Interracial Porn
श्री आशीष पाण्डेय अयोध्या में जनता इंटर कॉलेज के प्रिन्सिपल थे। वो हमेशा सफ़ेद कुरता पहनते थे। गले में रुद्राक्ष की माला, पैर में लाल रंग की चमड़े की सेंडल। पाण्डेय जी सुबह 4 बजे उठकर नदी जाकर नहाते थे। पुर्व में उगते हुए सूर्य को जल देते थे। Interracial Porn
हनुमान चालीस, शिव चलिषा पढ़ते थे। इतना ही नही साल में एक बार वैस्नोदेवी या साई बाबा के दरबार जाकर मत्था टेकते थे। नवंबर आने पर वो जागरण करवाते थे। और महाकुम्भ आने पर कल्पवास करने जरूर जाते थे। इस तरह पाण्डेय जी बड़े धार्मिक विचार वाले आदमी थे। कोई 45 50 के होंगे।
पर पाण्डेय जी के अनेक चेहरे थे। दूसरा चेहरा अलग था। वो इलाहाबाद के शिक्षा निदेशालाय में जाकर घुस पानी दे आये और जनता इंटर कॉलेज के प्रिन्सिपल बन गए। उन्होंने अपना दूसरा चेहरा दिखाना शूरु किया। पहले वो ठीक 7 बजे आते और 2 बजे जाते। जैसे 2 3 साल बीते पाण्डेय जी जबरदस्ती पर आ गए।
वो अब 7 बजे आते। कुछ रोज के काम करते जैसे टीचर्स से मिलना, हाथ मिलाना, उनकी रजिस्टर में हाजिरी लगवाना। सरकारी कागजो पर साइन करना आदि। फिर वो आधे घण्टे बाद अपने चश्मे को उतारके अपनी टेबल पर रख देते और गायब हो जाते।
उन्होंने बाबुओ को धमका रखा था की अगर मेरे कहने से नही चले तो उनकी वेतन भी रुकवा देंगे। और साइन नही करेंगे। इसलिए सभी बाबू उनसे डरते थे। पाण्डेय जी का अब यही नियम बन गया। वो सुबह 1 घण्टे के लिये आते और अपना चस्मा खोल कर टेबल पर रख देते।
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जब कोई प्रिन्सिपल से मिलने आता तो बाबू बताते की साहब कहीं गए है। और सब जानते की साहब यही स्कूल में है। धीरे 2 पाण्डेय अपना रूप बदलने लग गए। वो बड़े अफसरों की खुसामद करने लगे। और उन्होंने अपने छोटे भाई को कॉलेज में सरकारी मास्टर बना दिया। फिर अपने सबसे छोटे भाई को भी मास्टर बना दिया।
बड़े अधिकारयों को खिला पिलाकर उन्होंने अपने ताऊ के लड़के जो सिर्फ 10व पास था उसे चपरासी बना दिया। अब पाण्डेय जी के परिवार के 4 लोग जनता इंटर कॉलेज ने नौकरी पा गए। धीरे 2 पाण्डेय जी की ताक़त बढ़ती गयी। स्कूल के दूसरे 20 मास्टर और बाबू,चपरासी उनसे डरने लगा।
श्री आशीष पाण्डेय जी बात करने में बहुत माहिर थे। बड़ा मीठा बोलते थे। पर उनका एक छिपा रूप था। एक दिन एक लेडीज झाड़ूवाली उनके प्रिन्सिपल रूम में झाड़ू मारने गयी। उसका नाम कमला था। वो झाड़ूवाली कुर्मी जात की थी। पर जवान थी। पाण्डेय जी ने कमला का हाथ पकड़ लिया।
ये क्या साहब ? क्या करते हो? मैं तो भंगन हुँ! कमला बोली.
कमला मेरी जान, तो भंगन तो है, पर जवान है पाण्डेय जी बोले.
