Porn Sis Sex Kahani
मेरा नाम अनुराग है, मैं अपनी बहन को बचपन से ही बहुत अच्छी तरह से प्यार करता था. उसमे में एक बहुत अच्छा आकर्षण महसुस करता था. ये बात करीब १० ईयर पहले शुरू हुई थी. उस समय मैं *साल का था और मेरी बहन अंजू *साल की कमसिन लड़की थी. अंजू की उम्र उस समय *साल से कम नहीं लगती थी क्योंकि उसकी बॉडी हाई बिल्डप की थी. Porn Sis Sex Kahani
मैं हमेशा अंजू के बदन को टच करने की कोशिश करता था और मुझे इसमें बहुत मजा आता. मैं मस्ती में बात करते-करते उसकी बॉटम में चपत लगा दिया करता था. लेकिन वास्तव में उस समय मुझे भी औरत और आदमी के इंटरनल रिलेशन के बारे में नहीं मालूम था. बस मुझे अंजू का साथ और उसे टच करना अच्छा लगता था.
तभी ३ साल बाद मुझे एक दोस्त ने कुछ डर्टी बुक्स रीडिंग के लिए दी. उनमे न्यूड फोटोग्राफ्स देख कर मुझे बहुत एक्साईटमेंट हुआ और तभी मुझे उसके घर जाने जा मौका मिला. मेरा दोस्त मदुरेश के फादर सरकारी जॉब में थे और वह एक अच्छी फॅमिली से था. उसने मुझे अपने घर में ऐसी बहुत सी बुक्स दिखाईं और फिर अपने पूरे कपडे उतार कर नंगा हो गया.
मैं भी एक्साईटमेंट में अपने कपड़े उतर कर नंगा हो गया. उस दिन मदुरेश ने मुझे मास्टरबैशन के बारे में बताया और हम दोनों ने उस दिन खूब मजे किये. उस दिन मेरा एक नयी दुनिया में प्रवेश हुआ था, सेक्स वर्ल्ड बुक्स में देख कर ही हमने अनल सेक्स के बारे में जाना और मैंने मदुरेश की गांड में चुदाई की और मदुरेश ने मेरी गांड में चुदाई की.
एक दिन अचानक मदुरेश ने मुझसे कहा की तेरी किसी लड़की को नंगी देखने की इच्छा नहीं होती है क्या? मैंने कहा की मेरी तो बहुत इच्छा होती है पर मैं कैसे देख सकता हूँ. वह बोला की कल तू सुबह ९:०० बजे मेरे घर आना तब मैं तुझे नंगी लड़की दिखा दूंगा. मैं बहुत खुश हो कर उसके घर दूसरे दिन सुबह चला गया.
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उसके पापा ऑफिस चले गए थे और मम्मी रोज की तरह आंटी के यहाँ गपशप मरने चली गयी थी. घर में मदुरेश और उसकी बिग सिस्टर डिम्पी दीदी भर थी. मैं बहुत एक्साईटेड था और जल्दी से मदुरेश के रूम में जाकर बोलै की नंगी लड़की देखने कहाँ चलना है और जल्दी चलो.
मदुरेश भी एक्साईटेड था और बोला की मैं तुझे अपना एक सीक्रेट बता रहा हूँ किसी को बताना नहीं मैं तुझे नंगी लड़की यहीं दिखा दूंगा. मैं आश्चर्य में पड़ गया की मदुरेश घर में नंगी लड़की कैसे दिखा देगा. मदुरेश कुछ नर्वस दिख रहता और वह बार बार रूम से बाहर जा रहा था.
आफ्टर सम टाइम वह मुझे रूम से बाहर साइलेंटली ले कर गया और धीरे से मुझे किचन के ऊपर बने स्टोर में ले गया. उसने मुझे हिदायत दे रखी थी की मैं कोई भी आवाज़ न होने दूँ. स्टोर की हाइट बहुत कम थी और उसमे कमर झुका कर चलना पड़ रहा था. स्टोर में डार्कनेस था और काफी सामान भरा था पर एक तरफ साफ था कहीं नीचे से लाइट आ रही थी.
मैंने गौर से देखा की वहां गीज़र लगा था और एक होल से पाइप नीचे की तरफ गयी थी. वहां पाम से भी बड़ा होल था और पहले मदुरेश ने वहां से कुछ देखा फिर मुझे भी बुला कर देखने को कहा. नीचे देखते ही मेरी हवा ख़राब हो गयी. नीचे मदुरेश के घर का बाथरूम था और वहां मदुरेश की बड़ी बहन डिम्पी दीदी एकदम नंगी हो कर कपड़े धो रही थी.
