Chut Ki Jhilli
वो बरसात के दिन थे और मैं यूनिवर्सिटी से जल्दी वापिस आ गया, जब मैं घर पहुंचा तो ऐज यूजअल मेन गेट लॉक्ड था क्योंकी मेरी छोटी बहन स्कूल से 1 बजे वापिस आती थी और उस वक़्त 11 बजे थे. मैंने की से मेन गेट खोला और कॉरिडर से गुज़रता हुआ अपने रूम की तरफ बढ़ रहा था कि मुझे नुसरत के कमरे का दरवाज़ा खुला नज़र आया. Chut Ki Jhilli
मैं ने अंदर देखा तो नुसरत सोई हुई थी. मैं हैरान था कि आज नुसरत स्कूल क्यूँ नही गयी? लेकिन फिर मुझे खुद ही यह ख़याल आया की आज बरसात की वजह से स्कूल में छुट्टी हो गयी होगी. मैं ने नुसरत की तरफ देखा वो सोते हुए बुहुत मासूम लग रही थी.
मैंने उसे जगाना मुनासिब ना समझा और अपने रूम में आ गया, बाथ लिया, शॉर्ट्स पहने और फिर नेट लगा के बैठ गया और सेक्स स्टोरीज पढ़ने लगा उस वक़्त मैं एक इंसेस्ट (सेक्स वित रिलेटिव्स) की स्टोरी पढ़ रहा था और जैसे जैसे मैं पढ़ता जा रहा था मेरा लंड खड़ा होता जा रहा था.
मेरे दिमाग़ में मेरी छोटी बहन नुसरत का तसवउर आ रहा था जो अपने बेडरूम में सोई हुई थी. मैं आपको हमारे घर के बारे में बता दूँ. यह आज से 2 साल पहले का वाकिया है. मेरा नाम नवाजुद्दीन और उमर उस समय 19 साल की थी.
तब नुसरत की उमर यही कोई 18 साल होगी,(अब नुसरत 20 साल की हो चुकी हे). मेरी अम्मी और अब्बू 5 दिन के लिए रिस्तेदारी में गये हुए थे. नुसरत की बिल्कुल गोरी और सफेद रंगत, काले बाल सियाह आँखे, छ्होटे छ्होटे बूब्स और दरमियाना गांड है.
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मेरे दिमाग़ में ऐक सोच आई कि क्यू ना अपनी बहन के जिस्म का मज़ा चखा जाए और यह सोच कर मैं अपनी छोटी बहन के कमरे में चला गया. वो उस वक़्त भी सो रही थी और उस के पेट पर से क़मीज़ हटी हुई थी और उस का गोरा पैट नज़र आ रहा था जिसे देख कर मेरा लंड झटके मारने लगा.
मैं नुसरत के बेड पर बैठ गया, मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था, आख़िर कार मैं ने उस के पेट पर हाथ रख दिया, वाउ कितना गर्म पेट था उस का छोटा सा लेकिन चिकना फिर मैं ने अपने दूसरे हाथ को उस के गालो पर फेरना शुरू किया.
मगर वो नही जगी तो मैं ने पेट पर हाथ फेरते फेरते अपनी बहन की क़मीज़ ऊपर उठाके उस के मम्मे नंगे कर दिए वाउ क्या सीन था! टेबल टेन्निस की बाल जितना बूब जिस पर हल्का ब्राउन सा निपल उभरा हुआ था. वाउ मैं तो पागल हो गया.
मेरी बहन नुसरत ज़रा सी हिली तो मैं ने फ़ौरन हाथ पीछे हटा लिए, लेकिन वो जगी नही थी. मैं ने अपना ऐक हाथ उस के मम्मे पर रख दिया उफफफ्फ़ यह कितना कड़ा था, कुछ देर अपनी छोटी बहन के मम्मे से खेलने के बाद मैंने अपना दूसरा हाथ उस की ग्रीन फूलों वाली शलवार में डाला.
ओह मेरी छोटी बहन की शलवार में अज़रबन्द की बजाए एलास्टिक था. मैंने आहिस्ता से उस की शलवार थोड़ी सी नीचे कर दी… मेरा दिल सीने से बाहर आने वाला था नुसरत की नन्ही मुन्नी चूत बेहद हसीन थी उस पर हल्का हल्का ब्राउन कलर का दाना था.
