Desi Ladki Chudai
मेरा नाम अंशुल है। मैं हिमांचल में रहता हूँ मेरा कद 5 फ़ीट 11 इंच है। मै देखने में ज्यादा हैंडसम तो नहीं हूँ। लेकिन लड़कियों को पटाने के लिए काफी है। मैंने अब तक कई लड़कियों को चोदा है। मै एक अमीर बाप का बेटा हूँ। मैंने कई लड़कियों को तो पैसे खिला कर चोदा है। Desi Ladki Chudai
लडकियां मुझ पर कम पैसे पर ज्यादा मरती हैं। मुझे लड़कियों की मटकती गांड़ बहुत पसंद है। मैं लड़कियों की गांड़ मारने में बहुत मजा आता है। मैंने अब तक कई लड़कियों की गांड़ चुदाई की है। लड़कियों की गांड़ की फाड़ने में मेरा लौड़ा बहुत ही एक्सपर्ट है।
लड़कियों की चूत और गांड को चोदने का मजा ही कुछ और है। मुझे लड़कियों के निप्पल को चूसना बेहद पसंद है। दोस्तों मै एक अमीर परिवार का लड़का हूँ। मेरे पापा की चार मेडिसिन की फैक्ट्रियां है। मै सिर्फ दो भाई ही हूँ। मै छोटा हूँ। मेरे बड़े भाई की शादी हो चुकी है।
मेरी भाभी बहुत ही लाजबाब हैं। रिश्ते में अगर मेरी भाभी न होती तो मैं उन्हें खूब चोदता। भाभी की कमर बहुत ही पतली है। भाभी की लचकती कमर को देख कर लौड़ा खड़ा हो जाता है। भाभी बहुत ही हॉट लगती है। मैंने भाभी जी की चूंचियो को कई बार देखा है।
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लेकिन छूने की आज तक हिम्मत नहीं हुई। मै हमेशा से ही लड़कियों को पटा कर चुदाई करने में रूचि रखता था। भाभियो की भी कभी कभी चुदाई का अवसर मिल जाता था। मैंने भाभियों की चूंची खूब पी है। मैं भी अपनी कंपनी में ही रहता हूँ। मैंने अपनीं कंपनी में ही कई सारी लडकियां चोदी है।
कंपनी में कुछ लड़कियां बहुत ही हॉट और सेक्सी बनकर आती हैं। मेरा लंड तो उन्हें देखते ही खड़ा हो जाता हूं। भैया भाभी का घर अलग है। हिमांचल में हमारा 5 घर है। दो घकर किराये पर दे दिया है। एक पर मम्मी पापा रहते है। एक घर पर मैं रहता हूँ।
मेरे एक घर पर भैया भाभी रखते हैं। मैं अकेला ही घर पर रहता हूँ। मैं रोज लड़की लाकर घर पर चोदता हूँ। मेरे घर पर काम करने वाली ये सब जानती थी। वो ही कमरा साफ़ करके बिस्तर सही करती थी। मैं अपने कमरे का दरवाजा भी नही बंद करता था।
मेरे कामवाली का नाम कंगना है। मैं कंगना की भी चूंचियां कभी कभी बातों ही बातों में दबा देता था। कंगना भी बहुत खूबसूरत लगती थी। मन तो उसे ही चोदने को करता था। लेकिन उसे काम पर पापा ने लगाया था। कही वो पापा से जाकर सब बता ना दे।
इसिलिए मैं उसे कभी हाथ भी नहीं लगाता था। बहुत ही कहने पर मेरे यहां काम करने को राजी हुआ था। मेरा मन कंगना को चोदने को करने लगा। कंगना एक दिन गिर गई थीं। उसके कपडे पर कीचड लग गया था। मैंने उसे कहा जाकर नहा लो।
कंगना- “नहा तो लेती साहब लेकिन कपडे नहीं है मेरे पास। नहाने के बाद क्या पहनूंगी.”