बाथरूम पूरी तरह से लाइटेड था और डिम्पी दीदी का पुरा जिस्म दिखयी पर रहा था. एकदम गुलाबी नंगा जिस्म देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया. डिम्पी दीदी के गोल-गोल मम्मी क्लॉथ वाश करते समय बहुत हिल रहे थे और उनकी लेग्स के बीच में झाटों का गुबार दिख रहा था.
मैंने पहली बार किसी नंगी लड़की को देखा था इसलिए मेरा लंड एकदम खड़ा हो चूका था. मदुरेश की भी हालत ख़राब थी और उसने अपना लंड निकल कर सहलाना शुरू कर दिया था. मैंने भी अपना लंड निकल कर रगड़ना शुरू कर दिया. डिम्पी दीदी क्लॉथ वाश करने के बाद खड़ी हो गयी और शावर चालू कर नहाने लगी.
उनकी नंगी गांड देख कर तो मैंने अपना कण्ट्रोल खो दिया और जोर जोर से लंड पर हाथ चलने लगा. मदुरेश भी अपना लंड मरने लगा और अपनी दीदी को देख-देख कर लंड का सारा माल फ्लोर पर झाड़ दिया. बाथरूम में डिम्पी दीदी नहाने के बाद जब कपड़े पहनने लगी तब हम दोनों स्टोर रूम से नीचे उतर गए.
मैंने मदुरेश की बहुत तारीफ की क्योंकि उसने मुझे उपनि डिम्पी दीदी का नंगा जिस्म दिखाया और हम दोनों ने बहुत ऐश की. मदुरेश ने बताया की वह दीदी को रोज ऐसे ही नहाते देखता है उसी ने ऊपर का होल इतना बड़ा कर दिया की डिम्पी दीदी को नहाते देख सके. उस दिन से मैं रोज मदुरेश के यहाँ जाता और डिम्पी दीदी को नंगी देख कर मूठ मारता.
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उसी समय मदुरेश के पापा का ट्रान्सफर जबलपुर हो गया और एक मंथ बाद वह लोग यहां से चले गए. अब मेरा रूटीन डिस्टर्ब हो गया था क्योंकि मेरे को सेक्स का चस्का लग चूका था. अब मैं रात में सोते समय डिम्पी दीदी और मदुरेश को याद कर मूठ मारता और सो जाता. तभी मेरी बहन अंजू से मेरी और ज्यादा इंटिमेसी बढ़ गयी थी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
अंजू अब १८ इयर्स की हो चुकी थी & बाला की खूबसूरत हो चुकी थी. अब मैंने अंजू की तरफ ध्यान से देखना शुरू किया. अंजू डिम्पी दीदी के मुकाबले कहीं ज्यादा खूबसूरत है. एकदम मलाई जैसा चिकना बदन और पुरे वाइट स्किन क़यामत बरपाती है. अंजू के मम्मी तो एकदम बाहर की तरफ निकलते जा रहे थे.
मैंने सोचा की मदुरेश ने तो अपनी बड़ी बहन को नंगा देख कर मुझे दिखाया और हमने बहुत मजा लिया तो मैं अपनी लिटिल सीस अंजू को क्यों नहीं नंगी देख सकता. मैंने सोचा की क्यों न प्लानिंग करके अंजू को नंगा देखा जाये और अगर चोदने का मौका मिल जाये तो बहुत ही मजा आ जायेगा.
मैंने अंजू के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना शुरू कर दिया था और मजाक में उसकी गांड में चिकोटी पिंच करता था. हम दोनों स्टडी साथ में करते थे और वह मेरे बगल में बैठ कर मुझसे क्वेश्चन पूंछते रहती थी. मैं मौका देख कर उसके बदन में हाथ फिराता रहता था और उसे सताने की कोशिश करता था.
हम दोनों में गुड फ्रेंडशिप थी पर फिर भी मैं डायरेक्टली उससे चोदने की बात कहने की हिम्मत नहीं रखता था. एक दिन रात को मैं बहुत एक्साइटेड हो गया और मैं अपने बेड से निकल कर अंजू के बेड की तरफ चला गया. अंजू मेरे बेड से कुछ दूर दूसरे बेड पर सो रही थी. मैं अंजू के बेड के पास जाकर बैठ गया और अपनी अंडरवियर उतार दिया.