मैंने नुसरत की चूत को देखा तो पागल सा हो गया और झुक कर उस पर अपनी ज़ुबान रख दी. नुसरत ने अपनी टाँगे पीछे घसीटी और उठ कर बैठ गई मैं भी पीछे हट गया. नुसरत ने मुझे देखा और सब से पहले अपनी शलवार ऊपर की और कहने लगी
भाई जान आप क्या कर रहे हैं? बहन ने कहा.
मेरी बहन मैं तुम से प्यार कर रहा हूँ, मैंने कहा.
भाई आप को शर्म आनी चाहिए मैं आप की छोटी बहन हूँ और आप मेरे साथ ऐसी हरकते कर रहे हैं. बहन ने कहा.
मैंने नुसरत को बाज़ू से पकड़ा और कहा, बहना देखो मैं तुम से प्यार करना चाहता हूँ…
वो रोने लगी. छोड़ो मुझे भाई. क्या हर भाई अपनी बहन को ऐसे करता है? नुसरत ने कहा.
मैं नहीं जानता. लेकिन बहुत से भाई कामोवेश अपनी बहनों के बारे में ऐसे ख़यालात रखते हैं और उन में से बहुत से अपने ख़यालों को हक़ीक़त भी बना लेते हैं. मैंने कहा.
लेकिन नुसरत मना कर ही नही दे रही थी वो चिल्लाने लगी बचाओ… बचाओ… बचाओ… मैं ने उस के मुँह पर हाथ रखा और दूसरे हाथ से उस की शलवार नीचे कर दी. वो चीखने की कोशिश कर रही थी मगर मैं ने उस का मुँह अपने हाथ से दबाया हुआ था.
मगर नुसरत ने मेरे हाथ पर काट लिया और मैं ने दर्द के मारे उस के मुँह से हाथ हटा लिया और वो बचाओ बचाओ चीखते हुए कमरे से बाहर भागी… मैं उस के पीछे बाहर भगा. कॉरिडर में निकला तो मैं ने देखा कि हमारा चोकीदार रशीद नुसरत के सर पर हाथ फेर रहा था और गुस्से से मेरी तरफ देख रहा था उस ने मुझे देखते ही कहा.
सूअर शैतान अपनी मासूम बहन को चोदना चाहता है? तुम को शर्म नही आती. लानत है तुम पर, रशीद ने मुझे धमकी दी कि वो मेरे माँ बाप को बताएगा और अगर मैं ने नुसरत को हाथ भी लगाया तो वो मुझे शूट कर देगा मैं रशीद की धमकी से डर गया वो 30-35 साल का ऐक हॅटा-कटा पठान था.
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उस ने नुसरत को गोद में उठा लिया और कहने लगा, बेटी तुम फिकर मत करो यह शैतान अब तुम्हे हाथ भी नही लगा सकता. और नुसरत को उस के कमरे में ले आया और मुझे भी आवाज़ दी कि इधर आओ. मैं डर रहा था मगर अंदर गया.
रशीद ने नुसरत को गोद में उठाया हुआ था क्योंकी नुसरत उसे अंकल कहती थी और वो थी भी ऐक 18 साल की मासूम बच्ची. नुसरत अब हिचकियाँ ले रही थी और उसे रशीद ने गोद में बिठाया हुआ था और खुद नुसरत के बेड पर बैठा हुआ था.
उस ने मुझे कहा इधर आओ और साथ ही आँख मार दी. मैं तो हैरान रह गया… मैं रशीद के पास गया उस ने कहा कि, गॅंडू अपना जंगिया (शॉर्ट्स) उतारो. मैं समझा वो मेरी गांड मारेगा लेकिन मैं ने डरते हुए शलवार उतार दी नुसरत हिचकियाँ लेटे हुए मेरी तरफ देख रही थी और मेरे लंड को जो अब दोबारा खड़ा हो रहा था, कि तरफ देख रही थी.
कि अचानक रशीद ने मुझे कहा, गांडू का बच्चे तुम को कुछ नही पता की कैसे करते हैं, यह कह कर उस ने अपनी शलवार के नाले में हाथ डाला और अपनी शलवार में से नाला निकाल लिया, नुसरत हैरान थी कि अंकल यह क्या करने वाले हैं.