मैं- “मै बाहर जा रहा हूँ। तुम अपनी साइज बता दो मैं ले आता हूँ.”
कंगना ने अपने 34 की ब्रा की साइज बताई। और जो भी बताया कंगना ने मैंने नोट किया। बाहर जाकर मैंने कंगना को नया नया कपङा ले आया। मैंने सारे कपडे कंगना को दिखाया। कंगना को जब पैंटी ब्रा दिखा रहा तो कंगना शरमा गई। मैंने कंगना को कपडे देकर अपने रूम में चला आया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
कंगना कपडे पहन कर बाहर आई। मैंने कंगना को देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। मै कंगना के लिए रेड कलर का टी शर्ट और ब्लू कलर की जीन्स लाया था। कंगना घर की कामवाली नहीं लग रही थी। कंगना घर की मालकिन लग रही थी। कोई भी देखता कंगना को तो मालकिन समझ बैठता। कंगना को देखते ही मेरा लौड़ा खड़ा होकर सलाम ठोकने लगा।
मै- “कंगना इन कपड़ो में तो तुम कुछ ज्यादा ही हॉट और सेक्सी लग रही हो.”
कंगना- “थैंक यू आज आप नहीं लाते कपड़ा तो मुझे गंदे कपड़े पहने रहना पड़ता.”
मै- “आज तो मैं घर पर ही रहता तो तुम्हे गंदे कपडे कैसे पहने रहने देता.”
कंगना- “आज साहब आप कही नहीं जाओगे.”
मैं- “आज मैं अकेला ही घर पर रहूँगा.”
कंगना- “क्यों?? कज किसी को नहीं लाओगे.”
मैं- “आज मेरे साथ कोई नहीं आएगा। आज तो मैं पुरे दिन बैठ कर बोर हो जाऊँगा.”
कंगना कुछ नहीं बोली। चुपचाप खड़ी थी।
मैंने कंगना से कहा- “कंगना आज तुम घर का कोई काम ना करो। तुम आओ यहां मेरे पास बैठ जाओ। हम लोग बात करेंगे.”
कंगना- “नहीं साहब बहुत काम है। करना है उसे और खाना भी बनाना है.”
मैं- “रहने दो आज खाना वाना कुछ ना बनाओ। मै अभी होटल से ले आता हूँ.”
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कंगना की उभरी चूंचियो को देख कर उसे ही देखने का मन कर रहा था। मैंने कंगना को अपने सामने बिस्तर पर बैठाया। पहले कमरा खुला होता था। तो कोई भी आता था कंगना बता देती थी। लेकिन आज तो कंगना खुद ही बिस्तर पर थी। मैंने कंगना से कहा दरवाजा बंद कर दो। कंगना ने दरवाजा बंद कर दिया।
मैं कंगना के ठीक सामने बैठकर कंगना की चूंचियो को देखा रहा था। कंगना आज नया नया कपड़ा पाकर बहुत ही खुश थी। मैंने कंगना के करीब धीऱे धीऱे करवट लेकर पहुच गया। कंगना अब मुझसे बहुत ही करीब थी।
कंगना मेरे बराबर बिस्तर पर बैठ ही नहीं रही थी। मैंने किसी तरह से समझाकर बैठाया था। मैंने उसे कहा मान तुम इस घर की मालकिन हो। कंगना कुछ कहती उससे पहले मैने कहा- “कंगना इस घर की मालकिन हो तुम अब मालकिन का रोल भी अदा करो.”
मैं कंगना के करीब पहुचकर कंगना की मुँह के पास जाकर बोला- “क्या तुमने कभी सेक्स किया है??”
कंगना- “नहीं.”
मैं- “सिखा दूं तुम्हे आज.”
कंगना- “नहीं मुझे नहीं सीखना है.”
