Naukrani Rasile Stan
मैं मुरादाबाद में रहती थी। मैं बहुत गरीब थी। देहात में लग जाता है और यहाँ से गाँव शुरू हो जाता है। मेरे बापू भी बहुत गरीब थे और हमारे गाँव के प्रधान के खेतो में मेहनत मजदूरी करते थे। एक दिन प्रधान ने मुझे देखा। मैं अपने बापू के लिए दोपहर का खाना लेकर गयी थी। हमारे गाँव का प्रधान मुझे बार बार सिर से पाँव तक ताड़े जा रहा था। फिर उसने मेरे बापू को अपने पास बुलाया। Naukrani Rasile Stan
“दीनानाथ [मेरे बापू का नाम] तेरी छोरी सन्नो सूना है खाना बहुत अच्छा बना लेती है??” प्रधान ने पूछा.
“हा मालिक….सन्नो बहुत काम काजिन छोरी है” मेरे बापू बोले.
“मैं इसके लिए शहर में एक नौकरी ढूढ़ रहा हूँ…महिना का ७ हजार मिलेगा। खाना बनाना पड़ेगा और घर की साफ़ सफाई करनी होगी। भेजेगा सन्नो को काम पर??” उस प्रधान ने मेरे बापू से पूछा।
“जरुर मालिक…..सन्नो नौकरानी वाला काम आराम से कर लेगी” बापू बोले.
“मेरा भाई लखनऊ में एक बड़ा अधिकारी है, उसे एक काम करने वाली ईमानदार लड़की चाहिए तो चोरी चकारी ना करे और ईमानदारी से काम करे। दीनानाथ! सन्नो को मैं उसी के घर भेज दूंगा” प्रधान बोला.
“जैसा आपको सही लगे मालिक…” मेरे बापू बोले.
हम लोगो को पैसे ही बहुत जरूरत थी इसलिए मेरे बापू ने हाँ कर दिया था। कुछ दिन में उसका भाई अपनी कार लेकर हमारे गाँव आ गया। उसका नाम गौरव भैया था। सब उसे इसी नाम से पुकारते थे। उसने मेरे बापू के हाथ में १ लाख की गड्डी रख दी। मेरे घर वालों ने मुझे तैयार कर दिया और मैं अपने मालिक गौरव भैया के साथ लखनऊ आ गयी।
उसकी बहुत बड़ी सी कोठी थी। वहां पर कोई नौकर नही था। मैंने मेहनत और ईमानदारी से काम करना शुरू कर दिया। ना ही किसी तरह की चोरी चकारी करती थी। मेरे मालिक गौरव भैया की बीबी कोई बड़ी नेता थी और वो हमेशा घर से बाहर ही रहती थी। धीरे धीरे मेरे मालिक को मेरा काम अच्छा लगने लगा।
एक दिन जब उसकी बीबी घर पर नही थी और अपने नेतागिरी वाले काम से दिल्ली गयी थी तो मेरे मालिक से मुझे अपने पास बुलाया। मैं उसकी बात समझ रही थी। उसकी खुद ही औरत तो घर पर थी नही इसलिए वो किसकी चूत मारता, इसलिए वो मुझे चुदाई करने के लिए धीरे धीरे पटाने लगा। मैं २२ साल की जवान लड़की हो चुकी थी और चुदने को बिलकुल तैयार थी।
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“क्या है मालिक??” मैंने पूछा.
“अरे सन्नो!!…आ बैठ आकर मेरे पास। सच में तू बहुत अच्छा खाना बनाती है। तू हम लोग की बड़ी सेवा करती है। आज शाम को मैंने तुझे बजार ले चलूँगा। तुझे कुछ बढ़िया कपड़े दिलवाऊंगा। मेरे सर में कुछ दर्द हो रहा है। आओ जरा बाम लगा दो!” मालिक बोला।
जब मैं उसके सर पर बाम लगाने लगी तो वो धीरे धीरे मेरे हाथ को चूमने लगा। मैं सब समझ रही थी। वो मुझे कसकर चोदना चाहता था। शाम को वो मुझे बजार ले गया और उसने मुझे ५ बड़े महंगे वाले सूट दिलवाए। बाहर रेस्टोरेंट में खाना भी खिलाया। वो मुझे पटा रहा था। कुछ दिन बाद मेरे बापू का फोन आया। उनको ५० हजार रुपयों की जरूरत थी तो मेरे मालिक ने तुरंत पैसे दे दिए।
“ले सन्नो…..जा अपने बापू को मनीआर्डर कर दे जाकर!” मालिक बोला.