रशीद ने अचानक नुसरत के बाज़ू उस की कमर के पीछे किए और अपने नाले/ अज़रबंद से मेरी छोटी बहन के हाथ बाँधने लगा. मैं हैरान था कि और खुश भी की रशीद भी मेरा साथी बन गया हे लेकिन मेरी बहन नुसरत मचलने लगी और दोबारा चीखने लगी. तो रशीद ने ऐक ज़ोरदार थप्पड मेरी मासूम बहन के मुँह पर मारा कि नुसरत के मुँह में से खून बहने लगा.
स का गाल अंदर से फॅट गया था. फिर रशीद ने मेरी बहन को उठा कर बेड पर लिटाया और उस के पेट पर से अपनी टाँग ऐसे गुज़ारी कि नुसरत का बदन उस की टाँग का नीचे दब गया, अब वो हिल भी नही सकती थी. नुसरत के हाथ उस की कमर पर बँधे हुए थे.
फिर रशीद ने मुझे इशारा किया और कहा, लो अब आओ और मज़ा करो और हम को भी मज़ा लेने दो. मेरी खुशी की कोई इंतेहा नही थी मैं अपनी बहन के पास आया और उस के क्यूट से चेहरे को हाथों में लिया और उस के होन्ट चूसने लगा. नुसरत चीख रही थी.
कुत्तो हरमजादो छोड़ दो मुझे… भेया मैं तुम्हारी सग़ी बहन हूँ अपनी छोटी बहन से ऐसा कर रहे हैं आप… भाई जान मैं मर जाऊं गी मेरी इज़्ज़त ना लूटो भाई जान मुझे छोड़ दें. मगर कौन सुनता उस की बकवास उस वक़्त. मैंने रशीद की तरफ देखा तो उस ने खुद को कपड़ो के तकल्लूफत से आजाद करवा लिया था.
और उस का 10 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड 90 के आंगल पर खड़ा था, वो मुस्कुरा रहा था. मैं ने नुसरत की तकलीफ़ का सोचा तो मुझे झुरजूरी आ गयी कि मेरी मासूम कुँवारी बहन के साथ क्या होने वाला है जब यह दरिन्दा उसे चोदेगा तो क्या होगा.
मगर मैं ने यह फज़ूल बातें सोचने में वक़्त ज़ाया नही किया और अपनी छोटी बहन की शलवार खेंच कर उतार ली. वाउ उस की नन्ही मुन्नी चूत हल्के हल्के ब्राउन रूवे के साथ इंताई खूबसूरत लग रही थी. ईतने में नुसरत जो हिचकियाँ ले रही थी उस ने दोबारा ज़ोर से चीखना और रोना शुरू कर दिया.
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बचाओ… बचाओ… मुझे बचा लो अम्मी जी… पापा मुझे बचाएँ मम्मी! लेकिन उस की यह आवाज़े उस के हलक़ में ही दब गयीं क्योंकि मैं ने उस की शलवार उठा कर उस का गोला बनाया और उस के मुँह में डाल दिया अब उस के मुँह से घ्ह्ह्ह्ह…गग्ग्ग….ग….ग..घह….ऊओ ण्न्न्न्न्घ्ह्ह्ह की आवाज़े आ रही थीं.
फिर मैंने उस की क़मीज़ का गिरेबान दोनों हाथों से पकड़ा और ऐक झटके से फार डाला. अब नुसरत हम दोनों के बीच बिलकुल नंगी थी. मैं फ़ौरन नुसरत के मम्मो से खेलने लगा. पहले सहलाते रहा फिर दबाने लगा. फिर मैने अपनी छोटी बहन के छोटे छोटे मम्मे बारी बारी से बड़े प्यार से चूसे.
नुसरत छटपटा रही थी. मूँह में सलवार ठूँसा हुवा होने की वजह से उसकी आवाज़ बाहर नहीं आ रही थी. रशीद भी नुसरत की कमसिन चूत की पुट्तियाँ खोलने लगा था. वह दोनों हाथों से चूत फैला रहा था. कुछ देर बाद उसने चूत में अंगुल डालनी शुरू कर दी.
फिर बोला, अबे साले अब चूसना छोड़ और चोद अपनी बहन को. फिर मुझे भी चोदना है, देखता नहीं कब से खड़ा है. रशीद ने मुझे अपना 10″ का खड़ा लंड दिखाया. मैं फ़ौरन नुसरत की टाँगों के बीच में आ गया और अपना 7″ के करीब लंड को बहन की चूत के ऊपर टिका दिया.