लेकिन मैंने कंगना की सीखने की तड़प को समझ गया था। कंगना को मैने चिपका लिया। कंगना ने कोई विरोध नहीं किया। मैंने कंगना का हाथ अपने हाथ में लेकर चूमने लगा। कंगना की नाखूनों को देखकर ऐसा लग ही नहीं रहा था कि ये कोई कामवाली हो सकती है।
कंगना को भी चुदने की प्यास थी। मैं तो खैर दो तीन दिन की चुदाई का प्यासा था। मैंने कंगना की हाथो को चूमना शुरू किया। कंगना के हाथों को चूमते ही कंगना का मूड चुदाई को बनने लगा। मैंने कंगना की चेहरे की तरफ देखा। कंगना के चेहरे की तरफ देख कर मैंने अपना होंठ कंगना की होंठ पर लगा दिया।
कंगना की होंठ बहुत ही नाजुक थी। कंगना के होंठो को चूमने में बहुत मजा आ रहा था। कंगना की तड़प को मैंने महसूस कर लिया। मैंने अब कंगना के होंठ को चूमते चूमते काटने लगा। कंगना के होंठ को काटते ही कंगना ने अपना जलवा दिखाया। कंगना ने भी मेरा साथ देना शुरू किया।
कंगना की होंठ को मैंने चूसने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा था। मैंने कंगना की होंठ की दोनों पंखुडियो को चूंसने में मस्त था। कंगना भी मेरा होंठ खूब मजे ले ले कर चूस रही थी। हम दोनों एक दूसरे का होंठ बहुत ही अच्छे से चूस रहे थे। कंगना भी अब चुदाई की प्यासी लगने लगी।
कंगना धीऱे धीऱे मेरे साथ होंठ चुसाई में स्पीड बढा रही थी। कंगना को मैंने होंठ चूस चूस कर लाल कर दिया। अब उसके होंठ गुलाब के पंखुडियो की तरह देख रहे थे। कंगना के होंठ बहुत ही रोमांचक लग रहीं थी। मैंने धीरे धीऱे अपना हाथ कंगना की चूंचियों की तरफ बढ़ाया।
कंगना की चूंचियां बहुत ही सॉफ्ट थी। कंगना की चूंचियों को दबाने का मन बहुत कर रहा था। कंगना की चूंचियो को मैं मसलने लगा। कंगना की चूंचियो को मसलते ही कंगना की साँसे ताज हों गई। कंगना की मुँह से “…अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ…. अअअअअ… आहा … हा हा हा” की सिसकारियां निकलने लगी।
कंगना की ये सिसकारियां बहुत ही अच्छी लग रही थी। मैंने कंगना की दोनों चूंचियो को अपने हाथो में लेकर खेलने लगा। कंगना अपनी चूंचियां दबवा रही थी। मैंने कंगना की टी शर्ट को निकालने के लिए कंगना को बिस्तर पर बैठा दिया। कंगना बिस्तर पर बैठ गई।
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कंगना की टी शर्ट को मैंने निकाल दिया। कंगना जोश में थी। मैं अब कंगना के साथ कुछ भी करता कंगना कोई विरोध नहीं कर रही थी। मैंने कंगना की ब्रा का हुक भी खोलकर ब्रा को निकाल दिया। कंगना की ब्रा को निकालते ही कंगना की गोरे रंग की भूरी भूरी बूब्स दिखने लगी।
कंगना को मैंने अपने पास करके मैंने कंगना को लिटा दिया। कंगना के ऊपर चढ़कर कंगना की चूंचियो को पीने लगा। कंगना की चूंचियों को पीने में बहुत मजा आ रहा था। कंगना की दोनों चूंचियो को मै दबा कर पी रहा था। कंगना की चूंची बहुत ही मुलायम थी।