इस तरह आये दिन वो मुझ पर पैसा खर्च करने लगा। एक रात उसने मुझे अपने कमरे में बुलाया।
“देख सन्नो!!. तेरी मालकिन तो हमेशा बाहर रहती है। वो बाहर पराये मर्दों के साथ सोती है और खूब जमकर ऐश करती है। मैं यहाँ अकेला पड़ा रहता हूँ। रात में मेरे साथ सोने वाला भी नही है। तू मेरे साथ सोएगी… बोल??” वो बोला और मेरी तरह एकटक देखने लगा। मैं चुप रही। ऐसे कैसे मै उससे चुदवा लेती। मैं अभी कुवारी लड़की थी। अभी शादी भी नही हुई थी। मैं ना करने जा रही थी।
“देख मैं तेरा हमेशा ख्याल रखता हूँ….तुझे आज तक किसी चीज की कोई कमी नही होनी थी। तेरे बापू को पैसे भी मैंने तुरंत दे दिया” मालिक बोला.
इसलिए दोस्तों मुझे उसके अहसान तले दबना पड़ गया। मैं उससे चुदने को राजी हो गयी। कोठी में वैसे भी कोई नही था। मेरे मालिक [गौरव भैया] ने मुझे बाहों में भर लिया और यहाँ वहां चूमने लगा। वो ४० साल का उम्र दराज आदमी था। मैं उसकी आधी उम्र की २० साल की जवान लड़की थी। मैं उसके सामने उसकी लड़की जैसी दिख रही थी। वो ६ फुट का लम्बा चौड़ा आदमी था। उसने मुझे बाहों में भर लिया और किस करने लगा।
“मालिक ….ये चुदाई वाली बात आप किसी से कहोगे तो नही??” मैंने आशंकित होकर पूछा.
“अरे पागल है क्या….ये सब बाते कोई किसी से बताता है क्या” वो बोला। उसके बाद वो मुझे अपने बिस्तर पर ले गया और मुझे लिटाकर मेरे साथ प्यार करने लगा। उसने मुझे बाहों में भर लिया और मेरे ताजे ताजे गुलाब की पंखुड़ी जैसे दिखने वाले होठ वो मजे से चूसने लगा।
धीरे धीरे मुझे भी अच्छा लगने लगा। बड़ी देर तक वो मेरे गुलाबी होठ पीता रहा और मेरी महकती सांसो का सेवन करने लगा। मेरे मम्मे ३८” साइज के थे। बहुत ही आकर्षक दूध थे मेरे। मैं बहुत जवान और खूबसूरत माल थी। यही वजह थी की गाँव में कई लड़के मुझे चोदना खाना चाहते थे।
पर दोस्तों वो कहावत है की दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम और चूत चूत पर लिखा है चोदने वाले का नाम। मेरी बुर की चुदाई तो आज मेरे मालिक के लौड़े से होनी लिखी थी। सायद तभी मैंने आज तक किसी लड़के को अपना बॉयफ्रेंड नही बनाया और किसी से भी नही चुदवाया।
मेरे मालिक मुझे बाहों में भरकर मेरे बूब्स दबाने लगे। मेरी ठोस छातियों को वो सूट के उपर से ही दबा रहे थे। मेरे मम्मे इतने बड़े, कसे, बड़े बड़े और गोल गोल थे की मुस्किल से मालिक के हाथ में मेरे दूध समा पा रहे थे।
“सन्नो!!…..तू बड़ी कमाल की माल है। तेरे हाथों का बना खाना तो मैं रोज खाता हूँ पर आज तेरी चूत खाने को मिलेगी!! आज रात मैं तुझे चोद चोदकर एक औरत बना दूंगा!!” वो बोला।