कमला ने अपने हाथ पर कल्लू गुदवा रखा था। उसके मर्द का नाम। पाण्डेय जी के हाथ कमला भंगन की छातियों पर चले गए। वो उसे पाना चाहते थे।
नही साहब, ये गलत है। मेरा मर्द कल्लू जान पायेगा तो आसमान ही फट पढ़ेगा कमला बोली.
किसी को पता नही चलेगा कमला। तेरा 6 महीने का जो वेतन फसा है मैं उसे पास करवा दूंगा पाण्डेय जी ने लोलीपोप दिया।
कमला का मर्द कल्लू साला ऐडा था। साला हमेशा पीकर पड़ा रहता था। कमला को पैसो को बड़ी जरूरत थी। वो मान गयी। पाण्डेय जी कमला की छातियों को मींजने लगे। पण्डित होने के नाते वो किसी भंगी के पास भी नहीं जाते थे, ना तो उसे छूटे थे। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
पर आज एक नया मॉल देखकर पाण्डेय जी ने अपने उसूल बदल दिए थे। जहाँ देखि नारी वहां आँख मारी वाला उसूल अपना लिया था। पाण्डेय जी ने एक चपरासी को गेट पर मुस्तैद कर दिया की किसी को अंदर ना आने थे। वो जरुरी काम कर रहे है। और कमला की चुदाई में डूब गए।
एक भंगी होते हुए भी पाण्डेय जी कमला से चिपक गए। उसकी चुच्चियों पर हाथ फेरने लगे। उनको जोर 2 से दबाने लगे। जवान होने के नाते कमला को भी मजा मिलने लगा। उसके हाथ से उसकी 5 फुट लम्बी झाड़ू नीचे गिर गयी। कमला के बदन में हलचल होने लगी।
कमला तुम मुझे हमेशा से खूबसूरत लगती थी पाण्डेय जी बोले.
कमला चुप रही और चुदाई का मजा लेने लगी। पाण्डेय जी ने कमला के चुच्चों पर से सारी हटा दी। सारी का पल्लू निचे गिर गया। कमला के 2 खूबसूरत भरे हुए मम्मे पाण्डेय जी को दिख गए। उन्होने ब्लाऊज़ के बटन खोलने सुरु किये। कमला का पका अमरुद था गदराया भरा बदन पाण्डेय जी को नजर आने लगा।
कमला भंगी थी पर बेहद खूबसूरत थी। रंग काला था पर जिस्म एकदम गदराया था। कोई भी मर्द उसे एक नजर देख लेता तो उनके लण्ड में हलचल हो जाती और यही सोचता की अगर एक बार कमला की मिल जाती। पर आज ये किस्मत तो पाण्डेय जी खुलने वाली थी। उसके हलके से गंदे ब्लाऊज़ में कुल 6 हुक थे।
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3 हुक खुलने के बाद पाण्डेय जी को कमला के रसीले मम्मे दिखे और वो उसे पिने दौड़े। उफ़्फ़ क्या कैसे हुए मम्मे थे। पाण्डेय जी से जल्दी से बाकी हुक खोले तो पाया की कमला अंदर ब्रा नही पहने है। और लप्प से उसकी छातियाँ पाण्डेय जी के सामने आ गयी। उनकी जिंदगी ही बदल गयी।
उन्होंने जल्दी से एक हाथ अपनी टेबल पर मारा और साडी फाइलों, कॉपी किताबों को निचे फेक दिया. बहनचोद, क्या करारा माल है पाण्डेय जी के मुँह से निकल गया। उन्होंने कमला भंगन को टेबल पर गिरा लिया। और उसके फूले 2 मम्मे पिने लगे। उनको जिंदगी का मजा मिलने लगा। कमला भी मजा लेने लगी।
पाण्डेयजी का मुँह कमला की बड़ी 2 छातियों को पूरा 2 नही ले पाया पर उन्होंने एड़ी चोटी का जोर लगा लिया। हपर हपर वो कमला भँगी के मम्मे पिने लगे। जवान कमला की चूत भी गीली होने लगी। वो भी सोचने लगी की रोज अपने पियक्कड़ मर्द कल्लू से पेलवाती है, आज कुछ नया चखने को मिलेगा। उनकी चूत भी पानी छोड़ने लगी। बड़ी देर तक मम्मे पिने के बाद पाण्डेय जी ने अपने सफेद कुर्ते का नारा खोला और अपना बड़ा सा लौड़ा निकाला।
कमला! चल चूस इसे वो बोले.