कंगना की बूब्स पर काले रंग का निप्पल बहुत ही जबरदस्त लग रहा था। कंगना की चूंचियो को मैं बारी बारी से पी रहा था। कंगना भी अपनी चूंचियो को पिलाकर बहुत खुश हो रही थी। मैंने कंगना की चूंचियो के निप्पल को दांतों से बीच बीच में काट लेता था।
चूंचियों के निप्पल कटते ही कंगना “उ उ उ उ उ…अ अ अ अ अ आ आ आ आ….सी सी सी सी…ऊँ…ऊँ…ऊँ…” की आवाज निकाल रही थी। मैंने कंगना की चूंचियो को और जोर जोर से पीना शुरू किया। कंगना की चूंचियो का रसपान करके मैंने दूध पीना बंद किया। मैंने कंगना की जीन्स का हुक खोला।
हुक खोलकर मैंने कंगना की जीन्स निकाल दी। कंगना की जीन्स को निकालते ही कंगना पैंटी में हो गई। मैंने अपने लाये सारे कपड़ उतार दिए। मैंने कंगना की पैंटी भी निकाल दी। कंगना की पैंती निकलते ही कंगना पूरी तरह से नंगी हो गई।
कंगना की दोनों टांगो को फैलाकर मैंने फैलाकर कंगना की चूत के दर्शन किये। मैंने कंगना की चूत में अपना लौड़ा डालने से पहले कंगना की चूत को चाटने लगा। मैंने भी अपने सारे कपडे उतार कर कंगना की चूत को चाटने लगा। कंगना की चूत चाट चाट कर मैंने गुलाबी कर दिया।
गुलाबी चूत बहुत ही फूली हुई थी। फूली चूत देखकर मेरा लौड़ा और भी बड़ा हो गया। मैंने अपना लौड़ा निकाल कर कंगना को दे दिया। एक तरफ मेरा लौड़ा कंगना चूस रही थी। दूसरी तरफ मै कंगना की चूत चाट रहा था। कंगना मेरे लौड़े को चूस रही थी।
मैंने कंगना की चूत में अपनी जीभ डालकर चूस चूस कर चाट रहा था। कंगना की अपनी चूत को चटवाने में बहुत मजा आ रहा था। मैने कंगना की चूत में अपना लौड़ा डालने के लिए कंगना की मुँह से निकाल लिया। कंगना भी अब अपनी दोनों टाँगे खोलकर लेटी हुई थी।
मैंने कंगना की चूत पर अपना लौड़ा रगड़ने लगा। कंगना की गुलाबी चूत और भी ज्यादा गुलाबी हो गई। गुलाबी चूत कंगना की और भी ज्यादा गरम हो गई। मैंने कंगना की चूत में अपना लौड़ा चूत में नालियों के बीच में रगड़ रहा था। कंगना की चूत गीली हो चुकी थी।
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कंगना की गीली चूत में मैंने अपना लौड़ा डालने की कोशिश करने लगा। कंगना की गीली चूत के छेद पर अपना लौड़ा सटा कर लगा दिया। कंगना चुदवाने को तड़प रही थी। कंगना। की चुदाई की तड़प बढ़ती ही जा रही थी। मै भी कंगना की चूत की छेद पर अपना लौड़ा रगड़ रहा था।
कंगना की चूत का गर्म पानी मेरे लौड़े पर लग रहा था। मेरा लौड़ा और भी ज्यादा उत्तेजित होने लगा। मैंने अपना लौड़ा कंगना की चूत की छेद में डालने के लिए लगा दिया। कंगना की चूत को मैंने अपना धक्का मारा। कंगना की चूत गीली थी। मैंने कंगना की चूत में अपने लौड़े का टोपा घुसा दिया।
मेरे लौड़े का टोपा कंगना की चूत में घुसा हुआ था। कंगना जोर से चिल्लाई। “ओह्ह माँ….ओह्ह माँ…आह आह उ उ उ उ उ…अ अ अ अ अ….आआआआ…-”की आवाज निकाल कर चिल्लाने लगी। मेरा लौड़ा काफी बड़ा मोटा था। कंगना की चीख निकल गई। मेरे लौड़े का टोपा घुसते ही।