रशीद ने अंगुल करके नुसरत की चूत खोल दी थी फिर भी मैने रशीद की तरफ देखा, गांडू कहीं के धक्का मार के थेल दे अंदर. इतना सुनते ही मैने एक ज़ोर का धक्का मार दिया और मेरा आधा लंड नुसरत की चूत में घुस गया. नुसरत ज़ोर से बिस्तर पर उछली.
वह तो रशीद ने उसके मूँह पर हाथ रखा हुवा था, वरना उसकी चीख सारे मुहल्ले में सुनाई दे जाती. मुझे बहन की टाइट चूत में लंड पेलने में बहुत मज़ा आ रहा था. मैने यह परवाह नहीं की कि उसे कितना दर्द हो रहा होगा और लंड बाहर खींच खींच के 4 – 5 और तगडे धक्के उसकी चूत में लगा दिए. मेरा पूरा लंड चूत में घुस गया था.
फिर तो मैने बहन की ताबड तोड़ चुदाई शुरू कर दी. मैं लंड बाहर खींच खींच के अंदर घुसा रहा था. हर धक्के के साथ लंड ‘छप ‘छप करता हुवा बहन की फुददी में जा रहा था. मैं लगभग 5 मिनिट तक उसे चोदता रहा और उसके बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया.
कुछ ही देर में मैं सुस्त होके बहन के ऊपर से हट गया. तभी मैने नुसरत की चूत की तरफ देखा तो उसकी चूत के इराद गिरद खून जमा पड़ा था और चूत बूरी तरह खून और मेरे रस से लतपथ थी. मेरा रस अभी भी उसकी चूत से बह रहा था.
रशीद ने यह देखा तो बोला, साले तुमने अपनी बहन की चूत फाड़ दी. ऐसे चोदा जाता है. देख इसके तो खून आ गया. नुसरत के मूँह से गों गों की घुटी घुटी आवाज़ें आ रही थी. रशीद ने नुसरत को अपनी गोद में बैठ लिया और उसके सर पे हाथ फेरते हुए उसे प्यार करने लगा.
फिर वह उसके गालों की चुम्मियाँ लेने लगा. अब उसने नुसरत के मुँह से कपडा निकाल दिया. नुसरत ने पहले तो हिचकियाँ ली फिर रोने लगी. नवाजुद्दीन तुमने यह अच्च्छा काम नहीं किया. कल जब सबको यह बात मालूम पड़ेगी तो तुम्हें तो पोलीस पकड़ के ले जाएगी और तुम्हारा खानदान बदनाम हो जाएगा. रशीद नुसरत की चूचियों को हल्के हल्के सहलाते बोला.
क्या कहते हो मैं अकेला थोड़े ही था तुम भी तो साथ थे. मैने घबराई आवाज़ में कहा.
ठीक है मुझे भी पहले इसे चोद लेने दो, फिर कोई रास्ता सोचते हैं.
नहीं छोड़ो मुझे. मैं मर जाउन्गी. भाई तुमने मुझे बारबाद कर तो दिया. इस दरिंदे से मुझे बचाओ. मुझे छोड़ दो, मैं किसी को कुछ नहीं कहूँगी. यह कह नुसरत फिर रोने लगी. मुझे भी अब नुसरत पर दया आ रही थी पर यह भी जानता था कि रशीद उसे चोदे वगैर छोड़ने वाला नहीं.
तभी रशीद ने नुसरत से कहा, देखो तुम एक बार चुद चुकी हो. अब चाहे एक बार चुदी हो या दस बार चुदी हो कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता. अब मेरे से भी राज़ी राज़ी चुदवा लो तो तेरे हाथ भी खोल दूँगा और खूब प्यार से चोदून्गा नहीं तो फिर से मूँह में कपडा ठूंस साली की पूरी चूत फाड़ के भोसरा बना दूँगा.
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नहीं अंकल बहुत दर्द हो रहा है. मेरी पहले ही फॅट गयी है. छोड़ दो मुझे, मैं तुम दोनों के हाथ जोड़ती हूँ और किसी को कुछ नहीं बोलूँगी. जाने दो मुझे.
