी पति पहले तो शराब पीता था। इसका भी आंटी को जादा दुःख नही था।
पर २ दिन पहले तो उसने सारी हद पार कर दी। बगल की एक शादी शुदा औरत को लेकर वो भाग गया। दोस्तों, जब कामवाली आंटी रो रोकर अपना दुःख मुझे सुनाने लगी तो मैं भी रोने लगा। फिर मेरी मुलाकात उसकी जवान लड़की रमा से हुई। आंटी ने बताया की अब उनको जादा काम करना पड़ेगा। क्यूंकि उसका मर्द किसी औरत को लेकर भाग गया है।
अब उनकी एकलौती लड़की रमा को पढ़ाने के लिए उनको और जादा काम करना पड़ेगा। अभी रमा के एक्जाम्स चल रहे थे, इसलिए आंटी उसे अपने सामने बैठकर पढ़ाती थी। मैं घर आया तो मैंने मम्मी को सारी बात बताई। ये भी बताया की आंटी १ हफ्ते बाद काम पर आ जाएंगी जब उनकी लड़की रमा के एक्साम्स खत्म हो जाएँगे।
दोस्तों, एक हफ्ते बाद आंटी अपनी लड़की रमा के साथ काम पर लौट आई. अब कामवाली आंटी जादा घरों में काम करती थी, जिससे वो जादा पैसे कमा सके। इसलिए उसकी जवान २० साल की लड़की रमा भी उनका जल्दी जल्दी काम करवाती थी। काम खत्म करके वो दुसरे घरो में काम करने चली जाती थी। अब रमा ही मेरे लिए सुबह सुबह चाय बनाने लगी।
“भैया जी !! कौन सी चाय आप पियेंगे, नीबू वाली या दूध की अदरक वाली चाय???’ रमा बोली.
“नीबू चाय लाओ मेरे लिए रमा !!” मैंने कहा.
रमा मटक मटक कर चलने लगी तो उसके चुतड मुझे दिखने लगे। रमा भले ही कामवाली आंटी की लड़की थी पर थी बहुत सुंदर। बिलकुल आंटी को गयी थी। बड़ी प्यारी और मासूमियत से भरा चेहरा था रमा का। दोस्तों , कुछ देर बाद वो रसोई से मेरे लिए नीबू चाय बना लाई।
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धीरे धीरे आंटी के साथ रमा रोज मेरे घर आने लगी और अपनी माँ के साथ में मेरे घर के सारे काम करने लगी। धीरे धीरे मुझे रमा बहुत ही प्यारी और सेक्सी लगने लगी। मैं उसे दिनभर सोचता रहता और रात होने पर बाथरूम में जाकर रमा के नाम पर मुठ मार देता। उसे सोचते सोचते जब मैं मुठ मारता तो मुझे बहुत मजा मिलता दोस्तों।
धीरे धीरे मैं उसको लाइन देने लगा। एक दिन काम करते करते उसकी चप्पल टूट गयी, तो मैं उसके लिए बजार से नई चप्पल ले आया। एक दिन मैंने उसको एक नया और बहुत खूबसूरत सूट खरीद कर दिया। इस तरह धीरे धीरे मैंने रमा को पटा लिया। जब अगले दिन वो मेरे लिए चाय लेकर आई तो मैंने रमा का हाथ पकड़ लिया।
“इ का भैया जी ??? आपने हमरा हाथ क्यूँ पकड़ा???’ रमा मासूमियत से बोली.
“रमा !! मेरी जान! क्या तुमको नही मालूम है की मैंने तुम्हारा हाथ क्यों पकड़ा???’ मैंने उसका हाथ पकड़े हुए पूछा.
वो शरमा गयी। इधर उधर देखने लगी। और दुसरे हाथ से अपना दुपट्टा गोल गोल ऐठने लगी।
“रमा !! मेरी जान , तू मुझको भैया जी मत बोला कर। क्यूंकि मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूँ। क्या तू जानती है की सारी रात मैं तुम्हारे बारे में ही सोचा करता हूँ!!” मैंने कहा और रमा का हाथ उठाकर अपने होठो से लगाकर चूम लिया।
वो हाथ छुड़ाना चाहती थी। इसलिए मैंने उसका हाथ छोड़ दिया। अगले दिन जब वो आई तो उसने मुझे भैया नही कहा। मुझे उपेन्द्र कहकर बुलाने लगी। मैं समझ गया की मेरा तीर निशाने पर लगा है। जब वो मेरे कमरे में फूल वाली झाड़ू लेकर झाड़ू मार रही थी मैंने उसको पकड़ लिया और उसके गाल पर चुम्मा चाटी करने लगा।
“उपेन्द्र !! ये क्या कर रहे हो?? छोड़ो मुझे वरना कोई देख लेगा!!” रमा बोली।
मैंने उसे पकड़े रखा और अपने कमरे के दरवाजा लात बढ़ाकर बंद कर दिया।
“जान !! इतने दिनों ने तू मैं तुमको देख देख के आहे भर रहा हूँ। आज तो मैं तुमको नहीं छोडूंगा!” मैंने कहा.