कंगना की चूत बहुत ही लाजबाब थी। मैंने कंगना की चूत में अपना लौड़ा डाल कर अंदर कर रहा था। मेरा लौड़ा अंदर तक नहीं जा पा रहा था। मैं अपने लंड की थोड़ा सा ही घुसा घुसा कर चोद रहा था। मैंने कंगना की चूत में लौड़े को जोर से धक्का मार कर पूरा लौड़ा अंदर घुसे दिया।
कंगना की चीख इस बार पहले से ज्यादा निकल गई। कंगना जोर जोर से “….मम्मी…मम्मी…सी सी सी सी…हा हा हा ….ऊऊऊ …ऊँ…ऊँ..ऊँ …उनहूँ उनहूँ…” की आवाज निकालने लगी। मैंने कंगना को अपने पूरे लौड़े से चोदना शुरू किया। मेरा पूरा लौड़ा कंगना की चूत में अंदर बाहर होने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने कंगना की जबरदस्त चुदाई करनी शुरू कर दी। कुछ समय तक ऐसे ही चुदाई करने के बाद मैंने कंगना की चूत से अपना लौड़ा निकाल लिया। कंगना को मैंने झुका दिया। कंगना बिस्तर पर खड़ी झुकी हुई थी। मैंने कंगना की चूत में अपना लौड़ा एक बार फिर से घुसा कर जोर जोर से कमर पकड़ कर चोदने लगा।
कंगना “…उंह उंह उंह..हूँ.. हूँ…हूँ.. .हमममम अहह्ह्ह्हह. ..अई….अई… अई…” की आवाज निकाल कर चुदवा रही थी। मैंने कंगना की चूत में अपना लौड़ा जड़ तक डाल डाल कर चोदना शुरू किया। मैंने अपना लौड़ा कंगना की चूत से निकाल कर कंगना की गांड़ में डालने लगा।
कंगना की गांड़ में अपना लौंडा डालने की कोशिश नाकाम रह गई। लेकिन बार बार कोशिश करने पर मेरा लौड़ा कंगना की चूत में घुस गया। कंगना की चूत में लौड़ा घुसते ही कंगना की चीख एक बार फिर से निकल गई। कंगना जोर जोर से “आ आ आ अह्हह्हह…ई ई ई ई ई ईई…ओह्ह्ह्हह्ह… .अई…अ ई..अई…अई…मम्मी….” की आवाज निकालने लगी।
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मैंने अपना लौड़ा जल्दी जल्दी अपना लौड़ा कंगना की चूत में घुसाने लगा। कंगना की गांड़ चुदाई करने में बहुत मजा आ रहा था। मैंने कंगना की चूत में अपना लौड़ा घुसा कर चोदने में बहुत मजा का रहा था। मै कंगना की गांड चुदाई बहुत मजे ले लेकर चोद रहा था। मैंने कंगना की गांड़ की चुदाई बहुत तेज कर दी। कंगना “आऊ…आऊ.. .हमममम अहह् ह्ह्हह…सी सी सी सी…हा हा हा…” की तेज आवाज निकालने लगी। मेरी तेज स्पीड होने से मै भी झड़ने की चरम सीमा पर आ गया।
मैंने कंगना को बताया मै झड़ने वाला हूँ। कंगना ने कहा मेरे मुँह में ही डाल दो। इतना कहते ही मै झड़ने वाला हो गया। कंगना तों कब की झड़ चुकी थी। मैंने कंगना की गांड़ से अपना लौड़ा निकाल कर कंगना की मुँह में रख दिया। कंगना की मुँह में ही मैंने अपना सारा माल मुठ मार कर गिरा दिया। कंगना मेरा सारा माल पी गई। मैने कंगना की उस दिन खूब चुदाई की। अब तो हर दिन मैं कंगना की चुदाई करता हूँ। कंगना भी अब घर में मालकिन की तरह रहती है।
Raman deep says
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