यह ऐसे नहीं मानेगी. नवाजुद्दीन ठूंस दे इसके मुँह में कपडा. और साली चुप कर रन्डी भाई से तो तुम चुदवा ली अब क्या मैं इस खड़े लंड को तेरे भाई की गान्ड में डालूं.
अभी छोड़ दो मुझे. नहीं तो मेरी जान निकल जाएगी. अभी एक बार छोड़ दो. मैं ठीक हो जाउन्गी तो….. अभी छोड़ दो….. किसी को कुछ….. नहीं .. बोलूँगी.
रशीद ने नुसरत के हाथ खोल दिए और कहा, जा बातरूम में जाकर ठीक से नहा ले और इस पर क्रीम लगा लेना. लड़कियों की पहली चुदाई में ऐसा होता है और कुँवारी लड़की के पहली बार खून भी आता है. सब के साथ ऐसा होता है. डरने की कोई बात नहीं. नुसरत उठी और सीधी बाथरूम में चली गयी. तभी रशीद ने मुझे पलट दिया और मेरी गान्ड पर अंगुल में ले ढेर सारा थूक लगा दिया.
रशीद यह क्या कर रहे हो? मैने वापस सीधा होते हुए कहा.
अरे साले तेरी गान्ड मारूँगा. तेरे को बहन चोदने का पहला मौका क्या दे दिया तूने तो उस बेचारी की फाड़ के रख दी. अब यदि मैं उसे चोद्ता तो हो सकता था कि बात बिगड़ जाती और हम दोनों जैल में बंद हो जाते. अब मैने उसे छोड़ दिया है देखना वह अब हम दोनों से राज़ी राज़ी चुदवाएगी. अब पलट और मुझे तेरी गान्ड मारने दे, देख भाई बहन की चुदायी देख के कब से खड़ा है मेरा लंड.
पर रशीद तेरा बहुत बड़ा है और मैने इससे पहले कभी गान्ड नहीं मरवाई.
तो साले तेरी बहन ने इससे पहले कभी चुदाया था क्या? तब तो तुमने यह बात नहीं सोची. तू चाहता है क्या कि मैं तेरे भी उसी तरह हाथ बाँधू और तेरे मुँह में भी कपडा ठूँसू.
अच्च्छा मैं नारियल तेल ले आता हूँ. तुम पहले ठीक से लंड और गांड चिकना कर लो और धीरे धीरे मारना. मैं उठ और ड्रेसिंग टेबल से अम्मी की नारियल तेल की बॉटल ले आया और रशीद के हाथ में दे डी. रशीद ने प्लास्टिक की बॉटल दबा काफ़ी जमा हुवा नारियल तेल निकाला और उसे अपने लंड पर चुपऱ लिया.
फिर उसने मुझे अपने चारों हाथ पैरों पर कर दिया और मेरी गान्ड हवा में उँची उठा दी. उसने नारियल तेल की प्लास्टिक की बॉटल का मुख मेरी गान्ड के छेद पर रखा और बॅटल थोऱी दबा के मेरी गन्ड में तेल दीया. फिर उसने बॉटल कस के दबा दी और मुझे गान्ड में ठंडा ठंडा महसूस हुवा.
फिर रशीद ठीक मेरे पीछे आ घुटने के बल बैठ गया. उसने मेरे दोनों चुत्डो पर हाथ जमा के उन्हे चौडाने लगा. फिर उसने कहा, नवाजुद्दीन! ठीक से तकिये पर मुख रख ले और तकिया में मुँह दबा ले. मैं समझ गया कि अब वह मेरी गान्ड में अपना 10″ का मूसल ठोकेगा और साला मुँह दबाने के लिए कह रहा है जिससे कि मेरी आवाज़ ना निकले.
मैने वैसे ही किया. डर भी लग रहा था, पर इस नये तज़ूरबे के बारे में सोच सोच मैं काफ़ी उत्तेजित भी हो गया था और मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था. रशीद मेरी गान्ड के ठीक पीछे अपने पैरों पर खड़ा होके मेरी पीठ पर झुक गया और उसने अपनी बाहें मेरी छाती पर कस ली.
तभी मुझे उसका लंड अपनी गान्ड के छेद पर महसूस हुवा और मैने तकिये में दाँत भींच के अपना चेहरा और कस के गाढ दिया. मेरी गान्ड का किला फ़तेह होने वाला था. रशीद ने लंड का दबाव मेरी गांड में दिया और एक तेज़ दर्द की लहर मेरे सारे बदन में दौड़ गयी.