और जबतक दोस्तों रमा कुछ बोल पाती मैंने उसके गाल और चेहरे पर कई प्यारी प्यारी पप्पी ले ली। फिर वो भी सरेंडर हो गयी। मैंने उसको सीने से लगा लिया। दोनों बाहों में भर लिया और उसके होठ पीने लगा। मुझे लग रहा था की जिस तरह से वो शर्म कर रही थी किसी लड़के से पहली बार उसके होठ पिये थे।
कुछ देर बाद वो भी खुल गयी और मेरे होठ पीने लगी। मेरी मेहनत और तपस्या पूरी हुई। अब तो मुझे किसी तरह रमा की चूत मारनी थी। उस दिन रमा को मेरे कमरे की झाड़ू लगाने में पूरा १ घंटा लगा।
वरना ये काम तो सिर्फ १० मिनट का था। मैंने उसे छोड़ दिया वरना उसकी मम्मी को शक हो जाता। शाम को रमा फिर आई तो मैंने उसको देख के सीटी मारी। मैंने इशारा किया और मेरे कमरे में आने को कहा। उसने हाथ के इशारे से बताया की सब्जी का कूकर गैस पर चढ़ाकर वो आएगी।
इस दौरान मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और मुठ मारने लगा। दोस्तों, मैं क्या करता। कोई लड़की तो मैंने अभी तक चोदी नही थी। इसलिए रमा की चूत मारने को मैं पूरी तरह पगलाया हुना था। जैसे ही रमा कमरे में आई मैंने उसे अंदर खीच लिया और अंदर से दरवाजे की कुण्डी मार ली।
“हाय !! ये क्या उपेन्द्र !! तुम पूरी तरह से नंगे हो???” सारे कपड़े निकाल दिए तुमने???’ रमा आश्चर्य से पूछने लगी.
“हाँ !! तुम्हारी चूत जो मारनी है आज!!” मैंने कहा।
दोस्तों ये सुनकर रमा का चेहरा पूरी तरह से लाल हो गया। मैंने उसे बिस्तर पर खीच लिया और उसके बूब्स दबाते दबाते उसके होठ पीने लगा। रमा का फिगर ३४ २७ ३२ का था। इससे आप अंदाजा लगा सकते है की वो कितनी सेक्सी माल होगी। उसका चेहरा मेरी बातें सुनकर बिलकुल लाल हो गया था। मैंने उसे दोनों हाथो से पकड़ लिया और उसके नर्म नर्म होठ पीने लगा। वो नही नही करने लगी। मैंने उसकी सलवार निकाल दी। वो कमीज पहने रही।
“रमा !!! चल चूत दे !! आज मुझे कोई बहाना नही चाहिए!! आज मैं तेरी बुर लेके रहूँगा!!” मैंने बहुत सख्ती से कहा।
वो कुछ नही बोली। उसकी चुप्पी में उसकी हाँ छुपी हुई थी। वैसे ही हिन्दुस्तान की लड़कियां कभी अपने मुँह से नही कहती है की मुझे चोदो। इसलिए मेरी कामवाली की लडकी रमा भी नही बोली कुछ। मैंने उसकी सलवार निकाल दी। फिर उसकी मेहरून रंग की चड्ढी मैंने निकाल दी।
रमा का चेहरा और भी जादा लाल और सुर्ख हो गया। मुझे उसकी चूत के दर्शन हो गये। रमा जितनी जादा गोरी थी उसकी चूत उससे भी अधिक सफ़ेद और उजली थी। मैंने ऊँगली से चेक किया। वो अनचुदी माल थी। मैंने उसकी कमीज नही निकाली क्यूंकि उसकी मम्मी कभी भी उसको ढूढ़ते हुए मेरे कमरे तक आ सकती थी।
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रमा जाने क्यूँ मुझसे नजरे नही मिला पा रही थी। क्यूंकि इस तरह एक गैर मर्द से चुदना सायद उसे सही ना लग रहा हो। मैंने उसके सिर और माथे को चूम लिया। उसपर लेट कर मैं मैंने उसके होठ फिर से पीने लगा। उसकी कमीज बहुत कसी हुई थी।
इसलिए मैं चाहकर भी उसके दूध बाहर ना निकाल पाया। मुझे तो आज उसके दूध नही उसकी चूत मारनी थी। मैंने कुछ देर तक अपनी कामवाली आंटी की लड़की रमा के होठ पीता रहा और उसके दूध कमीज के उपर से दबाता रहा। फिर मैंने उसके पतले पेट को चूमने लगा।
फिर उसकी नाभि से खेलता हुआ मैं रमा की चूत पर आ गया। कितनी सुंदर सफेद रंग की चूत थी उसकी। झाटें अभी निकलना ही शुरू हुई थी। मैंने प्यार से कई बाद रमा की चूत पर अपनी उँगलियाँ सहलाई। एक मर्द की छुअन से वो तडप गयी। उसने अपने बालों की छोटी बना रखी थी। मैंने उसके साथ ही लेट गया और उसकी चूत पीने लगा। जरा सी बहुत ही छोटी फुद्दी थी उसकी।
“उपेन्द्र !! मुझे धीरे धीरे चोदना वरना बहुत दर्द होगा!” रमा बोली.