उसके बाद मालिक मेरे साथ मजे करने लगे। बड़ी देर तक उन्होंने मुझे नंगा नही किया। मेरी कमीज के उपर से मेरे दोनों ३८” के दूध को दबाते रहे और मेरे रसीले होठ का अमृत पान करते रहे। फिर उन्होंने मेरा सलवार कमीज निकाल दिया और मेरी ब्रा पेंटी भी पूरी तरह से निकाल दी।
मालिक ने अपना सफ़ेद कुर्ता पजामा निकाल दिया और नंगे हो गये। उसके ११ इंच का लौड़ा तो किसी अफ्रीकी का लौड़ा लग रहा था। मैं डर रही थी की कैसे इतने मोटे लौड़े से चुदवाऊँगी। उसके बाद हम दोनों पूरी तरह से नंगे हो गये। मैंने अपने दोनों रसीले स्तनों को छुपाने लगी।
पर मालिक ने मेरे हाथ को हटा दिया और मेरे दूध को मुंह में लेकर चूसने लगे।“….हाईईईईई, उउउहह, आआअहह” मैं चिल्लाई। उसके बाद तो वो मुझ पर पूरी तरह से लेट गये और उसके वजन से मेरा दम घुटने लगा। वो मजे लेकर मेरे नर्म नर्म बूब्स को दबाने लगे और मजा लेने लगे।
मैं “आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईई…ओह्ह्ह्हह्ह…अई..अई..अई….अई..मम्मी…..” की आवाजे निकालने लगी। मेरी नर्म और मक्खन मलाई जैसी चूचियों को मालिक फुल मजा लेकर दबा रहे थे और मुंह में लेकर चूस रहे थे जैसे मैं उसकी नौकरानी नही बल्कि उसकी औरत हूँ।
मेरे दोनों हाथ मालिक ने कसकर पकड़ लिए थे और फैला दिए थे जिससे मैं उसको रोक ना पाऊं। वो मजे से मेरी जवानी लुट रहे थे। उसकी नेता जात औरत दिल्ली में किसी दूसरे मर्द से चुदवा रही थी और मालिक यहाँ मुझे चोदने जा रहे थे। दोनों लोगो ने अपना अपना चुदाई का इंतजाम कर लिया था।
दोस्तों, मेरे स्तन बहुत सुंदर थे। बड़े बड़े गोल और बिलकुल मक्कन की टिकिया जैसे नर्म। इतने सुंदर दूध को देखकर तो मालिक बिलकुल पागल हुए जा रहे थे। मेरी अनार जैसी लाल लाल निपल्स के चारो ओर बड़े बड़े काले काले घेरे थे, जो मेरे स्तनों में चार चाँद लगा रहे थे। अगर कोई भी मर्द मुझे इस तरह मेरे नग्न मम्मो को देख लेता तो मुझे बिना चोदे ना जाने देता।
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मेरी मस्त गदराई और उफनती छातियों को देखकर मालिक बेचैन हो गए और अपने हाथ से कस कसकर दबाने लगे।“…..अई…अई….अई…… आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईई मालिक लग रही है!!” मैं सिसक कर बोली पर उनपर कोई असर ना हुआ। वो मजे से मेरे दूध दबाते रहे जैसे कोई मुसम्मी का रस निकालने के लिए उसे हाथ में लेकर निचोड़ देता है।
इसके साथ ही वो मेरे रसीले स्तनों को मुंह में लेकर पी और चूस रहे थे। इधर मेरी जो जान ही निकली जा रही थी। ऐसा लग रहा था की आज मालिक मेरे सारा दूध पी जाएंगे और मेरे होने वाली पति के लिए कुछ नही छोड़ेंगे। उनके दांत मेरी नर्म चूचियों को बार बार चुभ जाते थे।“……उई..उई..उई…. माँ….माँ….ओह्ह्ह्ह माँ…. .अहह्ह्ह्हह.. मालिक लगती है!!” मैंने कहा।