मेरी प्यारी बहाना साउंड स्लीप में सो रही थी. मेरी आँखों में वासना का सुरूर छाया हुआ था. मैंने मॉस्क्वीटो नेट उठा कर अपनी बॉडी अंजू के बेड में अंदर कर लिया और अपने हाथ से अंजू की स्कर्ट को घुटने से ऊपर ले लिया. अब अंजू की ब्लैक पेंटी साफ नज़र आ रही थी. मैंने कांपते हाथों से उसकी चूत को पेंटी के ऊपर से टच किया.
मैं फुल एक्साईटमेंट में था और मेरा लंड फुल स्विंग में फड़फड़ा रहा था. मैंने अंजू की पेंटी उठा कर चूत को टच करना चाहा उसी समय अचानक अंजू की स्लीप डिस्टर्ब हो गयी और वह आईज ओपन कर मुझे देखने लगी. ठीक इसी समय मेरे लंड ने भी अपना पानी झाड़ दिया और मेरा सारा तनाव ख़त्म हो गया.
अब मुझे ग्लानि सी महसूस होने लगी थी मैंने अपनी चड्डी उठाई और गीले लंड को उठा कर अपने बेड पर आ कर सो गया. पता नहीं अंजू ने क्या सोचा होगा पर उस दिन से मैं अंजू से नज़र नहीं मिला पा रहा था. धीरे-धीरे हम दोनों के रिलेशन नार्मल होने लगे और मेरा अंजू के साथ चुदाई करने का सपना फिर से दिखने लगा.
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कभी-कभी मुझे लगता था की अंजू मुझे अपनी स्कर्ट के नीचे दिखाने की कोशिश करती है. अब तो मेरा अंजू के चूँचियों को और उसकी गांड को घूरने का शौक सा हो गया था. मैं ऑलमोस्ट डेली अंजू को याद कर के मूठ मारा करता था. मेरी बहुत इच्छा थी की मैं अंजू की चुदाई करू पर यह संभव नहीं हो पा रहा था.
फिर मेरा इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन हो जाने के कारण अपने सिटी से बाहर पुणे चला गया. पुणे में टाइट जीन्स & टॉप पहने लड़कियों को बहुत देखा पर फिर भी अंजू की याद कम नहीं हुई और मैं अब भी अंजू की फोटो सामने रख कर लंड घोंटता था तभी मुझे मजा आता था.
जब मैं कॉलेज लास्ट ईयर में था तभी अंजू की शादी मयंक जीजाजी से इंदौर में हो गयी और अंजू अपने घर चली गयी. अंजू की शादी के एक साल बाद मेरी भी शादी पलक से हो गयी. पलक बहुत सिंपल गर्ल थी और उसे सेक्स के बारे में बहुत कम मालूम था फिर भी मैंने उसे काफी कुछ सिखाया और मेरी सेक्स लाइफ पलक के साथ स्टार्ट हो गयी.
पलक के साथ सेक्स में मुझे तभी परम आनंद आता था जब मैं अंजू के बारे में फंतासी करता था. मैं पलक को छोड़ता था पर ब्रेन में अंजू को याद करता रहता था. अंजू अब भी मेरी सपनो की डिम्पी थी और मंथ में एक बार मैं अंजू के फोटो को सामने रख कर मूठ जरूर मारता था.
एक बार मैं अंजू को विंटर हॉलीडेज में लेने के लिए इंदौर गया और उसे लेकर मैं ट्रैन से रायपुर के लिए बैठा. ट्रैन में ओनली वन बर्थ मिल पायी थी क्योंकि उस समय बहुत रश चल रहा था. हम दोनों ने खाना खाया और फिर मैंने अंजू का बेड उपर बर्थ में बिछा दिया. ट्रैन में कोल्डनेस बहुत ज्यादा थी इसलिए मैं भी बर्थ में एक किनारे बैठ गया और अंजू को रज़ाई से कवर कर दिया.