“तुम फ़िक्र मत करो मेरी जान !!! तुम मेरी जान हो! मैं तुमको बड़ी आराम आराम से चोदूंगा!!” मैंने कहा.
फिर दोस्तों मैं उसकी बुर पीने लगा। बिलकुल अनचुदी बुर थी उसकी। मैंने अपनी दोनों आखे बंद कर ली और सिद्दत से उसकी बुर पीने लगा। अपनी जीभ से मैं अपनी कामवाली की लड़की रमा की चूत की एक एक फांक को मैंने पूरे मन से पी रहा था। कहीं कोई अंग उसका छूट ना जाए। फिर मैं उसके क्लिटोरिस को अपनी जीभ तिरछी करके जोर जोर से घिसने लगा। रमा अपनी कमर और उठाने लगी।
“उपेन्द्र !! आराम से !! लगती है!” वो बोली।
मैं जानता था की उसकी चूत की क्लिटोरिस चाटने पर उसे जरुर बड़ा मजा मिल रहा होगा। उसकी चूत इस वक़्त बेहद सूरज जैसी गर्म हो चुकी थी। क्यूंकि मैं बिना रुके उसकी चूत की क्लिटोरिस को अपनी जीभ से घिस और चाट रहा था। मुझे रमा की बुर पीने में बड़ा सुख मिल रहा था। कितना मजा और तृप्ति मुझको मिल रही थी।
रमा की चूत में कुछ देर बाद तो बिलकुल भूचाल आ गया। उसकी बुर बिलकुल गीली और चूत के माल पर तर हो रही थी। बिलकुल मक्खन जैसी चूत थी उसकी। दोस्तों कुछ देर बाद ही मेरा मौसम बन गया और मैं रमा को चोदने के लिए बिलकुल तैयार हो गया। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया और अपने गुलाबी सुपाड़े से उसकी चूत पर यहाँ वहां चलाने लगा।
फिर मैं अपने सुपाड़े से रमा की चूत के होठ घिसने लगा। कुछ देर में उसे बहुत नशीला अहसास होने लगा। वो कमर उठाने लगी। बड़ी देर तक मैं अपने सुपाड़े से उसकी चूत को सब जगह घिसता और सहलाता रहा। रमा की चूत बिलकुल बिलबिला गयी। उसे और जादा तडपाना बहुत नाइंसाफी होती।
इसलिए मैंने उसकी नंगी कमर पर हाथ रख दिया। और हाथ से लंड रमा की चूत के छेद पर रखकर अंदर करने लगा। जैसे जैसे मेरा लंड उसकी चूत में इंट्री लेने लगा, वैसे वैसे उसे दर्द होने लगा। मैंने सोचा की धीरे धीरे अगर अपना लंड उसकी अनचुदी कुवारी चूत में डालूँगा तो उसको दर्द बहुत होगा। हो सकता है की फिर वो चुदवाने से नही मना कर दे।
इसलिए मैं प्रभु का नाम लिया और एक बेहद तगड़ा धक्का अपनी कामवाली की लड़की रमा की चूत में डाल दिया। मेरा मोटा खीरे जैसा लंड सीधा उसकी गर्म बिलकती चूत में किसी मिसाइल की तरह अंदर घुस गया। रमा के भोसड़े में बहुत दर्द होने लगा। वो मेरे हाथ छुड़ाने लगी। पर उसे मजबूती से दोनों हाथो से पकड़े रखा।
इस दौरान रमा ने मेरे मुँह और सीने पर २ ४ मीठे मुक्के मार दिए। मुझे उसका दर्द देखकर बड़ी खुशी हुई। किसी लौंडिया को दर्द दे देकर चोदना तो बड़ी गजब की बात होती है। मैंने अपना लंड बाहर नही निकाला और धीरे धीरे उसको पेलता रहा।
रमा जैसी अनचुदी कुवारी कली की आँखों से दर्द के कारण आशू बहने लगे। मैंने उसके एक एक आशू को पी गया। मैं धीरे धीरे उसको पेलता था। मैंने रमा को दोनों कंधे पर अपने हाथों से पकड़ रखा था। कुछ देर बाद उसका दर्द कम हुआ तो मैं उसे धीरे धीरे चोदने लगा।