कमला भँगी पाण्डेय जी के बड़े से लण्ड को देखकर डर गयी।
बहुत बड़ा है साहेब, मैं नही ले पाएगी कमला बोली.
पाण्डेय जी ने झट से अपना बड़ा सा लण्ड कमला भँगी के मुँह में पेल दिया। उसका मुँह जाम हो गया। उसे साँस भी नही आ रही थी। पाण्डेय जी की धर्मपत्नी 7 साल पहले ही स्वर्गलोक पधार गयी थी और ये गाण्डू आज एक भंगन का धर्म बिगाड़ रहे थे। कमला का मर्द पियक्कड़ था और कभी भी उससे लण्ड नही चुसवाता था। इसलिए कमला को लण्ड चुसाई का एक्सपीरिएंस नही थी। पाण्डेय जी ने कमला को कन्धों से पकड़ लिया और कमला भंगन का मुँह चोदने लगी।
मेरे पानी को चाट जा, खासी जुकाम में फायदा देगा गाण्डू पाण्डेय जी बोले।
वो दनादन कमला का मुँह चोदने लगे। कमला का ये फर्स्ट टाइम मुँह चुदाई थी। उसे बड़ा अजीब लग रहा था।
बहुत गन्दा लग रहा है साहेब। कमला बोली.
अरे झुकाम खासी में फायदा करेगा। पाण्डेय जी बोले.
सीधी सादी कमला उनका लण्ड चूसने लगी। पाण्डेय जी का लण्ड पत्तर जैसा सख्त होने लगा। वो दुगनी रफ़्तार से कमला का मुँह चोदने लगे। फिर उनकी नजर कमला के रसीले मम्मो पर चली गयी और पाण्डेय जी का पानी चूत गया। कमला का सारा मुँह गन्दा हो गया। एक सेकंड में पाण्डेय के चेहरे पर उदासी छा गयी। ये उनकी छुपी हुई चुदास की उदास थी। अब वो जवान कमला भंगन को कैसे पेलेंगे।
अब कैसे करोगे साब? कमला ने पूछा.
पाण्डेय जी के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी। आज इतना चिकना माल हाथ लगा। और इसे चोदने ने पहले मैं झड़ गया। लानत है मुझ पर पाण्डेय जी सोचने लगा। उन्होने झट से अपनी पैंट पहली। बाहर गए और बाबू को 100 रुपए का नोट दिया। सुन जा विगोरा 500 के 2 कैप्सूल ले आ और देख किसी से इसके बारे में जिक्र किया तो मुझसे बुरा कोई नही होगा। श्री आशीष पाण्डेय जी ने एक बार फिर से बाबू को धमकाया।
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वो कुछ देर में गोली ले आया। पाण्डेय जी ने झट से आपने कमरे में रखे जग का पानी उठाया और दोनों कैप्सूल गटक गए। कुछ सेकंड में खड़ा हो जाएगा कमला पाण्डेय बोले। 10 मिनट में ही उन्हें बदन गर्म होने लगा। उन्हें हरारत होने लगी। और पाण्डेय जी का खड़ा होने लड़ा। और लण्ड फूल के 12 इंच का हो गया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
कमला भंगन की गाड़ पट गयी। पाण्डेय जी के चेहरे पर मुस्कान लौट आई। वो जान गए की अब वो कमला को अच्छी तरह चोद लेंगे। पाण्डेय जी से कमला की काले रंग की साडी उठा दी। फिर पेटीकोट उठा दिया। कमला बहुत गरीब थी। 6 महीने से वेतन भी नही मिला था।
इन दिनों उसके पास चड्ढी पहनने के भी पैसे नही थे। पाण्डेय जी ने देखा की कमला बिना चड्ढी के है। उनकी बांछे खिल गयी। वो कमला भंगन की चूत पर टूट पड़े। क्या मस्त रसीली चूत थी। जब आज कमरे में कमला झाड़ू मारने आई थी तो उसकी चूत बिलकुल सुखी थी। पर पाण्डेयजी के काम से कमला की चूत रसीली हो गयी थी। बड़ी प्यारी सी चिड़िया थी। कमला का मर्द अपनी औरत की इस चिड़िया को ढंग से नही उड़ा पाता था। चूत साफ थी, एक भी घास नही थी।
अरे कमला, तू तो बनाकर रखती है पाण्डेय जी बोले.