बाहर कोल्ड ज्यादा ही था और अंजू ने देखा की मुझे कोल्डनेस फील हो रही है तो वह बोली के भैया आओ इसी रज़ाई में सो जाओ. मैंने अंजू की बात मान ली और मैं अंजू के लेग की तरफ अपना हेड रख कर रज़ाई के अंदर एंटर हो गया. इमेजिन हाउ वी मैनेज्ड इट्स स्लीपर क्लास की स्माल बर्थ में हम दोनों एक रज़ाई में घुसते ही हमारी बॉडी एक दूसरे की बॉडी से टच करने लगी.
अंजू को भी मयंक जीजाजी से चुदाई का एक्सपीरिएंस हो चूका था और मुझे भी पलक के साथ. अंजू का गदराया जिस्म मुझसे टकराते ही मेरा जिस्म गर्म हो गया और तुरंत ही मेरा लंड खड़ा हो गया. मेरा लंड मेरे ट्रॉउज़र से निकलने को बेताब होने लगा और मेरी सपनो की रानी मेरी बहना मेरे से सट कर सो रही थी.
मैंने अंजू के लेग्स को साडी के ऊपर से टच किया और अंजू की तरफ करवट कर लिया. इस पोजीशन में मेरा लेग अंजू के बूब्स को टच करने लगा. अब मेरी यह हालत हो रही थी की मैं अंजू की जांघ दबा कर उसके लेग्स चूमना चाह रहा था. मैंने सोचा की यह सबसे गुड अपार्चुनिटी है अंजू की चुदाई का और मैं प्लान बनाने लगा.
अचानक मैंने महसूस किया की अंजू मेरे लेग्स को सहला रही है. अंजू का यह इशारा था या कुछ और पर मैंने तुरंत ही अंजू की साडी घुटने तक लिफ्ट की और उसके चिकने लेग्स को टच किया और लिप किश करने लगा. तुरंत ही अंजू ने भी रिस्पांस दिया और वह मेरे लेग्स को सहलाते हुए मेरे पेंट के ऊपर से लंड को पकड़ लिया.
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मैं समझ गया की मेरी बहन को भी चुदास फील हो रही है. शायद जीजाजी ने मेरी बहन को अच्छी तरह से ट्रेन्ड कर दिया था. मैंने बहन के मखमली लेग्स पर हाथ फिसलाते हुए उसकी गांड पकड़ लिया और पेंटी में हाथ डाल कर उसकी चूत पकड़ लिया. चूत में हाथ लगाते ही अंजू पागल हो गयी.
और उसने भी अपने हाथ से जीप खोल कर अंडरवियर से मेरा लंड बाहर निकाल लिया और लंड सहलाने लगी. मुझे बहुत मजा आने लगा अंजू एक ट्रेंड औरत की तरह मेरे लंड को सहला रही थी. मैंने भी अंजू की चूत को अपनी मिडिल फिंगर से चोदना स्टार्ट कर दिया था.
हम दोनों अब अपने पूरे उफान पर थे और दिल लगा कर एक दूसरे की चुदास शांत कर रहे थे. हम दोनों ने अपनी स्पीड फ़ास्ट कर दी और आफ्टर सम टाइम मेरे लंड ने और अंजू की चूत ने पानी छोड़ दिया. अंजू ने कस कर मेरे लंड को ग्रीप्प कर लिया और मेरे लेग्स पर किस करने लगी.
आख़िरकार मैंने अपनी मंज़िल पा ही ली. दूसरे दिन जब हम रायपुर पहुंचे अंजू बहुत खुश दिखाई दे रही थी. घर में अंजू ने मुझे बताया की वह जानती थी कि मैं उसे चोदना चाहता था. उसने कहा की जब हम दोनों एक दूसरे की फीलिंग्स जान चुके हैं तो मैं जल्द ही तुम्हारे लंड से अपनी चूत चुदवाना चाहती हूँ.
अंजू के मुंह से ऐसी पुरे नॉन-वेज बात सुन कर मैं हैरान हो गया. अंजू ने बताया की मयंक उसे रोज अच्छी तरह से चोदता है और उसी ने मुझे यह सब बोलना सिखाया है. वह मुझे लंड की डिम्पी कह कर बुलाता है और बहुत ही ओपन माइंडेड है. मैंने अपने ओपन माइंडेड जीजाजी को थैंक्स कहा जिसकी वजह से मुझे अपनी बहन को चोदने का मौका मिल रहा है.