मैंने नीचे नजर उठाकर देखी तो सब तरफ खून ही खून था। मेरा लंड कमसिन कली रमा की चूत के खून से सना हुआ था। कुछ देर बाद जब उसने हाथ पैर पटकना बंद कर दिया तो मैंने तेज तेज पेलने लगा। कुछ देर बाद मैं उसके भोसड़े में ही झड गया।
“रमा !! ओ रमा !! कहा मर गयी????” मेरी कामवाली आंटी पुकारने लगी। मैंने उसे २ ४ बार उसके होठ पीने के बाद उसे छोड़ दिया। और जाने दिया। रमा चली गयी। अगले दिन मैंने उसे फिर से अपने कमरे में बुलाया। जैसे ही हो आई, मैं उससे लिपट गया और उसके गालों को चूमने लगा।
“मेरी जान का क्या हाल है????’ मैंने उससे मजाक करते हुए पूछा.
“…..छोड़ो मेरा हाथ !! मुझे तुमने कल इतनी जोर जोर से चोदा की रात पर मेरे भोसड़े में बहुत दर्द हुआ। कुछ पता है तुमको???” रमा शिकायत करने लगी।
मैंने उसके गालों पर प्यार से पप्पी दी। दोस्तों उसकी चूत का दर्द ठीक होने में पूरा १ हफ्ता लग गया। फिर मैंने उससे कहा की चूत दे। उस दिन उसकी मम्मी नही आई थी। वो अपनी रिश्तेदारी में किसी शादी में गयी थी। आज तो मुझे कोई टोकने वाला नही था।
इसबार मैंने उसको पूरी तरह से नंगा कर लिया। उसकी ब्रा और पेंटी भी निकाल दी। पहले तो हम दोनों बड़ी देर तक ६९ वाले पोज में रहे। रमा को मैंने लंड चुसना भी सिखाया। उधर मैं उसकी पेंटी उतारकर उसकी चूत और गांड को मजे ले लेकर पीता रहा। बड़ी देर तक हमारा ये खेल चला।
जब हम दोनों एक दुसरे के सम्वेदनशील अंगो को अपनी अपनी जीभ से चाटते तो दोनों को बड़ा मजा मिलता। बड़ी देर हमारा ये खेल चला। फिर उसकी टाँगे खोल पर मैं उसे चोदने लगा। मैंने अपने लंड में ढेर सारा तेल लगा दिया जिससे उसकी चूत में जरा भी दर्द ना हो।
दोस्तों आज उसकी चूत में दर्द बिलकुल नही हुआ। अपनी कमर उठा उठाकर रमा मजे से चुदवाती रही। अब ठुकवाने में वो काफी एक्सपर्ट हो गयी थी। अब सब कुछ वो जान गयी थी। रमा ने अपनी दोनों टाँगे हवा में उठा ली और मजे से मेरा लंड खाने लगी।
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वो बहुत मीठी मीठी आवाजे अपने मुँह से निकाल रही थी। अपनी नाक और मुँह से गर्म गर्म सासें रमा छोड़ रही थी। मैं अपनी कमर चला चलाकर उसे जोर जोर से ले रहा था। उसकी चूत पूरी तरह से खुल चुकी थी। मेरा मोटा लंड आराम से उसकी बुर में जा आ रहा था। उस दिन तो जैसे हम दोनों की सुहागरात पूरी हो गयी थी। चोदते चोदते रमा की चूत से एक बूंद खून फिर निकल आया। मैंने उसे ऊँगली से उठाकर रमा की मांग भर दी।
“उपेन्द्र !! तुमने ये क्या किया???’ रमा बोली.
“….जान !! आजसे तू मेरी प्राइवेट माल बन गयी है! तू मेरी रखेल बन गयी है! तेरी शादी होने तक मैं तेरी चूत लेता रहूँगा!!” मैंने कहा और कुछ देर बाद उसकी चूत मारते मारते मैं झड गया। आज ७ सालों से मैं अपनी प्राइवेट माल रमा को ठोंक रहा हूँ। और सबसे कमाल की बात की अभी तक उसकी शादी भी नही हुई है।