पर उन्होंने मुझे अनसुना कर दिया। मेरी दोनों बड़ी बड़ी मुसम्मी को वो आधे घंटे तक चूसते और पीते रहे। मुझे अभी बहुत अच्छा लग रहा था। मैं गर्म हो रही थी। अब मैं भी मालिक से कसकर चुदना चाहती थी। वो मेरी चूचियों को अपनी औरत की चूचियां समझकर दबा रहे थे।
ऐसा बार बार करने से मेरी चूत गीली हो चुकी थी। मैं जल्दी से चुदना चाहती थी और चूत में मोटा लंड खाना चाहती थी। मेरे दूध पीने के बाद मालिक मेरे गोरे और चिकने पेट को चूमने लगे और भरपूर मजा उठाने लगे। मुझे भी ये सब काफी अच्छा लग रहा था। क्यूंकि दोस्तों, मैं एक भी बार चुदी नही थी।
मेरा भी सपना था की कोई मोटा लंड ही मुझे कसकर चोदे। आज मेरा सपना भी पूरा होने वाला था। मालिक मेरे नाभि के नीचे वाले हिस्से को जल्दी जल्दी जीभ से चाटने लगे। मैं चुदासी होने लगी। कुछ देर बाद मालिक मेरी चिकनी चूत पर पहुच गये। दोस्तों, अपनी तारीफ़ करना ठीक नही है, फिर भी मैं कहूँगी की मेरी चूत बहुत सुंदर थी।
चूत को मैं रोज शेव करती थी, कभी झाटे नही उगने देती थी। मालिक बड़ी देर तक मेरी चूत को निहारते रहे और उसका दीदार करते रहे। फिर वो जीभ लगाकर मेरी फुद्दी पीने लगे। दोस्तों जादातर लड़कियों की चूत अंदर की ओर धंसी हुई होती है, पर मेरी चूत तो खूब बड़ी सी थी और बाहर ही तरह उभरी हुई थी। एकदम फूली हुई गुप्पा सी गुलाबी रंग की चूत थी मेरी।
मालिक तो मेरी चूत पर ऐसे टूट पड़े जैसे आजतक उन्होंने किसी जवान लौंडिया का मस्त भोसड़ा देखा ही नही है। मेरी कुवारी चूत को किसी कुत्ते की तरह चाटने लगे। मुझे पुरे जिस्म पर सनसनी महसूस होने लगी। बड़ा मजा भी आ रहा था। मालिक मेरी चूत को मुंह में भरकर ऐसे पी रहे थे लग रहा था जैसे खा ही जाएंगे।
ये पल मेरी आजतक की जिन्दगी का यादगार पल था क्यूंकि आजतक मैंने किसी मर्द को अपनी फुद्दी नही पिलाई थी। मैंने सर उठाकर अपने भोसड़े ही तरह देखा। मालिक की आँखें बंद थी और ओठ मेरे भोसड़े पर लगे हुए थे और गहराई से मेरी चूत पी रहे थे।“आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईई…ओह्ह्ह्हह्ह…अई..अई..अई….अई..मम्मी…..” मैं सिसक और कसक रही थी।
धीरे धीरे मुझ पर चुदाई का नशा चढ़ रहा था। मैं पागल हो रही थी। वासना मेरी जिस्म पर रेंगने लगे थी। ये कहना गलत नही होगा की मैं मालिक से रगड़कर चुदवाना चाहती थी। मालिक मेरे चूत के दाने को काट रहे थे, मुझे मजा आ रहा था। मेरी कुवारी चूत का सारा रस वो पिये जा रहे थे।“……उई..उई..उई…. माँ….माँ….ओह्ह्ह्ह माँ…. .अहह्ह्ह्हह..” मैं चिल्ला रही थी।
मैं पूरी तरह से नंगी थी और दोनों घुटनों को खोलकर मैं मालिक के सामने बिस्तर पर लेती हुई थी। आधे घंटे से मालिक मेरी रसीली चूत पी रहे थे। मैंने उनके बालो को बड़े प्यार से सहलाए जा रही थी। उनकी खुदरी जीभ मेरी नाजुक चूत को बार बार छेड़ रही थी। मेरे भोसड़े से अब रस निकलने लगा था। साफ था की मैं अब चुदवाने को पूरी तरह से रेडी हो चुकी थी।