हमारे घर में दो गेट हैं जिससे घर में एंटर हो सकते हैं. सामने वाला गेट हमेशा खुला रहता है और बैक साइड गेट अन्दर से क्लोज रहता है. बैक डोर के पास ही अंजू का रूम है और बाकी आल रूम्स फर्स्ट फ्लोर में हैं. मैं प्लानिंग के अनुसार दूसरे दिन आफ्टरनून में २ पीएम पर बैक साइड डोर से घर आ गया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
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और अंजू के रूम में जाकर मैंने अंजू को अपनी बाँहों में भर लिया. आज मेरी बचपन की आस पूरी होने वाली थी. मैंने जी भर कर अपनी बहन को चूमने चाटने के बाद नंगा कर दिया. मेरी बहन नंगी होकर क़यामत ढा रही थी. उसके गोल-गोल भरपूर चूँचियाँ देख कर मैं पागल हो गया और एक को हाथ से मसलने लगा और दूसरे को सक करने लगा.
अंजू की चुदास बढ़ने लगी थी और उसने भी मेरी ड्रेस उतार कर मुझे नंगा कर दिया. अंजू मेरे लंड को हाथ से सहलाना शुरू कर दिया और मेरी गांड को टच करने लगी. मेरा लंड बार बार झटके मार रहा था और एक ज़बरदस्त किस्म की चुदाई मांग रहा था. मैंने उसकी टाइट और मदमस्त चूत की तरफ प्यार से देखा.
अंजू मेरा इशारा समझ गयी और बोली की भैया जल्दी से मुझे चोदा ना. मैं उसके मम्मे चूसे रहा तहत और वह सेक्सी आवाज़ें निकल रही थी में ने उसकी चूत पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसेड़ दिया जिससे वह मजे में तड़पने लगी. मैं आहिस्ता आहिस्ता उंगली अन्दर बाहर करता रहा.
फिर में ने उसे जमीन पर रखे गद्दी पर लिटा दिया. और उसकी लेग्स को फैला कर थोड़ा सा अपने ८ इंच लम्बे और ३.५ इंच मोटे लंड को घुसा कर एक हे झटके से उसकी चूत में अपना सारा लंड अन्दर कर दिया. हय्य उफ्फ्फ्फ्फ्फ…. सीसीसीईईईईई मैं मर गयी, मेरे प्यारे भैया तुम कितने अच्छे हो जो अपनी बहन को चोद रहे हो. प्लीज भैया अच्छी तरह से चोदो.
मैं अंजू की पीठ को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और जोर जोर से चुदाई करने लगा. अंजू को दर्द के साथ साथ मज़ा भी आ रहा था. वो सिसीकारिओं और चीखों के के साथ साथ अपनी गांड बैकवर्ड थ्रस्ट कर रही थी. मुझे उसकी मस्त चूत पर स्ट्रोक लगाने का बहुत मज़ा आ रहा था. मैं ने उसके कन्धों को मज़बूती से पकड़ा हुआ था. वो पूरी तरह मेरी गिरफ्त में थी.
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मैं अपना लंड बाहर निकालता और फिर एक झटके से सारा अंदर डाल देता. वो फिर चीख पड़ी ऊऊओह्ह्ह्ह…… हहहहहह. स्स्सस्स्स्स…. स्स्स्सस्स्स्स आहिस्ता आहिस्ता करो भैया मुझे बहुत दर्द होता है. मैं ने उसकी एक न सुनी और लगातार उसकी चूत लम्बे लम्बे स्टोक्स से चोदता रहा. हर झटका उसके लिए मजा और दर्द ला रहा था. मैंने अंजू के लिप पर किस करना शुरू कर दिया और जम कर चोदने लगा. मैं डिस्चार्ज होने को था और वो भी मदहोश हो चुकी थी.
फिर मैं ने एक झटके से लंड बाहर निकला और फिर कस कर अन्दर डाल कर अपना सीमन चूत के अन्दर छोड़ दिया. अंजू ने कस कर मुझे जकड़ लिया और मैंने भी अंजू को जकड़ लिया वो लम्बी लम्बी सांसें ले रही थी उसकी आंखें बंद थीं मदहोशी का ये आलम बहुत अच्छा लग रहा था. आफ्टर सम टाइम हम दोनों उठे और अपने को क्लॉथ से वाश करने लगे. उस दिन के बाद मैंने ५ मोर टाइम्स अंजू की चुदाई और की जोकि मेरी जिंदगी के सबसे हसीन पल रहे. अंजू अब वापस इंदौर चली गयी है.
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