हाँ साहेब, मेरा मर्द हफ्ते में सिर्फ एक बार लेता है पर उसको साफ करके ही मांगता है कमला बोली.
पाण्डेय जी कमला की चूत को चाटने लगे किसी प्यासे कुत्ते की तरह। कहाँ पाण्डेय जी किसी भंगी, चमार को छुना भी पाप समझते थे। और आज उसी भंगी की बुर चाट रहे थे। कमला को बड़ा सुख मिलने लगा क्योंकि उसका मर्द कल्लू गाण्डू था। खूबसूरत बीबी का चोदन कैसे करना था, वो जानता ही नही था।
वहीँ श्री आशीष पाण्डेय जी पुराने ज़माने के ऐयाश थे। किसी भी हसीं औरत को देख उनका खड़ा हो जाता था। पाण्डेय जी ने अपना जनेऊ ठीक किया, किनारे खिसकाया चुदाई जैसा गन्दा और अपवित्र काम करते जनेऊ ना बिच में आ जाए। कमला के खूबसूरत भोसड़े पर अपना बड़ा सा 10 इंच लम्बा गधे जैसा लण्ड रखा।
एक दो बार कमला के भोसड़े पर ऊपर से निचे रगड़ा, तो वो भँगन कांप उठी। और फिर पाण्डेय जी ने गच स पेल दिया अपना बड़ा सा लण्ड। कमला ने कमर उठाके लण्ड ले लिया। पाण्डेय जी ने कमला को भांजना शुरू किया। वो अपनी बड़ी सी ऑफिस की टेबल का बढ़िया इस्तेमाल कर रहे थे।
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पाण्डेय जी रंडापे में बुर का मजा लेने लगे। कमला से अपनी जवान टांगे फैला ली। और मजे से लण्ड खाने लगी। आज इत्तफाक से कमला को असली मर्द मिला था। वो चुदाई सागर में दुब गयी और नहाने लगी। पाण्डेय जी गचा गच्च उसे पेले जा रहे थे। कुछ देर बाद वो कुछ देर के लिये आराम करने लगी तो कमला बोली.