मालिक ने मेरी चूत में झुक कर थूक दिया और मेरे दोनों पैर उपर कर दिए। मेरी गांड के नीचे उन्होंने २ बड़ी गद्देदार तकिया लगा दी और अपना ११ इंची मोटा लंड उन्होंने मेरी कुवारी चूत पर रख दिया। फिर लंड को हाथ से पकड़कर वो बड़ी देर तक मेरी चूत पर उपर नीचे घिसते रहे, सायद सही समय का वो इंतजार कर रहे थे।
कुछ देर बाद उन्होंने अपना लौड़ा मेरी चूत के छेद पर रख दिया और लंड को पकड़कर तेज अंदर की तरफ धक्का दिया और मेरी सील टूट गयी।“…..ही ही ही ही ही…..अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह…. उ उ उ..” मैं चिल्लाई क्यूंकि मुझे बहुत तेज दर्द हो रहा था। पर मालिक मुझे तेज तेज चोदने लगे और मजा लेने लगे।
मेरे दर्द की उनको कोई फ़िक्र नही थी क्यूंकि मैं तो सिर्फ उसके लिए एक गरीब नौकरानी थी। मेरी चूत में बहुत जोर का दर्द होने लगा। मैं किसी मछली की तरह तड़पने लगी। मालिक हचाहच मुझे चोदने लगे। मेरी पतली की चूत के बीच में उनका बड़ा लम्बा सा खूटे जैसा लौड़ा बड़ा अजीब और अटपटा लग रहा था।
जैसे कोई बाप अपनी बेटी को पेल रहा हो। ऐसा ही लग रहा था बिलकुल। पर मालिक तो बिलकुल प्रेम चोपड़ा बन चुके थे और जोर जोर से मुझे पेल रहे थे। मेरी छोटी सी प्यारी सी चूत में उनका लंड बड़ा अजीब लग रहा था। वो मुझे पकापक चोदने लगे। मुझे अपनी नाजुक सी चूत में बड़ी मोटी चीज हरकत करती हुई मालूम पड़ी। मैं डरी हई थी।
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पर फिर भी चुदने में पूरा मजा आ रहा था। मालिक ने मेरे दोनों हाथ कसके पकड़ रखे थे। मैं हाथ छुड़ाना चाहती थी, पर उनके बलिष्ठ हाथ ने मुझे कसके पकड़ रखा था। मेरे मालिक सटासट चोद रहे थे। कुछ देर बाद मेरा दर्द कम हो गया। मालिक का लौड़ा आराम से मेरे चिकने भोसड़े में अंदर बाहर जाने लगा। मैं अपनी कमर बड़ी उपर तक उठाने लगी। “उ उ उ उ ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ अहह्ह्ह्हह सी सी सी सी.. हा हा हा.. ओ हो हो….” मैं सिसकने और कराहने लगी।
कुछ देर के लिए मेरी आँखों में अँधेरा छा गया था। मुझे तो लग रहा था की मैं मर चुकी हूँ। पर फिर मालिक की प्रेम चोपड़ा जैसी तस्वीर मेरे सामने थी। वो जोर जोर जोर से पेल रहे थे। मेरी चूत में लंड दे रहे थे। उनकी आँखों में मेरी चूत मारने का लालच था। नजरो में वासना थी और मेरी चूत में उनका लंड था। सब कुछ परफेक्ट तरह से काम कर रहा था। ‘हा हा हूँ हूँ हूँ….करके मालिक हुमक हुमक के धक्के दे रहे थे। फिर वो झड गए। अब वो रोज रात में मेरी फुद्दी चोदते और मेरी मालकिन भी घर में ना के बराबर रहती है इसलिए मालिक को और मौक़ा मिल जाता है।