मैं कसमासाया पर मैने सोच रखा था कि चाहे जो हो जा’य मुझे गले से आवाज़ बाहर नहीं निकलने देनी है. फिर रशीद अपने लंड के सुपारे को मेरी गान्ड में कुछ देर हिलाता रहा. जिससे मेरी गान्ड में भरा जमा हुवा नारियल तेल फैलने लगा. उसके लंड का सुपारा मेरी गान्ड में अटका ‘पच’ ‘पच’ कर के हिल रहा था.
तभी उसने मेरी गान्ड पर और दबाव बढ़ाना शुरू किया और मुझे लंड अंदर सरकता साफ मालूम पड़ा. कुछ दूर तक तो बिना दर्द के अंदर सरक गया परंतु इसके बाद मुझे ऐसे लगा कि जैसे मेरी गान्ड चीरी जा रही हो. तभी मैने अपना ध्यान नुसरत की पहली चुदाई की तरफ मोड़ दिया.
अब मुझे महसूस हो रहा था कि जब नुसरत की चूत में मैने पहली बार लंड पेला था तो उसे भी ऐसा दर्द हुवा होगा. मैं यह सोच कर पहली बार गान्ड मारवाने के दर्द को झेलने लगा कि अभी कुछ देर पहले जब मैने अपनी सग़ी बहन की चूत को ऐसा ही दर्द दिया था तो अब मैं क्यों चिल्लाउ.
मैं अपने ख़यालों में खोया हुवा था और उधर रशीद ने मेरी नारियल तेल से सनी गान्ड में पूरा 10″ का लंड जड़ तक पेल दिया था. उसकी बाहें मेरी छाती पर और कस गयी. फिर रशीद ने आधा लंड मेरी गान्ड से निकाला और वापस धीरे से पूरा अंदर डाल दिया. ऐसा उसने तीन बार किया और तीसरी बार मुझे दर्द महसूस नहीं हुवा.
फिर तो अचानक तूफान आ गया. अब रशीद सुपरे तक लंड बाहर खींच एक ही झटके में पूरा जड़ तक घुसा रहा था. धीरे धीरे उसकी स्पीड बढ़ती गयी और मुझे केवल पच्च पच्च सुनाई पड़ रहा था. मेरा लंड तन गया था और जब रशीद ने मेरी छाती से एक हाथ नीचे बढ़ाके मेरा लंड पकडा तो मुझे बहुत मज़ा आया.
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मैं बोल पड़ा, रशीद मेरे लंड को सरका मारो. ओह तुम तो गान्ड मारने के पूरे एक्सपर्ट हो. रशीद ने मेरे लंड को मुत्ठी में जाकड़ लिया और वह मेरे लंड को मूठ मारने लगा. उधर बहुत तेज़ी के साथ उसका लंड भी मेरी गान्ड में अंदर बाहर हो रहा था. तभी नुसरत कमरे में आ गयी और जैसे ही वह मूड के वापस जाने लगी रशीद बोल पड़ा, नुसरत बेटे यहाँ आओ और बैठो. देखो मैं तुम्हारे भाई से तुम्हारा बदला कैसे ले रहा हूँ. ठीक से नहा ली हो ना. अभी दर्द कम हो गया न. नुसरत ने हां में गर्दन हिला दी.
ले साले झेल मेरा लंड. आज तेरी गान्ड फाड़ के बिटिया का बदला लूँगा. ले झेल…. रशीद मेरे लंड को मुठियाते हुए दना डन मेरी गान्ड में लंड पेल रहा था. तभी मेरे लंड से फव्वारा छूटा और तभी मुझे अपनी गान्ड में रशीद के रस का फव्वारा महसूस हुवा. उस दिन और कुछ नहीं हुवा. नुसरत और दिन की अपेक्षा आज बहुत जल्द अपने कमरे में जा कर सो गयी. मैं भी जल्द सो गया. दूसरे दिन मैं और नुसरत रोज की तरह यूनिवर्सिटी और स्कूल गये. दुसरी रात नुसरत राज़ी हो गयी. तीसरे दिन जब तक अम्मी अब्बू नहीं आ गये तब तक नुसरत इस खेल की खिलाड़ी बन चुकी थी.