ऐ साब करना….करना… कमला ने बिनती की।
पाण्डेय जी को मजा आ गया। जब औरत खुद कहे की मेरी चूत फाड़ दो तब तो मर्द को जोश आएगा ही। पाण्डेय जी तेजी से कमला भँगन को पेलने लगे। इसी पेलाई में डाकिया सरकारी कागज लेकर आया। कुछ और लोग भी प्रिन्सिपल साहेब से मिलने आये। पर वफादार बाबू ने किसी को भी प्रिन्सिपल रूम में नही जाने दिया। अंदर धकाधक पेलाई चल रही थी। सुबह 10 बजे की बात की।
विचित्रि बात थी की कोई भी अधिकारी दिन में तो कॉलेज में किसी औरत को नहीं भजतां है, पर पाण्डेय जी शेर दिल आदमी दे। दिन में ही सरे काले काम करते थे। चुदाई का पहला राउंड खत्म हुआ तो पाण्डेय जी ने कमला भँगन की बुर में ही अपना माल छोड़ दिया। वो कमला को अभी और चोदना चाहते थे।
विगोरा 500 के 2 कैप्सूल का असर था की पाण्डेय जी का असलहा फिर खड़ा हो गया कुछ देर बाद। कमला भँगन इस बिच केवल 2 घूँट पानी ही पी पायी। वो भी आज निहाल हो गयी थी। कहाँ आई थी झाड़ू मारने और कहा लण्ड पा गयी। दूसरे राउंड में पाण्डेय से उसकी गाण्ड चोदने का प्लान बनाया।
कमला, अब मैं तेरी गाण्ड चोदूंगा, थोडा दर्द होगा। सह लेना। फिर बाद में मजा मिलेगा पाण्डेय जी बोले.
उन्होंने कमला को अब पेट के बल ऑफिस टेबल पर लेता दिया। और गांड देखी..
अरे कमला तेरी गांड तो कुवारी है? वो हसकर बोले मुस्काकर.
साहब मेरा मर्द चुदाई में बड़ा पीछे है। उसे तो बस खम्बे में मजा आता है कमला बोली.
देख, आज मैं तेरी गांड को सील तोड़ दूंगा पाण्डेय बोले.
उन्होंने ढेर सारा थूक दिया और थोडा कमला भँगन की गांड पर मला, और बाकी अपने लौड़े पर मला और पेल दिया। एक जोर का धक्का दिया और कमला भँगन की गांड फट गयी। वो दर्द से सिसकने चीखने लगी। कमला के चेहरा दर्द से सिकुड़ गया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
साहब निकाल लो, बड़ा दर्द हो रहा है। कमला बोली.
अरे 2 मिनट रुक, तुझसे बड़ा मजा आएगा। गाण्डू पाण्डेय जी बोले.
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और मजे लेकर कमला भँगन को गांड चोदने लगे अपने जनेऊ को एक किनारे खिसककर। पुरे कॉलेज में पाण्डेय जी के इस ठरकी बुड्ढे वाले रोल को कोई नही जनता था। केवल उनका विश्वासपात्र बाबू ही जानता था। बाहर सब मास्टर अपने 2 कमरों में बच्चों को पढ़ा रहे थे। वहीँ दुसरी ओर प्रिन्सिपल साब कमला भँगन को चुदाई की क्लास दे रहे थे। कोई भी मास्टर इस बात की कल्पना नही कर सकता था की इस समय 10 बजे हमारे कॉलेज में ही चुदाई की गरमा गर्म क्लास चल रही थी। बिचारे सरे मास्टर मोटी 2 किताबों में अपनी आँखे कमजोर कर रहे थे.
वहीँ उनके मुखिया आदरणीय प्रिन्सिपल साहेब कमला के मस्त रसीले छातियों और उसकी मस्त रसीली बुर देखकर आँखे तेज कर रहे थे। पाण्डेय जी ने कमला की गांड जमकर चोदी। और फिर अपना लण्ड निकाल लिया। कमला भँगन बिलकुल चोदवासी हो गयी। वो एक बार फिर से पाण्डेय जी का लण्ड चूसने लगी। चुसाई के बाद फिर पाण्डेय जी से उसकी चूत मारी। कमला भँगन मन ही मन भगवान को धन्यवाद देने लगी की आज उसे एक शेर दिल मर्द और उनका लण्ड खाने को मिला। कुछ देर बाद चुदाई का राउंड खत्म हुआ और पाण्डेय जी से अपना मॉल उसकी बुर में ही चोद दिया।
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